सुरेंद्र सैनी बवानीवाल  संपर्क - 9466865227 झज्जर ( हरियाणा )

कुछ बातें...... 


है इस जहाँ में कुछ तो रिश्ते अजीब से. 
यहाँ दोस्तों के चेहरे कभी लगते रकीब से. 
कुछ दूर चलने वाले हर मोड़ पर मिलेंगे, 
हमराह ज़िन्दगी में मिलते हैं नसीब से. 


जीवन कितना अनमोल है 
पूछो रेत पर तड़पती मछलियों से 


रिश्ता होता है कितना नाजुक  दोस्ती का, 
पूछो बिगड़ती हुई अंतरंग सहेलियों से, 
कुछ लोग तो ज़माने में समझ नहीं पाते. 
गुजर जाती है ताउम्र उनकी पहेलियों से. 
अच्छे -बुरे की पहचान हम तुम्हें बताए  कैसे, 
पूछ लो ये हमारे धड़कते दिल से. 


जिसे तुम अपना समझो, 
उसकी बातों को मान लिया करना. 
"उड़ता "ये दुनिया बहुत ज़ालिम है, 
हर किसी पर ना भरोसा करना. 



द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
संपर्क - 9466865227
झज्जर ( हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com


स्नेहलता नीर रुड़की

गीत


छूकर मेरा तन-मन *मोहन* ,मुझे मलय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक *दयानिधि* ,भाग्य उदय कर दो ।
1
अनजानी सी डोर *अनन्ता* ,बाँधे है तुमसे।
यही तुम्हारा ठौर- ठिकाना कहती है मुझसे।
निश्छल मन की प्रीति *साँवरे* , तुम अक्षय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक *दयानिधि* ,भाग्य उदय कर दो।
2
स्वर मुरली के मधुर *चतुर्भुज* ,अति मन को भाते.।
बजने लगती है पायलिया,पाँव थिरक जाते।
मेरी बातों में मीठे स्वर, *कृष्ण* विलय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक दयानिधि,भाग्य उदय कर दो।
3
आ जाओ *देवेश* , *मनोहर* ,तुम्हें बुलाती हूँ।
करती हूँ मनुहार तुम्हारे,स्वप्न सजाती हूँ।
प्रणय निवेदन के भावों को,देवालय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक *दयानिधि* ,भाग्य उदय कर दो।
4
अंतहीन मन के उपवन में, पतझर  छाया है।
दुख की बदली ने आँखों
 से,जल बरसाया है।
मन की बगिया को *माधव* मधु,मास निलय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक दयानिधि,भाग्य उदय कर दो
5
राग-द्वेष,छल-छंदों की प्रभु ,फसलें हरी-भरी।
सद्भावों की कोमल कलियाँ,रहतीं डरी-डरी।।
गंगा की पावन धारा-सा,विमल हृदय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक *दयानिधि* ,भाग्य उदय कर दो।
स्नेहलता नीर


मंजूषा श्रीवास्तव'मृदुल'

💐💐💐💐💐💐💐💐
महाशिवरात्रि के महापर्व पर सभी शिव भक्तों को बहुत बहुत बधाई।
💐💐💐💐💐💐💐💐


सच्चे मन से जो करे शिव का जलाभिषेक |
कटते सभी कलेश हैं मिलती कृपा अनेक |


शिवा और शिव का मिलन कुछ न रहा अशेष |
जल बरसाकर इंद्र ने आज किया  अभिषेक|
©मंजूषा श्रीवास्तव'मृदुल'


गौरव शुक्ल  सुपौत्र राष्ट्रकवि पण्डित वंशीधर शुक्ल मन्योरा

कालकूट को पीकर जिसने रक्षा की त्रिभुवन की,
लाज बचाई देवों की व इंद्र के सिंहासन की।
पल में कामदेव पर होकर कुपित भस्म कर डाला,
औघड़ वेश रचा, डेरा कैलाश शिखर पर डाला।


जिनके जटाजूट में माँ गंगा क्रीड़ा करती है,
सर्प गले में लटकाये छवि जिनकी मन हरती है।
मस्तक पर तीसरा नेत्र है शोभा पाता जिनके,
और दाहिने कर में है त्रिशूल लहराता जिनके।


वृषभ सवारी है जिनकी चंद्रमा सोहता सिर पर,
करते हैं विस्मय-विमुग्ध जो तांडव नृत्य रचाकर।
भाँग, धतूरा, बिल्वपत्र पाकर प्रसन्न हो जाते,
जो पदार्थ सबको अप्रिय हों वही इन्हें मन भाते।


भूत प्रेत बैताल चाकरी करते रहते जिनकी,
जिनमें क्षमता है जगती के हर दुख दोष हरण की।
जिनके डमरू से माहेश्वर सूत्र निकल कर आए,
कर लिपिबद्ध जिन्हें पाणिनि व्याकरण जनक कहलाए।


जो अखंड सौभाग्य दायिनी जग में कहलाती हैं,
वाम भाग में इनके वही उमा शोभा पाती हैं।
आशुतोष वह अवढर दानी हों प्रसन्न हम सब पर,
हरें विघ्न बाधाएँ सारी वह कृपालु जगदीश्वर। ''


 महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐


गौरव शुक्ल
 मन्योरा


डॉ राजीव पाण्डेय*

*🕉महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं🕉* 


           और हित जागरण सीख लें।
           दर्द का व्याकरण सीख लें।
           कंठ में शम्भु सा रख गरल,
           पीयुषी आचरण  सीख  लें।



बीच भँवर जब भी फँसा,
               अगर कहीं जलयान।
कंठ गरल धारण किया,
               लगा शम्भु ने ध्यान।


दैत्य दानवी चाल का, 
               जिसे पूर्व में ज्ञान।
हमें सुधा वितरित किया,
             करके खुद विषपान।


                             🕉डॉ राजीव पाण्डेय🕉



 *डॉ राजीव पाण्डेय*


नूतन लाल साहू

माघी पुन्नी
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन, ल पाबो
माघ पुन्नी,सुग्घर परब तिहार
संगम मा, डुबकी लगा बो
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
धथुरा, फुड़हर के संग म
नरियर, बेलपतरी चढ़ाबो
अपन जिंनगी ल सुफल बनाबो
चल संगी,मेला देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन,ल पाबो
ज्ञानम, शिलं,शिवम् सुंदरम
भक्तन के,हितकारी है
वेद शास्त्र, पुराण से ऊपर
जिनकी महिमा न्यारी है
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन,ल पाबो
माथे में चंदा, जटा में गंगा
हर हर बोले,हर कोई बंदा
ये भोला के चोला ह
मोह डारे गा, अडबड़ मोला
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन,ल पाबो
हमू ल तय ह, तार लेबे
जइसन सब ल तारे
तोर शक्ति के आगे भोला
सब के शक्ति ह हारे
दुर दुर ले आयेन भोला
तोर मंदिर के द्वारे
दर्शन तय ह दिखा देबे
जय जय होय तुम्हारे
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन,ल पाबो
नूतन लाल साहू


जसवीर हलधर

महाशिवरात्रि पर - शिव स्तुति 
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अकाल काल सर्प माल धार के चले शिवा ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।


विशाल भाल दीर्घ रूप चंद्र मस्तके सजे ।
दिगम्बरा वघम्बरा कि देह राख में रजे ।
त्रिशूल शूल सारथी करे समाज आरती ,
ललाट गंग घूमती  व चूमती घटा घटा ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।


पिशाच नाच नाचते अघोर भूत प्रेत भी ।
निनाद नाद गूंजते मसान पूत स्वेत भी ।
मृदंग शंख बाजते सभी मलंग नाचते ,
भुजंग संग संग आग आब औ हवा हवा ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।


गंधर्व देव यक्ष नर सनंद भीम शैल पै ।
लगे समाधि खाल पै रहे सवार बैल पै ।
रमा वही नियोग में जमा वही वियोग में ,
त्रिनेत्र नेत्र काल का सदा रहे खुला खुला ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।


काल रहे भाल पर  माधुरिय राग रंग ।
तुचा सिंह आसन है गले शोभते भुजंग ।
वही वात पित्त में है वही प्राण चित्त में है ,
ओम व्योम कक्ष कील घूमती धरा धरा ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।


          हलधर -9897346173


जसवीर हलधर

ग़ज़ल ( हिंदी)
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पूरा हुआ अज़ाब चलो लौट घर चलें ।
कानून का दबाव चलो लौट घर चलें ।


साकी न है शराब चलो लौट घर चलें ।
सोचो नहीं जनाब चलो लौट घर चलें ।


है मयकदा भी दूर अभी काम क्या करें ,
पढ़ने चलें किताब चलो लौट घर चलें ।


बेकार भटकने से कोई लाभ ही नहीं ,
खाएं रखा पुलाब चलो लौट घर चलें ।


हटती नहीं जमात क्यों शाहीन बाग से ,
 मुंह पर चढ़े नक़ाब चलो लौट घर चलें ।


माने जिसे रकात वही माल पाक का ,
खुलने लगा हिजाब चलो लौट घर चलें ।


जो काम है खुदा का बशर हाथ में न लें,
कांटे नहीं गुलाब चलो लौट घर चलें ।


"हलधर" कसा रकाब ज़रा ध्यान से चढ़ो ,
मौसम हुआ खराब चलो लौट घर चलें ।।


हलधर- 9897346173


जयप्रकाश चौहान * अजनबी*

शीर्षक:-- *मेरा भोला भंडारी*


 मेरा  तो  भोला   हैं  भंडारी,
जिसकी महिमा सबसे न्यारी।
जिसको  ध्यावे  दुनिया सारी,
जो  करता नंदी की हैं सवारी।


कोई कहता है महादेव कोई बोले शम्भूनाथ,
सदा रहता है सेवक सिर पर तेरा हाथ।
एक तू ही तो .......है दिनों का नाथ,
*अजनबी * का भी ....तू देना साथ।


पीता है तू भांग का प्याला,
तेरा भेष हैं अजब निराला।
गले में राखे सर्पो की माला,
हैं जग में तू सबका रखवाला।


तेरी जटा में गंगा विराजे,
तेरा डम-डम डमरू बाजे।
साजे एक हाथ में त्रिशूल,
तू काटता कष्टों रूपी शूल।


मनाता है * अजनबी* तुझे महादेव,
आशीर्वाद  रखना  तू  इसपे सदैव।
ना है इसका .........कोई दूजा देव,
ये करता हर दिन ..हर- हर महादेव।


जयप्रकाश चौहान * अजनबी*
जिला:---अलवर, राजस्थान।


जयप्रकाश चौहान * अजनबी*

शीर्षक:--ऐ जिंदगानी...


ऐ सुनो ओ मेरी जिंदगानी,
भूल जाओ अब वो बातें पुरानी।
करेंगे मोहब्बत हम बेपनाह,
लिखेंगे अपनी एक नई कहानी।


ना सोचो क्या हुआ था कल,
अब तू मेरे साथ साथ चल।
मिलकर चलेंगे हम दोनों,
तब उत्पन्न होगा आत्मबल।


तूने क्यो नही बताये अपने राज,
क्यो रखी तूने अनसुनी आवाज ।
कंटको सी चिड़िया चहकती रहती हैं,
हम बनेंगे कांटो में गुलाब जैसे बाज।


मैंने तो तुझे बहुत प्यार किया,
ना तूने मुझे अपना दीदार दिया।
ख्वाबों में ही मिलता हूँ मै रोज,
क्यों तूने मुझे ऐसा सिला दिया।


आ अब जल्दी तू लौटकर आजा,
अब मैं ना जागता हूँ ना सोता हूँ।
ऐ दीवानी तू मेरी भी अब कुछ सोच,
मैं तेरी यादों में दिन और रात रोता हूँ।


जयप्रकाश चौहान * अजनबी*


भरत नायक'बाबूजी' लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

*" हे शिव! "* (वर्गीकृत दोहे)
...............................................
*भोले के दरबार में, अजब-अनोखे रंग।
भूत-प्रेत कौतुक करें, भाँति-भाँति के ढंग।।१।।
(१६गुरु,१६लघु वर्ण,करभ दोहा)


*भोले भभूत-भूतिया, गले ब्याल की माल।
द्वादश-ज्योतिर्लिंग हैं, कालों के भी काल।।२।।
(१९गुरु,१०लघु वर्ण, श्येन दोहा)


*शिव-शंकर के शीश से, बहती सुरसरि-धार।
 शोभित अर्धमयंक है, नंदी करें सवार।।३।।
(१४गुरु,२०लघु वर्ण, हंस/मराल दोहा)


*शिव ही सत्य स्वरूप हैं, शिव ही अटल-अशेष।
देवों के ये देव हैं, भोलेनाथ-महेश।।४।।
(१६गुरु,१६लघु वर्ण, करभ दोहा)


*अविनाशी-ओंकार हैं, शंभू आरत-त्राण।
भोले-भंडारी सदा, करते हैं कल्याण।।५।।
(१९गुरु,१०लघु वर्ण, श्येन दोहा)


*लीला भोलेनाथ की, न्यारी ललित-ललाम।
महिमा-अपरंपार है, भूतनाथ-निष्काम।।६।।
(१७गुरु,१४लघु वर्ण, मर्कट दोहा)


*हलक-हलाहल पान कर, किया लोक-उद्धार।
होती जिन पर शिव-कृपा, उनका बेड़ा पार।।७।।
(१३गुरु,२२लघु वर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)


*अंतर्मन से जो करे, निर्विकार शिव-ध्यान।
शिव अनुकम्पा हो जहाँ, वहाँ शिवालय-भान।।८।।
(१५गुरु,१८लघु वर्ण, नर दोहा)


*शांत-ताल के हंस की, महिमा-अपरंपार।
हे शिव! प्रणाम आपको, करिए नैया पार।।९।।
(१६गुरु,१६लघु वर्ण, करभ दोहा)


*स्वामी तीनों लोक के, हर-योगेश-उमेश।
बम भोले कामारि हैं, विश्वनाथ-परमेश।।१०।।
(१७गुरु,१४लघु वर्ण, मर्कट दोहा)


*कनक, बेल-पाती, सुमन, लिये भाव का हार।
चरण-शरण हम आपके, करिए जग-उद्धार।।११।।
(१२गुरु,२४लघु वर्ण, पयोधर दोहा)
...............................................
भरत नायक'बाबूजी'
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
..............................................


चंचल पाण्डेय चरित्र


           *तोटक छंद*
*महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!!*


सुखदायक योगि महेश्वर   की|
जय आदि अनंत शिवेश्वर की||
अमरेश महेश  सुरेशम   की|
गणनाथ अघोर नगेशम  की||
हवि सोम महा  प्रयलंकर   की|
शितिकण्ठ शिवाप्रिय शंकर की||
शशिशेखर चन्द्र  दिवाकर  की|
प्रमथाधिप उग्र  जटाधर  की||
त्रिगुणाक्ष सदाशिव  देव  भजो|
जय शर्व कठोर  त्रिदेव  भजो||
त्रिपुरांतक  रूद्र  गिरिप्रिय  की|
जय शाश्वत नाथ उमाप्रिय की||
भव तारक शर्व अनीश्वर की|
जय बोल सदा परमेश्वर की||
हरि पाशविमोचन ध्यान धरो|
नित सर्व सदा शिव गान करो||
           चंचल पाण्डेय चरित्र


अवनीश त्रिवेदी "अभय"

समस्त देशवासियों को महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं


शिव स्तुति


कर जोरि करी विनती तुमरी,
हे!  त्रिपुरारी  पुरारि  सुनो।
सब संकट दूरी करउ हमरो,
बस इतनी अरज हमारि सुनो।
कैलाश निवासी शिव भोले,
शीश    पे   चंद   बिराजे।
गंग  बिराजै  त्रिशूल  सोहै,
कर डम डम डमरू साजे।
बाघम्बर पट को धारण हैं,
शरीर  भसम  लगावति हैं।
नन्दी भोले  को  वाहन हैं,
परवत अलख  जगावति हैं।
तन मन सब पावन रहइ सदा,
जब लौ नील  अकाश रहइ।
एक दूसरे को सुख दुःख बाटइ,
उर मा प्रेम पियास  रहइ।
हे! महादेव अब कृपा करउ,
जप तप व्रत नहि जानति हैं।
विश्वास अटल तुम पर हमरो,
सब कुछ तुमको मानति हैं।
यहु देश महान रहइ हमरो,
शंभु कृपा करते रहियउ।
अरदास हमरी मानि लेउ,
कर सिर सदा धरते रहियउ।


अवनीश त्रिवेदी "अभय"


आशुकवि नीरज अवस्थी शिवरात्रि 2020

शिव स्तुति


करते है मंगल दूर करते अमंगल,


मृत्यु हरते अकाल त्रिपुरारी भोलेनाथ जी।
कर में त्रिशूल मृगचर्म परिधान धारी,
दीनन के नाथ हम अनाथ भोले नाथ जी।।
सृष्टि को बचाने हित पी गये हलाहल विष,
दानी महादानी हैं हमारे भोलेनाथ जी।
भाल में मयंक जिनकी जटाओं में गंग धार,
सर्पमाल भस्म को रमाये भोले नाथ जी।।
रात्रि महारात्रि शिवरात्रि शिव को प्यारी अति,
बार बार आपको मनाऊँ भोले नाथजी।
जीव जन्तु नीरज से जन जुड़े जो धरती के,
उनके दुःखो को दूर करो भोलेनाथ जी।।
आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक मङ्गलमय शुभकामनायें।
भगवान आशुतोष आप की सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करे।। (1)


समस्त जीवों के दुःख हर्ता ,हमारे भोले नमामि शम्भू।
समस्त सृष्टी के बिघ्न हर्ता ,हमारे भोले नमामि शम्भू।
हर एक से होवे जब निराशा ,त्रिनेत्र शम्भू से एक आशा।
दुर्भाग्य नाशक सौभाग्य दाता,हमारे भोले नमामि शम्भू।
बहुत सरलता से मान जाते,जन--हित में विष भी पी जाते।
त्रिशूल धारी बृषभ सवारी,हमारे भोले नमामि शम्भू।
है चंद्रमा भाल पे बिराजे,और जटाओं में गंग साजै।
अकाल मृत्यु को हरने वाले,हमारे भोले नमामि शम्भू।(2)
आशुकवि नीरज अवस्थी मो.-9919256950


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल  संपर्क -9466865227 झज्जर ( हरियाणा )

स्वार्थ ही स्वार्थ..... 


देखो इस संसार में, 
स्वार्थ का सब खेल. 
स्वार्थ बिना करता नहीं, 
कोई जग में मेल. 


कोई जग मे मेल, 
है सबका यही आधार. 
हड़प पराए माल को, 
फिर देवें धक्का मार. 


स्वार्थ ही सिद्धि, 
स्वार्थ से बन बैठा व्यापार. 
स्वार्थ खा गया सम्बन्धों को, 
स्वार्थ रिश्तों की मार. 


एैसा  कोई दिखता नहीं, 
बिन करे स्वार्थ से बात. 
मानव बावला हो चला, 
देख दोगलों की करामात. 


स्वार्थ ने बुद्धि हरी, 
सुनो मन "उड़ता " मिताव , 
बिना स्वार्थ देता नही, 
कोई भी दो पल छाँव. 



द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
संपर्क -9466865227
झज्जर ( हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com


मासूम मोडासवी

हमपे  रहा न तेरा करम क्या करें जनाब
बरपा हुवा हमीपे सितम क्या करें जनाब


इन्सानियत से जीनेका अपना रहा उसूल
टूटा मगर ये सारा भरम क्या करेः जनाब


हमने  ईबादतों  में  की जन्नत की आरजु
ख्वाबो मे पला बागे इरम क्या करें जनाब


मिलजुल के जीने वाले  इरादों पे  चोटकी
कैसा  निभाया हमने  धरम क्या करें भला


चाहीथी  दिलने  सारी  जमानें  की  राहतें
मासूम बढे हैं इतने अलम क्या करें जनाब


                            मासूम मोडासवी


मासूम मोडासवी

हमको मिला है हक्क का हकिकत का वास्ता
अपना  जुडा है  सबसे  महोबत  का वास्ता


हम  हैं  नसीब  वाले  हुवे  पयदा  हम  वहां
जीनका  रहा है सदियों शराफत का वास्ता


नाजुक से खयाल हैं नजाकत से मालामाल
दिलका  रहा  है  दिलसे  महोबत का वास्ता


जेली  जहां  में  हमने  दुश्वारीयां  बहोत
छोडा कभी न हमने सदाकत का वास्ता


जहेमत से अपनी निकले बेचारगी से हम
उलजा  रहा था  मासूम गुरबत का वास्ता


                          मासूम मोडासवी


नूतन लाल साहू

गुमशुदा की तलाश
सुनहरा पर्यावरण
कहीं गुम हो गया है
उनकी याद में
मेरी आंखो की नींद
हराम हो गया है
मेरा हंसना और मुस्कुराना
बहुत कुछ कम हो गया है
मेरा मन उदास है
गुमशुदा की तलाश है
झील खामोश है
घायल है समुन्दर
तालाब और नदी
मौत की हवाये,आने लगी है
अकाल, बाढ़,भूकंप
तूफान,हत्यारी गैस सब
हमारी पालकी को कंधों पर
लिये चल रही है
सुनहरा पर्यावरण
कहीं गुम हो गया है
गुमशुदा की तलाश है
जिसका नाम हिंदुस्तान है
पर्यावरण के दुश्मनों के कारण
बदनाम है
जिनका कोई ध्येय नहीं है
जिनका कोई उद्देश्य नहीं है
रामायण और गीता से
जिन्हे लगाव नहीं है
पर्यावरण के दुश्मनों ने
सुख और चैन को
चुल्लू भर पानी में डूबो दी
एक पूरी की पूरी सदी
सुनहरा पर्यावरण
कहीं गुम हो गया है
गुमशुदा की तलाश है
नूतन लाल साहू


कुमुद श्रीवास्तव वर्मा

प्रातः वंदन🙏🙏
🌹🌹🌹🌹
सूना पड़ा है ,गोकुल कान्हा 
दरस दिखानें आजा🌹


जमुनातट पर बाट जोहे
राधा 🌹
गिरिधर ,धुन बंसुरी की सुना जा
🌹


मोहन तेरी मुरली धुन सुन 
मोहित गोपी ग्वाल,🌹


नाग नथैईया,धेनु चरईया
अब तो आओ नंदलाल🌹


कुमुद श्रीवास्तव वर्मा🌹🌹


संजय जैन (मुम्बई)

*गुरु और शिष्य*
विधा : गीत


गुरु शिष्य का हो,
मिलन यहां पर,
फिर से दोवारा,
यही प्रार्थना है हमारा।
यही प्रार्थना है हमारा।।


गुरु चाहते है कि शिष्य को,
मिले वो सब कुछ।
जो में हासिल 
कर न सका
अपने जीवन में।
वो शिष्य हमारा 
हासिल करे,
अपने जीवन में।
मैं देता आशीष शिष्य को,
चले तुम सत्य के पथ पर,  
चले तुम सत्य के पथ पर।।
गुरु शिष्य का मिलन...।।


शिष्य भी पूजा करता,
अपने गुरु की हर दम।
मार्ग उन्होंने प्रसस्त किया
मोक्ष् जाने का शिष्य का।
इसी तरह अपनी कृपा
मुझ पर बनाये रखना ।
ऐसी है प्रार्थना गुरुवर ,
में सेवक हूँ गुरुवर का ।
में सेवक हूँ गुरुवर का ।।
गुरु शिष्य का ......।।


नगर नगर में श्रावक जन,
पूजा गुरु शिष्य की करते।
उनके बताये हुए मार्ग पर,
सदा ही हम सब चलते।
मिल जायेगा हमे भी
शायद पापो से छुटकारा।
यही बतलाता मानवधर्म हमारा।
यही बतलाता मानवधर्म हमारा।।
गुरु शिष्य का मिलन यहां
पर फिर से हो दोवारा।
यही प्रार्थना है हमारा।
यही प्रार्थना है हमारा।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
20/02/2020


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
         *"साथी"*
"अपने लिए जीती ये दुनियाँ,
अपनों के लिए जिए - तो जाने।
बेगानों की इस दुनियाँ में फिर,
अपनों को पहचाने तो माने।।
साथी साथी कहती है-दुनियाँ,
साथी जो मिल पाए तो जाने।
सुख में सभी साथी साथी,
दु:ख में साथ निभाए तो माने।।
जीवन संगनी जो साथी जग में,
पग पग संग निभाए तो जाने। 
सुख में हर पल हँसाएं साथी,
दु:ख में भी साथ निभाएं तो माने।।
   सुनील कुमार गुप्ता


सत्य प्रकाश पाण्डेय

मनमोहन हे मेरे मितवा
चुरा लियो मनवा मेरों
बनी माधुरी माधव तेरी
अब मन रहों न मेरों


तुम शक्ति प्रकृति मैं तेरी
राधे तुमसे ही परिपूर्ण
जगत नियन्ता गिरिधारी
तुम बिन राधे नहीं पूर्ण


गो लोक या धरा लोक
मैं बिन पानी की मीन
जगजननी तव शक्ति से
है तुम बिन राधा दीन


हे मुरलीधर तेरी मुरली नें
मोह लीनों चित्त हमारों
मुरली तौ देओं हमें कृष्णा
और हमें आप संभारों।


युगलरूपाय नमो नमः🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏


राजेंद्र रायपुरी

😌 सबको एक दिन जाना है😌


अटल सत्य ये जो आया है,
     उसको एक दिन जाना है।
ये दुनिया तो इक सराय है।
        पक्का वही ठिकाना है।
अटल सत्य ये जो आया है, 
     उसको एक दिन जाना है।


चाहे लाख जतन तू कर ले,
           पंछी न रूक पाएगा।
सौ पिंजरे में बंद तू कर ले,
        उसको तो उड़ जाना है।
अटल सत्य ये जो आया है, 
     उसको एक दिन जाना है।


रिश्ते - नाते  सारे  झूठे, 
           पल में ही ये सारे टूटें।
नाता जोड़ यहाँ पर आया,
         नाता तोड़ के जाना है।
अटल सत्य ये जो आया है, 
     उसको एक दिन जाना है।


छोड़ दे उल्टे  सीधे  धंधे, 
       अच्छे कर्म तू कर ऐ बंदे।
यश-अपयश ही साथ में तेरे,
         अंत समय में जाना है।
अटल सत्य ये जो आया है, 
     उसको एक दिन जाना है।


काहे  जोड़े  पाई -पाई, 
     साथ न कुछ जाएगा भाई।
खाली हाथ यहाँ आया था,
        खाली हाथ ही जाना है।
अटल सत्य ये जो आया है, 
     उसको एक दिन जाना है।


चाहे हो वो ज्ञानी -ध्यानी,
        या अनपढ़  वो अज्ञानी।
सबकी राह एक ही प्यारे,
          उसी राह पर जाना है।
अटल सत्य ये जो आया है, 
     उसको एक दिन जाना है।


           (राजेंद्र रायपुरी)


एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली

*दिल में उतर जाईये।*
*मुक्तक।*


वाणी हो तेरी   ऐसी कि हर
दिल में  जगह बनाइये।


बनें आप     लोकप्रिय  और 
प्यार भी सबका  पाइये।।


करो मुमकिन हर  कोई  चाहे
आपसे   बात करने को।


किसी के दिल  से  उतरें नहीं
हर दिल में उतर जाईये।।


*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली*
मो।             9897071046
                  8218685464


एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली

*उत्साह,,,, पुरुषार्थ,,,,, विश्वास*
*हाइकु*


हीन भावना
बड़ी अवरोधक
कर सामना


कर्म शीलता
जीत का ये मंत्र है
ओ सफलता


आत्म विश्वास
प्रयास का साथ हो
बनोगे  खास


न हो अक्षम
निराशा को हटाओ
बनो  सक्षम


बन सबल
आंतरिक शक्ति है
देती संबल


मुफ्त चंदन
आलस्य का खजाना
घिस नंदन


ये पुरुषार्थ
छूना है आसमान
इसी से अर्थ


खोया उत्साह
फिर कुछ पाते न
केवल आह


आशा की ओर
हर    सुबह     भोर
आशा की डोर


सपने बुन
तभी पूर्ण होंगें वो
विश्वास चुन


उड़ान भर
मिलेगी ये मंज़िल
प्रयास कर


आत्म समीक्षा
परखो  सब    गुण
जीतो परीक्षा


*रचयिता।एस के कपूर*
*श्री हंस।बरेली*
मो    9897071046
       8218685464


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