Women's day special,,
हाँ मै औरत हूँ ।
उस-सा अहंकार नही मुझमें,
आत्मसम्मान मन में बसाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।
व्यवसायिक बुद्धि नहीं मुझमें ,
पर दिल मैंने भरपूर पाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।
दौलत नही कमाई बहुत मैंने ,
पर इज्जत मेरा सरमाया है ।
हाँ मै औरत हूँ ।
हर गल्ती को मुस्कुराके सहा ,
किसी को कभी ना जतलाया है ,
हाँ मै औरत हूँ ।
भूख प्यास की परवाह ना की मैने ,
बडे प्यार से सबको खिलाया है ।
हाँ मै औरत हूँ
मेरा परिवार पराया रहा जिसके लिए ,
उसके परिवार को अपनाया है ।
हाँ मै औरत हूँ ।
मुझे चहार दीवारी दे दी जिसने ,
उसको मैंने ही घर बनाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।
हर सुख दुख में साथ दिया मैंने ,
पर कुछ ना कभी जताया है ,
हाँ मै औरत हूँ ।
मेरे गम को ना पहचाना फिरभी ,
मैने भी हँस के उसे छिपाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।
प्यार भरे लफ्ज़ को तरसा है मन ,
हर पल प्यार ही बरसाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।
भले ही मेरी कद्र करो ना करो ,
मेरा खुद पे खुद का सरमाया है ।
हाँ मै औरत हूँ ।
संवेदनशील हूँ, पर धैर्य बहुत है ,
हर कदम पर उत्साह बढाया है ।
हाँ मै औरत हूँ ।
अब पिंजड़े का बन्द पक्षी नही ,
उडने को पंख फडफडाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।
सपनों की उँची उड़ान भरती हूँ ,
कदम ना कभी डगमगाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।
"इन्दु" खिलता है आसमां पे अब ,
दो जहाँ देखो जगमगाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।
डा इन्दु झुनझुनवाला जैन