"प्रीति की बरसात "
प्रीति की बरसात हो
दिन हो या रात हो।
जिन्दगी भर मुलाकात हो
ताउम्र बात हो।
जिन्दगी सँवर जायेगी
उर-कमलिनी खिल जायेगी।
मन में स्नेह की लालिमा होगी
सुहानी हरीतिमा होगी।
दिल में ममत्व का उत्सव होगा
रंगीन हाईवे पर महोत्सव होगा।
मन झूमेगा
सम्मान और श्रद्धा को चूमेगा।
मासूमियत मिटेगी
घृणा पिटेगी।
प्रेमामृता का वरदान होगा
शुचिता का यशगान होगा।
प्रीति का आशीर्वाद होगा
अघ वर्वाद होगा।
प्रितिरस में बह जाओ
अपनेआप में खो जाओ।
गोकर्ण बनो
अपर्ण बनो।
शुभ संवाद करो
प्रपंच से डरो।
संयमित वातावरण हो
प्रीति का संवरण हो
आवरण हो
शुद्ध उच्चारण हो
सदाचरण हो।
रचनाकार:
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।