डाॅ बिपिन पाण्डेय           रुड़की

होली की हार्दिक शुभकामनाएं-
कुंडलिया छंद-*(कृति "शब्दों का अनुनाद" से)
होली पर जो प्यार के,डाले हमने रंग।
फीके सारे  हो गए, लोग करें  हुडदंग।।
लोग करें हुडदंग,तोड़कर  हर मर्यादा।
रहा नहीं कुछ याद,किया जो खुद से वादा।
घूमें लिए गुलाल,साथ में रंग की झोली।
पीकर घूमें भांग,कहें सब आई होली।।1


होली में भी हैं नहीं,सखी पिया जी साथ।
मुझे अकेली देखकर, देवर पकड़े हाथ।
देवर  पकड़े हाथ, गाल पर  रंग लगाए।
आती मुझको लाज,नहीं पर वह शर्माए।
आगे  पीछे  घूम, करे है  रोज़  ठिठोली।
मुझे लगा  लो अंग,कहे वह  आई होली।।2


होली के त्योहार की,बड़ी निराली बात।
रंग- बिरंगे  हो गए,सबके  ही जज़्बात।।
सबके ही जज़्बात,हिरन से भरें कुलाँचें।
बूढ़े  हुए  जवान ,प्रेम  की  चिट्ठी  बाँचें।
डालें सब पर रंग,भिगाएँ अँगिया चोली।
उम्र जाति सब भूल,मनाएँ मिलकर होली।।3
         डाॅ बिपिन पाण्डेय
          रुड़की


लखीमपुर की अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था काव्य रँगोली द्वारा खण्डवा मध्य प्रदेश में महिला दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताएं एवम  काव्य रंगोली नारी रत्न सम्मान 2020"एवं पुस्तक विमोचन समारोह सम्पन्न

8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर गौरी कुंज में आयोजित किया गया कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय संस्था काव्य रंगोली के संस्थापक एवं आयोजक आशुकवि नीरज अवस्थी व काव्यरंगोली सखी संसार खंडवा इकाई द्वारा 51 महिलाओं को" नारी रत्न सम्मान"से विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही महिलाओं को सम्मानित किया गया l सम्मानित महिलाओं में सीता जोशी नागपुर, श्रीमती कमला रावत, संतोष बंसल ,अनीता पिल्ले, भारती पाराशर ,अनीता सिंह चौहान ,किरण शर्मा, प्रमिला शर्मा ,उषा तिवारी ,हर्षा जिंदल ,लीना भारद्वाज, कल्पना गढ़वाल ,रजनी शर्मा, जय श्री तिवारी ,राजमाला आर्य ,मधुबाला शेलार, शहनाज अंसारी बुरहानपुर, संगीता सोनवणे ,प्रतिमा अरोरा ,मनीषा पाटिल ,पिंकी राठौर ,अनीता पाराशर ,स्वप्निल जैन ,प्रियंका मालवीया ,वैशाली आनंद इंदौर ,अर्चना कटारे शहडोल ,कविता शरद ,दीपमाला पांडे
,श्रीमती कमला रावत
,श्रीमती अनीता पिल्ले
 डॉ दुर्गेश नन्दिनी हैदराबाद
 डॉ0 माधवी गणवीर राजनांदगांव छग
 डॉ मीना कुमारी सोलंकी झज्जर हरियाणा
 डॉ इन्दु झुनझुनवाला बंगलौर
 रश्मिलता मिश्र बिलासपुर
डॉ सरिता देवी शुक्ल लखनऊ
 शोभा दीक्षित भावना लखनऊ
 अलका अष्ठाना लखनऊ, निशा सिंह नवल लखनऊ
डॉ सरोज गुप्ता जी विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग शाशकीय महाविद्यालय सागर मप्र
स्नेहलता नीर रुड़की
आदित्या कुमारी बेसिक टीचर लखीमपुर
 अरुणा अग्रवाल लोरमी छग
जगदीश्वरी चौबे रेडियो उदघोषिका वाराणसी को दिया गया



सहभागिता सम्मान विभिन्न संस्थाओं की प्रमुख को एवम कार्यक्रम में उपस्थित होने वाली समस्त लगभग 300 महिलाओं को प्रदान किया गया जिससे यह कार्यक्रम उनकी स्मृति में बना रहे।। काव्य रंगोली भारत"संघर्षरत एवं प्रयत्नशील महिलाएं"नाम की पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देवेंद्र वर्मा जी द्वारा किया गया इस अवसर पर विशेष अतिथि श्रीमती शकुंतला राठौर, डॉक्टर गीताली सेनगुप्ता, ममता बोरसे, अनीता पिल्ले, अध्यक्ष श्रीमती संतोष बंसल थे सभागृह में उपस्थित सभी महिलाओं का सम्मान फूल, शॉल व श्रीफल से विधायक जी देवेंद्र वर्मा, मधु चौरसिया, प्रमिला एतालकर, पिंकी राठौड़, संतोष बंसल द्वारा किया गया विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम मैं डांस प्रतियोगिता में प्रथम आरती चौहान तेजस्विनी समूह, द्वितीय संध्या मंडलोई, तृतीय आस्था फिटनेस समूह कविता गांधी, आज का सितारा शालिनी अग्रवाल, फूलों के गहने कृष्णा अग्रवाल, पोयम हिमानी प्रजापति, गणेश वंदना आराध्या पांडे, रंगोली प्रतियोगिता प्रथम मयूरी खंडेलवाल द्वितीय पूजा गौर तृतीय श्यामा अग्रवाल रहे इन सभी को फॉर्म टू फैशन वंडर शेफ शीतल अग्रवाल, गुरु कृपा मोटर्स खंडवा की आवाज अंशुलसैनी हेलमेट जागरूकता अभियान के लिए हेलमेट दिए, कॉटन साड़ी कलेक्शन अनामिका अत्रे, वंदना पिंनेद्र गुप्ता , संगीता सोनवणे, बॉडी मेकर जिम तनु खनूजा, हैप्पी किड्स एजुकेशन पार्क स्कूल किशोर नगर की संचालिका अनामिका उमेश अग्रवाल, इन सभी के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रतिभागियों को अत्यंत ही आकर्षक उपहार दिए गए । इस अवसर पर आदर्श एकता समिति की पिंकी राठौड़ एवं आनिता पाराशर द्वारा हेलमेट के प्रति जागरूक एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का बहिष्कार का संदेश दिया गया । पूनम भारती, शारदा शर्मा, रश्मि दुबे, कीर्ति श्रीमाली, मनप्रीत बत्रा, मीना अग्रवाल ज्योति राठौर रेखा मंगलम माया सिंह अमिता गौर नमिता काले डिंपल भद्रावल ,मनीषा पाथरी कर सुचिता करोड़ी ,वर्षा जैन, निशा कुमार, नीतू जैन, विना शाह, शिल्पी राय स्नेहा पटेल कविता कुशवाह रंजना जोशी इन सभी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अपनी गरिमा मय उपस्थिति प्रदान की। कार्यक्रम की संयोजक जय श्री तिवारी द्वारा आभार व्यक्त किया गया ।


संजय जैन,बीना (मुम्बई)

*होली का रंग*
विधा: कविता


तुम्हें कैसे रंग लगाए,
और कैसे होली मनाए?
दिल कहता है होली,
एकदूजे के दिलों में खेलो।
क्योंकि बहार का रंग तो,
पानी से धूल जाता है।
पर दिल का रंग दिल पर,
सदा के लिए चढ़ा जाता है।।


प्रेम मोहब्बत से भरा,
ये रंगों त्यौहार है।
जिसमें राधा कृष्ण का,
स्नेहप्यार बेसुमार है।
जिन्होंने स्नेह प्यार की, 
अनोखी मिसाल दी है।
और रंगों को लगाकर,
दिलोंकी कड़वाहटे मिटाते है।।


होली आपसी भाईचारे
और प्रेमभाव को दर्शाती है।
और सात रंगों की फुहार से,
7-फेरो का रिश्ता निभाती है।
साथ ही ऊँच नीच का,
भेदभाव मिटाती है।
और लोगों के हृदय में 
भाईचारे का रंग चढ़ती है।।


*होली की शुभकामनाएं और बधाई।*


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन,बीना (मुम्बई)
10/03/2019


एस पी मिश्र पूर्व निदेशक ATI कानपुर

ऋतु बसंत की उंगली थामे, होली का उत्सव आया है।
लेकर रंग गुलाल भेंट में, संदेश प्यार का लाया है।
परिवार काव्य रंगोली में सुख समृद्धि सदा ही बनी रहे।
कविता के सुरभित फूलों से, कवियों की बगिया खिली रहे।


निशा"अतुल्य"

होली की शुभकामनाएं ढ़ेर सारी 
🔴🔵🟠🟡🟣🟢🟤
जीवन खुशियों के रंगों से सरोबार रहे 
सुख, शांति ,समृद्धि ऐश्वर्यता, विवेक सदा आपके साथ रहे ।
😂😂😂😂😂😂😂
हँसते रहो हँसाते रहिये 
मन मेंं खुशियों का डेरा
जीवन सुंदर से सुंदर हो,                      उन्नति पथ पर हो फेरा


निशा उषा का भेद न हो,


दोनों ही पूरक जीवन के,


सदा रहो मुस्काते,


मिलते जुलते क्या मेरा तेरा।


निशा"अतुल्य"


राजेंद्र रायपुरी

🤣 भंग -तरंग में लिखे कुछ दोहे 🤣


लाल गाल हम देखकर,
                          कर बैठे थे प्यार।
होली का वो रंग था,
                         पता नहीं था यार।


भंग पिया को चढ़ गई,
                         देखो उनका हाल।
बीबी समझ गुलाल वो, 
                        मलें पड़ोसन गाल।


चाॅ॑द अमावस का लगे,
                          गोरी तू तो आज।
आ मूरख का मैं रखूॅ॑,
                         तेरे सिर पर ताज।



साली जी चाहें उन्हें, 
                         जीजा  डालें  रंग।
जीजी  के तेवर मगर,
                            देख हुई वो दंग।


बीबी बोली आ पिया,
                       मल दे गाल गुलाल। 
पिया कहें गुलाल मले, 
                     होय न कोयल लाल।


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
      *"मेरा अधिकार"*
"मेरा अधिकार -मेरा अधिकार,
कहते रहे साथी-
जीवन भर।
कभी अपना कर्तव्य भी,
निभाते साथी-
होते नहीं उदास।
संग चलते जीवन पथ पर,
साथी साथी में-
बना रहता विश्वास।
अपने -अपने होते  साथी,
अपनत्व की साथी-
बनी रहती आस।
अधिकार अपना कभी साथी,
छोड़े न जीवन में-
कर्तव्य से मुँह मोड़े न करें विश्वास।
आस्था विश्वास और सद् कर्मो से ही,
चलता जीवन-
साथी रखना विश्वास।।"
ः      सुनील कुमार गुप्ता


। डॉ. सुचिता अग्रवाल 'सुचिसंदीप' तिनसुकिया, आसाम

होली की शुभकामनाओं के साथ - *आज का सुविचार*


मंगल हो काज सारे, खुशियों के रंग डारे
प्रीत का संदेशा देने,आयी होली आयी है।
अपनों से प्रेम बढ़े,मुख मुस्कान चढ़े
राग,द्वेष,क्रोध,लोभ,अगन लगायी है।
हर घर बृज धाम,कृष्ण कहीं बलराम
श्याम संग खेलने को,राधा रंग लायी है।
फगुआ की छटा न्यारी,लगे धरा बड़ी प्यारी
प्रीत का त्योंहार होली,सबको ही भायी है ।


डॉ. सुचिता अग्रवाल 'सुचिसंदीप'
तिनसुकिया, आसाम


जयकृष्ण चांडक 'जय'                   हरदा म प्र

 


चलो ग़म को भुलाते हैं, चलो खुशियां लुटातें  हैं,


भूलाकर  दर्द  सारे  अब, ज़रा  सा  मुस्कुराते हैं,


लगाऐं  प्रीत  का  वो  रंग, छुड़ाए  से न जो छूटे,


आज  ले  संग  यारों  को, चलो  होली मनाते हैं।


आप सभी को रंगों के इस पावन पर्व की रंगों भरी शुभकामनाएं,,,, खूब खुश रहें,,, खूब मस्त रहें,,,


           जयकृष्ण चांडक 'जय'
                  हरदा म प्र


🔴 🟢 🟡 🔵 🟣  🟠  🟤


एस के कपूर श्री हंस* *बरेली*

*पर्वों का पर्व ,,,  होली त्योहार*
*मुक्तक*


मिल मिल   कर   गले    खूब
रंग   लगाते   हैं लोग।


हर  कदम  कदम   पर   खूब
होली जलाते हैं लोग।।


तभी मानेंगे  जब  नफरत की
दीवारें जलेंगी दहन में।


तभी लगेगा कि सच में सच्ची 
होली  मनाते  हैं  लोग।।


*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली*
मो     9897071046
         8218685464


एस के कपूर श्री हंस बरेली

*अब तक जवान होली है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।*



प्रेम का निशान हमारी, पावन होली है।
भाई. चारे की बोलती जवान होली है।।
रंगों  की शीतल    फुहार है   यह होली।
हर दिल में  घुलता , गुलाल  होली  है।।



प्यार  का     बढ़ता     कारवां  होली है।
गिरा दे जो नफरत की दीवार होली है।।
होली तो है दिलों से  दिलों का मिलाप।
कैसे मिटें दूरियाँ जवाब इसका होली है।।



गुज़िया, भंग, तरंग नाम, इसका होली है।
रंगा रंग  रंगों का जमीं ,आसमाँ होली है।।
होली है हर फूल पत्ते ,पर खिलता निखार।
बीत गई सदियां अब, तक जवान होली है।।


*अनंत असीम शुभकामनायों सहित*


*रचयिता।।।।।एस के कपूर श्री हंस।।।।।।*
*पता।।।।  06   पुष्कर एन्क्लेव,*
*टेलीफोन टावर के सामने,*
*स्टेडियम रोड,बरेली 243005*
*मोब   9897071046 ।।।।।।*
*821868 5464  ।।।।।।।।।।।*


सत्यप्रकाश पाण्डेय

आओ हमारे पास सांवरे खेलेंगी होली
लोकलाज छोड़ आई गोपिन की टोली


अपने ही रंग में रंगों मुरलीधर घनश्याम
तेरे रंग में रंगकर कभी न सताए काम


प्रीति भरी गुलाल लगाओ माथे पै रोली
आओ हमारे पास सांवरे खेलेंगी होली


मलो अबीर गुलाल भीग जाए तन मन
तेरे रंग से रंगकर धन्य हो जाए जीवन


मिले सुखद अनुभूति हृदय बने रंगोली
आओ हमारे पास सांवरे खेलेंगी होली।



होली हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल           झज्जर (हरियाणा )

होली... रंग प्यार का 


पिया से बोली प्रियतम 
सुनो, आज होली है 
मुझपर भी रंग खुमार का 
प्रेम वशीभूत अबरार का 
ना करना मौका तकरार का 
मेरा लगाव सरोबार का. 


मुझपर अपना चढ़ा दो रंग 
नहीं होता इंतज़ार का. 
एक रंग प्यार का 
एक रंग दुलार का 
एक रंग प्रेमाधार का 
भावनामयी अज़ार^ का          प्रेम भावना 
एहसासरत गुणागार^ का        बंधन 
मेरे इस धड़कते दिल में 
फैले से सभागार का 


एक रंग चढ़ा दो मुझपर 
उस मुस्कुराते अनार का 
सौन्दर्यमयी मीनार का 
मेरे आँगन में चनार का 
खिलते यौवन कचनार का. 


प्रियतम ने अपनी बाहें खोली 
पेड़ हो ज्यों गुलनार का 
कहने लगा "तुम जीवन हो मेरा 
मेरे प्रेम भरे अम्बार का". 
मेरा प्यार तो निश्छल है, 
ये मोहताज़ नहीं अबरार का. 
तुम्हें देख रूह खिलती है "उड़ता ", 
यही है रंग मेरे प्यार का. 



द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
         झज्जर (हरियाणा )
   संपर्क - 9466865227


हलधर -9897346173

छन्न पकैया -बुरा न मानो होली है 
---------------------------------------
                    1
छन्न पकैया हलधर भैया ,कोमल मन अनुरागी ।
सत्य अहिंसा के झांसे में , दिल्ली जली अभागी ।।
 सा रा रा रा रा -----------जोगिरा -सा रा रा रा 
                     2
छन्न पकैया हलधर भैया ,मैली होती गंगा ।
जल में जहर घुला है ऐसा ,होय न रोगी चंगा ।।
 सा रा रा रा रा -------------जोगिरा -सा रा रा रा
                        3
छन्न पकैया हलधर भैया ,बजा फौज का डंका ।
आतंकों के केम्प जलाये , जैसे रावण  लंका ।।
 सा रा रा रा रा ------------जोगिरा -सा रा रा रा
                       4
छन्न  पकैया हलधर भैया ,घाटी में है लाली ।
हठी तीन सौ सत्तर धारा , आये अब खुशहाली ।।
 सा रा रा रा रा ------------ जोगिरा सा रा रा रा
                        5
छन्न पकैया हलधर भैया ,चाटक नभ में टेरे ।
मेघों का आश्वासन झूठा ,बादल आंख तरेरे ।।
 सा रा रा रा रा ----------- जोगिरा -सा रा रा रा 


                      6
छन्न पकैया हलधर भैया , चूर कुट  सिब्बल मामा ।
अजहर साहब दिखता उसको, दिखे भ्रात ओसामा  ।।
 सा रा रा रा रा -----------जोगिरा -सा रा रा रा रा 
                         7
छन्न पकैया हलधर भैया , सी ए ए  हंगामा ।
धर्म आड़ करे सियासत ,पप्पू पहन पजामा ।।
 सा रा रा रा ----------------जोगिरा - सा रा रा रा
                           8
छन्न पकैया हलधर भैया , मोदी लिया लपेटा ।
ऐसा धोबीपाट मारता ,  बाप  बचे  ना बेटा ।।
सा रा रा रा ------- जोगीरा ---सा रा रा रा 
                         9
छन्न पकैया हलधर भैया ,मन की बात सुनाये ।
दुनियां का कद्दावर नेता , ट्रम्प देश में आये ।।
सा रा रा रा --------- जोगीरा सा रा रा रा रा 


                           10
छन्न पकैया हलधर भैया , खुशी देश में छाई ।
दशकों से तंबू में बैठे  , जीत गये  रघुराई  ।।
सा रा रा रा -------- जोगिरा --- सा रा रा रा रा 


                        11
छन्न पकैया हलधर भैया , कोरोना का भय है ।
कैसे गले मिलें होली में , सबको ये संसय है ।।
सा रा रा रा - ----- जोगिरा ---- सा रा रा रा 


                   हलधर -9897346173


भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

*"रंग तेरे रंग लूँ"* (युगल गीत)
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*साँवरी तू पास आ, मोसे नहीं दूर जा।
रंग तेरे रंग लूँ, आज मुझे रंग लगा।।
साँवरिया बेणु बजा, नाचूँ मैं नाच नचा।
रंग तेरे रंग लूँ, आज मुझे रंग लगा।।


*मैं तेरा कान्हा हूँ, तू है मेरी राधा।
लागे सूना तुम बिन, यह जीवन है आधा।।
आज रंग तन-मन लूँ, और मुझे दे न दगा।
रंग तेरे रंग लूँ, आज मुझे रंग लगा।।


*सपनों में तेरे ही, खोयी रहती हूँ मैं।
पिया-मिलन आस लगी, बाट जोहती हूँ मैं।।
तोसे शृंगार करूँ, लूँ मैं हर अंग जगा।
रंग तेरे रंग लूँ, आज मुझे रंग लगा।।


*रंगों-रंगा तेरे, यह मेरा मन गोरी।
तुझको ही बुला रही, बंशी मोरी भोरी।।
आकर तू आज मुझे, निजपन का रंग लगा।
रंग तेरे रंग लूँ, आज मुझे रंग लगा।।


*स्वप्न सजाया तेरा, अपने मन के आँगन।
फीके हैं रंग सभी, तेरे बिन सुन साजन।।
रंगों की आड़ आज, मुझको तू अंग लगा।
रंग तेरे रंग लूँ, आज मुझे रंग लगा।।
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
****************************


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा ''निकुंज'' रचनाः मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली

दिनांकः ०९.०३.२०२०
वारः मंगलवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
🌹होली🌹
पिचकारी  भर    के   चली , राधे   गोपी   संग।
गिरधारी    भागे   फिरे , भरे      बालटी     रंग।।१।।
रिमझिम रिमझिम वारिशें , मनभावन मधुमास।
रंग   हाथ   ले    राधिका ,दौड़ी   कान्हा  पास।।२।।
रंगरसिया  माधव  सजन ,  रंग   देख  मुस्कात। 
पकड़ हाथ प्रिय राधिका, सजनी मन सकुचात।।३।।
कहाँ    भागते    हो   लला , डालूँगी   मैं    रंग।
होली   की    रंगों   भरी , गाओगे   पी      भंग।।४।।
घिरे   हुए   चहुँओर   से , नटखट    तू  गोपाल।
यशुमति  मुरलीधर लगा ,छिपकर गाल गुलाल।।५।।
रंग  भरी   पिचकारियाँ ,  होली   गोकुल  धाम।
ब्रजवासी  संग  राधिका , भींगे  तनु  घनश्याम।।६।।
घिरे  कृष्ण  चहुँओर  से, लखि  राधा  मुस्कान।
रंगों     की    रंगरेलियाँ , मधुशाला     मधुपान।।७।।
मोरमुकुट सरसिज नयन, रंजित  मन  गोविन्द।
भींगे   तन   रंगे   वसन , राधा  मुख  अरविन्द।।८।।
मन माधव मधुवन सुभग,विस्मृत मन सब राग।
मधुर   गान  झूमे    मिलें , सद्भावन    अनुराग।।९ ।।
शुभ मंगल दर्शन कठिन , राधा प्रिय  चितचोर।
नमन करें सादर  विनत , होली  में  कर   जोर।।१०।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा ''निकुंज''
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली


कबीर ऋषि “सिद्धार्थी”

•होली में• हैप्पी होली
अब होली का रंग चढ़ा लो, एक बार तुम होली में
रंगबिरंगा समां बना लो, एक बार तुम होली में
ऊंच-नीच और मजहबों का, सारे अब बैर मिटाकर
सबको ऐसे गले लगा लो,एक बार तुम होली में।
-कबीर ऋषि “सिद्धार्थी”
सम्पर्क सूत्र-9415911010
KRS


नूतन लाल साहू

होली हे
कइसे जावव,कन्हैया के पास
उड़त हावय,रंग अउ गुलाल
राधा हावय,ललिता हावय
लता अउ,विशाखा हावय
सखा हावय,सहेली हावय
भीड़ हावय, अपार
कइसे लगाहु, मय गुलाल
उड़त हावय,रंग अउ गुलाल
कइसे जावव,कन्हैया के पास
उड़त हावय,रंग अउ गुलाल
वन वन ला खोजेव, मय
घर घर खोजेव
खोजत हव,गली खोर द्वार
कइसे लगाहू, मय गुलाल
उड़त हावय,रंग अउ गुलाल
कइसे लगाहू, मय गुलाल
उड़त हावय,रंग अउ गुलाल
कइसे जावव,कन्हैया के पास
उड़त हावय,रंग अउ गुलाल
राधा हावय,ललिता हावय
लता अउ,विशाखा हावय
सखा हावय,सहेली हावय
भीड़ हावय,अपार
कइसे लगाहू, मय गुलाल
उड़त हावय,रंग अउ गुलाल
कइसे जावव,कन्हैया के पास
उड़त हावय,रंग अउ गुलाल
नूतन लाल साहू


 


नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर सम्पादक काव्यरंगोली

सूर्य का  शौर्य का उत्तरायण शुभ व्यव्हार खुशियों त्यौहार।।                  


गावों में किसान की  खुशहाली का इंतज़ार प्यार   !!               


वासंती वयार में रंगो की कभी फुहार कभी वरसात !!        


गोरी का  प्रियतम प्यार , विश्वाश का रंग हज़ार  !!                 


 राधा कान्हा की होली मस्ती की हस्ती यौवन की   ज्वाला  जवा जज्बे  का ज्वार !!              


कोइ गीला शिकवा शिकायत नहीं इंसान का  इंसानियत के रंगों का प्यार मोहब्बत !!                    


ना कोइ गोरा ना कोइ काला हर चेहरा खुशियों के  रंगो का चेहरा ख़ास !!                            


                      


ढोल मृदंग पखावज बाजे राग फाग बहार झूमे  नाचे गावें फागुन के दिन चार रे होली खेले मना ले !!                                       


रंग से बचे ना कोइ दोस्ती यारी का दस्तूर रिश्तों के दिल के रंगो का इज़हार झाल ले फागुन के दिन चार होली खेल मना ले !!         


 


 धरती  दुल्हन जैसी हर गली मोहल्ला   बिरज में  होली खेलत नंदलाल रे होली खेल मना ले !!        
 लाल ,हरा, पीला, नीला, काला रंगों का  चेहरा , अंगिया, चोली  रंग ही जीवन  होली का त्यौहार ,खुशियों के  रंगो का जीवन संसार !!                              



गले से गले मिलते दिल से दिल मिटता मलाल प्यार आशिर्बाद का  गुलशन का गुलाल है फागुन के दिन चार से होली खेल मनाले !!
 होली की शुभकामनाये


मधु शंखधर स्वतंत्र* *प्रयागराज*

होली की हार्दिक शुभकामनाएं..
🌺💓🌺💓🌺💓🌺💓
बहारें सजाएँ सितारे नूरानी।
लगे ऋतु बसंती बहुत ही सुहानी।।
सभी मीत होते सहज ही दिवाने।
मगन प्रेम में हो सुनाए तराने।


भरी है अबीरों गुलालों  से झोली।
बजे गीत फगुआ रचै भंग टोली।
सभी एक रंँग हों न दे कोई धोखा।
लगाओ सदा रंग सबको अनोखा।।


लगी हों कतारें सभी द्वार आएँ।
गले से लगाकर सभी दुख भुलाएँ।
खुशी का समाँ है हँसी सब नजारे।
जमीं पर उतर आए सुंदर सितारे।


सजी प्यार से ज्यूँ नवल एक गोरी।
बँधा एक बंधन महज प्रेम डोरी।।
यहाँ रंग प्यारा सभी को चढ़ा है।
ये त्यौहार होली हमीं ने गढ़ा है।


यही खेल राधा मगन से कन्हाई।
इसे खेलने आज मीरा भी आई।
यही संस्कृति की सलोनी झलक है।
जिसे खेलने की सभी में ललक है।।


बढ़ा दम्भ जब भी जली होलिका ही।
जली खुद वही  तो कहे तूलिका भी।
बचालो धरा को सहज नेक जानो।
रहेगा सदा ही नियम एक मानो।


यहाँ एक धरती का साथी गगन है।
यही एक होली का मधुमय चलन है।। 
-- *मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
*10.03.2020*


बलरामसिंह यादव धर्म एवम अध्यात्म शिक्षक

राम चरित मानस में महादेव शिव शंकर एवम मर्यादापुरुषोत्तम श्री भगवान राम के सम्बन्धो की सटीक व्याख्या


सेवक स्वामि सखा सिय पी के।
हित निरुपधि सब बिधि तुलसी के।।
 ।श्रीरामचरितमानस।
  गो0जी कहते हैं कि भगवान शिवजी श्री सीताजी के पति प्रभुश्री रामचन्द्रजी के सेवक,स्वामी और सखा हैं तथा मुझ तुलसीदास के सब प्रकार से सदैव निश्छल हितकारी हैं।
।।जय सियाराम जय जय सियाराम।।
  गो0जी ने इस महाकाव्य में कई स्थलों पर भगवान शिवजी को प्रभुश्री रामजी का सेवक,स्वामी व सखा कहा है।
1--सेवक के रूप में--
 शिवजी स्वयं माँ सतीजी से कहते हैं--
सोइ मम इष्टदेव रघुबीरा।
सेवत जाहि सदा मुनि धीरा।।
##############
पुरुष प्रसिद्ध प्रकास निधि प्रगट परावर नाथ।
रघुकुलमनि मम स्वामि सोइ कहि सिव नायउ माथ।।
सोइ प्रभु मोर चराचर स्वामी।
रघुबर सब उर अंतरजामी।।
2--स्वामी के रूप में--
तब मज्जन करि रघुकुलनाथा।
पूजि पार्थिव नायउ माथा।।
लिंग थापि बिधिवत करि पूजा।
सिव समान प्रिय मोहि न दूजा।।
3--सखा के रूप में--
संकर प्रिय मम द्रोही सिवद्रोही मम दास।
ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास।।
संकर बिमुख भगति चह मोरी।
सो नारकी मूढ़ मति थोरी।।
 प्रभुश्री रामजी ने जब समुद्र पर सेतुबन्धन के समय शिवलिंग की स्थापना की तब,उसका नाम रामेश्वर रखा।रामेश्वर शब्द में सेवक,स्वामी और सखा तीनों का अर्थ हो सकता है।जैसे,,
 तत्पुरुष समास के आधार पर रामस्य ईश्वरः अर्थात राम के ईश्वर।
 बहुब्रीहि समास के आधार पर रामः ईश्वरो यस्यसौ रामेश्वरः अर्थात राम जिसके ईश्वर हैं।
 कर्मधारय समास के आधार पर रामाश्चासौ ईश्वरश्च अथवा यो रामः स ईश्वरः अर्थात जो राम है वही ईश्वर है।
 सुप्रसिद्ध मानसकार व सन्त श्री काष्ठजिव्हास्वामी जी के मतानुसार भक्तिपक्ष में प्रभु से सभी सम्बन्ध बन सकते हैं।इसी आधार पर गो0जी ने शिवजी को प्रभुश्री रामजी का सेवक,स्वामी व सखा कहा है।पुनः एकादश रुद्रावतार श्री हनुमानजी के रूप में वे प्रभुश्री रामजी के सेवक हैं।रामेश्वर के रूप में वे स्वामी हैं और सुग्रीव के रूप में वे सखा भी हैं।
।।जय राधा माधव जय कुञ्जबिहारी।।
।।जय गोपीजनबल्लभ जय गिरिवरधारी।।


जय श्री तिवारी खंडवा

होली
तर्ज़-मंदरिया में उड़े रे गुलाल
सब खेला लाल गुलाल, होली नित् आवे रे
प्रेम त्याग का रंग लगाओ
राग द्वेष को दूर भगाओ
हो जाओ खुशहाल, होली नित्---
क्रोध, जलन , ईर्ष्या को जलाओ
अपने मन को पवित्र बनाओ
हो जाओ धनवान, होली नित
मंदिर तीरथ क्यों जाते हो
तन को अपने क्यों थकाते हो
मन को मंदिर बनाओ, होली नित
प्यार का रंग पिचकारी में भर लो
सभी पर प्यार की वर्षा कर दो
रह जाए होली याद, होली नित आवे ये
जय श्री तिवारी खंडवा


सीमा शुक्ला अयोध्या

फागुन आया


धरती का नवल साज,
होता शुभ सकल काज।
कोयल वन गान करे,
तितली रसपान करे।
अलि कलिका चूम चूम, 
मन विभोर झूम झूम।


प्रणय गीत गाता है।
तब फागुन आता है।
*****
रंग उठा है तन मन, 
पुलकित है  अंतर्मन।
घुल जाये सप्तरंग,
भीग उठे अंग-अंग।
मिटता मन से  मलाल,
उड़ता घर घर गुलाल।


तन-मन हर्षाता है।
तब फागुन आता है।
****
फगुआ का राग उठे ,
विरहा की आग उठे।
मन मे जागी  उमंग,
नभ मे उड़ती पतंग।
हाथों मे हाथ मिले,
अपनो का साथ मिले।


मन ये मुस्काता है।
तब फागुन आता है।
****
मंद महक है बयार,
रंगो की है फुहार।
रंग भरें पिचकारी,
बाल करें किलकारी।
नयन भरे है सपने,
दूर बसे जो अपने।


मन उन्हे बुलाता है।
तब फागुन आता है।
****
बाजै ढोलक मृदंग,
प्रीति बैर एक  संग,
खिले सुमन है उपवन,
जग जैसे है मधुबन।
धरती का नीलगगन,
हो जाये आज मिलन।


स्वप्न मन  सजाता है।
तब फागुन आता है।


 
सीमा शुक्ला अयोध्या


- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

.............. बाल गीत................


आज के बच्चे , कल के कर्णधार।
आप पर ही है , इस देश का भार।


आपका पोषण,आपकाअधिकार।
आपकी शिक्षा के हम  जिम्मेदार।


आपसे ही  इस देश का उजियार।
आपसे ही हर तरह का चमत्कार।


आप से देश की प्रगति हर प्रकार।
आप निकालें देश से  हर दुराचार।


खुद रहें , देश रहे "आनंद" अपार।
नहीं तो  होगा  देश  का  बंटाधार।


-- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय

अपने ही रंग में रंग दो,मेरे नटवर नन्द गोपाल।
हरा भरा रहे घर उपवन, जीवन हो खुशहाल।।


सदा रहे जीवन में लाली,रात कभी न आये काली।
जीवन पथ पर बढता रहूँ, चाल रहे मेरी मतवाली।।


भाव सदा मेरे रहें गुलाबी,कृपा मिले पीताम्बर धारी।
गौरवर्ण की अनुकम्पा से,सदा चरणों मे बलिहारी।।


श्याम पीत वर्ण में रंगकर,सत्य जीवन हुओ निहाल।
अपने ही रंग में रंग दो,मेरे नटवर नन्द गोपाल।।


ऐसा रंग चढ़े भक्ति कौ,जिसे कभी छुड़ा नहीं पाऊँ।
सोते जगते मेरे मोहन,मुख से राधे कृष्णा ही गाऊं।।


तेरे मुखमण्डल की आभा, रंगीन करें जग जीवन।
तेरे रंग में रंगे जो कृष्णा, उन्हें न चाहिए कोई धन।।


सदा तरंगित रहूँ स्वामी,मन में रहे न कोई मलाल।।
अपने ही रंग में रंग दो,मेरे नटवर नन्द गोपाल।।


होली की अनन्त शुभकामनाओं के साथ🌺🌺🌺🌺🌹🌹🌹🌹🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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