आशु कवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल ओमनगर सुलतानपुर यूपी,

होली के हुड़दंग हास रस के संग


बुरा ना मानो होली है 



केवल पांच सवैया छंद


    आंनद लें



गाम न गोरी सजी नवयौवन जाए अंटी निज।की अमराई ।।


नीरखत बाग ऊ बेला चमेली औ गेंदन साथ हु टेसू दिखाई।।


भा ख त चंचल।नजर झुकाय वही इक या र मिला देख लाई ।।


सोचत गोरी भ ई मद थोरी औ मस्त मलंग जू प्रेमी डि ठ आ ई।।1।।


अंग्रेजन आयो हिन्द महें बोका दुकान जलेबी दिखाई।।
मांगी जो हाथ मा लेत प्लेट ऊ सोचत क उ नी विधा  रच जाई ।।


जोड़ आऊ मोड़ दे खा त नहीं केही भांति इसे हलवाई बनाई।।


भा ख त चंचल मा न त ऊ जानो सत य हु हा थ विमान उ ठ आ ई।।2 ।।।


दू जी दुकान अंटयो दूसरे दिन वसुधा न जेस इक मिठाई दिखाईं।।
पूछत ऊ हलवाई ब ताओ य हि कै नाम हमें तू तुरन्त ब ताई।।
नाम को जान त सोचत ऊ ना कहीं रोज ना जामुन दे खाई।।


मा न त ऊ अरु भा ख त चंचल वानर रीछ औ राम दुहाई ।।3 ।।


राहुल अंटे जब यूपी म्हें व ई जा य मिले डिंपल भाऊ जाई।।
ना हौ चाहत  हूं गठबन्धन ना मोहि चाह विजय कर भाई।।
हाले दिला हौ बयान करूं अरु याचत एक मनोरथ आ ई।।


कुआरा रहा ना क बो प्यार किया बस खो झ हु सुंदर ना यि का जाई।।4।।


मागत जौ न रहा इस तीफा वही आजू घिरा घनघोर घटा ई।।


हरिचन्द्र रहा जौ न काल टलूक आजू मिश्रा कपिल इल्जाम लगाई ।।


भा ख त चंचल आजू ई संजय कुर्सी की मोह बढ़ी अस भाई।।


मिश्रा कै कुर्सी ग ई यही क़ार न माग् त हु कह घोर बु राई।।5 ।।


आशु कवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
ओमनगर सुलतानपुर यूपी,
8853521398 ।।


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।

"मेरी पावन मधुशाला"


 अपनेपन का भाव लिये मन एक आत्मवादी प्याला,
आत्मवादिनी बुद्धिप्रदात्रीहै मेरी बौद्धिक हाला,
आत्मवाद के शंखनाद सा ले कर- ध्वज फिरता साकी,
आत्मवाद के सिंहासन सी मेरी पावन मधुशाला।।


बना आत्मा स्वयं आत्मवत सर्व भूत के प्रति प्याला,
आत्मज्ञानिनी भावों में ही बहती रहती है हाला,
आत्मज्ञानसम्पन्न विज्ञ सा मेरा नित आतम साकी,
आत्मालाय की बनी निवासिनि मेरी पावन मधुशाला।


साधारण इंसान नहीं है अति विशिष्ट मेरा प्याला,
साधारण सा जल मत समझो अति पवित्र मेरी हाला,
कभी न सोता नित्य जागरण करता शिवसमता-साकी,
परम विशिष्ट पवित्र रसालय सदा अमृता मधुशाला।


नित्य स्नान कर मधुशाला के मंदिर में रहता प्याला,
बड़े प्रेम से तैयारी कर मह-मह महकत है हाला,
साकी अपने दिव्य भाव में तिलक लगाए मस्तक पर,
हाथ पकड़ पीनेवालों को  पहुंचा देता मधुशाला।


दिव्य चमकते प्यालों पर सम्मोहित हो जाता प्याला,
अधरों पर रखते रोमांचित हो उठता पीनेवाला,
साकी का अंदाज बयां करना लगता है कठिन बहुत,
 शानदार अतिशय प्रभावमय सहज सुशोभित मधुशाला।


रचनाकार:


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।

"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"


अति मायामय देहमय मायातीत विदेह।
सबमें रमती मां तुम्हीं सचमुच निःसन्देह।।


अथक परिश्रमी तिहुँपुरवासिनि।नित्य साधिका ज्ञानगामिनी।।
मायातीत महामन मान्या।त्रिगुण स्वरूपा ध्यान अगम्या।।
ब्रह्म ब्रह्ममय वर ब्राह्मण हो।सकल लोकमय शुभ दर्पण हो।।
कृपा कृपालु करुण करुणाकर।कर्त्ता कर्म क्रिया कृति करगर।।
 दिव्य दानमय दान दिवाकर।दिवस दिशा -दस द्रव्य दिव्यधर।।
शान्त प्रशान्त सुशान्त सुशासन । शिव सम सुधी शिवा सुख सावन।।
दानव -दलन-दमन दैत्यारी।अतिशय अर्थकरी महतारी।।
बैठ हंस पर गीता गाओ।मां सरस्वती !शरद बहाओ।।
तेरा आशीर्वाद चाहिये।माँ ममतामय प्यार चाहिये।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।

"श्री प्रीति महिमामृतम"


प्रीति -रसामृत सिद्ध अति सगुण हृदय-उद्गार।
इसके सेवन मात्र से मन होता उजियार।।


चलो प्रीति के संग-संग नित।देखो सबका अपना भी हित।।
प्रीति तरंगों में बह जाओ।मल-मलकर मन को नहलाओ।।
करना है रसपान प्रीति का।करना है गुण गान प्रीति का।।
सिर्फ प्रीति का साथ चाहिये।प्रेम-वृक्ष की छाँह चाहिये।।
जहाँ प्रीति है वहीं ईश हैं। परमेश्वर जगदीश वहीं हैं।।
मोहित होना हर मानव पर।करना कृपा सभी मानव पर।।
बन सहयोगी साथ निभाना।सबको पुष्प-माल पहनाना।।मत बनना तुम कभी विरोधी।बनते जा दुर्गुण-प्रतिरोधी।।
सन्त-हृदय जैसा बन जाना।प्रीति परस्पर गीत सुनाना।।
सबके हित की बातें करना।सबके दिल में बैठे रहना।।
दुश्मन को भी मित्र समझना।प्यारे!बनकर इत्र महकना।।
नहीं किसी को दुःख पहुंचाना।सत-प्रिय बातें करते जाना।।
सहलाओ नित सबके उर को।निर्मल रखना अन्तःपुर को।।
मनसा वाचा और कर्मणा।सबके प्रति हो हृदय-अर्पणा।।


सबसे शुभ संवाद हो भीतर से अनुराग।
स्नेह-प्रेम-ममता सहज में  ही हो सहभाग ।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी।

"मधुर मिलन"


प्रेम सुधा रस जहां बरसता,
समझो उसको मधुर मिलन।


जहां टपकता स्नेह नेत्र से,
जानो उसको मधुर मिलन।


मीठी-मीठी जहां बात हो,
उसे समझ लो मधुर मिलन।


दिल से दिल जब मिल जाये तो,
समझो उसको मधुर मिलन।


जहां त्याग की ही हों बातें,
इसे जान लो मधुर मिलन।


पैसा नहीं प्रेम ही सबकुछ,
इसे जान लो मधुर मिलन।


मिलने पर यदि मन प्रसन्न हो,
समझो इसको मधुर मिलन।


मिलने पर संतुष्टि मिले यदि,
मान लो इसको मधुर मिलन।


बातें हों अरु बातें ही हों,
समझो इसको मधुर मिलन।


जी न भरे हो संग हमेशा,
जानो इसको मधुर मिलन।


रहे मिलन की सदा तमन्ना,
यह असली है मधुर मिलन।


मिलते रहें प्रेम से प्रति दिन,
समझो उसको मधुर मिलन।


ऊब न जाएं कभी बात से,
समझो उसको मधुर मिलन।


अपनेपन का हो यदि अनुभव,
समझो उसको मधुर मिलन।


मन में हो यदि हर्षोल्लास,
जानो उसको मधुर मिलन।


नमस्ते हरिहरपुर से---डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी।
9838453801


सत्यप्रकाश पाण्डेय

हुओं कृष्णमय मेरों जीवन
मोय कृष्ण की याद सतावै
नाते रिश्ते छोड़ के मनुवा
अब तौ कृष्णा कृष्णा गावै


रोम रोम में बसौ है साँवरों
मैं एक पल भूल न पाऊँ
गोविन्द सुं ये मिली जिंदगी
मैं गोविंद के ही गुण गाऊं


रंगों श्याममय मेरों चोला
वा श्याम से विलग रहूँ ना
जर्रा जर्रा ही श्याम पुकारे
अब मुख से कछु कहूँ ना


मेरे माधव हे मेरे गिरिधर
स्वामिन तेरों रंग हटें ना
प्रेम रंग में मोय डुबोकर
प्रभु चरणों से दूर करो ना।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


आशुकवि नीरज अवस्थी

होली एवम बसंत


 बसंत   एवम्  होली   


 होली जलती दिलो में भस्म हो गया प्यार।
मेल मिलन की है बहुत ही ज्यादा दरकार।।
दूरी इतनी बढ़ गई ,जैसे धरती चंद।
इसी लिए फीकी लगी अग्नि होलिका मंद।
अग्नि होलिका मंद, तो,कैसे जले विषाद।
खाने में पकवान है,नही मिल रहा स्वाद।
द्वेष भावना का शमन करिए कृपा निधान।
मंगलमय होली रहे यह दीजै बरदान।


आशुकवि नीरज अवस्थी


अटल विश्वास हो भगवान पर तो काल भी टलता।
लगाया नेह था प्रह्लाद ने फिर किस तरह जलता।
वो फ़ायरफ़्रूफ़ लेडी जल गई भगवान की माया,
कभी उसकी इजाजत के बिना पत्ता नही हिलता।।


बहुत कविताये है लेकिन यह मुक्तक सबसे अलग है ईश्वर पर भरोसा रखते हुए अटूट श्रद्धा रखिये उससे ऊपर कोई नही।होली की अशेष बधाइयां


आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


जब बसंत का मौसम आया ऐसी हवा चली। 
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली..।। 
नयी कोपले पेड़ और पौधो पर  हरियाली.
उनके मुख मंडल की आभा गालो की लाली.। 
चंचल चितवन उनकी नीरज खोजै गली गली।।
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली।
कोयल कूकी कुहू कुहू और पपिहा पिउ पीऊ , 
अगर न हमसे तुम मिल पाई तो कैसे जीऊ।
मै भवरा मधुवन का मेरी तुम हो कुंजकली ।।
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.
बागन में है बौर और बौरन मां  अमराई 
कामदेव भी लाजै देखि तोहारी तरुनाई ,
तुमका कसम चार पग आवो हमरे संग चली.
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.. 
हरी चुनरिया बिछी खेत  में सुन्दर सुघड़  छटा । 
नीली पीली तोरी चुनरिया काली जुल्फ घटा ।
आवै फागुन जल्दी नीरज गाल गुलाल मली.
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली..     
आशुकवि नीरज अवस्थी
खमरिया पण्डित खीरी
9919256950


मुक्तक ...
मुझे पग पग मिला धोखा, सहारा किस को समझूँ मै.
डुबाया हाथ से किश्ती, किनारा किस को समझूँ मै.
जो मेरे अपने थे, वो काम जब, आये नहीं मेरे..
तो तुम तो गैर हो, तुमको दुलारा कैसे समझूँ मै.
                                                                                                                               बसंत में---------                                                                                                नीबू के फूल महके,है ,देखो बसंत में.
अमराई बौर की, है जी देखो बसंत में.
नव कोपले पेड़ो  में, है निकली  बसंत में .
पतझड़ सा मेरा जीवन, देखो  बसंत में.
मधुमक्खियों के छत्ते शहद से भरे हुए,
उनके बेचारे बच्चे भूख से मरे हुए.
कंजड़ के हाथ अमृत देखो बसंत में.
पतझड़ सा मेरा जीवन, देखो  बसंत में. 
सरसों की पीली पीली चुनरिया उतर गई.
गेहू की बाली खेत में झूमी ठहर गई.
गन्ना लगाये देखो ठहाके बसंत में..
पतझड़ सा मेरा जीवन ,देखो  बसंत में. 
लव मुस्कुरा रहे है दर्दे दिल बसंत में,
मिलाता नहीं है कोई रहम दिल बसंत में,
बस अंत लग रहा हमें नीरज बसंत में,.
पतझड़ सा मेरा जीवन देखो  बसंत में. 
.....................................आप सभी का सादर आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


होली पर आप सभी को चंद पंक्तियाँ अग्रिम समर्पित करता हूँ..----------------------------  


       होली पर कविता
भारत की नारियां सभी हो राधिका के तुल्य,
मानंव हो जैसे वासुदेव कृष्ण श्याम से।।
कष्ट कट जाये दुःख दूर रहे जिंदगी से,
प्यार से मनाये होली दूर रहे जाम से।।
रंग रंग से रंगो कुरंग से बचो सदा,
लुटाते रहो प्रीती का गुलाल सुबह शाम में।
देश की अखण्डता व् एकता सलामती हो,
नीरज की एक ही प्रतिज्ञा प्रण प्राण से।
💐💐💐💐💐💐💐💐


२०२० होली पर आप सभी को चंद पंक्तियाँ अग्रिम समर्पित करता हूँ..-----


इस होली में वह मिल जाये, जो बचपन मे खेली थी।
रीति प्रीति की मिलन बिछड़ना प्रीती एक पहेली थी।
बीस साल से खोज रहा हूँ कितनी हेली मेली थी।
दिल्ली में मिल गयी अचानक अब तक नई नवेली थी।।
आशुकवि नीरज अवस्थी


दिलों में प्रेम की गंगा बहाने आ रही होली.
सभी शिकवे गिलों को दूर करने आ रही होली.
धरा से दूर होती जा रही सर्दी कड़ाके की ,
सभी के उर मे अति स्नेह को उपजा रही होली..


अगर अपना कोई रूठे,तो झट उसको मना लेना.
बिगड़  जाए कोई  रिश्ता तो झट ,उसको बना लेना.                                                                          नयन में नीर नीरज के,अमित अविरल असीमित है.
अगर मिल जाउ होली मे , गले मुझको लगा लेना          


किसी को याद कर लेना, किसी को याद आ जाना ,
बड़ा रंगीन है मौसम हमारे पास आ जाना. 
सभी  बागों मे अमराई है, मौसम खुशनुमा यारों,
कसम तुमको है प्रीती तुम मेरे ख्वाबों में आ जाना.
                                               
   
दिल के बागों में प्रीति पुष्प खिला कर देखों 
नेह  का रंग अमित प्रेम लुटा कर देखो..                            
तेरी यादें  मुझे लिपटी है अमरबेलों सी,
होली आती है मुझे फ़ोन लगा के देखो.. [5]    
                    
तेरे चेहरे को रंगदार बना सकता हूँ,। तुझको मे अपना राजदार बना सकता हूँ ।
दुनियाँ  की भीड़ में तुम खो गये,अकेले हम , 
जो मिले गम उसे मे यार बना सकता हूँ,, [6]     


गोरे गालों को न बदरंग  करो,
प्रीति के रंग को न भंग करो.
ये तो शालीन पर्व मिलने का ,
भूल कर इसमे ना हुड़दंग करो.[7] 


दुश्मनों को गले लगाते हैं,
प्रीति के गीत गुनगुनाते है,
नेह  रुपी गुलाल हाँथो से,
प्रीति के रंग हम लगाते हैं.. [8]     


दुख शोक परेशानी सारी,होलिका अगिन में जल जाए..                                  
सब बैर भाव बदरंग त्याग सब जन मन माफिक फल पाए.
घर घर मे प्यार अपार रहे,जन जन में भाईचारा हो.
दुश्मन भी आकर गले मिले ऐसा ब्यवहार हमारा हो .-


(9)


जिस जिस भाई बहनों ने होली की बधाई संदेश भेजे उनको मेरी चन्द पंक्तियां समर्पित है--💐💐


             आभार गीत


जिसने भी हमको भेजी होली की मित्र बधाई।
मेरे दर्द भरे मन में खुशियों की हवा चलाई।
उनके लिये प्रार्थना है वह बहने हो या भाई।
इसी वर्ष उनकी शादी हो बजे खूब शहनाई।।


जिनका है परिवार बस गया उनके होये बच्चे।
बिल्कुल मेरे तेरे जैसे सारे जग से अच्छे।
मैं भावुकता में बहता हूँ तुम मेरी परछाईं।
दुआ हमारी घर में सबके प्रतिदिन बटे मिठाई।


हर दिन होली के जैसा हो रात बने दीवाली।
जीवन के हर एक कोने में दिखे सिर्फ खुशहाली।
सुख समरद्धि विजय की धुन है कानो से टकराई।
सबका मैं आभारी हूँ जिस ने भी दिया बधाई।।


किसी को याद कर लेना, किसी को याद आ जाना , बड़ा रंगीन है मौसम हमारे पास आ जाना.                                                                          सभी  बागों मे अमराई है, मौसम खुशनुमा यारों,कसम तुमको है प्रीती तुम मेरे ख्वाबों में आ जाना. [1]    
                                        
दिल के बागों में प्रीति पुष्प खिला कर देखों 
नेह  का रंग अमित प्रेम लुटा कर देखो..                             तेरी यादें  मुझे लिपटी है अमरबेलों सी,
होली आती है मुझे फ़ोन लगा के देखो.. [5]    
                    
तेरे चेहरे को रंगदार बना सकता हूँ,। तुझको मे अपना राजदार बना सकता हूँ ।
दुनियाँ  की भीड़ में तुम खो गये,अकेले हम , 
जो मिले गम उसे मे यार बना सकता हूँ,, [6]     


गोरे गालों को न बदरंग  करो,
प्रीति के रंग को न भंग करो.                                                                   ये तो शालीन पर्व मिलने का ,
भूल कर इसमे ना हुड़दंग करो.[7]    
                                                  दुश्मनों को गले लगाते हैं, प्रीति के गीत गुनगुनाते है,                                                                            नेह  रुपी गुलाल हाँथो से,प्रीति के रंग हम लगाते हैं.. [8]     


 बसंत   एवम्  होली     
जब बसंत का मौसम आया ऐसी हवा चली। 
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली..।। 
नयी कोपले पेड़ और पौधो पर  हरियाली.
उनके मुख मंडल की आभा गालो की लाली.। 
चंचल चितवन उनकी नीरज खोजै गली गली।।
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली।
कोयल कूकी कुहू कुहू और पपिहा पिउ पीऊ , 
अगर न हमसे तुम मिल पाई तो कैसे जीऊ।
मै भवरा मधुवन का मेरी तुम हो कुंजकली ।।
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.
बागन में है बौर और बौरन मां  अमराई 
कामदेव भी लाजै देखि तोहारी तरुनाई ,
तुमका कसम चार पग आवो हमरे संग चली.
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.. 
हरी चुनरिया बिछी खेत  में सुन्दर सुघड़  छटा । 
नीली पीली तोरी चुनरिया काली जुल्फ घटा ।
आवै फागुन जल्दी नीरज गाल गुलाल मली.
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली..     
आशुकवि नीरज अवस्थी
खमरिया पण्डित खीरी
9919256950


होली 2020 सभी को कल्याणकारी ओर प्रसन्नता दायक हो-
*प्रतिदिन प्रतिपल नवसंवत का,
तुमको मंगलकारी हो ।*
*घर आंगन द्वारे खेतों तक ,
*खुशियों की फुलवारी हो ।*
*मीत प्रीति की रीत यही है ,*
*अमित अगाध नेह बांटो,*
*दो हजार बीस की होली,*
*सबको ही सुख कारी हो।*


*वात्सल्य देवर भाभी का,*
*युगो युगो तक बना रहे।*
*लता सहारा हरदम पाए ,*
*तना हमेशा तना रहे ।*
*जीजा साली के रिश्तो की ,*
*मर्यादा गुमराह न हो,*
*हर रिश्तो में जन जन का,*
*विश्वास अलौकिक बना रहे।।*


आशुकवि नीरज अवस्थी
प्रबन्ध सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका
संस्थापक अध्यक्ष
श्याम सौभाग्य फाउंडेशन
पंजी ngo
खमरिया पण्डित खीरी
9919256950


कमर तोड़ महंगाई मे, त्योहार मनाना मुश्किल है.
दुशमन बाँह गले मे डाले जान बचाना मुश्किल है,
खोया पहुचा आसमान,पकवान बनाना मुश्किल है.
दारू तौ है महँगी, अबकी भाँग पिलाना मुश्किल है;[२]
नेता अइहै द्वारे-द्वारे चाय पिलाना मुश्किल है.
गन्ना भी अनपेड बिका कपड़ा बनवाना मुश्किल है;[३]
विरह वेदना अगनित पीड़ा मिलन प्रीति का मुश्किल है.
होली का त्योहार प्रीति की रीति निभाना मुश्किल है;[४]


आप सब का अपना ही ---आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


जिसने भी हमको भेजी होली की मित्र बधाई।
मेरे दर्द भरे मन में खुशियों की हवा चलाई।
उनके लिये प्रार्थना है वह बहने हो या भाई।
इसी वर्ष उनकी शादी हो बजे खूब शहनाई।।


जिनका है परिवार बस गया उनके होये बच्चे।
बिल्कुल मेरे तेरे जैसे सारे जग से अच्छे।
मैं भावुकता में बहता हूँ तुम मेरी परछाईं।
दुआ हमारी घर में सबके प्रतिदिन बटे मिठाई।


हर दिन होली के जैसा हो रात बने दीवाली।
जीवन के हर एक कोने में दिखे सिर्फ खुशहाली।
सुख समरद्धि विजय की धुन है कानो से टकराई।
सबका मैं आभारी हूँ जिस ने भी दिया बधाई।


आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


राजेंद्र रायपुरी

😊😊 सियासी खेल 😊😊


होली पर होता रहा,
                 खूब सियासी खेल।
छोड़ गए कुछ कमल को, 
                करन कमल से मेल।


जिनके हक़ को रोज ही, 
                     मार रहे थे नाथ।
मजबूरी में क्या करें, 
                   छोड़ गए वो साथ।


चाह सभी की है यही, 
                 जुड़ें कमल के साथ।
जहाॅ॑ मान श्रम को मिले, 
                   पकड़ें उसका हाथ।


देखें किस करवट अभी, 
                        बैठ रहा है ऊॅ॑ट।
अमिय कौन है पी रहा, 
                   कौन ज़हर की घूॅ॑ट।


          ।। राजेंद्र रायपुरी।।


कालिका प्रसाद सेमवाल             रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

हे शेरावाली
***********
हे मां शेरावाली
अन्दर ऐसा प्रेम जगाओ
जन जन का उपकार करूं,
प्रज्ञा की किरण पुंज तुम
हम तो निपट  अज्ञानी है।


हे मां पहाड़ा वाली
करना मुझ दीन पर कृपा तुम
निर्मल करके तन-मन सारा
मुझ में विकार मिटाओ मां
इतना तो उपकार करो।


हे मां अम्बे
पनपे ना दुर्भाव ह्रदय में
घर आंगन उजियारा कर दो
बुरा न करूं -बुरा सोचूं,
ऐसी सुबुद्धि  प्रदान करो।


हे मां भुवनेश्वरी
इतना उपकार करो
निर्मल करके मन मेरा
सकल विकार मिटाओ दो मां
जो भी शरण तुम्हारी आते
उसे गले लगाओ मां।।
***************************
🙏✡ कालिका प्रसाद सेमवाल
            रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
*****************************


डॉ सरला सिंह स्निग्धा दिल्ली

होली
उड़े देखो अबीर ,उड़े देखो गुलाल
सबमिलि खेलन निकले देखो होली।
कोऊ भया है नीला कोऊ भया लाल ,
सब की लागे है सतरंगी देखो टोली।
राम लगे रहमान गले पीटर भी आये,
सबहीं लेकर झांझमंजीरा गाये होली।
मैं तो गयी है खोय ,देखो सबही हम हैं ,
सबमिलि नाचे-गाये रंग प्रीति है घोली।
कहीं चले पिचकारी कहीं चले रंग भारी,
चारों और दिखे बस मस्तानों की टोली।
कहीं छने है भांग कहीं छने है पकौड़ा ,
सब दिशि छायी है बस होली ही होली।


डॉ सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली


सुनीता असीम

जिन्हें कुछ पास लाया जा रहा है।
उन्हें दिल में बसाया जा रहा है।
***
जरा सा रंग उनको जो लगाया।
कि दिल जोरों से धड़का जा रहा है।
***
बड़े नाराज थे उनसे हुए हम।
मगर अब मन पिघलता जा रहा है।
***
पुरानी हो गई नफरत की बातें।
नया इतिहास लिक्खा जा रहा है।
***
न भाते थे नज़र इक जो कभी भी।
उन्हें अपना बनाया जा रहा है।
***
सुनीता असीम
10/3/2020


सत्यप्रकाश पाण्डेय

आती है होली तो.......


आती है होली तो आने दो
भावों के रंग उड़ाने दो
हृदय में है तस्वीर तुम्हारी
प्यार के रंग भर जाने दो
आती है होली तो........
मेरे ख्वाबों में मेरे भावों में
प्रिय तेरी मूरत बसती है
स्नेहिल प्यारी मूरत पर
गुलाल अबीर उड़ाने दो
आती है होली तो.......
मैं रंग जाऊँ तेरे ही रंग में
बस जाओ तुम अंग अंग में
भूल जाऊँ गम दुनियां के
मुझे कुछ ऐसा कर जाने दो
आती है होली तो.......
स्नेह पूरित गात मनोहर 
भरा हृदय में प्रेम सरोवर
पाल रखी आकांक्षा मन में
मुझे प्रेम नीर में नहाने दो
आती है होली तो.........
बैठा हरिण्यकश्यप मन में
खींच रहा विकृति वन में
तुम बनकर प्रहलाद प्रिय
मुझे धर्म मार्ग पर आने दो
आती है होली तो.........


सत्यप्रकाश पाण्डेय


 


रवि रश्मि 'अनुभूति '

9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '


  🙏🙏


  होली 
********
समाज को खुला पत्र 
******************


सेवा में ,
       समाज के सभी सुधी जन 
         भारतीय समाज , 
           भारत ।


विषय  --  समाज को खुला पत्र ।


होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनाएँ ।


  माननीय सुधी समाज गण , 
                    आशा है कि आप सभी स्वस्थ व कुशल मंगल होंगे । मैं भी स्वस्थ व कुशल हूँ । 
           हम सामाजिक प्राणी बहुत सजग व चौकस रहते हैं , फिर जैसा कि इंसान गलतियों का पुतला होने के कारण हमसे लापरवाही से या किसी ख़ास विषय पर ध्यान न देने के कारण छोटी - मोटी गलतियाँ हो जाती हैं । 
         होली का रंग - बिरंगा उत्साह , उमंग व नयी ऊर्जा भरने वाला सभी का प्यारा होली का त्योहार इस फाल्गुन माह में आ गया है , जिसे हम भारतवासी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं , सभी गिले- शिकवे व भेदभाव भुला कर गले मिलते हैं , एक - दूसरे के रंग लगाते व मिलजुल कर पकवान खाते हैं । एकता - समता व भाईचारे का इससे बढ़िया दृश्य कहीं अन्य दृष्टिगोचर नहीं  होता । खुशी में हम होटलों में भी चले जाते हैं । सब लोग अपनी - अपनी तरह से त्योहार मनाते हैं , लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुये मैं फिर भी जागरुकता को हित में रखते हुये एक संदेश देना चाहती हूँ । जैसा कि ख़बरों से ज्ञात हुआ है कि विदेशों में एक ख़तरनाक जानलेवा बीमारी कोरोना का भारत में  भी पदार्पण हो गया है । बीमारी से बचने के लिए सजग व चौकस होना अति आवश्यक है । सही सलाह मानने से कई ज़िंदगियाँ बच सकती हैं । कहीं ऐसा न हो कि कोई रंग लगाते - लगाते आपसे अपनी किसी दुश्मनी का बदला ही ले ले । आप सभी सावधानी रखते हुये कहीं किसी के घर वषैले पदार्थ न खा बैठें । सार्वजनिक स्थलों पर अधिक देर घूमना भी ख़तरे से खाली नहीं । सड़क के खुले बिकने वाले खाद्य पदार्थ या होटलों में भी कई बार तले तेल का खाना खाने से भी  परहेज़ रखें । 
        किसी के अचानक ही न तो गले मिलें , न ही किसी की साँसें अपनी ओर आने दें और न ही किसी से हाथ मिलायें । हाथों को बार - बार धोना ही व घर का संतुलित भोजन ही स्वच्छता व बीमारी से बचने का सूचक है । 
         आज होलिका दहन है , पर सभी जगहों के होलिका दृश्यावलोकन के लाए न जायें । विषैले धुएँ से बचकर रहें । दुर्घटनाओं से सावधानियाँ भली हैं । कंडों से होलिका दहन की रस्म पूरी करना ही उत्तम है । 
        कल होली है तो बहुत सावधानी से खेलें । बीमार व्यक्ति के साथ होली न खेलें । ज़्यादा रंग न लगायें । वार्निश व तारपीन वाले रासायनिक रंग - लोगन, यहाँ तक कि पानी से भी बचें । बीच में फूलों की होली का चलन शुरू हुआ था , वैसी ही खेलें । सार्वजनिक स्थलों पर अधिक देर न रुकें ।
   आपको मालूम है कि हिरण्यकश्यप ने बेटे को मारने का चक्कर चलाया तो क्या हाल हुआ , ऐसे झाँसों में न फँसे । होली को प्यार व विजय का त्योहार बनायें । इन सावधानियों से आप चुस्त - दुरुस्त रहेंगे । 
 होली की हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनाएँ । 


(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
9.3.2020 , 5:57 पीएम पर लिखित ।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।

"मेरी पावन मधुशाला"


 मधुभावों से युक्त फागुनी दिव्य सुगन्धित है हाला,
 देख फागुनी अँगड़ाई को झूम रहा पीनेवाला,
फागुन के मधुमास मनोहर से आह्लादित साकी है,
देख प्राकृतिक छटा फागुनी थिरक रही है मधुशाला।


प्रकृति निराली छवि मनमोहक पिला रही सबको प्याला,
 देख प्राकृतिक मधु-आकृति को मस्त-मस्त पीनेवाला,
मंद-मंद बह रहा पवन है जिमि अति मधुमति साकी है,
बनी हुई है प्रकृति मनोरम मेरी पावन मधुशाला।


बना हुआ है गगन अनोखा जैसे अति व्यपक प्याला,
सिन्धु- वारि सी बनी हुई है मेरी मधुमादक हाला,
पवन देव ही साकी बनकर पिला रहा जग-मण्डल को,
सहज समूची सृष्टि  बनी है मेरी पावन मधुशाला।


गंगोत्री के पावन जल सी अति निर्मल मेरी हाला,
स्वस्थ तन-मना बन जाता है हर कोई पीनेवाला,
बने हुये हैं शैल सुशोभित साकी के निज रूपों में,
बनी हुई हैं पावन गंगा मेरी पावन मधुशाला।


वन्दनीय है पीनेवाला वन्दनीय कंचन प्याला,
युगों-युगों से पूजनीय है देव-सोमरस सी हाला,
सार्वभौम-शाश्वत सुविचारी देव तुल्य प्रिय नित साकी,
अमरबेलि जिमि अनत  अमृता परम पूज्य है मधुशाला।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"


बनी दयाशंकर सहज सदा करो उपकार।
हे सरस्वती माँ तुम्हीं सकल रोग-उपचार।।


दमन दया अरु दान तुम्हीं हो।ज्ञान धरोहर मान तुम्हीं हो।।
याद तुम्हारी नित आती है।मन-फरियाद सुना करती हो।।
शंभु तुम्हीं शिव अविनाशी हो।गंगा-शारद शिवकाशी हो।।
करुण रसामृत एक तुम्हीं हो।शांत निराला पंथ तुम्हीं हो।।
रमण करो माँ उर में आकर।मेरा हृदय बने तेरा घर।।
 पांडव नीति तुम्हीं हो माता।सत्य-न्यायप्रिय प्रेम विधाता।।
डेरा डालो सदा अलौकिक। हंसवाहिनी वीणा मौलिक।।
यहीं रहो माँ हरिहरपुर में।दो माँ दीक्षा अन्तःपुर में।।
जीवन को खुशहाल बनाओ।सुन्दर पुस्तक बनकर आओ।।


सात्विकता का भाव भर कर सबका उद्धार।
कृपा तुम्हारी से बने शिवमय यह संसार।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।

"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"


ब्राह्मण संस्कृति लेखिका सिद्धियोगिनी सार।
पुस्तकधारिणी माँ करें जीव जगत से प्यार।।


ब्राह्मी माहेश्वरी सरल चित।सद्गति- दात्री कला सुसंस्कृत।।
निराकार अविकार निराश्रय।परम चिन्तना दिव्य सुधामय।।
विष्णु बनी ले शंख-चक्र तुम।असुरदहन के लिए वक्र तुम।।
ब्रह्म बनी करती रचना हो।बोला करती मधु बचना हो।।
शंकर बनकर देत विभूती।काशी क्षेत्रे शिव-अवधूती।।
सीताराम कृष्णराधा बन।देख प्रफुल्लित होता जनमन।।
ब्रह्मज्ञानमय अमित महा हो।विद्या महा शिवा शुभदा हो।।
दिव्य दृष्टि दाता बन आओ।निज भक्तों पर खुश हो जाओ।।
नर लीला करना नित माँश्री।मन-उर बसो सतत हे श्रीश्री।।
करें सदा हम तेरा अर्चन।मिले तुम्हरा पय-अमृतपन।।


तेरा ही प्रिय ध्यान हो और नित्य यशगान।
ज्ञान निधान सुजान माँ का पायें वरदान।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।

"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"


स्वरचित ललित कला तुम्हीं प्रिय साहित्य अथाह।
देवी माँ श्री शारदा की हो सबको चाह।।


स्वनामधन्या प्रिया सरस्वति।दे माँ सबको अति शुभ शिव-मति।।
गहें सदा आदर्श तुम्हारा।दे माँ अपना देश पियारा।।
संगीतों की वर्षा कर माँ।अंजुलि में खुद हर्षा भर माँ।।
कला औऱ साहित्य हमें दे।सदा फाल्गुनी प्यार हमें दे।।
श्रावण मास रहे आजीवन।।रंग-विरंगे पुष्पों का वन।।
ज्ञान मान पहचान बनो माँ।ध्यान यशस्वी गान बनो माँ।।
रग-रग में बस तुम्हीं रहो माँ।छायी रहो हृदय में नित मां।।
पुस्तकधारिणी मातृ शारदे।मीठा -मधुर ब्रह्म ज्ञान दे।।


आजीवन करना कृपा कभी न जाना रूठ।
तन-मन-उर के वृक्ष सब कभी न होवें ठूठ।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801


लक्ष्मी शुक्ल कवयित्री समाजसेविका


आप सभी को भारतीय नववर्ष एवं रंगोत्सव की हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं


लाल लाल रंग मोहि भर दे गुलाल मोहि 
अपने ही रंग मोहि रंग दे ओ साँवरे
राग द्वेष जाएं भूल खिले बस प्रेम फूल
खुशियों के रंग बस रंग दे ओ साँवरे
हर एक रंग पर दिखे बस एक रंग 
ऐसे मोहि प्रीति रंग रंग दे ओ साँवरे
टूटि जाइ ईश ध्यान चाहे छूटि जाए मान
आज एक श्याम रंग रंग दे ओ साँवरे


लक्ष्मी शुक्ला


 डाॅ.बिपिन पाण्डेय

गीतिका-
खूब लगाओ रंग,आज सब होली में।
करो नहीं हुडदंग,आज सब होली में।।1


रहो  नशे  से  दूर ,शिष्टता  अपनाओ,
पियो न मदिरा भंग,आज सब होली में।।2


घृणा-द्वेष को भूल,प्यार को बाँटो जी,
लगो सभी के अंग,आज सब होली में।।3


हरी  गुलाबी  लाल ,गोरियाँ  पहने  हैं,
मलमल कुर्ती तंग,आज सब होली में।।4


लेकर  रंग - गुलाल ,घूमते सब  छोरे,
लगते मस्त मलंग,आज सब होली में।।5


नशा चढ़ा भरपूर, बसंती मौसम का,
दिखते बड़े दबंग,आज सब होली में।।6


नाचो गाओ गीत,नेह का रंग लगाओ
भूलो तिक्त प्रसंग,आज सब होली में।।7
             डाॅ.बिपिन पाण्डेय


   डाॅ बिपिन पाण्डेय           रुड़की

होली की हार्दिक शुभकामनाएं-
कुंडलिया छंद-*(कृति "शब्दों का अनुनाद" से)
होली पर जो प्यार के,डाले हमने रंग।
फीके सारे  हो गए, लोग करें  हुडदंग।।
लोग करें हुडदंग,तोड़कर  हर मर्यादा।
रहा नहीं कुछ याद,किया जो खुद से वादा।
घूमें लिए गुलाल,साथ में रंग की झोली।
पीकर घूमें भांग,कहें सब आई होली।।1


होली में भी हैं नहीं,सखी पिया जी साथ।
मुझे अकेली देखकर, देवर पकड़े हाथ।
देवर  पकड़े हाथ, गाल पर  रंग लगाए।
आती मुझको लाज,नहीं पर वह शर्माए।
आगे  पीछे  घूम, करे है  रोज़  ठिठोली।
मुझे लगा  लो अंग,कहे वह  आई होली।।2


होली के त्योहार की,बड़ी निराली बात।
रंग- बिरंगे  हो गए,सबके  ही जज़्बात।।
सबके ही जज़्बात,हिरन से भरें कुलाँचें।
बूढ़े  हुए  जवान ,प्रेम  की  चिट्ठी  बाँचें।
डालें सब पर रंग,भिगाएँ अँगिया चोली।
उम्र जाति सब भूल,मनाएँ मिलकर होली।।3
         डाॅ बिपिन पाण्डेय
          रुड़की


लखीमपुर की अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था काव्य रँगोली द्वारा खण्डवा मध्य प्रदेश में महिला दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताएं एवम  काव्य रंगोली नारी रत्न सम्मान 2020"एवं पुस्तक विमोचन समारोह सम्पन्न

8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर गौरी कुंज में आयोजित किया गया कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय संस्था काव्य रंगोली के संस्थापक एवं आयोजक आशुकवि नीरज अवस्थी व काव्यरंगोली सखी संसार खंडवा इकाई द्वारा 51 महिलाओं को" नारी रत्न सम्मान"से विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही महिलाओं को सम्मानित किया गया l सम्मानित महिलाओं में सीता जोशी नागपुर, श्रीमती कमला रावत, संतोष बंसल ,अनीता पिल्ले, भारती पाराशर ,अनीता सिंह चौहान ,किरण शर्मा, प्रमिला शर्मा ,उषा तिवारी ,हर्षा जिंदल ,लीना भारद्वाज, कल्पना गढ़वाल ,रजनी शर्मा, जय श्री तिवारी ,राजमाला आर्य ,मधुबाला शेलार, शहनाज अंसारी बुरहानपुर, संगीता सोनवणे ,प्रतिमा अरोरा ,मनीषा पाटिल ,पिंकी राठौर ,अनीता पाराशर ,स्वप्निल जैन ,प्रियंका मालवीया ,वैशाली आनंद इंदौर ,अर्चना कटारे शहडोल ,कविता शरद ,दीपमाला पांडे
,श्रीमती कमला रावत
,श्रीमती अनीता पिल्ले
 डॉ दुर्गेश नन्दिनी हैदराबाद
 डॉ0 माधवी गणवीर राजनांदगांव छग
 डॉ मीना कुमारी सोलंकी झज्जर हरियाणा
 डॉ इन्दु झुनझुनवाला बंगलौर
 रश्मिलता मिश्र बिलासपुर
डॉ सरिता देवी शुक्ल लखनऊ
 शोभा दीक्षित भावना लखनऊ
 अलका अष्ठाना लखनऊ, निशा सिंह नवल लखनऊ
डॉ सरोज गुप्ता जी विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग शाशकीय महाविद्यालय सागर मप्र
स्नेहलता नीर रुड़की
आदित्या कुमारी बेसिक टीचर लखीमपुर
 अरुणा अग्रवाल लोरमी छग
जगदीश्वरी चौबे रेडियो उदघोषिका वाराणसी को दिया गया



सहभागिता सम्मान विभिन्न संस्थाओं की प्रमुख को एवम कार्यक्रम में उपस्थित होने वाली समस्त लगभग 300 महिलाओं को प्रदान किया गया जिससे यह कार्यक्रम उनकी स्मृति में बना रहे।। काव्य रंगोली भारत"संघर्षरत एवं प्रयत्नशील महिलाएं"नाम की पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देवेंद्र वर्मा जी द्वारा किया गया इस अवसर पर विशेष अतिथि श्रीमती शकुंतला राठौर, डॉक्टर गीताली सेनगुप्ता, ममता बोरसे, अनीता पिल्ले, अध्यक्ष श्रीमती संतोष बंसल थे सभागृह में उपस्थित सभी महिलाओं का सम्मान फूल, शॉल व श्रीफल से विधायक जी देवेंद्र वर्मा, मधु चौरसिया, प्रमिला एतालकर, पिंकी राठौड़, संतोष बंसल द्वारा किया गया विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम मैं डांस प्रतियोगिता में प्रथम आरती चौहान तेजस्विनी समूह, द्वितीय संध्या मंडलोई, तृतीय आस्था फिटनेस समूह कविता गांधी, आज का सितारा शालिनी अग्रवाल, फूलों के गहने कृष्णा अग्रवाल, पोयम हिमानी प्रजापति, गणेश वंदना आराध्या पांडे, रंगोली प्रतियोगिता प्रथम मयूरी खंडेलवाल द्वितीय पूजा गौर तृतीय श्यामा अग्रवाल रहे इन सभी को फॉर्म टू फैशन वंडर शेफ शीतल अग्रवाल, गुरु कृपा मोटर्स खंडवा की आवाज अंशुलसैनी हेलमेट जागरूकता अभियान के लिए हेलमेट दिए, कॉटन साड़ी कलेक्शन अनामिका अत्रे, वंदना पिंनेद्र गुप्ता , संगीता सोनवणे, बॉडी मेकर जिम तनु खनूजा, हैप्पी किड्स एजुकेशन पार्क स्कूल किशोर नगर की संचालिका अनामिका उमेश अग्रवाल, इन सभी के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रतिभागियों को अत्यंत ही आकर्षक उपहार दिए गए । इस अवसर पर आदर्श एकता समिति की पिंकी राठौड़ एवं आनिता पाराशर द्वारा हेलमेट के प्रति जागरूक एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का बहिष्कार का संदेश दिया गया । पूनम भारती, शारदा शर्मा, रश्मि दुबे, कीर्ति श्रीमाली, मनप्रीत बत्रा, मीना अग्रवाल ज्योति राठौर रेखा मंगलम माया सिंह अमिता गौर नमिता काले डिंपल भद्रावल ,मनीषा पाथरी कर सुचिता करोड़ी ,वर्षा जैन, निशा कुमार, नीतू जैन, विना शाह, शिल्पी राय स्नेहा पटेल कविता कुशवाह रंजना जोशी इन सभी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अपनी गरिमा मय उपस्थिति प्रदान की। कार्यक्रम की संयोजक जय श्री तिवारी द्वारा आभार व्यक्त किया गया ।


संजय जैन,बीना (मुम्बई)

*होली का रंग*
विधा: कविता


तुम्हें कैसे रंग लगाए,
और कैसे होली मनाए?
दिल कहता है होली,
एकदूजे के दिलों में खेलो।
क्योंकि बहार का रंग तो,
पानी से धूल जाता है।
पर दिल का रंग दिल पर,
सदा के लिए चढ़ा जाता है।।


प्रेम मोहब्बत से भरा,
ये रंगों त्यौहार है।
जिसमें राधा कृष्ण का,
स्नेहप्यार बेसुमार है।
जिन्होंने स्नेह प्यार की, 
अनोखी मिसाल दी है।
और रंगों को लगाकर,
दिलोंकी कड़वाहटे मिटाते है।।


होली आपसी भाईचारे
और प्रेमभाव को दर्शाती है।
और सात रंगों की फुहार से,
7-फेरो का रिश्ता निभाती है।
साथ ही ऊँच नीच का,
भेदभाव मिटाती है।
और लोगों के हृदय में 
भाईचारे का रंग चढ़ती है।।


*होली की शुभकामनाएं और बधाई।*


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन,बीना (मुम्बई)
10/03/2019


एस पी मिश्र पूर्व निदेशक ATI कानपुर

ऋतु बसंत की उंगली थामे, होली का उत्सव आया है।
लेकर रंग गुलाल भेंट में, संदेश प्यार का लाया है।
परिवार काव्य रंगोली में सुख समृद्धि सदा ही बनी रहे।
कविता के सुरभित फूलों से, कवियों की बगिया खिली रहे।


निशा"अतुल्य"

होली की शुभकामनाएं ढ़ेर सारी 
🔴🔵🟠🟡🟣🟢🟤
जीवन खुशियों के रंगों से सरोबार रहे 
सुख, शांति ,समृद्धि ऐश्वर्यता, विवेक सदा आपके साथ रहे ।
😂😂😂😂😂😂😂
हँसते रहो हँसाते रहिये 
मन मेंं खुशियों का डेरा
जीवन सुंदर से सुंदर हो,                      उन्नति पथ पर हो फेरा


निशा उषा का भेद न हो,


दोनों ही पूरक जीवन के,


सदा रहो मुस्काते,


मिलते जुलते क्या मेरा तेरा।


निशा"अतुल्य"


राजेंद्र रायपुरी

🤣 भंग -तरंग में लिखे कुछ दोहे 🤣


लाल गाल हम देखकर,
                          कर बैठे थे प्यार।
होली का वो रंग था,
                         पता नहीं था यार।


भंग पिया को चढ़ गई,
                         देखो उनका हाल।
बीबी समझ गुलाल वो, 
                        मलें पड़ोसन गाल।


चाॅ॑द अमावस का लगे,
                          गोरी तू तो आज।
आ मूरख का मैं रखूॅ॑,
                         तेरे सिर पर ताज।



साली जी चाहें उन्हें, 
                         जीजा  डालें  रंग।
जीजी  के तेवर मगर,
                            देख हुई वो दंग।


बीबी बोली आ पिया,
                       मल दे गाल गुलाल। 
पिया कहें गुलाल मले, 
                     होय न कोयल लाल।


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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