बुद्धि प्रकाश महावर "मन"                दौसा (राजस्थान)

जिस कोरोना के डर से (गीत विधा)
        -----------------------------------------------
जिस कोरोना के डर से, घबराई दुनिया सारी है।
हार गया वो जिसके आगे, वो एसएमएस भंडारी है।


डी एस मीणा, एस बनर्जी, प्रकाश केसवानी।
अभिषेक, रमन शर्मा से, सुनो सफल कहानी।
मानव की वो जान बचाए, घातक महामारी है।


जहाँ बन्द है देवालय और देवों के मठाधीश।
झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र, ढोंगी के सब आशीष।
जान हथेली पर लेकर खुद, करते रक्षा हमारी है।


ना हाथों में हाथ देना, ना ही गले से लगाना।
स्वच्छता का है रखना ध्यान, सबको है जगाना।
मुँह को ढ़क कर आगे बढ़ना, कैसे फैले बीमारी है।


हौसला रखना खुद और दूसरों को देना।
 दूरियां बनाकर रखना, जीवाणु मत लेना।
सावधानी से ही अब तक हम सब से ये हारी हैं।


जुकाम खाँसी और बुखार सिर दर्द में हो कोई।
कोरोना के लक्षण है ये, देख के दुनिया रोई।
तुरंत चिकित्सालय जाओ तब,कैसी सोच विचारी है।


धन्य-धन्य है डॉक्टर सारे, धन्य है उनकी माई।
ईश्वर को ना देखा "मन" ने, तुमने जान बचाई।
शत-शत वंदन और अभिनंदन करती दुनिया सारी है।


               बुद्धि प्रकाश महावर "मन"
               दौसा (राजस्थान)


संदीप कुमार बिश्नोई दुतारांवाली तह0 अबोहर पंजाब

गजल


जीयो और जीने दो


जीव मांगे भीख ये आदत नहीं
 सर उठाकर तू चले हिम्मत नहीं


क्यों बना मानव बता दानव यहाँ 
छोड़ने वाली तुम्हें कुदरत नहीं


क्यों कुल्हाड़ी से रहा तू काटता 
जीव तेरे बाप की दौलत नहीं


है इन्हें अधिकार जीने का सुनो
मिल यहां इनको रही इज़्जत नहीं


छोड़ जीवों को करो आज़ाद अब
प्राण से बढ़कर कहीं कीमत नहीं


संदीप कुमार बिश्नोई
दुतारांवाली तह0 अबोहर पंजाब


सुनीता असीम

सभी की फिक्र वाला आदमी हूँ।
न मतलब से भरा सा आदमी हूँ। 
***
नहीं रुतबा मेरा तुम तौलना बस।
बड़ा सीधा व  सच्चा आदमी हूँ।
***
कोई भी है नहीं मेरा जहाँ में।
रहा इससे मैं तन्हा आदमी हूँ।
***
मुहब्बत ही रहे मिट्टी में जिसकी।
मैं ऐसे इक वतन का आदमी हूँ।
***
यकीं मुझको नहीं है तोड़ने में।
मैं रिश्ते बस बनाता आदमी हूँ।
***
सुनीता असीम
20/3/2020


सत्यप्रकाश पाण्डेय

निर्भया कांड 


एक अध्याय का समापन
निर्भया को इंसाफ मिला
अमानवीय कृत्य जिनका
उन्हें कुकृत्य का दंड मिला


सौ बार सोचेंगे अब दरिंदे
घिनोने कर्म करने के लिए
मिलेगी आत्मा को शान्ति
निर्भया की रूह के लिए


न्याय प्रति विश्वास जगेगा
बेटियों को संबल मिलेगा
संस्कृति की रक्षा होगी तो
संस्कारों को पोषण मिलेगा


काश सबक ले ले समाज
अंजाम न ऐसी वारदात को
मिले न राष्ट्र को शर्मिंदगी
कोई करे न घ्रणित काम को


नारी नहीं है भोग की वस्तु
अपितु सम्मान है राष्ट्र का
सृजेता है सकल सृष्टि की
यह गौरव हॄदय सम्राट का


बेटी है बहिन है माता यह
है देवी स्वरूपा पूजनीया
हुआ विध्वंस वसुंधरा पर
जब इसे अपमानित किया


बेटी बचाएं व बेटी पढ़ाएं
अब रोपें सदभावों के चमन
नारी प्रति कुंठित भावों को
आज मिलकर कर दें दफन।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


सत्यप्रकाश पाण्डेय

सौदा बनी जिंदगी जग में
सबको पड़ता है मूल्य चुकाना
सम्बन्धों में भी सौदेबाजी
जबरन पड़ रहा आज निभाना


स्वारथ के फंदे में फ़सके
हो रही स्वांसों की भी सौदेबाजी
ममता समता प्रेम वात्सल्य
को करे याराना कौंन है राजी


पति पत्नी या पिता पुत्र
सौदे कहूँ या दूँ रिश्तों का नाम
जहां न आवश्यकता पूरी
टूट रहे रिश्ते इंसान है बदनाम


हर वस्तु की खरीद फरोख्त
सौदे सामाजिक मूल्यों पै भारी
कहीं न शांति सौहार्द यहां
लगी है बड़ा बनने की बीमारी


खरीद रहे है कन्या को वर
लगा रहे है मानवता की बोली
प्यार प्रीति बिके पैसों में
मारें रोज इंसानियत को गोली


जिसके पास धन है भाई
खरीद लो जग में ऐशो आराम
हर चीज का सौदा होता
मानवता नहीं बस चाहिएं दाम।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


संजय जैन बीना (मुम्बई)

*वो अच्छे लगते है*
विधा: कविता


हँसता हुआ चेहरा,
प्यारा लगता है।
तेरा मुझे देखना,
अच्छा लगता है।
घायल कर देती है 
तेरी आँखे और मुस्कान।
जिसके कारण पूरा दिन, सुहाना लगता है।।


जिस दिन दिखे न
तेरी एक झलक।
तो मन उदास सा,
हो जाता है।
क्योंकि,
आदि सा हो गया है, 
तुम्हे देखने को जो।
कैसे समझाए दिल को
जो अब बस में नहीं है।।


तमन्ना है कि वो,
रोज दिखते रहे।
मेरे दिल में,
वो बसते रहे।
कभी तो हम, 
उन्हें पसंद आएंगे।
अलग अलग रास्ते, 
फिर एक हो जाएंगे।।


दिन जिंदगी का वो,
यादगार बन जायेगा।
प्यार का किस्सा,
अमर हो जाएगा।
जिस दिन इतिहास,
इसे दौहरायेगा।
तेरा मेरा प्यार,
दुनियां वालो को
समझ आयेगा।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन बीना (मुम्बई)
20/03/2020


निशा"अतुल्य"

हाल ए दिल
20.3.2020



हाल ए दिल क्या सुनाऊं तुम्हें
कोरोना का हाल समझाऊं तुम्हें
मांसाहार त्याग दो अब तो 
शाकाहार अपनाओ ये बताऊं तुम्हें।


डर डर कर जी रहें हैं सभी यहाँ
महामारी कोरोना है ये बताऊं तुम्हें।


हाथ धोना है बार बार सब को सुनो
घर से बाहर नहीं जाना ये बताऊं तुम्हें।


टूटेगी चैन विषाणु की तब ही 
नहीं मिलेगा गर कोई नया इंसान उसे।


रहो सुरक्षित करो सुरक्षित सबको
हराना कोरोना को है ये बताऊं तुम्हें।


हाल ए दिल नासमझ है बहुत
याद बार बार ये ही दिलाऊं तुम्हें।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


एस के कपूर श्री हंस* *बरेली।*

*इक जंग बन गया है कॅरोना।*
*मुक्तक।*


जिन्दगी जीने  का  अब   इक
ढंग  बन     गया    है  कॅरोना।


अब   बचाव  ही   जीवन  का
अंग   बन   गया  है    कॅरोना।।


सावधानी हटी दुर्घटना घटी के
पीछे पड़ना है   हाथ  धो  कर।


हराना इस   महामारी  को  कि
इक जंग  बन गया है   कॅरोना।।


*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली।*
मो      9897071046
          8218685464


एस के कपूर* *श्री हंस।।।।।बरेली

*जिन्दगी अभी बाकी है।।।*
*।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।*


साठ  के  पार हो  गये  जरूर
पर मानो कि नौजवान हैं।


एक भरी पूरी बगिया के आप
मुखिया     बागवान हैं।।


दूसरी पारी  शुरू  हुई  आपकी
पहली  पारी   के   बाद।
  
जान लो पूरे करने को     अभी 
बहुत  सारे   अरमान  हैं।।


*रचयिता।।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।।बरेली।।।।।*
मोब।।।।9897071046।।
8218685464।।।।।।।।।।


एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली

*कॅरोना एक जंग है।*
*हाइकु।*


बाहर न जा
ज्यादा न घुलो मिलो
हाथ धोता आ


बस नमस्ते
हाथ मिलाना नहीं
प्राण न सस्ते


हाथ ही जोड़
साहस मत तोड़
भीड़ को छोड़


साठ के पार
बचाव ही है रास्ता
हो होशियार


ऊर्जा बढ़ायें
प्रतिरोधक शक्ति
ताकत लायें


रोग कॅरोना
बचाव नहीं किया
जीवन खोना


जनता कर्फ्यू
बाईस मार्च याद
जीवन रफू



*रचयिता।एस के कपूर*
*श्री हंस।बरेली।*
मो    9897071046
        8218685464


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"कसौटी"*
"जीवन का हर कर्म हमारा,
देता फल -
कुछ खट्टा -कुछ मीठा।
हमारे संबंध और कर्म ही,
कसौटी है -
हमारे जीवन की।
हमारे ही कर्मो की परछाई,
पड़ती हैं बच्चों पर-
कसौटी हैं जीवन की।
हार जीत जीवन में साथी,
रखती नही मायने-
तुम्हारे कर्म है कसौटी जीवन की।
हार और हार को स्वीकार करना,
फिर से दुगुने उत्साह से
प्रयास-
कसौटी है जीवन की।
माने न माने सच जीवन का,
सत्य पथ ही है-
कसौटी जीवन की।।"
          सुनील कुमार गुप्ता


राजेंद्र रायपुरी

😌 उसकी लाठी में आवाज कहाॅ॑😌


उसकी लाठी में नहीं, 
                     होती  है  आवाज।
सारी दुनिया देख रही,
                 करतब उसके आज।


जो  तोड़ेगा  जगत  में, 
             विधि का लिखा विधान। 
पड़नी  ही  है  मानिए,
                 आफ़त उसकी जान।


रब ने सब कुछ है दिया, 
                   बिन  मांगे  श्रीमान।
फिर काहे को काज वो, 
                  डाले  साॅ॑सत  जान।


छेड़-छाड़ मत कीजिए,
                कभी प्रकृति से आप।
जो करता सच मानिए,
                  करना  पड़े  विलाप।


छुप सकता उससे नहीं, 
                   किया एक भी पाप।
सी.सी.टी.वी. कैमरा,
                     उसको मानें आप।


           ।। राजेंद्र रायपुरी।।


सत्यप्रकाश पाण्डेय

हे मुरलीधर ऐसा कोई कमाल करो ना
कहदो जन से कोरोना से कोई डरो ना


पुण्यभूमि ये वसुधा जहां अवतार लिया
ऐसी पावन भूमि पर कौंन कष्ट में जिया


सबका कष्ट हरा तो देश का कष्ट हरो ना
हे मुरलीधर ऐसा कोई कमाल करो ना


मोदी जी ने जो आव्हान किया है सबसे
अक्षरशः पालन हो विनती है मेरी सबसे


श्याम सबमें राष्ट्रभक्ति का भाव भरो ना
हे मुरलीधर ऐसा कोई कमाल करो ना


कोई महामारी न घेरे भारत के जन को
विश्व निरोगी रहे करो सुरक्षित जीवन को


सर्वशक्तिमान प्रभु जग में सामर्थ भरो ना
हे मुरलीधर ऐसा कोई कमाल करो ना।


श्रीकृष्णाय नमो नमः💐💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कालिका प्रसाद सेमवाल रुद्रप्रयाग उत्तराखंड

संकल्प लो
*********
भाग्य भरोसे कभी न रहना,
कर्म ही जीवन बनाता,
कर्म जैसे करेंगे वैसा भाग्य बनेगा।


कर्म करो हमेशा अच्छे,
बुरे कर्म है नरक के द्वार,
जो भी अच्छा कर्म करेगा,
उसके जीवन में चमत्कार।


अपने हाथों से कभी किसी को,
नहीं क्षति हम पहुंचायेंगे,
ऐसा संकल्प हमको लेना है,
जीवन में आनंद की अनुभूति हम पायेंगे।
********************
कालिका प्रसाद सेमवाल
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड


हलधर

गीत -जाना होगा 
--------------------


बेसक ढेर लगाया धन का ,यहीं छोड़कर जाना होगा ।
कर्मों  के  ताने  बाने  को , सही जोड़कर जाना होगा ।।


लालच औ आपाधापी में, छूट गए सब काम जरूरी ।
साधन के हम दास बने है , हुई साधना कभी न पूरी ।
रहा घूमता मिथ्य शिविर में ,पैर पटकता रहा तिमिर में ,
आसमान को छूने वाली , चाह  हमेशा  रही  अधूरी ।।


जिस दिन प्राण साथ छोड़ेंगे ,व्योम प्रस्थ को रुख मोड़ेंगे ,
गाड़ी  घोड़ा  छोड़  यहीं  पर , तेज दौड़कर जाना होगा ।।


जिसे मानते है हम अपना ,प्राण देह का भार ढो रहा ।
जीवन रूपी सजी पालकी ,अंतस में भूचाल सो रहा ।
मानस की हैं दोनों भगिनी ,माया मौत नाम की ठगिनी ,
अनजाने में मन बंजारा ,क्यों जी को जंजाल बो रहा ।।


कविता जिंदा बची रहेगी ,बचे रहेंगे छंद सारथी ,
जीवन रूपी इस वीणा के ,तार तोड़कर जाना होगा ।।


लक्ष्य भेदने को क्या आये ,आज कौन से पथ के राही ।
सीधी सच्ची राह छोड़कर , करते आये हम  मनचाही ।
कितने भी हम करें बहाने ,अंत समय वो काम न आने ,
पेशी जिस दिन ऊपर होगी ,तब कर्मों की लगे गवाही ।।


 खाता सबका वहीं खुलेगा ,  सत्य झूठ के साथ तुलेगा ,
गरल भरा गागर में जितना ,यहीं फोड़कर जाना होगा ।।


वृक्ष भांति यह जीवन होवे ,धरती का जो बने आवरण ।
ताजी हवा सदा देता वो ,करता है क्या कभी विष वरण ।
प्यार सिंधु से नहीं तोड़तीं ,अपना रस्ता नहीं छोड़तीं,
नदियों जैसी रखें जिंदगी ,कायम रखतीं उच्च आचरण ।।


दुखियों के संग आह नहीं की ,दुनियां की परवाह नहीं की ,
गुणा भाग छोड़ो "हलधर"अब राह मोड़कर जाना होगा ।।


हलधर-9897346173


भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

*"तोड़ा कौन पहाड़?"*
(कुण्डलिया छंद)
###################
■पाया पालक से सदा, जीवन भर है त्राण।
लेने पर क्यों है तुला? उन देवों के प्राण।।
उन देवों के प्राण, सतत हित सोचा जिनने।
तोड़ा कौन पहाड़? लगा तू कमियाँ गिनने।।
कह नायक करजोरि, भाग निज तुझे खिलाया।
होकर पातक-पोच, सोच क्या तूने पाया??
###################
भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
###################


नूतन लाल साहू

सावधान
हंसकर जी लो
मुस्कुराकर जी लो
कोरोना वायरस से
सावधान होकर जी लो
बासी मुंह गरम पानी
दो तीन गिलास पी लो
मानव जीवन है,अनमोल रतन
सदाचार और संयम से जी लो
पद धन बल,तेरा काम न आयेगा
डाक्टरों का कहना,मानकर जी लो
गरम गरम ताजा ताजा
छत्तीसगढ़ी ब्यंजन खा के जी लो
हंसकर जी लो
मुस्कुराकर जी लो
कोरोना वायरस से
सावधान होकर जी लो
शान शौकत को कुछ दिन भुलाना है
देश को खतरे, से बचाना है
न जाओ,आलीशान होटल
न जाओ,कुछ दिन बार में
घर को बना लो
मंदिर मस्जिद, तुम
हंसकर जी लो
मुस्कुराकर जी लो
कोरोना वायरस से
सावधान होकर जी लो
मुर्गी बकरा,तो
बार बार मिल जायेगा
मानव जीवन को
दोबारा नहीं पायेगा
हम फूल कली है
महफ़िल बगिया के
वीर सपूत सरहद पे अड़ा है
मान मान कहना को, मान
हंसकर जी लो
मुस्कुराकर जी लो
कोरोना वायरस से
सावधान होकर जी लो
नूतन लाल साहू


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"कहाँ-नहीं हो?"*
"नित दिन भजता रहा तुमको ,
प्रभु जन जन कण कण में-
कहाँ -नही हो प्रभु?
ढूँढ़ता रहा तुम्हें प्रभु पल पल,
मंदिर मस्ज़िद गुरूद्वारें में-
कहीं न मिले तुम प्रभु।
जपता रहा तुमको मन से,
 करता रहा सद्कर्म-
अर्धनिंद्रा में देखा संग हो प्रभु।
ढूँढ़ता रहा जग में तुमको प्रभु,
अब सोचता हूँ -
कहाँ- नहीं हो प्रभु तुम?
जन जन में कण कण में,
समाये प्रभु-
कहाँ-नहीं हो तुम?
ःःः          सुनील कुमार गुप्ता
       19-03-2020


सुनीता असीम

घर घरों में मन रहा मातम रहा।
ये करोना ले रहा बस दम रहा।
***
धो रहे हम हाथ बारम्बार पर।
वैद्य कहते और धोओ कम रहा।
***
मास्क पहने घूमता है आदमी।
मौत के वो ख़ौफ से बेदम रहा।
***
जिंदगी की जानता कीमत नहीं।
कितना बेपरवाह ये आदम रहा।
***
जान जानी एक दिन कहता यही।
सामने पर रोग के पुरनम रहा।
***
है परेशाँ आपका आजम बड़ा।
बाद कुछ दिन के नहीं कुछ ग़म रहा।
***
आज लड़ना है करोना से हमें।
जीतना है तो लड़ो जो दम रहा।
***
सुनीता असीम
19/3/2020


22 मार्च जनता कर्फ्यू प्रधानमंत्री जी का सन्देश

कोरोना की महामारी देश में रविवार 22 मार्च को जनता कर्फ्यू / प्रधानमंत्री महोदय की अपील- सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू लगाएं, बाकी समय में भी जरूरी न हो तो घर से न निकलें


हमें बचाव के लिए खुद संयम का संकल्प लेना होगा।



नई दिल्ली. देश में कोरोनायरस के बढ़ते मामलों और गंभीर होते हालात के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने गुरुवार को देश को संबोधित किया। उन्होंने रविवार यानी 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू लगाने की बात कही,यह जनता के लिए, जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू होगा। उन्होंने कहा कि इस  के दौरान कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर न निकले। शाम 5 बजे अपने-अपने घरों में से ही ताली बजाकर, थाली बजाकर, घंटी बजाकर एकदूसरे का आभार जताएं और इस वायरस से लड़ने के लिए एकजुटता दिखाएं।


प्रधानमंत्री जी  यह भी कहा कि हर देशवासी अगले कुछ हफ्तों तक बहुत जरूरी न होने पर बाहर जाने से बचे। 60 से 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के बुजुर्ग घर में ही रहें। 
8 सबसे अहम मुख्य बातें-


1. जनता कर्फ्यू -रविवार 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक



‘‘ जब युद्ध की स्थिति होती थी, तब गांव-गांव ब्लैकआउट होता था। युद्ध न हो, तब भी साल में एक-दो बार नगर पालिकाएं ब्लैकआउट का ड्रिल करवाती थीं। इसलिए मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं। ये है- जनता कर्फ्यू। स्वेच्छिक कर्फ्यू। इस रविवार यानी  22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू का पालन करना है।’’


प्रधानमंत्री ने अपील की है कि इस जनता कर्फ्यू के दरमियान कोई भी नागरिक घरों से बाहर न निकले। न सड़क पर जाए। न सोसाइटी-मोहल्ले में लोग इकट्ठे हों। लोग अपने घरों में ही रहें।


इस पर अमल कैसे होगा?
प्रधानमंत्री ने देश की सभी राज्य सरकारों से जनता कर्फ्यू को अमल में लाने की कोशिशें करने को कहा है। एनसीसी, खेल संगठन और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों से भी इसके लिए जागरुकता लाने की अपील की है। मोदी जी ने कहा- आप हर दिन 10 नए लोगों को फोन करके इस वैश्विक महामारी और जनता कर्फ्यू की बात बताएं और समझाएं।


जनता कर्फ्यू जरूरी क्यों ?
मोदी जी ने कहा- यह जनता कर्फ्यू हमारे लिए एक कसौटी की तरह होगा। यह कोरोना जैसी लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार है, यह देखने-परखने का भी प्रयास होगा। जनता कर्फ्यू की कामयाबी और इसके अनुभव हमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे।


2. दूसरों की सेवा करने वालों का आभार : रविवार 22 मार्च शाम 5 बजे


मोदी ने कहा- 22 मार्च को मैं आपसे एक और सहयोग चाहता हूं। साथियो! पिछले दो महीनों से लाखों लोग अस्पतालों, एयरपोर्ट, दफ्तरों, शहर की गलियों में दिन-रात काम में जुटे हैं। डॉक्टर , नर्स , हॉस्पिटल का स्टाफ हो, सफाई करने वाले भाई-बहन हों, मीडियाकर्मी हों, पुलिसकर्मी हों, ट्रांसपोर्ट वाले हों, होम डिलिवरी करने वाले हों, ये लोग अपनी परवाह न करते हुए दूसरों की सेवा में लगे हैं। आज की परिस्थितियां देखें तो ये सेवाएं सामान्य नहीं कही जा सकतीं। आज भी ये खुद के संक्रमित होने का खतरा मोल ले रहे हैं, फिर भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। ये अपने आप में राष्ट्र रक्षक की तरह कोरोना महामारी और हमारे बीच में शक्ति बनकर खड़े हैं। देश ऐसे सभी छोटे-बड़े व्यक्तियों और संस्थाओं का कृतज्ञ है। मैं चाहता हूं कि 22 मार्च को ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें। यह तरीका भी सभी के बीच सेतु बन सकता है।


लोगों काे करना क्या होगा?
प्रधानमंत्री ने कहा- जनता कर्फ्यू के दिन शाम 5 बजे हम अपने घर के दरवाजे पर खड़े होकर या बालकनी या खिड़कियों के सामने खड़े होकर 5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें। इसके लिए ताली बजाकर, थाली बजाकर, घंटी बजाकर हम उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें, उनका हौसला बढ़ाएं और उन्हें नमन करें।


इस पर अमल कैसे होगा?
 स्थानीय प्रशासन द्वारा इस पर अमल किया जायेगा। 22 मार्च को शाम 5 बजे आपको सायरन सुनाई देगा ताकि अपने घर के दरवाजों और खिड़कियों तक पहुंच सकें।


इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
देश में पुलिसकर्मियों की संख्या 19 लाख के आसपास है। ये सभी ऑन ड्यूटी हैं। देशभर में 22 लाख हेल्थ वर्कर्स हैं। इनकी काेरोनावायरस को कंट्रोल करने में अहम भूमिका है। देश में 12 लाख डॉक्टर्स हैं। हर 10,926 नागरिकों पर एक सरकारी डॉक्टर है।


3. अस्पताल न जाएं
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे अस्पतालों पर दबाव बढ़ना नहीं चाहिए ताकि डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को इस महामारी को प्राथमिकता देने की सुविधा बने। रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल जाने की हमारी आदत से बचना चाहिए। जितना बच सकें, बचना चाहिए। आपको बहुत जरूरी लग रहा हो तो अपने फैमिली डॉक्टर या जान-पहचान के डॉक्टर से फोन पर ही आवश्यक सलाह ले लें। अगर आपने इलेक्टिव सर्जरी, जो बहुत आवश्यक न हो, उसकी तारीख ले रखी है तो इसे भी आगे बढ़ा दें।


4. अर्थव्यवस्था, मिडिल क्लास और गरीब
अर्थव्यवस्था : मोदी ने कहा- इस वैश्विक महामारी का अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। हमने काेविड-19 इकोनॉमिक टास्क फोर्स के गठन का फैसला लिया है। यह टास्क फोर्स सभी राज्यों से फीडबैक लेते हुए, आकलन लेते हुए निकट भविष्य में फैसले लेगी। यह टास्क फोर्स यह भी सुनिश्चित करेगी कि जितने भी कदम उठाए जाएं, उन को क्रियान्वित किया जाय।


मिडिल क्लास, गरीब, प्रधानमंत्री ने आग्रह किया- निश्चित तौर पर इस महामारी ने मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और गरीब को भी क्षति पहुंचाई है। उच्च आय वर्ग से भी आग्रह है कि संभव हो ताे जिन-जिन लोगों से आप सेवाएं लेते हैं, उनका ध्यान रखें। हो सकता है कि आने वाले दिनों में वे दफ्तर न आएं, तो उनका वेतन न काटें। पूरी संवेदनशीलता के साथ फैसला लें। हमेशा ध्यान रखें कि उन्हें भी अपना परिवार चलाना है और परिवार को बीमारी से बचाना है।


5. दूध, खाने-पीने की जरूरी चीजें
मोदी ने कहा- मैं देशवासियों को इस बारे में आश्वस्त करता हूं कि दूध, खाने-पीने का सामान, दवाइयां और जरूरी चीजों की कमी न हो, इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। ये सप्लाई कभी रोकी नहीं जाएगी। इसलिए जरूरी सामान संग्रह करने की होड़ न लगाएं। पहले की तरह सामान्य खरीदारी ही करें। 


6. संकल्प और संयम से काम ले।-घर से काम करें, सीनियर सिटिजन बाहर न निकलें
संकल्प : प्रधानमंत्री जी ने कहा- आज हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों काे भी संक्रमित होने से बचाएंगे।


संयम- मोदी जी ने कहा- इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए दूसरी अनिवार्यता है संयम। और संयम का तरीका क्या है? भीड़ से बचना, घर से बाहर निकलने से बचना, आजकल जिसे सोशल डिस्टेंसिंग कहा जा रहा है। कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में सोशल डिस्टेंसिंग ज्यादा आवश्यक और कारगर है। अगर आप को लगता है कि आप ठीक हैं और आपको कुछ नहीं होगा, आप ऐसे ही मार्केट में सड़कों पर जाते रहेंगे और कोरोना से बचे रहेंगे तो ये सोच सही नहीं है। ऐसा करके आप अपने और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे। मेरा देशवासियों से पुनःआग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक जब बहुत जरूरी हो, तभी अपने घर से बाहर निकलें। चाहे काम ऑफिस, बिजनेस से जुड़ा हो, वह काम घर से ही करें। एक और आग्रह है, परिवार में जो भी सीनियर सिटिजन हैं जो 60- साल से ज्यादा आयु वाले हैं, वे आने वाले कुछ हफ्ते आवाजाही से विरत रहें और घर से बाहर न निकलें।


7. मोदी जी ने कहा- मैंने आपसे जो भी मांगा, आपने कभी निराश नहीं किया
 ‘‘प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना, सतर्क रहना बहुत आवश्यक है। साथियो! आपसे मैंने जब भी जो भी मांगा है,  ये आपके आशीर्वाद की ताकत है कि हम सब मिलकर अपने निर्धारित लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ रहे हैं और सफल भी हुए हैं। आज मैं आप सभी  130 करोड़ देशवासियों , आप सभी से कुछ मांगने आया हूं। मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए। आपका आने वाला कुछ समय चाहिए।’’


8. नवरात्रि में शक्ति के साथ आगे बढ़ने की अपील
मोदी ने कहा, ‘‘हमें अभी अपना सारा सामर्थ्य खुद को कोरोना से बचाने में लगाना है। आज देश में केंद्र सरकार हो, राज्य सरकाों हों, पंचायतें हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस वैश्विक महामारी से अपना योगदान दे रहा है। आपको भी अपना पूरा योगदान देना है। ये जरूरी है कि वैश्विक महामारी के इस वातावरण में मानव जाति विजयी हो, भारत विजयी हो। कुछ दिन में नवरात्रि का पर्व आ रहा है। यह शक्ति उपासना का पर्व है। भारत पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़े। इस संकल्प को लेकर आवश्यक संयम करते हुए आओ, हम भी बचें, देश को भी बचाएं। जगत को बचाएं। मैं आग्रह करूंगा जनता कर्फ्यू और सेवा करने वालों का धन्यवाद अर्पित करने के लिए।’’


प्रधानमंत्री की अपील- सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू लगाएं, बाकी समय में भी जरूरी न हो तो घर से न निकलें


कोरोना अफवाह से बचे सुरक्षित रहे

कोरोना से बचे प्रमाणित पुस्तक पढ़े


रीतु प्रज्ञा      करजापट्टी ,दरभंगा , बिहार

लघु कथा
दिनांक-19-03-2020
शीर्षक:-कोरोना से बचाव


बारह साल की गुड़िया बाहर से खेलकर आयी और रसोईघर में जाकर पापड़ खाने लगती है ।
   "गुड़िया तुम हाथ साबुन से साफ की हो?" उसकी माँ इन्दु जी पूछी।
    "नहीं ,पर क्यों?"गुड़िया बोली।
    जब तक उसकी माँ उसे कुछ बताती ,वह पापड़ खाकर फ्रिज से पानी का बोतल ले आती है।वह गिलास में पानी पीने के लिए डालती है।
      "रूको , ठंडा पानी नहीं पियो। पूरे विश्व में कोरोना वायरस चीन से फैल गया है।इसके कारण लाखों व्यक्ति बीमार  हो गए हैं।हजारों  व्यक्ति मौत की नींद में सो गए हैं। हमें इससे बचने के लिए सावधान रहना होगा।" इंदु जी बोली
    "माँ क्या -क्या सावधानी बरतनी होगी"गुड़िया पूछी।
   " खाने से पहले,किसी अनजानी वस्तुओं ,गंदी वस्तुओं को छूने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह साफ करें। गुनगुना पानी पीए।किसी से भी हाथ नहीं मिलाए। भीड़भाड़ वाली जगहों में नहीं जाएं।खांसते समय रूमाल को मुँह पर रखें।जिस व्यक्ति को सर्दी, खाँसी ,बुखार और साँस लेने में दिक्कत है तो एक मीटर की दूरी बनाए रखें।ऐसे व्यक्ति को डॉक्टर के पास जाने की सलाह दें।स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।सावधानी बरतने से यह बीमारी नहीं फैलेगी।" इंदु जी समझाते हुए बोली।
   " ठीक है माँ, मैं इन सावधानियों को  अपनाकर स्वस्थ रहूँगी।इसके बारे में सहेलियों को भी बताऊँगी।" गुड़िया मुस्कुराते हुए बोली। वह साबुन से हाथ साफ करती है।उसके पापा खाँस रहे हैं।वह उन्हें रूमाल देकर मुँह पर रखने के लिए कहती है।
            रीतु प्रज्ञा
     करजापट्टी ,दरभंगा , बिहार
स्वरचित एवं मौलिक


कुमार कारनिक  (छाल, रायगढ़, छग)


      *जल/नीर*
   मनहरण घनाक्षरी
       --------------
जल   बिन  मिले  पीर,
जल  बिन   हो  अधीर,
जग   सारा  जलता  है,
      समझ भी जाईये।
💧
जीवन   दायिनी   यही,
शीतल  जो  धार  बही,
सबकी  बुझाये  प्यास,
        व्यर्थ न बहाईये।
💦
जल   बिन  सुना  जग,
कष्ट   मिले   पग - पग,
जल  से  ही  जीवन  है,
        भूल मत जाइये।

संरक्षण   करो     जल,
तभी     सुनहरा   कल,
भावी पीढ़ियों के लिए,
      जल को बचाइये।


        💧💦
                 *******


कुमार कारनिक
 (छाल, रायगढ़, छग)


हलधर

ग़ज़ल (हिंदी)
-----------------


उतर आयी  ग़जल  देखो  हमारे  गांव  शहरों  से ।
अदब हमको सिखाएगी निकलकर मूक वहरों से ।।


गरीबी भुखमरी भी देखकर सजदा करेंगी अब ,
मिटेगी प्यास जब उनकी नवेली आब नहरों से ।


परिंदे  भी  तसल्ली  से  करेंगे  लूट पानी की ,
अभी तक ले रहे थे आसरा जो कूप ढहरों से ।


सिसकती जिंदगी भी खिलखिलाकर बोल पाएगी ,
निकलआएगी वो  बाहर कड़े गुरबत के पहरों से ।


जहां बचपन बिलखता भूख से देखा जमाने ने ,
बचाएगी ग़जल मेरी उन्हें जालिम के कहरों से ।


सही मुद्दे पे लिखता हूँ ग़जल को आम भाषा में ,
नहीं है दुश्मनी मेरी अरब  फारस  की  बहरों से ।


अदीबों की नयी पीढ़ी से "हलधर "की गुजारिश है ,
मुखौटे  जो  बदलते  हैं  बचो  उन  फेक  चहरों से ।


        हलधर -------9897346173


प्रखर दीक्षित* *फर्रुखाबाद*

*सुप्रभातम्*
(कन्नौजी रस रंग)
*याचना प्रभु से.....*


संकट टारौ संकट मोचन, बजरंग सहाय होवहु प्रभुवर।
अखिल विश्व मँह घन संकट कै, भ़य व्यापक कज़ा टरै सत्वर।।
हे रामदूत हनुमंत लाल , विपदा को ओर न छोर कहूँ,
हौं सरन तुम्हारी प्रणति प्रखर, सुख चैन निरोग रहें घर-घर।।


तुमनै सुरसा कै पत राखी , गए लांघि जलघि शत योजन धर।
सुधि लीन्ह जानकी लंक जारि, अति भयाक्रांत खल दशकंधर।।
द्रोणागिरि  जाय संजीवनि लई, सौमित्र कै प्रान पचास लीन्ह,
सोई कृपा करौ विपदाहारी, निष्कंटक जीवन जय हरिहर।।


*प्रखर दीक्षित*
*फर्रुखाबाद*


Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...