मासूम मोडासवी

सब्रो-करार दिलका बचाया न जा सका
उनको गलेसे अपने लगाया न जा सका


जब भी  मिले वो इतने उलजे हुवे मिले
अपने गमोंका हाल सुनाया न जा सका


रौशन रहा जहां मेरा जिनके खयाल से
रीश्ता हयात भर का निभाया न जा सका


कितने  लम्हे हमको  मयस्सर रहे  मगर
दिलका जख्म भी उनको बताया न जा सका


पीछा कभीन छुटा जलती रही अगनसी
मासूम सुलगते मनको बुजाया न जा सका


                        मासूम मोडासवी


रामनाथ साहू " ननकी "                                   मुरलीडीह

कुण्डलिया 


कविता मनकी  उपज है , जो देखा त्यों बोय ।
भाव कलम से बाँधते  , लेखन कला सँजोय ।।
लेखन कला सँजोय , चित्र जब लगे सुहाने ।
होवे मनः अधीर , ह्रदय हो  तब अकुलाने ।। 
कह ननकी कवि तुच्छ , बहे रस प्रवाह सहिता । 
गीत ग़ज़ल तट बद्ध , धार सी बहती कविता ।।


                         💐💐


कविता कवि की प्रेयसी , हृदय भाव का सार ।
व्योम दिशा बहु कल्पना , उडे़ पखेरू प्यार ।।
उड़े पखेरू प्यार , सत्य का  करता दर्शन ।
पाता मन विश्रांति , पुष्प दल करता अर्चन ।।
कह ननकी कवि तुच्छ ,शब्द प्रक्षालित सरिता ।
प्रगटे कर श्रृंगार , पटल पर प्यारी कविता ।।


                       💐💐💐


कविता सुंदर वृक्ष है ,भांति भांति फल फूल ।
गहरी हैं इनकी जड़ें , कहीं गन्ध अरु शूल ।।
कहीं गंध अरु शूल , काव्य को करे सुवासित ।
बनते प्रेरक भाव , कर्म पथ प्रखर प्रवाहित
कह ननकी कवि तुच्छ , ललित लय ललकित ललिता ।
कालजयी कमनीय , केलि कल करती कविता ।।



                     ~ रामनाथ साहू " ननकी "
                                  मुरलीडीह


हलधर

कविता - कोरोना से लड़ना होगा 
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कोरोना से लड़ना होगा , भीड़ भाड़ से बचना  होगा ।
बीच राह में यह मत पूछो ,कितनी मंजिल और बची है ?


हम सब एक डगर के राही ,साथ साथ सबको चलना है ।
तपती धरती की छाती पर ,  हमको गलना या जलना है ।
भीड़ भाड़ का कफनओढ़कर , दानव घूम रहा बन ठनकर ,
मौत सहेली से मत पूछो ,कितनी मलमल और बची है ?1


विष कण हमें डराने आया , छोटा मोटा कीट मान कर।
पूरी दुनियां में यह छाया   , डरे हुए सब देश जान कर।
शुरुआत के संक्रमण  में , बैठे रहे देश कुछ  भ्रम में ,
मरघट उनसे पूछ रहा अब,कितनी हलचल और बची है ?2


राजा आज बना बैठा है  , सकल विश्व का यह कोरोना ।
जीवन लीला के उपक्रम में , आदम भी दिखता है बौना।
अब भी मौका कर्म सुधारो ,आने वाला जन्म सुधारो ,
कीचड़ में घुस यह मत पूछो ,कितनी दलदल और बची है ?3


लख चौरासी जन्म हुए हैं ,तब यह मानस देह मिला है ।
अच्छे कर्मों के बदले में  , भारत माँ का नेह मिला है ।
भारत ही इससे जीतेगा  , "हलधर"बुरा समय बीतेगा ,
रात ठिठुरती से मत पूछो ,कितनी कम्बल और बची है ?
बीच राह में यह मत पूछो ,कितनी मंजिल और बची है ?4


हलधर-9897346173


बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - (बिन्दु) बाढ़ - पटना

कोरोना


वायरस कोरोना 


जैविक  तत्वों से बना वायरस
अंदर  जब  घुस  जाता है
बारह      धंटे      पूरे      होते  
और  फिर  मर  जाता  है।
बारह  दिनों तक ऊपर - ऊपर
गला  नाक फंस जाता है
हल्की   बुखार   दर्द   देह   में 
खाँसी  से  लद  जाता  है।
महामारी   कितने   ही   आए 
अब   कोरोना   भारी   है
हैजा   प्लेग  न  जाने  कितने
आते  ये  बारा  -  बारी है।
बचपन   से  पचपन  तक  मैंने
बहुत  कुछ  ऐसे  देखे  हैं
षड्यंत्र  दवा  माफियाओं  का 
कुछ अलग इनके ठेके हैं।
अरबों   के   धंधा   हैं   चलते
जनता तो पागल अंधी है
गुमराह  में  हम सब रह जाते   
आदत  बड़ी  ये  गंदी  है।
पैंतिस   डिग्री  तापमान  तक
वह  जिंदा  रह सकता है
अगर  बढ़ा  यह तापमान  तो
कोरोना   मर  सकता  है।
आओ  जतन  करें हम अपना
देखे   फिर  सुंदर  सपना
साफ   सफाई   और  दूरी  से
सार्थक होगा अब बचना।
वायरस  वुहान  में  जन्मा था
चार  सौ माइक्रोन वाला
अमेरिका फ्रांस इटली जर्मनी
सबका  है हुआ दिवाला।
गुणांको  में  यह  फैल रहा है
कोई   है   नहीं   अछूता
होता  है  खिलवाड़  चीन  में
मारो  अब  उनको  जूता।
जागृत   है   सरकार  हमारी
हाथ  में  हाथ  दें  उनका
थोड़ा कष्ट मिलकर सह लेंगे
होगा  भला  फिर सबका।


बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - (बिन्दु)
बाढ़ - पटना


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"स्वप्न देख सुन्दर चीजों का"


(वीर छंद में)


प्रति पल रखना अच्छी सोच, देख स्वप्न सुन्दर चीजों का.,
कर अपना नैतिक उपचार, स्वप्न देख सुन्दर बनने का.,
बनने पाये कभी न ग्रन्थि, रखो हृदय को साफ हमेशा.,
मन के कलुषित भाव निकाल, हाथ जोड़कर मिलो सभी से.,
सेवा करने की ही सोच, चिन्तन मनन सदा हो पावन.,
सदा प्रीति से नाता जोड़, दिल दरिया में प्रेम वारि हो.,
सत्ताच्युत के प्रति सम्मान,रखना सबसे बड़ी बात है.,
सत्तासीनों का सम्मान,करते सब हैं स्वार्थ भाव में.,
सुन्दर बनने की यदि चाह, करो सुन्दरम का अन्वेषण.,
सुन्दर बनने का संकल्प, लेकर बढ़ते रहो निरन्तर.,
बन जाओगे सुन्दर विश्व, यदि संकल्प सदा सुद्रढ़ हो.,
मन में रखना पावन ख्वाब, चलो ख्वाब के संग हमेशा.,
जिन्दा दिल से करना काम,सुन्दर स्वप्न साकार दिखेगा.,
पूजेगा यह सारा विश्व, विश्व चाहता सर्वोत्तम है.,
सुन्दर है पहला सोपान, धीरे-धीरे पहुँच शिखर तक.,
खड़े शिखर पर हैं भगवान,हो जायेगा दर्शन निश्चित.,
निश्चित कर सुन्दर अभ्यास,सुन्दरता जीवन-अभीष्ट हो।


नमस्ते हरिहरपुर से---डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"कविता बहती"


कविता कहती बहती चलती,
लिख ना लिखती उठती खुद ही,
परेशान न होवो सुनो कवि जी,
मैँ स्वयं उठती खुद ही बनती।


मैँ स्वतंत्र शिरोमणि नारि-कला,
मुझको मत जान कभी अबला,
मैँ सशक्त सहस्रभुजा प्रबला,
अमरावति अमृत -पय सबला।


जिसपर खुश होती हूँ जान उसे,
वह विश्व गुरू बन जात तभी,
मैँ छुपी रहती अति सज्जन में,
अति कोमल में अति भावुक में।


मैँ हूँ भाव स्वयं में विचार स्वयं,
मुझको समझो आवेश स्वयं,
बहती मैँ धरा पर देख दशा,
चलती रहती बहती हूँ स्वयं।


मैँ चतुर्दिक घूमत देखत सब,
लिखती खुद हूँ मैँ अनन्त शवद,
कुछ भी नहिं बचता है शेष यहाँ,
सब उड़ेलत जात स्वयं कविता।


मैँ बनी सरिता शुभ चिन्तक सी,
जग को रसपान कराती सदा,
चलती चल जात बिना रुकते,
बहती रहती कवि के उर में।


नमस्ते हरिहरपुर से---


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"मेरी पावन मधुशाला"


साफ-स्वच्छता से समझौता कभी नहीं करता प्याला,
मन अरु उर की साफ-सफाई में रत रहती है हाला,
पर्यावरण को स्वस्थ बनाने को कटिवद्ध सदा साकी,
सुघर मनोहर दिव्य पावनी गंग बहाती मधुशाला।


दूषित जन अरु विषय-विषैला से अति दूर खड़ा प्याला,
शुद्ध आचरण हेतु बनी है अति  विशिष्ट संस्कृति हाला,
पावन संस्कृति का उपदेशक मेरा  श्रीमन साकी है,
सत सुबोधिनी परम पावनी शिष्ट भावनी मधुशाला।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"प्रीति मधुर मादक रस बरसत"


रस बरसत अतिशय मन हरसत
प्रीति मधुर मादक रस बरसत।


रस रस टपकत हिय मन महकत
गम गम गमकत अतिप्रिय हरकत।


बह बह बहक़त सतत चपल मन
सर सर सरकत घुमड़ घुमड़ घन।


फड़ फड़ फड़कत अंग अंग संग संग
दंग दंग होत देखि मन के उमंग गंग।


संग संग नृत्य करत उर संग मन मथ
उभय अभंग होय चढ़त मनज रथ।


करतल वीन बजत  मन उर मह
सहज सयन करत कामदेव रति सह।


नमस्ते हरिहरपुर से---


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ0 विद्यासागर मिश्र सीतापुर/लखनऊ

23 मार्च शहीदी दिवस
याद करता हूँ जब देश के सपूतों को तो,
राणा, भामा, शिवा जी का त्याग लिखता हूँ मैं।
भगत व राजगुरु और सुखदेव जी का,
क्रांतिकारी प्रेरणा का राग लिखता हूँ मैं।
सराबोर रक्त से हुई थी धरती जहाँ की,
वहाँ पर जलियांवाला बाग लिखता हूँ में।
डायर को फायर से मारा उधमसिंह ने था,
उसके ह्रदय में भरी आग लिखता हूँ में।
रचनाकार
डॉ0 विद्यासागर मिश्र
सीतापुर/लखनऊ
उत्तर प्रदेश


डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, "प्रेम"

 महामारी से संबंधित कुछ हाइकु।


कोरोना रोगी।
देश का नागरिक।
 विदेश भोगी।


 हाथ धो लेना ।
 भीड़ कम करो ना।
 रोको  कोरोना।


 पूजा नमाज।
 पीड़ित है समाज।
 एकाकी काज।


व्यापारी भाई ।
कोरोना महामारी।
 देश में छायी।


 मॉल में ताले।
 स्कूल कॉलेज वाले।
 मस्ती के लाले ।


कोरोना खौफ।
महामारी बेखौफ।
त्याग दो शौक।


 घर में रहें।
 बाहर ना निकलें।
 मृत्यु से बचें।


डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, "प्रेम"


डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक, अल्मोड़ा

अपनी स्वरचित कविता कोरोना वायरस पर प्रस्तुत है
 शीर्षक - *आया है कोरोना*
विधा- *अतुकान्त*


आया है 'कोरोना',
अपनी रक्षा के लिए डरो ना।।


यह चीन के वुहाना से प्रकट होकर आया है।
एक दूसरे के संपर्क में आने से विश्व में मँडराया है।
यह कोरोनासुर ने सारे जग में त्राहि-त्राहि मचा दी है।
पूरे विश्व में एक तृतीय विश्व युद्ध की अनोखी हलचल मचा दी है।
अब इससे किसी भी तरह आप बचो ना।
आया है कोरोना, अपनी रक्षा के लिए डरो ना।।


यह ऐसा नहीं है कि जो सामने से आकर लड़ेगा।
यह ऐसा नहीं है जो शरीर में घुसने से पहले दिखेगा।
छूने मात्र से ही यह संक्रमित हो जाता है।
हाथों में आते ही शरीर में प्रविष्ट हो जाता है।
जरूरी है सभी को खाने से पहले साबुन से हाथ धोना।
आया है कोरोना अपनी रक्षा के लिए डरो ना।।


न यह कोई आतंकी, उग्रवादी नहीं दुश्मन है।
बल्कि अदृश्य, अद्भुत द्रुतगामी जानलेवा वायरस है।
यह किसी जाति-धर्म देशी-विदेशी अमीर-गरीब की पहचान नहीं करता।
यह मिलन-संगत-स्पर्श, असावधानी, अस्वच्छता से है फैलता।
आज इसके भय से सावधान रहो ना।
आया है कोरोना, अपनी रक्षा के लिए डरो ना।।


अपने आपको बचाओगे तो घर परिवार बचेगा।
गांव बचेगा, समाज बचेगा, प्रांत व देश बचेगा।
इस घड़ी में अपनी रक्षा व बचाव ही लोक कल्याण है।
सबको इससे बचने का उपाय बताना ही जीवनदान है।
आज मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ाओ ना।
आया है कोरोना, आत्मरक्षा के लिए डरो ना।।


ना किसी से मिलना है, ना किसी को छूना है।
दूरी रखकर बातें करनी, न किसी से हाथ मिलाना है।
जो भी सामान घर में आए उसके पैकेट धोना है।
साबुन से ठीक से हाथ धोकर सैनिटाइज लगाना है।
अगर जरूरी बाहर जाना तो मुंह में मास्क लगाओ ना।
आया हैं कोरोना, अपनी रक्षा के लिए डरो ना।।


कहीं से घर आते हो तो बाहर के वस्त्र उतारो। 
बाहर ही खूंटी से टाँगो   जूते चप्पल खोलो।
हाथ पांव साबुन से धोकर फिर घर अंदर आओ।
कहीं किसी के निकट न जा ना बच्चा गोद उठाओ।
नहीं किसी के आगे बिन कपड़े के खांसी छींको ना।
आया है कोरोना अपनी रक्षा के लिए डरो ना।।


डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक',
29, लक्ष्मी निवास,
 कर्नाटक पुरम, मकेड़ी,
अल्मोड़ा, पिन-263601
 उत्तराखंड, भारत।
मो०नं० 9410700432


नन्दलाल मणि त्रिपाठी (पीताम्बर ) सम्पादक काव्यरंगोली

बलिदान दिवस


हुंकार आज़ादी के  जवा जज्बा ज्वाला कराल विकट विकराल चिराग मशाल !!
 हिम्मत हौशलों के जाबाज़ जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसे का अभिमान !!
 आज़ादी के दीवाने परवाने मुल्क की आज़ादी के चिराग प्रज्वालित प्रकाश प्रवाह !!
 वतन के जर्रे जर्रे का  प्यार वतन की नूर नज़र वतन की नाज़ नाज़ !!
 वक्त की नब्ज़ नज़ाकत तारीख की पहचान ,तमाम दुश्वारियो के वज़्म वजूद गुलामी की विरासत की दंश को ध्वस्त नष्ट करते इरादों के फौलाद !!
 गुलामी की हुकूमत गुरूर को तार तार करते उनकी औकात अक्ल की शक्ल को आईना दिखाते अरमानो के जमीं आसमान !! चुनौतियों की चुनौती हालात के सीने को चीरते खुद की चाहत की राह की इबारत लिखते शेर की गौरव गर्जना के सिंह भगत ,
 इरादों की बुलंदियों के वतन पर जा निसार का जज्बात राजा राजगुरु बेमिशाल !!
 सूरमां वीर धीर गंभीर त्याग बलिदान का सत्य सत्यार्थ वतन पर मर मिटनेवाला मतवाला शुखदेव !!
 अन्याय अत्याचार की हुकूमत गुलामी की जंजीरों को  तहस नहस करते गुलामी के हुक्मरानो के परिंदा भी पर नहीं मार सकता के दावे के दुर्ग ब्रिटिश असेम्बली को बारूद के धमाकों धुएं से कराया हद हैसियत का एहसास !!
 असेम्बली के धमाकों से जवा जज्बे को जगाया आज़ादी के जज्बे के तूफ़ान की बुनियाद भगत ,राज गुरु सुकदेव वतन की अस्मत हस्ती पर कुर्बान तारीख की अज़ीमों शक्शियत शान स्वाभिमान !!नन्दलाल मणि त्रिपाठी (पीताम्बर )


कोरोना स्टेज जागरूकता सीमा गुप्ता समीक्षा अधिकारी सचिवालय लखनऊ के व्हाट्सएप्प से साभार

कोरोना स्टेज 


*ये स्टेज क्या होती हैं?*


पहली स्टेज


विदेश से नवांकुर आया। एयरपोर्ट पर उसको बुखार नहीं था। उसको घर जाने दिया गया। पर उससे एयरपोर्ट पर एक शपथ पत्र भरवाया गया कि वह 14 दिन तक अपने घर में कैद रहेगा। और बुखार आदि आने पर इस नम्बर पर सम्पर्क करेगा।
घर जाकर उसने शपथ पत्र की शर्तों का पालन किया।
वह घर में कैद रहा।
यहां तक कि उसने घर के सदस्यों से भी दूरी बनाए रखी।


नवांकुर की मम्मी ने कहा कि अरे तुझे कुछ नहीं हुआ। अलग थलग मत रह। इतने दिन बाद घर का खाना मिलेगा तुझे, आजा किचिन में... मैं गरम गरम् परोस दूं।


नवांकुर ने मना कर दिया।


अगली सुबह मम्मी ने फिर वही बात कही। इस बार नवांकुर को गुस्सा आ गया। उसने मम्मी को चिल्ला दिया। मम्मी की आंख में आंसू झलक आये। मम्मी बुरा मान गयीं।


नवांकुर ने सबसे अलग थलग रहना चालू रखा।


6-7वें दिन नवांकुर को बुखार सर्दी खांसी जैसे लक्षण आने लगे। नवांकुर ने हेल्पलाइन पर फोन लगाया। कोरोना टेस्ट किया गया। वह पॉजिटिव निकला।
उसके घर वालों का भी टेस्ट किया गया। वह सभी नेगेटिव निकले।
पड़ोस की 1 किमी की परिधि में सबसे पूछताछ की गई। ऐसे सब लोगों का टेस्ट भी किया गया। सबने कहा कि नवांकुर को किसी ने घर से बाहर निकलते नही देखा। 
चूंकि उसने अपने आप को अच्छे से आइसोलेट किया था इसीलिए उसने किसी और को कोरोना नहीं फैलाया।
नवांकुर जवान था। कोरोना के लक्षण बहुत मामूली थे। बस बुखार सर्दी खांसी बदन दर्द आदि हुआ। 7 दिन के ट्रीटमेंट के बाद वह बिल्कुल ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी पाकर घर आ गया।


जो मम्मी कल बुरा मान गईं थीं, वो आज शुक्र मना रहीं हैं कि घर भर को कोरोना नहीं हुआ।



यह पहली स्टेज जहां सिर्फ विदेश से आये आदमी में कोरोना है। उसने किसी दूसरे को यह नहीं दिया।
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स्टेज 2-  राका में कोरोना पॉजिटिव निकला।
उससे उसकी पिछले दिनों की सारी जानकारी पूछी गई। उस जानकारी से पता चला कि वह विदेश नहीं गया था। पर वह एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है। वह परसों गहने खरीदने के लिए एक ज्वेलर्स पर गया था। वहां के सेठजी हाल ही में विदेश घूमकर लौटे थे।



सेठजी विदेश से घूमकर आये थे।उनको एयरपोर्ट पर बुखार नहीं था। इसी कारण उनको घर जाने दिया गया। पर उनसे शपथ पत्र भरवा लिया गया, कि वह अगले 14 दिन एकदम अकेले रहेंगे और घर से बाहर नहीं निकलेंगे। घर वालों से भी दूर रहेंगे।
विदेश से आये इस गंवार सेठ  ने एयरपोर्ट पर भरे गए उस शपथ पत्र की धज्जियां उड़ाईं।
घर में वह सबसे मिला।
शाम को अपनी पसंदीदा सब्जी खाई।
और अगले दिन अपनी ज्वेलेरी दुकान पर जा बैठा। (पागल हो क्या! सीजन का टेम है, लाखों की बिक्री है, ज्वेलर साब अपनी दुकान बंद थोड़े न करेंगे)


6वें दिन ज्वेलर को बुखार आया। उसके घर वालों को भी बुखार आया। घर वालों में बूढ़ी मां भी थी।
सबकी जांच हुई। जांच में सब पॉजिटिव निकले।


यानि विदेश से आया आदमी खुद पॉजिटिव।
फिर उसने घर वालों को भी पॉजिटिव कर दिया।


इसके अलावा वह दुकान में 450 लोगों के सम्पर्क में आया। जैसे नौकर चाकर, ग्राहक आदि।
उनमें से एक ग्राहक राका था।



सब 450 लोगों का चेकअप हो रहा है। अगर उनमें किसी में पॉजिटिव आया तो भी यह सेकंड स्टेज है।


डर यह है कि इन 450 में से हर आदमी न जाने कहाँ कहाँ गया होगा। 



कुल मिलाकर स्टेज 2 यानी कि जिस आदमी में कोरोना पोजिटिव आया है, वह विदेश नहीं गया था। पर वह एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है। 
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स्टेज 3


राका को सर्दी खांसी बुखार की वजह से अस्पताल में भर्ती किया, वहां उसका कोरोना पॉजिटिव आया। 
पर राका  न तो कभी विदेश गया था।
न ही वह किसी ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है। 


यानि हमें अब वह स्रोत नहीं पता कि राका  को कोरोना आखिर लगा कहाँ से??


स्टेज 1 में आदमी खुद विदेश से आया था।


स्टेज 2 में पता था कि स्रोत सेठजी हैं। हमने सेठजी और उनके सम्पर्क में आये हर आदमी का टेस्ट किया और उनको 14 दिन के लिए अलग थलग कर दिया।



स्टेज 3 में आपको स्रोत ही नहीं पता।


 स्रोत नहीं पता तो हम स्रोत को पकड़ नहीं सकते। उसको अलग थलग नहीं कर सकते।
वह स्रोत न जाने कहाँ होगा और अनजाने में ही कितने सारे लोगों को इन्फेक्ट कर देगा।


*स्टेज 3 बनेगी कैसे?*


सेठजी जिन 450 लोगों के सम्पर्क में आये। जैसे ही सेठजी के पॉजिटिव होने की खबर फैली, तो उनके सभी ग्राहक,नौकर नौकरानी, घर के पड़ोसी, दुकान के पड़ोसी, दूध वाला, बर्तन वाली, चाय वाला....सब अस्पताल को दौड़े। 
सब लोग कुल मिलाकर 440 थे।
10 लोग अभी भी नहीं मिले।
पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम उनको ढूंढ रही है।
उन 10 में से अगर कोई किसी मंदिर आदि में घुस गया तब तो यह वायरस खूब फैलेगा।
यही स्टेज 3 है जहां आपको स्रोत नहीं पता।



*स्टेज 3 का उपाय*
14 दिन का lockdown
कर्फ्यू लगा दो।
शहर को 14 दिन एकदम तालाबंदी कर दो।
किसी को बाहर न निकलने दो।


इस तालाबंदी से क्या होगा??


हर आदमी घर में बंद है।
जो आदमी किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं आया है तो वह सुरक्षित है।
जो अज्ञात स्रोत है, वह भी अपने घर में बंद है। जब वह बीमार पड़ेगा, तो वह अस्पताल में पहुंचेगा। और हमें पता चल जाएगा कि अज्ञात स्रोत यही है।


हो सकता है कि इस अज्ञात स्रोत ने अपने घर के 4 लोग और संक्रमित कर दिए हैं, पर बाकी का पूरा शहर बच गया।


अगर LOCKDOWN न होता। तो वह स्रोत पकड़ में नहीं आता। और वह ऐसे हजारों लोगों में कोरोना फैला देता। फिर यह हजार अज्ञात लोग लाखों में इसको फैला देते। इसीलिए lockdown से पूरा शहर बच गया और अज्ञात स्रोत पकड़ में आ गया।


*क्या करें कि स्टेज 2, स्टेज 3 में न बदले।*
Early lockdown यानी स्टेज 3 आने से पहले ही तालाबन्दी कर दो।
यह lockdown 14 दिन से कम का होगा।


उदाहरण के लिए
सेठजी एयरपोर्ट से निकले
उनने धज्जियां उड़ाईं।
घर भर को कोरोना दे दिया।
सुबह उठकर दुकान खोलने गए।
(गजब आदमी हो यार! सीजन का टेम है, लाखों की बिक्री है, अपनी दुकान बंद कैसें कर लें)


पर चूंकि तालाबंदी है।
तो पुलिस वाले सेठजी की तरफ डंडा लेकर दौड़े।
डंडा देख सेठजी शटर लटकाकर भागे।


अब चूंकि मार्किट बन्द है।
तो 450 ग्राहक भी नहीं आये।
सभी बच गए।
राका भी बच गया।
बस सेठजी के परिवार को कोरोना हुआ।
6वें 7वें दिन तक कोरोना के लक्षण आ जाते हैं। विदेश से लौटे लोगों में लक्षण आ जाये तो उनको अस्पताल पहुंचा दिया जायेगा। और नहीं आये तो इसका मतलब वो कोरोना नेगेटिव हैं।


कृपया जागरूकता पैदा करें।


पूर्णिमा शर्मा "पाठक"                   अजमेर (राज.)

कोरोना वायरस


चली जो कोरोना की बात।
जगत में मौतों की बरसात।
बन गया जीवन में अभिशाप।
इसे भगाने हेतु रखे, नियम संयम का  साथ।
संस्कृति सदा अपनी भारतीय ही अपनाए।
नमस्कार से मान बढ़ाए।
मांस मदिरा पास ना लाए।
शाकाहारी भोजन खाए।
मास्क लगाए हर चेहरे पर।
हाथो में स्वच्छता अपनाए।
यात्राओं को टालते जाए।
माने चिकित्सको की बात।
चली है कोरोना की बात।
ये बन बैठा हैं अभिशाप।
शादी, पार्टी, सैर सपाटे।
कुछ माह तक दूरी बनाए।
विनय यही कर रही सरकार।
मान लो भाइयों, मान लो बहनो।
पहुँचा दो हर घर ये बात।
चली जो कोरोना की बात।
जगत में मौतों की बरसात।
        ----///----///------


                     स्वयं रचित


                पूर्णिमा शर्मा "पाठक"
                  अजमेर (राज.)


मधु शंखधर स्वतंत्र* *प्रयागराज* *

जनता कर्फ्यू 
जनता कर्फ्यू तभी सार्थक, जनता के ही करने से।
मुहिम साथ सब एक खड़े हो,नहीं हुआ कुछ डरने से।


सोच रही सरकार हमारी,जनता कर्फ्यू लाना है।
भारत में संस्कार पूर्ण हो, वाइरस दूर भगाना है।
आर्य संस्कृति रही सदा ही,स्वच्छ धरा के रहने से।
जनता कर्फ्यू तभी सार्थक.........।।


सभी करें संकल्प स्वयं हीं,बाइस मार्च  बंद रहे।
संयम नियम रहे सब मन से, पुष्प निहित मकरन्द रहे।
योग निरोग करे हर तन को, नियमित योगा करने से।
जनता कर्फ्यू तभी .............।।


चाइना से वाइरस आया,इटली को भी दहलाया।
शक्ति सार देशों में जाकर, कोरोना ने डर लाया।
भारत में आते ही थम गया, नीति नियम के धरने से।
जनता कर्फ्यू ....................।।


जनता कर्फ्यू यह कहती है, मेल मिलाप नहीं करना।
घर के अंदर रहो एक दिन, निश्चित ऐसा व्रत धरना।
टूट सके श्रृंखला वाइरस,सबके ऐसा वरने से।
जनता कर्फ्यू..........................।।


आओ सब संकल्प करें मिल, बाइस भारत बंद रहे।
सबका हो सहयोग बराबर, तब जीवन आनंद रहे।
दूर भगेगा खुद कोरोना,मन संकल्पित करने से।
जनता कर्फ्यू........................।।
*@मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
*9305405607*


मनोज श्रीवास्तव 22 मार्च 2020 लखनऊ

कोरोना=======कर्फ्यू===========सन्नाटा


**************************************


हर गली नगर में सन्नाटा फैला है शहर में सन्नाटा


सब माल बंद हर प्रतिष्ठान गजलों की बहर में सन्नाटा


*


ये कर्फ्यू बहुत प्रभावी है सन्नाटा असर दिखाएगा


कोरोना की दहशत इतनी तिर रहा कहर में सन्नाटा


*


पनघट पर जहां भीड़ लगती मेला सा दिखाई देता था


सागर और ताल तलैया की हर एक नहर में सन्नाटा


*


कोराना का जीवन जितना उससे ज्यादा का कर्फ्यू है


वह भटक रहा है इधर उधर है उसके जहर में सन्नाटा


*


कुछ सिर्फ विरोधी मोदी के उनको विरोध ही करना है


उल्टी दूरबीन  लिए हरदम है उनकी नजर में सन्नाटा


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मनोज श्रीवास्तव 22 मार्च 2020 लखनऊ


बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - (बिन्दु) बाढ़ - पटना

कोरोना


न  हाथ  मिलाओ न गले लगाओ
कोरोना  को   अब   दूर  भगाओ।


संक्रमित    एक    रोग   है   ऐसा
लगे   तो   गहरे   सोग   के  जैसा।


दुखों  की घड़ी आई हम सब पर
उसको हम दूर करें सब मिलकर।


सतर्क  रहें  और  सतर्क  करें हम
बिन मतलब का ना तर्क करें हम।


सुनो   रे   भैया   सुनो   रे  बहना
साफ - सफाई  में  तुम भी रहना।


श्वसन   क्रिया  बंधित  हो  जाती
गति  हृदय  की कंपित हो जाती।


लगती   हुई   जैसे  सर्दी - खाँसी
बुखार  दर्द  में  पड़  गयी  फ़ाँसी।


नाक - आँख  को  ना छूएँ हरदम
हाथों  में   ही   तेरा   है   दमखम।


भीड़ - भाड़ में तुम मत ही जाओ
ताजा   सादा  ही  भोजन  खाओ।


पूरे  देश  भारत  का  है  समर्पण
इससे   ही  होगा  उसका  तर्पण।


बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - (बिन्दु)
बाढ़ - पटना


जया मोहन प्रयागराज

यादो का गलियारा
आज देश ने स्व्यं को नियंत्रित किया।कॅरोना नाम के वायरस से बचाव के लिए  खुद पर कर्फ्यू लगाया
आज की नीरव शांति ने मन को अतीत के गलियारे में पहुँचा दिया। आप धापी की ज़िंदगी मे बेहद शांति ।
पहले पक्षियों का कलरव,कोयल की कूक मन को हर्षित करती थी।
आधुनिक होने पर गाड़ियों के शोर शराबे में सब गुम हो गई थी लगा आज जी उठी।
याद आया गाँवो में इकलौती चक्की की पुकपुक,रहट की आवाज,बैलगाड़ियों की चर्र चू बैलो के गले मे बंधी घंटी की मधुर टुनटुन गाड़ीवान का बैलो को हांकने का हुर हुर सुनाई पड़ जाता था।कभी कभी सड़क से कोई बस गुजरी तो उसके भोपू का पो पो जिसे सुन कर बच्चे दौड़ पड़ते।
शहर व कस्बो में भी कारे बाइक कम थी।मस्तानी चाल से इक्के को खींच रहे घोड़ो के पैरों की टप टप की आवाज कही कही सुदूर रेलवे स्टेशन से रेलगाड़ियों की छुक छुक व सीटी की आवाज।आज बिल्कुल वैसा ही वातावरण है।हमारे बच्चों ने ये सब देखा नही था।आज के दिन उनके लिए खास है।हर चीज सुनने महसूस करनेमे उन्हें नएपन का अहसास हो रहा है।
सबसे बड़ी बात हमने विश्व को दिखा दिया कि हम किसी भी जाति धर्म के हो पर अपने देश पर आयीं विपदाओं का सामना हम मिल कर करते हैं।हम एक थे, हम एक है,हम एक रहेंगे कहते हैसंगठन में शक्ति होती है बड़ो बड़ो का हौसला संगठित शक्ति देख कर टूट जाता है।कॅरोना भी हिन्दुतानियो के बल देख वापस चला जायेगा ।बस हमे अपनी सुरक्षा खुद सतर्क हो कर करनी है।आज बचाव में भी हम अपनी पुरानी परंपरा याद कर रहे दादी माँ कहती बाहर से आकर हाथ धो, नमस्ते राम राम करो,जूठे हाथ से कुछ मत छुओ अब  वही करना है।
शाम पांच बजे हर घर की छत से घंटी,घंटा,ताली ,थाली की आवाज आयी तो लगा जैसे सब किसी पुनीत कार्य को मिल कर कर रहे है।इनके सुर मानो कह रहे हो
जीत जायेगे हम
अगर संग है ।
ज़िन्दगी की ये नई जंग है
स्वरचित
जया मोहन


जयराम जय ,कानपुर

कोरोना ढ़ाये कहर
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'कोरोना' ढ़ाये कहर ,फैला हाहाकार
चेतें जग के लोग सब,रोना  है  बेकार
रोना है बेकार, सुरक्षा नित अपनायें
हाथ जोड़ स्वागत करें,न अब हाथ मिलायें
मास्क लगाने का सभी, लोग निर्णय लेना
वर्ना फिर हमें तुम्हें, है  सभी  को  रोना
                     *
भीड़-भाड़ से दूर रह,करें जरूरी काम
नाक ढ़के मुख को ढ़के,हो न पाये जुखाम
हो न पाये जुखाम,ज्वर सर दर्द जो होवे
तुरत करायें जाँच, रंच नहि आपा खोवे
अपनायें  संयम नियम, बैठें अपने नींड़
सड़क हाट चौराह पर,नहीं लगायें भीड़
                        *
बार-बार 'टच' मत करें, मुख को अब श्रीमान
छींक खाँस की बूँद से, होता है नुकसान
होता है नुकसान, सजग हो करके रहना
यात्रा करें निरस्त ,सभी अब भाई बहना
अनआवश्यक अब कहीं, लगे नहीं  दरबार
'यूज' करे "सेन्टाइजर",घर बाहर कइ बार
                         *
शासन के अनुरोध को,मानें यदि सब लोग
निश्चय  हारेगा  यहाँ, 'कोरोना'  का  रोग
'कोरोना' का रोग,लोग 'कर्फ्यू 'अपनायें
अति घातक यह 'वाइरस',कहीं फैल न पाये
मास्क लगायें लोग सब, तो डोलिहैआसन
'कोरोना' से सब लड़े , आपके संग है शासन
                         *
~जयराम जय
पर्णिका,बी-11/1,कृष्ण विहार,
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
मो.नं.9415429104;9369848238
E-mail:jairamjay2011@gmail.com


भूपसिंह 'भारती'

पीअम कहे अपील कर,  देना मेरा  साथ।
देनी  अपने   देश  में,  कोरोना को  मात।
कोरोना को मात,  देने  सभ साथ आओ।
रविवार  को  सारे,  जंता कर्फ्यू  लगाओ।
सच्चे मन से साथ,  देने  पर  कायम  रहे।
जंता कर्फ्यू लगे, अपील कर पीअम कहे।


                 - भूपसिंह 'भारती'


सत्यप्रकाश पाण्डेय

भय ग्रस्त होकर जीवन को अपसाद करो ना
भूत पिशाच न कोरोना इससे कोई डरो ना


न आये वो घर तुम्हारे न उसको लेने जाओ
खुद संक्रमण से बचो व अपनों को बचाओ


जीवन है अनमोल धरोहर सब इसे संभालो
कुछ दिन की बात है घर बाहर पैर न डालो


साफ सफाई का ध्यान रख भीड़ भाड़ से दूर
करने खुद का अंत यह होगा कोरोना मजबूर


हम पुण्यभूमि के बाशिंदे हैं ईश्वर है रखवाल
चक्रशुदर्शन की गोद में बांके करें को बाल


नेटबैंकिंग का उपयोग करो न संभालो नोट
धन के साथ चला आये है इसके दिल में खोट।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी

................निर्भया को मिला न्याय..............


सात   साल   बाद , निर्भया  को   मिला  न्याय।
माता की  जीवटता से , परास्त  हुआ अन्याय।।


आम  जनमानस ने , इसमें  दिया  बहुत  साथ ;
इस वजह  से त्वरित  प्रक्रिया से  मिला न्याय।।


पर अपनी  पेशागत  कौशलता  दिखाकर  ही ;
कुछ लोगों ने समर्थन देकर  बढ़ाया  अन्याय।।


नवालिग का  ढोंग रचाकर , कुछ बच जाते हैं ;
वो नवालीग कैसे,जो अंजाम दे ऐसा अन्याय ?


ऐसे  अपराधियों  और  इनके   समर्थकों  का ;
अवश्य हो मनोबल समाप्त और ऐसा पर्याय।।


देर सवेर ही सही, संविधान की सर्वोच्चता से ;
रफ़्तार होगा कम और  रुकेगा ऐसा अन्याय।।


हमें रहना है  हमेशा  सतर्क , देश में "आनंद" ;
यह भ्रम  न पालें कि  समाप्त  हुआ अध्याय।।


--------------- देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"


एस के कपूर श्री हंस।बरेली

*महामारी कॅरोना को हराना है।*



महामारी से सबको बचाना है।
हाथ    अब   नहीं  मिलाना है।।
घर   के   बाहर नहीं जाना है।
*कॅरोना    को हमें   हराना  है।।*


दिन भर हाथ को साफ करो।
गले  मिलने  को माफ करो।।
बस   दूर   से ही  लाफ करो।
*कॅरोना   को  हाफ     करो।।*


कॅरोना खुद अंदर आता नहीं है।
जब कोई जाकर बुलाता नहीं है।।
सावधानी   वह  लाता   नहीं  है।
*कॅरोना की जांच कराता नहीं है।।*


दुनिया को योग नमस्ते सीखा रहे हैं।
जनता कर्फ्यू का    पाठ पढ़ा रहे हैं।।
आना जाना सब    बंद   करा रहे हैं।
*सेवा सेनानियों का हौंसला बढ़ा रहे हैं।।*


हर  जगह साफ  सफ़ाई हो रही है।
क्या लक्षण बात बतलाई हो रही है।।
दूर से ही   अब सुनवाई हो  रही है।
*कॅरोना से खूब लड़ाई हो रही है।।*


कॅरोना    अदृष्टि गत     महा दानव है।
आतंकित इससे सम्पूर्ण जग मानव है।।
मानवता सफाया इसका मनभावन है।
*पर संकल्प सयंम से हारता ये रावण है।।*


भारत  ने पकड़ी  विश्व  की   मशाल है।


आत्म अनुशासन  हमारा बेमिसाल है।।
बस कॅरोना से जंग ही एक सवाल  है।
*हराकर कॅरोना को कायम करनी मिसाल है।।*


घर पर रहना करना अपना काम है।
भीड़ भाड़ से बचना ही  एतराम है।।
तभी लग  सकता इस पर विराम है।
*महामारी कॅरोना का करना काम तमाम है।।*


*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस।बरेली।*
मो   9897071046
       8218685464


सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक,जेठरा खमरिया, लखीमपुर-खीरी,

करोना का वार--- हमारा प्रतिकार
करोना वाइरस वर्ष का बहुत बड़ा अभिशाप।
प्रगट हुआ इस रूप में सारे जग का पाप।
देख न पाए आंख से इतना छोटा जीव।
संक्रमण इतना विकट मानव हो निर्जीव।
चमगादड़ में रहे ये उसे न कोई हानि।
प्रतिरोधक क्षमता नहीं मानव में लो जानि।
औषधि कोई है नहीं लक्षण का उपचार।
क्षमता इच्छा शक्ति से जीत होय ना हार।
सावधानी ही रास्ता है बचाव का जान। संक्रमण ही होय ना रखना इसका ध्यान।
रोगी से दूरी रखो रहो भीड़ से दूर।मल मल धोऔ हाथ तुम साबुन से भरपूर।
मुख आंखें अरु नासिका छुओ न गन्दे हाथ।
टीशू अरु सैनिटाइजर रखो सदा ही साथ।
अति आवश्यक यदि नहीं तो बाहर ना जाव।
करो नमस्ते प्रेम से कभी न हाथ मिलाव।
शाप सिनेमा माल से रहो आजकल दूर।
फिर मस्ती से घूमना खाना आम खजूर।
बच्चों बूढ़ों के लिए घातक परम महान।
घर से बाहर जांय ना रहें सुरक्षित प्रान।
पहने कपड़े सोप से नित ही डालो धोय।
छुआ छूत से संक्रमण फिर काहे को होय।
घर का भोजन छोड़ कर होटल मीट न खाव।
वाइरस के संक्रमण से सबसे बड़ा बचाव।
कौन संक्रमित कौन नहिं ये तो समझ न आय।
छह फिट की दूरी रहे निज को रखो बचाय।
मूलमंत्र है बस यही इससे करो बचाव।
संक्रमण के जलधि में जाय न जीवन नाव।
जनता कर्फ्यू में रहो पी यम का संदेश।
भगे करोना वाइरस स्वस्थ हो अपना देश।
जो अपने बस वह करो प्रभु पर करि विश्वास।
है पालक रक्षक वही जन जन की है आस।
मन में दृढ़ विश्वास करि प्रभु पर धारो ध्यान।
वही उबारे कष्ट से उसकी कृपा महान।
देता है चेतावनी ये वाइरस का श्राप।
चलो धर्म की राह पर कभी करो ना पाप।
       सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक,जेठरा खमरिया, लखीमपुर-खीरी, मोबाइल नं ८८४०४७७९८


शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

निवेदन🙏🌹   गीत
**********    *****
एक निवेदन प्रियजन सबसे,यदि चाहो तो स्वीकार करो।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।।


माना स्थिति हैै बहुत भयावह,
पर भयभीत नहीं होना हैै।
संयम और विवेक-बुद्धि से,
लड़ना, धैर्य नहीं खोना हैै।
हाथ-पैर,मुख का प्रक्षालन,
दिन में कई-कई बार करो।।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••


छूना और परस्पर मिलना,
यह नहीं प्रेम की परिभाषा।
ऐसा सुख तो मात्र सनक है,
यह कैसी मन की अभिलाषा?
तनिक दूर रहकर अपनों से,
आजीवन सच्चा प्यार करो।।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••••••


कुत्सित करतूतों से मानव,
ईश्वर को आहत करते हो।
कोरोना सम गरल बनाकर,
अमिय-आस में बस मरते हो।
सौंप रही जब प्रकृति स्वयं सब,
तब सदा उचित व्यवहार करो।।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••••


यमदूती विकराल आपदा,
प्राण सभी के निगल रही है।
मानव पर अधिकार जमाकर,
द्रुतगामी दुर्जेय दिखी है।
किंतु नहीं दुर्लभ जय होती,
यदि क्षमता का विस्तार करो।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••••


अगर चाहते इष्टजनों के,
सदा 'अधर' पर मुस्कान रहे।
हृदय-विदारक पीड़ा सहकर,
अब और न कोई आह कहे।
जीवन-रक्षक निर्देशों को,
अपना लो मत प्रतिकार करो।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••••••


    शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'❤️✍️


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