*जरूरत क्या है*
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ये है कोरोना महामारी ,हाथ मिलाने की जरूरत क्या है ।
चारों ओर छाया है मोत का कोफ,
स्पर्श करने की जरूरत क्या है ।।
बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है ।
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है ।।
सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल ।
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ।।
ज़िन्दगी एक नियामत है, इसे सम्हाल के रख ।
श्मशानों को सजाने की ज़रूरत क्या है ।।
दिल बहलाने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी ।
यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है ।।
"बचाव ही उपाय है", समझ-ए-जिंदादिल इन्सान ।
फिर अस्पतालों के चक्कर लगाने की जरूरत क्या है ।।
"जीवन है तो जहान है",इसे बचा कर रख।
बेवजह मोत को गले लगाने की जरूरत क्या है ।।
(रामचन्द्र स्वामी अध्यापक बीकानेर)