राजेंद्र रायपुरी

😌 है हाथ जोड़ विनती यारो 😌


बाज़ार      गर्म     अफ़वाहों   का,
है    बाॅ॑ध   सब्र  का   तोड़    रहा।
संकल्प   लिया   था    हमने   जो,
जन   मुख  है  उससे  मोड़   रहा।


जब  प्रबल  उदर   की  चिंता  हो, 
तब   देश-धर्म   का  ध्यान   कहाॅ॑।
जो  भूख   न  पल  को  सह  पाए,
देगा   वो   फिर   बलिदान   कहाॅ॑।


कुछ   यज्ञ   भंग   को   आतुर  हैं।
भेज़ा    ही    जिनका   शातिर  है।
चाहत   प्रयास  मत  होय  सफल,
उठ   रहे   कदम  इस  ख़ातिर  हैं।


 समझो  -  समझो    ऐ   नादानों।
मुखिया  का   तुम   कहना  मानो।
मर     जाएॅ॑गे     सब    ऐसे     में,
तुम   देश   नाश   की  मत  ठानो।


अफ़वाहों   पर   दो   ध्यान  नहीं। जाएगी    बिल्कुल    जान   नहीं।
बस  धैर्य   तुम्हें   कुछ  रखना  है, 
तुम     होगे     हालाकान     नहीं।


तुम  चिंतित  हो  सब  जान   रहे।
कुछ  हुई   कमी   यह  मान   रहे।
पर   विपदा   है   ये  बहुत   बड़ी,
 इसका   भी   तुमको   ध्यान  रहे।


मत   लक्ष्मण   रेखा    पार  करो। 
मिल  सब  विपदा  पर  वार करो।
है    हाथ    जोड़    विनती   यारो,
न    देश    का    बंठाधार    करो।


           ।। राजेंद्र रायपुरी।।


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"लग रहा कोरोना आज भयानक"


कई दिनोँ से यही सुन रहा
कोरोना का पैर पसर रहा 
चला चीन से इटली पहुँचा
अबतो वह सर्वत्र फल रहा।


अपने को विष्णु कहता है
है विषाणु अति भयानकता है
डरे हुए सारे जग मानव
खतरनाक दानव लगता है।


दौड़-दौड़कर मार रहा है
मानव तन को काट रहे
तोड़ रहा जबड़े से हड्डी
रक्त जीभ से चाट रहा है।


घर में छिपा हुआ है मानव
अति भयभीत हुआ अब मानव
जान बचाना मुश्किल दिखता
कंपित दिल का लगता मानव।


जैविक युद्ध चला घनघोरा
दृश्य भयानक अति चहुँओरा
प्राण बचाना कठिन लग रहा
सब विह्वल व्याकुल हर ओरा।


संयम नियम यही आधारा
धरो धीर तो उतरो पारा
बनकर दीन पुकारो ईश्वर
अगर चाहते हो उद्धारा।


नमस्ते हरिहरपुर से--


-डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


कुमार नमन  लखीमपुर-खीरी

ये विश्व युद्ध लड़ना होगा!


शत्रु सामने खड़ा देखिए, 
हैं विकराल रूप धर कर।
ये महा युद्ध हमको सबको,
घर मे रहकर लड़ना होगा।


न शस्त्र काम कुछ आएंगे,
बल का भी कोई काम नही।
अपनी बुद्धि के बल से ही,
हमको शत्रु से लड़ना होगा।


हाथों को बार-बार धुलकर,
हम सबको दूर-दूर रहकर।
मोदी जी की हर बातों का,
हमको पालन करना होगा।


यह सारी पृथ्वी पर हमें पुनः,
इतिहास सुनहरा लिखना हैं।
इस महामारी से जीत युद्ध,
फिर विश्व गुरु बनना होगा।


-कुमार नमन
 लखीमपुर-खीरी


गीता चौबे "गूँज"                राँची झारखंड

कोरोना दोहे
**********
डर कोरोना का यहाँ, फैल गया चहुँ ओर।
ध्यान सजगता का रखें, मचा हुआ है शोर।।


भयाक्रांत होना नहीं, करें शांति से काम।
सावधान होकर रहें, तन को दें आराम।।


बाहर से आएं कभी, पहले धोएं हाथ। 
दूर वायरस को करें, दृढ़ इच्छा के साथ।। 


घर के अंदर ही रहें, रखना है यह ध्यान। 
सफल बनाएं हम सभी, कोरोना अभियान।। 


हो पूरा सहयोग तो, संकट होगा दूर। 
इस कोरोना की कमर, हो जाएगी चूर।। 
              गीता चौबे "गूँज" 
              राँची झारखंड


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"संकल्प में समाधि की तलाश"


आँसुओं से मधुर विश्व बनता रहे
विश्व में आत्म का बोध होता रहे
आत्म ही सत्यमय सच्चिदानंद है
विश्व में सत्य का वृक्ष उगता रहे।


शुष्क में भी सरसता की धारा बहे
पर्वतों में हिमालय की पिघलन रहे
आज का आदमी चेतना शून्य है
कल का मानव महाप्राण बनकर बहे।


हस्तियों का दनुज बह निकलता रहे
शक्तियों में क्षमा का विचरना रहे
आज का विश्व मानव भले हो दुःखी
कल का मानव चमकता चहकता रहे।


दुर्भाग्य मानव के पद-तल रहे
सबका सौभाग्य स्थिर अचल दल रहे
भाग्य ही कर्म अरु कर्म ही भाग्य है
विश्व के भाग्य में शुभ सुखद कल रहे।


नमस्ते हरिहरपुर से---


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


सुनीता असीम

चोट दिल पे तेरे पड़ी होगी।
जब रही हिज्र की घड़ी होगी।
***
जिस वजह से अलग हुए हो तुम।
बात बेहद रही बड़ी होगी।
***
जो अंगूठी पहन चुकी है वो।
वो नगों से रही जड़ी होगी।
***
धड़कनें तब ठहर गई होंगी।
जब भी उनसे नज़र लड़ी होगी।
***
दरमियाँ फासले हुए कैसे।
जोड़ती वो कड़ी -कड़ी होगी।
***
 सुनीता असीम
२८/३/२०२०


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल  झज्जर, (हरियाणा

कभी आओ तो सही.... 


वही प्यार लाओ तो सही. 
तुमने वादा जो किया था, 
कभी आओ तो सही. 
वो एहसास फ़लक पर, 
कहीं लाओ तो सही. 
क्या गुजरा तेरे -मेरे दरमियाँ, 
मुझे कुछ बताओ तो सही. 
तेरी हर आरज़ू मेरे सर रही, 
एक बार मुझे सताओ तो सही. 
तेरा राज़दार बन जाऊंगा, 
ना मुझसे छुपाओ तो सही. 
मंजूर मुझे मरहम -ए -जख्म बनना, 
वो चोट -ए -दिल दिखाओ तो सही. 
माना ये शहर अंधेरों का है, 
उम्मीद -ए -शब बन जाओ तो सही. 
इस बेदर्द ज़माने की तवज़्ज़ो क्या, 
आईने के रूबरू रह जाओ तो सही. 
दिल से निकली आह शायरी "उड़ता ", 
लफ़्ज़ों में ढली ग़ज़ल बन जाओ तो सही. 



स्वरचित मौलिक रचना. 


द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
झज्जर, (हरियाणा )


हलधर

छंद -कोरोना आघात पर
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चाल सारी थम गयी ,दुनियां ही जम गयी,
सिंधु में थिरकती जो ,कस्तियाँ उजड़ गयी ।


पैग सैग टूट गए ,लैग वैग छूट गए ,
मौज घट फूट गए , मस्तियाँ उजड़ गयी ।।


कोरोना विषाणु हुआ ,बम परवाणू हुआ ,
फ्रांस रोम इटली की , हस्तियाँ उजड़ गयी ।


ठप्प हुआ कारोवार , भूख प्यास की है मार ,
दिहाड़ी मजूरों की तो ,बस्तियां उजड़ गयी ।।


हलधर -9897346173


रेणु शर्मा  जयपुर  ( राजस्थान )

बेटी 
किस्मत वाले है वह लोग जगत में,,,
जिनके घर नन्ही सी जान रहे ।। 
 जिसकी प्यारी मुस्कान से,,,,
जगत में प्रकाश रहे।।
जिसके नन्हे कदमों से ,,
धरती भी खिल जाऐ।। 
बेटी लक्ष्मी रूप लिये ,,,
घर की शान बढ़ाऐ।।
बिन बेटी के ,,,
अपार धन भी कुछ न होय।।
बेटी संग बिना धन सब कुछ होय,,,
संस्कार मिले गुणी बेटी होय,,,
बिन बेटी तो राज भी मलिन होय।।
सौभाग्य लाती बेटी तो ,,,
रूप की धनी होय ।।
स्वाभिमान से जीवन जीती ,,,
आत्मा से भी नि: स्वार्थ होय।।
- रेणु शर्मा 
जयपुर  ( राजस्थान )


कुमार कारनिक   (छाल, रायगढ़, छग)


      *हार-जीत*
 (मनहरण घनाक्षरी)
 ^^^^^^^^^^^^^^^^
मान लो  तो  हार होगी,
ठान लो तो जीत होगी,
जीत के  अधिकारी हो,
      फल तुम्हे मिलेगी।
💪🏼💐
राशियों  के  चक्कर  है,
मिला  तुम्हे  टक्कर  है,
कर्म  ही  पूजा  तुम्हारी,
       सफलता मिलेगी।
🏵💪🏼
डगर     खुद     बनाते,
लक्ष्य  को  हम मिटाते,
ये   हमारा   कर्तव्य  है,
      श्रेय तुम्हे मिलेगी।
💪🏼🌸
लक्ष्य दिल मे  बसाओं,
स्वयं को योग्य बनाओं,
सोच   से   बड़े   बनेंगे,
    तभी जीत मिलेगी।
🌼💪🏼


             🌸
                    *****


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"सच्चा योद्धा"


एक योद्धा लड़ रहा है झूठ से,
   सत्य की तलवार लेकर हाथमें.,
बढ़ रहा है युद्ध के मैदान में,
   है अकेला न्यायध्वज बस साथ में.,
तप रहा है प्रज्ज्वलित ज्ञानाग्नि में,
     यज्ञ वेदी पर खड़ा हो सन्त सा.,
दे रहा उपदेश सारे विश्व को,
    निडर नैतिक सा खड़ा है पास में.,
मौन होकर लड़ रहा है कह रहा-
    मत फँसो तुम मोह-माया जाल में.,
तोड़कर जंजीर सारे बंधनों की,
   चल निकल तू शान्ति-पथ की आस मेँ.,
थक गये हो शान्त कर लो,
   प्यास अपनी शान्ति से.,
दूर से चमको नहीं,
   चमको स्वयं की कांति से 


नमस्ते हरिहरपुर से---डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"मनचाहा साथ"


साथ तुम्हारा वैसा ही है,
वेगाने में मनचाहा.,
भाव अलौकिक देख रहा हूँ,
अनजाने में मनचाहा.,
लगत परायापन मिथ्या जिमि,
देख सवेरा मनचाहा.,
मेरे तेरे द्वंद्व भाव से,
मुक्त हुआ अब मनचाहा.,
तोड़ सकल माया वंधन को,
रचें स्वर्ग हम मनचाहा.,
त्याग रहे हो तुम अपना निज,
जैसा मेरा मनचाहा.,
सामूहिक पावन भावों की,
नीर बहे प्रिय मनचाहा.,
प्रीति परस्पर अनुदिन फैले,
अकथ नित्य नव मनचाहा.,
स्नेह रश्मियों से पट जाये,
 यह सारा जग मनचाहा।


नमस्ते हरिहरपुर से--


-डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

*"माँ कुष्मांडा"*(कुणडलिया छंद)
••••••••••••••••••••••••••••••••••
*पावन रूप चतुर्थ है, कुष्मांडा शुभ नाम।
आधि-व्याधि से मुक्ति दे, माता है सत्काम।।
माता है सत्काम, सदा कष्टों को हरती।
सहज सृजन ब्रह्मांड, मंद विहँसी में करती।।
कह नायक करजोरि, अष्ट भुजधारी भावन।
देती सुख-समृद्धि, नाम है माँ का पावन।।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••
भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
•••••••••••••••••••••••••••••••••••


अवनीश त्रिवेदी "अभय"

पेश ए ख़िदमत है इक नई ग़ज़ल


तिरे दर पर खिज़ा के अब कभी मौसम नही होते।
हमारे साथ  जब तुम हो कभी भी गम  नही  होते।


करो  इन्कार  चाहें  तुम  मग़र  ये बात  भी सच है।
बहुत  बेचैन  रहते  हो  कभी  जब  हम  नही होते।


बिछड़ने  का तसब्बुर  भी  बड़ा  तकलीफ  देता है।
तिरे  अहसास  के  साये  कभी  भी कम  नही होते।


कभी  फ़ुरसत  नही  मिलती  हज़ारों काम रहते हैं।
दिलों  में  प्यार  के  लम्हें  कभी  हरदम  नही होते।


बड़े  मग़रूर  है  फिर  भी  रवायत का हुनर भी है।
हमारे  अश्क़  साज़ों  की  कभी  सरगम नही होते।


बहारें  ही  नही  आती  कभी भी कोइ महफ़िल में।
हमारे  पास  जब  तक  अब मिरे हमदम नही होते।


हमेशा  बात  दिल  की  बोल   बेबाक़ी  से  देते  है।
हमारे   साफ़   ज़ेहन  में  तमाम  भरम  नही  होते।


ज़रूरत  गर  पड़े  तो  फिर  इशारों से समझ जाये।
सभी के  आँख के मोती 'अभय' शबनम नही होते।


अवनीश त्रिवेदी "अभय"


नूतन लाल साहू

आव्हान
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो अब, खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं,अपनी छाती में
छत्तीसगढ़ राज्य,बन गया है
छत्तीसगढ़ी भाषा को, सजाना है
हर खेत को,लहलहाना है
हर हाथ को,काम दिलाना है
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो अब,खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं,अपने छाती में
विज्ञान की चमत्कार को देखो
घर से निकलना, दुभर हुआ
बम चलाने वाले प्यारे
खुद मर जाते हैं, बेमौतो से
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो अब खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं, अपने छाती में
जो देश के खातिर मर मिटे
उसे कुर्बानी कहते हैं
पसीने में सुगन्ध,आती है
किसान जब,अन्न बांटते है दूसरों को
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो अब खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं, अपने छाती में
कुर्बानी देकर जो कुर्बान हुये
वे देश के निशानी,रहते हैं
ये नौजवानों,होश में आ जाओ
अन्नदाता बन जाता है,किसानी में
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो, अब खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं, अपने छाती में
नूतन लाल साहू


निशा"अतुल्य"

परिवर्तन 
28.3.2020


क्या हुआ है फिज़ाओ को
क्यों कोई बाहर नही 
अपना को ख़ुद ही सवांर 
रही शायद प्रकृति ।


करते अतिक्रमण मानव
क्यों समझ तुम्हें आती नही
बहुत समझाया दिखा क्रोध 
अपना जब तब कभी कभी।


रहो कुछ दिन अब घरों में अपने
जब तक न कर लूं मैं श्रृंगार अपने
समझो ना बेड़ियां तुम इसे 
सम्भल जाओ सुनो मानव
रहना होगा घरों में तब तक 
पर्यावरण न हो जाए शुद्ध जब तक


ख़ुद को संभालो और दूसरों को भी
सिखलाया ये ही प्रकृति ने हमें
करो सम्मान सभ्यता, संस्कृति का 
संभल जाओ मानो बात सभी 
वरना हो जायेगा सारा विनाश यहीं ।



स्वरचित
निशा"अतुल्य"


एस के कपूर "श्री हंस"* *बरेली।

*कॅरोना संकट से बेदाग जीत कर*
*आना है।*
*कविता लेखक।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।*


हे मित्र तू मत ही  कोशिश कर
बाहर  जाने    को।
कॅरोना बाहर  ही  खड़ा आतुर
अंदर   आने   को।।
हवा बाहर  जहरीली   कातिल
सी   हो   गई   है।
सब मिल कर   घर में  रहो बंद
कॅरोना भगाने को।।


पेड़ रहा  सलामत तो पत्ते फिर
से   निकल   आयेंगे।
मिल कर फिर से  ही दुनिया में
भारत के गुण आयेंगे।।
यह दौर   गुज़र   जायेगा बहुत 
कुछ सिखा कर हमें।
बहुत   सावधानी से  कॅरोना से
हम जीत ही जायेंगें।।


हमारी कोशिश और ईश्वर मिल
कर रास्ता निकालेंगे।
पाँव थाम  कर घरों  में मुसीबत
को    जरूर  टालेंगे।।
आप अकेले   नहीं जुड़ा है पूरा
परिवार       आपसे।
इस विकराल  स्तिथि  में जरूर
खुद   को   संभालेंगे।।


पूरी दुनिया  देख  रही   हमको 
हसरत की  निगाहों से।
कैसे बचाते 130   करोड़   उस
अचरज की निगाहों से।।
असफल हो रहे अग्रणी देश इस
विषाणु कॅरोना के आगे।
हमारी नीति नियति को देख रहे
भरसक    निगाहों   से ।।


सफल होंगें अवश्य हम   बन कर
दुनिया के विश्व   गुरु।
विकसित देश भारत के पदचिन्हों
पर करेंगें चलना शुरू।।
भारत की जीवन शैली खान पान
बचायेगा इस दुर्जन से।
कहलायेंगे  सम्पूर्ण  विश्व  में  एक
उदाहरण  श्रेष्ठ   गुरु।।


ये समय है अपनों के संग ही वक्त
बिताने      का।
कुछ नया  सोचने  करने  और कर
दिखाने    का।।
जो अभिरुचियां थी अधूरी  उनको
पूरा  करने का।
इस  कॅरोना  संकट  से बेदाग जीत
कर  आने का।।


*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।*
मो     9897071046
         8218685464


सत्यप्रकाश पाण्डेय

हे मोहन प्यारे हर जीवन के रखवारे
प्राणी मात्र की किस्मत के लेखनहारे
कोरोना का कहर आज बरस रहा है 
मुरलीधर इस आपदा से आप उबारै


दो सदबुद्धि तुम पगलाये मानव को
लक्ष्मणरेखा का कोई न करे उलंघन
समझें जीवन का मूल्य आज अज्ञानी
कि जीवन से बढ़कर नहीं कोई धन


जगतपिता जगदीश नाथ जगभूषण
जगतनारायण जग जन के आभूषण
सत्य हृदय के ज्योति पुंज श्रीनारायण
उज्ज्वल हों भाव मिटें मन के दूषण।


श्रीकृष्णाय नमो नमः🍁🍁🍁🍁🍁🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
  *"आम लड़कियों की कहानी"*
"शिक्षा के लिए झगड़ती,
अपने माँ-बाप से देखी-
ये आम लड़कियों की कहानी।
लड़का-लड़की के अंतर को,
परवरिश में ही पहचानी-
ये आम लड़कियों की कहानी।
दहेज़ में बिकते लड़के,
जलती लड़कियाँ-
ये आम लड़कियों की कहानी।
लड़कियाँ लड़को से कम नहीं,
फिर भी चाह लड़के की-
ये आम लड़कियों की कहानी।
होगा न मान सम्मान लड़की का घर में,
अपमानित होगी जग में -
ये आम लड़कियों की कहानी।
लड़की ही आधार घर परिवार का,
फिर भी उपेक्षित है-
ये आम लड़कियों की कहानी।
शिक्षा के लिए झगड़ती,
अपने माँ बाप से देखी-
ये आम लड़कियों की कहानी।।"
सुनील कुमार गुप्ता


राजेंद्र रायपुरी

😌😌 'कोरोना' का रोना 😌😌


मचा हुआ है विश्व में, 
                    देखो     हाहाकार। 
'कोरोना' चहु-दिश रही,
                   अपना  पैर  पसार।


दवा नहीं इसकी अभी,
                    है  बचाव  उपचार। 
हमें   मानना   चाहिए,
                   कहती जो सरकार।


दूर  सभी  से  ही  रहें, 
                   नहीं  मिलाएॅ॑  हाथ।
कुछ दिन घर पर ही रहें,
                  हम अपनों के साथ।


विपदा बड़ी कहें सभी,
                    आयी अबकी बार।
मिलकर लड़ने की सुनो,
                  आज  हमें  दरकार।


'कोरोना'  ने  कर  दिया,
                    चौपट  सारा काम।
क्या खाएॅ॑ मजदूर अब, 
                    चर्चा  है  ये  आम।


ध्यान हमारा है इधर, 
                   कहती  है  सरकार। 
घबराने  की  आपको,
                 तनिक नहीं  दरकार।


जो सक्षम वो भी करें, 
                  इसमें कुछ सहयोग।
जिससे भूखे मत मरें, 
                  जो  गरीब  हैं  लोग।


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


* कालिका प्रसाद सेमवाल रुद्रप्रयाग उत्तराखंड

हे मां जगदम्बा दया करो
********************
हे मां जगदम्बा दया करो,
हमें सत्य की राह बताओ,
कभी किसी को सताये नहीं,
ऐसी सुमति हमें देना मां।



हे मां जगदम्बा दया करो,
अपनी कृपा वर्षा करो,
हम अज्ञानी  तेरी शरण में,
हमें सही राह बताना मां।


ये जीवन तुम्ही ने दिया है
राह भी तुम्हें बताओ मां
हो  गई है भूल कोई तो,
राह सही बताओ मां।


कभी किसी का बुरा न करुं,
दया भाव से हृदय भरो,
मस्तक तुम्हारे चरणों में हो,
ऐसी बुद्धि  हमें दे दो मां।


हे मां जगदम्बा  दया करो,
जग में न कोई किसी जीव को,
पीड़ा कभी न पहुंचाएं मां,
ऐसी सब की बुद्धि कर दो।
********************
कालिका प्रसाद सेमवाल
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड


बलराम सिंह यादव धर्म एवम अध्यात्म शिक्षक व्याख्याता

श्री हनुमत चरित्र


प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।।
 ।श्रीरामचरितमानस।
  गत दो दिनों में इस दोहे का भावार्थ लिखा जा चुका है परन्तु गो0जी ने श्रीहनुमानजी जी को ही अपना गुरू कहा है।
श्रीहनुमानचालीसा में गो0जी कहते हैं---
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 श्रीहनुमानजी की कृपा से ही उन्हें प्रभुश्री रामजी के चित्रकूट में दर्शन हुए थे।इस घटना का उल्लेख "गोसाईंचरित" नामक खण्डकाव्य में गो0जी के समकालीन कवि श्री वेणीमाधव जी ने किया है जो गो0जी को अपना गुरू मानते थे।यद्यपि गो0जी ने किसी को भी दीक्षा या मन्त्र नहीं दिया था।
 "गोसाईंचरित"में श्रीवेणीमाधव जी ने उस घटना का कविता के रूप में बड़ा सुन्दर वर्णन किया है जब चित्रकूट में प्रभुश्री रामजी ने गो0जी को दर्शन देकर उनके मस्तक पर तिलक लगा दिया था।यथा,,,
हठि ठानि तेहि पहिचानि मुनिवर,विनय बहु बिधि भाषेऊ।
पद गहि न छाड़उँ पवनसुत, कह कहउ जो अभिलाषेऊ।।
रघुबीर दर्शन मोहि कराइअ,मुनिवर कहेउ गदगद बचन।
तुम जाहु सेवहु चित्रकूट,
तहाँ दरस पैहहु चखन।।
श्री हनुमन्त प्रसंग यह विमल चरित विस्तार।
लहेउ गोसाईं दरस रस बिदित सकल संसार।।
चित चेति चले चित्रकूट चितय,मन मांहि मनोरथ को उपचय।।
जब सोंचहिं आपन मंद कृती,पग पाछे पड़े जु रहै न धृती।।
सुधि आवत राम स्वभाव जबै,तब धावत मारग आतुर ह्वै।।
एहि भाँति गोसाईं तहाँ पहुँचे,किय आसन राम सुघाटहिं पै।।
एक बार प्रदच्छिन देन गये, तँह देखत रूप अनूप भये।।
जुग राजकुमार सुअश्व चढ़े, मृगया बन खेलन जात कढ़े।।
छवि सो लखि कै मन मोहेहु पै,अस को तनु धारि जो जानि सकै।।
हनुमन्त बतायउ भेद सबै, पछिताय रहे ललचाइल ह्वै।।
तब धीरज दीन्हेउ वायुतनय,पुनि दर्शन पैहहु प्रात समय।।
सुखद अमावस मौनिया बुध सोरह सै सात।
जा बैठे तिस घाट पर बिरही होत प्रभात।।
प्रगटेउ राम सुजान कहेउ लेहु बाबा मलय।
सुक बपु धरि हनुमान पढ़ेउ चेतावनि दोहरा।।
चित्रकूट के घाट पर भइ सन्तन की भीर।
तुलसिदास चन्दन घिसैं तिलक देत रघुबीर।।
रघुबीर छबि निरखन लगे बिसरी सबै सुधि देह की। 
को घिसै चन्दन दृगन ते बहि चली सरित सनेह की।।
प्रभु कहेउ पुनि सो नाहि चेतेउ स्वकर चंदन लै लिये।
दै तिलक रुचिर ललाट पै निज रूप अन्तर्हित किये।।
बिरह ब्यथा तलफत पड़े मगन ध्यान इक तार।
रैन जगाये पवनसुत दीन्हीं दसा सुधार।।
।।सियावर रामचन्द्रजी की जय।।
।।पवनसुत हनूमानजी की जय।।
।।उमापति महादेवजी की जय।।
।।जय जय श्री राधे।।


डॉ राजीव कुमार पाण्डेय*                 (प्रधानाचार्य) किसान आदर्श हॉयर सेकेंडरी स्कूल शाहपुर बम्हैटा, गाजियाबाद

_हम बचेंगे तो देश बचेगा_ 


    🙏🏻 *मार्मिक अपील* 🙏🏻


(विद्यार्थियों, अध्यापकों, कर्मचारियों, प्रधानाचार्यों एवं समस्त नागरिकों से)


 _जीवन अनमोल है इस पर अधिकार है हमारे परिवार का समाज का, देश का।_ 
 इस बहुमूल्य जीवन में कोरोना नामक  वायरस काल बनकर खड़ा है हमारी चौखट के सामने। यह हमें घर से बाहर निकलने को चुनौती दे रहा है, ललकार रहा रहा है, हमारी भुजाएं भी फड़क रही हैं बाहर जाकर उससे दो- दो हाथ करने के लिये, किन्तु इस बार के युद्ध के लड़ने का तरीका बदल गया है, इसे बाहर निकल कर वीरता दिखाने का नहीं बल्कि संयम रूपी अस्त्र की आवश्यकता है। जिसे लेकर 21 दिवस तक बैठना है लक्ष्मण रेखा के अन्दर। बाहर कोरोना आपके इंतजार में बैठा बैठा थक जायेगा भूखा मर जायेगा क्योंकि उसे भोजन इंसानों से ही मिलता है  इंसान  यदि बाहर ही नहीं जायेगा तो वह स्वतः अपनी मौत मर जायेगा।  *हम जब घर बैठकर उसे परास्त कर सकते हैं तो बाहर जायें ही क्यों।* 
हाँ जो लोग सेवा के कार्य में लगे है यदि उन्हें जाना भी पड़े तो हमारा ( *मास्क,सेनेटाइजर,सोशल डिस्टेंसिंग* ) आदि अस्त्रों का उचित उपयोग करते रहें ताकि कोरोना नामक अदृश्य शत्रु हम पर अटैक न कर सके।
इस संकट की घड़ी में हम अपने देश के प्रधानमंत्री जी, प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की आज्ञा का शत प्रतिशत पालन करें। अपने घरों में रहते हुए कुछ रचनात्मक कार्य करें जिसमें में आपकी रुचि हो। अपने भाईयों, मित्रों परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करें कि जो समय मिला है घर में रहने का उसका उपयोग करें।
आजादी के समय हमारे क्रांतिकारियों ने महीने,वर्षों जेलों में गुजारे, कालापानी की सजा काटी, हमारी रक्षा के लिए । आज फिर देश पर 'कोरोना वार' का खतरा जिससे लड़ने की जिम्मेदारी सारे देश वासियों की है। हम सब भारतवासी  अपने प्रधानमंत्री जी के वचन का पालन  करते हुए घरों में रहें और इस युद्ध पर विजय को प्राप्त करते हुए इस कोरोना नामक दुश्मन को हरायें, और अपनी सम्पूर्ण मानवता को बचायें। 
 *ये हमेशा याद रखें हम बचेंगे तो देश बचेगा।* 
जयहिन्द
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻


 *डॉ राजीव कुमार पाण्डेय* 
               (प्रधानाचार्य)
किसान आदर्श हॉयर सेकेंडरी स्कूल शाहपुर बम्हैटा, गाजियाबाद


अवनीश त्रिवेदी "अभय"

कुण्डलिया


क़ुदरत  के  इस  कहर  से,  सब  जन रहो सचेत।
जीवन   ये   अनमोल   हैं,   नही    बनाओ   रेत।
नही   बनाओ  रेत,  रहो   सब   घर    के   अंदर।
देश   रहे   खुशहाल,   बने    ये    उपवन   सुंदर।
कहत 'अभय' समुझाय, सुधारो खुद की फ़ितरत।
तन  मन  रखिये  साफ़, कष्ट  नहि   देगी  क़ुदरत।


अवनीश त्रिवेदी "अभय"


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली

वारः शुक्रवार
दिनांकः २७.०३.२०२०
विषयः नवरात्रि
विधाः स्वेच्छिक
शीर्षकः 🌺🙏नवदुर्गे! जागो पुनः🙏🌺
नवदुर्गे   जागो   पुनः  अवतार  ले जग   त्राण कर,
घिरा   है  चहुँओर  से   आक्रान्त जग  उद्धार कर। 
दानव बहुत बहुरुप में जग भ्रमित हैं विकराल बन।
हैं  प्रलय  बन  संसार  फिर आतप्त  मानव तार दे। 
जगदम्ब  तू अवलम्ब बस  आतप हरो  संताप का,
वरुणास्त्र धर भू शान्त कर कोरोना दावानल बना।
जगतारिणी  ममतामयी  हाहाकार  है फैला जगत् ,
महामारी  है ये  संक्रमण,रक्तबीज बनकर फैलता।
हे  कालिके  कर  दीर्घतर  जिह्वा स्वयं आपद घड़ी,
मानव जिंदगी तू ही बचा महामारी है कपटी  खली।
महिमा तेरी करुणामयी चन्द्रघण्टा तुझे शत शत नमन।
सुन गर्जना तारक असुर हर रक्षण करो खुशियाँ चमन।
महाशक्ति माँ हे वैष्णवी शारदे शिव भाविनी रक्षा करो,
क्रन्दन सुनो आहत मनुज हर रोग जग जन राहत भरो।
कात्यायनी जगदम्ब   तू विकराल  तनु महाकाल बन,
हे शैलजे ब्रह्मचारिणी कर कृपाण धर रण संहार कर।
हे कामाक्षि माँ बगलामुखी रुद्राक्षि भव  जग  तार दे,
कमला शिवा माँ शीतले कोरोना कीटाणुओं को मार दे।
विन्ध्याचली  तारामुखी  हर क्लेश  मानव जाति का,
नवरात्रि में अर्चन भजन कीर्तन नमन करूँ हरिप्रिया।
गिरिजा भवानी सिंहवाहिनि जग मंगला स्वाहा स्वधा,
स्वस्ति कर अरि प्राण हर परित्राण गौरी पूज्या श्रिया।
दे रूप धन जन सौख्य को , यश धीर साहस मान दे,
माँ रिद्धि दे सब सिद्धि जग हो हरित जग वरदान दे।
रह   गेह  कर एकान्त में माँ नवरात्रि का पूजन करें,
फिर  से  जगत् आनंदकर सुख सम्पदा  फूले  फले।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली


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