एस के कपूर "श्री हंस"* *बरेली।।*

*कॅरोना से महाभारत।।जीत हमारी*
*निश्चित है।।*


मास्क ,हैंड वाश ,सामाजिक दूरी
और न निकलना  घर  से  बाहर।
यह सतर्कता   ही  है   कॅरोना से
लड़ने का सबसे बड़ा   हथियार।।
लॉक डाउन का  अनुपालन और 
एक जुटता का   उत्तम   परिचय।
छिप कर करना  है  इस   अदृश्य
शत्रु कॅरोना पर ऐसा अचूक वार।।


5 अप्रैल को करना है हमसब को
मिल कर एक जुटता का  प्रकाश।
जगानी है हर दिल में महा  दानव
कॅरोना से  लड़ने  की एक  आस।।
पानी है इस अंधकार मय कॅरोना
पर   सावधानी  से  हमें   विजय।
परास्त  करेगा  कॅरोना  को   हम
सब का यही एक अटल विश्वास।।


डॉक्टर, नर्सेज,बैंक कर्मी ,सफाई
कर्मी,पुलिस,ड्राइवरओ एम्बुलेंस।
आज इन  सब   को  सलाम  कि
बस काम आ रही इन्हीं की सेंस।।
मार  गिराना  है  बन  कर  कृष्ण
हमें इस दानव  कॅरोना कंस को।
मनोबल अपना    गिराना   नहीं 
और न ही  होना है  हमको  टेंस।।


लॉक डाउन  का    शत  प्रतिशत
अनुपालन ही  जैसे  रामबाण है।
इसी में तो निहित दुर्जन  कॅरोना 
की  काट    और    समाधान  है।।
दुनिया को देनी  है हमें  मिसाल
भारत की आन  बान  शान  की।
तभी कह पायेंगे हम कि  हमारा
भारत देश तो  विश्व में महान है।।


*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।*
मो      9897071046
          8218685464


सत्यप्रकाश पाण्डेय

कोरोना का कहर........


कोरोना का कहर बरस रहा
त्रसित है आज दुनियां सारी
मानव मात्र में भय व्यात है
यह फैला बनकर महामारी


इतना कटु है अनुभव इसका
नहीं औषधि नहीं कोई उपाय
आलिंगन चुम्बन व स्पर्श नहीं
यह दूरी से लेता पैर जमाय


रोम रोम में सिहरन होती है
जब सुनते हैं इसका इतिहास
आ जाये गर कोई चपेट में
परिजनों को मिले नहीं लाश


बिना पानी के मीन तड़पती
वैसे तड़पे इससे ग्रस्त शरीर
मौत भी इससे मौत मांगती
हो जाओ इसके प्रति गंभीर


घर में रहना कोई पाप नहीं है
मिलता यदि कोरोना से त्राण
क्या करोगे घर परिवार का
जब न रहेंगे खुद के ही प्राण


बचो अनर्गल भीड़ भाड़ से
त्यागो मॉल सिनेमा व बाजार
सिनेटाइजर साबुन अपनालो
लांघों नहीं घर की देहरी द्वार


दिया है अवसर तुम्हें प्रकृति ने
समय बिताओ अपनों के पास
एक साथ के लिए तरसते थे
हसो खिलो तुम न रहो उदास


बहो समय की धारा के संग
रहे सुरक्षित कैसे ये जीवन
शरीर ही है धर्म का साधन
करो सुनिश्चित इसका रक्षण


थोड़ी सी लापरवाही तुम्हारी
देगी जीवन को खतरे में डाल
अमूल्य निधि के सरंक्षण में
सभी काम दे मानव तू टाल


जीवन से बढ़कर कुछ भी ना
तुम बाहर का दुस्साहस करोना
घर में रहो बस घर में रहो तुम
कुछ न बिगाड़ पायेगा कोरोना।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
     *" मेरा पहला प्यार"*
"मेरा पहला प्यार,
है प्रभु तुमसे-
कर लो स्वीकार।
माँ का प्यार इतना,
याद है -मुझे-
पिता का दुलार।
यौवन की दहलीज़.पर प्रभु,
भेजी कमसिन प्यारी सी-
जिसने सपने किये साकार।
सब कुछ मिला जीवन में,
कृपा रही प्रभु की-
मेरा नमन करो स्वीकार।
बिन माँगे मिला सुख इतना,
दु:ख का नही अहसास-
मेरा नमन करो स्वीकार।
मेरा पहला प्यार,
हैं प्रभु तुमसे-
कर लो स्वीकार।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः          सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta
         04-04-2020


सत्यप्रकाश पाण्डेय

लिया आपका आश्रय
क्यों भूले हैं जगत ईश
तुम केवल स्नेही नहीं
तुम तो हृदय बसे रईश


हे जीवन आराध्य प्रभु
यह जीवन तेरे आधीन
दुःख से या सुख रखो
तुम दाता हो मैं तो दीन


सत्य निवेदन कर रहा
सदा बना रहे आशीष
याद मुझे कर लिया करें
यही भक्ति की बख्शीस


बहुत समय से जोह रहा
मुरलीधर तुम्हारी ही बाट
सेवक पै स्वामी की सदा
होती रहे करुणा बर्षात



श्रीकृष्णाय नमो नमः🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कालिका प्रसाद सेमवाल

🌹शुभ प्रभात🌹
****************
अपना मुझे बना लो राम
🥀🌻🍃🍁🌷🌴🦚
दीन बंधु हो, दया सिन्धु हो,
सब के रक्षक हो श्री राम,
मात पिता और गुरु जनों के आज्ञाकारी हो श्री राम।


अखिल विश्व संचालन  तुम हो,
मर्यादा पुरुषोत्तम भी तुम ही हो,
जन-जन के तुम प्राणाधार,
भक्ति शील सौंदर्य की खान तुम हो,
अहिल्या का उद्धार किया है । 


हनुमानजी परम कृतार्थ हो गये,
नाथ तुम्हारी सेवा कर,
तब पूजन -अर्चन करने को,
सुर नर मुनि रहते तत्पर।


होगा तभी सार्थक नर-तन,
जब हमको अपना लो राम।
करता हूं सर्वस्व समर्पित,
अपना मुझे बना लो राम।
********************
कालिका प्रसाद सेमवाल


राजेंद्र रायपुरी

🌞   दीप जलाना है हमें  🌞


रखना याद न भूलना, 
                    कहा गया जो यार। 
दीप जलाना है हमें, 
                   अपने  अपने  द्वार।


अपने  अपने  द्वार, 
                   रात नौ बजते भाई।
अधिक नहीं नौ मिनट, 
                 बता दो आज लुगाई।


स्वाद जीत का यार,
              हमें है कल को चखना।
दिन कल है रविवार, 
              ध्यान है सबको रखना।


             ।। राजेंद्र रायपुरी।।


राजेंद्र रायपुरी

🐰आओ चलें प्रकृति की ओर🐰


आओ चलें प्रकृति को ओर।
आओ चलें प्रकृति की ओर।


जिसकी न  तो  सीमा कोई,
और न कोई छोर।
आओ चलें प्रकृति की ओर।


फूलों संग हम भी मुस्काएॅ॑।
गीत मधुर कोयल संग गाएॅ॑।
कभी  शांत  बैठें  बगुले  सा,
करें न कोई शोर।


आओ चले प्रकृति की ओर।
आओ चले प्रकृति की ओर।


चिड़ियों सा हम चहकें भाई।
उड़ें  गगन  मन पंख  लगाई।
उठ जाएॅ॑ चिड़ियों के जैसे,
होते ही हम भोर। 


आओ चलें प्रकृति की ओर।
आओ चले प्रकृति की ओर।


झरने को हम मीत बना लें।
बैठ पास हम भी मुसका लें।
बहे ज़िंदगी बन जलधारा,
करें न चिंता घोर।


आओ चले प्रकृति की ओर।
आओ चले  प्रकृति की ओर।


पर्वत    जैसे  ऊॅ॑चे    सपने।
रहें  सदा  आॅ॑खों  में  अपने।
पूरे   हों   या   ना  हों   सारे,
बने नहीं हम चोर।


आओ चलें प्रकृति की ओर।
आओ चलें प्रकृति की ओर।


चमकें नभ बन चांद सितारे।
लगते  हैं  जो  सबको  प्यारे।
बन सूरज  तम  दूर करें हम। 
भैया निश-दिन भोर।


आओ चलें प्रकृति की और।
आओ चलें  प्रकृति की ओर।


चलें हवा बन मंद सुगंधित।
कर दे जो मन को आनंदित।
तूफां बन कर चलें कभी ना,
 नाश करे जो घोर।


आओ चलें प्रकृति की ओर।
आओ चलें प्रकृति की ओर।


उपजाऊ   धरती   बन  जाएॅ॑।
पेट  सभी  का  हम  भर पाएॅ॑।
पा  आशीष भूख  पीड़ितों का,
नाचेगा  मन  मोर।


आओ  चले  प्रकृति की  ओर।
आओ  चलें  प्रकृति  की ओर।


बादल  हम भी  वो  बन जाएॅ॑।
जो  धरती  की  प्यास  बुझाएॅ॑।
हमें   नहीं   बनना   वो  बादल,
जो  बरसें घनघोर।


आओ  चलो  प्रकृति  की ओर।
आओ   चलें  प्रकृति  की  ओर।


      ।। राजेंद्र रायपुरी।।


कालिका प्रसाद सेमवाल  मानस सदन अपर बाजार रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

नवमी नवरात्र मां सिद्धिदात्री 
🌹🔔🥀🕉🥀🌸🎍🌿
हे मां सिद्धिदात्री सुमति दे
********************
हे मां सिद्धिदात्री
अष्ठ भुजा धारी जगत कल्याणी,
हम भक्तो पर कृपा बरसाओं,
तेरी महिमा अपरम्पार  है मां।


हे मां सिद्धिदात्री
अन्दर ऐसा प्रेम जगाओ,
जन जन का उपकार करूं,
प्रज्ञा की किरण पुंज तुम,
हम तो निपट  अज्ञानी है।


हे मां सिद्धिदात्री
करना मुझ दीन पर कृपा मां,
निर्मल करके तन-मन सारा,
मुझ में विकार मिटाओ मां,
इतना तो उपकार करो।


हे मां जग जननी
पनपे ना दुर्भाव कभी मन में,
ऐसी सुमति दे दो मां,
बुरा न करूं -बुरा सोचूं,
ऐसी सुबुद्धि  प्रदान करो।


हे मां जगदम्बे
इतना उपकार करो,
निर्मल करके मन मेरा,
सकल विकार मिटाओ दो मां,
जो भी शरण तुम्हारी आते,
उन्हे सद् मार्ग बताओ मां।
*******************
कालिका प्रसाद सेमवाल
 मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
********************


राजेंद्र रायपुरी

😌  भारत माता का आह्वान  😌


भारत माता कर रही,
                    सबका ये आह्वान।


घर में ही रहना तुम्हें, 
                   अगर बचानी जान।


अगर बचानी जान,
                 बात जो कहते मानो।


नहीं  माननी  बात,
             कभी ये ज़िद मत ठानो।


कुछ दिन की है बात, 
                तात विनती है आरत।


दुनिया का जो हाल, 
                 न  होवे  वैसे  भारत।


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


हलधर

ग़ज़ल -आज के हालात पर
-----------------------------------


समंदर तक खँगाले जा रहे हैं ।
सड़े मोती निकले जा रहे हैं ।


कहें जो संघ को आतंकवादी ,
वही मरकज़ सँभाले जा रहे हैं ।


जहाँ चाकू भी वर्जित था बताओ ,
वहाँ बंदूक भाले जा रहे हैं ।


अभी भी देश के कुछ चैनलों पर ,
दबे मुद्दे उछाले जा रहे हैं ।


यहाँ इक सोच ऐसी पल रही है ,
दिलों में द्वेष घाले जा रहे हैं ।


चिकित्सक नर्स पीटे जा रहे हैं ,
विदेशों तक रिसाले जा रहे हैं ।


पुरानी सोच में भटके उलेमा ,
नवी पर दोष डाले जा रहे हैं ।


कहे "हलधर" हमेशा बात सच्ची ,
जमीं पर नाग पाले जा रहे हैं ।


हलधर -9897346173


कुमार🙏🏼कारनिक (छाल, रायगढ़, छग)


      *श्री राम*
(मनहरण घनाक्षरी)
  """""'''""""""'"""""""
सूर्यवंश के  श्री राम,
जग में  है  तेरोे नाम,
बिगड़े  बनादे  काम,
      राम गुन गायेंगे।


💫🏹


मर्यादा    पुरषोत्तम,
सबसे   है  सर्वोत्तम,
मिलके कहें श्रीराम,
 शीश को झुकायेंगे।


🏹🌸


दुख   सारे  हरते  है,
बेड़ा  पार  करते  है,
रामजी के शरण  मे,
   भजन जो गायेंगे।


🌺🏹


पार  भव-सागर   है,
जनम    उजागर  है,
आखिरी समय  हम,
   मुक्ति धाम पायेंगे।


रामनवमी पर्व की हार्दिक
बधाई एवं शुभकामनाएँ
             ********


सम्राट की कविताएं

रामनवमी की बधाई और शुभकामनाएं
"राम" एक सरल सा शब्द पर होना उतना ही मुश्किल । अपनों के किसी भी निर्णय को सहजता से मान लेना साथ ही अपने निर्णय पर अटल रहना ही राम होना हैं।


राम मूल्यों का आधार है
राम रिस्तों का प्यार है
राम भावों का परिवार है
राम सकल जगत संसार है।।


राम पर्वत सा कठोर है
राम भाव विभोर है
राम चकित चित चोर है
राम मगन घन, मोर है।।


राम कठिन पंथ गामी है
राम सूर्य कूल नामी है
राम ही बैकुंठ धामी है
राम रघुनंदन नामी है।।


राम युग एक अवधी है
राम से घृणा एक व्यधि है
राम सीता की सुधि है
राम जल समाधी है।।


राम नीचता पर प्रहार है
राम जनमानस का प्यार है
राम एक अलग संसार है
राम तुलसी का प्यार है।।


राम भावनाओं का शमशान है
राम रावण का अभिमान है
राम अबोध बालक नादान है
राम केवट के भगवान है।।


राम लव कुश के प्रमाण है
राम समुन्द्र सोखन बाण है
राम मानवता के कल्याण हैं
राम सीता के प्राण है।।


राम केवल राम है
राम भक्त के गुलाम हैं
राम सबके राम है
राम को सबका प्रनाम है।।


🙏🙏🚩🚩जय सियाराम 🚩🚩🙏🙏
©️सम्राट की कविताएं


अर्चना पाठक 'निरंतर'

कुंडलियाँ
-------------
विषय - श्री राम


सीता पति श्रीराम है, घट घट करते वास ।
जन्म सफल होगा तभी, सुमिरन से हैं पास।।
सुमिरन से हैं पास, आस कब वो हैं तोड़े ।
स्वयं बना लो खास, रास जीवन से जोड़े ।।
उर में जाएँ डूब ,भक्ति का पट है रीता।
सबके प्रभु श्री राम, नाम आनंदित सीता ।।



 कैसी लीला आपकी, जग में है विस्तार।
 अपने घर में कैद है, बंद हुआ निस्तार।।
 बंद हुआ निस्तार,गजब सन्नाटा छाया।
 अंदर हाहाकार, मचा अति भय का साया ।।
 बैठो अपने नीड़, करो कुछ रचना ऐसी।
 भा जाए प्रभु राम, कृपा मिलती है कैसी।।


अर्चना पाठक 'निरंतर'


अंजुमन आरज़ू

रामनवमी की अनंत शुभकामनाओं सहित 💐💐💐🙏


               कुण्डलिया


सुमिरन के ही साथ हम, करें राम से काम ।
राम मान हैं देश का, राम नहीं बस नाम ॥
राम नहीं बस नाम, राम अभिमान हमारा ।
उन्नत हैं  आदर्श, जगत यह देखे सारा ।
जिनके सद्गुण देख, हुआ नतमस्तक जन-जन ।
श्रद्धा पूरित जगत, करें प्रभु  का नित सुमिरन ॥


   -अंजुमन आरज़ू ©✍


राजेश कुमार सिंह "राजेश"

*# काव्य कथा वीथिका #*-84
( लघु कथा पर आधारित कविता)
***********************
 हे राम !  कहो सब राम बनें,
 (चैत्र राम नवमी पर विशेष )
************************। 
हे राम ! आप का जन्म हुआ, 
           भारत की पावन मिट्टी मेंं । 
सदियों पहले की घटना है़ , 
         यह  झलक रही हर दृष्टि मेंं ॥ 


   राजा दशरथ थे राम पिता , 
          लव कुश भी थे संदेह नही । 
तीन और भ्राता भी थे , 
             चर्चा मेंं थे  विदेह कही  ॥ 


पर राम, आपने मानदण्ड , 
      कु़छ ऐसा रच कर दिखा दिया । 
निज नाम राम का, हे राघव, 
             ब्रह्म शब्द ही बना दिया ॥ 


जब वन जाने की बात हुईं, 
         मन मेंं विच्छोभ नही आया । 
जो सुख चौथेपन मिलता है़, 
       वह सुख बचपन मेंं ही पाया ॥ 


ऐसे ही वाक्य ऊचारे थे, 
                 माता कैकेयी से तुमने । 
वस्त्रों का मान घटाया था, 
                  तन से छोड़े थे गहने ॥ 


मतंग शिष्य सब दंग हुऐ, 
            जब माँ शबरी के घर आये । 
ऋषिगण के भोग तजे तुमने, 
                 जूठे बेरों को भी खाए ॥ 


जड़, जीव और जंगल ,जल से, 
            मित्रता अनोखी कर ली थी । 
सब तेरे प्यार मेंं पागल थे, 
      एक गिद्ध को गोद मेंं भर ली थी ॥ 


हे राम ! कहो सब राम बनें, 
            अनुसरण तेरे जीवन का हो । 
दर्शन तेरा हो, या ना हो , 
               दर्शन तेरे मन  का ही हो ॥ 


राजेश कुमार सिंह "राजेश"
दिनांक 02-04-2020


राजेश कुमार सिंह "राजेश"

*# काव्य कथा वीथिका #*-85
( लघु कथा पर आधारित कविता)
***********************
 जीवन रेखा कितनी पतली....
************************। 
कर्म के पथ का अनुगामी हूँ, 
          कर्म के पथ पर चलता हूँ । 
आँखों का निर्मल आँसू हूँ, 
           उज्जवल जल बन  बहता हूँ ॥ 


जीवन को निःस्वार्थ भाव से , 
                 जीने का संकल्प लिए ।
 राग द्वेष से विरत जिंदगी, 
         सुख दुःख का विकल्प लिए ॥ 


 जीवन तट पर मोती चुनता, 
                 और हृदय मेंं रखता हूँ । 
नही शौर्य और मौर चाहता, 
             पाँवो के तल  रहता हूँ ॥ 


मैं धरती की धूल सदृश्य हूँ, 
                  दिल ईश्वर मेंं रमता है़ । 
मुझको चरण पादुका समझो, 
                      जो पैरों मेंं रहता है़ ॥ 


मेरी एक छोटी दुनियाँ है़, 
                  छोटे घर मेंं रहता हूँ । 
छोटी छोटी गलती करता, 
              क्षमा मांग कर जीता हूँ ॥ 


जीवन रेखा कितनी पतली, 
          इसको अब बतलाना क्या । 
जो भी जीवन शेष बचा, 
        उसमे "हम" को लाना क्या ॥ 


कर्म हमारी पूंजी है़ , 
                 उसके संग मेंं जीता हूँ । 
जितनी श्वासे दी ईश्वर ने, 
                 उन श्वासों संग रहता  हूँ ॥ 



राजेश कुमार सिंह "राजेश"
दिनांक 03-04-2020


अवनीश त्रिवेदी "अभय"

मुक्तक


किसी अहसान के बदले मुझे कब तक सताओगी।
जमाने  से  कभी क्या तुम  मुझे अपना बताओगी।
फ़क़त  रुसवाइयाँ  हमको मिली हर बार तुमसे ही।
न जाने  कब तलक मुझसे फ़रेबी हक़  जताओगी।


अवनीश त्रिवेदी"अभय"


एक मुक्तक


शहीदों की इबादत मे कभी जब  गीत लिखता हूँ।
सुशोभित काव्य होता हैं तभी मनमीत लिखता हूँ।
लड़े जो हर समय ताकत  दिखाई जान देकर भी।
सभी  रणबांकुरों की  वीरगाथा जीत  लिखता  हूँ।


अवनीश त्रिवेदी "अभय"


जय श्री तिवारी खंडवा

🙏बिदाई🙏
🙏मां कैसे विदा करूं मैं तुझको
नैन मेरे भर आते हैं
नौ दिन रही मेहमान
कलश ,अखंड ज्योत, हवन
दुर्गा सप्तशती के पाठ
धूप ,दीप ,नैवेद्य ,आरती
पूजा में मां कमी रही
क्षमा मुझे तुम कर देना
रीति मुझे निभानी है मां
विदा आपको करना है
मन मंदिर के आसन पर मा
सदा विराजित रहोगी तुम
बालक की हर विपदा को
वचन दो मा़ं हरोगी तुम
जगत जननी तुम कहलाती हो
जगत की पीर हरोगी तुम
जब जब तुमको याद करूं मां
सर पर हाथ तुम्हारा होगा
मन को यह विश्वास है मां
जग की पीड़ा निवारोगी तुम🙏
जय श्री तिवारी खंडवा


विष्णु असावा               बिल्सी ( बदायूँ )

राम नवमी की शुभकामनांओं सहित एक मनहरण घनाक्षरी


जनम लिया है राम दशरथ जी के धाम
ढोलक नगाड़े बजे बजी शहनाई है


चैत्र शुक्ल पक्ष वाली देने वाली खु्शहाली
पुनः आज नवमी की शुभ तिथि आई है


सुमित्रा ने लखन भी और रिपुदमन भी
केकयी ने जनमा ये भरत सा भाई है


हर्षाती माता कौशल्या जनकर राम जी को
घर घर अबध में बजत बधाई है


               विष्णु असावा
              बिल्सी ( बदायूँ )


प्रतिभा प्रसाद कुमकुम

(003)       🙏🏻 *प्रतिभा प्रभाती* 🙏🏻
-------------------------------------------------------------
नित करूं मैं वंदन प्रभु!जी ,
चरण पखारूँ, आठों याम ।
कर्म धर्म पूजा न जानूँ , 
मुझे सिखा दो मेरे राम ।
 रहे शीश पर तेरा हाथ , 
जीवन भर का दे दो साथ ।
नित्य मैं  अभिनंदन गाऊँ , 
तेरे चरण पड़ूँ रघुनाथ ।
माँ- तात को नमन करूँ मै, 
उनको झुकाऊँ  रोज माथ ।
अग्रजों को नमन सदा ही , 
अनुजों को नित्य राम राम ।।



🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम* 🌹
       (सर्वाधिकार सुरक्षित)
        दिनांक  3.4.2020....(003)...



_________________________________________


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"लहज़ा"*
"दौलत के अभिमान में साथी,
बदल जाता-
अपनो का लहज़ा।
अपने-बेगाने बन जाते साथी,
बेगाने अपने-
दौलत का नशा और लहज़ा।
भूल जाता जीवन साथी,
कौन-अपना-बेगाना-
बस अपनी-अपनी कहता।
मैं ही मैं में खोया रहता साथी,
कटुता होती वाणी में-
भूल जाता सभ्यता का लहज़ा।
सभ्यता की दहलीज़ पर साथी,
हो मृदु वाणी-
सार्थक हो जीवन और लहज़ा।
दौलत के अभिमान में साथी,
बदल जाता-
अपनो का लहज़ा।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः         सुनील कुमार गुप्ता
sunil      02-04-2020


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:- 


*"चलते-चलते"*


"चलते-चलते जीवन पथ पर,
साथी कभी भूल कर भी-
सत्य-पथ से भटक न जाना।
सद्कर्मो संग जीवन में साथी,
इस जग में-
अपना धर्म निभाना।
प्रेम सुधा में हीं जीवन पथ साथी,
अपनत्व संग -
बढ़ते जाना।
उपजे न नफ़रत जीवन में,
मधुर वाणी से -
संबंधों को महकाना।
सार्थक हो जीवन साथी,
प्रभु भक्ति की -
मन में ज्योत जगाना।
चलते-चलते जीवन पथ पर,
साथी कभी भूल कर भी-
सत्य-पथ से भटक न जाना।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः         सुनील कुमार गुप्ता


नूतन लाल साहू

ब्यथा
हमे मत पुछिये कि
आजकल क्या कर रहे हो
हम जीवन की बगिया में
आंसू बो रहे थे
अब कर्म के धागों से
फटा भाग्य, सी रहे है
अपने किये,पर पश्चाताप
अब भी नहीं कर रहे है
बस अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे है
जिस देश में पानी,पैसे से मिलता है
वहां लोगों को,हर चीज
मुफ्त में चाहिये
लोग समाजवाद को,
सड़को पर ढूंढ रहे है
और समाजवाद असलियत में
हमारी दुकान में बंद हैं
संकट की घड़ी में भी देखो
मुनाफाखोर,मुनाफा खा रहा है
ग्राहक पीला और दुकानदार लाल है
बस अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे है
एक महानुभाव,हमारे घर आया
मैंने उनका हाल पूछा
तो आंसू भर लाया
हमने कहा,तू हिम्मत न हार
जबकि वैसा ही है,मेरा भी हाल
पल में जीवन,पल में मृत्यु
पल की महिमा
कोई समझ नहीं पाया
संकट की घड़ी में जो
हौसला नहीं खोया,सचमुच में
आज वही है,सच्चा इंसान
अपने किये पर पश्चाताप
अब भी नहीं कर रहे है
बस अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे है



नूतन लाल साहू


 


एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली।*

*नव रात्र महिमा( हाइकु)*


ये नवरात्र
माँ की पूजा अर्चना
कहते शास्त्र


हैं अष्ट भुजा 
माँ दुर्गा की ये शक्ति
न कोई दूजा


अष्टमी तिथि
कलश कसोरा जौ
पूजन विधि


काज सँवारे
कन्या पूजन करें
घर हमारे


हलवा पूरी
इस बिन अधूरी
यह जरूरी


राम नवमी
नौ दुर्गा माँ के रूप
पूजते धर्मी


वर्ष दो बार
नव रात्र का पर्व
करे उद्धार


राम नवमी
राम जन्म दिवस
श्रद्धा अपनी


*रचयिता।एस के कपूर*
*श्री हंस।बरेली।*
मो    9897071046
        8218685464


एस के कपूर "श्री हंस"* *बरेली।*

*पराजय सुनिश्चित है इस*
*कॅरोना छल की।*



घर में  रहना  ही आज
सर्वोत्तम  राष्ट्र  धर्म है।
यही   हमारा   सर्वोच्च
सामाजिक    कर्म   है।।
घर में कुछ   करते  रहें
सकारात्मक  हो सोच।
समय की  जरूरत यह
यही आवश्यक श्रम है।।


सामाजिक  दूरी   बनाने
में ही है आज    फायदा।
क्रूर दानव   को  हराएगा
केवल यहीआज कायदा।।
बुद्धि विवेक एकता और
अनुशासन  ही   हैं  मन्त्र।
मिल कर करें  खुद  और
राष्ट्र से यह आज वायदा।।


कॅरोना के  विरुद्ध ये जंग
अवश्य  ही   जीतेंगे  हम।
बस घर में   ही  रहें  चाहे
ज्यादा मिले या  हो  कम।।
ताउम्र  सफर    जारी  रहे
तभी कदमों को  थामा है।
हों  ना पायें    जीवन  भर
दुबारा  यह   आँखें   नम।।


विश्व  में   चर्चा   हो  रही  है
भारत के नेतृत्व कुशल की।
135  करोड़   को    बचाया 
उस इस कौशल सुफल की।।
सम्पूर्ण  विश्व नत  मस्तक है
भारतीय कार्यशैली के आगे।
वास्तव में  पराजय सुनिश्चित 
है इस  शत्रु कॅरोना छल  की।।


*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।*
मो।    9897071046
         8218685464


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