(000) प्रतिभा प्रभाती
विषम घड़ी में सम भाव हो ।
जीने का उत्साह नया हो ।
इक दूजे पर प्यार बढ़ा हो ।
कर्त्तव्य सदा कांधे रखता हो ।
अधिकार मिले कभी न लड़ा हो ।
ऐसा व्यक्ति ही राम है ।
जीवन का वह संग्राम है ।
दिशा समाज को दे जाता है ।
मात तात का जीवन दर्शन ।
कुट कुट मम अंतस भरा है ।
ऐसा व्यक्ति स्वयं प्रभाती ।
आचरण से गढ़ता कहता है ।
आओ प्रभाती गीत सुनाएं ।
आचरण से इसे गढ़ जाएं ।
प्रतिभा प्रभाती नाम बन जाएं ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 8.4.2020......
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