आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी एवं आदरणीय नीरज भैया को सादर नमन करते हुए कार्यक्रम "रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता" की अध्यक्षता कर रहीं आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को सादर नमन करते हुए कार्यक्रम प्रतियोगिता का शुभारम्भ करने की अनुमति चाहती हूँ🙏
कार्यक्रम का शुभारम्भ मैं अपने इन दो घनाक्षरी छन्दों से कर रही हूँ–
बड़ा ही भयावह है, यमराज से भी कहीं,
भूले से भी गलती , कहीं न कर दीजिए।
घर में ही रहें सब, बाहर न जाएँ कहीं,
लॉक डाउन को कभी, तोड़ मत दीजिये।।
कोरोना है महामारी, निर्दयी अदृश्य यह,
भयभीत हो करके, प्राण मत दीजिये।
दूर-दूर रहें सभी, बार-बार हाथ धोएँ,
स्वच्छता को जीवन से, जाने मत दीजिये।।
मास्क रहे मुहँ पर, गर्म चाय, पानी पियें,
इधर-उधर मास्क , फेंक मत दीजिये।
मास्क को उतार कर, अग्नि के हवाले कर,
श्रेष्ठ नागरिकता का, परिचय दीजिये।।
कोरोना के योद्धा सारे, हर क्षण सेवा लीन,
मानें इन्हें भगवान, सुसम्मान दीजिये।
घुटने हैं टेक चुके, दुनिया के देश बड़े,
भारत को धराशायी, होने मत दीजिये।।
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
ग़ज़ल : रक्तबीज कोरोना
हर तरफ़ सिर्फ ख़ौफ़ पसरा है।
आदमी घर में क़ैद बैठा है।
लॉक डाउन हुए सभी दफ़्तर,
काम घर पर ही रह के करना है।
मौत है रक्तबीज कोरोना,
ऐसा मंज़र कभी न देखा है।
है ख़तरनाक वायरस इतना,
ख़ुद को छूने में डर सा लगता है।
दूरियाँ यूँ भी कम न थीं अब तक,
'ज्ञान' अब और क़हर बरपा है।
- ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान'
वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी
भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय
आयुध निर्माणी नालन्दा
राजगीर-803121 (बिहार)
मोबाइल : 7905698382
ई मेल : gyanendramohan5@gmail.com
कार्यक्रम संरक्षक: आदरणीय *अनिल गर्ग* जी,
प्रेरक: *डॉ० मृदुला शुक्ला*
कार्यक्रम अध्यक्ष: आदरेया *अरुणा अग्रवाल लोरमी* जी को संबोधित ऑनलाइन प्रतियोगिता।
शीर्षक:
*रक्तबीज कोरोना*
(1)
*छंद ताटंक*
(चार चरण, 16, 14 पर यति अंत मगण/तीन गुरु)
महाशक्तियां पीड़ित जिससे, विश्व डरा थर्राया है।
करे संक्रमित पल में वह ही, संकट बनकर छाया है।
जनक चायना वाहक शातिर, मित्र जमाती माया है।
*रक्तबीज कोरोना* बनकर, इस धरती पर आया है।
-------------------------------------------------------------
(2)
*छंद ताटंक*
(चार चरण, 16, 14 पर यति अंत मगण/तीन गुरु)
लाइलाज यह सूक्ष्म वायरस, किन्तु नहीं घबराना है।
आवश्यक प्रतिरोधक क्षमता, इसको नित्य बढ़ाना है।
गुर्च मिर्च आर्सेनिक थर्टी, पीना और पिलाना है।
*रक्तबीज कोरोना* मानें, इससे विश्व बचाना है।
-------------------------------------------------------------
(3)
*छंद कुकुभ*
(चार चरण, 16, 14 पर यति अंत कर्णा/दो गुरु)
मुख पर मास्क शीश पर हेल्मेट, दस्तानों को अपनाएं।
अपनाएं सामाजिक दूरी, कम से कम बाहर जाएं।
*रक्तबीज कोरोना* यद्यपि, पैनिक हो मत घबराएं।
घर पर रहना ही सर्वोत्तम, यह ही समझें समझाएं।
-------------------------------------------------------------
(4)
*छंद रुचिरा*
(चार चरण, 16, 14 पर यति अंत गुरु से)
बाहर जाना यदि मन चाहे, बहकें मत बस धैर्य धरें।
रखें मौनव्रत पत्नी सम्मुख, मुस्काये तो पुष्प झरें।
*रक्तबीज कोरोना* मानें, बचे रहें पर नहीं डरें।
करें लॉक डाउन का पालन, घर पर ही रह कार्य करें।
-------------------------------------------------------------
(5)
*छंद रुचिरा*
(चार चरण, 16, 14 पर यति अंत गुरु से)
बनें सनातनधर्मी फिर से, हाथ जोड़ अभिवादन हो।
सकारात्मकता हित प्रतिदिन, हवन यज्ञ आराधन हो।
*रक्तबीज कोरोना* से बच, जायें यदि अनुशासन हो।
ऐसा कार्य करें हम जिससे, सबका ही हित साधन हो।
रचनाकार:
*--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'*
पता: 91, आगा कालोनी, सिविल लाइन्स सीतापुर 261001, उत्तर प्रदेश।
मोबाइल नंबर: 9415947020
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना* *ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष* *आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को मेरा सादर नमन और हार्दिक अभिनंदन*
*देश पर आई इस विपति के दौर में *माँ काली का आह्वान करते हुवे* *मैं ये रचना आप तक पहुचाने की कोशिश कर रहा हु। आपके समीक्षा तथा आशीर्वाद का कामना करता हु*
*कविता का शीर्षक है*
*अवतार लो ना माँ*
*रक्तबीज* है आया बनके,फिर से *कोरोना* माँ
सारे जग में मचा दिया हाहाकार *कोरोना* माँ
लागे अब धरती पर कोई नही बचेगा माँ
किसी रूप में धरती पर *अवतार* लो ना माँ
तेरे बालक बिलख रहे है
दर्द से अपने तड़प रहे है
ऐसी आफत आई इसको दूर करो ना माँ
किसी रूप में धरती पर *अवतार* लो ना माँ
अंत हो रहा बड़ा भयानक
कैसा रोग उपजा है अचानक
अब तो अपने भक्तों का चीत्कार सुनो ना माँ
किसी रूप में धरती पर *अवतार* लो ना माँ
अब तक नही इलाज मिला है
हवा में जहर सा ये फैला है
रण में आकर के फिर से हुंकार भरो ना माँ
किसी रूप में धरती पर *अवतार* लो ना माँ
जय माँ काली खपड़ वाली
दुष्ट दलन तुम करने वाली
*रक्तबीज कोरोना* का संघार कर दो ना
किसी रूप में धरती पर *अवतार* लो ना माँ
*✍️मनीष कुमार तिवारी*
*मनी टैंगो*
ग्राम+पो०:-मिल्की ईश्वरपुरा
जिला :-भोजपुर
राज्य :- बिहार
पिन :-802112
काव्य रंगाेली रक्तबीज काेराेना अॉनलाईन प्रतियाेगीता २०२० प्रतियागीता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुलाजी शुक्ल संरक्षक दादा अनिलजी गर्ग एंव कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणाजी अग्रवाल काे समर्पित एंवम आप सभी के अवलाेकनार्थ मेरी प्रस्तुती
स्वरचीत - सतीश लाखाेटिया नागपुर
*रक्तबीज काेराेना*
रक्तबीज यह शब्द सुनकर
आ रहा कुछ याद
मॉ दुर्गा ने किया था
इसी नाम के दानव का सर्वनाश ।।
इस २१ वी सदी में
आयी यह राक्षस रूपी
काेराेना नाम की
विश्व मे नयी बिमारी
साेच मे पड़ गयी दुनीया सारी
हर इंसा हाे गया दुखीयारी
धरी की धरी रह गयी
अच्छाे अच्छाे की हाेशयारी ।।
भारत में चलाया
सरकार ने अलग ही तंञ
घर मे रहाे
यह दिया मुलमंञ
जान ही जहान
सही साेच रहा अब जनतंञ ।।
परिवार एकञीत हाेकर
कर रहे धमाल
रामायण,महाभारत देखकर
ञेता युग,द्रापर युग मे जाने का
इस कलयुग मे हाे रहा
बुजुर्गों संग नयी पिढी काे अहसास ।।
गरीबाे काे अभी मिल रही राेटी
बाद मे न जाने
क्या हाेंगा इनका हाल
अमीर माैज मस्ती मे
रह रहा परिजनाे के साथ
मिडल क्लास की
हाे रही ऐसी तैसी
काेई भी न रख रहा उनका ख्याल ।।
दहशत मे रहकर
हर इंसान साेच रहा
न जाने क्या हाेगे
व्यापार,नाैकरी के हाल
काेराेना से बच भी गये अगर
घीमी रहेगी पैसा कमाने की चाल ।।
देश के समाजसेवी
कर रहे मन से दान
डॉ,पाेलीस, सफाईकर्मी
के साथ अन्य समाजसेवी
सच मे है महान
इन सभी काे सच मे
दिल से सलाम ।।
इस महासंकट से बचने हेतु
अब एक ही उपाय
स्वंय का घ्यान स्वंय रखाे
चाहे कुछ भी हाे जाए ।।
विनंती है मॉ आपसे
वैक्सीन रूपी दवाई
बनकर लाे आप फिर अवतार
करने इस काेराेना का संहार
हाे जायेंगा जन जन का उध्दार
इस संकट ने दिखाया
सारे विश्व काे
भारत की एकता
सच में है बेमिसाल ।।
रक्त से मिले रक्त
बनकर एकता का बीज
जीवन बने मधुर संगीत
गाये हम खुशी के गीत
मिलकर बनाये हम
प्रेम अपनत्व की प्रीत ।।
फिर न आये,
ऐसी काेई बिमारी
जीने - मरने की बात
हर तरफ हाे जाए
मॉ जगदम्बा करे ऐसी कृपा
अर्थव्यवस्था बढिया हाे जाए
किसी काे रक्तबीज कराेना
या किसी और भी संकट पर
कविता पठन करने का अवसर
कभी न आये
कभी न आये ।।
धन्यवाद 🙏🙏
सतीश लाखाेटिया
नागपुर ( महाराष्ट्र ).
माे 9423051312
9970776751
काव्य रंगाेली रक्तबीज काेराेना अॉनलाईन प्रतियाेगीता २०२० प्रतियागीता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुलाजी शुक्ल संरक्षक दादा अनिलजी गर्ग एंव कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणाजी अग्रवाल काे समर्पित
शत्रु बिचित्र है ,बना रक्त बीज है। दहल गयी है दुनियां मौत इसका खेल है ।।
दहसत में है दुनिया घर में ही कैद घहै ।
खौफ में है दुनियां दूरी बनाकर रहना गर चाहते हो जीना।
दहसत में है दुनिया घर में ही कैद रहना ।।
बंद हुआ हाथ से हाथ का मिलना हुआ ।
एक से बनता अनेक है रक्त बूँद नहीं फिर भी रक्त बीज है ।।
हाथ से हाथ साथ से साथ मिलने से बनती है ताकत शक्तशाली रक्त बीज है ।
टुट जाए श्रंखला तो समझों। पस्त रक्त बीज हैं।
विश्व मानवता को देता चुनौती घात से घायल दुनियां का हर देश है।
देता चुनौती एक साथ मिल गए सौ पचास सब पर आक्रमण एक साथ निति नियत् रक्त बीज है।।
भेद भाव नहीं क़ोई संक्रमण काआक्रमण हथियार रक्त बीज है।
व्यवहार और न्याय चुनैति शक्ति यही रक्त बीज है।
आसान रक्त बीज है लड़ना आसान जिंदगी है जीना बहुत आसान है रक्त बीज से मरना।।
सयम संकल्प ही मात्र शत्र है ।आएगा कब किधर से नहीं ज्ञात नहीं ।
रक्त के किस बूँद से बन गया सहत्र यही तो रहस्य रक्त बीज है।।
वर्दी में करता हर जान कि रक्षा सुरक्षा गलतियों में देता हिदायत रक्त बीज से लड़ने कि ताकत
कही हद से गुजर जाते अपनी हरकतों से अपने ही रक्षक को आहत कर जाते ।
रखते नहीं मान अभिमान रक्त बीज कोरोना से युद्ध में खुद पे करते आत्म घात।।
श्वेत, शौम्य ,में वैद्य सुखेंन, धन्वन्तरि सेविका सब कर्म धर्म से से करते प्रयास ना जाये किसी की जान ।।
इनको भी सुकून से करने नहीं देते अपनी ही हिफ़ज़ात का काम इंतज़ाम।।
स्वक्षता करता दींन दयाल स्वस्थ रहे स्वच्छ रहे देश उसका भी करते उपेक्षा अपमान।।
वर्दी के सिपाही ,खाकी स्वेत श्याम रक्तबीज कोरोना के युद्ध में श्रेष्ठ शत्र शास्त्र।
आओ हम सब करे इनका सम्मान ये खुश रहे कभी ना निराश रहे ।
हम अपनी दुआओं से इनमे उर्जा, उत्साह अपनेपन का संचार करे ।
रक्तबीज कोरोना के इस माह युद्ध के उपयोगी अश्त्रो को मानवता के नेह , धार ,धैर्य का अभिमान भरे।।
सारथि समर्थ नर में नरेंद्र है सारथि के साथ चलो सब साथ वक्त और हालात कि दरकार यही है ।।
खांसी तेज बुखार साँस के विश्वास में व्यवधान रक्त बीज कोरोना के वार यही है।
सामाजिक दुरी ,नाक मुंह को ढकना है जरुरी हाथ को रखो साफ़ यही पास हथियार है।।
इस महायुद्ध में जीवन कि आवश्यकता सेवा देते रक्तबीज कोरोना से लड़ने में साहस हिम्मत देते ।
ऐ ही सैनिक इस महायुद्ध के इनको चाहिये प्यार सम्मान रक्त बीज कोरोना जाएगा हार ।।
रक्त बीज कोरोना का दुश्श्मन हर एक इंसान कोरोना से लड़ने की ताकत भी हर एक इंसान।
अपनी ताकत हस्ती हद को जब जाओगे पहचान रक्तबीज कोरोना को धुल चटा कर भारत का रखो मान।
विश्व गुरु भारत होगा राह दिखायेगा दुनियां को भारत की दुनिया में होगी जय जय कार ।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
काव्य रंगोली आनलाइन काव्य
प्रतियोगिता-2020
”"""''''"""""''"""""''"""""""""""""""""""
आदरणीया,
डा०मृदुला शुक्ल जी
माननीय,
दादा अनिल गर्ग जी,संरक्षक
आदरणीया,
अरुणा अग्रवाल जी,अध्यक्ष
के समक्ष सादर समर्पित एवम्
आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी
प्रस्तुतिः
""""""""""""""
आया है चीन से विषाणु एक घिनौना।
ये है असुर पुकारते,ले नाम कोरोना।।
कर दे जिसे स्पर्श,वे हो जाँय
संक्रमित।
लेकर ये जान छोड़ता है पिण्ड कोरोना।।
बढ़ता ही चला जा रहा, ये वायु
वेग से।
इंसान का दुश्मन है, रक्तबीज
कोरोना।।
सम्पूर्ण विश्व का अदृश्य शत्रु बन गया।
फैला रहा है विष,ये रक्तबीज
कोरोना।।
वीरान रास्ते सभी,निकले कोई नहीं।
फैलाये भुखमरी भी,रक्तबीज
कोरोना।।
जन-जन हुए विकल,नहीं कोई है
दवाई।
भीतर रहें घर के, बचाये मास्क
कोरोना।।
सचमुच में जोअसहाय,मदद उनकी सब करें।
जीवन बचाइये भगा के दुष्ट
कोरोना।।
चिंतन,मनन,भजन करें,घर बैठ कर सभी।
माँ,कालिके!वध कीजिये,लौटे न कोरोना।।
हर ओर स्वच्छता रहे,निकलें नहीं
घर से।
संहार करो माँ!ये रक्तबीज कोरोना।।
🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋
प्रेषित रचना स्वरचित,मौलिक एवम् अप्रकाशित है।
सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रेषक: ओम प्रकाश खरे
शिवधाम कालोनी
पारसनाथ हास्पिटल के सामने
विशेषरपुर,जौनपुर-222001,(उ०प्र०)
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डॉक्टर मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति
कोरोना कोरोना कोरोना
इससे नहीं हमें है डरना
रक्तबीज का भाई है यह
इसे बचकर ही है रहना
बढ़ता है ये हाथ मिलाने से
दूर रहता है घर बैठने से
धोते रहोगे गर हाथ बार-बार
रोएगा कोरोना तब जार-जार
अपनों से भी दूरी रखो हर बार
कोरोना भाग जाएगा हाथ हजार
रक्तबीज था जैसे-जैसे बढ़ता
कोरोना भी वैसे-वैसे है बढ़ता
रक्तबीज का जैसे हुआ नाश
करुणा का भी होगा वैसे विनाश
डरना नहीं रखतबीज कोरोना से
पर सावधान रहना है कोरोना से
कोरोना घोषित हो गया है महामारी
इसको भगाने की अब बारी है हमारी
सरकार का हर फरमान मानेंगे
कोरोना को हर हाल में हम भगाएंगे
महाचंडी बन रक्तबीज को मसल देंगें
उसे हम खत्म कर देंगे
उसे हम खत्म कर देंगे
नाम-दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
पता-DC-119/4, स्ट्रीट न.310,
न्यू टाऊन, कलकत्ता-700156
मोबाईल-9434758093
दिनेश चंद्र प्रसाद"दीनेश"
रचना मेरी अपनी मौलिक अप्रकाशित रचना है।
दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
रक्तबीज की तरह ही , है करोना का भी रूप।
एक को हो तो ,अदृश्य ही, फैल जाता स्वरूप।
अगर चाह हो तो इससे पार हम पा सकते हैं।
खुद को और दूसरों को इससे बचा सकते हो।
होगी सफल तभी हम सबकी , यहाँ पर तपस्या ।
जो तोड़ देंगे कड़ी ,जिसकी आन खड़ी समस्या।
बच पाने का इससे अब, है एक ही पास उपाय।
टिक कर रहना एक जगह, यही रखो अपना ध्याय।
लड़ना है अब हमें , है जो यह करोना रक्तबीज ।
घर के भीतर रहकर ही , पाएंगे इससे हम जीत।
नाम: संगीता शर्मा कुंद्रा
पता #2315, सेक्टर - 38/सी
चण्डीगढ़
मो:: 09814799348
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
शीर्षक: यह है रक्तबीज कोरोना
मानव निर्मित जैव वायरस,
मुश्किल कर दिया जीना।
खतरनाक यह इतना सुनकर,
नाक पर आए पसीना।
यह है रक्तबीज कोरोना।।
नहीं नियंत्रित दवा से होता,
न काम आए जादू टोना।
शहर बुहान में पैदा होकर,
फैला विश्व के कोना कोना।
यह है रक्तबीज कोरोना।।
पालन सोशल डिस्टेंसिग का,
बेवजह न घर से निकलना।
मास्क लगा हो चेहरे पर,
दोनों हाथों में दस्ताना।
यह है रक्तबीज कोरोना।।
अगर जीत पाना है इसपर,
सूत्र पंचशील अपनाना।
बनकर कोरोना वैरियर,
है अपना देश बचाना।
यह है रक्तबीज कोरोना।।
आत्मनियमन करके जीवन में,
इससे मुक्ति है पाना।
यह है कठिन समय थोडा़,
पर भारत में इसे हराना।
भले है रक्तबीज कोरोना।।
यह है रक्तबीज कोरोना।।
नाम: डा पार्वती यादव
पता: कटरिया बाबू, सिकटा, सिध्दार्थ नगर, उत्तर प्रदेश-272193
मो- 7081527388
आघात
मानवता पर
असहनीय।
आजा़दी पर
अंकुश
अमानवीय।
कैद हर कोई
अपने घरों में
सामाजिकता पर
कुठाराघात।
विश्वग्राम की
मार्शल मैक्लूहान संकल्पना
हो गयी तार-तार।
अपनों से ही
दूर रहने को
हर कोई
लाचार।
कितना भयावह है
यह मानव का
खुद पर
अत्याचार।
अब धैर्य और
विश्वास से होगी
जिन्दगी की नैया
पार।
'लाकडाउन' है
एकमात्र विकल्प
और
रक्तबीज कोरोना का
उपचार।
सूचना युग में भी
साबित हो रहा
सनातन संस्कृति ही है
मानवता का वास्तविक
आधार।।
डा. चन्देश्वर यादव
कटरिया बाबू, सिकटा, सिध्दार्थ नगर, उत्तर प्रदेश, 272193
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति -
कविता-- रक्तबीज कोरोना
भुखमरी की
दर्दनाक स्थिति
का ये प्रचंड काला है
रक्तबीज कोरोना का
दृश्य दिल दहलाने वाला है
दिल दहल जाता है
जब मा ने भूखे बच्चों को
गंगा मे बहा डाला है
लोकतंत्र की जड़ें अब
खोखली हो गई है ।
लाश उठाये मां बिमार
बच्चे को मीलो चली है
मेरा देश महान ये कैसी
परिभाषा है
रक्तबीज कोरोना का यह दृश्य दिल दहलाने वाला है
राजनीति और सत्ता
अब काम नही आयेगी
भूख हेवानियत की सीमा
पार कर जाएगी
यह विकट त्रासदी
क्या-क्या दिन दिख लाएगी
भूख की खातिर मां बच्चों
को घोंघे खाकर सुलाएगी
और क्या क्या होने वाला है
रक्त बीज कोरोना का
दृश्य दिल दहलाने वाला है
सहनशीलता और
संस्कारों का सबक
मिलने वाला है
इस महामारी का नाम
इतिहास में रचने वाला है
रक्तबीज कोराना का
दृश्य दिल दहलाने वाला है
नाम -कविता शरद विश्वकर्मा
पता-खडवा मध्य प्रदेश
मो0(आवश्यक नही)
काव्य रंगोली 'रक्तबीज कोरोना "प्रतियोगिता के लिए रचना, 19 मार्च 2020, काव्य प्रतियोगिता
आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल जी
रक्तबीज कोरोना, प्रतियोगिता के लिए मेरी रचना
" रक्तबीज कोरोना"
रक्तबीज कोरोना तुमने कितना आतंक मचा दिया है ।
सुरसा जैसा मुंह फैला दिया है ।
बच्चे ,बूढ़े, बड़े सभी त्राहिमाम ,त्राहिमाम पुकार रहे हैं।
सदी की सबसे बड़ी त्रासदी से गुजर रहे हैं।
इंद्रियों की लोलुपता ने मानव को यह दिन दिखा दिया।
रक्तबीज कोरोना महामारी से साक्षात्कार करा दिया ।
अति भौतिकता वादी होने का यह परिणाम है।
आज जो कुछ भी देख रहे हैं मानव के कुकर्मों का अंजाम है।
चंद लोगों की करनी का परिणाम संसार को भुगतना पड़ रहा है। गेहूं के साथ घुन भी पिस रहा है।
भारत ऋषि-मुनियों का देश है।
यदि इसी परिपाटी पर चलते तो कुछ नहीं होता।
यह निश्चित है हारेगा कोरोना, भारत रहेगा विश्व विजेता ।
नाम - जयश्री तिवारी
पता- वत्सला बिहार , खंडवा मध्य प्रदेश
काव्यरंगोली 'रक्तबीज कोरोना' ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी,संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी,एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
*रक्तबीज कोरोना*
रक्तबीज सा ही लगे, 'कोरोना' ये यार।
हर दिन बढ़ता जा रहा,दुगनी है रफ़्तार।
एक नहीं हर देश में, रहा ये पैर पसार।
रोक सके कोई नहीं, सारे हैं लाचार।
घर में ही रहना तुम्हें, कहती है सरकार।
इसको मारें वो नहीं,बना अभी हथियार।
घर में ही रहना हमें, दूरी तनिक बनाय।
इससे बचने का यही,सबसे सरल उपाय।
दूर सभी से हम रहें, नहीं मिलाएॅ॑ हाथ।
नमस्कार हो दूर से,तनिक झुकाकर माथ।
जो पालन करते नियम, खतरे से हैं दूर।
चाहे हों उद्योगपति, या फिर वो मजदूर।
लक्षण इसके तीन हैं,खाॅ॑सी और बुखार।
या कठिनाई साॅ॑स में, कहती है सरकार।
यदि ऐसे लक्षण दिखें,लें सलाह तत्काल।
कहे वैद्य वैसा करें, नहीं बजाएॅ॑ गाल।
हैं भगवान अभी वही,जो करते उपचार।
बाकी सब भगवान तो, लगते हैं लाचार।
नाम- राजेंद्र रायपुरी
(राजेंद्र कुमार शर्मा)
पता- विकास विहार,
c/o एक्सेल कम्प्यूटर्स,
महादेव घाट रोड, रायपुरा,
रायपुर (छ.ग.)
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
शीर्षक- रक्तबीज-कोरोना
पुत्र हमारा पूछ रहा है, पूज्य पिताश्री बतलाओ।
धर्म सनातन उच्च हमारा, उससे परिचय करवाओ।
नमन करो स्वीकार हमारा, पितृदेव ना भरमाओ।
दानव, दैत्य, असुर पापी से मुक्ति कथा भी बतलाओ।
रक्तबीज था महादैत्य, जो कभी नहीं क्यों मरता था?
कैसे उसका रूप बने, जब रक्त धरा पर गिरता था?
रक्तबीज कोरोना से, हो मुक्ति मार्ग तो दिखलाओ।
रक्तबीज-कोरोना में कुछ समता हो तो समझाओ।
मैं भौचक्का हो देख रहा, विस्फारित नेत्र युगल मेरे।
यह कैसी भाषा बोल रहे, आंग्ल- विशारद लाल मेरे।
रक्तबीज-कोरोना को, मन ही मन में मैं तोल रहा।
कथा सुनाता पौराणिक, मन ही मन में मैं सोच रहा।
क्या सच में रक्तबीज से कोई, कोरोना की समता है?
क्या रक्तबीज-असुरों जैसी ही, इसमें भी निर्ममता है?
दोनों में किंचित मेल नहीं, कोरोना प्रकृति दयालु है।
यह असुरविषाणु नाशक था, यह नाशक-असुर विषाणु है।
दानवी प्रकृति से भिन्न यहां, प्रकृति से मैत्री दिखती है।
इस रक्तबीज कोरोना में, प्रकृति की शांति मचलती है।
यह नहीं कथा कोरोना की, मानव की रक्त पिपासा है।
इस महाव्याधि के ताण्डव में, मानव-दानवता पलती है।
इस आधि-व्याधि की प्रभुता में, मानव का रूप निखर आया।
ममता, करुणा, देवत्व, दया का रूप विराट नजर आया।
पथ निर्जन और उजाड़ हुए, शक्ति-प्रभुता का मान घटा।
जो महाशक्ति का दंभ भरे वह दीन-हीन पथ पर आया।
जीवनधन ही धन जीवन का, सब भोग इसी जीवन के हैं।
जब जीवन ही ना बचेगा तो, फिर सुख-संसाधन किसके हैं।
यह महाव्याधि विकराल सबल, जो प्रतिदिन बढ़ती जाती है।
यह जन का है अपराध प्रबल,
जो जन-जन को अकुलाती है।
फिर ध्यान भंग, दे अभयदान, मैं परम विनीत वचन बोला।
सुन तात! मेरे उस रक्त बीज का, कोरोना से मेल नहीं।
धर धैर्य जरा हे पुत्र! मेरे,
कुछ समय गहन गृहवास करें।
यह कोरोना है बड़ी व्याधि, है विकट, किंतु दुर्जेय नहीं।
डॉ○ विनोद कुमार
विशाल नगर काॅलोनी
वाराणसी।
काब्य रंगोली रक्तबीज कोरोना आनलाईन काब्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डा. मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल जी को
समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी
प्रस्तुति
कविता
विषय _कोरोना
ये रक्तबीज कोरोना चीन से आया हुआ
आकर भारत में तांडव मचाया हुआ।
ये रक्तबीज दानव का रूप लिया
एक एक करके सबका संहारक हुआ।
इसके सामने शक्तिशाली देश भी घुटना टेके
आकर भारत में तांडव मचाया हुआ।
ये तो मानव ही मानव में पनपता है खूब
सांस रुकता है इसमें मानव धबराता खूब।
सर्दी जुखाम है इसके लक्षण सभी
आकर भारत में तांडव मचाया हुआ।
ये है राम कृष्ण की पावन धरती सदियों से ही
जहां सीता ,सावित्री, अनसुइयां सती।
सत्य परेशान होगा पर पराजित नहीं
आकर भारत में तांडव मचाया हुआ।
मैं विनती करु माता चण्डी तुझे
तू रक्तबीज कोरोना का संहारक बनो।
तेरी शक्ति महान करु कितना बखान
आकर भारत में तांडव मचाया हुआ।
नाम - विजया लक्ष्मी
पता - कैमूर भभुआ ( बिहार)
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
शीर्षक - कोरोना रक्तबीज से बचाव
विधा - गीत
**********
कोरोना से बचना भइया, यह तो बड़ी धुरंधर है,
इसको दूर भगाने खातिर, इक अभियान निरंतर है।
भीड़भाड़ से दूर रहें सब, नहीं किसी से हाथ मिले,
सिर्फ नमस्ते करना भइया, भले किसी की नाक छिले।
सबसे पहले देह बचाना, शेष सभी तदनंतर है,
कोरोना से बचना भइया, यह तो बड़ी धुरंधर है।
घड़ी-घडी हाथों को धोना, बिन धोए कुछ खाना मत,
चाहे कोई कितना पड़ ले, फिर भी गले लगाना मत।
बच पाए जो इससे जग में , होता वही सिकंदर है, कोरोना से बचना भइया, यह तो बड़ी धुरंधर है ।
कोरोना है आफत देखो, दिनोंदिन पसरता जाए,
रक्तबीज के जैसे यह तो, बूंद-बूंद बढ़ता जाए।
चलो पुकारें उस भगवन को, कर दे जो छूमंतर है,
कोरोना से बचना भइया, यह तो बड़ी धुरंधर है ।।
©️®️
गीता चौबे "गूँज"
राँची झारखंड
नाम- गीता चौबे "गूँज"
पता - जी4ए, ग्रीन गार्डेन अपार्टमेन्ट, हेसाग, हटिया, राँची, झारखंड
Email - choubey.geeta@gmail.com
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
"रक्तबीज कोरोना"
हर गली शहर में जो सन्नाटा उतरा है
क्यूंकि दुष्ट रक्तबीज करोना पसरा है।
न कहीं शोरगुल और न कहीं प्रदुषण
हर तरफ है खतरा बढ़े न संक्रमण।
जो काम -धंधे से परदेश में फंस गये
खाने पीने या घर लौटने को तरस गये।
घर वापसी के सारे साधन हो गये बंद
खत्म हो जाए लाॅक डाउन है अंतर्द्वदं।
शायद है किसी की यह साज़िश गहरी
हम घर बैठ के बने रहे स्वंय के प्रहरी।
समझो, ठहरों अपना नजरिया बदलो
जीतनी है जंग जरा करोना को समझो।
लील रहा लाखों को रक्तबीज कोरोना
माने आयुष आदेश कोरोना से डरो ना।।
नागेन्द्र नाथ गुप्ता, मुंबई
मो० 9323880849
*काव्य रंगोली रक्तबीज कॅरोना ऑन लाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डॉ*
*मृदुला शुक्ल जी।*
*सरंक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति।*
*रक्त बीज कॅरोना।।।।।।।।।।।।*
घर पर रहें कि रक्तबीज कॅरोना
से हो रहा संग्राम है।
कॅरोना से जीतने की विधि
ही घर पर विश्राम है।।
कॅरोना से लड़ाई मामूली नहीं
है एक तपस्या समान।
धैर्य, संकल्प, अनुशासन और
घर पर ही आराम है।।
कॅरोना पर विजय मतलब इस
की कड़ी को तोड़ना है।
इस विश्वयपि महामारी की
छड़ी को हमें मोड़ना है।।
भारत और सम्पूर्ण संसार को
पानी इस दैत्य पर विजय।
बस मिलकर करना सामनाऔर
बाहर जाना छोड़ना है।।
मिल कर ही समाप्त होगा इस
दुष्ट कॅरोना का असर है।
सावधान रहें कि यह कॅरोना नहीं
हमारा कोई रहबर है।।
हर नगर हर डगर से हमें मिटाना
ही है इस विभीषिका को।
130करोड़ भारतवासियों की एक
जुटता से हारेगा ये कहर है।।
*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।*
*पता। 6,पुष्कर एनक्लेव, टेलीफोन*
*टावर के सामने,स्टेडियम रोड़, बरेली*
*(उत्तर प्रदेश) पिन 243005।।।।।।*
मो 9897071046
8218685464
*****************"********
काव्य रंगोली रक्त बीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
_________________________
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुला शुक्ला जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति---------
कविता--
*********************
रक्त बीज कोरोना के राक्षस को चलो हराएं
अंधकार में उम्मीदों का सूरज नया उगाएं
कोरोना ने सारे जग में हाहाकार मचाया
सब को खा जाने को सुरसा जैसा मुंह फैलाया
आओ हनुमान बनकर इसके छक्के छुडवाए
रक्त बीज कोरोना के राक्षस को चलो हराएं
वन में लगे आग तो फंसते सभी जीव मुश्किल में
वही सुरक्षित बच पाते जो रहते अपने बिल में
यही मंत्र अपनाकर कोरोना से हम टकराए
रक्त बीज कोरोना के राक्षस को चलो हराएं
मास्क पहनकर करो नमस्ते छोड़ो हाथ मिलाना
घर में रहकर ही आवश्यक काम सभी निपटाना
बच कर खुद कोरोना के चुंगल से देश बचाएं
रक्त बीज कोरोना के राक्षस को चलो हराए
नर्स डॉक्टर पुलिस सफाई कर्मी महा पुरोधा
रोगी की डूबती नाव को पार लगाते योद्धा
मानव नहीं, महामानव ये इनको शीश झुकाए
रक्त बीज कोरोना के राक्षस को चलो हराएं
********
कवि अतर सिंह प्रेमी
सरस्वती इंटर कॉलेज राम पार्क लोनी गाजियाबाद
मो०---78 35 99 3406
8287 52 8442
**********************
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*जंग ना हम यह हारेगें*
**********************
क्रूर *करोना* के संग रण में,
एकाकी रहना सीख गया l
अपने घर में स्वस्थ रहें सब,
ऐसा कहना सीख गया ll
घर में रह कर काम सभी,
निपटाने की आदत आई l
कर्म धर्म का पालन करना,
अंदर से यह ध्वनि आई ll
बदल लिया है,जीवन शैली,
नही निराशा है मन में l
कर्म भाव अंतर्मन में है,
आलस्य नही है इस तन में ll
गर्व हमे है योद्धाओं पर,
जो अग्रिम पंक्ति में हैं l
हम भी है नेपथ्य सेनानी,
जो भी जितनी शक्ति में है ll
विकट काल हम नही कहेगें ,
यह बस धैर्य परीक्षा है l
जीतेगा भारत इस रण में,
यह ही ईश्वर की इच्छा है ll
स्वच्छ प्रकृति सहयोगी बन कर,
संकट सारे हर लेगी l
भारत श्रेष्ठ विजेता होगा,
खुशियाँ आँगन में खेलेगीं ll
राष्ट्र प्रेम और सयम का,
अद्भुत परिचय देना होगा l
साफ़ सफाई रखना होगा,
बिल्कुल घर में रहना होगा ll
*रक्तबीज* से जंग छिड़ी है,
शक्ति बध कर डालेगी l
आत्मबल और दृढ निश्चय से,
सारी विपदा हारेगी ll
राजेश कुमार सिंह "राजेश"
सुरक्षा एल्डीको, लखनऊ,
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020..
माँ वीणापाणि को प्रणाम करता हूँ।
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
शीर्षक है -
*स्वप्न साक्षात्कार रक्तबीज कोरोना से*
स्वप्न में आकर वह बोला
ना - रोको (कोरो-ना)मैं राक्षस उद्दंड़ बड़ा
स्वाभिमानी इतना की द्वार पर खड़ा
हाहाकार मचा रहा हूँ ,
कई दिनों से सबको डरा रहा हूँ।
दम है तो रोकोना..
मैं हूँ रक्तबीज कोरोना ..
मैने कहा ठीक है जो आये..किंतु
आकर तुमने अर्थव्यवस्था को ठप किया
रोजगार छीन मन्दी को आमंत्रित किया
यमदूत बन पिंजरे में सबको कैद किया
अब घर से दूर भूखे प्यासे को लाचार कोरोना
ओ काल रूपी रक्तबीज कोरोना..
तुम्हारा स्वागत यहाँ कोई करेना..
मेरे यहाँ आने के फायदे सुनो....
अपनों के बीच मधुर संबंध स्थापित किया
भारतीय नमस्कार का दर्शन विश्व ने किया
स्वच्छता का पाठ सबको पढ़ाया है
इतना ही नहीं...भ्रष्टाचार, बलात्कार, सड़क हादसे,
चोरी ,प्रदूषण पर भी लॉकडाउन है ना..
और कहते हो जल्दी जाओ रुकोना..
मैं आया तो नहीं आप ही गए थे लेने
मुश्किल इतनी बढ़ी जब पड़ गये लेने के देने
समझदारी हो तो दिखाओ
वरना ऊपर का टिकट कटाओ
अब तो मैं आपके व्यवहार को भांपकर ही जाऊँगा
आप मुझे हाथ नहीं लगाओगे तो मैं क्यूँ आऊँगा
इतनी सी है बात समझ जाओ ना..
दूसरों को भी समझाओ ना..
इतने में रक्तबीज कोरोना अंतर्ध्यान हुआ
थके मन को नये विचारों ने छुआ
यदि हमने नैतिक जिम्मेदारी निभायी तो,
निश्चित ही हम इस स्थिती को नियंत्रित कर पाएंगे
किंतु याद रहे निष्कर्ष जीवन पर्यन्त तक
मानवता को शिरोधार्य करें
जीव जंतु और पर्यावरण का सम्मान करें
फिर यहाँ नहीं आयेगा ऐसा कोई सार्स,
ईवोला, बर्डफ्लू , न ही कोई रक्तबीज कोरोना..चीन तुम भी सुनो ना, कुछ तो अमल करोना...
नाम - कवि स्वप्निल गौतम
पता - शिक्षक कॉलोनी छिंदवाड़ा (म.प्र.)
सर्वाधिकार सुरक्षित
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
विषय.. रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज कोरोना ये तूने क्या किया
जो जल्दी भर ना सके
ऐसा सबको दर्द दिया ......
सोना चांदी धन दौलत
सब होते हुए भी मानव को
कितना बेबस कर दिया .....
सबके दिलों में
अजीब सी बेचैनी है
चैन की नींद भी तो
आज तुने छिनी है..….
मच गया चारों ओर कोहराम
सारी सड़कें सूनी कर दी
नहीं कहीं कोई जाम .....
पर हम भी हिंदुस्तानी हैं
मां के राज दुलारे हैं
तुमने तो फैलाया अपना कहर
गली मोहल्ले में उगल रहा जहर...
तुम से लड़ने का
हर संभव प्रयास जारी है
निकाल फेकेंगे अपने देश से
अब जल्दी आएगी तुम्हारी बारी है ...
सावधानी से तुमको मिटाना है
मैंने लिया जो संकल्प देश हित में
सभी को यह कदम उठाना है...
जो रक्षक बनकर आते हैं
उनका तुम सम्मान करो
कर्फ्यू का पालन करके
उसका तुम मान करो....
कभी शिव रुप में
कभी शक्ति रूप में
रक्तबीज कोरोना का संहार करो....
नाम दीपमाला पांडेय
पता.. चंदन सदन जेल रोड माता चौक
खंडवा मध्य प्रदेश
मो0..8839565789
काब्य रंगोली रक्क्तबीज कोरोना ऑनलाइन काब्प्रतियोगिता2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया आदरणीय डॉ0 मृदुला शुक्ल जी ,
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ
मेरी प्रस्तुति--
कविता-----
इस रक्तबीज कोरोना को अब हमको मार भगाना है।
हिम्मत रखना है हृदय में अपनें बिल्कुल ना घबराना है।।
आया है वक़्त बुरा गर तो हिम्मत से काम सदा लेंगे,
इससे लड़नें के लिए हुक़ूमत का हम साथ सदा देंगे,
हमसबको साथ में मिलकरके इस विषाणु से टकराना है।
इस रक्तबीज कोरोना को अब हमको मार भगाना है।।
घर में ही रहें ना घूमें बाहर सब बस इसी प्रकार रहें,
ना चूक करें थोड़ी सी भी हर वक़्त सदा तैयार रहें,
हम सबको मिलजुलकर भारत से इसको दूर हटाना है।
इस रक्तबीज कोरोना को अब हमको मार भगाना है।।
हाथों को धोकर बीस सेकेंड दूरी बनाए रखिये लोगों,
बिन हाथ मिलाये करें नमस्ते सबसे ही कहिए लोगों,
अब अपने राष्ट्र के ख़ातिर हमको सबकुछ ही कर जाना है।
इस रक्तबीज कोरोना को अब हमको मार भगाना है।।
रमेश चंद्र सेठ
(आशिक़ जौनपुरी )
ग्राम-- रामदासपुर नेवादा
पोस्ट-- शीतला चौकियाँ
जिला-- जौनपुर (उ0 प्र0)
पिन-- 222001
मो0 नं0 9451717162
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना अॉनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया श्रीमती डॉ॰ मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरूणा अग्रवाल जी के चरणों में पहले एक छोटा सा दोहा सादर प्रणाम हेतु भेज रहा हूं जी।
सादर प्रणाम स्वरूप
विद्या,ज्ञानदायनी को नीज शीश नवाता हूं, मां सरस्वती सर्वप्रथम तेरे पादपंकजो की वंदना करता हूं।
डॉ॰ मृदुला शुक्ल जी, दादा अनिल गर्ग जी और आदरणीया श्रीमती अरूणा अग्रवाल जी के पावन चरणों में सादर प्रणाम करता हूं।।
देवराज शर्मा
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना अॉनलाइन काव्य प्रतियोगिता २०२०
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया श्रीमती डॉ॰ मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक श्रीमान दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया श्रीमती अरूणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी। छोटी सी प्रस्तुति -
कविता** रक्तबीज कोरोना **
रक्तबीज कोरोना जन्मा चीन में।
दानव बनकर फैला ज़हान में।।
चहुं ओर देखो हाहाकार मचा।
रक्तबीज कोरोना तांडव रचा।।
नया शिकार पवनसंग ढूंढने लगा।
बहार जाएं उसे जकड़ने लगा।।
लोकडाउन बच्चों वात्सल्य भरपूर मिला।
माता-पिता रा आनन देखो खूब खिला।।
हर एक एक मीटर दूरी होगी।
घरों में सबकी सीमा पूरी होगी।।
एक एक मीटर दूरी मुंह पर मास्क जब होगा।
हाथ धूलते देख कोरोना को भागना होगा।।
रक्तबीज कोरोना की भेंट चढ़ गए।
असमय ही कई काल ग्रास हो गए।।
जिस जिस ने लापरवाही दिखाई।
उस उस ने अपनी जान गंवाई।।
अपवाद सर्वत्र विदित है।
फिर भी कई रक्षित है।।
सेवा में लगे पुलिस चिकित्सक देखो।
फर्ज निभाते भूखे प्यासे रहकर देखो।।
आओ हम सब मिलकर ठान लेते हैं।
भारत को फिर विश्वगुरु बना देते हैं।।
हम सब का बस यहीं तराना है।
रक्तबीज कोरोना को हराना है।।
नाम - देवराज शर्मा
पता - गांव - मूण्डवाड़ा, वाया खूड़ जिला-सीकर राजस्थान
पिन कोड नंबर - 332023
सम्पर्क सूत्र- 8432241964
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति- *रक्तबीज भी हार गया था कोरोना भी हारेगा*
की बदतमीजियां मानव ने तो बदतमीज बन कर आया
कोरोना का ये दानव है, रक्तबीज बन कर आया
सजग और सचेत रहें तो, हमको क्या मारेगा
रक्तबीज भी हार गया था कोरोना भी हारेगा
कहो भला आए कैसे निगरानी पूरी रखें तो
अपना देश बचाने को सामाजिक दूरी रखें तो
जिससे ये फैले हम कोई काम नहीं वो करते तो
फूंक-फूंक कर कदम बढा़एं सावधानियां बरतें तो
क्षीण ये खुद ही हो जाएगा, हमको क्या ललकारेगा
रक्तबीज भी हार गया था कोरोना भी हारेगा
इस दानव रुपी बीमारी को दूर भगाना हमको है
अपनी-अपनी जान बचाकर देश बचाना हमको है
एक दिन अपनी विजय श्री का गीत गाएंगे निश्चय ही
मात ये दानव खाएगा हम जीत जाएंगे निश्चय ही
बुद्धि- विवेक का अस्त्र - शस्त्र ही इसको संहारेगा
रक्तबीज भी हार गया था कोरोना भी हारेगा
नाम- विक्रम कुमार
पता- ग्राम - मनोरा , पोस्ट-बीबीपुर, जिला-वैशाली
मो0- 6200597103
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
--मंच को नमन
19/04/2020
रविवार
विषय *रक्तबीज कोरोना*
विधा *गीत*
रक्त बीज कोरोना आया
बनकर देखो एक बिमारी
मानव घर में छिप कर बैठा
है उसकी कैसी लाचारी
क्यों आया ये कहाँ से आया
ये तो हमको पता नहीं
मार रहा है निर्दई हो कर
जिनकी कोई खता नहीं
रोग बना है बड़ा तामसी
जकड़ी है दुनिया सारी।
रक्त बीज कोरोना आया
बनकर देखो एक बीमारी
खाकी वर्दी धारी आए
साथ में अपने डॉक्टर लाए
साफ सफाई करने देखो
हमने कितने ईश्वर पाए
हँसते गाते खुश हो करके
खेल रहे सब अपनी पारी
रक्त बीज कोरोना आया
बनकर देखो एक बीमारी
जीव जंतु के जैसे हम सब
पिंजर में है आज फँसे
घूम रहे हैं वह सब देखो
और हमीं पर आज हँसे
आल्हादित्त मत होना इंसान
भीर सभी पर है भारी
रक्त बीज कोरोना आया
बनकर देखो एक बीमारी
राधा तिवारी"राधेगोपाल"
खटीमा
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--रक्तबीज कोरोना
आज रो रही है धरती, रो रहा है देश,
रो रहे है लोग, रो रहा है विदेश,
आज फिर गुलामी छाई है,
रक्तबीज कोरोना ने गुलामी लायी है,
अंदर भूख मारेगी, बाहर वायरस मारेगी,
विश्व मे तबाही छायी है,
अब तो फोन भी दुश्वार है,
देखा, सब होने के बावजूद, कैदी कितनी बेकार है,
सोचो, क्या बीतती होगी,
जब आज़ाद पंछी को तुम, पिंजड़ बंध करते होगे,
सोचो क्या रात होगी उसकी,
जब एक ही जगह, वो खुद को सम्मटते होंगे,
बात ये, अब समझ आयी है,
रक्तबीज कोरोना ने समझायी है,
अब तो परिवार में भी तन्हाई है,
सोचो, क्या शामत आयी है,
फिर भी भारतीय, भरतीय ही रहेंगे,
इतने किल्लत में भी, अफवाह फ़ैलाते रहेंगें,
कभी हनुमान के बाल से, कभी आटे के दिये के जाल से,
जवानी तो आज भी फुट रही है,
लोकडौन में भी, लड़की की इज़्ज़त लूट रही है,
आज भी लोग, यमुना के सैर पर निकले है,
ये कैसे भारतियता है हमारी,
जहाँ खुद को हम, खुद ही कूट रहे है,
मन है, वो तो नही ही लगेगा,
पर, आज देश डुब रहा है,
बचाना उसको, पहले पड़ेगा,
आज सबके सपने, दाँव पर है,
विश्व, भयावाह विनाश पर है,
पर हम भारतीय है, अपना धर्म नही भूलेंगे,
इतने किल्लत में भी, अपनी गुस्ताख़ी करेंगे ही करेंगे।
14000 की आंख्या में, संदिग्घ हो गए है,
क्या अब भी हम, नही सुधरेंगे??
😔😔
नाम - खुशबू कुमारी
पता-रांची
मो0(आवश्यक नही)
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
दोहावली
सब के सब मायूस हैं, देखो चारों ओर ||
विपदा है आई बड़ी जिसका ओर न छोर ||
चाहे कितना प्यार हो , रहते हैं सब दूर ||
हाथ जोड़ दूरी रखें ,दूरी को मजबूर ||
रक्कबीज घातक बना ,डरते हैं सब लोग ||
चाहे भूखा सो रहा ,चाहे छप्पन भोग ||
मिल कर गर हम सब लडें, साथ रहे सरकार ||
कोरोना फिर देखना ,ये जायेगा हार ||
फैल रहा ये जगत में ,अपने पैर पसार ||
दवा नहीं जब तक मिले, दूरी ही उपचार ||
सैनिक बन कर लड़ रहे, देख चिकित्सक आज ||
मारो मत पत्थर इन्हे, कुछ तो रख लो लाज ||
घर में अपने रोक लो ,कुछ दिन कदम जरूर ||
फिर चाहे तुम घूमना ,दुनिया लाख हजूर ||
नाम प्रदीप भट्ट
पता ई ४४/४ हरिनगर पार्ट २ बदरपुर नई दिल्ली ११००४४
मो0 ९८९११४४९९९
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोनॉ ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
---------------------------------------------------------
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ०मृदुला शुक्ला जी,संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी काव्य प्रस्तुति---
रक्तबीज कोरोनॉ संकट
********************
रक्तबीज सी व्याधि कोरोनॉ, पनप रही हर पल अबाध,
अदृश्य बना घातक विषाणु, मायावी दानव सी है साध,
श्वास हर रहा,प्राण ले रहा,कैसा फैलाया माया जाल,
आना होगा माँ असुर मर्दिनी ,खप्पर संग ले चंद्रहास।
संकट की है घड़ी विकट एकजुट होकर लड़ना होगा,
आपसी भेद भाव से आगे,शत्रु कोरोनॉ से भिड़ना होगा।
हो रहा विषैला पर्यावरण,यह सबसे बड़ी चुनौती है,
प्रकृति से छेड़छाड़ अनुचित,नितप्रति कर रही पनौती है।
क्रुद्ध हुई प्राकृतिक सृष्टि,प्रतिक्रियात्मक प्रकोप दिखती है,
ऋतुचक्र कालक्रम बदल बदल,मानव को लक्ष्य बनाती है।
अब भी हम संभले नहीं अगर,यह आफत कहर मचाएगी,
प्राकृतिक चक्र यूँ ही टूटेगा,सृष्टि पर विपदा आएगी।
नित नई व्याधियों की आहट,नई नई विपदाओं की दस्तक,
वैज्ञानिक शोध पड़े चक्कर में,औषधि चिकित्सा ज्ञानप्रवर्तक।
मानव बम,मानव जनित विषाणु,खुद सर्जक दानव का मानव,
मानव-मूल्यों को भुला दिया,स्वयंभू मानव बना महादानव,
उलटी गिनती आरंभ हुई अब,बनना था विश्व की महाशक्ति
विध्वंसक विज्ञान ज्ञान लेकर,हो रही सृष्टि की महाविनष्टि।
विज्ञान हमारा सहयोगी,पर हावी जब हम पर होता है,
तो दनुजों की दुर्जेय शक्ति सा,निज अहंकार में खोता है।
मस्तिष्क संतुलन खो करके अनुचित करने लग जाता है दैवीय योग अस्तित्व छेड़, अपना प्रभुत्व समझता है।
है समय अभी सचेत हो हम,त्यागे विनाश के सब हथियार,
विश्वपटल समग्र होगा समृद्ध,ले विज्ञान ज्ञान के चमत्कार।
हैं भले धर्म सम्प्रदाय पृथक,है एक हमारा स्वर परचम,
मानव संस्कृति से एक है हम,भारत की शान न होगी कम।
स्वीकार हमें हरएक चुनौती,वरदान हमें नचिकेता सा,
जीवन अपना संघर्षशील,सौभाग्य अजेय विजेता का।
हम सजग रहें भयभीत नहीं,हम श्रेष्ठ सहिष्णु धैर्यवान,
वनवास नहीं गृहवास मिला है,समझो हम हैं भाग्यवन।
डटकर टक्कर देंगे इस व्याधि को,दुम दबा कोरोनॉ भागेगा,
सौगंध हमें अपनी संस्कृति की,विजयी भव अपना हिंदुस्तान।
जय हो भारत
*******************************************
19-04-2020 रचनाकार
8318972712 डॉ०कुसुम सिंह *अविचल*
9335723876 1145-रतनलाल नगर
कानपुर-208022(उ०प्र०)
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवमलव कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज कोरोना
यह प्रलय का वक्त लाया है
तभी शायद भगवान
का उसके इंसान पर
इतना सख्त हो पाया है
मानो तो , ना चीन ,ना धर्म
ना जात का दोष है
यह हमारी प्रकृति का
हम पर आक्रोश है
हां ! उसी प्रकृति का
जिसे हम ने काट बाट अोर भ्रष्टाचार बेईमानी अत्याचार बलात्कार के मेल से धोया है
असल में यह रक्तबीज कोरोना हमने ही बोया है
यह प्रकृति ही है जो
हमें जेल दे रही है
और जो अभी भी ना
समझे उससे जिंदगी
से बेल दे रही है
इस रक्तबीज कोरोना
को हमें जड़ से मिटाना
होगा अब खुद की
जान बचाने के लिए
हमें संस्कारों में आना होगा
नमस्ते करें ना ही
अब हाथ मिलाना होगा
मनोरंजन के लिए
महाभारत रामायण
लगाना होगा
ना पिज़्ज़ा , बर्गर घर का
अन्ना ही खाना होगा
अब अपनों के साथ हमें वक्त बिताना होगा
यह ईश्वर की भी लीला निराली , जब सीधी उंगली से ना हुआ काम तो उन्होंने भी उंगली टेढ़ी कर डाली .
नाम - अनुष्का विश्वकर्मा
पता- जगदंबा पुरम खंडवा
उम्र - 16
मो- 9826339806
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- मनहरण घनाक्षरी
अनदेखी मत करो
सद् मति सदा रखो
जीवन है अनमोल
हाथ न मिलाइये।
थोड़े दिन नही मिलें
नियम का ध्यान रखे
रक्त बीज कोरोना से
स्वयं को बचाइये
बार बार हाथ धोना
मुख ढक है रहना
घर में ही सब रहें
बात मान जाइये।
परिवार सँग रहें
स्वस्थ सुरक्षित रहें
नए नए खेल खेलें
सब को बताइये ।
स्वरचित
नाम निशा"अतुल्य'
पता 5/11 विष्णु रोड देहरादून
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
विषय-रक्तबीज कोरोना
हम जिंदगी जी रहे थे हो कर कितने मस्त,
रक्त बीज कोरोना तूने किया है, जीवन पस्त।
दिन को न मिल रहा चैन, न रातों को नींद,
रक्त बीज कोरोना ने किया जीवन अस्त व्यस्त।।
पूरे देश में अब तक सारे स्कूल बंद हो गए,
सभी कार्यालयों में अब तो ताले लटक गए।
सारे जहान में कोरोना का दहशत है क़ायम,
अपनों से मिलने जुलने भी यूँ ख़त्म हो गए।।
बच्चों को पिज्जा का न भूल रहा है स्वाद,
महिलाओं को कितना चाट आ रहा है याद।
ऐ प्रभु! तुमने कैसा और क्यूँ ढाया है कहर,
हम बचाने की तुमसे करें करबद्ध फ़रियाद।।
जिंदगी कितनी हो गई बदतर और बदहाल,
कोई किसी का न हो रहा है अब पुरसाहाल।
अपनी जिंदगी बचाने को लग रही है गुहार,
चाहे कोई निर्धन हो या हो कोई मालामाल।।
पूरे दिन भर घर में अब बैठ कर हो रहे बोर,
बाइक, कार, बस व ट्रेन का कहीं नहीं शोर।
कब तलक अब ये जिंदगी लौटेगी रूटीन पर,
घर में ऊब गए हैं वृद्ध, जवान और किशोर।।
सैकड़ों साल से ऐसा कोहराम न कभी मचा,
पूरी दुनिया में जीवन का रफ़्तार अब थमा।
न जाने कब किसको चपेट में ले ये कोरोना,
क्या! पता किस घर की बुझ जाएगी शमा।।
★★★★★★★★★★★★★
स्वरचित व मौलिक
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
बस्ती [उत्तर प्रदेश]
मोबाइल 7355309428
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी और श्री नीरज अवस्थी जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
नई नई सुबह का करके संचार नाथ ।
दुखियों के सभी दुःख दर्द को मिटाइए।।
अपनी दुआओं के छांव और पांव से ही।
रक्तबीज कोरोना को जड़ से हटाइए।।
नई कोपलों में भर चेतना का नया भाव।
नया जोश और नये रोष को जगाइए।।
घर से निकल सभी कार्यों को अंजाम दे।
ऐसा ही उपाय कोई तो प्रभु बतलाइए।।
घर पर बैठे बैठे ऊब जो गए हैं सभी।
नए रक्त का नया प्रवाह भर जाइए।।
छाया है जो अंधकार इस धरती पे आज।
नया दे प्रकाश नये दीप को जलाइए ।।
दिलों में भरे उमंग रहें सभी संग संग ।
ऐसा नया पथ कोई आज दिखाइए।।
जगत नियंता सुन संजय पुकारता है।
हिन्द की धरा पे सुख सरिता बहाइये।।
✍️रचनाकार : संजय शुक्ल
४२, आई ए सी कॉलोनी, बिशरपारा, बंकड़ा , बीराटी,
कोलकाता -७०००५१
मोबाइल नं- ९४३२१२०६७०
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता :- *कोरोना को न बनाओ महान*
टिडियों ने खाया धान
कोरोना निगल गया इंसान
मच गया युद्ध घमासान
चलो मिलकर करें निदान
साफ सफाई रखो सभी जन
स्वच्छ करो ये मलिन सा तन
निरोगी हो जाएंगे सब जनन
स्वास्थ्य ही है सबसे बड़ा धन
नमस्ते नमस्ते करते जाओ
आर्य समाज को वापस बुलाओ
संस्कार के गुणगान गाओ
कोरोनावायरस को दूर भगाओ
फैला नहीं ये पूरे भारत में
बसा यहां सूर्य इमारत में
गाते सब प्रभु के गुणगान
बीमारी को न बनाओ महान
©®
*खेम सिंह चौहान "स्वर्ण"*
नाम:- खेम सिंह चौहान *स्वर्ण*
पता:- महर्षि गौतम नगर, धोलासर, फलोदी, जोधपुर(
*काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
प्रतियोगिता प्रेरक -आदरणीया डॉ मृदुला शुक्ला जी
संरक्षक -दादा अनिल गर्ग जी कार्यक्रम अध्यक्ष -अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति
*कविता*
कौशल, गुण ,प्रतिभा, बुद्धि से जीवन में खुशियां आई ।
हुई सभ्यता उन्नत मानव ने
कई सफलताएं पाई ।
भौतिकता के कारण जग में
प्रकृति से खिलवाड़ हुआ ।
नदियां दूषित, वायु प्रदूषित
रोग वृद्धि प्रमाण हुआ ।
किसी देश की निष्ठुरता से
कोरोना बीमारी आई ।
लगता पूनम की रातों में
मावस जैसे घिर आई ।
*कोरोना है रक्तबीज* सम
बीमारी बढ़ती जाती ।
मानव से मानव की दूरी
पर ही यह थम पाती।
ज्यूं रक्तबीज को मार गिराने
मां काली आईं थी ।
किया असुर संहार मात ने ,
खुशहाली लाईं थी ।
वैसे ही सब देशवासियों ने
मिलकर ठानी है ।
कोरोना को नष्ट करेंगे
तब रक्षित जिंदगानी है ।
******************************
मौलिक, अप्रकाशित व अप्रसारित रचना
नाम - *डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'* पता -150 छोटा बाजार दतिया ( मध्य प्रदेश) 475 661
मोबाइल 9425726907
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
【शीर्षक : रक्तबीज कोरोना】
रक्तबीज कोरोना के कलरव की कला बड़ी है ।।
बिना बुलाये मौत आ रही कैसी अशुभ घड़ी है ।।
बीज तो देखे सुने बहुत पर रक्तबीज कोरोना।।
चाइनीज इस बीज ने दिया सारे विश्व को रोना।।
रक्त बीज कोरोना कातिल ने सबको है रुलाया ।।
महाशक्तियों ने झुक,झुक डर,डर के शीश झुकाया ।।
रक्त बीज कोरोना का जो चाहे बनना कक्का।।
दूरी उचित व साफ सफाई मुँहपर मढ़ै मुसक्का।।
रक्त में मिलकर ही सशक्त हो रक्तबीज,कोरोना ।।
नानी मर जायेगी यदि कोई घर से निकलो ना ।।
हम जीतें भारत जीतेगा हारेगा रक्तबीज कोरोना।।
लॉक डाउन के पालन में तुम पीछे कभी हटो ना।।
रक्त बीज कोरोना के हैं अब्बा बड़े विनोदी ।।
गीली पैंट मा थर थर कांपै नाम सुनै जब मोदी ।।
रक्त बीज कोरोना को अब आय रहा है रोना।।
छप्पन इंची के हांथों का बनिगेन हाय खिलौना।।
महाशक्ति भी बना सके ना अब तक कोई दवाई ।।
रक्त बीज कोरोना भागी मोदी जी की अगुवाई ।।
( 2 )
मानव निर्मित, महादानव का महा खेल
खेलखेल में खिलखिला रहा कोरौना है ।।
महाशक्तियोँ की सूझबूझ भी बनी अबूझ
बस की ना रही बेबसी का बड़ा रोना है ।।
व्यक्ति क्या विशेष व्यक्ति भी बने हैं संज्ञा शून्य
टूट रहे लोग जैसे टूटते खिलौना हैं ।।
रक्तबीज कोरौना का, रोना अब रोना नही
अनहोनी होती नही होनी को ही होना है ।।
नाम - कमलेश सोनी
पता - सण्डीला, जिला- हरदोई, उत्तर-प्रदेश
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज कोरोना फैला जग में कोना कोना
करो जतन कुछ ऐसा कि अनहोनी कोई हो ना
भैया बच के रहो दीदी बच के रहो।।
दूर से बात करो और हाथ न कभी मिलाना
रगड़ रगड़ कर साबून से हाथों को धो लेना
खांसते छीकते मुँह को अपने तुम ढंक लेना
भैया...........................................
अपने घर मे सभी सुरक्षित तो बाहर क्या जाना
इसीलिए तय कर ली है घर में ही दिन है बिताना
घरवाली से प्रेम मोहब्बत बच्चों संग मस्ताना
भैया...........................................
कर सकते हो गर उपकार तो सेवा भाव जगाना
भूखे को भोजन करवाना भूले को राह दिखाना
इसी तरह सत्कर्म करो और दैश का मान बढाना
भैया...........................................
नाम। डा0 रजनी रंजन
पता घाटशिला, झारखंड
मो0(आवश्यक नही)7004692075
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- *रक्तबीज कोरोना*
आजाद पंछी के जैसे जो मानव
यहां वहां कल विचरण करते थे
कैद हो गए है आज पिंजरे में वे
जो आपस मे आलिंगन करते थे
विलन बनकर आया है धरा पर
देखो लाशें बिछा है बसुंधरा पर
हंसी लब्जो से गुम हो चुकी है
नयन हैरान है आज अश्रुधारा पर
आज सड़के पूरी सुनसान हुई है
शहर लगता जैसे श्मशान बनी है
जहां लगती थी मण्डिया नित्य ही
काम धंधे भी आज गुमनाम हुई है
निर्धनता अमीरी नही देखता यह
लाचारी व्यपारी नही जानता यह
कहर सबपर बराबर ढाता है
जात मजहब नही पहचानता यह
दी है चुनौती आज मानवता को
निज जीवन को ललकार रहा है
विश्वशक्ति घुटने टेक चुके है
शक्तिशाली को यह दुत्कार रहा है
यह दैत्य की तरह पाँव पसारे
न ही इसपर चलता है कोई टोना
रक्त पीने को आतुर यह वायरस
बन गया है रक्तबीज कोरोना
नाम:- सोनू कुमार मिश्रा
पता:- ग्राम+पोस्ट-थलवारा
थाना:- अशोक पेपर मिल
प्रखण्ड:- हनुमाननगर
जिला:- दरभंगा,
राज्य:- बिहार
पिन कोड:- 846002
मो०:- 9570287151
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
यह देश हमारा है ,
हमको अति प्यारा है
इस धरती से हमको
कोरोना भगाना है ।
घर में रहकर के ही
इसकी चेन तोड़ना है।
हाथों को न मिलाकरके
इससे मुह मोड़ना है।
सबको नमस्ते कहकर
इसे दूर हटाना है
इस धरती से हमको
कोरोना भगाना है।।यह देश...
जब हो बाहर जाना
मास्क लगाकर ही जाना
बाहर से आकरके
हाथों को तुम धोना
रक्तबीज कोरोना से
इस तरह बच जाना है।यह देश...
फल और सब्जी को
तुम्हे धोकर रखना है
सरकारी निर्देशो का
पालन तुम्हे करना है
रक्तबीज कोरोना का
तुम्हे शमन कर जाना है। यह देश...
नाम-- अनुपम कौशल
पता- कन्हैया नगर सुंदरपुर मोड़ इटावा उ प्र
मो0(आवश्यक नही)9457123104
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज बनकर कोरोना, इस दुनिया में छाया है।
मानव की बर्बरता ने, जग में इसको फैलाया है।
शुद्ध,अशुद्ध,भक्ष्य,अभक्ष्य जो मर्जी वो खाते हैं।
खुद हम ही इस दुनिया में, नए वायरस लाते हैं।
जहां गंदगी होती है, ये पहले वहीं पे जाता है।
एक व्यक्ति को छूने से, ये दूजे को हो जाता है।
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, सबपर देखो ताला है।
इस रक्तबीज दानव से, कोई ना बचने वाला है।
वही बचेगा शेष, जो धर्म सनातन अपनाएगा।
जो ना तो गले मिलेगा, ना ही हाथ मिलाएगा।
हम सबको मिलकर के, इस दानव को हराना है।
बस कुछ दिन तक अपने, घर में ही रुक जाना है।
मुंह को ढँको मास्क से और करो तुम सबसे दूरी।
हाथों को साबुन से धोना, अब तो है बहुत जरूरी।
पुलिस-डॉक्टर डटे हुए हैं, बनकर के भगवान यहां।
लेकिन वो खुद पहुंचें, तुम्हीं बताओ कहां-कहां।
हम सबको भी इस जंग में, अपना फर्ज निभाना है।
कोरोना को बिना हराए, अब ना बाहर जाना है।
गर सरकारी निर्देशों को हम विधिवत अपनाएंगे।
एक दिवस इस रक्तबीज को तय है हमीं हराएंगे।
नाम- अभिजित त्रिपाठी
पता- पूरेप्रेम, अमेठी, उत्तर प्रदेश
मो. - 7755005597
पिन कोड- 227405
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- *रक्त बीज कोरोना*
कोरोना आज रक्तबीज-सा रूप धर आया
एक से अनेक को संक्रमित कराया
जाने कैसे ये रक्त का बहाव रुके
उपाय ढूंढ़-ढूंढ़ तो महाबली बन डॉक्टर थक चुके
अब कैसे लड़ें भारत मां के बेटे इन अकाल प्रहारों से
आज गूंज रहा विश्व पूरा अपनों की ही कराहों से
बनते-बनते काम यहां बिगड़ रहा
फलते-फलते देख मां देश का खेत उजड़ रहा
शुंभ-निशुंभ बन चीन और इटली आ गए
तेरे आंचल की बगिया के न जाने कितने फूल मुरझा गए
कब तक होगा यहां पाप
अब तो मां रक्षा करो न आप
मोदी जी के प्रयासों को सफल तुम कर दो
झोली हम सबकी अपने आशीष से भर दो
हे मां आज फिर तुम आओ न
इस रक्त बीज कोरोना का संहार कर जाओ न(२)
नाम- सौम्या अग्रवाल
पता- 5416, पंजाबी मोहल्ला , अंबाला छावनी , हरियाणा।
शिक्षा - दसवी कक्षा परीक्षार्थी
पिन कोड-133001
मैं सौम्या अग्रवाल यह प्रमाण देती हूं कि ये मेरी मौलिक रचना है।
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- *"क्यो आया रे रक्तबीज कोरोना आया"*
क्यो आया रे रक्तबीज कोरोना आया ,
तू चीन से उत्पन्न होकर आया ,
पूरी दुनिया पर कहर भरपाया ,
करोडों जान का दुश्मन हो आया ,
क्यो आया रे रक्तबीज कोरोना आया ,
खाँसी बुखार , दर्द साँस मे ले आया ,
बेमौत का तू मौत लेकर आया ,
महामारी का कहर दुनिया मे लेकर आया ,
क्यो आया रे रक्तबीज कोरोना आया ,
पूरी दुनिया के 200 से अधिक देशो पे छाया ,
सबकी हंसी-खुशी छिन ले जाया ,
आँखो मे आँसू ले आया ,
क्यो आया रे रक्तबीज कोरोना आया ,
इटली , अमेरिका , भारत आदी देशो को रुलाया ,
रोज हजारों मौत छिन ले जाया ,
छुआ-छूत से सबको फैलाया ,
क्यो आया रे रक्तबीज कोरोना आया ,
पूरे विश्व को मौत का घाटी बनाया ,
ना उपचार, ना दवाई अभी आया ,
मौत के मुह मे ठहाया ,
क्यो आया रे रक्तबीज कोरोना आया !
नाम ~ रुपेश कुमार
पता ~ पुरानी बाजार चैनपूर
पोस्ट ~ चैनपुर, जिला ~ सिवान
पिन ~ 841203 (बिहार)
मो0(आवश्यक नही) ~ 9934963293
कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं अध्यक्ष आदरणी अरुण अग्रवाल जी !
सादर अभिवादन
ऑनलाइन साहित्यिक प्रतियोगिता हेतु मेरी रचना... शीर्षक ..रक्त बीज कोरोना
गीत
रक्त बीज कोरोना के
*****
रक्त बीज कोरोना के तुम ,
पनपाने वालों सुनलो ।
विकृत अपने चेहरे लेकर,
किसे दिखाने जाओगे ।।
*****
मानवता के दुश्मन हो तुम ,
मानवता पर वार किया ।
विश्व विजय का सपना देखा,
लेकिन नहीं विचार किया।।
कितने लोग हताहत होंगे ,
कितनी जानें जाएंगी ।
महामारी जब आएगी क्या,
तुमको पुष्प चढ़ाएगी ।।
आग लगेगी जब पड़ोस में ,
कैसे गेह बचाओगे ।
विकृत अपने चेहरे लेकर ,
किसे दिखाने जाओगे ।।
******
नाक को लंबी करने वालों,
कितनी चौड़ी छाती है ।
आग मूंतने वालों की तो ,
खुद कबरें खुद जाती है ।।
गगन नापने चले कभी जो ,
धरती के नीचे सोए ।
आम कहाँ से खा पाते वे,
कांटें ही तो थे बोए ।।
अपनी काली करतूतें क्या,
पर्दे में रख पाओगे ।
विकृत अपने चेहरे लेकर,
किसे दिखाने जाओगे ।।
******
नजरों से गिरकर उठना तो,
है "अनंत" आसान नहीं ।
जो हरकत तुमने की करते,
कोई प्रज्ञावान नहीं ।।
बेशक तुमने हवा बना दी ,
खून करोड़ों का पीकर ।
लेकिन दुष्कृत्यों के खातिर,
अब रोना होगा जीभर ।।
कसम आज लो पाप किया जो,
फिर से न दोहराओगे ।
विकृत अपने चेहरे लेकर,
किसे दिखाने जाओगे ।।
******
अख्तर अली का "अनंत"
एम///-59न्यू इंदिरा नगर नीमच ,जिला नीमच
(मध्य प्रदेश )पीन458441
मो.9893788338
****
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- कोरोना या असुर
अपनों को खोने का डर
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
अपना ध्यान रखना अक्सर हम कहते रहे
इसी बात को बार-बार दोहराना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
हर सुख-दुख के समय में अपनों को अब तक हम बुलाते रहे
सरकार का हर धारा बताना और व्हाट्सएप पर ही बतियाना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
मनमर्जी से इधर उधर अब तक सैर सपाटे करते रहे
बिन मर्जी के घर पर समय बिताना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
थोड़ी देर टहल आओ अच्छा लगेगा अपने बड़ों को अब तक हम कहते रहे
आज घर बैठने के लिए बुझे मन से उनको मनाना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
काम की व्यस्तताओं में अपनों संग कम वक्त बिताते रहे
आज वक्त तो मिल गया पर चर्चा में हर पल कोरोना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
एकजुट होकर बुरे समय में हम भारतीय साथ निभाते रहे
आज दूरी बनाकर भी साथ निभाना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
विदेशों से कोरोना आना
शुंभ निशुंभ के सेनापति रक्तबीज सा रूप धराना
महामारी बनकर चारों दिशाओं में हाहाकार मचाना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
हे मां यह विनती तुमसे, हर डॉक्टर, सिपाही में अपनी शक्ति तुम भर जाना
रक्तबीज कोरोना से हमें मुक्त कराना
मोदी जी का रक्षा हेतु हमें बार-बार समझाना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
शंख घड़ियाल ढोल बजाकर निर्भयता का वातावरण बनाना
अपनी सभ्यता-संस्कृति और आयुर्वेदा को दिल से अपनाना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
हर डॉक्टर को अब तक भगवान का दर्जा हम देते रहे
आज हॉस्पिटल के हर कर्मी का वीर सिपाही का दर्जा पाना
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
अपनों को खोने का डर
मैंने जाना इन्हीं दिनों में
जय हिंद
नाम- डॉ. शिवा अग्रवाल
पता- मकान नंबर- 5415, पंजाबी मोहल्ला, अंबाला छावनी , हरियाणा। पिन कोड- 133001
मैं डॉ. शिवा यह प्रमाणित करती हूं कि यह मेरी मौलिक रचना है।
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
*रक्तबीज कोरोना*
मैने देखा आसमान में
घने काले बादल छायें
हर तरफ हाहाकार बड़ा
एक विष जंतु ने जनम लिया ।।
बिजली कड़कड़ायी घोर
रक्तबीज निकला करते शोर
बड़ा भयंकर विष जंतु
नाम उसका रक्तबीज कोरोना।।
हर तरफ त्राहि त्राहि
छोटी सी काया उसकी
छींक ही उसका अस्त्र
नही हैं उसके पास कोई शस्त्र ।।
छोटी काया की ताकत भारी
एक छींक से हजार रक्तबीज
हर तरफ इसने बो ड़ाली
अपने हाथों से दुनिया जकड़ ड़ाली ।।
इससे लढ़ने का एक ही शस्त्र
रहो घरों में बंद हर पल
नियमों का जब होगा सही पालन
तब हारेगा ये रक्तबीज।।
रक्तबीज रक्कस कोरोना को
हराने के लिए जगदंबा का
तन - मन से जाप करते रहो
आयेगी माँ बचाने अपने बच्चों को ।।
फिर से वही दौर आया हैं
रक्तबीज राक्षस के रुप में
कोरोना का जनम हुआ हैं
माँ जगदंबा ही इसका अंत हैं ।।
नाम: डॉ।। वसुधा पु. कामत
बैलहोंगल, जिला :बेलगम ,कर्नाटक
पिन: 591102
मो: 6361636059
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
*©”रक्तबीज कोरोना”
डॉ.अमित कुमार दवे*
सब कुछ अच्छे से चल रहा था,
हर कोई आगे बढ़ने की होड़ में दौड़ रहा था ।
इसमें ना कोई अपना था, ना कोई पराया था,
सबसे ऊपर धन, एश्वर्य और सामर्थ्य था ।
न दिल में संवेदनाएँ थी,न अपनों के अरमान थे …
बस निरुद्देश्य प्रगति के पथ पर दौड़ने को तैयार थे।
ना कोई देश कम था,
ना उस देश से उस देश का नागरिक कम था ।
हर दिशा में ,हर विचार में…
एक ही बात घर की थी …
मैं कैसे बढ़ जाऊँ? वह कैसे कम हो जाए?
बस दुनिया अपनी रफ्तार में …
आगे से आगे चल रही थी ।
हर कोई अपने ही अपने में बढ़ रहा था…
ना कोई चिंता ना कोई इच्छा ,
ना कोई अपना ना कोई अफसाना।
बस आगे से आगे ही आगे बढते जाना।
सज़ा में उस ईश्वर को क्या मंजूर था ?
उसने क्या धरती के लिए सोच रखा था ?
यह सच सच कहाँ छुपा हुआ था ?
पौराणिक काल में रक्तबीज हुआ था ..
उसी का उदाहरण जग को देने …
ईश्वर ने मन को गढ़ रखा था ।
निमित्त चीन को ही बनाना था ,
उस कुबुद्धि को कुछ समझाना था,
उस पर आरोपण करना था …कि
कोरोना नाम के रक्तबीज को
उसने ही भू पर उतारा था।
इससे पहले हर कोई अनजान,
हर कोई नादान…
अपने ही हाल में मस्त था ।
लेकिन कोरोना ने प्रभाव अपना छोड़ा….
हर कोई जीने को तैयार था ,
अपनों के संग रहने को बेताब था,
धन-ऐश्वर्य-सामर्थ्य के ऊपर…
बस जिजीविषा का दौर चला था,
द्वार पर हर किसी के कोरोना...
रखतबीज -सा साक्षात खड़ा था …!
नहीं, कोरोना अब...पर ..हर जग पर..
रक्तबीज ही बन कर खड़ा था।
हर आंँख में केवल उम्मीद बची थी ,
हर सपना धूमिल बसा था ।
कोई जीवन के लिए खड़ा था …
कोई जीवन लेने के लिए अड़ा था।
कोरोना के प्रभाव में दुनिया पूरी …
दो राहों में बटी थी…...
एक राह पे इस काल में मानवता ज़ीती
राह दूजी पे राजनीति हारी थी ।
धन-संपत्ति घुटनों के बल बैठे थे ….
सेवा प्राणों के सहारे जग में पसरी थी,
रक्तबीज कोराना द्वार खड़ा था ।
जीवन हाथो - हाथ लेने को तैयार खड़ा था ।
हर देश मातम के साए में ...।
बरबस नज़रें लिए बेज़ान खड़ा था ?
क्या कहें सच जीने के लिए हर कोई अकेला …
अपने घर में लड़ा था ,
मारने के लिए अब एक नहीं ….
लाखों रक्तबीज कोरोना को साथ में ले
वैश्विक दहलीज़ पर तैयार खड़े थे ।
इनसे लड़ने को आपदा प्रहरी….
अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद खड़े थे।
औरों का बचाने जीवन….
खतरें में जीवन निज का ड़ाल चुके थे।
सादर प्रस्तुति
डॉ.अमित कुमार दवे,
खड़गदा,राजस्थान,
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
ये हमारी स्वरचित कविता है।
कविता: चक्रव्यूह कोरोना का
खिलवाड़ किया प्रकृति से..
उस गुनाह का सिला पाया है
सबक सिखाने को रक्तबीज ने
इक बूंद कोरोना गिराया है
मानव प्रकृति पर सदियों से
क्यूँ कहर ढाता रहा है
अब रुकी रुकी सी है जिंदगी
ये कैसा पड़ाव आया है
भूल चुके थे बंदगी को ...
लूट मार थी हर तरफ
हैवानियत और इंसानियत का
फ़र्क अब मानव को समझ आया है
सबक सिखाने हमको
रक्तबीज ने इक बूंद कोरोना छलकाय़ा है
ए मानव सुनो तुम...
मॉंग लो मुआफी
जमीं ओ आसमां से वरना
त्राहि त्राहि मचा देगा
कुदरत ने जो वायरस को बुलाया है
ये कैसा इम्तिहान है ..
क्यूँ हम सब बंधे बैठे है ...देखो
मंदिर मस्जिद गुरूद्ववारों में
आज कैद हुआ खुदाया है ।
सिखला रही प्रकृति हमको
कह रही है संभल जाओ
अंतिम चेतावनी देकर
इक छोटा सा पाठ पढ़ाया है..
बंधन क्या है ये समझाने
रक्तबीज ने इक बूंद से धरती पर चक्रव्यूह बनाया है ..
सिखला रही प्रकृति हमें की
क़ैद की जिंदगी क्या होती है
पिंजरो में रहने का दर्द
क्या अब भी मानव समझ पाया है ?
रोई जमीं तड़पा आसमां
जब कलियों को रौंदा गया था
उन मासूमों की चीखों का
रक्तबीज हिसाब चुकाने आया है
सबक़ सिखाने मानवता को
रक्तबीज ने अभी तो सिर्फ़
एक बूंद खून को गिराया है ..
नाम : प्रभजोत कौर,मोहाली
पता : # 1119 फेस 3बी2 मोहाली
(पंजाब)
पिन: 160059
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना आनलाईन काव्य प्रतियोगता २०२०
कार्यक्रम प्रेरक आदरणीया डॉ. मृदुला शुक्ला जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी,एवं कार्यक्रम अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति.........
रक्तबीज कोरोना
आसां नही है वक्त तकाजा है वक्त का।
कुछ दिन तो ठहर जाओ इशारा है वक्त का।।
हाँ कल तलख थी खूब आजादी हमें मगर।
अब रहना है घर पे ही है आदेश वक्त का।।
बाहर नहीं आओगे तो मैं कैसे आऊँगा।
कहना यही है रक्तबीज कोरोना सक्त का।।
परिवार,गाँव,अपना महादेश बचाओ।
परिवार संग मजे लो फुरसत के वक्त का।।
कदमों को रोको "देव" कुछ दिन की बात है।
वरना ये रोक देगा संचरण रक्त का।।
आशीष मोहन "देवनिधि"
9406706752
ग्राम - पोस्ट - झिरी
तहसील - छपारा
जिला - सिवनी
(मध्यप्रदेश)480887
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
*रक्तबीज कोरोना*
रक्तबीज कोरोना से, अब हमको नहीं रोना है
विपरीत परिस्थितियों में, साहस नहीं खोना है
शासन के साथ खडे होकर, हमको इसे हराना है
परिवार के साथ ही तो, यह समय बिताना है
भक्ति भाव से घर में ही, पूजा पाठ रचाना है
देश की सुरक्षा का ये, दायित्व हमें निभाना है
रक्तबीज कोरोना को, इस दुनिया से हमें भगाना है
विपदा की इस घडी में, हमें नहीं घबराना है
मिलकर सारी मानवता से, संकट हमें मिटाना है
रक्तबीज कोरोना से, अब हमको नहीं रोना है
महामारी की जंग से, देश को विजयी बनाना है।
जिस मिट्टी में जन्म लिया है, उसका कर्ज चुकाना है।।
नाम--मीना विवेक जैन
पता--जैन दूध डेयरी, दीन दयाल चौक वारासिवनी, जिला-बालाघाट
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना आॅनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डा0 मृदुला शुक्ला जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-----
कविता
वक्त कठिन, है कड़ी परीक्षा,
राह न भटकें समय की शिक्षा।
ये अदृश्य रक्तबीज कोरोना ,
रहो घरों में कोई डरो ना ।
है विनाश का मंजर सम्मुख,
साथ रहे, न रहेगा ये दुख।
अंधड़ है पर राह न छोड़ें,
मिल विपदा का गुरूर तोड़ें।
आती - जाती हैं बाधाएँ ,
परिस्थितियों से न घबराएँ।
व्याकुलता से करें किनारा,
नाहर बन, जो कभी न हारा।
आओ हम सब कसम उठायें,
राष्ट्र स्वयं हम, राष्ट्र बचायें।
प्रदीप बहराइची
बहराइच, उ.प्र.
8931015684
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- रक्तबीज कोरोना
-रक्तबीज कोरोना
तूने बहुत फैलाया दहशत
बहुत किया नरसंहार
कर दिया अर्थ-व्यवस्था चौपट
किया कितनों को लाचार
अब तो चले जाओ ना
छोटूआ स्कूल नहीं जा रहा
वह भूल गया
अंकगणित का सारा फार्मूला
पापा की दुकान बंद है
बहुत दिनों से
फूटी कौड़ी भी घर में नहीं आयी
गोटूआ का चप्पल टूट गया है
मोची लापता है
शर्मा जी का शैलून खुल नहीं रहा
दादाजी बने हुए हैं जैसे साधू बाबा
उग आये हैं
रोजमर्रा वाली पगडंडियों पर घास
जमने लगे हैं
कश्मीर की घाटियों में वर्फ
लग गये हैं
रेल के पहियों में जंग
जकड़ गये हैं
वायुयान के पंखें
अब तो
पंछियां भी घोसले में
निज शिशु को साथ सुलाने से
डरने लगी हैं
चलो दूर हटो ना
रक्तबीज कोरोना
अब तो चले जाओ ना
नाम - दीपक शर्मा
पता- ग्राम -रामपुर, पोस्ट-जयगोपपालगंज केराकत जौनपुर उ0 प्र0 222142
मो0 8931826996
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ. मृदुला शुक्ल जी! संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी! एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति -
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
*"रक्तबीज कोरोना"*
(सार छंद गीत)
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
विधान - १६ + १२ = २८ मात्रा प्रतिपद, पदांत SS, युगल पद तुकांतता।
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
¶सहमा-सहमा डरा-डरा सा, जग का कोना-कोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
प्रेषित वुहान चीन जनित है, जैसे जादू-टोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶है यह वैश्विक विकट समस्या, दूत मृत्यु का मानो।
जैविक अस्त्र बना यह आया, चीनी साजिश जानो।।
औषधि इसकी नहीं बनी है, सजग सभी जन होना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶खाँसी-जुकाम दर्द गले में, शीश लगे जब भारी।
साँसों में हो कष्ट-छींकना, पहचान-महामारी।।
शीघ्र चिकित्सा करवा लेना, जीवन पड़े न खोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶कोरोना की घात बनी है, जन-मानस लाचारी।
सूझ-बूझ से इसे हराना, पड़े न जग पर भारी।।
नासमझी से टूट न जाए, सुंदर स्वप्न सलोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶तोड़ शृंखला कोरोना की, आओ इसको रोकें।
जहरीली भट्ठी में हम क्यों, जीवन अपना झोंकें??
सावधान अति रहना होगा, हाथ पड़े मत धोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶आँख-नाक-मुँह-कान कभी भी, हस्त-मलिन मत छूना।
प्रक्षालन 'कर' पुनि-पुनि करना, कष्ट बढ़े मत दूना।।
बात करो रख मीटर दूरी, पड़े न आफत ढोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶बाहर जाना हो मजबूरी, तो मुख-मास्क लगाओ।
सेनेटाइजरित कर निज को, शुचिता को अपनाओ।।
कर्म-धर्म में बनकर रोधी, बदनाम नहीं होना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶अपनी संस्कृति को मत भूलो, पश्चिम-पथ को छोड़ो।
त्यागो हस्तमेल को अब तो, हाथ दूर से जोड़ो।।
अनुशासन का पालन करना, पड़े न नैन भिगोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶बनकर मानव आज विकारी, संस्कारों को खोया।
भौतिकता की भाग-दौड़ में, शूल-पंथ-निज बोया।।
खोकर इतना अब तो जागो, और अधिक मत सोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
¶निज मन-दीपक ज्योतित करके, जंग जीत जायेंगे।
करके प्रतिकार कलुष-अघ का, पल सुखकर लायेंगे।।
पड़े किसी को और न आगे, कोरोना का रोना।
कालकूट सम यह विसरित है, रक्तबीज कोरोना।।
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020 प्रतियोगिता
प्रेरक आदरणीय डॉ मृदुल शुक्ला जी ,संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति
नवगीत
स्थाई / अंतरे की पंक्तियों का मात्रा भार 16/15
*रक्त बीज कोरोना*
झोपड़ियाँ हैं गीली गीली
इमारतों में सिमटे लोग ।
देख झुग्गियों का भोलापन
बढ़ता जाए मन का रोग।
बालकनी से नीचे झाँके
बेचैन कोलाहल फूटे।
द्वार खुला तो देख रहे हैं
हाँडी का हलाहल छूटे ।
अंतड़ियाँ है झिल्ली झिल्ली
अर्पण करके कैसे भोग।
झोपड़ियाँ है गीली गीली
इमारतों में सिमटे लोग।
प्राची से उषा है पूछती
पात्र भरता गंगाजल है।
फिर भी क्षीर नीर को तरसे
कैसे कह दूँ विजय पल है ।
संगिनियाँ है फैली फैली
विषाणु प्रखर भयंकर रोग ।
झोपड़ियाँ गीली गीली
इमारतों में सिमटे लोग।
भयंकर *रक्तबीज कोरोना* ने
विश्व की अकड़ तोड़ दिया।
गिन-गिन रोटी खाते तन की
रीता झोंपड़ी छोड़ दिया।
दुनिया होती नीली -नीली
पलायन से बिलखते लोग।
झोपड़िया है गीली गीली
इमारतों में सिमटे लोग।
भय से भागे आगे पीछे
मिल सभी को सहारा दे दें।
जो सड़क पे भूखे नंगे।
उनको निवाला हमारा दे दें।
नौकरियाँ हैं सीली सीली
दुबक के घर में बैठे लोग।
झोपड़ियाँ हैं गीली गीली
इमारतों में सिमटे लोग ।
दूर से सभी साथ रहो ना
फिर क्या कर लेगा कोरोना।
सभी हिम्मत हौसला दो ना
हारेगा इक दिन कोरोना।
थैलियाँ दिखीं पीली पीली
बाँटते सबको भले से लोग।
झोंपड़ियाँ हैं गीली गीली
इमारतों में सिमटे लोग।
अर्चना पाठक 'निरंतर '
अंबिकापुर ,सरगुजा, छत्तीसगढ़
स्वरचित स्वमौलिक,स्वप्रमाणित
ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
[ रक्तबीज को रोना
विधा नवगीत। 15,13
गिरे एक बूंद धरती पर,
बन जाए सहस्त्र हजार
रक्तबीज कोरोना से ही
जग में हो नरसंहार।
काली वाला रूप लेकर
स्वयं काल बनो बनाकर
पसारो सुरक्षा रूप जिव्हा
कॅरोना करो प्रहार।
रखतबीज को रोना से ही
जग में हो नर संहार।
सामाजिक दूरी ही दवा
यही सहज उपचार है।
वक्त देख मिलकर लड़ने का
करो न कोई तकरार
रक्त बीज कोरोना से ही
जग में हो नर संहार।
साफ सफाई नियम न छूटे
पर किसी का दिल न टूटे।
अंतस मन उजियार फैले
दूर हो सब अंधकार
रक्त बीज कोरोना से ही
जग में हो नर संहार।
विश्व गुरु का श्रेय न चाहें
मानवता धर्म निभायें
ऐसे कर्म करें जन मिल के
दें पताका जग फहरा।
रक्त बीज कोरोना से ही
जग में हो नर संहार।
रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर, सी,जी।
काव्य रंगोली, खमरिया पंडित लखीमपुर खीरी उ.प्र.
रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता दिनाँक १९/०४/२०२०
" रक्तबीज कोरोना "
---------------------------
रक्तबीज कोरोना, का कहर
मौत आंकड़ा बढे , हर शहर
प्रकृति प्रकोप,न प्रलय काल
षडयंत्र, मानो ,चीन की चाल
देख देख लाशो ,का अंबार
द्रवित हुआ हो, सारा संसार
चित्कार,पुकार,दहाड क्रन्दन
कोविद 19 का , कैसा मर्दन
न किसी की, अर्थी सजी
जनाजा निकला, न कफन
देखते देखते ,हो रहा दमन
उजड रहा छोटा, बडा,चमन
रक्तबीज कोरोना का निशान
हर देश का ,अजिब दास्तान
विवश है गाँड,खुदा, भगवान
मानव अपना, कर्तव्य पहचान
न छिपे,छिपाये,समझे,मगर
अब भी समय है ,जा सुधर
धर्म, जाति,त्याग, बढा सर
जन्नत मिलेगे ,परमार्थ पर
गाडलाईन का करे पालन
संयम तन, सुरक्षित वतन
यह रचना तात्कालिक, मौलिक, स्वरचित, तथा अप्रकाशित रचना हैं.
कमलकिशोर ताम्रकार
अमलीपदर जिला गरियाबंद छ.ग.493891
मो.6265386432वा.8815150076
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
रचना -रक्तबीज कोरोना को है हराना
=======================
रक्तबीज कोरोना को है हराना......
बिना काम के भूलकर भी,
निकल सड़क पर मत जाना।
खरीददारी करके संयम से,
सब घर में कैद हो जाना।
रक्तबीज कोरोना को है हराना.......
घर बैठने की आदत नहीं,
फिर भी दिल को समझाना।
देशहित सबके प्राणहित में,
यह कर्तव्य सभी निभाना।
रक्तबीज कोरोना को है हराना.......
यह संकट राष्ट्र पर है भारी,
हर जन जन को है बचाना।
स्वंय सुरक्षित रहना घर में,
चाहे रूखा सूखा हो खाना
रक्तबीज कोरोना को है हराना.......
अब सोशल दूरी बहुत जरूरी,
कोरोना वाइरस को है मिटाना।
कहीं भूखा प्यासा रहे कोई नहीं,
सक्षम साथी सेवा को हाथ बढ़ाना।
रक्तबीज कोरोना को है हराना.......
धैर्य संयमता और मानवता का,
अब परिचय सबको है दिखलाना।
हो स्वस्थ सुरक्षित हर भारतवासी,
हे प्रभु ऐसी कृपा तुम बरसाना।
रक्तबीज कोरोना को है हराना.....
सामना इस संकट का करेंगे,
अफवाह कभी न कोई फैलाना।
सुरक्षित हर परिवार रहे अब,
मानव धर्म सबको है निभाना।
रक्तबीज कोरोना को है हराना.....
जब लॉकडाउन का पालन होवे,
फिर कोई कोरोना से न घबराना।
कट जायेंगे संकट के सब दिन,
है एकता हर जन को दिखलाना।
रक्तबीज कोरोना को है हराना.....
नाम -भुवन बिष्ट
पता- (रानीखेत)
जिला-अल्मोड़ा ,उत्तराखंड
मो-8650732824 (व्हटसअप नं)
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--मेरी कविता का शीर्षक है-
🌹🌹रक्त बीज कोरोना🌹🌹
ये है रक्त बीज सा दानव
नाम है जिसका कोरोना
जग में हा-हा कार मचाया
छुटा ना कोई कोना।।
धरती पर तांडव है मचाया
माँ विनती हमारी सुनो ना
सामने जो आता मारा जाता
आप ही इसका अन्त करो ना।।
हर पल संख्या बढती जाती
रोके ये किसी से रुके ना
शुरवीर सारे इससे हैं हारे
अंत इसका किसी को सुझे ना।।
ज्ञान और विज्ञान है हारा
आप ही कुछ युक्ति करो ना
मानव फिरता मारा मारा
इसकी रक्षा आप करो ना।।
शरणागत है सृष्टि तिहारी
दया की दृष्टी करो ना
इस विपदा का नाश करके
सुख की वृष्टि करो ना।।
नाम- अभय चौरे
पता- हरदा जिला हरदा म.प्र.
मो0- 9926273305
"काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020"
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित व आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी एक अनगढ़ प्रस्तुति।
-----------------------------------------------
*रक्तबीज कोरोना~आल्हा छंद आधारित गीत*
*रक्तबीज सा यह कोरोना, पड़ी महामारी सी मार।*
*लड़नी हमको कठिन लड़ाई, मचा हुआ है हाहाकार।।*
वैश्विक है यह अजब समस्या, तीव्र संक्रमण, भीषण जाल।
चीन जनित कोरोना कोविद, बीमारी बन आया काल।।
उलझ गया विज्ञान तंत्र भी, ढ़ूँढ रहा इसका उपचार।
*रक्तबीज सा यह कोरोना, पड़ी महामारी सी मार।।*-1
छेड़ा कुदरत को मनमर्जी, उपजा उर में अनुचित लोभ।
सृष्टि सदा यह पर हितकारी, उठा नहीं क्यों मन में क्षोभ।
बाहुबली बन फिरता मानव, दिखता आज खड़ा लाचार।
*रक्तबीज सा यह कोरोना, पड़ी महामारी सी मार।।*-2
पालन करें लाकडाउन का, लेकर सरकारी संज्ञान।
व्याधि भयावह, नहीं दवाई, अभी कारगर यही निदान।।
घर में रहकर काम करें सब, 'अमित' सुखद संयम सहकार।
*रक्तबीज सा यह कोरोना, पड़ी महामारी सी मार।।*-3
*रक्तबीज सा यह कोरोना, पड़ी महामारी सी मार।*
*लड़नी है अति कठिन लड़ाई, मचा हुआ है हाहाकार।।*
-----------------------------------------------
नाम- *कन्हैया साहू 'अमित'*
पता- भाटापारा छत्तीसगढ़
मो0~9200252055
ग़ज़ल
ये दुनिया क्यों ख़ामोश सी होती जा रही है।
चहल-पहल थी जहां कभी, खोती जा रही है।।
सपनों की दुनिया में खलबली मची हुई है।
बीज ये अपने विनाश के बोती जा रही है।।
जीव जनित विषाणु से त्राहि त्राहि मची है।
चाइना अपने अपराध को ढोती जा रही है।।
कुदरत को भुला बैठा इंसा, इंसां ना रहा।
यहां इन्तेहां अपराध की होती जा रही है।।
घरों में कैद हैं कैसे लोग कोरोना डर के मारे।
जिंदगी बिना किसी अहसास के रोती जा रही है।
मानव से मानव आज, कैसे दूर हुआ "ज्ञानेश"।
हर शहर की गलियां भी, सूनी होती जा रही है।।
ग़ज़लकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश"
राजस्व एवं कर निरीक्षक
किरतपुर (बिजनौर)
सम्पर्क सूत्र- 9719677533
©Copyall the ®Rights to me.
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कुण्डलिया
(1)
कोरोना के कहर से, अखिल विश्व घबराय।
सब इससे कैसे बचें, सूझै नही उपाय।
कोई नही उपाय, बंद सब काम धाम हैं।
कैसे मन समझाय, व्यथित हर सुबह शाम हैं।
कहत 'अभय' समुझाय, हाथ मल मल कर धोना।
भीड़ भाड़ से बचो, रुकेगा तब कोरोना।
(2)
क़ुदरत के इस कहर से, सब जन रहो सचेत।
जीवन ये अनमोल हैं, नही बनाओ रेत।
नही बनाओ रेत, रहो सब घर के अंदर।
देश रहे खुशहाल, बने ये उपवन सुंदर।
कहत 'अभय' समुझाय, सुधारो खुद की फ़ितरत।
तन मन रखिये साफ़, कष्ट नहि देगी क़ुदरत।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
पता- सीतापुर - उत्तर प्रदेश
मोबाइल - 7518768506
*काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
===================
*कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी,अध्यक्ष् परम् श्रध्देय अरुणा अग्रवाल जी एवं सम्मानीय मृदुला शुक्ला जी आप सबको मेरा सादर नमन्*वर्तमान में जो महामारी फैली है उस पर मेरी एक रचना सादर प्रस्तुत है*---
====================
*निश्चित हारेगा ये कोरोना*
====================
सारे जगत में फैल गया,
देखो रक्तबीज कोरोना।
बचना है ग़र महामारी से,
अपने घरों में रहो ना।।
==================
बाहर ना घूमों तुम खुलेआम,
हाथों की सफाई सुबह-शाम।
अपने तन को स्वस्थ रखो ना
निश्चित हारेगा ये कोरोना।।
===================
भीड़-भाड़ में नही रहना है,
अकेले ही इससे लड़ना है।
मॉस्क लगा,मुँह को ढ़को ना,
निश्चित हारेगा ये कोरोना।।
==================
दुनिया में हाहाकार मची है,
लाखों लोगों की जान फंसी है।
उन गरीबों की सेवा करो ना,
निश्चित हारेगा ये कोरोना।।
==================
भटक रहे हैं भूखे जग में,
कांटे चूभ रहे जिनके पग में।
उन मजदूरों के पेट भरो ना,
निश्चित हारेगा ये कोरोना।।
==================
अगर भगाना है कोरोना को,
और विपदा से है बचना।
विनती करूँ मैं आज सबसे,
अपनें घरों में रहो ना।।
==================
*स्वरचित--*
*उमेश श्रीवास"सरल"*
*मु.-पो.-अमलीपदर*
*जिला-गरियाबंद (छ.ग.)*
*मोब--9302927785
*काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित व आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी एक *सजल* प्रस्तुति है:-
समांत आह
मात्राभार 27
रक्तबीज कोरोना देता सब को उचित सलाह
वह दिनचर्या बदलो जिससे संस्कृति रही कराह
ऋषि-मुनियों ने* वेदों का मंथन कर सुधा निकाली
अपनानी ही होगी सबको फिर वह सुंदर राह
नख-दंतों को मिला हुआ कुछ रखो ध्यान में रूप
शाकाहारी बनो न लेना जानवरों की आह
रामचरितमानस महाभारत कर्म-अकर्म कहें
और करोना कहने आया करो न करनी स्याह
हाथ जोड़कर करो नमस्ते सदियों ने दी सीख
पश्चिम के प्रभाव का मिलकर रोकें चलो प्रवाह
---महेश कुमार शर्मा , रायपुर (छ.ग.)
त्राहि त्राहि कर दिया जगत को,
यह रक्तबीज कोरोना है !!
जब तक न होगा औषधिये निदान,
उत्पन्न यह दिन दिन होना है !!
प्रकृति खुशी से झूम उठी, मानव पर
इस विषाणु से किन्तु,
बता रहें है निम्नवत हम इससे मानव जीवन का कैसा रोना है !!
हम सब ने पहली बार देखा !!
घर के बाहर लक्ष्मण रेखा !!
कितनों के हाथों की अब तक,
मिट गयी है जीवन रेखा !!
रो रहा हर माँ का बेटा !!
जो अभी तक घर न लौटा !!
समझा रहा रोके माँ को अपने,
माँ तू कर न मन को छोटा !!
माँ रो रही, बाप रो रहा !!
घर का हर इंसान रो रहा !!
कैसा संकट है जगत में,
देखो पूरा संसार रो रहा !!
गली भी सूनी सड़क भी सूनी !!
सूना सबका घर - द्वार हो रहा !!
सूना सब व्यापार हो रहा !!
सूना सब रोजगार हो रहा !!
कलेजा खुद का खाने को,
मानव अब लाचार हो रहा !!
घर के अंदर भुखमरी है !!
घर के बहर मृत्यु खड़ी है !!
दिन में बेचैनी और ऊबन,
रातों की अब नींद उड़ी है !!
मरता मानव क्या न करता !!
कैसे उसका पल पल कटता !!
सब साफ दिखाई देता है अब,
मानव का हर दर्द झलकता !!
घर बना है कैदखाना !!
डर है लगता बहर जाना !!
कैसी दुविधा में है मानव,
हर तरफ बस मुंह का खाना !!
न कोई मंदिर सहारा !!
न कोई मस्जिद सहारा !!
चर्च और गुरूद्वारे भी,
कर लिए हैं सब किनारा !!
वे जो घर से दूर रह रहे !!
कितने बेचारे मजदूर रो रहे !!
जाने को अपने घर के वास्ते,
पैदल चलने को मजबूर हो रहे !!
भूखा, प्यासा, थका हुआ !!
पांव न फिर भी रुका हुआ !!
घर वालों की चिंता में,
मन है उनका टिका हुआ !!
मजबूर हर इक रास्तों पर, हो रहा इंसान है !!
आज सहारा है किसी का, तो बस डाक्टर भगवान है !!
जान हथेली पर रखकर खेल रहें हरपल अब तो,
डाक्टर, पुलिस, सेना और देश का नौजवान है !!
... ✍️प्राञ्जलि दिलीप
पता - अमेठी उत्तरप्रदेश
*_काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020_*
प्रतियोगिता प्रेरिका आदरणीया डाॅ. मृदुला शुक्ल जी,
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्षा आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*_रक्तबीज कोरोना_*
आई महामारी विश्व पटल पर जिसका नाम कोरोना,
मत निकलो बाहर घर से तुम घर भीतर ही रहो ना।
है दुश्मन यह बड़ा विकट लेने चपेट में अतिआतुर,
सबको बंधक बना दिया है किंतु इससे डरो ना।
सावधानियाँ थोड़ी रक्खो बचना इससे संभव है,
मुँह पर कपड़ा बांधे रक्खो भीड़ कहीं भी करो ना।
बहुत ज़रूरी ग़र हो निकलना तब ही बाहिर जाना,
वापस आते ही पहले तुम साबुन हाथ धरो ना।
रक्तबीज कोरोना नामक दैत्य सामने खड़ा हुआ,
हे ईश्वर रक्षक तुम हो अब तो उद्धार करो ना।
नाम- अश्क़ बस्तरी (विनोद ओमप्रकाश गोयल)
ग्राम/उरमाल,तह.-मैनपुर,जिला-गरियाबंद (छ.ग.)
मो.- ९७७७५००१८४
९३०३६७३८८३
*काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
===================
*कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी,अध्यक्ष् परम् श्रध्देय अरुणा अग्रवाल जी एवं सम्मानीय मृदुला शुक्ला जी आप सबको मेरा सादर नमन्*वर्तमान में जो महामारी फैली है उस पर मेरी एक रचना सादर प्रस्तुत है*---
1- कविता पलायन
ये आवा-जाही से ही कोरोना बढ़ रहा है।
फिर क्यों उन्हें इतना बताना पड़ रहा है।।
कितना समझाया बाहर मत जाना फिर क्यों।
जनमानस को यूं पलायन करना पड़ रहा है।।
जब एक बार समझ में नहीं आता जिन्हें।
मोदी को चीखना चिल्लाना पड़ रहा है।।
तड़प जाता है वो सुनकर नाम कोरोना।
पूछो उससे जो कोरोना से लड़ रहा है।।
कितना घिनोना काम किया है चाइना ने।
जिसका किया सबको भुगतना पड़ रहा है।।
दो वक्त की रोटी की तलाश में घर से बाहर।
मजदूरों को भी मजबूरी में जाना पड़ रहा है।।
भूखे प्यासे बच्चों को साथ लिए सड़कों पर।
सैकड़ों मील दूर यूं ही पैदल जाना पड़ रहा है।।
बिना मास्क के बाहर ना जाये कोई "ज्ञानेश"।
अपनी ही भूलों से फिर पछताना पड़ रहा है।।
रचनाकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश"
राजस्व एवं कर निरीक्षक
किरतपुर (बिजनौर) उ०प्र०
स्वरचित ग़ज़ल सर्वाधिकार सुरक्षित हैं।
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-
रक्तबीज कोरोना
विधा-हाइकु
*******************
कहना मान~
रक्तबीज कोरोना
को है हराना
•
दिन या रात~
मिलकर कोरोना
को देनी मात
•
तीखी है धार~
कोरोना की मार से
बचा ले यार
•
मान कहना~
परिवार के साथ
घर रहना
•
करो भूल ना~
आँख नाक मुख को
कभी न छूना
•
रखना दूरी~
चाहे हो कितनी भी
वो मजबूरी
•
पड़ती भारी~
यदि थोड़ी सी भी की
लापरवाही
•
*******************
नाम-निर्मल जैन 'नीर'
पता-ऋषभदेव (राज.)
मो.9636665708
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
शीर्षक-" कोरोना को हराना है "
रक्तबीज कोरोना महामारी की चर्चा चहुँओर है
करोना संक्रमण से मुक्ति की चिंता चहुँओर है
प्रकृति से छेड़छाड़ की सजा आज हमने पाई है
पशु पक्षी आजाद घूमते मानव पर विपदा आई है
वक्त का तकाजा है प्रकृति से माफी मांगनी हैं
अपने किये भूल की आज भरपाई हमें करनी है
खुद को सुरक्षित कर दूसरो को भी करना है
कोरोना के लिए जन जन को जाग्रत करना है
सामाजिक दूरी रख अपनी सुरक्षा जरूरी है
बिना समवेत प्रयास के हर संकल्प अधूरी है
वातावरण स्वच्छ कर लोगों का जान बचाना है
स्वच्छता अपनाकर भावी पीढ़ी को बचाना है
परीक्षा की घड़ी में नई जिन्दगी की आस है
धैर्य रखकर हम ही जीतेंगें हमे पूरा विश्वास है
भारत के हर घर में एकता का नवदीप जलाना हैं
दूरियां बनाकर स्वस्थ रहकर करोना को हराना है
सीमा निगम
रायपुर छत्तीसगढ़ 492001
मोबाइल नंबर 7869458112
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता- रक्तबीज कोरोना
प्रतियोगिता हेतु मेरा रचना
यह रचना महेश गुप्ता जौनपुरी द्धारा सृजित किया गया है यह रचना मौलिक अप्रकाशित,सर्वाधिकार सुरक्षित है ।
विषय - रक्तबीज कोरोना
छूपल रहा डुकल रहा घरवा में ये भाई
दसे पांच दिन में भाग जाई कोरोना ये भाई
भईया ये भौजी नन्हका गदेलवा सुनी
घरवा में डुकी के रक्तबीज कोरोना से लड़ी
चच्चा ये चाची बड़का बाऊ के समझाई
माई बाबू तनी एक मीटर के दुरी बनाई
बहिनी तनी तई जीजा के समझाई
जीजा घरवा से बाहर ना जावे पाई
सेनेटाइजर से घरे दुआरे करी छिड़काई
कोरोना कोरोना बा खतरनाक लड़ाई
सब काम कजवा के छोड़ी बईठी घरवा में
दसे पांच दिन बिताली परिवार के संगवा में
ई कोरोना बड़का महामारी भईल बा
लोगन में गजबे डर समां गईल बा
बार बार आपन हाथ साबुन से धोई
केहू से भईया अब हाथ ना मिलाई
हाथ जोड़ के नमस्ते क पाठ पढ़ाई
गले लगाकर भाईचारा में रोग ना फैलाई
खांसी जुकाम सरर्दी के ना समझी एलर्जी
घरवा में बैठ के ना करी आपन मर्जी
झट पट डाक्टर से चिकित्सिय परिक्षण कराई
कोरोना के शुरूआती लक्षण के दूर भगाई
छूपल रहा डुकल रहा घरवा में ये भाई
दसे पांच दिन में भाग जाई कोरोना ये भाई
नाम - महेश गुप्ता जौनपुरी
पता - 183/8 वडार चाल, विकास नगर,बेहराम बाग रोड़, जोगेश्वरी वेस्ट मुम्बई - 400102
दाड़ीम का बीदाना :
रक्त बीज जेसे दाड़ीम का बीदाना,
बड़ा मुश्किल है उससे पीछा छुड़ाना
शुभ निशुंभ सेनापति खड़ा है
विश्व में कोरों ना संकट आ प़डा है
कोरों ना हे राक्षस रंग दानव
कुत्ते की मौत मर रहे हैं विश्व मानव
सोई हुई चण्डिका राक्षस को जगाओ
कोविड-19 महामारी विश्व से भगा ओ
रक्तबीज कभी मरता नहीं है,
फिर पैदा होना काम वहीं हे
रक्त बीज हे महामारी कोरों ना
लोक डाउन करके उसको हे डराना
डरों नहीं तुम सचेत रहना
कवि गुलाब चंद कहे घर में रहना
डॉ गुलाब चंद पटेल
कवि लेखक अनुवादक
नशा मुक्ति अभियान प्रणेता
ब्रेसट कैंसर अवेर्नेस प्रोग्राम
Mo 8849794377
इंडियन लायंस गांधी नगर
करोंना करोना करोंना
किसी से भी नफरत करोंना
बुजुर्गों से प्यार करोंना
उनसे कभी राग द्वेष करोंना ॥
कोरोना का मजाक करोंना
सरकार जो कहे सुनोना
उसकी गाईड लाईन पर चलोना ।
मोदी जी की बाते सुनोना
. शुध्द स्वच्छ सदा तुम रहना
. मांसहार से तौबा करोंना
मुँह पे मास सदा तुम धरोना
सदा हाथों को तुम धोओना ।
हल्का गर्म पानी पीओना ।
इन बातों पर अमल करोंना ।
उस रब पर भरोसा करोंना
बच्चों का ध्यान रखोना
कुछ ना बिगाड़ेगा तेरा कोरोना ।
हाथ किसी से तुम .मिलाओना
हाथ जोड़ नमस्ते करोंना
सदा यारों तुम मुस्कराना
कोरोना से ना घबराना ।
डर के भागेगा देखना कोरोना ।
कोरोना कोरोना कोरोना
किस बात का हें ये रोना ॥
निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद
वर्तमान परिस्थितियों का दृश्य मेरी दृष्टि में✍️
यह महाकाल एक अदृश्य शक्ति
त्राही त्राही मचा रहा है,नया नया
खेल दिखा रहा है,कभी खांसी सर्दी बुखार का लक्षण बता रहा
न जाने तू कब जायेगा ?अपना रंग कब तक दिखायेगा ?
2. सड़कें गलियां सुनसान है
मजदूर किसान दाता तुझे घुर
रहें हैं ,कब अंधकार की घटा
हटेगी कब मंदिर में घंटी बजेगी
सभी की आंखें नम हैं, सभी को गम है, सभी के कार्य बंद हैं ?
कुछ विवशता को थामें ठेला चला रहा है, स्वर्ण को बेचने वाला सब्जी तौल रहा है!
कैसा विचित्र दृश्य दिख रहा है प्रभु !
बिलख बिलख कर रो रही मां अपने बेटे के लिए
शव को भी कोई छु नहीं पा रहा है
न कोई आ रहा है,न कोई जा रहा है।
बस whaupके ज़रिए पुष्प समर्पित कर रहे हैं
हे सृष्टि ! के लाल देख!
अपने विनाशकाल देख प्रकृति
जब खेल दिखाती हैं।
समय की गति भी थम सी जाती हैं
कहते हैं ऊपर वाली की लाठी जब प्रहार करती है,तब किसी की
नहीं चलती हैं
हम कैंद में है, पक्षियां आसमान धरा पर आजाद विचरण कर रही है
परिवार में साथ साथ समय बिता रहे हैं
बच्चे भी दादा दादी के साथ रामायण महाभारत देख रहे हैं
रेस्टोरेंट से भी सुंदर बहनें परिवार
में रसोईघर में प्यार का रस घोल
रही हैं।
सब संस्कार लौट आया भारत में
बस हम सभी को महाकाल को हटाना है,देश में नई क्रांति लाना है
देश को बचाना है देश को बचाना है।
सीमा अष्टमी
दुर्ग भिलाई।
काब्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑन लाइन काब्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुला शुक्ल जी,
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति
कविता-
रक्तबीज कोरोना
आ धमका है रक्तबीज कोरोना,
खौफ़जदा जग का कोना-कोना।
मचा हुआ जग में कोहराम भारी,
बेबस बेसहारा हुआ सृष्टि सारी।
राह किसी को नहीं आता नजर,
जाएं तो अब कहाँ जाएं मगर।
आओ बंधु हम सब एक हो जाएं,
रक्तबीज कोरोना को मार भगाएं।
रक्तबीज को हम दें नहीं मौका,
साववधानी से ही पार होगी नौका।
हाथ जोड़कर हम करें अभिवादन,
समाजिक दूरी का रखें अनुशासन।
नीबू रस डाल कर पीएं गरम जल,
यकीन मानिए आएगा बेहतर कल।
गरम -गरम दूध में डालिए हल्दी,
पीजिये स्वस्थ शरीर मिलेगा जल्दी।
पहनिए प्यारे मास्क और दस्ताना,
रक्तबीज नहीं दे पाए तुमको ताना।
काली मिर्च अदरक इलाइची तुलसी,
पीओ चाय कोरोना को होगी उल्टी।
बार- बार बंधु धोइये अपने हाथ,
रक्तबीज को नहीं मिल पायेगा साथ।
गरम-गरम आप खाइये खाना,
दुष्ट दैत्य को अवश्य पड़ेगा जाना।
नित्य योग और प्राणायाम करिये,
प्राण ऊर्जा निज नस-नस में भरिये।
भक्त जनों भक्ति में है शक्ति भारी,
शरणागत रक्तबीज मर्दिनी महतारी।
तेरे शरण में हम आये माता अम्बे,
करिये अंत रक्तबीज का जगदम्बे।
धरा से कोरोना रक्तबीज मिटा दो,
भक्ति की शक्ति जग को दिखा दो।
जय -जय अम्बे गौरी दुर्गा काली,
दुष्ट दैत्य से धरा को करदें खाली।
जय अम्बे जय भारत
नाम-सुरेश कुमार चंद्रा
पता- काष्ठागार.कसनिया
पोस्ट-कटघोरा
वन मंडल-कटघोरा,
जिला-कोरबा
राज्य-छत्तीसगढ़
पिन-495445
मो.नं.-8085575875
कार्यक्रम संरक्षक:आदरणीय अनिल गर्ग जी;
कविता प्रेरक:डॉ० मृदुला शुक्ला जी,
कार्यक्रम अध्यक्ष:आदरणीय अरुणा अग्रवाल लोरमी जी ,
आप सभी का इस रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता को ऑनलाइन संचालित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ,और सभी का सादर वन्दन एवं अभिनंदन करता हूँ।
मां शारदे को सादर नमन करते हुए कुछ पंक्तिया ब्यक्त कर रहा हूं ,आप सभी लोग आशीष प्रदान करे।
शीर्षक-रक्तबीज कोरोना
संकट के बादल छाए हैं,हर देश आज घबराए हैं।
मासूमों के जीवन जाते हैं, हम रोक नहीं उन्हें पाते हैं।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे,सब बंद दिखाई देते हैं।
पुलिस प्रशासन और डॉक्टर,सेवा में संलग्न दिखाई देते हैं।
जो त्राहिमाम मच रहा आज,लोगों में हाहाकार मचा।
इस रक्तबीज कोरोना से,जो यह घातक नरसंहार हुआ।
भूखे पीड़ित लोगों का, इसमें जीना दुष्भार हुआ।
लोगो का साहस टूट गया और कोरोना का विस्तार हुआ।
पर विचलित होकर हमभी,अब हार नही मानेंगे ।
आपस मे स्थानी दूरी रखकर,इसके प्रवाह को तोड़ेंगे।
पूर्ण स्वच्छता रख करके,इसको जड़मूल उखाड़ेंगे।
कोरोना जैसी महामारी से,भारत को मुक्त कराएंगे।
अब जाति धर्म से हट करके, मानवता को स्वीकार करे।
भूखा कोई मिल जाए,तो उसको भोजन का अनुदान करे।
घर मे अपने रहना है,यह मिलकरअब संकल्प करें।
परमपिता को शीश झुकाकर,प्रकृति का सम्मान करें।।
धन्यवाद🙏🙏
मदन मोहन बाजपेई
ग्राम-फ़त्तेपुर ,जिला -लखीमपुर खीरी(262722)
मोबाइल नंबर-7302738835
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
एक कहानी- रक्तबीज करोना महामारी
आओ सुनाऊं ........
तुम्हें कहानी ऐसे महा विनाश की ,
कोई देश बच ना सका ,
उस रक्तबीज कोरोना की ऐसी मार थी।
आओ सुनाऊं ......तुम्हें कहानी ऐसे महा विनाश की ,
छूने से ही फैल गया ,
एक देश से दूसरे देश गया ।
लाखों को ही मार गया।
भय का कर ,ऐसा संचार किया।
जीवन पर ऐसा वार किया।
उस रक्तबीज कोरोना ने हर कहीं विनाश किया ।
अर्थव्यवस्था पर घात किया ।
धर्म भी ना बच सका इससे, इंसानियत पर ऐसा आघात किया।
आओ सुनाऊं .......... तुम्हें कहानी ,
ऐसे महाविनाश की ,कोई देश बच ना सका।
उस रक्तबीज कोरोना की ऐसी मार थी ।
लोगों को घर में बंद किया ।
गरीबों को बेघर किया ।
खड़ी फसल सड़ गई खेतों में,
मेहनत को बेरंग किया ।
आओ सुनाऊं..... तुम्हें कहानी ।
ऐसे महाविनाश की,
कोई देश बच ना सका ।
उस रक्तबीज कोरोना की ऐसी मार थी।
एकजुट होकर विश्व खड़ा था।
रक्तबीज कोरोना हर कोई लड़ा था।
स्वरचित रचना
प्रीति शर्मा असीम
नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 20 20 प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डाँ मदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुण अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति कविता जब से कोरोना आया है चारों ओर हाहाकार मचाया है। कैसी फैली है बीमारी, कोरोना है सबसे बड़ी महामारी, रक्तबीज कोरोना का दहशत, इस देश पर कैसा गहरा संकट, आज सारा जहां हाथ पैर धो रहा है ।सैनिटाइजर मास्क का उपयोग हो रहा है। दर -दर करते थे खाने का अपमान, आज तरस रहे खाने को नौजवान।
गीता पांडे "बेबी"
तुलसी नगर चेरीताल वार्ड जबलपुर मध्य प्रदेश
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना अॉनलाइन काव्य प्रतियोगिता २०२०
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया श्रीमती डॉ॰ मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक श्रीमान दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया श्रीमती अरूणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी। छोटी सी प्रस्तुति -
कविता** रक्तबीज कोरोना **
रक्तबीज कोरोना जन्मा चीन में।
दानव बनकर फैला ज़हान में।।
चहुं ओर देखो हाहाकार मचा।
रक्तबीज कोरोना तांडव रचा।।
नया शिकार पवनसंग ढूंढने लगा।
बहार जाएं उसे जकड़ने लगा।।
लोकडाउन बच्चों वात्सल्य भरपूर मिला।
माता-पिता रा आनन देखो खूब खिला।।
हर एक एक मीटर दूरी होगी।
घरों में सबकी सीमा पूरी होगी।।
एक एक मीटर दूरी मुंह पर मास्क जब होगा।
हाथ धूलते देख कोरोना को भागना होगा।।
रक्तबीज कोरोना की भेंट चढ़ गए।
असमय ही कई काल ग्रास हो गए।।
जिस जिस ने लापरवाही दिखाई।
उस उस ने अपनी जान गंवाई।।
अपवाद सर्वत्र विदित है।
फिर भी कई रक्षित है।।
सेवा में लगे पुलिस चिकित्सक देखो।
फर्ज निभाते भूखे प्यासे रहकर देखो।।
आओ हम सब मिलकर ठान लेते हैं।
भारत को फिर विश्वगुरु बना देते हैं।।
हम सब का बस यहीं तराना है।
रक्तबीज कोरोना को हराना है।।
काव्य रंगोली आनलाइन काव्य
प्रतियोगिता-2020
”"""''''"""""''"""""''"""""""""""""""""""
आदरणीया,
डा०मृदुला शुक्ल जी
माननीय,
दादा अनिल गर्ग जी,संरक्षक
आदरणीया,
अरुणा अग्रवाल जी,अध्यक्ष
के समक्ष सादर समर्पित एवम्
आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी
प्रस्तुतिः
""""""""""""""
आया है चीन से विषाणु एक घिनौना।
ये है असुर पुकारते,ले नाम कोरोना।।
कर दे जिसे स्पर्श,वे हो जाँय
संक्रमित।
लेकर ये जान छोड़ता है पिण्ड कोरोना।।
बढ़ता ही चला जा रहा, ये वायु
वेग से।
इंसान का दुश्मन है, रक्तबीज
कोरोना।।
सम्पूर्ण विश्व का अदृश्य शत्रु बन गया।
फैला रहा है विष,ये रक्तबीज
कोरोना।।
वीरान रास्ते सभी,निकले कोई नहीं।
फैलाये भुखमरी भी,रक्तबीज
कोरोना।।
जन-जन हुए विकल,नहीं कोई है
दवाई।
भीतर रहें घर के, बचाये मास्क
कोरोना।।
सचमुच में जोअसहाय,मदद उनकी सब करें।
जीवन बचाइये भगा के दुष्ट
कोरोना।।
चिंतन,मनन,भजन करें,घर बैठ कर सभी।
माँ,कालिके!वध कीजिये,लौटे न कोरोना।।
हर ओर स्वच्छता रहे,निकलें नहीं
घर से।
संहार करो माँ!ये रक्तबीज कोरोना।।
🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋
प्रेषित रचना स्वरचित,मौलिक एवम् अप्रकाशित है।
सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रेषक: ओम प्रकाश खरे
शिवधाम कालोनी
पारसनाथ हास्पिटल के सामने
विशेषरपुर,जौनपुर-222001,(उ०प्र०)
करोंना करोना सभी से प्यार करोना
सदा बुजुर्गों का अपने सम्मान करोंना ।
नहीं किसी से प्रत्यक्ष मिलना
ना ही तुम हाथ मिलाना ।
सभी क को देख मुस्कराना
दूर से ही हाथ हिलाना । ॥
ककरोना करोना सभी से प्यार करोना
दूर रहकर भी सभी से बात करोना ।
कुछ उसकी सुनो कुछ अपनी सुनाना
कुछ हे नहीं जग में बस प्यार करोना ॥
भरोसा रब पे करो वही उद्धार करेगा ।
इस कोरोना महा मारी का संघार करेगा ।
करो ना करोना प्रभु का ध्यान करोना
सभी से प्यार करोना सभी से प्यार करोना
रहो ना रहो ना घर में ही तुम रहो ना
कुछ ना बिगाडेगा ये रक्त बीज कोरोना ।
उस रब पर भरोसा करोंना करोंना ,
कुछ ना बिगाडेगा रक्त बीज कोरोना ॥
निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद
काव्य रंगोली रक्त बीज कोरोना ऑन लाईन काव्य सृजन प्रति योगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0मृदुला शुक्ला जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी,एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
विषय-रक्त बीज कोरोना
आयी बहुत बड़ी विपदा है आपस में मत रार करें।
रक्त बीज कोरोना आया उसका हम संहार करें।।
चीन देश से आया ये समान बहुत जहरीला है।
ना जाने कितने लोगों को इसने अब तक लीला है।
कोरोना से जो पीड़ित आओ उसका उपचार करें।
रक्त बीज कोरोना आया उसका हम संहार करें।।
एक दूजे से नहीं मिलेंगे हम सावधानी बरतेगे ।
कभी मिलायेगे न हांथ को मीटर दुरी राखेगे।
साबुन से हाथों को धोएं यह अपील हर बार करें।
रक्त बीज कोरोना आया उसका हम संहार करे।।
निर्धन,मजदूरों का इसने छीना यहां निवाला है।
बेकसूर लोगों का जीना भी मुश्किल कर डाला है।
विपदाये आती जाती है आओ मिलकर पार करें।
रक्त बीज कोरोना आया उसका हम संहार करें।।
साफ सफाई,संयम,धीरज का हम ले संकल्प यहां।
दूजा हमें नही दिखता है कोई और विकल्प यहां।
बड़ा कोरोना जहरीला है मिलकर सभी प्रहार करें।
रक्त बीज कोरोना आया उसका हम संहार करे।।
रचनाकार
डॉ0विद्यासागर मिश्र" सागर"
610/54केशव नगर,
सीतापुर रोड,लखनऊ 20
उत्तर प्रदेश
(स्वरचित,मौलिक,एवं अप्रकाशित)
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--कोरोना काल
--
देखो आफत आ गई है,
संसार पर इक भारी।
एक शुक्ष्म से वायरस ने,
हाहाकार मचाया भारी।
चमगादड़ का भोज किया था,
या हथियारों की थी तैयारी।
मनमौजी मानव ने अपने,
हाथों अपनी दशा बिगारी।
मानव की जब देह मिले,
रक्तबीज सा जन्मे भारी।
रोगी व्यक्ति की छीकं से,
निकले यह संख्या में भारी।
मुहँ पर गमछा हो या सारी,
फिर बाहर की हो तैयारी।
कोरोना को रोक सके बस,
मानव से मानव की दूरी।
नर्स डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मी,
शक्ति के जैसे अवतारी।
रक्तबीज कोरोना को ग्रसने।
अपनी जान जोखिम में डारी।
अहंकार के कारण थे,
ऐटम बम मिसाइल भारी।
थर्रा गई वो महाशक्तियां,
शस्त्रहीन वायरस से हारी।
कुछ अज्ञानी मजहबियों ने,
व्यवस्थाऐं बिगाड़ी सारी।
ऐसे लगता है क्यों जैसे,
देशद्रोह कि हो तैयारी।
मानवता जिनके अन्दर थी,
उसने तौड़ी गुल्लक प्यारी।
मजबूरों की मदद को आये,
सच्चे मानव सेवा धारी।
वोट बैंक बढाने खातिर,
नेता बाटें धन सरकारी।
जिनके वोट पे राज करे,
खींचें फोटो मैं लाचारी।
पुलिस प्रशासन सख्ती से,
रोक रही है भगदड़ भारी।
आपस में दूरी ना हो तो,
कोविड बन जाए महामारी।
खबरें हमको देते तत्क्षण,
मिडिया का साहस है भारी।
बिजली पानी सफाईकर्मी,
सबकी मेहनत के आभारी।
कह रमेश कोरोना काल मैं,
भूल पड़ेगी सब पर भारी।
मौका है परिवार के संग,
यादें ताजा करलो प्यारी।
--
नाम - रमेश चंद्र भाट
पता - मकान संख्या, टाइप-4/61-सी, अणुआशा कालोनी, रावतभाटा, पिन: 323307
मो0(9413356728)
निर्दोष लक्ष्य जैन 3 बार पोस्ट की
*काव्य रंगोली द्वारा 19 अप्रैल 2020 को आयोजित रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन कवि गोष्ठी में प्रस्तुत काव्यपाठ का लिखित रूप*
◆ हँसेगा भारत हँसाएगा भारत
रक्तबीज कोरोना को जहां से भगाएगा भारत
विपदा हो पर्बत या सागर सी गहरी
हौसलों से सबसें पार हो जाएगा भारत
देखा हैं विपदा अम्बर से भी ऊँचा
डरा ना क़भी ,कुछ ना गगन से पूछा
किया हैं बुलंद अपना हिम्मत इरादा
दिया रास्ता देख सागर ने ना रोका
जहां की हँसि हिंदुस्तान से ही होगा
हँसेगा शहर गॉव घर हर मुहल्ला
जलेगा दीया रंग खुशियों के संग में
विपदा इस जहां से विदा जब भी होगा ।।
द्वारा -बिमल तिवारी "आत्मबोध"
S/O -स्व दयाशंकर तिवारी
ग्राम+डाक-नोनापार
जनपद-देवरिया
– 8418997646 -6394718628
काव्य रंगोली "रक्तबीज कोरोना" शीर्षक ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
********************
माँ शारदे को नमन वंदन करते हुए आदरणीया डॉ मृदुला शुक्ल जी एवं संरक्षक परम आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी व कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुण अग्रवाल जी को सादर समर्पित करते हुए लावणी छंद में एक छोटी सी रचना आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ।🙏
********************
रक्तबीज कोरोना जब से,
देश हमारे आया है।
पी.एम.सी.एम,मंत्री कोभी,
इसने खूब छकाया है।
*********
बीस सेकेंड तक हाथों को,
अब साबुन से धोना है।
जीवन है अनमोल हमारा,
इसे नही अब खोना है।
पुलिस,डॉक्टर,मीडिया ने भी,
मिलजुल जोर लगाया है।
रक्तबीज कोरोना जब से,
देश हमारे आया है।
*************
आवश्यक हो तभी निकलना,
घर से मेरे भाई तुम।
तीन मई तक घर में रहना,
पालन करना भाई तुम।
जान गई ना जाने कितनी,
सबका दिल दहलाया है।
रक्तबीज कोरोना जब से,
देश हमारे आया है।
************
धीरज से सब काम करें हम,
बहुत बड़ा कोरोना है।
सूझ-बूझ से पीटें इसको,
वापस बीज न बोना है।
जोड़े हाथ खड़ा है माली,
बार-बार समझाया है।
रक्तबीज कोरोना जब से,
देश हमारे आया है।
*********
संकट में है देश बंधुओं,
मिलकर कदम बढ़ाना है।
एक-एक मिल ग्यारह होते,
मिलकर देश जिताना है।
भागेगा कोरोना अब तो,
दिनकर भी गरमाया है।
रक्तबीज कोरोना जब से,
देश हमारे आया है।
**********
नई सुबह जब होगी सबकी,
सूरज भी मुस्काएगा।
कोरोना से जंग जीतकर,
ध्वज अपना लहराएगा।
मेरे इन वीरों के आगे,
कोई टिक ना पाया है।
रक्तबीज कोरोना जब से,
देश हमारे आया है।
***************
मुक्ता गुप्ता
कनकपुर रोड, मया बाज़ार
अयोध्या
*_काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020_*
प्रतियोगिता प्रेरिका आदरणीया डाॅ. मृदुला शुक्ल जी,
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्षा आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*_रक्तबीज कोरोना_*
मिलकर कदम बढ़ाना होगा
मिलकर कदम बढ़ाना होगा
कोरोना के विरुद्ध लड़ना होगा ।
तेज खासी बुखार लगता हो
तुरंत डॉक्टर को दिखाना होगा ।।
मिलकर कदम बढ़ाना होगा
एक दूसरे को सचेत करना होगा ।
हाथ न मिलाओ गले न लगाओ
सख्त नियम पालन करना होगा ।।
मिलकर कदम बढ़ाना होगा
अनुशासन के साथ चलना होगा ।
यारों हिम्मत से काम लेना होगा
कोरोना को अब मिटाना होगा ।।
मिलकर कदम बढ़ाना होगा
डॉक्टर पुलिस कोरोना के योध्दा
उनके दिखाये राह पर चलना होगा
अब उनको सलाम करना होगा ॥
छोड राम रहिम कोरोना के
योध्दाओं को सलाम करना होगा ॥
डॉ. सुनील कुमार परीट
महादेव नगर सांबरा 591124
जि - बेलगांव कर्नाटक, मो.8867417505
रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020 -
कार्यक्रम अध्यक्ष महोदया दीदी अरुणा अग्रवाल जी,संरक्षक दादा श्री अनिल गर्ग जी एवं प्रेरक दीदी डॉक्टर मृदुला शुक्ला जी को सादर प्रणाम करते हुए दर्शाए हुऐ विषय पर मेरी रचना सादर अवलोकनार्थ प्रेषित है -
धरती पे जाने कैसा ये संकट है आ गया,
रक्तबीज सा कोरोना विश्व पर है छा गया।
ऐसा चला ये चीन से की फिर थमा नहीं,
कई देश घूमता हुआ भारत में आ गया।।
इसको खबर नहीं यहां ये मात खाएगा,
चाहे जहां से जीता हो यहां हार जाएगा।
कमजोरियों को इसकी हमने जान लिया है,
लक्षणों को भी तनिक पहचान लिया है।।
न भीड़ में जाएंगे न हम कुछ भी छुएंगे,
छू ते ही किसी वस्तु को हम हांथ धोएंगे।
एक दूसरे से मीटरों मे दूरी रखेंगे,
अपनी तरफ से सावधानी पूरी रखेंगे।।
सैनिटाइजर व मास्क का प्रयोग करेंगे,
बेवजह कोरोना से बिल्कुल न डरेंगे।
खासने व छींकने पर ध्यान धरेंगे,
फ़ौरन निकाल मुंह पर हम रुमाल रखेंगे।।
न हो बहुत जरूरी तो बाहर न जाइए,
पूरा समय परिवार संग घर में बिताईये।
ठान लो मन में हमें इसको भगाना है,
रक्तबीज कोरोना से भी जीत जाना है।।
अपनाएंगे ये सूत्र तो फिर चैन टूटेगी,
इस राक्षस की खुद ब खुद तकदीर फूटेगी।
ये देश है हमारा हमें इसको बचना है,
संकल्प मोदी जी का भी हमे निभाना है।।
देश में फिर से हमें हरियाली चाहिए,
जन जन के चेहरे पे हमे खुशहाली चाहिए।।
हांथ जोड़ मां दुर्गे को हम कर रहे नमन,
इस रक्तबीज का भी मां कर दो अब दमन।।
अब कोई न कोई रूप मातु धार लीजिए,
इस अदृश्य शत्रु का भी मां संहार कीजिए।
दया दृष्टि मातु फिर एक बार कीजिए,
विपत्ति की घड़ी से हमें उबार लीजिए।।
विनीत दीक्षित ' बागी '
( ओज कवि)
लखीमपुर खीरी
9455182270
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
😷 *कर्म से कोरोना*😷
हें! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
रक्तबीज कोरोना को जन्म देकर l
त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,
रक्तबीज को फैलाकर ll
हें! मानव,
प्रकृति को भूल कर,
तोड़ी तुमने मर्यादा l
मार पड़ी जब प्रकृति की,
तो हो गया हक्का - बक्का ll
हें! मानव,
तुम हल्के में नहीं लेवे,
कोरोना की महामारी को l
इटली और चाइना की तबाही,
देख रोके नहीं रुकती ll
हें! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
रक्तबीज कोरोना को जन्म देकर l
त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,
रक्तबीज को फैलाकर ll
हें! मानव,
बच्चे, बूढ़े और बेघर का,
तुम्हें रखना है ख्याल l
सभी रहें अपने घर,
कोरोना का हैं ईलाज ll
हें! मानव,
नहीं होवे जनहानि,
कोरोना की महामारी से l
अफवाहों को न फैलाएं,
अफवाहें हैं बड़ा वायरस ll
हें! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
रक्तबीज कोरोना को जन्म देकर l
त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,
रक्तबीज को फैलाकर ll
हें! मानव,
संबंधो में थी दूरिया,
पहले से ही गहरी l
कोरोना के वायरस से,
गहरी हो गई और दूरिया ll
हें! मानव,
स्वच्छता और एकांतपन है,
कोरोना का बचाव l
समय नहीं है घबराने का,
सतर्कता का दे सुझाव ll
हें! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
रक्तबीज कोरोना को जन्म देकर l
त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,
रक्तबीज को फैलाकर ll
मौलिक एवं स्वरचित सुरक्षित
✍🏻 *कुमार जितेन्द्र "जीत"*
--
नाम - कुमार जितेन्द्र "जीत"
पता - साईं निवास ग्राम मोकलसर, तहसील - सिवाना, जिला - बाड़मेर, राजस्थान l
मो. न. 9784853785
काव्यरंगोली *रक्तबीज* *कोरोना* ऑनलाइन काव्य
******************* प्रतियोगिता वर्ष- 2020
प्रतियोगिता प्रेरक- आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक--- दादा अनिल गर्ग जी
एवम कार्यक्रम अध्यक्ष-- आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
एक कहानी- *रक्तबीज* *करोना* महामारी
गीत
******
*छंद--आल्हा छंद*
कोरोना ने पाँव पसारे,मचा विश्व में हाहाकार।
ढाता कहर निडर बन कर यूँ,मची हुई है चीख पुकार।
1
चीन देश वूहान शहर की,कोविड -उन्निस है संतान।
बना रहा जो घूम- घूम कर,सारी दुनिया को शमशान।
नहीं नग्न आँखों से दिखता,छुप कर करता घातक वार ।
कोरोना ने पाँव पसारे,मचा विश्व में हाहाकार।
2
संक्रामक है रोग बाँटता,बना हुआ शातिर शैतान।
श्वसन तंत्र पर हमला करके,पहुँचाता है यह नुकसान।
इंसानों में दिया दिखाई ,कोविड- उन्निस पहली बार।
कोरोना ने पाँव पसारे,मचा विश्व में हाहाकार।
3
खाँसी ,ज्वर,सर्दी -जुखाम दे मर्स -सार्स दे घातक रोग।
घोषित हुआ महामारी ये,रहा जगत सारा है भोग।
निपटेंगे इससे सब मिलजुल, कमर कसी हम हैं तैयार।
कोरोना ने पाँव पसारे,मचा विश्व में हाहाकार।
4
सत्तर डिग्री तापमान भी,सकता नहीं इसे है मार।
दवा नहीं विकसित कर पाया,आज तलक तो यह संसार।
*रक्तबीज* -सा दिन पर दिन यह बेलगाम करता विस्तार।
कोरोना ने पाँव पसारे,मचा विश्व में हाहाकार।
5
भीड़ -भाड़ से दूरी रक्खो, धोओ साबुन से तुम हाथ।
आयी विकट आपदा जग में,काट ढूँढना मिलकर साथ।
धैर्य न खोना, मत घबराना,मिलकर देंगे इसको मार।
कोरोना ने पाँव पसारे,मचा विश्व में हाहाकार।
-श्रीमती स्नेहलता'नीर' रुड़की,-हरिद्वार,उत्तराखंड।
काव्य रंगाेली रक्तबीज काेराेना अॉनलाईन प्रतियाेगीता २०२० प्रतियागीता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुलाजी शुक्ल संरक्षक दादा अनिलजी गर्ग एंव कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणाजी अग्रवाल काे समर्पित एंवम आप सभी के अवलाेकनार्थ मेरी प्रस्तुती
*स्वरचीत - बिपिन कुमार चौधरी*
*रक्तबीज काेराेना*
*कोरोना तेरा यह खूबसूरत पैग़ाम...*
काम तो है यूं ही बदनाम,
बहुत मुश्किल दिन रात आराम,
जिंदगी को खूबसूरत बनाता काम,
कोरोना तेरा यह खूबसूरत पैग़ाम...
सारी दुनिया है परेशान,
हिन्दू हो या हो मुसलमान,
सारा धर्म तेरे लिए एक समान,
कोरोना तेरा यह खूबसूरत पैग़ाम,
गिरफ्त में तेरे आए जो इंसान,
दूर से करता उसे हर कोई सलाम,
सोचे मूर्ख किसके लिए बेचा ईमान,
कोरोना तेरा यह खूबसूरत पैग़ाम,
आता नहीं है बैंक बैलेंस भी काम,
व्यर्थ हुआ गलत सही काम तमाम,
कठोर सच्चाई से रू ब रू होता इंसान,
कोरोना तेरा यह खूबसूरत पैग़ाम,
पड़ोसी भूखा लोग बेफिक्र खाए पकवान,
इस सोच को भी तूने बदल दिया हैवान,
कोई पड़ोसी नहीं हो संक्रमित, सब परेशान,
कोरोना तेरा यह खूबसूरत पैग़ाम,
मानव का हत्यारा बेशक तू बदनाम,
इंसानियत खुद भूल कर, आदमी बोले दोषी भगवान,
निज स्वार्थ में अंधा कितना गिर चुका इंसान,
कोरोना तेरा यह खूबसूरत पैग़ाम,
खोजे सब इस समस्या का समाधान,
सबको आया समझ क्यों संकट में है जान,
प्रकृति से खिलवाड़ और गलत विज्ञान,
कोरोना तेरा यह खूबसूरत पैग़ाम...
*घर बैठ बचा ले तू अपनी जान रे...*
बचा ले, बचा ले, बचा ले...
घर बैठ बचा ले तू अपनी जान रे...
यहां जिंदगी के पड़े हैं लाले,
रूखा सूखा कुछ भी खा ले,
अभी बांट मत तूं अपना ज्ञान रे,
घर बैठ बचा ले तूं अपनी जान रे...
माना बरबाद तूं हुआ है,
बता आबाद कौन हो रहा है,
इतना भी तूं मत हो परेशान रे,
घर बैठ बचा ले तूं अपनी जान रे...
कहर कोरोना ने है बरपाया,
बाहर से तेरे मोहल्ले है कोई आया,
आइसोलेशन वार्ड भेजने का कर इंतिजाम रे,
होकर सतर्क बचा ले सबकी जान रे...
यहां दुनियां पर अाई है आफत,
लालच में बेच ना अपनी सराफत,
कालाबाज़री कर मत बन हैवान रे,
ले सही दाम, भला करेंगे तेरा भगवान रे,
हर घर में है नहीं पैसा,
कर मदद कोई रहे नहीं भूखा,
कुछ दिनों के लिए बन जाओ इंसान रे,
करके मदद बचा ले तू सबकी जान रे...
बाहर तो होगा ही जाना,
जरूरी सामान घर में है लाना,
भीड़ से बच मुंह पर लगा ले मास्क रे,
खुद बच बचा ले तू अपनों की जान रे...
लक्षण अगर किसी में नजर आए,
सूखी खांसी के साथ बुखार भी आए,
जल्दी से भेजो उसे अस्पताल रे,
सरकार की बातों को मानना ही मात्र समाधान है...
बचा ले, बचा ले, बचा ले...
घर बैठ बचा ले तू अपनी जान रे...
धन्यवाद 🙏🙏
बिपिन कुमार चौधरी
कटिहार (बिहार)
मोबाइल -771770237
कोरोना महामारी मैडम,हाथ धोना सिखा गई ।हाथ जोड़ें या मिलाएं ,ठीक पढ़ा लिखा गई। कोरोनावायरस महामारी मैडम................................. हुए थे चूर जो मानुष, अपने धन,बल और पद में, ऐसे अंधों को भी तो वो, दिन में तारे दिखा गई। कोरोना माहमारी मैडम......................... कहा मुझसे सुनो दयाराम, बहुत शरारती हो तुम। बाहों में ना भरो मुझको ,भरा जिसने सुला गई ।। कोरोना महामारी मैडम ............................. देखकर लाल अधरों को, लार टपकाओ ना ऐसे ,भारत के वासी हो कहकर ,वो सिर अपना झुका गई।। कोरोना महामारी मैडम............................... आऊंगी एक बार में फिर, देखने तेरी पीढ़ी को। सीखा क्या तूने है मुझसे ,या फिर मैं सिर खपा गई।। कोरोना महामारी मैडम........................
Dayaram Saini kaman
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति--💐🙏
गीत-रक्तबीज कोरोना
--
गीत नहीं कोई लिख पाती
भाव नहीं दे पाती हूँ।
देख विषम हालात जगत के
अंतस नीर बहाती हूँ।।
शस्य श्यामला सी ये धरती
वीराने पर रोती है,
पाला जिनको निज आँचल तल
उनको पल पल खोती है,
रो रोकर कहती हूँ सबसे
हिय का हाल सुनाती हूँ।।
कितने पापी नर पिशाच हैं
अन्न धरा का खाते हैं,
संबल हैं जो इस अवनी के
उनको दुख पहुँचाते हैं,
ज्ञानी हो पर नहीं श्रेष्ठतम
गूढ़ भेद बतलाती हूँ।।
रक्त बीज है ये कोरोना
रोष प्रकृति दिखलाती है।
खेल रही है खेल मृत्यु का
मानो प्रलय बुलाती है।
आदि संस्कृति मूल मंत्र है
सच्ची राह दिखाती हूँ।।
--
नाम-अर्चना द्विवेदी
पता-ग्राम मलिकपुर, पोस्ट डाभासेमर, जिला,अयोध्या
मो0-8004063262
स्वरचित,अप्रकाशित रचना
[4/19, 10:21 AM] हमीद कानपुरी कानपुर्: मुक्तक
दुनिया भर की आफत रक्त बीज कोरोना।
आया बनकर शामत रक्त बीज कोरोना।
जूझ रही इस विभीषिका से दुनिया सारी,
देता नहीं रियायत रक्त बीज कोरोना।
अब्दुल हमीद इदरीसी
वरिष्ठ प्रबंधक
पंजाब नेशनल बैंक
मण्डल कार्यालय बिरहाना रोड कानपुर
0512320033
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति--*
रक्तबीज कोरोना, छुआ छूत का रोग
मास्क लगाकर हम चले, रहे भीड़ से दूर।
साफ सफाई का करे, प्रचार प्रसार जरूर।।
सदा शुद्ध भोजन करो, रहना शाकाहार।
ताजा ही खाया करो, नहीं रहे बीमार।।
हिंदुस्तानी सभ्यता, डंका हम बजवाए ।
हाथ मिलाना छोड़ दो, नमस्कार अपनाए।।
योग प्राणायाम करें, कोरोना हो दूर।
भारतीय पद्धति रहे, चहुँ ओर मशहूर।।
संस्कृति छोड़ना नहीं, मत बनना नादान।
कोरेना से बच सके, बढ़े हमारी शान ।।
खतरा है इस रोग से, कोरोना है नाम।
लोगों से दूरी बना, करना अपना काम।।
हाथ साफ रख कर सदा, रहे हम सावधान।
खुद सतर्क रहकर हमे, रखना सबका ध्यान।।
बाहर हम जाए नहीं, ना किसी को बुलाए।
रक्तबीज से दूरी बना, जीवन अपना बचाए।।
आशा है यही सब की, पाए शुभ परिणाम।
भगा देगे इस रोग को, हो भारत का नाम ।।
सेवा को हाजिर रहें, देश हित करे काम।
अपने भारत का रहे, पूरे विश्व में नाम।।
गर्मी जब बढ़ जाएगी, बरसेगी तब आग।
थोड़े दिन हिम्मत रखो, रोग जाएगा भाग।।
छुआ छूत का रोग है, यही रखना है ध्यान।
सावधानी रख कर ही, बच जाती है जान।।
बाहर तुम जाना नहीं, सरकारी आदेश।
साफ सुथरा सभी रखे, अपना घर परिवेश।।
*स्वरचित*
नाम--कलावती करवा
पता-- कूचबिहार
पश्चिम बंगाल
मो० 9851310119
काव्य रंगोलीरक्तबीज कोरोना आनलाइन काव्य पर्तियोगिता2020 परमादरणीया मृदुला शुक्ल जी एवम् कार्य क्रम अध्यक्ष अरुण अगवाल जी को समर्पित एवम् आप सभी महानुभावों के अव लोकनार्थ मेरी स्व रचित कविता गीत विधा में प्रस्तुति फैली कोरोना बेमरिया कैसे सपरी ।। टेक ।। अर्थ जगत मा बादशाहियत बढी लालसा भारी ।। चोरी चोरी चुपके चुपके हुई हुवान तयारी ।।आदमी जौन बनाया यहिका उसकी मौत तयारी ।।कीन तयार वाइरस पहले और दवा बेमारी ।।। धीरे धीरे फिर दुनिया मा अपना पैर पसारी,फैली कोरोना रक्त बीज बेमरिया कैसे सपरी 2।। अमरीका दक्षिण अफरीका यूक्रेन रसिया भारी ।।डोनाल्ड टर्मप दहाडैं ठाढे़ बढि गै कैस बेमारी।।राज घराना दस्तक दीन्हा बढी गजब लाचारी ।।गरीब अमीर देख नापावै जेहिका जिनगी प्यारी ।। फैली कोरोना ई रक्त बीज बेमरिया कइसे सपरी2।।। लाँक डाऊन किहे जगवासी बैठे छुप छुप सारी ।।निकसे बाहेर खडी बा बाहेर ई दुर्दांत बेमारी।।दुर्गति नाही अइसी जग माआई पहली बारी ।।तड़प तड़प के जान ई जैहै छूने न केर बेमारी।। फैली कोरोना रकत बीज बेमारी,कैसे सपरी ।।3 ।।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल ओमंनगर, सुलतानपुर, यूपी।8853521398
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना आनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया 'डॉ मृदुला शुक्ला' जी संरक्षक दाता 'अनिल गर्ग' जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय
'अरूणा अग्रवाल' जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति -
कविता - 'रक्तबीज कोरोना'
"इस दानव पर हे मानव!
बाहुबल का न प्रहार करो।
रक्तबीज है यह 'कोरोना ',
इस पर तुम विचार करो।।
इसके लक्षणों को जानो तुम,
अमल कर, सावधान रहो।
दूर-दूर रहकर भी तुम,
अपनी एकता का आवाह्न करो।।
रक्तबीज है यह 'कोरोना ',
इस पर तुम विचार करो।।
जो भूल हुई थी, कल तुमसे,
आज उसमें, सुधार करो।
विश्व गुरु भारत के बनने में,
सब मिलकर अपना योगदान करो।।
रक्तबीज है यह 'कोरोना ',
इस पर तुम विचार करो।।
शुरू एक से लाख है पहुंचा,
इसका सम्पर्क तोड़ करो।
स्व सुरक्षित रहकर तुम,
दूसरों को सुरक्षा प्रदान करो।।
रक्तबीज है यह 'कोरोना ',
इस पर तुम विचार करो।।
अनुचित परिस्थिति की, विपद् समस्या का,
सब मिलकर, समाधान करो।
रक्तबीज है यह कोरोना,
इस पर तुम विचार करो।।"
नाम - अतुल मिश्र
पता - गायत्री नगर, अमेठी (227405)
सम्पर्क सूत्र - 9696643764
काव्य रंगाेली *रक्तबीज काेराेना* अॉनलाईन प्रतियाेगीता २०२० प्रतियागीता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुलाजी शुक्ल संरक्षक दादा अनिलजी गर्ग एंव कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणाजी अग्रवाल काे समर्पित एंवम आप सभी के अवलाेकनार्थ मेरी प्रस्तुती..
*स्वरचीत - शिवेन्द्र मिश्र "शिव''
विधा- कुंडलिया छंद
कोरोना का वायरस, फैला सकल जहान।
यह संक्रामक रोग है, रक्त बीज सा जान।।
रक्त बीज सा जान, बनी न कोई दवाई।
शाकाहार निदान, रखे बस साफ सफाई।
कहता 'शिव' दिव्यांग, भीड़ से बचकर रहना।
रुग्ण लगाएं मास्क, रुकेगा तब कोरोना।।01
आया देखो चीन से, कोरोना बन काल।
सकल विश्व के हो गये, हाल बडे़ बद्हाल।
हाल बडे़ बद्हाल, संक्रमण की बीमारी।
हुआ भयानक रोग, बढी़ कितनी लाचारी।
असफल हुए प्रयोग, तोड़' ना अब तक पाया।
भगवन करो सहाय, रोग यह कैसा आया।।02
फैला पूरे विश्व में, कोरोना का ताप।
जो जन असुरक्षित रहे, झेलें वो संताप।।
झेलें वो संताप, न जिसकी बनी दवाई।
कोरोनो ने यार, शहर की नींद उडाई।
कहता 'शिव' दिव्यांग, न दिखता रैली-रैला
कोरोना का कहर, शहर में ऐसा फैला।03
संक्षिप्त परिचय:-
नाम- शिवेन्द्र मिश्र 'शिव'
विशिष्ट पहचान- दिव्यांग
शिक्षा- एम.ए, एम.एड.
सम्प्रति- शिक्षक
प्रकाशन- दैनिक जागरण समेत विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
पता- ग्रा०+पो० मैगलगंज,जि०- लखीमपुर (खीरी) 261505
मो०- 991988114
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता 2020
विषय -रक्तबीज कोरोना
फिर वादी में आयेगी बहार
फिर होगा भारत गुलजार
फिर सजेंगे मेले सब सारे
फिर छायेगी नई खुमार।।
फिर होगी हर जगह हलचल
नदी की धारा सी कलकल
फिर होगी मस्तिया प्यारी
खुलेगी बंद बस्तियां सारी।।
नई उमंग नया जोश होगा
*रक्तबीज कोरोना* नाश होगा
फिर अपनो के दिल खिलेंगे
दूर बेटों में माँ बाप मिलेंगे।।
फिर से होगी सड़को पर शोर
सजेंगी मंदिर मस्जिद होगी भोर
बजेगी नाद सन्नाटा होगा दूर
तनहाइयों से उबरेगा कोहिनूर।।
है जोश हिम्मत दानव को हराने की
घर मे ही रह कोरोना से भीड़ जाने की
जैसे भी हो कष्ट सह लड़ तू अंगार
हारा न हारेंगे संकल्प कुछ कर जाने की।
अवतार सिन्हा"अंगार"
गरियाबनंद छग
कोरोना
कोरोना शत्रु विश्व में,
महाकाल-सा डोलता।
काल बन के छा गया,
विश्व को निगल रहा।
रोक सके कौन इसे,
कोई न समझ रहा।
हथियार ये हार गए,
दौलत बिलख रही।
विज्ञान हारता दिखे,
प्रयास टूटता रहा।
एक लघु विषाणु से,
जगत हारता दिखे।
धर्म कर्म पीछे हटे,
लोग एक हो गए।
धर्मजाति भूल गए,
शत्रु खड़ा सामने।
मंदिरों की घंटियां,
मस्जिदों के आयतें।
चर्च की वो प्रार्थना,
गुरुद्वारों के भजन।
शांत खड़े सारे हैं,
भगवान एक हो गए।
इंसान एक हो गए।
एक राह चल पड़े,
विश्व एक हो गया।
मानवता की पुकार,
कर्म एक हो गया।
धर्म एक हो गया।
शत्रु खड़ा है सामने,
संसार एक हो गया।
पशु-पक्षी अचरज करें,
मानव कहां खो गया।
अदृश्य शत्रु सामने ,
जगत हारता दिखे।
प्रयास एक ही दिखे,
नरभक्षी से दूर ही रहें।
रक्तबीज सा शत्रु यह,
दूर इससे हम सब रहें।
क्षीण स्वयं होगा पापी,
अपनी ही मौत यह मरे।
डॉ सरला सिंह "स्निग्धा"
दिल्ली
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- "कोरोना"
******
हिन्दू है न ये मुसलमान कोरोना,
रक्तबीज राक्षस विषाणु कोरोना।
जो ग्रास बने हैं उन्हें उपचार चाहिए,
सबका इस व्याधि से बचाव चाहिये।
साबुन से हाथ धुलें मास्क लगाएं,
छींकें मुह ढ़क सामाजिक दूरी बनाये।
संक्रमण बचाना ही अचूक है इलाज,
जन जागरण से ही बचेगा ये समाज।
न हो सामूहिक पूजा न समूह में नमाज़,
लाकडाउन से मरेगा संचरण का बाज।
जो संक्रमित हुए हैं वो खुद सामने आयें,
जो संपर्क में थे वो क्वारेन्टीन हो जाएं।
सरकारी निर्देशों का अवश्य हो पालन,
कोविड उन्नीस का समूल करें शमन।।
नाम- गंगा पांडेय "भावुक"
पता-शिवनगर भंगवा, पूरेनरसिंहभान थाना कोतवाली
सदर प्रतापगढ़ उ.प्र
पिन-230001
मो0-9335879240
*काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
===================
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉक्टर मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एंव कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एंव आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति:-
आभार🙏
शीर्षक:-
#असहाय_सा
#रक्तबीज_कोरोना
ठिठक जाता हूं मै, आह!
क्या मसला है ये
फिर एक बे वक़्त दीवाली आई है
इंसान बम - पटाखों सा फूटे है,
लोग, लोग से मोतियों की तरह टूटे है।
रक्त तो बही नहीं है कहीं
पर फिर भी मंजिल दूर है कहीं।
प्रेमी प्रेम को घुटन कह रहा
कब से वो गठरी समेटे अभिलाषा ढह रहा।
दानवता कि चक्की में मानवता यूं पिसा जा रहा,
भूख से बड़ा मजहब, रोटी से बड़ा ईश्वर नहीं रहा।
वजह है, सब बेवजह बन रही
कहीं रोटी को तंगी है,
कहीं आख़िरी जंग चल रही।
फ़कत रक्तबीज कोरोना के आगे विवश घुटने मोड़ रहा,
कहीं चराग तो कहीं चूल्हा नहीं जल रहा।
...इस जहां में होगा कोई दूसरा जीवन कहीं,
चलो चलें यहां से उम्र भर के लिए वहीं।
परवाने है अब भी कहीं,
जो मुनासिब ना समझते कुछ भी सही।
देश की सारी खिड़कियां बंद है,
ऐ परवाने रक्तबीज कोरोना कि ठिठोलियो में मग्न है।
डॉक्टरों पुलिसो कि नींद कहीं हराम है,
और सभी कहते है ये आराम है।
भीड़ में चंचल बने कोई शुरवीर आता है,
विश्व बीमारी अध्याय बन जाता है।
रोक टोक क्रिया जारी है,
अब हमारे फ़र्ज़ अदा करने की बारी है।
यह असहज ही एक बीमारी है
अपने अदृश्य शक्ति से निगलता देश विदेश है,
अब ना कोई काली है जो काल को लूटने वाली है।
ये रक्तबीज कोरोना है, हमारे फ़र्ज़ अदा करने की बारी है।
सुजीत मोदी
छात्र यू पी एस सी
धनवार, गिरिडीह (झारखंड)
फोन - 8294100117
: रक्तबीज कोरोना
बचाना चाहिए
----------------------------------------
खुद को रक्तबीज कोरोना से बचाना चाहिए
समाज को अफवाहों से बचाना चाहिए।
जीत हासिल हो ये अच्छी बात है।
पर कभी मुंह की भी खाना चाहिए।
रात सूरज से ही हटनेवाली है।
फिर भी दीपक तो जलाना चाहिए।
लाख ढूंढ़ो फिर भी ना बहार मिले।
फिर तो उस को खुद, में पाना चाहिए।
आओ साथियों मिलकर करे वंदना
सभी मानव जीवन का ख्याल रखना चाहिए।
एक दूसरे को सचेत करना होगा
सब को एक साथ कदम बढ़ाना चाहिए।
दम-ब-दम भीतर रहे तो गुॅंजती,
तजॅ वो है गुनगुनाना चाहिए।
डॉ सुरेश वी देसाई
पाटन गुजरात चलभाष-9574348127
वॉट्सएप-8980596422
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डॉ मृदुल शुक्ला जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
शीर्षक- कोरोना में गरीब का अस्तित्व
महामारी में गरीब का अस्तित्व खोता दिख रहा
हर एक मजदूर आज मजबूर दिख रहा
कहने को तो सरकार प्रयत्न रत है
पर गलियों के नेता हैं उन्हें अपना घर दिख रहा
इंसान ने इंसान के प्रति जहर घोल रखा है
तभी तो यह कोरोना रक्तबीज बढ़ता दिख रहा
चीन क़ी करतूत पर विश्व रो रहा है
वह लाचार मजबूर भूखा सो रहा है
इस वैश्विक रक्तबीज कोरोना मैं देश बर्बाद होता दिख रहा
महामारी में गरीब का अस्तित्व खोता दिख रहा----
अनिल प्रजापति जख्मी
सिमथरा भांडेर
जिला दतिया मध्य प्रदेश
बिमारी थी दिमाग की ,
लोग आत का बताने लगे !
चाम का जीभ था ,
स्वाद पकाने लगे !
चाइना ने ईजाद किया ,
रक्तबीज अपनाने लगे !
मजहबी उन्माद के जमाती ,
घर घर पहुंचाने लगे !
संस्कार संस्कृति के कथित बुद्धिजीवी ,
गंगा यमुना तहजीब गाने लगे !
भाईचारा में कोरोना को ,
अपने अपने घर लाने लगे !
रक्तबीज मुस्कुरा रहे ,
देव संग काल भी सर पीटने लगे !
देख मुर्खो की लीला ,
खुद ही अपना कब्र खोदने लगे !🤔
धन्यवाद
__संजय निराला
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-
मिलकर दीप जलाना होगा, तम को दूर भगाना होगा।।
सहज ,सत्य ,निर्मल तन मन से, प्रीति-रीति सिखलाना होगा।
राग द्वेष नफरत की भाषा, धर्म की कैसी ये परिभाषा।
विषम आपदा प्रहरी जन को, सम्मान की है केवल अभिलाषा।
राम रहीम की पुण्य धरा पर,एकत्व भाव दिखलाना होगा।।
पग-पग सुमन धरा है सुरभित, प्रकृति लुटाती मधुरिम सौरभ।
गंध-सिक्त परिवेश हमारा, शुद्ध परिष्कृत परिमित वैभव।।
सुधा पूर्ण दैविक धरती पर, विश्व सृजन सिखलाना होगा।
अद्भूत ,अविकल प्रीति भाव से, अधरों का अभिमंत्रित गुजंन।
देशभक्ति की ज्वाला लेकर, हर लो अँधियारों का क्रन्दन।
वायु प्रकल्कित लौ की आभा, घर-घर में दिखलाना होगा।
विषम परिस्थिति विषम वेदना, मानव विस्मृत मूढ़ चेतना।
घोर तिमिर घनघोर निराशा, धैर्य ,संकल्प ही केवल आशा।
घोर घृणा, मन दंभ मिटाकर, सर्वहित थाल सजाना होगा।
परहित अर्पित जीवन सुखमय, त्याग,तेज,तपबल मन मधुमय।
दुखी मनुजता का आलम्बन, उत्साह ,प्रदीप्ति का हो संचय।।
जन-जन के सूने आँगन में, साहस की ज्योत जगाना होगा।
अधियांरा आकाश असीमित, चहुँ ओर विरानी करती विस्मृत।
नियति नटी कर रही है नर्तन, दिव्य कर्म से कर मन चंदन।
हर मानव को विषम घड़ी में, मिलकर कदम बढ़ाना होगा,
कर्मवीर प्रहरी जन बल को, मन आशीष हृदय से अर्पित।
ध्येय धरा पथ तुमसे शोभित, दीपमालिका तुम्हे समर्पित।
संकल्प ,धैर्य की ध्वजा पताका, घर -घर में फहराना होगा।
✍नाम- आशा त्रिपाठी
पता: विकास भवन,द्वितीय तल, दिल्ली रोड सहारनपुर, Pin-247401
कार्यरत-जिला कार्यक्रम अधिकारी सहारनपुर।
अब्दुल हमीद इदरीसी ने 3 बार पोस्ट की
इस काव्य प्रतियोगिता के सरक्षक, सयोजक, अधयक्ष,
आदरनिय , आदरनिया,
अरुणा दीदी मृदुला जी , अनिल गरग जी एवम आदरनिया निरज अवसथी जी
सभी को मेरा सादर प्रणाम अभिनदन वनदन
सादर प्रस्तुत मेरी एक रचना।
कोरोना का कहर
------------------------
कोरोना कोरोना रक्त बीज कोरोना
---------------------
अब ना कुछ कर सको,
बैठ जाओ घर पर ही
मत जाओ मंदिर घर से ही सही
प्रणाम करो ना नमस्कार करो ना
कोरोना...................
टल जायगी यह भी घडी
इतनी मुश्किल है आन पडी।
दीप जलाओ शंख थाली बजाओ ना।
कोरोना...............
कुछ सावधानियाँ तो रखो ना
कोरोना..............
मत जाओ कही अौ्र रहो घर पर ही
परिवार के साथ बैठ जाओ
कुछ भजन, जप , यज्ञ करो ना
कोरोना भाग जायगा अब
इस रक्त बीज कोरोना को भगाओ ना।
कोरोना..............
खुद बचो, दूसरो को भी बचाओ
अपने समाज देश राष्ट्र को
इस रक्त बीजकोरोना वायरस से
देशवासियों को बचाओ ना
कोरोना...............
ना आओ पास, दूर से ही सही
सबको प्रणाम नमस्कार करो ना करोना
कोरोना कोरोना कोरोना
पुनः सादर प्रणाम।
आपका ही
जयप्रकाश सूर्य वंशी ,, किरण,, नागपुर साकेत नगर ९४२३१२६२११.
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति --
कविता--
मात्राभार -- 30
16, 14 पर यति
रक्तबीज कोरोना
************
रक्तबीज आया है शायद,
कोरोना का भेष लिए।
मनुज जाति का सकल विश्व में,
बड़ा विकट विध्वंस किए।
फैलाया था उस दानव ने,
सृष्टि में तब महाप्रकोप।
उसी तरह से बढ़ा हुआ है,
अब कोरोना का प्रकोप।
बढ़ता है ये बड़ा गुणात्मक,
बने सहस्रों पल भर में।
और फैलता मात्र स्पर्श से,
जीवित रहे अचल चल में।
करना है विध्वंस पुन: अब
है ये रोगाणु विकराल।
अति लघु रूप लिए है आया
बनकर हम सभी का काल।
जगदंबा की तरह आज हम
करेंगे इसका विध्वंस।
हो जाएगा नाश बचेगा
अब न इसका कोई अंश।
किंतु तरीका पृथक आज है,
बचने का इस दानव से।
रहना होगा दूर-दूर ही
मानव को अब मानव से।
रहना है घर के ही अंदर,
बाहर जाना नहीं हमें।
मिलना जुलना नहीं किसी से,
हाथ मिलाना नहीं हमें।
काल कठिन ये लेकर आया,
इन बेबस मजदूरों पर।
बिन साधन के बैठे हैं ये,
क्रियाहीन बनकर घर पर।
मानवता दिखलाएँ हम सब,
दुख इनका भी दूर करें।
बचे रहें कोरोना से भी,
दानवता को चूर करें।
करें प्रयास सदा ही ऐसा
फैले नहि ये बीमारी।
आज जगत में बढ़े नहीं ये
लेकर रूप महामारी।
©️®️
रूणा रश्मि
राँची , झारखंड
नाम -- Runa Rashmi Ranchi
Jharkhand
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
-----------------//-------------//---------------
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को* समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*कविता--*
*अब बदलो अपनी चाल ढाल*
*यह रक्तबीज कोरोना है ।*
हर ओर मचा है कोलाहल
छाने वाला है अन्धकार
सम्पूर्ण विश्व की छाती पर
संकट गहराया है अपार,
उसमें न कहीं विकृति आये
जग का जो रुप सलोना है
यह रक्तबीज कोरोना है!
सारा का सारा विश्व आज
भारत की ओर निहार रहा
भारत ने ही संकट टाले
जब-जब जग में अँधियार रहा,
कल्याण विश्व का विपदा में
भारत के द्वारा होना है
यह रक्तबीज कोरोना है !
यह सोने का है समय नहीं
है जगने और जगाने का
हर एक सावधानी करनी है
संकल्प सभी अपनाने का,
सामाजिक दूरी है अपनानी
हाथों को पल-पल धोना है
यह रक्तबीज कोरोना है !
*रचनाकार-दयानन्द त्रिपाठी*
*व्याकुल*
पता- लक्ष्मीपुर, महराजगंज,
उत्तर प्रदेश
*सभी आदरणीय जन को नमन काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डॉ मृदुल शुक्ला जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
शीर्षक- कोरोना को हराना है
इसी मिट्टी से होकर, इसी मिट्टी का हो जाना है
सब सलामत रहें , खुश रहें
यही नमाज, यही दुआ हो जाना है
बताओ, बुझाओगे आग कैसे अपने चूल्हे की
अभी कई भूखे हैं, उनकी खातिर रोटी हो जाना है.
इसी मिट्टी से होकर, इसी मिट्टी का हो जाना है .
समय की मार देखो, गले मिलकर रो भी नहीं सकते.
तुम्हारी आंख में आंसू हैं, तो हम हस भी नहीं सकते.
रहो दिल में मगर,कुछ दूरियों का फासला रख कर
मोहब्बते इश्क में तुम्हारे साथ अब भी गुनगुनाना है.
इसी मिट्टी से होकर, इसी मिट्टी का हो जाना है
कोई नोचता है क्या, बताओ जिंदा लाशों को.
कोई दफन करता है क्या, चलती सांसो को.
गिरोगे और कितना यह बताओ तुम भी तो "गुमशुद"
वह सहारे हैं जो सिर्फ खुदा के,
उनके लिए भी इंसा हो जाना है
यह रक्त बीज जो रोग है इसको भी सही हो जाना है
आओ हम सब साथ लड़े कोरोना को हराना है
इसी मिट्टी से होकर, इसी मिट्टी का हो जाना है
सब सलामत रहें , खुश रहें
यही नमाज, यही दुआ हो जाना है
आलोक सिंह "गुमशुदा"
रायबरेली
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति--*
मनहरण घनाक्षरी छंद
कोरोना ये रक्तबीज बन जो गया है आज ,
इसके अदृश्य हो के मारा अब जाएगा।
घर में रहेंगे सब बच भी पाएँगे तब ,
एकता के बल से ही शीश को झुकाएगा।
बाहर निकल गए घर से यदि जो कोई ,
रक्तबीज कोरोना ये मार ही गिराएगा।
मान लीजिए कहना बाद में न कुछ कहना ,
घर में रहेगा वो ही मार इसे पाएगा।
स्वरचित
संदीप कुमार बिश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
सादर नमन ,
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना आनलाइन प्रतियोगिता २०२०
प्रतियोगिता प्रेरक डाँ. मृदुलजी शुक्ल , दादा अनिल जी गर्ग एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरूण अग्रवाल जी को सर्मपित और सभी केअवलोकनार्थाय-
नाम-डाँ. जितेन्द्र"जीत"भागड़कर
ग्राम- कोचेवाही, लाँजी
जि.-बालाघाट,म.प्र
"रक्तबीज कोरोना"
###############
कौन जाने कैसी तृष्णा,ऐसी तृष्णा देखी नही
स्वयं तृप्त हुये पल भर, मानवता तृषित करके।
कौन जाने कौनसी बदले की भावना थी मनमें
जो पी गये चमगादड़ लहु, मानवता ग्रसने।
स्वयं का जिसे भान न हो, ऐसी गलती करता है
स्वयं ठगा जाता वो, जो निकले मानवता ठगने।
निगुरों का अनुसंधान बन गया मानवता का कलंक
क्या जाने रक्त पिपासु , हलाहल पीये हैं शिवजी मानवता बचाने।
'निर्लज्ज' स्वयं की गलती का उपहास स्वयं करोना
बना दिया 'कोरोना' मानवता को डराने।
एक रक्तबीज आकर शमित हुआ- दमित हुआ
इस 'रक्तबीज कोरोना' को शमित करने की ठानी है फिर सबने।
भारतीय संस्कृति का हो रहा आरोहण
हरायेगें कोरोना को अब कहते हैं एक स्वर में।
लाँकडाउन का पालन करके
सरकार की अपेक्षाओं-योजनाओं पर उतर रहे खरे।
यूँ भटक-भटक कर'रक्तबीज कोरोना' भटक जायेगा
तब शमित करेगी कालीजी या महादेव मारेंगे।
***
(स्वरचित)
मंच को नमन 👏
काव्य रंगोली रक्त बीज करोना आन लाइन काव्य प्रतियोगिता 2020 प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डांट मृदुलजी शुक्ल,दादा अनिल जी गर्ग एवम् कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरूण अग्रवाल जी को समर्पित और सभी के अवलोकनार्थ-
रक्त बीज कोरोना
एक सन्नाटा ,,
पसरा है मन के भीतर ,,,
बाहर शोर-ही-शोर ,,,,
घर में बहुत सारे लोग ,,
करोना,,,
रक्त बीज-सा,,
चुकाने को है जीवन,,,
कोई कुछ कहता है
कोई कुछ और ,,,
एक वो जो कमरे में
अन्तिम श्वासें गिन रहा है ।
कौन करेगा,,
इसका अन्तिम संस्कार ,
जीवन भर
साथ निभाने का वादा ,,
पर आज ,,
जान की बाबत ,
सब खामोश ,,
कोई कुछ नही कहता ,,,
ये करोना ,,
रक्त बीज राक्षस की भाँति ,,,
मानो लील गया हो
सारे रिश्तों को भी,,,,
तय नही कर पा रहा मन
ज्यादा भयावह कौन,
बाहर का शोर या
भीतर का सन्नाटा ,,,
डा इन्दु झुनझुनवाला
*काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना* *आॅनलाइन प्रतियोगिता* *2020*
प्रतियोगिता प्रेरक *आदरणीया* *डाॅ०मृदुला शुक्ल जी,* संरक्षक *दादा अनिल गर्ग जी* एवं कार्यक्रम अध्यक्ष *आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी* को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति -
*कविता-* *रक्तबीज कोरोना*
रक्तबीज कोरोना जन्मा, हे मात भवानी कृपा करो।
चण्डी ,काली बन कर आओ,दानव का संहार करो।
सुनो ,हिन्द के वीर सपूतों, पुनि वेदों की ओर चलो।
संस्कारों को शुद्ध करो, निज संस्कृति का फिर ध्यान धरो।
महाशक्तियाँ घुटना टेके, है वैश्विक विपदा की प्रबल घड़ी।
राजा कर जोड़े प्रजा के सम्मुख समझो आफत है बहुत बड़ी।
न जाने कोरोना कहाँ से आये, साँसों में विष को भर दे।
एक-एक साँस से अपने यह अनगिनत कोरोना उत्पन्न कर दे।
सद्ज्ञान, विवेक के बूते वैज्ञानिक औषधि अनुसंधान करें।
राष्ट्र प्रधान के आदेशों का अक्षरशः पालन आओ करें।
इस महासमर में डाक्टर, पुलिस, सफाईकर्मी त्रिदेव बनकर के हैं डटे।
है अलग किस्म का युद्ध ये भाई, हो अलग-अलग लड़ना होगा।
धीरज रखो, घर में ठहरो, एकान्तवास कुछ दिन कर लो।
समझो कि पर्यावरण शुद्धि हेतु, तुमने की ये तपस्या है।
जो जन नायक का साथ दिये तुम ,तो भारत का डंका गूँजेगा।
धैर्यशक्ति व मनोशक्ति से रक्तबीज कोरोना नतमस्तक होगा।
स्वरचित-
डाॅ०निधि
अशोक विहार कालोनी,
अकबरपुर,अम्बेडकरनगर।
उत्तर प्रदेश।
विषय -रक्त बीज कोरोना
रक्त बीज कोरोना ने कैसी आफत मचाई
थर थर कांप रहे है सभी देश के भाई
नहीं मिला है कोई उपाय
जो इससे है हमे बचाये
बेहतर है घर से ना निकले
निकले भी तो मास्क लगायें
ये है ऐसी महामारी
जो सब पर पड़ रही है भारी
इतनी तेज ये फ़ैल रहा
लोगो की ज़िंदगी से खेल रहा
इसने इतना खौफ बना दिया
हर छोटे बड़े को डरा दिया
देश की अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब हो रही
ना जाने कितनी ज़िंदगी बिना खाये ही सो रही
हे ! रक्त बीज कोरोना तू यहाँ नहीं जीत पायेगा
सिकंदर भी यहीं हारा था
तू भी यहीं से हार कर जायेगा
लगा ले ज़ोर तू कितना भी
तू हमे नहीं डरा पायेगा
रक्त बीज कोरोना तेरा यहीं समूल नाश है होना
जैसे फ़ैला है तू तेज़ी से
बैसे ही जल्दी से तू भी मिटेगा कोरोना
हम भारतीयों ने मिलकर अच्छे अच्छो को धूल चटाई
फिर चाहे शत्रु या फिर कोई महामारी आयी
यहाँ वो ज़्यादा दिन टिक नहीं पायी
किया नुकसान सभी ने बहुत
फिर भी जीत गए हम भाई
नाम -अरुण गुप्ता
पता -बदायूँ, उत्तरप्रदेश -243601
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डॉ मृदुल शुक्ला जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कोरोना की आहट जो सुनाई दी थी वुहान में।
देख्ते ही देखते छा गई सारे जहांन मे।
पहले जनता कर्फ्यू फिर लॉक डाउन।
जिसको जमातियों ने कर दिया खाक डाउन।
रक्त बीज कोरोना तो एक है बहाना।
प्रकृति को शान्ति का पाठ है पढ़ाना।
आज चारों दिशाएं शांत हैं।
चल रही हवाएँ शान्त हैं।
सड़के ,पगडंडियाँ शान्त है।
अनंत आकाश की ऊंचाई शान्त हैं।
कारखानों का शोरगुल शान्त है।
कला धुआँ उगलती चिमनियाँ शान्त है।
गाड़ियों के पहियों की रफ्तार शान्त है।
जहाजों की उड़ान शान्त है।
मंदिरों की घंटियाँ शान्त है।
मस्जिदो की अजान शान्त है।
नदी की धार शान्त है।
सागर का प्रवाह शान्त है।
नफरतों का शैलाब शान्त है।
दुश्मनी की आग शान्त है।
बदले का भाव शान्त है।
धरा का क्रन्दन शान्त है।
बाग, बगीचा, नन्दन शान्त है।
मगर अफसोस,!
अशान्त है तो बस,
जमातियों का मन।
जो घोल रहे हैं मौत का जहर।
मानवता पर ढा रहे हैं कहर।
इनके कर्मों से नापाक है हर पहर।
मौत की आग मे सुलग रहा है हर शहर।
आओ नफ़रत के हर शैलाब को मोड़ दे रेगिस्तान में।
हम सब मिलकर रहे इस हिंदुस्तान में।।
एस.के. श्रीवास्तव
एस.एस. भागीरथी
तारा निवास
थाना तहसील
बिसवां, सीतापुर(उ. प.)
मोबाइल 9452308730
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता 2020
***********************
आदरणीया अध्यक्षा अरुणा अग्रवाल महोदया,संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी एवं प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुला शुक्ला जी आप सभी के प्रेक्षणार्थ मेरी एक प्रस्तुति स्वरूप रक्त बीज कोरोना विषय आधारित एक गीत l
*************************
गीत
****
माँ जगदम्बे तुम्हें पुकारे मानव जीवन बौना l
हे माँ दुर्गे मार भगाओ रक्तबीज कोरोना ll
हाँथो में दस्ताने पहने मुँह बाँधे फिरते हैं l
बाहर जाते ही अदृश्य दुश्मन से हम घिरते हैं ll
कब से बन्दी हुए स्वयं से पकड़े घर का कोना l
हे माँ दुर्गे मार भगाओ रक्तबीज कोरोना ll
जनजीवन बेचैन हुआ है मानवता खतरे में l
आशाओं के दीप जल रहे नेहसिक्त कतरे में ll
दिल चाहे दुःख-दर्द देखकर फूट-फूटकर रोना l
हे माँ दुर्गे मार भगाओ रक्तबीज कोरोना ll
समाचार पत्रों में ज़ब अफवाहों को हम पढ़ते l
सपने में आशंकाओं के बादल सदा घुमड़ते ll
नफ़रत में घर कब जल जाये मुश्किल होता सोना l
हे माँ दुर्गे मार भगाओ रक्तबीज कोरोना ll
हम विकास के सोपानों को गढ़ते-चढ़ते जाते l
सच है अधिक बुलन्दी से भी देख बहुत कम पाते ll
संकल्पित हों, जग-विनाश के बीज कभी न बोना l
हे माँ दुर्गे मार भगाओ रक्तबीज कोरोना ll
*********************************
बृजेश अग्निहोत्री (पेण्टर)
मुख्यालय -1071क्षेत्रीय कार्यशाला
जनरल रिजर्व इंजीनियर फ़ोर्स
रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता
19.04.2020
चौपाई छंद
कोरोना जबसे आया है।
चहुँदिश में त्राहि मचाया है ।।
रक्तबीज लगता कोरोना ।
हाथ-मुंह तुम हरक्षण धोना ।।
कभी अधीर नहीं तुम होना ।
अपना जीवन कभी न खोना ।।
जितने रक्त भूमि पर गिरते ।
उतने दानव झट उठ पड़ते ।।
रक्तबीज ऐसा था दानव।
कभी न उसको जीते मानव ।।
धरी रूप चण्डी -जगदम्बा ।
दानव-दल का वध की अम्बा ।।
उसी तरह फैली बीमारी ।
कोरोना लगे महामारी ।।
घर में रहना सीखो प्यारे ।
भारत मां के राजदुलारे ।।
डॉ.प्रतिभा कुमारी पराशर
हाजीपुर बिहार
ॐ सर्व देव स्वरूपाय परम ब्रह्म परमेश्वराय ।
सर्वज्ञान य: बोधाय तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।
🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹
🌷काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020🌷
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
प्रदत्त विषय :- रक्तबीज कोरोना
कविता का शीर्षक:-
"रक्तबीज से बढ़ल कोरोना"
रक्तबीज सा आया कोरोना उधम मचाने को
चीन देश से आया कोरोना जगत जलाने को
रक्तबीज से बढ़ल कोरोना सब लगे बतियाने
बाको खून गिराने को याको बस छू जाने को
रक्तबीज सा आया करो ना उधम मचाने को
चीन देश से आया कोरोना जगत जलाने को
रक्तबीज सा आया कोरोना उधम मचाने को
संभल के रहना अगर है बचना
अनजाने के पास ना सटना
नित साफ-सफाई घर बाहर रखना
बार-बार चेहरा ना छूना
बिन मतलब बाहर निकलो ना
यह तुम्हें बतलाने को
चीन देश से आया कोरोना जगत जलाने को
रक्तबीज सा आया कोरोना उधम मचाने को
तुम पश्चातीकरण ना अपनाना
कीड़े मुर्दों को कभी न खाना
कभी किसी से ना हाथ मिलाना
यहां वहां ना थूकते जाना
चेहरे पर तुम मास्क लगाना
अपनी सभ्यता तुम ना भुलाना
यह तुम्हें समझाने को
चीन देश से आया करो ना जगत जलाने को
रक्तबीज सा आया कोरोना उधम मचाने को
बहुत किया तुमने मनमानी
प्रकृति से करते रहे छेड़खानी
काटे पेड़ दूषित किया पानी
धरा अनिल बनायो बिसानी
होड़ प्रभु से करने की ठानी
तुम्हें सबक सिखाने को
चीन देश से आया कोरोना जगत जलाने को
रक्तबीज सा आया कोरोना उधम मचाने को
आचार्य गोपाल जी
उर्फ
आजाद अकेला बरबीघा वाले
प्लस टू उच्च विद्यालय बरबीघा शेखपुरा बिहार
रोकर के भी हमको मुस्काना है,
कोरोंना से बचना और बचाना है।
मीटर दो मीटर की दूरी,
तब बचने की आस है पूरी।
हाथ जो मेरे साफ रहेंगे,
दुख के पन्ने हाफ रहेंगे।
मुंह पर मास्क लगाना होगा,
ये करना और कराना होगा।
प्यार बचाएं प्यार बढ़ाएं,
घर पर रहें न बाहर जाएं।
अब सबको हमें जगाना है,
कोरोना से बचना और बचाना है।
लाज़ बचेगी गहनों की,
बचे राखियां बहनों की।
पिता पुत्र का प्यार बचेगा,
खुशियों का संसार बचेगा।
बनी रहेगी प्यार की समता,
बच जाएगी मा की ममता।
हसते चहरे का नूर बचेगा,
मांगों का सिंदूर बचेगा।
बस खुशियों को लुटाना है,
करोना से बचना और बचना है।
इतिहास नया हमको रचना है,
पशु पक्षियों को बचना है।
गांव बचेगा देश बचेगा,
जीवन का परिवेश बचेगा।
पगड़ी बचे किसानों की,
देश के वीर जवानों की।
जब सब कुछ बच जाएगा,
ये अमर तिरंगा लहराएगा।
अब भारत को मुस्काना है,
कोराना से बचना और बचाना है।
पूजा यादव (बूढ़ी बाबल, भिवाड़ी, अलवर, राजस्थान)
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता २०२०
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ० मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम् कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरूणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम् आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी
प्रस्तुति
कविता
(अंहकारी मानव और रक्तबीज कोरोना)
प्रकृति को मैंने हरा दिया है
नियमों के इसके बदला है,
आज मैं मानव नहीं रहा
भगवान् का रूप मैंने धरा है।
अंहकार में मानव भगवान् से डरना छोड़ रहा था,
मानव ही मानव से अपना रिश्ता तोड़ रहा था।
पशु पक्षी अौर जीवों का निरंतर भक्षण बढ़ रहा था,
बुद्धिमान मानव ही प्रकृति के नियमों से खेल रहा था।
सह नहीं सकती मैं पीड़ा अब मानव के कुकर्मो का,
हुई क्रोधित प्रकृति बड़ी देख मानव का दानव रुप।
कहां उसने-रूको मानव दिखलाती हूं तुम्हें प्रलय,
धर उसने बिकराल रुप रचा रक्तबीज कोरोना को,
मानव को ही दिया परमाणु बमों का रूप
मानव का ही अस्तित्व मिटाने ने को।
देख प्रकृति का प्रलय भयभीत हो रहा मानव हृदय
कूड़े करकट की भांति,मिट रही मानव जाति,
आठो पहर लगी रहती चिंता अबकी जलेगी किसकी चिता।
क्या अब भी समझ नहीं हमको देखकर प्रकति का प्रलय
नाश किया है हमने सुन्दर सजग सृष्टि का,
अभी समय है थोड़ा शेष सही मार्ग पर चलने का।
अपना लें हम मानवता का पथ
दें सभी को एक समान जीने का हक़ ,
तभी होगा हम सब का कल्याण रहेगी प्रकृति भी खुशहाल॥
नाम पूजा प्रसाद
पता तिनसुकिया (असम)
[4/19, 11:55 AM] कवि ओ पी मेरोठा बांरा राज: साथ सभी को चलना हे
_____________________
मिलकर कदम बढ़ाना है ,
साथ सभी को चलना है ।
कोरोना की आई चुनौती
स्वीकार सभी को करना है
बहुत कठिन है यह कठिनाई
मिलकर कदम बढ़ाना है ,
साथ सभी को चलना है ।
हाथ मिलाना छोड़ो भाई
हाथों की तुम करो सफाई
राम , नाम अब लेलो भाई
कोरोना से मुक्ति मिल ,जाई
मिलकर कदम बढ़ाना है ,
साथ सभी को चलना है ।
दूरी रखो तुम एक मीटर की भाई
तब निकलो जब बहुत जरूरी आई
कपड़ा से मुंह ढक कर राखें ,
रोग , दोष वाकेह निकट न जाके
मिलकर कदम बढ़ाना है ,
साथ , सभी को चलना है ।
करना है सबको देश की रक्षा
कुछ दिन की है ये कठिन परीक्षा
कोरोना का करना हे सिंगार हमें
मर्यादा रखनी है श्रीराम की तुम्हे
मिलकर कदम बढ़ाना है,
साथ सभी को चलना है।
ओ पी मेरोठा हाड़ौती कवि
छबड़ा जिला बारां ( राज०)
Mob : 8875213775
काव्य रंगोली साहित्यिक पत्रिका द्वारा *रक्तबीज कोरोना* बिषय पर आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता 2020 के कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल लोरमी जी एवं प्रेरक डॉ. मृदुला शुक्ला जी को समर्पित मेरे कुछ दोहे-
कोरोना ने कर दिया,जनजीवन बेहाल।
हे प्रभु ऐसा कीजिए,जीवन हो खुशहाल।।
सबसे यही अपील है,करें सभी सहयोग।
एक रहे भारत अगर,सरपट भागे रोग।।
*रक्तबीज* सा हो गया,कोरोना का रोग।
साहस के हथियार से,मार सकेंगे लोग।।
मौका घर बैठे मिला,देशभक्ति का आज।
कोरोना के नाश को,हो संगठित समाज।।
कोरोना का नाश हो,जन-जन की है आस।
खुशियों का भण्डार हो,हे प्रभु सबके पास।।
खुशियों का आगाज हो,जीवन हो आबाद।
कोरोना का अन्त हो,'अवि' की है फरियाद।।
अवजीत'अवि'
पता-अवजीत'अवि' पुत्र श्री सूबेदार सिंह कृष्णा कॉलोनी नई तहसील के पास बिसौली(बदायूँ)यू.पी.
पिन कोड-243720
मोबाइल नं-9758906199
रक्तबीज कोरोना देखो,चला बांटने हिंदुस्तान। बिल्ली जानो इसको भैया,और बंदर हिंदू मुसलमान।। एक समय जब देश दासता, की बेड़ी में जकड़ा था। हिंदू मुस्लिम ने परस्पर ,हाथ कस के पकड़ा था। आज दोनों ही देश से भूलकर, सुनते मजहब का फरमान। रक्तबीज को रोना देखो चला बांटने हिंदुस्तान.............. हिंदू मुस्लिम दोनों मानव, मानवता को खो देंगे ।मजहब से गर फैली हिंसा, एक दूजे को रो लेंगे। पंथनिरपेक्ष देश को पहले, और पीछे मजहब पहचान ।रक्तबीज कोरोना देखो.........। वह देश बड़ा है जिसने किया, सारे धर्मों का सम्मान। यह देश बना है हम तुम सब से, हम तुम ही हैं इसकी शान ।मां को जन्नत कहने वालों, भारत मां का रखना ध्यान।। रखतबीज कोरो ना देखो............ दयाराम सैनी कामां।।👏
रोकर के भी हमको मुस्काना है,
कोरोंना से बचना और बचाना है।
मीटर दो मीटर की दूरी,
तब बचने की आस है पूरी।
हाथ जो मेरे साफ रहेंगे,
दुख के पन्ने हाफ रहेंगे।
मुंह पर मास्क लगाना होगा,
ये करना और कराना होगा।
प्यार बचाएं प्यार बढ़ाएं,
घर पर रहें न बाहर जाएं।
अब सबको हमें जगाना है,
कोरोना से बचना और बचाना है।
लाज़ बचेगी गहनों की,
बचे राखियां बहनों की।
पिता पुत्र का प्यार बचेगा,
खुशियों का संसार बचेगा।
बनी रहेगी प्यार की समता,
बच जाएगी मा की ममता।
हसते चहरे का नूर बचेगा,
मांगों का सिंदूर बचेगा।
बस खुशियों को लुटाना है,
करोना से बचना और बचना है।
इतिहास नया हमको रचना है,
पशु पक्षियों को बचना है।
गांव बचेगा देश बचेगा,
जीवन का परिवेश बचेगा।
पगड़ी बचे किसानों की,
देश के वीर जवानों की।
जब सब कुछ बच जाएगा,
ये अमर तिरंगा लहराएगा।
अब भारत को मुस्काना है,
कोराना से बचना और बचाना है।
पूजा यादव (बूढ़ी बाबल, भिवाड़ी, अलवर, राजस्थान
काव्य रंगोली साहित्यिक पत्रिका द्वारा *रक्तबीज कोरोना* बिषय पर आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता 2020 के कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल लोरमी जी एवं प्रेरक डॉ. मृदुला शुक्ला जी को समर्पित मेरी कविता
रक्त बीज कोरोना ने कैसी आफत मचाई
थर थर कांप रहे है सभी देश के भाई
नहीं मिला है कोई उपाय
जो इससे है हमे बचाये
बेहतर है घर से ना निकले
निकले भी तो मास्क लगायें
ये है ऐसी महामारी
जो सब पर पड़ रही है भारी
इतनी तेज ये फ़ैल रहा
लोगो की ज़िंदगी से खेल रहा
इसने इतना खौफ बना दिया
हर छोटे बड़े को डरा दिया
देश की अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब हो रही
ना जाने कितनी ज़िंदगी बिना खाये ही सो रही
हे ! रक्त बीज कोरोना तू यहाँ नहीं जीत पायेगा
सिकंदर भी यहीं हारा था
तू भी यहीं से हार कर जायेगा
लगा ले ज़ोर तू कितना भी
तू हमे नहीं डरा पायेगा
रक्त बीज कोरोना तेरा यहीं समूल नाश है होना
जैसे फ़ैला है तू तेज़ी से
बैसे ही जल्दी से तू भी मिटेगा कोरोना
हम भारतीयों ने मिलकर अच्छे अच्छो को धूल चटाई
फिर चाहे शत्रु या फिर कोई महामारी आयी
यहाँ वो ज़्यादा दिन टिक नहीं पायी
किया नुकसान सभी ने बहुत
फिर भी जीत गए हम भाई
नाम -अरुण गुप्ता
पता -बदायूँ, उत्तरप्रदेश -243601
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता2020
शीर्षक : कोरोना
पैठ कर गई है भीति दिलों में
सबका एक ही रोना है
त्राहि माम ईश इस विषाणु से
जो रक्तबीज कोरोना है।
कुछ हुए हैं नर से नर-पिशाच
न जाने क्या कर जाते हैं
चौपायों को तो खाते ही हैं
व्याल दविज खा जाते हैं
परिणाम उसी का सम्मुख है
मिलकर अब सबको ढोना है
त्राहि माम ईश ........... ।
इसने कहर है अपना ऐसा ढाया
आज अखिल जग त्रस्त है
कितनी रेखा बन्द है व्यापारों की
विश्व की अर्थव्यवस्था पस्त है
न खोज सका विज्ञान समाधान
बन्द हो रहा कोना कोना है
त्राहि माम ईश ............ ।
स्वयं को शीत खाद्य-पेय से
अब तो बिल्कुल दूर एखो
बिरयानी,पिज़्ज़ा,बर्गर,चाऊ से
मन के अम्बक को सूर रखो
गर गौर किया न इन बातों पर
फिर पंचतत्व में खोना है
त्राहि माम ईश ........... ।
पैठ कर गई है भीति दिलों में
सबका एक ही रोना है
त्राहि माम ईश इस विषाणु से
जो रक्तबीज कोरोना है।।
नीरज कुमार द्विवेदी
गन्नीपुर-श्रृंगीनारी, बस्ती (उ०प्र०)
श्रीमान अवस्थी जी अनिलजी और मेम तीनो को सहयोग से आॉनलाइन प्रतियोगिता कि हार्दिक शुभकामनाएँ
आज का विषय
रक्त बिज कोरोना
कोरोना तुम आये कहर बन
और सबके दिल मे दहशत कर गये |
पर सोचा है ,कि उद्गम कहा से इसका है ,
कर लेते मुक प्राणी से प्यार
नही खाते उन्हे काट के आज
कोरोना का नही होता एसा प्रहार
अब तो आह नही निकाले
बस अपनाये अब स्वदेशी
नही खाये किसी को काट
करे मुक प्राणी का भी सम्मान |
अब. भी कुछ नही बिगडा
ए मानव तु, खोलो ऑखे
मांसाहार को कर के बॉय बॉय
करे जो सेवन स्वदेशी
करे काली मिर्च और गरम सारे मसाले ,
हो जायेगा करोना फिर खत्म
हाथ धोना साबुन से करोना जायेगा पानी मे
मास्क पहने आज
समझ ले दिया है टास्क
भगवान का दिया है कोई
हमे स्वच्छता से इसे हटाना है
स्वच्छ भारत स्वच्छता हमारी
ये बिगुल बजाकर स्वच्छता
रखे सभी और
करोना भागेगा फिर भारत से कभी न आये फिर पलटकर
हमारे, प्यारे भारत देश
स्वप्निल प्रदीप जैन खंडवा मध्यप्रदेश
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
प्राणों को समर्पित कर प्राण हीन प्रार्णो में
देते जो प्राण पत्थर उनपे पथराई हैं ।।
देश के ये दुश्मन हैं विषधर आस्तीनों के
रहीम की कौम के ये कितने कसाई हैं ।।
कोरौना बम ये पूरे देश में बिछा रहे हैं
खोद रहे जाने काहे खुदा की खुदाई है ।।
रक्तबीज को रोना,अभय का खिलौना या कि
अश्वनी कुमारों की ही यम से लड़ाई है ।।
नाम- अभय सोनी
पता - सण्डीला, हरदोई
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
-
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को* समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*कविता--रक्तबीज कोरोना*
1. रक्तबीज कोरोना ने है,
मचा रखा हाहाकार |
प्रियतम से मिलने को आतुर,
नयन तरसते हैं यार ||
2. सारी दुनिया विपदा में मां ,
कष्ट हरो ले अवतार |
गूंज उठे फिर सकल विश्व में ,
भारत की जय जय कार ||
*रचनाकार-*
*पण्डित अनूप मिश्र*
*पता- ग्राम व पोस्ट मोहम्मदाबाद , थाना हैदराबाद, तहसील गोला गोकर्ण नाथ*
*जनपद लखीमपुर खीरी*
*उत्तर प्रदेश*
*_काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020_*
प्रतियोगिता प्रेरिका आदरणीया डाॅ. मृदुला शुक्ल जी,
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्षा आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*_रक्तबीज कोरोना_*
विश्व जगत काआज भय व रोना ,
महामारी संकट रक्तबीज कोरोना ,
सारी शक्ति को दे रहा चुनौती ,
कर दिया है खल सबका दुर्गति ,
न कोई समुचित औषध उपचार ,
मानव अब खड़ा मौत का द्वार ,
बंद हो गया देवालय का द्वार ,
निरीह हो गया आज संसार ,
नहीं सुलझ रहा समस्या गुत्थी ,
विफल हो रहा सर्व मानव बुध्दि ,
मचा दिया भयंकर उत्पात ,
छीन लिया चैन दिन - रात ,
त्वरित गति से फैल रहा कहर ,
जल रहा समूचा गाँव - शहर ,
जब तक निकला नहीं कोई हल ,
सामाजिक दूरी का हो रहा पहल ,
लाॅक डाउन का आया फरमान ,
मानो भयावहता का हो प्रमाण ,
घर पर ही सुरक्षित ठहराव ,
मंत्र प्राण रक्षा व बचने घाव ,
बार - बार करो हस्त प्रक्षालन ,
उपाय विकट समस्या टालन ,
आँख - नाक को नहीं है छूना ,
वरन् बढ़ न जाए समस्या दूना ,
सर्दी - खाँसी व नजला जुकाम ,
कोरोना संक्रमण लक्षण आम ,
बंदा मास्क मुख बाँध लंगोट ,
बार - बार हो रहा यही गोठ ,
उभरे लक्षण या हो अंदेशा ,
पहुँचे स्वास्थ्य अमला संदेशा ,
चौदह दिनों की ईलाज निगरानी ,
बचेप्राण प्रभु चिकित्सा मेहरबानी,
मिल जाए कोई औषध संजीवन ,
पटरी पर आ जाए जनजीवन ,
हे महाकाली ! लो अवतार ,
कर दो रक्तबीज कोरोना संहार ,
प्रार्थना कीजिए आप स्वीकार ,
दीजिए सृष्टि को अनुपम उपहार ।
-✍🏻महेश सिंह
अरविंद नगर , बिलासपुर
( छत्तीसगढ़ )
मोबा. 9755441608
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता २०२०-
शीर्षक -(रक्त बीज कोरोना )
हम ख़ुद बन जायें अब पहरेदार
आ गया है यह मौक़ा इस बार।
हम कर लें अब राष्ट्र की सुरक्षा अपार,
हम ख़ुद बन जायें अब पहरेदार।।
देश के प्रति हम अपना कर्म निभा लें,
आज हम यह ज़िम्मेदारी उठा लें ...।।
हम अकेले ही लाखों की जान बचाएंगे,
घर बैठे ही कोरोना को हरायेंगे...।।
हमारे घर का द्वार ही हमारी लक्ष्मण रेखा है,
प्रगति ने भी लिखा यही भाग्य लेखा है..।।
इसे हम सभी समझदारी से अपना लें,
हम सभी अपने जीवन को स्वेच्छा से बचा लें ।।
हम घर बैठे-बैठे ही अपने मुल्क के प्रति देश प्रेम दिखाएंगे,
बिना अस्ला बारूद 🧨 इस्तेमाल करे हम सिपाही बन जाएँगे ।।
हमारे घर का द्वार ही हमारी सीमा है,
हमें कुछ दिन तक अपने विवेक से जीना है ।।
इन सामाजिक दूरियों को हमें अवश्य अपनाना है,
बढ़ते हुए संकट को तो हमें ही जड़ से मिटाना हैं ।।
हमारी बुद्धि ही इस मुश्किल घड़ी में काम आएगी,
हम सभी का धैर्य ही तो देश को यह युद्ध जिताएगी।।
हमने ठान लिया है कि अब हमें ही इस “रक्त बीज कोरोना”को हराना है,
स्वदेश प्रेम हमें इस बार घर बैठे ही जताना है ...।।
डॉक्टर सरिता देवी शुक्ला
(लखनऊ उत्तर प्रदेश)
[4/19, 12:20 PM] कवियत्री आरती आलोक वर्मा, सिवान, बिहार: कोरोना पर गज़ल
करोना,कोरोना कोरोना कोरोना
है दुनिया में हर शू कोरोना का रोना ।।
नहीं फ़ासले अब बढाना जरूरी,
है लाजिम की घर पर ही अपने रहो ना ।।
जरूरी है अब मास्क और सेनेटाइज ,
जरूरी है हाथों को साबुन से धोना ।।
सुधर जायेंगे जल्द हालात अपने
जरा सा अभी तुम तो धीरज धरो ना ।।
करो कैद खुद को ही तन्हाईयों में
न आयेगा तुम तक ये चलकर कोरोना ।।
कोई याद आये तो मिलने न जाकर
लगाकर भले फोन बातें करो ना ।।
गले से लगाना न हरगिज़ है लाजिम
बढाकर के आपस में दूरी रहो ना ।।
कोरोना से खुद को बचाना है तुमको
तो बस दूर से ही नमस्ते करोना ।।
आरती आलोक वर्मा
रंगोली रक्त बीज आन लाइन प्रतियोगिता 2020।
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डॉ मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं सभी के अवलोकनार्थ प्रस्तुत।
रक्त बीज करोना
आवाहन निज शक्ति का मातु भवानी आस।
रक्त बीज करोना का शीघ्र मिटेगा त्रास।
ह्रास धर्म का जब जग में हो फैले अधर्म का अंधियारा।
यह है कलियुग की प्रभुताई स्वार्थ जलधि डूबा जग सारा।
अपमान प्रकृति का किया मनुज छोड़ि नीति सब करें अनीती।
अशुभ राह माया बस जायें।
तजि कर सत्य असत सों प्रीती।
दूषित किया वायुमंडल को भक्षण हेतु जीव बहु मारे।
खग मृग बानर जांय कहां जब काटि विटप बन सकल उजारे।
भोग विलास में डूबा मानव प्रर्यावरण ध्यान नहिं दीन्हां।
करे मांस मदिरा का सेवन विषवत सकल वायु जल कीन्हां।
सदा विनाश धर्म से हटकर प्रकृति ने क्रोधित रूप दिखाया।
भेजा विकट करोना वाइरस सारे जग को पाठ पढ़ाया।
विकट वाइरस कुटिल करोना जन्मा चीन की धरती पर।
इतना सशक्त इतना घातक दुनिया इससे कांपे थर थर।
अद्भुत और विलक्षण रचना परम सूक्ष्म तन जीव नहीं।
फिर भी इतना घातक विषधर डर से कम्पित सकल मही।
मुख नासिका कान से जाकर ये तन पर अधिकार जमाता है।
रुग्ण और जर्जर करके फिर प्राणी को स्वर्ग पठाता है।
शिशु वृद्ध युवा सब डूब रहे अति गहरा विनाश का सागर।
पर अन्त आ गया है इसका भर गई पाप की अब गागर।
वुहान प्रदेश चीन से वाइरस अब आया भारत की धरती।
दुर्गा मां का देश यहां शुभ पावन ज्योति सतत जलती।
एक से बढ़कर बने अनेकों मानव शत्रु विकट अति घातक।
कवलित काल हुए है लाखों किया अपरिमित इसने पातक।
सूक्ष्म अंश जो एक बिंदु सा उछल वायुमंडल छा जाये।
विघटित हो कर उसी बिन्दु से अगणित रक्त बीज बन जाये।
ज्यों अप्रत्यक्ष रहे करोना उसको उत्तर वैसे देना।
कभी सामना करो न उसका हारेगा ऐसे हि करोना।
सदा स्वच्क्ष हाथों को रक्खें हाथ किसी से नहीं मिलाना।
बिना मास्क के कभी न जाए यदि आवश्यक बाहर जाना।
निश्चय अटल रहें घर अन्दर भंग नियम ना भंग वर्जना।
जो बचाव के लिए जरूरी बिन भूले उपाय सब करना।
भारत वासी रहें सुरक्षित नेता अथक प्रयास कर रहे।
डाक्टर नर्सें पुलिस एन जी ओ सभी अनवरत काम कर रहे।
अन्त निकट है निश्चित इसका भारत वासी धैर्य न खोना।
होगा विनाश इस धरती से रक्त बीज जो बना करोना।
सावधान हो शक्ति पुंज तुम होगी निश्चित विजय तुम्हारी।
कभी न टूटे देश एकता साथ है दुर्गा मातु हमारी।
खप्पर दृढ़ विश्वास का निश्चय दुर्गा माय।
रक्त बीज करोना असुर भारत में मरि जाय।
नाम... सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक जेठरा खमरिया लखीमपुर-खीरी।
मोबाइल नं: 8840477983,9958691078.
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना
ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता
*शीर्षक — ऐसा है कोरोना रक्तबीज।*
अति विकट कराल काल जैसा,
कर दी सारी दुनिया सीज़।
ऐसा है कोरोना रक्तबीज।
घर में बंद लोग सब ऊबे,
ज्यों नौका मँझधार में डूबे।
भूखी मानवता संकट में है,
बंद पड़े हैं सारे सूबे।
कैद, रिक्त, एकांत, मनुज को,
होने लगी है इससे खीझ।
ऐसा है कोरोना रक्तबीज।
चीन जनित, दुष्टों से पोषित,
फैली है यह बीमारी।
लालच, स्वार्थ, द्वेष, राजनीति,
ने कर दी प्रलयंकारी।
सरहदें छूट गईं कहीं पीछे,
मानवता पर भारी यह डिसीज़।
ऐसा है कोरोना रक्तबीज।
बंद रहो अपने घर में ही,
नियमित रखो साफ सफाई।
करते रहना हस्त प्रक्षालन,
संतुलित भोजन अति सहाई।
योग, ध्यान, व्यायाम आदि से,
बढ़ेगी इम्युनिटी रीझ-रीझ।
ऐसा है कोरोना रक्तबीज।
वायु देखो शुद्ध हो गई,
शुद्ध हुआ नदियों का पानी।
मनुज सताए जीव सुखी सब,
बनी पुनः प्रकृति ही रानी।
मानव ही बीमारी की जड़ है,
कुपित प्रकृति की है यह खीझ।
ऐसा है कोरोना रक्तबीज।
*ऋषभ शर्मा*
*मध्यप्रदेश वन विभाग, ग्वालियर*
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
यह देश हमारा है ,
हमको अति प्यारा है
इस धरती से हमको
कोरोना भगाना है ।
घर में रहकर के ही
इसकी चेन तोड़ना है।
हाथों को न मिलाकरके
इससे मुह मोड़ना है।
सबको नमस्ते कहकर
इसे दूर हटाना है
इस धरती से हमको
कोरोना भगाना है।।यह देश...
जब हो बाहर जाना
मास्क लगाकर ही जाना
बाहर से आकरके
हाथों को तुम धोना
रक्तबीज कोरोना से
इस तरह बच जाना है।यह देश...
फल और सब्जी को
तुम्हे धोकर रखना है
सरकारी निर्देशो का
पालन तुम्हे करना है
रक्तबीज कोरोना का
तुम्हे शमन कर जाना है। यह देश...
नाम-- अनुपम कौशल
पता- कन्हैया नगर सुंदरपुर मोड़ इटावा उ प्र
मो0 9457123104
काव्य रंगोंली साहित्यिक पत्रिका द्वारा रक्त बीज कोरोना विषय पर आयोजित आन लाइन प्रतियोगिता 2020 के कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष अरूण अग्रवाल लोरमी जी एवं प्रेरक डा0 मृदुला शुक्ला जी को सादर समर्पित एक कुण्डली
रक्त बीज कोरोना है ये, इक जैविक हथियार।
जिसकी घातक मार से, व्याकुल है संसार।
व्याकुल है संसार, चीन ने इसे बढ़ाया।
डबल एच ओ ने भी उसका, साथ निभाना।
गुलशन है ये पाप, पड़ेगा इसको धोना।
घर में रहकर ही हारेगा, रक्तबीज करोना।
शैलेन्दर सिंह गुलशन
गुरुबक्शगंज रायबरेली
7310101903
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
-----------------//-------------//---------------
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को* समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*कविता--रक्तबीज कोरोना*
*प्रकृति प्रकृति की!* (20/3/2020)
(काव्य रंगोली प्रतियोगिता हेतु)
हँसती प्रकृति, रोते जनाब,
बढ़ती विकृति, फैलता तनाव,
मानव के प्रकृति से संबंध हुए अब खराब,
रक्तबीज कोरोना के रूप में देखो इसका प्रभाव,
कहने को कहो कुछ भी, पर
दूरदर्शिता का है यह घोर अभाव!
प्रकृति के हैं फिर अपने दाँव!
जैसे- जैसे कम होगा तुम्हारा
प्रकृति से लगाव, बढ़ेंगे यह घाव।
कैसे समाज का यह हो रहा निर्माण,
हर समय हँसी- मज़ाक करता शैतान,
जो रखता है दूरदर्शिता, बनता है उसका मजाक
कैसा है यह अभियान, कैसा फिर अभिमान!
रक्तबीज कोरोना के दलदल में आज हुई मानवता 'छपाक'
ज्यादतियों का प्रकृति ने उत्तर दिया फिर 'तपाक'
गिरता सेंसेक्स, बढ़ता कोहराम, सुबह हो या शाम,
एक सूक्ष्म जीव से डर रहा जहान,
प्रकृति का देखो अब इन्तकाम, निर्दयता का परिणाम!
एक छोटा सा स्वाभिमानी जीव 'कोरोना'
प्रकृति का 'मैसेंजर', जो है भीड़ का दुश्मन,
शायद कह रहा है कि ऐ इंसा- हो मत परेशान,
अकेले में बैठकर बस सोचो, करो आत्म- मन्थन,
जितनी प्यारी लगती तुम्हें तुम्हारी जान,
उतने ही प्यारे होते हम जीवों के प्राण,
प्रकृति ने दिया जो भी करो उसका सम्मान,
तो ही बनी रहेगी सबकी आन-बान-शान,
नहीं तो देना होगा बार- बार यूँ ही इम्तेहान।
कहते हैं लोग अक्सर, संजीव भाई!,
एक बात समझ नहीं आई,
क्या है इस प्रकृति का विधान?
क्यों करता है कोई, भरता है कोई,
प्रकृति करती नहीं क्यों कोई भेदभाव?
प्रकृति को समझना नहीं इतना आसां,
अभी तो यह है भेदभाव रहित प्रकृति का सिर्फ एक 'ट्रेलर',
मत करो प्रकृति को अब और परेशान,
नहीं तो होगा फिर कम्पलीट 'फेलियर'... मिलेगा बढ़िया जबाब,
नहीं लगेगी देर, बनेगी हसीं दुनिया एक हसीं 'शमशान'।
कविता लिखने की आदत तो नहीं मेरी,
लेकिन उठाने में कभी कोई आवाज़,
करो नहीं कोई देरी, मौका मिले जब भी,
लिख डालो बस अपने मन के विचार,
बन जाएँगी ऐसी कविताएँ हज़ार,
एक से बढ़कर एक शानदार।
अपनी कविताएँ काव्य संग्रह हेतु कभी देना मत उन्हें,
जो माँगे पैसा अग्रिम, करते हों जो व्यापार,
देना रचनाओं को सिर्फ उन्हें –
जो हों असली साहित्यकार।
संजीव कुमार बंसल
88260 56878
असिस्टेंट प्रोफेसर (अंग्रेज़ी), श्री वार्ष्णेय महाविद्यालय, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश।
मोबाइल: 88260 56878,
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-*
रक्तबीज कोरोना
दूर-दूर, दूर-दूर, दूर ही रहना।
ग़र सबको है कोरोना से बचना।
साबुन से बीच-बीच में, हाथ धोते ही रहना।
मुहल्ले में कोई भूखा, ना सोये ध्यान रखना।
आपने संग परिवार को भी, मास्क है पहनाना।
भारत के है लाल हम, भारत को बचाना।
लॉकडाउन में नियमों का, मस्ती से पालन करना।
ठान ले, मान ले, रक्तबीज कोरोना से लड़ना।
तो अपने ही घर में रह, संक्रमणता से बचना।
सारे जगत ने साथ दिया, मिलकर इस जंग को है जितना।
कुछ समय की बात है मानव, संकट में धीरज रखना।
मुस्कुरायेगें सब मिल, ग़र मानेंगे मोदी जी का कहना।
सुमित्रा चांङक
ढेकियाजुली आसाम
9435006120
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता 2020
"""""""""""""""""""""""""""""""'"""""
प्रतियोगिता प्रेरक विदुषी आदरणीया डॉक्टर मृदुला शुक्ला जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी, कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी, एवं संचालक महोदय नीरज जी, को समर्पित एवं उल्लेखित मेरी प्रस्तुति में त्रुटि को क्षमा करने का कष्ट कीजिएगा-------------,,
गीत----
जिंदगी करवट बदल रही है!!!
1. जिंदगी करवट बदल रही है, हमें मौत का पैगाम दे रही है!!
हम सब हिंदू मुसलमान कर रहे हैं,
कोरोना मौत खुलेआम दे रही है!!
आसां नहीं यह वक्त बिता पाना, ठहर जाओ वक्त ये पैगाम दे रहा है!!
जीव जनित विषाणु चारों तरफ कोहराम दे रहे हैं,
कुदरत को भुला बैठा इंसान, खुदा खुद को याद दिला रहा हैं!!
जिंदगी करवट बदल रही है,
हमें मौत का पैगाम दे रही है!!
2.
खिलवाड़ कर रहे थे कोरोना के नाम से!
बिलख उठा विश्व "रक्तबीज" के त्राहिमाम से!!
लाइलाज यह सुक्ष्म वायरस घबरा रहा इंसान इंसान से!!
जनक चाइना वाहक,शातिर मित्र जमाती से!!
जिंदगी करवट बदल रही है,
हमें मौत का पैगाम दे रही है!!
रहती थी जहां दिनो- रात चहल-पहल,
तूने डाला कितनो ठिकानों पर कहर!!
सितम सहकर भी हमने ना हारा,
कोरोना की बात क्या? हमने पोलियो को भी मारा!!
जिंदगी करवट बदल रही है,
हमें मौत का पैगाम दे रही है!!
नाम- आर.के. सिंह "कोको"
चंदौका पो0-अन्तू 230501)
जिला- प्रतापगढ़ ( U.P.)
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक आदरणीय अनिल जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष्या आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी मंच को समर्पित मेरी स्वरचित रचना...
रक्तबीज कोरोना
कायर की निशानी नहीं है छुपना
अरिदल को है बस भ्रम में रखना
सखा सुदामा रणछोड़ के आए
गिरधर भी तो रणछोड़ कहाए...
हल्दीघाटी जो राणा न तजते
कैसे सहोदर राणा पग लगते
मार शत्रु, भाई को कंठ लगाया
फिर से मेवाड़ी परचम फहराया...
रक्तबीज सा यह बन कर आया
कोरोना गली घर तक में छाया,
सुने ना आहट ना देखे हमको
चाहिए इतनी सी होशियारी है...
माना कोरोना महामारी है
हम आर्य भी गांडीव धारी हैं,
करता रहे यह वार छुपकर
इससे बचना ही होशियारी हैं
घर में रहो मुख पर्दा कर लो
बार-बार कर साबुन से धो लो,
क्यों बाहर जा कर जान गवाएं
प्रिया, सुत संग चोपड रंग लो...
रहें सदन में और ध्यान लगाएं
अंतर बल को हनुमान बनाएं,
शक्ति प्रबल जो 'वीर' तन आए
कोई कोरोना न छल कर पाए...
वीरेंद्र सिंह'वीर'
१९/०४/२०२०
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑन लाइन
काव्य ....प्रतियोगिता 2020
कोरोना , कोरोना , कोरोना ,
इस से डरोना डरोना डरोना ।
घर में ही यारों रहो ना रहो ना ,
कोरोना से मुकाबला करो ना ॥
छुट्टी ही घर में रहो ना ,
बीवी बच्चों संग मौज करोना ।
हँसो ओर सबकों हँसाओ ना ,
बच्चों संग बचपन दोहराओ ना ॥
उस रब पे भरोसा करो ना ,
मौत निष्चित है सबको है आनी ।
इस बात से केसा है घबरा ना
वक्त से पहले क्यों है मरना
इस से हँस हँस मुकाबला करो ना ॥
कहर कुदरत का इस से ना घबराना ,
सब हिल मिल कर घर में ही रहना ।
पास पड़ोस का भी ध्यान रखना ,
उनके सुख दुःख सभी बाट लेना ॥
हर परिस्थिति में सभी खुश रहना ,
दाल रोटी में ही गुजर कर लेना ।
पड़ोस में कोई भूखा रहे ना ,
मिल बाट गुजारा कर लेना ॥
पापों से तौबा अब करोना
उस रब पर भरोसा करोना ॥
निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद 620169809
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
------------//----------//---------
कविता - रक्तबीज कोरोना का ख़ौफ़नाक मंजर
कौन है वो रक्तबीज ?
जिसके आने से धरती भी कंपकपा उठी,
चलते वक्त को रोक कर लोगो
की धड़कने थमा दी !
कोहराम ऐसा मचाया,
बाजारों की रोनेके ले उड़ा,
रिश्ते नाते छूट गए,
घर में ही कैद होकर रह गए !
कौन है वो रक्तबीज ?
मौत का मंजर भी बड़ा
भयानक था,
चार कंधे भी ना मिले अर्थी
उठाने को,
आखिरी रस्मो की भी क्या कहूँ,
अग्नि भी नसीब ना हुई अपनो
के हाथों से,
कौन है वो रक्तबीज?
देख कर ऐसा दर्द लाश
भी रो पड़ी,
लावारिस की तरहा अंतिम
विदाई में करता हूँ,
हे भगवान ऐसी मौत किसी
को ना देना,
इस कोरोना का अंत
अब तू करना !
कौन है वो रक्तबीज ?
लेखिका - ज्योति नरवाला
उम्र- 24 वर्ष
पता- चमन होटल नयापुरा कोटा राजस्थान 324001
मोबाइल-8890204744
आन लाइन, काव्य प्रतियोगिता।
प्रेरक, आदरणीया- मृदुला शुक्ला, संरक्षक, दादा, अनिल गर्ग जी एवम् कार्यक्रम अध्यक्ष, आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी।
मेरी प्रस्तुति-
जन मन आज व्यथित है
कैसी यह विपदा आई।
बीमारी भी ऐसी जिसकी
नहीं कोई बनी दवाई।
पिजड़े के पंछी जैसा
जीवन हुआ सभी का।
दहशत का आलम घुटता
दम हर राग है फीका।
क्या जैविक युद्ध आरंभ हो गया
मानव अपना आपा खो गया।
विश्व पटल पर चर्चा भी है
चीन देश विष बीज वो गया।
पर भारतवासी है आशावादी
जीवित है आस्थाएं हमारी।
सम्बल अष्ट शक्तियों का है
निश्चय हारेगी बीमारी।
करुणा निधि अब दया करो
रक्त बीज कोरोना से मुक्त
करो।
कुछ ऐसा प्रभु करदो कौतिक
जन मानस की अब पीर हरो।
स्वरचित-
डॉ प्रमोद पल्लवित, मुंबई
पूरा नाम- डॉ प्रमोद कुमार श्रीवास्तव।
मो, 6261495484
काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका
🔹संबद्ध श्याम सौभाग्य फाउंडेशन रजिस्टर्ड
🔹खमरिया पंडित लखीमपुर -खीरी उत्तर प्रदेश
**काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020**
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी ,
*संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी के समक्ष सादर अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
दिन...रविवार
शीर्षक...कोरोणा विषाणु
********************
कोरोना विषाणु
************
विषाणु....विष का सूक्ष्मतम तत्व,
सुप्त अवस्था में रखता है ये वर्चस्व,
रक्तबीज कोरोना सूक्ष्म व विनाशक,
जिसने फैलाया विश्व में जाल घातक,
जीवित माध्यम या फैलाए इसे धारक,
पूरे विशव में भय बन गया संक्रामक,
कोशिकाओं पर असर डाले प्रभावक,
कोरोना से पूरे विश्व में भय है व्यापक,
क्रिस्टल क्राउन की तरह इसकी सजावट,
कोरोना संरचना कोविड -१९ की बनावट,
कैसे आया मारक विषाणु विंध्वसात्मक,
वैज्ञानिकों के लिये विषय अनुसंधानात्मक,
चिकित्सकों विज्ञ के समझ से ये बाहर,
बचाव का उपाय बस अनुशासनात्मक,
वैदिक रीति रिवाज आज प्रबल प्रदायक,
विश्व देशों बन गये आज अनुकरणात्मक,
चुबंन,गले, हाथ ,मेल हुआ निषेधात्मक,
करबद्ध , प्रणाम ,निवेदन प्रयोगात्मक,
मांसा आहार बना प्रबल पीड़ा प्रदायक,
शाकाआहार आज लगे है जीवनदायक,
ना घबराएं ,न फैले कोई संदेश भ्रामक,
सुख ,शांति ,मनोबल सफल शुभदायक,
मनीषा सहाय 'सुमन'
स्वरचित , मौलिक
राँची ,झारखंड
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डा0 मृदुला शुक्ला जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को सादर समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति--
प्रस्तुत है सादर प्रणाम नमन वंदन अभिनंदन सहित शीर्षक है-
' *रक्तबीज कोरोनासुर* '
फिर गरज उठो भारत माता रणचंडी बन हुंकार उठो
कोरोनासुर सिर उठा रहा
माँ फिर पिनाक टंकार उठो
माँ फिर त्रिशूल धारण कर लो
कर में लेकर तलवार उठो
कोरोनासुर ललकार रहा
लड़ने को माँ ललकार उठो
माँ मेघ गर्जना कर प्रकटो
बन रौद्रमुखी अवतार उठो
कोरोनासुर भागे डर कर
फिर फिर कर प्रबल प्रहार उठो
माँ फिर दुर्गा बन जाओ तुम
हाथों में हथियार उठो
माँ सिंह वाहिनी कोरोनासुर-
पर इस बार दहाड़ उठो
माँ फिर से लो खप्पर कर में बन कर काली साकार उठो
माँ ' *रक्तबीज कोरोनासुर* 'पर रसना आज प्रसार उठो
हे असुर विनाशिनी माँ
कोरोनासुर का कर संहार उठो
माँ कोरोनासुर मर्दिनि बन
शस्त्रों की कर झंकार उठो
कोरोनासुर को मार मार
रण में कर हाहाकार उठो
कोरोनासुर का उन्मूलन कर
जय भारत जय कार उठो
<+•+•+•+•+>
सधन्यवाद साभार,
नाम- हरी प्रकाश अग्रवाल 'हरि'
पता- 356/208/62,
आनंद विहार, आलमनगर रोड,
लखनऊ । पिन --226017
मो0- 8840002652
काव्य रंगोली रक्त बीज कोरोना
प्रतियोगिता 2020
बिषय-----रक्त बीज कोरोना
विधा----चौपाई
भारत में कोरोना आया ।
रक्त बीज सा बढ़ता पाया ।।
झटपट चलकर देखो आया ।
संकट घर घर में वो लाया ।।
नहीं हवा से उसका नाता ।
छूते तभी पास में आता ।।
मौन रोग सब कुछ कह जाता ।
मानव फिर भी समझ न पाता ।।
रहना दूर रोग से प्यारे ।
साथी बनकर रहते न्यारे ।।
हाथों को मलमल कर धोना ।
दूर भगा दो फिर मत रोना ।।
भीड़ भाड़ से बच कर रहना ।
सुखमय रहकर सबसे कहना ।।
हाथ मिलाना अब तुम छोड़ो ।
दोनों हाथ मिलाकर जोड़ो ।।
सरदी खाँसी से बच जाता ।
उसको अपने पास न पाता ।।
देशी भोजन प्रतिदिन खाओ ।
साफ स्वच्छ घर तुम रख पाओ ।।
सबने इसको आते देखा ।
किस विधि पायें इसका लेखा।।
छोटा जंतु भेद ना जाने ।
सबको इक समान वो माने ।।
देशी समान तुम अपनाओ ।
सादा भोजन करते जाओ ।।
होंठ नाक पर कपड़ा लागा ।
सूरज गरमी पाकर भागा ।।
अरूणा साहू
केलो विहार कालोनी
रायगढ़
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित साथ ही मंच के सभी बुद्धिजीवी सम्मानित कलमकारों के अवलोकनार्थ यह रचना........🙏🏼
*रक्तबीज कोरोना*
रहो सलामत बस्ती में,
धरती और आसमानों में।
ऐसी नीति बनें की अपना,
ये दिया जले तूफानों में।।
रक्तबीज कोरोना बनकर,
आज यहाँ विषाणु फैला है।,
काल बनो अब उस दुश्मन के ,
जो श्वास नली का मैला हैं।।
ऐसा शंख बजे जागृति का,
ज्वार उठे ज्यूँ अरमानों में।
ऐसी नीति बनें की अपना,
ये दिया जले तूफानों में।।
कोई खोया है साजिश में,
कोई देश प्रीत में रोया ।
जान न पाए रोग विषैला,
ये किसने कहाँ- कहाँ बोया।
मौत भी ऐसी मौत मिले कि,
रूह भी कापें श्मशानों में।
ऐसी नीति बनें की अपना,
ये दिया जले तूफानों में।।
देश धर्म को भूल गए है,
जगी भावना बस स्वार्थ की।
बड़े- बड़े मंचो से करते,
सब बात बड़ी धर्मार्थ की।।
ऐसी नीति बने की थोड़ी
हलचल हो इन गद्दारों में।
ऐसी नीति बनें की अपना,
ये दिया जले तूफानों में।।
*यशपाल सिंह चौहान*
*नई दिल्ली*
*9968822303*
काव्य रंगोली आन लाइन प्रतियोगिता हेतु
दिनांक 19/4/202
विषय ।। रक्तबीज कोरोना ।।
रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज कोरोना ये बीमारी है
संक्रमण रोग की महामारी है ।
इसका उपचार सरल नहीं है
छूने से लगती ये बीमारी है ।
विश्व में इसकी दहशत फैली है
सावधानी उपचार इसका है ।
छोटी छोटी सावधानी रखना है
घर से बाहर नहीं निकलना है ।
खांसी आये या छींक आये
मुंह में रूमाल बांध रखना है ।
गंदे हाथ कभी नहीं रखना है
साबुन से साफ हमेशा रखना है ।
घर केआसपास गंदगी न फैले
स्वच्छता सफाई बनाये रखना है ।
आपस में दूरी बनाकर रखना है
घर से बाहर नहीं निकलना है ।
3 मई तक के लांक डाउन को
पूरे देश में सफल बनाना है ।
प्रधानमंत्री मोदी जी की इस
घोषणा का पालन करना है ।
छोटे छोटे इन उपचारों से ही
रक्तबीज कोरोना से बचना है
ला इलाज इस बीमारी का सबको
उपचार समय पर सही करना है ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
2416/
9770499027
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना आॅनलाइन प्रतियोगिता 2020*
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डाॅ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवम् कार्यक्रम अध्यक्ष आदलणीया अरूणा अग्रवाल जी।
मेरी प्रस्तुती
दो मुक्तक
रक्तबीज कोरोना ने, सच्चे सेवको की हमे पहचान कराई
बड़े बड़े अस्पताल बंद हुये, सरकारी सेवायें ही काम आई
दुख मुसिबत मे सच्चे हितेषी की होती यही पहचान है
रक्तबीज कोरोना पीढीतो की सेवा कर सेवक की पहचान कराई।
02-
इंसान की आजादी पर रक्तबीज कोरोना ने रोक लगाई
प्राकृती भी तब अचम्भीत हो खुशियों से इठलाई
इंसान लाॅकडाउन मे रक्तबीज कोरोना से डर के घर मे कैद
वन सम्पदा नदियाँ पशु पक्षी सब आजादी मे इठलाई।
कुन्दन पाटिल, 129, नयापुरा मराठा समाज, देवास पिन-455001
मो न•9826668572
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ० मृदुला शुक्ल जी ,
*संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी के समक्ष सादर अवलोकनार्थ
*कविता*
कोरोना रक्त बीज महामारी,
दुनियां पर पड रही है भारी,
दूरी रखना, घर में ही रहना,
समझो नहीं इसको लाचारी।
कोराना नाम का शैतान,
टूट पड़ा जो बनकर हैवान,
मानव जाति के लिए आया,
यह लेकर मौत का फरमान।
जीवन सबका अस्त व्यस्त है,
सारी दुनियां इससे त्रस्त है,
समझदारी तुमको दिखलानी,
करना इसे अब कैसे पस्त है।।
घर में बैठो बस इतना कर लो,
मिलना जुलना अब बन्द कर दो,
मात्र यही एक उपाय बचा है,
जीना है तो यह प्रण सब कर लो।।
*दोहे*
बात पते की जानिए, खोल मन के दवार।
घर में बैठे जप करें, एक उचित उपचार ।।
महा त्रासदी दौर में, सिमट रहा संसार ।
करनी तो भरनी पड़े, किन्हीं कभी विचार ।।
मानव से मानव डरा, बैठा घर में रोय ।
छूने को मनवा डरे, मिलना कैसे होय ।।
ये कैसी विपदा भई, जगत हुआ बेहाल ।
रघुवर तेरे लाल को, लील रहा है काल।।
अपने घर में बैठिए, करके बंद दवार।
बात धर्म की मानिए, वक़्त की है पुकार।।
दीपक ज्योत तेज से, मनें प्रकाश पर्व ।
कोराना से जंग में, वतन करेगा गर्व ।।
काम काज सब छोड़ के, बैठे खाली हाथ ।
मेल मिलन सबसे घटा, छूटा सबका साथ ।।
घर कुटिया में कैद है, प्राणी मन को मार ।
विपदा से कैसे लड़े, सोच रहा संसार ।।
समय हमें ये कह रहा, संयम धरना सीख।
दुख बीते ते सुख मिले, काहे करता चीख ।।
: डी० के० निवातिया*
स्थान : मेरठ (उत्तर प्रदेश)
संपर्क सूत्र - ८७५०१५९००२
🙏🙏
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित साथ ही मंच के सभी बुद्धिजीवी सम्मानित कलमकारों के अवलोकनार्थ यह रचना........🙏🏼
*रक्तबीज कोरोना*
फैली है ऐसी बीमारी, लगे मौत का साया है।
करनी है यह मानव की या,देव कोप की छाया है।
सभी घरों में बंद हुए हैं, फिर भी डरते हैं सारे।
रक्तबीज कोरोना शापित, फिरते हैं मारे- मारे।
घर -घर में शंकित मन सबका,कहर बहुत बरपाया है।
फैली है ऐसी बीमारी...............।।
संयम होगा जब अन्तर्मन,शान्ति तभी घर आएगी।
साहस साथ निभाएगा जब,व्याकुलता डर जाएगी।
डरने वाले सभी मरेंगे, डर कब किसको भाया है।
फैली है ऐसी बीमारी..........।।
धर्म जाति से मत बाँधों तुम, भारत देश हमारा है।
इसकी रक्षा ध्येय हमारा, हमको सब से प्यारा है।
ये जननी है शान हमारी,इसके ही सरमाया है।
फैली है ऐसी बीमारी............।।
रक्तबीज का रक्त गिरे तो, रक्तबीज ही पैदा हो।
ऐसी ही बीमारी कह लो, रक्तबीज कोरोना को।
चक्रवृद्धि में बढ़ता जाए, लाखों को ये खाया है।
फैली है ऐसी बीमारी................।।
रक्तबीज का वध करने को, माँ ने काली रूप धरा।
इस कोरोना को वधने को, हमने संयम स्वयं वरा।
डरके भागेगा कोरोना, सत्य सनातन आया है।
फैली है ऐसी बीमारी.............।।
डॉक्टर पुलिस सफाईकर्मी, सबने कर्म किया अपना।
साथ निभाएगें हम सब भी, तब होगा पूरा सपना।
बस भारत होगा विश्व गुरू ,कोरोना मुक्त कराया है।
फैली है ऐसी बीमारी...............।।
*©मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
*9305405607*
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता 2020*
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम् कार्यक्रम अध्यक्ष अरूणा अग्रवाल जी क़ समर्पित साथ ही सभी विद्वतजनों के अवलोकनार्थ मेरी यह रचना....
*रक्तबीज कोरोना*
कोरोना के घात से, विश्व हुआ हैरान।
दूर भगाए संक्रमण, भारत देश महान।।
यहाँ सहज है सभ्यता,भाषा सहज सुजान,
इसी शक्ति से संक्रमण, दूर करे संज्ञान।।
फैला है यह संक्रमण, सब मिल देगें मात।
रक्तबीज को मारकर, कोरोना पर घात।।
दीपशिखा जब भी जले, अँधियारा हो दूर।
सभी संक्रमण काल में, संकल्पित भरपूर।।
भारत का इतिहास यह,करे बुराई अन्त।
कोरोना सा संक्रमण, भागे यहाँ तुरन्त।।
*बृजेश कुमार शंखधर*
*प्रयागराज*
*8004797798*
कोरोना रक्तबीज के सबक
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
मानवता का भूला मूल्य , फिर से बता दिया
ऊँची उड़ान की फ़िराक में
अब थककर बैठा दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
विज्ञान तकनीकी विकास का हमें
विनाश समझा दिया
एक छोटे सूक्ष्मजीव देख तूने
क्या हाहाकार मचा दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
जरुरत मुट्ठी भर की ही है
इसका मतलब बता दिया
दाल-रोटी ही सबकुछ है
इसका गहरा अर्थ बता दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
कोई न संगी साथी है
परिवार ही तेरा हमराही है
छूटे पारिवारिक मूल्य को
तूने फिर से समझा दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
साफ़-सफाई का पूरा ध्यान
हाथ धोना तक सीखा दिया
नानी की रसोई की सीख
को फिर से दोहरा दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
भूख क्या है ? आजादी क्या है ?
गहराई से समझा दिया
काम चीज़े जरूरत की , गोदाम नहीं
का मतलब बता दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
नाम नहीं, पैसा नहीं, गाडी नहीं
बेवजह की दौड़-धूप
छोटी-छोटी खुशियाँ तेरे घर में हैं
का अर्थ बतला दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया ….2
जोगिन्दर कुमार
दिल्ली
874385803
*मुक्तक*✍
*रक्त बीज कोरोना*
√√√√√√√√√√√√√√√√
हौसला साथ लिये बसर करते
हैं हम ।
बिना ही भय के गुजर करते
हैं हम ॥
सफाया रक्त बीज कोरोना का
जीधर ।
उस तरफ़ अगला सफर करते
हैं हम
*महेंद्र जैन 'मनु'*
*९८२७६१०५००*
*इन्दौर*
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक
आदरणीया डॉ० मृदुला शुक्ल जी
प्रतियोगिता संरक्षक
आदरणीय श्री अनिल गर्ग जी
कार्यक्रम अध्यक्ष
आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी
को समर्पित एवं समस्त साहित्यकारों के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति :-
रक्तबीज कोरोना
---------------------
रक्तबीज कोरोना ने यहाँ, सबकी नींद उड़ा डाली,
बड़े-बुजुर्गों के जीवन की, नींव तक हिला डाली,
आइसोलेशन आवश्यक हुआ, जीवन की खातिर,
कोरोना को भगाने के लिए, थाली भी बजा डाली ।
सहयोग बहुत जरूरी है, वक्त ने ये सिखला दिया,
घर पर रहें, सुरक्षित रहें, ये सबको समझा दिया,
प्रियजनों के संग रहकर, जिम्मेदारियों को समझें,
लड़ना जंग कोरोना से, ये मौलिक धर्म बता दिया ।
आप स्वस्थ तो जग स्वस्थ है, अपना रखें ध्यान,
संयमपूर्वक रहें घर में ही, लें बड़ों का कहना मान,
एक दिन ऐसा आएगा, रक्तबीज कोरोना हारेगा,
इस विपत्तिकाल में, किसी का करना ना अपमान ।
डॉ० देता है दवा दर्द की, दुख की दवा ईश्वर देता,
ईश्वर ही तो पल भर में, मानव की पीड़ा हर लेता,
वह ही राह दिखा रहा, कोरोना से मुक्ति पाने को,
वो ईश्वर दयावान है, वो ही इस जगत का प्रणेता ।
शिवनाथ सिंह
'शिविपल सदन'
645 ए/460,
जानकी विहार कलोनी,
जानकीपुरम,
लखनऊ- 226031
मो० 9451086722
काव्य रंगोली रक्तबीज -
कोरोना प्रतियोगिता२०२०
^^^^^^^^^^^^^^^^^^
*रक्तबीज कोरोना*
(मनहरण घनाक्षरी)
"""""""""""""""""""""""
संक्रमित पीड़ित हूँ,
मन से मै व्यथित हूँ,
ये रक्तबीज कोरोना,
हम पर भारी है।
❄🔅
अस्पतालों में जिंदगी,
दूर से करो बंदगी,
जान है तो जहान है,
यही होशियारी है।
🔅❄
बाहर से आये तुम,
डॉक्टर दिखाओं तुम,
निवासों में कैद रहो,
यह महामारी है।
❄🔅
जग का कहना मान,
अस्पताल में दो दान,
होगा सबका कल्याण,
ये हित में जारी है।
🔅❄
*कुमार🙏🏼कारनिक*
(छाल, रायगढ़, छग)
*****
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना आनॅलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक -आदरणीया डाॅ. मृदुला शुक्ला जी एवं सरंक्षण श्री गर्ग जी एवं आदरणीया अरूणा जी आप सभी को प्रणाम 🙏🙏....
......मेरी प्रस्तुति.....
थमा-थमा सा अंबर है रूकी-रूकी सी है धरा
कंही विद्रव हुआ प्रकृति से
जाकर पता करना जरा |
क्यों रुका सा मंजर है
जैसे ठहर गयी हो जिंदगी
आसमान भी लांघ रही थी
कल तक जो थी चल रही |
फिर भी आज वसुधा खुश है
कैद हुआ मानव घर मे
चंहु ओर प्रकृति गुंजित है
शांत संगीत है अंबर मे |
कीट पतंगे भ्रमण कर रहे
पंछी चहके डाल पर
कैसे मानव कैद हो गया
चितंन हो राह हाल पर
देख बदलना वक्त का
तु खुद को ईश समझता है
नष्ट कर दिया हर्ष धरा का
बस खुदी मे रहता है
उड़े पखेरू पोखर सुखे
अब ठहर जा मान जा
ये धरा इन सब की है
अपने मन मे जान जा
गर वसुधा संग चलना है तो
मानव तुझे बदलना होगा
देख रहा है वर्तमान को
आगे और संभलना होगा
जीतने चला था दुनिया को
बस अपने मन को जीत ले
बाहर 'रक्तबीज कोरोना ' है
अभी घर मे रहना सीख ले...
✍ मोरध्वज अमृतलाल एडे
8 वीं बटालियन विशेष सशस्र बल छिंदवाडा म. प्र.
मो.न. 6263208685...
822304279
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति
कविता-
सावधान कोरोना!
——————
हमारी
भारतीय संस्कृति में
ऐसी ऐसी बातें हैं
व्यवहार में लाते रहें
स्वस्थ बने रहेंगे,
मानने लगे हैं अब
संपूर्ण विश्व के लोग
हाथ जोड़ कर
प्रणाम में भी
छिपा स्वस्थ रहने का
रहस्य है,
योग ने तो
वैसे भी छुड़ाये हैं छक्के
उन सारे रोगों के
हो जाती जहाँ पर
एलोपैथी भी अनुत्तीर्ण है,
बारहों मास जो
पीता रहे गर्म पानी
ऐसा व्यक्ति
स्वस्थ होकर
रहता सदाबहार है,
शाकाहार अपना ले जो भी
होता दीर्घायु है
प्रकृति संरक्षण में भी
करता योगदान है,
ऐसे ऐसे
श्रेष्ठ कर्म
विज्ञान सम्मत हैं यहाँ,
तो त्रुटिवश
मार्ग भूल कर
रक्तबीज कोरोना
यदि आ रहा है
उलटे पैरों भागता
वो नजर आयेगा,
आयुर्वेद, योग के सम्मुख
कभी टिक नहीं पायेगा।
——————————
नाम - डा० भारती वर्मा बौड़ाई
पता - देहरादून, उत्तराखंड
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
-----------------//-------------//---------------
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को* समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*कविता--रक्तबीज कोरोना
जहरीली हवा की गिरफ्त में गली, कुचे, गांव, शहर है,
मौत के साए में, हर शख्स कर रहा बसर है।
सुरसा की तरह पैर पसार रहा है ये कोरोना,
खौफ जदा हर शख्स, सहमी सहमी हर नज़र है।
मौत का क्या,हर बार नाम बदल कर आ जाती है,
अब कोरोना रूप में तांडव करती दुनियां में मचाया कहर है।
दूर - दुर तक सन्नाटा पसरा है सारे जहां में,
रुक जाना, ठहर जाना, थम जाना,अब जन्नत ही घर है।
जो घूमते थे आवारा बादलों की तरह सड़कों पर,
दो डंडे पुलिस के पड़ते ही, पहुंचे आशियाने ऎसी खबर है।
कैद हो गई है,घर की दरों दीवारों में महफूज जिंदगियां,
तेरी कृपा से ही प्रभु, अब हमारी जिंदगी की बसर है।
माधवी गणवीर
राष्ट्रपति पुरुस्कृत शिक्षिका
छत्तीसगढ़
*सभी आदरणीय जन को सादर प्रणाम।*
काव्य रंगोली कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता -2020
प्रतियोगिता प्रेरक-
आदरणीय मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक-
आदरणीय अनिल गर्ग जी
एवं कार्यक्रम अध्यक्ष-
आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आपके अवलोकनार्थ मेरी रचना...
कोरोना जब से देश में आया ||
देश में महामारी का रूप समाया ||
रक्तबीज सा है यह कोरोना||
जिसने छोड़ा नहीं कोई कोना ||
इलाज नहीं संभव हो पाया ||
यही बात सभी को समझाया ||
महामारी है यह विकराल ||
नहीं है इसका कोई उपचार ||
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ||
आरोग्य एप को डाउनलोड है करना ||
इन सभी नियमों का पालन है करना ||
हाथों को अपने साबुन से धोना || बाहर के सामान को नहीं है छूना||
रखेंगे हम यह थोड़ी सी सावधानी नहीं आएगी कोरोना बीमारी ||
इन सभी बातों का रखना ध्यान ||
तभी लड़ पाएगा इस बीमारी से हिंदुस्तान ||
कविता के माध्यम से निवेदन है मेरा ||
घर में रहें सुरक्षित रहें..........
-डॉ. दिशांत बजाज
-राजस्थान
-मो. 9887456888
*रक्त बीज कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता
*रक्त बीज कोरोना(गीत)*
हाँ रे कोरोना आया रे...
सबके मुंह पर देखो इसने मास्क लगाया रे।
१) *रक्तबीज कोरोना* आया धामाधूम
मचायी !
चाइना के मॉडल ने सारे जग में
आग लगायी !!
जर्मन इटली भी थर्राया रे....
सबके मुँह पर देखो इसने मास्क लगाया रे।
--------
२)चिकनगुनिया स्वाइन फ्लू डेंगू इसने पीछे छोड़े !
सावधान और घर पर रहना इसकी चैन को तोडे !!
केवल बचाव ही उपाय बताया रे....
सबके मुँह पर देखो इसने मास्क लगाया रे।
------
३)जुकाम खाँसी और बुखार में आइसोलेट हो जाओ !
बार बार हाथों को धोओ तनिक नही घबराओ !!
स्वच्छता का पालन सिखलाया रे....
सबके मुँह पर देखो इसने मास्क लगाया रे।
-------------
हाँ रे कोरोना आया रे....
सबके मुँह देखो इसने मास्क लगाया रे।
--------------
नाम--पवन गौतम बमूलिया
Mo--9116488506
पता- V/PO- बमूलिया कलां
तह-अंता जिला बारां(राज)
PIN-325202
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
16-14
*नवगीत*
*रक्त बीज दानव कोरोना*
---------------------
तमस धरा पर घिरते दिखता,
उजियारे से अंत करो।
रक्त बीज दानव कोरोना
उठा शूल विध्वंस करो।
बना महामारी प्रकोप सम
विश्व विजेता रुप धरे।
छुपा विषैले डैने फिरता
ग्रीष्म ताप तप धूप मरे।
धीर जतन रक्षक बन प्रहरी
साया जैसा कंत करो ।
तमस धरा पर घिरते दिखता,
उजियारे से अंत करो।
सन्नाटा पसरा राहों में
सूनी सूनी सड़क दिखें ।
मचा लाॅक डाउन की माया
घर रहने की शर्त रखें ।
कोप देख कोरोना दुनिया
सहज सरल सी संत करो।
तमस धरा पर घिरते दिखता,
उजियारे से अंत करो।
मानवता जगती जीवन में
दिया सहारा इक दूजे ।
बढ़ी निकटता भाई भाई
त्याग रुपय रिश्ते पूजे।
मोल जीव का जग ने जाना
भारत पूरा बंद करों ।
तमस धरा पर घिरते दिखता,
उजियारे से अंत करो।
*डाॅ मीता अग्रवाल मधुर
श्री कमल भवन पुरानी बस्ती लोहार चौंक रायपुर छत्तीसगढ़
मो0-9826540456
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
ये हमारी स्वरचित कविता है।
रचना: रक्तबीज कोरोना
कुछ तो हमने भी प्रकृति पर कहर ढाया है
तभी तो बीच हमारे ये रक्तबीज कोरोना आया है।
भूल चुके थे खुदा को, लूटपूट थी हर तरफ
हैवानों ने इंसानियत को नंगा नाच नचाया है।
मॉंग लो मुआफी जमीं और आसमां से अब तो
एक दुश्मन से आज हमारी जंग का साया है
ये कैसा इम्तिहान है इंसान का इंसानियत से
मंदिर मस्जिद गुरूद्ववारों में आज कैद खुदाया है ।
सिखला रही प्रकृति हमको घरो में कैद कर
आजाद करदो पंछी जिनको कैदी तुमने बनाया है
बेखबर थे तुम, जब रोई थी जमीं तडपा आसमाँ
सिखाने सबक इंसान को करोना वक्त बन आया है
होकर अब नियमबंद हमें बन आदित्य
रक्तबीज कोरोना का करना सफाया है।
-बेनू सतीश कांत
पता ---416/1 Sohi Street
Govt college Road
Ludhiana (Punjab )
Pin 140001
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ला जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति🙏🙏
कविता - रक्तबीज कोरोना से जंग
चहुं ओर देखो कैसा संकट छाया है।
कोरोना जैसे रक्तबीज बन आया है।
जाति- धर्म से ऊपर उठकर आगे आओ,
हिन्दू - मुस्लिम सबको मानवता सिखलाओ।
घर में रहो अब लक्ष्मण रेखा न पार करो,
खुद सुरक्षित हो कोरोना का संहार करो।
दुष्ट असुर संग मौत का बंधन लाया है,
कोरोना जैसे रक्तबीज बन आया है।
विफल हो गई कोशिश विज्ञान भी हारा है,
मानव दूरी बचने का मात्र सहारा है।
रहो संयमित अपनों का खूब ख्याल करो,
बाहर न जाओ अपनों से तुम प्यार करो।
विकल हो गई धरा कहर जो बरपाया है
कोरोना जैसे रक्तबीज बन आया है।
बंद हुई मस्जिद बंद हुए मंदिर सारे,
बंद हुए चर्च सभी बंद हुए गुरुद्वारे।
धर्म नुमाइश सब छोड़ो अब कुछ कर्म करो,
ऊंच- नीच भूलो यारों कुछ तो शर्म करो।
संकट ने सबको आइना ये दिखाया है,
कोरोना जैसे रक्तबीज बन आया है।
असुरों ने जब - जब भी आतंक मचाया है,
तब- तब भवानी का रौद्र रूप आया है।
मगर दोस्तों कलयुग में हमको लड़ना है,
अपनों के खातिर सबको संयम रखना है।
बिना दिखावे के ही जीना सिखलाया है,
कोरोना जैसे रक्तबीज बन आया है।
मिलकर सभी जागरूकता की हुंकार भरो,
कोरोना योद्धाओं की जय- जयकार करो।
हाथों को धुलकर वायरस को मिटाना है,
हमे स्वच्छ भारत को स्वस्थ बनाना है।
'अनिल' ने भी अब एकांतवास अपनाया है,
कोरोना जैसे रक्तबीज बन आया है।
अनिल यादव "अनुराग"
ग्राम -संभांवा तहसील - गौरीगंज
जिला - अमेठी (उत्तर प्रदेश)
मो० 8795431246
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
दूर दूर रहना सबसे ही चला चीन से आया है
फैल गया है सकल विश्व में कैसा खेल रचाया है
कोरोना तो रक्तबीज सम साँसों से जिसका उदगम
घर घर में चीत्कार हो रहा खत्म हुई सारी सरगम
मानव से मानव के अंदर इसका आना जाना है
मुँह को बन्द रखोगे यदि फिर इसका कहाँ ठिकाना है
घर से बाहर मत जाना ये खड़ा हुआ दरवाजे पर
सावुन से हाथों को धोकर इसको मार भगाना है
हमें कुछ नहीं हो सकता है नहीं पालना ऐसा भ्रम
घर घर में..................
जान का लेवा दुश्मन है कोरोना न दिखने वाला
कैसा विश्व पटल पर ये छाया बादल काला काला
नहीं किसी से हाथ मिलाना और नहीं मिलने जाना
अमृत से भी नहीं मिटेगा ये तो है असली हाला
इटली अमरीका और भारत हुई आँख सबकी ही नम
घर घर में......................
खानपान भी ऐसा रखना जिससे सर्दी दूर भगे
बढ़े रोग प्रतिरोधक क्षमता और शरीर भी स्वस्थ लगे
कुछ दिन की है बात लाँकडाउन का पालन कर लेना
टूट जाय कुछ कदम करोना समझो सबके भाग जगे
हाथ जोड़कर करूँ प्रार्थना वेशकीमती है ये दम
घर घर में चीत्कार हो रहा खत्म हुई सारी सरगम
नाम -- विष्णु असावा
पता -- बिल्सी जिला बदायूँ उत्तर प्रदेश
मो0 -- 8279714361
[ काव्य रंगोली कोरोना आँनलाईन प्रतियोगिता २०२० प्रतियोगिता रक्तबीज कोरोना -प्रतियोगिता प्रेरक - आदरणीया डाँ मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक -दादा अनिल गर्ग
कार्यक्रम अध्यक्ष -अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकानार्थ मेरी प्रस्तुती-
कविता-
*रक्तबीज* *कोरोना*
शिर्षक- *कोरोना* *विरुध्द*
काव्य प्रकार- *गीत*
तालाबंदी फिर हो जाती, पडी माहामारी की मार
लडनी हमको ,कठीण लढाई मचा हुआ हैं हाहाकार!धृ!
वैश्विक हैं यह अजब समस्या तीव्र संक्रमण भीषण जाल!१!
चीन जनित कोरोना कोविद
बीमारी बन आई काल!२!
उलझ गया विज्ञान तंत्र भी
ढुंढ रहा इसका उपचार!३!
छेडा कुदरत को मनमर्जी
उपजा उर में अनुचित लोभ!४!
व्यर्थ अकारण दोहन करते
उठा जहाँ क्यों मनमें क्षोभ!५!
स्वरचित
-अभिलाषा देशपांडे
मुंबई
7715807322
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोला आनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डाल मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक दादा अनिल गर्ग एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं इपोह सभी के अवलोकनार्थ भारी प्रस्तुति:
*****
यह कैसी विपत्ति
है आयी पहले तो चीन में अब विश्व में है छायी,
सड़कें वीरान अब हो चलीं हैं हर घर गली मायूसी है छायी,
यह रक्त बीज वायरस शहर शहर गाँव गाँव आया ढाने कहर है,
घर तो घर शहर के शहर हो मायूस हो चले हैं वीरानी है छायी,
मत घबराओ देना है अब टक्कर सर्वनाश करना है इसका,
हर बूढ़े जवान और बच्चे के हृदय से आवाज है आयी,
रह के घर के अन्दर मुहँ नाक ढक रखना कोरोला से जो है बचना,
हम सब एकांत वास करेंगे सेनेटाइज करके,
घर परिवार देश में मिलकर कोरोना को पराजित है करना।
पूर्णिमा साह
साउथ सिटी लखनऊ
ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता -2020*
*काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना*
*रक्तबीज कोरोना* पर गीत :-
*तर्ज : आओ बच्चों तुम्हें दिखाए झांकी हिंदुस्तान की।*
आओ लोगों बात बताऊं कोरोना शैतान की।
इस रक्तबीज दानव ने बदली सूरत देख जहान की।।
हम सब ने मिल करके, कोरोना को हराना है।
घर में रहना बंद हमें, बाहर नहीं जाना है।
चेन तोड़ने की खातिर, चक्कर यही चलाना है।
लॉक डाउन को अपनाकर, भारत को जिताना है।
भारत है वीरों की धरती, गाथाएं बलिदान की।
आओ लोगों बात बताऊं कोरोना शैतान की।।
बार-बार तुमने लोगों, हाथों को अपने धोना।
लॉक डाउन को तोड़ के, बीज विघ्न के मत बोना।
साफ-सफाई रख करके, चमकाना कोना कोना।
गलती से गलती कर, किसी अजीज को ना खोना।
कोरोना से हमको लड़नी, बाजी अपनी जान की।
आओ लोगों बात बताऊं कोरोना शैतान की।।
कोरोना कोविड नाइनटीन, चीन देश से आया है।
मानव से मानव में फैले, दुनियाभर में छाया है।
दवा नहीं है कोई इसकी, अजब निराली माया है।
मंदिर मस्जिद चर्च सभी को, इसने आन डराया है।
रखवाला बन आगे आया, जय बोलो विज्ञान की।
पशु पक्षी आजाद घूमते, मानव पर विपदा आई।
कुदरत से ये छेड़छाड़ की, हमने आज सजा पाई।
वायु पाणी पेड़ धरा की, करनी होगी भरपाई।
कोरोना का ये कहर है, कुदरत का करिश्माई।
कहे भारती एक हुई, ये जनता भारत महान की।
आओ लोगों बात बताऊँ कोरोना शैतान की।।
- भूपसिंह 'भारती',
आदर्श नगर नारनौल (हरियाणा)
कोरोना रक्तबीज के सबक
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
मानवता का भूला मूल्य , फिर से बता दिया
ऊँची उड़ान की फ़िराक में
अब थककर बैठा दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
विज्ञान तकनीकी विकास का हमें
विनाश समझा दिया
एक छोटे सूक्ष्मजीव देख तूने
क्या हाहाकार मचा दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
जरुरत मुट्ठी भर की ही है
इसका मतलब बता दिया
दाल-रोटी ही सबकुछ है
इसका गहरा अर्थ बता दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
कोई न संगी साथी है
परिवार ही तेरा हमराही है
छूटे पारिवारिक मूल्य को
तूने फिर से समझा दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
साफ़-सफाई का पूरा ध्यान
हाथ धोना तक सीखा दिया
नानी की रसोई की सीख
को फिर से दोहरा दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
भूख क्या है ? आजादी क्या है ?
गहराई से समझा दिया
काम चीज़े जरूरत की , गोदाम नहीं
का मतलब बता दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया
नाम नहीं, पैसा नहीं, गाडी नहीं
बेवजह की दौड़-धूप
छोटी-छोटी खुशियाँ तेरे घर में हैं
का अर्थ बतला दिया
कोरोना रक्तबीज तूने क्या-क्या सीखा दिया ….2
जोगिन्दर कुमार
दिल्ली
8743858032
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति***
कविता - *रक्तबीज कोरोना*
है मनुष्य किस बात का है रोना,
तेरे ही कुकर्म का नतीजा है *रक्तबीज कोरोना*,,
जानती हूं एक समान नहीं,
कोरोना का प्रकोप सब पर,
किसी को लाया साथ,
कहीं छुड़वा रहा साथ ये वायरस,,
होते जैसे सिक्के के दो पहलू,
होती हैं सभी नकारात्मक में भी सकारात्मकता,
सोच मनुष्य इस महामारी में भी है कितनी सकारात्मकता,,
छोड़ चले जिस मां का आंचल,
छोड़ दिया था घर परिवार,
इस महानारी ने सीखा दिया,
है सब कुछ बस अपना संसार,,
दूरी बने बाहरी दुनिया से जितनी,
होगी स्वस्थ लंबी उमर उतनी,
रहो घरों में होगा सुख का आभास,
यही है आज की दुनिया का अंदाज़,,
कितना सताया प्रकृति को तुमने,
अब वक़्त प्रकृति का आया है,
क्षमा प्रार्थी है हम मां,
तेरा अत्यंत लाभ हमने उठाया है,,,
समझलो है बस इतनी सी बात,
कलयुग में सतयुग का करो आभास,
बंद करो बेजुबान जानवर को सताना,
बोऑ पेड़ पोधे अपने आस पास,
स्वछता का रखो खयाल,
है हमारा देश और हमेशा कहलाता रहे,
*मेरा भारत महान*
दुआ अन्त बस यही,
हो इस महामारी से जल्द निदान,
खिलखिला उठे सब चेहरे फिर से,
शुरुआत हो खिलखिलाहट की प्रकृति के साथ।।।।
नाम *रबाब*
पता *सैफी कॉलोनी*
*खंडवा*
मो0 7415394152
काव्य रंगोली आनलाइन काव्य प्रतियोगिता-2020
”"""''''"""""''"""""''"""""""""""""""""""
आदरणीया,
डा०मृदुला शुक्ल जी
माननीय,
दादा अनिल गर्ग जी,संरक्षक
आदरणीया,
अरुणा अग्रवाल जी,अध्यक्ष
के समक्ष सादर समर्पित एवम्
आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी
प्रस्तुतिः
रक्तबीज कोरोना
चीन से शुरू होकर वायरस फैला है चहुँ ओर।
कोरोना वायरस नाम है ज्वर खाँसी पुरजोर।
मौत का ये जाल बना मनुष्य का बना काल,
पूरे जग में मचा शोर है कोरोना बना जंजाल।
कोरोना बीमारी से जूझ रहा है हमारा हिन्दुस्तान,
वायरल फैल रहा तेजी से खतरे में सबकी जान।
कोरोना से थम सी गई है अब वक्त की रफ्तार।
लक्ष्मण रेखा खींच दी इसे नही करना कोई पार।
घर पर रहो सुरक्षित रहो खुद का करें बचाव,
अब कोरोना से बचने का मात्र यही उपचार।
जुखाम खाँसी हो जाए तो डॉक्टर से लें सुझाव,
स्वस्थ रहो सुरक्षित रहो, खुद का करें बचाव।
हवाओं में जहर घुल चुका, खुद को बचाएँ हम,
चेहरे पर मास्क लगाओ यही सबको समझाएँ हम।
दुनिया भर में दहशत फैली डरी हुई है आबादी।
कोरोना वैश्विक बीमारी से कैसे मिले आजादी।
रक्तबीज कोरोना पूरे संसार को बीमार कर देगी,
खुल कर साँस भी लेना अब तो दुश्वार कर देगी।
रक्तबीज का बध करने को माँ काली दुर्गा आयेंगी,
कोरोना महामारी से पूरे विश्व को मुक्ति दिलायेंगी।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
पता- शास्त्रीपुरम रोड़ आगरा (उ०प्र०)
पिन - 282007
**काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020**
**प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी, एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल लोरमी जी को समर्पित ! रचना-**
*विषय-रक्तबीज कोरोना*
*विधा-आल्हा छंद*
*********************
रक्तबीज कोरोना है यह , यहि की बड़ी कड़ी है मार,
तीर, तोप, तलवार, तमंचा आगे यहि के सब बेकार !
रक्तबीज के रक्त से जैसे, रक्तबीज की पैदावार ,
वइसेइ यहिके संक्रमण से , हुइगै रोगिन की भरमार !
बचौ संक्रमण से सब यहि के, भैय्या यहि के यही उपाय ,
रखो सफाई घर महलन में , कोउ काऊ से मिलियो नाय !
रक्तबीज कोरोना हइ तो , वास एकांत कलिका मांय,
घर मा रहिके रखो स्वच्छता, एही से कोरोना मरि जाय ,
और केहू के मरी न मारे, सब जन सुनि लेव कान लगाय !
नाम - श्यामसागर (अनिल तिवारी )
पता- रेउसा, सीतापुर (उ.प्र.)
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति:
*⚜रक्तबीज कोरोना ⚜*
......... तीन मुक्तक........
*रक्तबीज कोरोना से, यूँ डर जाना ठीक नहीं।*
*लापरवाही से यहाँ वहाँ पर, आना जाना ठीक नहीं।*
*अगर बचोगे खुद ही खुद तो, गैर स्वयं बच जाएंगे।*
*नासमझी में अफवाहों को, यूँ फैलाना ठीक नहीं।।*
🌹
*रक्तबीज कोरोना का, उपचार हमारे हाथों में।*
*रक्षा और सुरक्षा का, अधिकार हमारे हाथों में।*
*तन से तन की दूरी रक्खें, और स्वच्छता खूब रहे।*
*हम चाहें तो खुशियों का, संसार हमारे हाथों में।।*
🌹
*सरकारों की कोशिश में कुछ, हम भी हाँथ बटाएं।*
*और मिले निर्देश उन्हें हम, अंतस से अपनाएं।*
*भेदभाव को भूलभाल कर, मिलकर जतन करें।*
*रक्तबीज कोरोना को हम, आओ मार भगाए।।*
सर्वाधिकार सुरक्षित
*🌹ओम अग्रवाल (बबुआ)
डी-302 शालिभद्रा क्लासिक
न्यू लिंक रोड,
नालासोपारा (ईस्ट)
मुंबई-401209
मो. 9739592970
प्रतियोगिता.. 19:04:20
रक्त बीज (कोरोना )
-----------------------------
फैला यह कैसा सुनसान
डरा रहा, रह मौन,
फैली घनघोर घटा विचारों की
अब क्या होगा, क्या होगा।
धरा भी थक गयी
सहनशक्ति की सीमा पार,
नदियाँ इन्सां के हर कर्म से,
अंबर भी थर्रा गया।
था, मद अहंकार से चूर मानव
क्या है जो मैं नहीं कर सकता
असली की नकल कर ली,
की रक्तबीज कोरोना की रचना।
फिर लगा अनदेखी करने
ईश्वर और सृष्टि की,
हर मुश्किल इन्सां की मुट्ठी में
हिंसा,तम,अहंकार को इज़्ज़त दी।
अब भी समय है
बार- बार प्रकृति बता रही,
अनदेखी ना कर,
पंचतत्व की, बना इसी से
मिट जाना इसी में।
रहो घर में लॉक डाउन चल रहा,
धोओ हाथ बार- बार,
गर्म पानी, सूप सब गर्म लो
मुँह पर मास्क लगाओ
दूर से करो नमस्ते, हाथ ना मिलाओ।
अभी है लम्बा संघर्ष
बात मानो, प्रधान की,
धैर्य, संयम, त्याग, अहिंसा
मानो इनको,
अनदेखी ना करो।
है यह रक्त बीज
मत भूलों,
काल के कपाल पर
इतिहास बनाने आया है।
स्वरचित
डॉ. प्रभा जैन "श्री "
देहरादून
पटल पर क्षमता से अधिक लोग होने के कारण ये सीमा जी अपनी रचना नहीं भेज पा रहीं हैं , इसलिए मेरे माध्यम से भेज रही हैं ।
यदि संभव हो तो प्रतियोगिता में शामिल कर लें ।
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ला जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति
🌹रक्तबीज कोरोना🌹
नर्स, डॉक्टर सेवा करे
ले हथेली पर जान।
रक्तबीज कोरोना कराये
निष्ठा की पहचान।।
कर रही सुरक्षा पुलिस
ड्युटी अपनी मान।
जनता को भी चाहिए
करें उनका सम्मान।।
रेल विभाग और बैंक कर्मी
कर रहे जो अपना काम।
कठिनाई के इस दौर
में दिल से उन्हें सलाम।।
भूखों की क्षुधा तृप्त हुई
करें समाजसेवी दान।
उनके पुण्य से हो रहा
जन-जन का कल्यान।।
शासन प्रशासन के कार्यों का
नहीं चुका सकते दाम।
एकजुटता से मिट जायेगा
कोरोना का नाम।।
देख रहे न रात-दिन
न देखें सुबहो- शाम।।
मानवता की इस सेवा को
सीमा करे प्रणाम।।
--- डाॅ. सीमा श्रीवास्तव , रायपुर (छ.ग.)
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
-----------------//-------------//---------------
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को* समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
*--रक्तबीज कोरोना*
1. रक्तबीज कोरोना ने है,
मचा रखा हाहाकार |
प्रियतम से मिलने को आतुर,
नयन तरसते हैं यार ||
2. सारी दुनिया विपदा में मां ,
कष्ट हरो ले अवतार |
गूंज उठे फिर सकल विश्व में ,
भारत की जय जय कार ||
*रचनाकार-*
*पण्डित अनूप मिश्र*
*पता- ग्राम व पोस्ट मोहम्मदाबाद , थाना हैदराबाद, तहसील गोला गोकर्ण नाथ*
*जनपद लखीमपुर खीरी*
*उत्तर प्रदेश*
*9415140961*
रक्तबीज कोराना वाइरस
रहा है पांव पसार।
लाइलाज इस रोग से अब
दहशत में संसार।।
सबसे पहले घेरा इसने
चीनी शहर वुहान।
दिखा दिया इस दुष्ट ने
बौना है इन्सान ।।
इटली,यूएस और फ्रांस में
काफी मची तबाही।
सबसे बड़ा इलाज है इसका
बंद हो आवाजाही।।
बड़ी भयावह परिस्थिति है
थोड़ा करें विचार।।
लॉकडाउन में निकलें ना
चिंतित है सरकार।।
घर में रहिए नहीं निकलिए
संकट में है जान।
भीड़भाड़ से बचकर रहिए
इसी में है कल्याण ।।
✍️ विजयव्रत कंठ
रोसड़ा समस्तीपुर बिहार
काव्य रंगोली साहित्यिक पत्रिका द्वारा *रक्तबीज कोरोना* बिषय पर आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता 2020
*************** कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम आद0 अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल लोरमी जी के समक्ष सादर प्रेषित -
विषय-रक्तबीज कोरोना
शीर्षक - कोरोना पर विजय
मानव ने दुष्कर्म किया
धरती पर संकट आया है ।
रक्तबीज कोरोना ने जग में आतंक मचाया है ।।
दहशत में है हर प्राणी
प्रकृति का रूप भयावह है।
त्राहि- त्राहि चहुँ ओर मचा
अब कौन पूछने वाला है ?
स्वच्छता और सुरक्षा को अपना हथियार बनाया है ।
त्याग, तपस्या ,संयम को सच्चे मन से अपनाया है ।।
लॉकडाउन का पालन कर
अब युद्ध को जीता जायेगा।
जीवित वही रहेगा जग में,
जो सच में अपनायेगा ।।
मौलिक /स्वरचित
रचनाकार
नाम -सुनील कुमार वर्मा
पता -कोटिया (बेसहूपुर) गोण्डा उ. प्र.
9838668398
ईमेल आईडी -sunilkumarvermagd@gmail.com
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति--*
शीर्षक:- *रक्तबीज कोरोना*
ये कैसा आया रक्तबीज कोरोना,
कर दिया इसने मुश्किल जीना।
करवा दिया इसने सब कुछ बंद,
खेलना-कूदना , घूमना- फिरना।
अरे ये कैसी आई हैं ......महामारी,
जिसका दंश झेल रही दुनियासारी।
संकट ये कैसा आया है बहुत भारी,
इलाज नहीं मिल रहा कैसी ये बीमारी।
हैं भी ये एक छोटा - सा कीटाणु,
जिसने फेल कर दिए हैं परमाणु।
दुनियां में करवा दी त्राहि- त्राहि,
लोग घबरा रहे हैं इस जग माही।
सुरक्षित है बस अपने घर का कोना,
बाहर जाये तो फैल रहा वायरस कोरोना।
मुँह पे मास्क लगाना,ना ही किसी को छूना,
खाना खाते समय सेनेटाइजर से हाथ धोना।
इससे बचने की बस एक ही तरकीब बताई,
अपने परिवेश की रखो साफ-सफाई।
*अजनबी * कहे सुनो मेरे प्यारे बहिनो-भाईं,
अपना घर ही सुरक्षित है ,घर में रहो सब भाई।
मौलिकता:- स्वरचित, मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित
जयप्रकाश चौहान *अजनबी *
जिला:-- अलवर,(राजस्थान)
ग्राम पोस्ट :- जिन्दोली
तहसील:- मुण्डावर
जिला:- अलवर(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर:- 6378046460
काव्य रंगोली 'रक्तबीज कोरोना' अॉनलाइन काव्य प्रतियोगिता
(2020)
प्रतियोगिता प्रेरक आ0डा0 मृदुला शुक्ल जी,संरक्षकआ0दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आ0 अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
विषय- *रक्तबीज कोरोना*
----------------------------------------
शीर्षक- *बच कर रहना यार*
*************************
रक्तबीज कोरोना से
बच कर रहना यार,
है बहुत ही घातक यह
छुप कर करता वार।
छुप कर करता वार
भीड़ है इसका वाहक,
चंद रोज रुक जाओ घर में
बाहर निकलो ना नाहक।
हाथ मिलाना बंद कर
दूर से ही प्रणाम करो,
बार-बार हाथ है धोना
प्रतिदिन तुम स्नान करो।
प्रतिदिन तुम स्नान करो
स्वच्छता बहुत ही रखना,
हट जाये पथ छोड़
निकट ना आये कोरोना।
लाखों जीवन ग्रास बनाकर
सकल विश्व दहला दिया,
क्रूरता की सारी हदें तोड़
कहर कैसा बरपा दिया।
कहर कैसा बरपा दिया
अभी भी बढ़ता जाये,
कहाँ से आया काल
कोई कुछ समझ ना पाये।
मानव अपना द्वेष छोड़
मानवता के पथ कदम बढ़ा,
हे ज्ञानी!अभिमान त्याग कर
खुद बच,सुन्दर धरा बचा।
खुद बच, सुन्दर धरा बचा
फिर अब ना आये कोरोना,
रख धीरज अंदर यार
भाग जायेगा कोरोना।(स्वरचित)
-अवधेश कुमार वर्मा 'कुमार'
पता- कुरहवाखुर्द,नईकोट,
महराजगंज,उ0प्र0,
पिन-273164.
मो.8175010226
आन लाईन रक्त बीज कोरोना प्रतियोगिता हेतु---
*कार्यक्रम संरक्षक-आदरणीय अनिल गर्ग जी।।* *कार्यक्रम अध्यक्ष-आदरणीय अरुणा अग्रवाल लोरमी जी। एवं डा. मृदुला शुक्ल जी।* को सादर समर्पित एवं प्रेषित।
*विषय-रक्त बीज कोरोना*
*शीर्षक* - *इश्क ए कोरोना*
मेरे मुल्क को हिन्दुस्तान की संस्कृति, संस्कार, बार-बार अजीज लगती है,
गांधी के देश में, देशवासियों से है प्यार, समुंदर पार नहीं।
ऐ रक्त बीज कोरोना कर ले लाखों जतन, हमारी बेवफाई ही नसीब होगी तुझे,
हजारों-हजार परीक्षण के बाद भी हमें अब तनिक भी बुखार नहीं।
गर थोड़े बहुत तेरे बीज फैल जाने से संक्रमित हुए होगें,
आइसोलेशन के बाद अब किसी को तेरा इंतजार नहीं।
40 दिन के लाकडाउन के बाद आ जाना गर समय मिले तो आवाम मेरे,
हमें तो ऐतवार है, इस बात का क्यों तुझे तनिक भी ऐतवार नहीं।
हाथ धो-धोकर, हाथ धोकर तेरी जान के पीछे पड़ गये हैं सभी,
तूं बेकरार सही, दिल-ए-हिन्दुस्तान को इकरार नहीं।
तेरे तरकश मे माना कि हजारों कोरोना रक्तबीज और भी होगें,
हमें तबाह कर दे, तेरे पास अभी वो फिलहाल हथियार नहीं।
हमारे हाथ, हमारे मुंह और नाक के पास जाने में ऐहतियात बरतते हैं,
समझ ले इसी से कि किसी को तुझसे तनिक भी प्यार नहीं।
मेरे मुल्क के गरीब और शहरयार एक ही कस्ती में सवार हो गये हैं,
कह दो कोरोना से कि डुबो दे हमें, ऐसा कोई मझधार नहीं।
तूं समुंदर पार से आई है तो चली जा वापिस अच्छा होगा,
आन-बान- शान, संस्कृति, संस्कार मिटा दे ऐसा कोई तेरा तरफदार नहीं।
मेरे मुल्क को हिन्दुस्तान की संस्कृति, संस्कार, बार-बार अजीज लगती है,
गांधी के देश में, देशवासियों से है प्यार, समुंदर पार नहीं।
राजेश कुमार लखेरा, जबलपुर म. प्र.
कान्टेक्ट नं.-9752415968
व्हाट्सएप नं-8319280874.
पता-1302, न्यू शास्त्रीनगर, मेडिकल कालेज के पास, जबलपुर, म.प्र.।। पिन-482003.
कोरॉनो वायरस पर कविता हाड़ौती में
-°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°-
कोरोनो वायरस रे थारो डर घणो भारी रे
चाइना से आयो रे तू दुनिया में घणो छारियो च
थारो नाव लेता ही रे जणो - ज़णो डर जावे च
चोका - चोका डॉक्टरा के भी पसीनों छूट आवे च
घणी कर च सेफ्टी ये तो मुंडा के ढाटो बांधे च
फेर भी यो कोरोनो कटी सु, गुस जावे च
चाइना की जनता ने तो यो मांस घणो खायो रे
सुल्डो भी न छोड़यो रे, जिंदा ने ही खाग्या चो
घणी बुरी करी तानेह बीमारी फेलादी दी रे
चमकादड़ को सुत मज़ा - मज़ा से जो पिल्यो रे
सांप भी नि छोड्यो तानेह , बस्टिया में मुंडो देलियो रे
बना काम के कोरोनो की बीमारी मोल ले ली रे
इलाज भी तो कोयनह इंकोह , मनक घणा ये मरिया च
चाइना तन्ह घणो समझावा , केणो माकोह मान ले
बना काम ने दुनिया में यो कोरोनो मत फेलावे
इलाज बतावा कोरोनों को , भगवा ने अपनाले रे
कोरोनो वायरस रे थारो डर घणो भारी रे
चाइना से आयो रे तू दुनिया में घणो छारियो च
Op Merotha hadoti kavi
छबड़ा जिला बारां ( राज० )
Mob: 8875213775
*रक्तबीज काेराेना* अॉनलाईन प्रतियाेगिता २०२०
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुलाजी शुक्ल संरक्षक दादा अनिलजी गर्ग एंव कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणाजी अग्रवाल काे समर्पित एंवम आप सभी के अवलाेकनार्थ मेरी प्रस्तुती..
स्वरचित-सत्येन्द्र कुमार यादव
विधा-दोहे और कुंडलिया छंद
दोहे
दूर कोरोना से रखे, साफ सफाई मीत।
हाथ मिलाने से डरो, पार करोगे जीत।।
भारत आया है अगर, डरो ना इससे मित्र।
मात दिलाएंगे इसे, जिसका दिखे ना चित्र।।
मास्क पहने काम से, उतना जाएं आप।
जिससे भूखों ना मरें, और न हो संताप।।
हवा में फैले न कभी, रक्तबीज का रोग।
बचे रहें अफवाह से, करते हैं जो लोग।।
ताजा भोजन कीजिए, रहो स्वस्थ भरपूर।
तभी करोना आपसे, भागेगा कुछ दूर।।
बंधु दूर जाना नहीं, छोड़ कहीं घर आप।
नीच करोना है अभी, बना हुआ अभिशाप।।
कलयुग भी अब देखिए, करने लगा धमाल।
वंशीधर अवतार लो, विपदा बड़ी कराल।।
कोरोना के चक्र से, बचा न कोई आज ।
चाहे कोई रंक हो, चाहे हों सरताज।।
कुंडलिया छंद
विदित सभी को हो गया, कोरोना का राज।
देखो फैला चीन से, जिसका नहीं इलाज।।
जिसका नहीं इलाज, अभी तक पूरी दुनिया।
उतरे इसका ताज, सुनो जी कहती मुनिया।।
कह सत्तू विकलांग, पास न आयेगा कभी।
हुए यहाँ सब लोग , करोना से विदित सभी।।
नाम -सत्येन्द्र कुमार यादव
पिता - श्री गया प्रसाद
ग्राम+पोस्ट- ममसी खुर्द
क्षेत्र - कमासिन, जिला - बाँदा
राज्य - उत्तर प्रदेश २१०१२५
मोबाइल नंबर - ७३१०२२५०६९
"काव्य रंगोली साहित्यिक पत्रिका द्वारा *रक्तबीज कोरोना* बिषय पर आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता"
कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी के समक्ष एवम् आप समस्त कवि वृंद के अवलोकनार्थ सादर प्रस्तुत-
विषय-रक्तबीज कोरोना
पर्यावरण हो उठा स्वच्छ सा,
लो हरियाली छाई है ।
चहुं दिशि प्रकृति में देखो,
छाई नव तरुणाई है ।
1.रक्तबीज कोरोना विषाणु,
लील रहा जीवन अनमोल ।
मित्रता निभाओ प्रकृति से अब
मानव अपनी आंखें खोल ।
क्षरण हुआ ओजोन परत का
धरा तभी गरमाई है ।
2.भूल चुका था मानव,
उपयोगिता संसाधन की।
स्वार्थ वश वृक्षों पर चली कुल्हाड़ी,
कहां थी चिड़िया आंगन की ।
देती चेतावनी प्रकृति तुमको,
आंख क्यूं अब भर आई है ?
मौलिक /स्वरचित
©रचनाकार के पास सर्वाधिकार सुरक्षित
रचनाकार
नाम डॉ. दीप्ति गौड़ दीप
ग्वालियर
*काव्य रगोली रक्तबीज कोरोना* *आँनलाइन प्रतियोगिता-2020*
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
प्रतियोगिता प्रेरक-आदरणीया डाॅ.मृदुला शुक्ल जी,संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी,एवं कार्यक्रम अध्यक्ष
आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुती
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
*रक्तबीज कोरोना*
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
रक्तबीज यह कोरोना-जिसने भी फैलाया है
पक्का उसके दिलमे कोई-समझो मैल आया है!!
कभी सुनी ना देखी कभी-आई ऎसी बिमारी
सबकी जुबां पे एक ही नाम-ये कोरोना महामारी!!
गतिविधीया सभी स्तब्ध हूई-बंद पडे है कार्यालय!
जिस गांव मे जो मज़दुर है-वही लेरहे वो आश्रय!!
घर बार परिवार छोडकर-पहरी धुप मे देते जवान!
स्वस्थ कर्मी जो सेवा दे रहे-इंसा रुप मे वह भगवान!!
पुरा देश जंग लड रहा-इस घातक महामारी से!
शासन हिदायत सतत दे रहा-बचके रहना बिमारी से!!
प्रकृती को छेडो नही-पाश्चात्य की करो बिदाई!
शेक हॅंड पश्चिमी छोडो-राम राम करो भाई!!
सामाजिक दुरी अपनाओ-मास्क लगाओ मुंह पर!
निष्ठा से पालोगे बोलो-हाॅथ रख कर रुंह पर!!
घर पर रहना देशवासियो-देश से सच्चा गर हो प्यार!
कदम उठे ना कोई जिससे-हो मानवता
शर्मसार!!
जात पात ना मज़हब देखे-ये ऎसी बिमारी है!
सहयोग करो हम जितेंगे ही-शासन की तैयारी है!!
""""''""'"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""'''''
*कवि-धनंजय सिते(राही)*
*मु+पोस्ट-लोधिखेड़ा,तह-सौंसर*
*जिला-छिन्दवाड़ा,मध्यप्रदेश*
*पिन-480108*
*mob-9893415829*
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
*काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
*प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति--*
देखो रक्तबीज कोरोना आया।
पूरी दुनियाँ में कैसा संकट लाया
रक्तबीज कोरोना से हर तरफ हाहाकार हुए।
लाखों ही लोग इस संक्रमण से बीमार हुए।
जिसका कोई इलाज नहीं ये वो बीमारी है।
इसमे कुछ कर नहीं सकते ये कैसी लाचारी है।
हर इंसान है डरा हुआ कैसा ये दिन आया है।
कितने ही लोगों ने देखो मौत को गले लगाया है।
ताकतवर अमेरिका भी देखो अब घबराया है।
इस कोरोना ने भारत को भी डराया है।
इटली भी सुनसान हो गया है इसके आ जाने से
स्पेन भी श्मशान हो गया इसके फैल जाने से
कब तक ये रहेगा यही सोचकर परेशान हैं।
इस वायरस के प्रकोप से सबलोग हैरान हैं।
कब सुकून के दिन आएंगे कब हम आजाद होंगे
जब तक ये रहेगा सबलोग यहाँ बर्बाद होंगे
लेकिन इस कोरोना का अब जल्दी ही नाश होगा
इस रक्तबीज का जल्दी ही विनाश होगा।
पूरी दुनियाँ जल्दी ही फिर से मुस्कुराएगी
गमों के बाद खुशी की भी अब धूप आएगी
ओमप्रकाश झा,शिक्षक
जिला दरभंगा
राज्य-बिहार
मोबाइल नंबर-887767931
: काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ•मृदुला शुक्ल जी,संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी, एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कोरोना का उद्भव चीन के वुहान ने करवाया था।
देखते ही देखते सारी दुनिया का सिर चकराया था।।
वहाँ से फैला कोरोना।
इटली ,स्पेन ,अमेरिका और अब भारत का हो गया यहाँ से सभी का शुरू रोना।।
हे! ईश्वर तुझसे करते हम गुजारिश।
कोरोना का इलाज कर पूरी कर हमारी फरमाईश।।
लाश ही लाशों का अंबार होता जाता है।
कोरोना की वैक्सिन का पता हमें नहीं अभी तक नहीं आता है।।
कोरोना रक्तबीज से बचने का एकमात्र उपाय है लोकडाउन।
घर,ऑफिस, स्कूल, सोशल गतिविधियों को करो कुछ दिन के लिए शटडाउन।।
हाथों को बीस सेकेंड तक धोना ,यही ज्ञान है,सबका।
फेस मास्क ,वस्त्र,का उपयोग करके सुरक्षित उपाय है सबका।।
कोरोना के कारण घर मे बंद होकर फिर से एक हो गए घर -संसार।
इसी वजह से प्रकृति प्रदूषण नियंत्रित होकर पक्षियों के प्रति हमें याद आए आचार-विचार।।
कविता के अंत में मेरा शुक्रिया है ,पुलिस, डॉक्टर, सफाई कर्मचारियों को....
शत-शत नमन इन कोरोना योद्धाओ को....
शत-शत नमन इन कोरोना योद्धाओ को....
नाम-श्री मती रूपा व्यास,
पता-व्यास जनरल स्टोर, नया बाज़ार, रावतभाटा, जिला-चित्तोड़गढ़(राजस्थान)323307
मोबाईल न.9461287867
9829673998
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
👏रक्तबीज कोरोना🌹
जाने क्या धरा पर होना है, ये तो रक्तबीज कोरोना है।
शक्ति क्षीण कर देता ये, शक्ति क्षीण में रोना है।
मत समझो इसको सज्जन, ये विनाशकारी खिलोना है।
शक्ति निहित इसमें न कोई,ये तो रक्तबीज कोरोना है।
हराकर इस रक्तबीज को, धरा को हमें संजोना है।
नियम संयम बना करके, मिलकर इसे डुबोना है।
इतनी निहित शक्ति न इसमें,कि हमें जन्मभर रोना है।
भारत की मिट्टी में आया,
ये तो रक्तबीज कोरोना है।
प्रकृति विनाशकारी है इसकी,बस जागरूक हमें होना है।
नित सफाई का ध्यान रखें, बस हांथ साबुन से धोना है।
सोशल डिस्टेनसिंग अपनाकर, मुक्त इससे होना है।
अफवाह बनाओ न भारी,ये तो रक्तबीज कोरोना है।
मानवता का मान रखो, विश्वास हमें न खोना है। निर्मम न कोई हो भर दे,जो खाली पत्तल-दोना है।
बस नित समाचारों से, जागरूक हमें होना है।
न समझो इसे ब्रम्हास्र,ये तो रक्तबीज कोरोना है।
चाहे कितनी आये अड़चन, मर्यादा न हमको खोना है।
आप भी ठहरें अपने घर पर, रवि को अपने घर पर होना है।
न जायेंगे मिलने जुलने,न सामान बाजार से ढोना है।
सदा रहें सावधान इससे,
ये तो रक्तबीज कोरोना है।
काल के गाल में ले जायेगा, खिलवाड़ न अब तो होना है।
मान लो हर संदेश प्रकृति का, नहीं कहर हमीं पे होना है।
है ये कोई विध्वंसक ही, मगर सर पे नहीं ढोना है।
मामूली मत समझो इसको,ये तो रक्तबीज कोरोना है।
नाम - रवि प्रजापति
पता - पूरे चन्द्रिका मणि तिवारी ,पिण्डोरिया ,अमेठी
संपर्क सूत्र- 9919251824
प्रतियोगिता के लिये रचना
शीर्षक। -- " रक्तबीज कोरोना "
कोरोना की फैली है ऐसी दहशत
आदमी को आदमी से दूर कर दिया
तीन फीट की दुरी से ही बात करो
ऐसी गजबकी बेबसी कहर ढा दिया ।1।
विश्वभरमें खरबो रुपयोंका नुकसान हुआ
सारे आर्थिक व्यवहार जैसे थम गये
आदमी घरोंमें कैदी होकर रह गया है
भारतमें भी कोरोनाके पैर जम गये।2।
पूरे विश्व में छाया मंदी का बाजार है
जीवनावश्यक वस्तूओंके लिये मारामारी है
सब जूझ रहे है मौत के इस यमराजसे
प्रकृतीके प्रकोपके आगे कितनी लाचारी है। 3।
ऐसी भयंकर महामारी चीनसे आयी है
छिन गया सब लोगोंका चैनो अमन
कई लोग सो गये मौत की आगोश में
उजड रहा यह गुलशन -सा चमन ।4।
कोरोना विषाणू के संक्रमणसे
अगर अपने आपको बचाना है
सॅनिटायझर से अपने हाथ धोये
मास्क लगाकरही हमें बाहर जाना है।5।
" क "जीवनसत्वके फलोंका सेवन करें
कोरोना व्हायरस को दूर भगाना है
सर्दी बुखार के लक्षण दिखाई दे तो
तुरंत हमें डाॅक्टर से सलाह लेना है।6।
सौ शारदा मालपाणी ©️®️ (काव्य शारदा )
अमरावती महाराष्ट्र
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के स्नेहिल अवलोकनार्थ प्रस्तुति-
कविता--
👉कुंडलिया - शीर्षक . रक्तबीज के वंश _कोरोना
••••••••••••••••••••••••
कोरोना कुल जानिए, रक्तबीज के वंश!
त्राहि _त्राहि दुनियाँ करे, नष्ट करो खल अंश!!
नष्ट करो खल अंश, मातु विनती सुन मेरी!
भक्त खड़ा है द्वार, बजा दे माँ रण भेरी !
जय निनाद उद् घोष , सुनें दुनिया का कोना!
जय जय भारत देश, भगा मन चल कोरोना
"चौपाई-छंद" कोरोना (16/16)
रक्त बीज़ वंशज कोरोना , अखिल विश्व कम्पित हर कोना!
चीन स्वार्थ मन उपज विभीषण, अंध कूप कौरव खर- दूषण!!
छोट आँख मन खोट न रा ध म, स्वप्न विभूति न उपजे मन गम!
दे खि दशा व्याकुल नर _नारी, शब्द नहीं क हि जात पुरा री!!
शीर्षक रक्तबीज (16/15) आल्हा
जैविक हथियारों के खातिर, चीन किया दुनिया से घात!
हाहाकार मचा दुनिया में, दिन वा दिखे निशाचर रात!!
अहा विधाता अब का होए, घर के अंदर सब भयभीत!
सेनटाइजर बाह्य सुरक्षा, अंत: उधम मचा ए मीत!!
बार _बार गलती य़ह करता, फिर भी माँफ करें सब देश!
छद्म भेष ध रि मन समपाती, रवि को छुअन चाह हर वेश!!
मन निर्लज्ज अधम अनुयाई, प्रभुता छद्म देखि चहुओर !
बैर भाव सब त्यागि भवानी, डर के माँग करे हर छोर ll
रक्तबीज भय वरनि न जाई, अस्त्र - शस्त्र सब भा बेकार!
द्वार खड़ा माँ भक्त पुकारे, माँ काली लीजै अवतार!!
मायावी यह दैत्य भयानक, जड़ - चेतन सब करें विलाप !
नर - नारी सब तुम्हें पुकारें, माता हरो जगत संताप!!
नाम राजकिशोर मिश्र राज प्रतापगढ़ी
पता पट्टी, प्रतापगढ़ 9029252925
रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता
हेतु --
कोरोना
कोरोना शत्रु विश्व में,
महाकाल-सा डोलता।
काल बन के छा गया,
विश्व को निगल रहा।
रोक सके कौन इसे,
कोई न समझ रहा।
हथियार ये हार गए,
दौलत बिलख रही।
विज्ञान हारता दिखे,
प्रयास टूटता रहा।
एक लघु विषाणु से,
जगत हारता दिखे।
धर्म कर्म पीछे हटे,
लोग एक हो गए।
धर्मजाति भूल गए,
शत्रु खड़ा सामने।
मंदिरों की घंटियां,
मस्जिदों के आयतें।
चर्च की वो प्रार्थना,
गुरुद्वारों के भजन।
शांत खड़े सारे हैं,
भगवान एक हो गए।
इंसान एक हो गए।
एक राह चल पड़े,
विश्व एक हो गया।
मानवता की पुकार,
कर्म एक हो गया।
धर्म एक हो गया।
शत्रु खड़ा है सामने,
संसार एक हो गया।
पशु-पक्षी अचरज करें,
मानव कहां खो गया।
अदृश्य शत्रु सामने ,
जगत हारता दिखे।
प्रयास एक ही दिखे,
नरभक्षी से दूर ही रहें।
रक्तबीज सा शत्रु यह,
दूर इससे हम सब रहें।
क्षीण स्वयं होगा पापी,
अपनी ही मौत यह मरे।
डॉ सरला सिंह "स्निग्धा"
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--
दानव रक्तबीज फिर आया।
जग में पुनि आतंक मचाया। बनकर व्याधि नाम कोरोना ।
छीना जग से शांति बिछौना।
त्राहि-त्राहि करते नारी नर ।
कैद हो गए निज गृह अंदर ।
वर्जित है स्पर्श किसी का ।
मूल मंत्र है यही खुशी का ।
रूप अदृश्य धरे दानव का।
भक्षण करता नित मानव का। हाहाकार मचा है जग में।
काल खड़ा है जीवन मग में ।
छाई है कैसी लाचारी।
लाइलाज है यह बीमारी।
औषधि कोई काम न आये।
भारत को यह आँख दिखाए।
हे माँ धरती पर अब आओ। रक्तबीज को मार भगाओ।
कोरोना से मुक्त करो माँ।
जीवन में आनंद भरो माँ।
नाम-गीता गुप्ता 'मन'
पता-उन्नाव,उत्तरप्रदेश
मो0(आवश्यक नही)
काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता 19 मार्च 2020 के लिए मेरी रचना
आदरणीय अनिल गर्ग जी, अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल जी
{ रक्तबीज कोरोना }
जब से आया है कोरोना ,
तब से हो गया रोना ही रोना ।।
एक फायदा जो तूने किया ,
स्कूलों को बंद करवाया ।।
लेकिन दोस्तों का साथ छुड़वाया, जो मेरे मन को ना भाया ।।
लॉकडाउन के कारण प्रदूषण भी कम हो गया ,
पर्यावरण भी स्वच्छ हो गया ।।
रक्तबीज कोरोना तेरी वजह से, सब का जीवन दुर्लभ हो गया ।।
कोरोना तू जब से आया ,
पूरी पृथ्वी को हिला दिया ।।
कोरोना कितना भी मचाले आतंक,
एक दिन होगा तेरा अंत ।।
नाम = राधिका तिवारी
उम्र =15 वर्ष
कक्षा = १० वीं
खंडवा मध्य प्रदेश
आदरणीय,
श्री अनिल गर्ग जी,(कार्यक्रम-संरक्षक)
आदरणीया,
अरुणा अग्रवाल लोरमी जी,(कार्यक्रम-अध्यक्ष)
आदरणीया,
डॉ0मृदुला शुक्ला जी(कार्यक्रम-प्रेरक)
*रक्तबीज कोरोना*
है बढ़ रहा कोरोना रक्तबीज की तरह,
सबको डरा रहा है, बुरी चीज़ की तरह।
डरना नहीं है इससे मगर,सुन लो दोस्तों-
संयम-नियम को धारो, ताबीज़ की तरह।।
क़ुदरत के साथ धोखा करने का फल है ये,
गिरि-सिंधु-सर-अरण्य को ठगने का फल है ये।
क़ुदरत के ही तो ख़ौफ़ का,उछाल कोरोना-
है साज़िशे क़ुदरत कोई, नाचीज़ की तरह।।
यद्यपि चला ये चीन से,कुछ लोग कह रहे,
पहुँचा है देश पश्चिम,जहाँ लोग मर रहे।
भारत पे भी प्रभाव इसका,कम तो है नहीं-
लगता यही है दलदल, दैत्य कीच की तरह।।
दूरी बना के रहने में,सबकी ही ख़ैर है,
अपने घरों में रहना,करनी न सैर है।
थोड़े दिनों का कष्ट ये,इसे है झेलना-
संकट में धैर्य है दवा,मुफ़ीद की तरह।।
सर्दी-जुक़ाम-खाँसी-बुख़ार कोरोना,
स्पर्श-रक्तबीज इव पनपे है कोरोना।
बस स्वच्छता इलाज है,एकमात्र कोरोना-
बनना नहीं समूह,उत्सव-तीज की तरह।।
करुणा-दया दिखानी, है अब गरीब पे,
घड़ी मदद की उनकी,मिलती नसीब से।
मिलना मग़र जो उनसे, मुँह ढाँक के मिलो-
उपकार तो होता सदा,तहज़ीब की तरह।।
करना विनाश सबको, है रक्तबीज का,
है रोकना फैलाव इसी,रक्तबीज का।
होगा भला जगत का,बस कर विनाश इसका-
जीवन है भोज इसका इक,लजीज़ की तरह।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
आदरणीय अनिल गर्ग जी अध्यक्ष बहन अरुणा अग्रवाल जी प्रेरक बिटिया डा0 मृदुला शुक्ल एवम आप सभी को समर्पित
"हे प्रभु रक्षा कर विपदा से"
(वीर छंद)
रक्तबीज का हाहाकार, मचा हुआ है सकल विश्व में.,
किये जा रहे बहुत उपाय, किन्तु सफलता नाम मात्र है.,
जग चिन्तित अति दुःखी उदास,बारह बजे हैं हर चेहरे पर.,
सब मायूस हताश निराश,कैसे जीवन रक्षित होगा.,
रक्तबीज की सुन ललकार, थर थर कांप रही धरती है.,
घर में अपने सभी हैं वन्द,देख भयानक भयाक्रांत सब.,
तेजी से हो रही है खोज,किन्तु दवा का पता नहीं है.,
अपनी बाहों में कर भींच, मसल रहा है रक्तबीज अब.,
चरोंतरफ दिखत अँधियार,कामकाज सब बन्द पड़े हैं.,
विद्यालय औद्योगिक क्षेत्र, सबपर झूल रहे ताले हैं.,
अर्थ व्यवस्था चकनाचूर, मजदूरों की हालत नाजुक.,
नहीं दिख रहा कहीं प्रकाश, मातम-मेघ कर रहा गर्जन.,
चक्कर काट रही है बुद्धि,कैसे जीवन रहे सुरक्षित.,
अब आओ हे कृपा निधान, हे दयालु हे प्रभु दुर्गा बनकर.,
हे माँ काली परम कृपालु, रक्तबीज को नष्ट करो माँ.,
रक्तबीज का अत्याचार, रोको हे माँ दुर्ग कालिका.,
कर माँ पृथ्वी का उद्धार,जीवन दान प्राणियों को दे.,
खप्पर खड्ग लिये माँ आज,रक्तबीज-कोरोना वध कर.,
प्राणि मात्र को आशीर्वाद, दे माँ महा शक्ति कालिका.,
दौड़ी आओ माँ अविलंब, चीख रहे सब तेरे शिशु ये.,
सुन माँ इनकी करुण पुकार, हे दयावती करुणाकर माँ.,
अपने शिशु के आँसू देख, द्रवीभूत हो हे जग जननी.,
महा कालिका जग विख्यात, परम रक्षिका मातृ कालिके.,
सिर्फ आप पर है विश्वास, तुझसे होगा जगत सुरक्षित.,
हाथ जोड़कर वन्दन तोर, करते हम हैं हे माँ अति प्रिय।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
है परिणाम अघोषित पल पल,
जीवन की दुश्वारी है।
कोरोना है रक्तबीज सा,मानव का संहारी है।
सिसक उठी मानवता जग में
धुंध गमों की छाई है।
जीवन हुआ ससंकित मानव
देख डरा परछाई है।
अखिल विश्व वेचैन, विकल है
व्याकुल हर नर- नारी है।
कोरोना है रक्तबीज सा,मानव का संहारी है।
बड़े बड़े,भूपतियो का
सिंहासन पूरा डोला है।
मानो महादेव ने अपना,
नयन तीसरा खोला है।
हारा जग विज्ञान सकल है,
हारी दुनिया सारी है।
कोरोना है रक्तबीज सा, मानव का संहारी है।
बाहर काल खड़ा मुंह बाये,
जीवन घर में बंद हो गया।
मौत जिन्दगी का ये कैसा,
आपस में अनुबंध हो गया।
वसुधा ये वीरान हो गई,
मंजर विस्मयकारी है।
कोरोना है रक्तबीज सा मानव का संहारी है।
चंद घड़ी है हवा विशैली,
गहन निशा का है अंधियारा।
आशा के मन दीप जलाओ,
पुलकित फिर होगा जग सारा।
मानवता की कठिन परीक्षा
नवयुग की तैयारी है।
कोरोना यह रक्तबीज सा मानव का संहारी है।
सीमा शुक्ला
अयोध्या
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज है बना कोरोना |
साफ रखो अब कोना कोना ||
रहें कहीं ना एक भी बीज |
मान लो सब यही एक सीख ||
बढ़ता गया अगर रक्तबीज कोरोना |
पड़ेगा तुम्हें जीवन को ख़ोना ||
रखनी पड़ेगी हमें आपस में दूरी |
नहीं करेगें रक्तबीज की इच्छा पूरी ||
कृपया करके सब ध्यान धरोना |
साफ रखो अब कोना कोना ||
ये युद्ध है युद्ध निती समझोना |
नहीं अगर इस जीवन को ख़ोना ||
इस देश की सब मिसाल बनोना |
हरादो इसको भगादो रक्तबीज कोरोना ||
धर्म अधर्म यह नहीं समझता |
जिसे भी होता वही तड़पता ||
मत लड़ो आपस में तुम |
हो जाओगे तुम कहीं गुम ||
इस युद्ध में रखनी है शान्ती |
नहीं चलेगी कोई अशान्ति ||
रक्तबीज की एक ही जाती |
इसको खाली मृत्यु भाती ||
एक जरुरी काम करोना |
अपने अपने घरों में रहोना ||
हम सब है इस देश की सेना |
हारेगा ये रक्तबीज कोरोना ||
मज़बूरों की मदद करोना |
आस पास कोई भूखा रहेना ||
इस भागमभाग में थोड़ा तो तुम रूकोना
हरादो इसको भगा दो रक्तबीज कोरोना
नाम- ममता बारोट
पता - गुजरात, गांधीनगर, सेक्टर 6/ए, 472/1,
पिन. -382006
मो. 7434830656
*रक्तबीज कोराना प्रतियोगिता* हेतु स्वरचित और मौलिक *आल्हा छंद* आधारित रचना।
*शीर्षक - रक्त बीज कोरोना*
रक्तबीज कोरोना आगे, मानवता लगती लाचार।
लोग साँस राहत की लेंगे, होगा इसका जब संहार।।
काट नहीं निकला है इसका, बड़ा घाघ यह यारो रोग।
जब से आया है दुनिया में, डरकर जीते हैं सब लोग।
कोरोना से बचना है तो, घर में रहना यारो ठीक।
मास्क लगाये अगर रहोगे, आयेगा ना ये नजदीक।।
दूर खड़े होकर बतियाना, अगर किसी से करनी बात।
याद रखो पहुँचा सकता है, कोरोना कोविड आघात।।
सही कदम है तालाबंदी, सब शासन को दो सहयोग।
जनसमूह से दूर रहें तो, फैल नहीं पायेगा रोग।।
रक्तबीज कोराना हारे, अपनाएँ वे सभी उपाय।
इस संक्रामक बीमारी का, बंद हमें करना अध्याय।।
देवदूत सम नर्स चिकित्सक, पुलिस हमारे हैं जब संग।
जीत एक दिन हम जायेंगे, दुष्ट महामारी से जंग।।
डर के जीने से उत्तम है, चलो करें इसका प्रतिकार।।
मन में दृढ़ विश्वास हमारे, कोरोना जायेगा हार।।
*श्लेष चन्द्राकर*,
पता:- खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.- 27,
महासमुन्द (छग493445,
मो.नं. 9926744445
रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
ये कोरोना संसार में,
फैला है चहुॅ ओर ।
अफरा-तफरी है मची,
कहीं- कहीं घनघोर।।
कहीं- कहीं घनघोर,
बंद सब आवाजाही ।
लाॅकडाउन,कर्फ्यू ते,
यारो बची तवाही ।।
सरकार दे रही राहत,
न कोई रोना-धोना।
'विवेकनिधि भगाओ,
ये"रक्तबीज कोरोना"।।
************************
अरुणा अग्रवाल जी लोरमी,
संरक्षक अनिल गर्ग जीआप।
प्रेरक डॉ- मृदुला शुक्ल जी,
दूर करो संताप ।।
दूर करो संताप फैली,
विश्व व्यापी महामारी ।
"रक्तबीज कोरोना"
कोविड-9 विपदा है भारी।।
काव्य रचे प्रेरक'विवेकनिधि'-
बचें सब बाल-बाल जी।
अथ्यक्षता कर रहीं लो नमन,
अरुणा अग्रवाल जी ।।
*****************
डॉ- कृष्णावतार उमराव
'विवेकनिधि'
निदेशक- कलांजलि
विवेक निधि निलयम्
सैनानी आर-बी-सिंह मार्ग सारंगविहार बालाजी पुरम
नेशनल हाईवे एन-एच-2मथुरा
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- अतुकांत छंद
"रक्तबीज कोरोना"
प्राचीन काल की बात पुरानी
रक्तबीज की है ये कहानी
परम् प्रतापी, शक्तिशाली
असुर हुआ बड़ा बलवानी
उसने तांडव घोर मचाया
तीनों लोकों मैं वो छाया
त्राहि-त्राहि कर सब जन हारे
संकट मैं माता को पुकारे
प्रकट हुई तब जग जगदम्बा
रणचंडी तब बनी माँ अम्बा
रक्तबीज को जा ललकारा
मान-मर्दन मैं करूँ तुम्हारा
असुर क्रूर तू बड़ा आततायी
जनता तुझसे भई दुखियारी
सिंह सवारी कर जगदम्बा
बनी रणचंडी न किया विलम्बा
अट्टहास करते दानव को
चन्द्रहास से काट मुंड को
पृथ्वी को संकट से बचाया
माता का कर्तव्य निभाया
जो भी अन्तः मन से ध्यावे
करे भवानी सबकी रक्षा
वर्तमान मैं फिर वो कहानी
दोहराई जा रही पुरानी
रक्तबीज कोरोना बन जन्मा
उसका नहीं तोड़ वो अजन्मा
जहाँ तमस गुण मिलता उसको
वहीं पकड़ मृत्यु दे जन को
उसने चहुँ दिश आतंक मचाया
सम्पूर्ण विश्व ही चपेट मैं आया
भय से हुई आक्रांत जब जनता
अपनाया लॉक डाउन का रस्ता
डॉक्टर, शिक्षक, पुलिस, प्रशासन
सब मिल करें कोरोना का भंजन
आओ सब मिल इसे हरायें
भारत देश से दूर भगायें
डरें नहीं अपनायें नियम
संस्कृति का करें वरण हम
भारत को विश्व गुरु बनायें
कोरोना से जग मुक्त करायें।
✍️✍️ डॉ. निर्मला शर्मा
जैसवाल कोठी के पीछे, पी. जी. कॉलेज
के पास, आगरा रोड दौसा(राजस्थान)
पिन कोड-303303
मो. न.- 9414359857
**काव्य रंगोली रक्तबीज करोना ऑनलाइन प्रतियोगिता__
मेरी रचना__
आदरणीय अनिल गर्ग, अध्यक्ष अरुण अग्रवाल जी, रक्तबीज करोना एवं कार्यक्रम अध्यक्ष जी, आदरणीय को समर्पित,
प्रस्तुतीकरण__
रक्तबीज करोना तू सरकारी हो गई
मेरे जख्मों की तू खरीदारी हो गई
रक्तबीज करोना तू बवाल हो गई
क्रोध से इतनी क्यू लाल हो
कैसी यह मनहूस साल हो गई
विकराल यह लीला कमाल हो गई
तेरी असर आप दुनियादारी हो गई
तू कैसी अबला बेचारी हो गई
पहले तू किसी और मुल्क कि थी
अब तू हमारी हो गई
क्या वास्ता है? इन लोगों से
जो घर-घर घूम रही हो आजकल
लगता है रक्तबीज करोना तू अब
संस्कारी हो गई
आंखों की बेबसी नम हो गई
रक्तबीज करोना यह तेरी कैसी करम हो गई
गली-गली छुपता रहा मैं
ना जाने आजकल तेरी कैसी धर्म हो गई
तेरे डर से आज का इंसान
पता नहीं क्यू इंसानियत भी इसकी नरम हो गई
चाहतों की दुनिया में
तू कैसी झूठी सनम हो गई
कुछ तो दया करो अब मुझपे
रक्तबीज करोना तू अब कैसी बेशर्म हो
✍️ दीपक कुमार "पंकज"
मुजफ्फरपुर (बिहार)
मोबाइल नं 8084491137
पिन कोड_843105
रक्तबीज कोरोना देखो, चला बांटने हिंदुस्तान। बिल्ली जानो इसको भैया, बंदर हिंदू मुसलमान।। एक समय जब देश दासता की बेड़ी में जकड़ा था, हिंदू मुस्लिम ने परस्पर ,हाथ कस के पकड़ा था। आज दोनों ही देश भूलकर ,सुनते मजहब का फरमान ।। रक्तबीज कोरोना देखो............... हिंदू मुस्लिम दोनों मानव, मानवता को खो देंगे। मजहब से गर फैली हिंसा, एक दूजे को रो लेंगे ।पंथनिरपेक्ष देश को पहले, और पीछे मजहब पहचान। रक्तबीज कोरोना देखो........... वह देश बड़ा है जिसने किया, सारे धर्मों का सम्मान ।यह देश बना है हम तुम सब से, हम तुम ही हैं इसकी शान। मां को जन्नत कहने वालों, भारत मां का रखना ध्यान।। रक्तबीज कोरोना देखो................ दयाराम सैनी कामां 8290546950
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीय डॉ मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी रचना----
शीर्षक:-हाँ मैं रक्तबीज कोरोना हूँ
हाँ, मैं रक्तबीज कोरोना हूँ,
मानव को मानवता सिखलाने,
प्रकृति की अहमियत बतलाने,
अदृश्य रूप में आया जग में,
फिर धरतीवासी को समझाने।
हाँ ,मैं रक्तबीज कोरोना हूँ,
जंगल,जल,हवा को शुद्ध बनाने,
पशु,पक्षी और जंतु को बचाने,
आया महामारी बन सामने,
कैदी जीवन का रूप दिखाने।
हाँ, मैं रक्तबीज कोरोना हूँ,
नही मानता कोई जाति-धर्म,
लाया गया मैं बुहान बहाने,
मानव ज़रा थम कर करो विचार,
आया हूँ मैं मार्ग दिखलाने,
हाँ ,मैं रक्तबीज कोरोना हूँ।
प्रस्तुति:रंजना सिंह
पता; बेगूसराय, बिहार
फोन no:9570182068
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरनीय डॉ मृदला जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम् कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम् आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति: रक्तबीज सा है ये दानव
मचा रहा दुनिया में तांडव
बूँदें इसकी जहां पे गिरती
मरा नहीं ये वहाँ पे करती
पैदा करती कोरोना नव।
रक्तबीज सा------'----
माँ इस धरती पर आ जाओ
काली का तुम रूप बनाओ
त्राहि -त्राहि करता है मानव।
रक्तबीज सा----------
माँ तुम्हारी हम सन्तान
मार गिराओ ये शैतान
पार लगाओ हमको भव ।
रक्तबीज सा-------------
रजनी राय
कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल लोरमी जी को सादर नमन
प्रतियोगिता हेतु रचना प्रस्तुत है:-
दिनांक:-19-04-202
विषय:- रक्तबीज कोरोना
शीर्षक:-होंगे कामयाब
समस्या है अथाह,
लो न दारूण आह।
तम चीर लेंगे हम,
होंगे कामयाब हम।
रक्तबीज कोरोना प्रवाह,
कर रहा सबको तबाह,
हम लड़ेंगे होकर एकजुट
कभी न बोलेंगे झूठ।
करता है विश्वास मन,
होंगे कामयाब हम।
ध्यान न है देना,
हमें अफवाह पर
सुरक्षित है रहना,
हमें घर पर
आएगा शुभ कल,
होंगे कामयाब हम।
हंसी गूंजेगी उपवन,
स्वर्णिम होगा चितवन,
बहारें आएंगी द्वार,
धाम होंगे हरिद्वार।
विश्वास पट खोले हम,
होंगे कामयाब हम।
धैर्य की बहाएंगे गंगा,
शांति करेंगी मन चंगा,
करेंगे ईश अर्चना,
सुनेंगे हमारे याचना।
बनेंगे नायाब हम,
होंगे कामयाब हम।
रीतु प्रज्ञा
करजापट्टी, दरभंगा, बिहार
*काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020*
===================
*कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी,अध्यक्ष् परम् श्रध्देय अरुणा अग्रवाल जी एवं सम्मानीय मृदुला शुक्ला जी आप सबको मेरा सादर नमन्*वर्तमान में जो महामारी फैली है उस पर मेरी एक रचना सादर प्रस्तुत है*---
काव्य रचना
अगर ये काली रात है तो ये रात कटनी चाहिए।
प्रकाश के पुंज सी ये मशाल जलनी चाहिए।।
नफरतों को मिटाने का अहसास रखना जीवन में।
सबके दिलों से प्यार की गंगा निकलनी चाहिए।।
झूंट की मंजिल आसान भले ही हो लेकिन।
कितनी भी कठिन राह सच्ची राह चलनी चाहिए।
मुंह पर मास्क लगाएं गर बचना है महामारी से। इससे बचने को दुनिया नहीं बाहर निकलनी चाहिए।
बंद हैं मंदिर मस्जिद बंद हैं गिरिजा गुरुद्वारा रे।
मन मंदिर से पूजा करने की रीत निकलनी चाहिए।
नेकी और बदी में फर्क है बस इतना सा ज्ञानेश।
सबके दिलों में प्यार की लौ मचलनी चाहिए।
रचनाकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश"
राजस्व एवं कर निरीक्षक
किरतपुर (बिजनौर)
सम्पर्क सूत्र 9719677533
: काव्य रंगोली कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता -2020
प्रतियोगिता प्रेरक-
आदरणीय मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक-
आदरणीय अनिल गर्ग जी
एवं कार्यक्रम अध्यक्ष-
आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आपके अवलोकनार्थ मेरी रचना...
आज रक्तबीज कोरोना लेकर विकराल रूप देश में समाया,
धरती पर आए दानव दल सम महामारी का काला परचम लहराया||
जन दल की कुछ त्रुटियों से मानव का दम निकल आया,
जब संस्कृति को भूलकर हमने पाश्चात्य को अपनाया||
जो काम कभी रोजाना करते थे हम उनको हमने बिसराया
देसी खानपान को भूलकर, पाश्चात्य भोज हमें भाया||
आज रक्तबीज कोरोना लेकर विकराल रुप देश में समाया|
यदि इस कोरोना से मुक्ति पानी है अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ानी है, तो प्रतिदिन व्यायाम करो||
प्रति घंटे साबुन से हाथों को धोना जरूरी है
पीएम मोदी का कहना है आरोग्य ऐप को मोबाइल में संचालित करना है||
रक्तबीज कारोना से लड़ना है तो लॉक डाउन जरूरी है|
आजमाए पुरातन संस्कारों को, हाथ मिलाना छोड़ कर आज अभिवादन वाली रीति को अपनाना||
यदि इस कोरोना से मुक्ति पानी है तो एक नियम का नित्य प्रति पालन करो,
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करो|वादा करो स्वनिज से,
घर में रहो सुरक्षित रहो||
आज रक्तबीज कोरोना लेकर विकराल रूप देश में समाया||
- कीर्ति बजाज
- टोंक , राजस्थान
लोक गीत करों ना खड़ा बाहर
करो ना खड़ा बाहर दरवाजे मत जइयो
है यदि मित्र बहार हाथ कभी न मिलईयो।।
देश आज संकट में आया
जबसे करो ना देश मे आया
करना है हमे इसका सफाया
बस घर पर ही तो है रहना।
ले लो अब सोगन्ध बाहर न जइयो।।1।।
करों ना ,,,,,,,,,,
हाथ जोड़ करे सबसे विनती
हमारे देश का प्रधानमंत्री
देश की जनता जिसकी सुनती
तुम भी उनकी बातें न अब भुलई यो।। 2।।
घर मे ही तुम चिंतन करलो
ऊर्जा उर में अब तुमभरलो
यह है संकट बड़ा महान
चुप रहकर ही इससे लडलो
सजग सदा रहना नसमझो भूल भुलैया।
एजी करों ना खड़ा ,,,,,,, 3।।
दूरी से अब दूरी बनाओ
तुम अपना फर्ज निभाओ
सच्चा देश प्रेम यही होगा
सबको यही नियम बताओ
अब दूर से भी सबको यही बतइयो।। 4।।
सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी
गदरपुर ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
रक्तबीज कोरौना अब कैसे हो नौ दो ग्यारा ।
चोर चोर मौसेरे भाई सबने किया किनारा ।।
रक्तबीज कोरोना से ना रहना आँखें मीचे ।
पछितावोगे जब पाओगे ऊँट पहाड़ के नीचे ।।
रक्तबीज कोरौना पर क्योँ करते हो अफ़सोस ।
नौ दिन चलने का फल केवल मिले अंढ़ाईं कोस।।
रक्तबीज कोरौना को ना समझो ककड़ी खीरा ।
जितने भी इस पर प्रयोग सब ऊँटके मुँहमें जीरा ।।
रक्तबीज कोरौना से अब सबने ही मुँह फेरा ।
गली गली में शोर नाच न आवे आंगन टेढ़ा ।।
नाम - कवि राहुल सोनी
पता - फतेहपुर
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता--रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज कोरोना तुम्हारी लीला अपरम्पार,
हाहाकार मचाया तुमने किया बहुत उत्पात ।
महिमा तुम्हारी इतनी निराली,
बिन मौसम मनवा दी दिवाली ।
त्राहि-त्राहि कर रही जनता आज,
लेखनी लेकर बैठे दिग्गज कविराज ।
बहुत हो चुकी आंख मिचौली,
धरती मां अब खोलो झोली ।
विनती यही हमारी है,
रक्षा करना तुम्हारी जिम्मेदारी है ।
दानव कोरोना का नाश करो,
धरा पर सुख शांति का राज करो ।
सुधारानी शर्मा
पीडब्ल्यूडी कॉलोनी मुंगेली छत्तीसगढ
मोबाइल नं- 9993853358
[4/19, 8:33 PM] +91 74888 86553: रक्तबीज कोरोना से ,
संभाल जाएं, तो हम बचेंगे!
दरद भरी जख्मों से,
ऊबर जाएं, तो हम मिलेंगे !
कुदरत के इस कहर को भी,
पनाह भी हमनें ही दिया,
इंसानियत का गला घोटकर
गुनाह भी हमनें ही किया!
हमें लगता था हमारे जैसे कोई न होंगे,
कुदरत के लहर आगे हम कैसे टिकेंगे,
रक्तबीज कोरोना से ,
संभल जाएं, तो हम बचेंगे !!
रफ़्तार भरी तूफानों से,
न छिपेंगे तो, हम कहां उठेंगे,
है तेरे हाथ में ही,
तुम्ही सोचों जरा सा,
कि हम रहेंगे या मरेंगे !!
कदम अगर थमा नहीं, तो सब कैसे बचेंगे,
रक्तबीज कोरोना से,
कि संभव जाएं, तो हम बचेंगेll
Rishav Sinha, मुजफ्फरपुर
काव्य रंगाेली *रक्तबीज काेराेना* अॉनलाईन प्रतियाेगिता २०२०
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ मृदुलाजी शुक्ल संरक्षक दादा अनिलजी गर्ग एंव कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणाजी अग्रवाल काे समर्पित एंवम आप सभी के अवलाेकनार्थ मेरी प्रस्तुती..
स्वरचित
कहाँ ले आया रक्तबीज कोरोना! स्वयं टहल रहा, मानव की सासों में
हे आवाजाही के अवरोधक,
कहाँ ले गया रौनक़ बाज़ारों में ।
हम कभी जगत् गुरु थे,आज लक्ष्मी का वाहक बना गया,
धकेल दिया पीछे,हर देश खण्ड खण्ड है ,
काम काज ठप है,धनाढ्य हिल गया,
रक्तबीज तू टहल रहा,सभी को घर भेज दिया।
जिरह बख्तर पहनकर रक्तबीज कोरोना,
फैला रहा चारों और सन्नाटा,
फासले बढ़ा रहा,
हर रोज बढ़ रही मौतें,
दवा विज्ञान कहां से खोजे।
हर दिशा में दुख के काफिले नहीं थम रहा रोना,
कहां ले आया रक्तबीज कोरोना।
रक्तबीज यह मास्क पहन खोज रहा अब बारी है ,
कैसी है लाचारी कैसी यह महामारी है,
महा संक्रमण यह कोरोना सब पर भारी है,
महा प्रलय की वेला ,महायुद्ध कर अब हमारी बारी है।
कहां ले आया रक्तबीज कोरोना!
नहीं देखे जाते अब खौफनाक मंजर यह तबाही के,
यह फैला जहर, बरपा कहर, भूमि बनी शमशान है।
मालिक क्यों नहीं सुनता चीख़ें लाचारों की,
क्या इतनी नश्वर है दुनिया इंसानों की।
कोरोना रक्तबीज का यह भयावह भेष, फैलाए बांहें पसारे हजारों पैर,
हर राह खोज रहा मंजिल बस एक,
संघातक हमले उसके जारी,
कहां से ले आया यह महामारी।
कहां से आया धरती पर यह दानव,
रक्त के बीज गिराए, अनगिनत ताबूत कहां से लाएं,
महामारी का यह काला परचम,
संदिग्ध है ,संगीन है यह वातावरण ,
घूम रहा यह दानव ,बचने की संभावनाएँ क्षीण है।
सांसें इस कोरोना रक्त बीज को भेंट ना चढ़ जाएँ, प्राकृतिक भारत की ओर, आ अब लौट जाएं,
सात्विक अन्न, सात्विक विचार, ना अब और विषपान।
हर बच्चा कोई कविता, कोई संस्मरण सुने,
अनावश्यक मनोरंजन है, जीवन का अपमान।
आपातकाल के अंधकार को लाया असुर कोरोना, कालजयी दानदाताओं ने खोली मुट्ठी ,
ईश्वरीय शक्ति के प्राकट्य को प्रस्तुत किया,
हुआ आस्था का संचार, स्वयं के भीतर कृष्ण को जागृत किया।
तुलसीदास कह गए से, 'परहित सरिस धर्म नहीं भाई '
तन से ,मनोयोग से ,दान देना परोपकार से ,
घर में रहना, बिना अस्त्र लड़ना ,इस महाप्रलय से
घूमता रहे "रक्तबीज कोरोना", लड़ता रहे अकेले हवाओं से ,
दफन हो जाएगा एक दिन वही ,उपजा यह जहां कहीं से।।
नाम -लीना ज्ञानवानी
शहर -इंदौर ,मध्य प्रदेश
एम ए हिंदी साहित्य
यूजीसी नेट (हिंदी साहित्य) उत्तीर्ण।।
*प्रतियोगिता हेतु रचना.....*
----- *रक्तबीज कोरोना* -----
दुनिया में आया भारी विपदा,
कहलाया रक्तबीज कोरोना।
सुनी पड़ी है गली-मोहल्ले,
आये भारी इस विपदा से।
शहर और गाँव में घुस गया,
ढाने कहर रक्तबीज कोरोना।
चलो करें आज इस पे चड़ाई,
करें रक्तबीज कोरोना से लड़ाई
स्वच्छ रखो अपने आप को,
दूर भगाओ रक्तबीज कोरोना को।
*परमानंद निषाद निठोरा*
रचनाकार का नाम- अभय चौरे
पिता- श्री राधेश्याम जी चौरे
स्थान- हरदा मध्यप्रदेश
सम्पर्क- 9926273305
कविता का शीर्षक-
🌹🌹रक्त बीज कोरोना🌹🌹
ये है रक्त बीज सा दानव
नाम है जिसका कोरोना
जग में हा-हा कार मचाया
छुटा ना कोई कोना।।
धरती पर तांडव है मचाया
माँ विनती हमारी सुनो ना
सामने जो आता मारा जाता
आप ही इसका अन्त करो ना।।
हर पल संख्या बढती जाती
रोके ये किसी से रुके ना
शुरवीर सारे इससे हैं हारे
अंत इसका किसी को सुझे ना।।
ज्ञान और विज्ञान है हारा
आप ही कुछ युक्ति करो ना
मानव फिरता मारा मारा
इसकी रक्षा आप करो ना।।
शरणागत है सृष्टि तिहारी
दया की दृष्टी करो ना
इस विपदा का नाश करके
सुख की वृष्टि करो ना।।
अभय चौरे हरदा
: काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
शीर्षक --रक्तबीज कोरोना
..................................
कुछ दिन केवल संयम से
घर में रहकर समय बिताएं,
पालन कर दिशा निर्देशों का
रक्तबीज कोरोना को भगाएं।
यह केवल सरकार की नहीं
हम सबकी जिम्मेदारी है,
जीवन के मूल्यों को समझे
जन जन की भागीदारी हैं।
करे नमस्ते हाथ जोड़कर
दूरी उचित बनाकर रख्खे,
बार बार हाथों को धोएं
मुंह में मास्क लगाकर रख्खे।
घबराना बिल्कुल भी नहीं है
हम सबको संयम रखना है,
बचाव के दिशा निर्देशों का
हम सबको पालन करना है।
सामाजिक दूरी व बचाव से
निश्चय ही कोरोना हारेगा,
अगर नहीं हम सब चेते तो
यह अगणित को मारेगा।
हम सब आज ये प्रण लेते हैं
मिलकर कोरोना को हरायेंगे,
स्व समाज और राष्ट्र हित में
हम अपना फर्ज निभायेंगे।।।
************************
शिवानंद चौबे
भदोही यूपी
मोबाइल नं- 979493602
*ना कोई इलाज, ना टीका ना इसकी कोई दवाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*काम कर रहे हैं घर का मालिक मालकिन*
*मुफ्त में पगार ले रही काम वाली बाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*काम धंधे का है मीटर डाउन,*
*फुल ड्यूटी है पाजामा और गाउन*
*अलमारी में बंद पड़े, हंस रहे पेंट शर्ट और टाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*रूक गये सारे सैर सपाटे, बंद हो गई सब विदेश यात्राएं*
*अब तो चारों धाम, घर की लुगाईं है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*बंद हो गए सारे होटल मयखाने, ना कहीं चाट ना कहीं मिठाई है*
*घर की दाल रोटी में रहो खुश, ये ही अब सबकी रसमलाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*हाथों को धोएं बार बार, मुंह पर लगाएं मास्क*
*घर मौहल्ला शहर रखें साफ़, इसमें सबकी भलाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*घर में रहें सुरक्षित और ऊपरवाले से करें ये प्रार्थना*
*क्योंकि जब जब मुसिबत आई हैं, उसने ही रहमत बरसाईं है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
राधेश्याम सोनी
(हरियाणा)
*रक्तबीज कोरोना का करो*
*संहार**
*हाहाकार मचा चहूं ओर*
*सकल जगतअवरुद्घ हुआ*
*जनचेतना भी हुई अचेतन*
*विकास का पहिया अवरुद्ध हुआ*
*बंदी हुए मानस गेह में*
*तब कलम लेखनी बद्ध हुआ**
*एक सूक्ष्मजीव पड़ा भारी*
*स्थूल जीव स्तब्ध हुआ*
*ज्ञान विज्ञान का था अभिमान*
*आज वह भी चकनाचूर हुआ*
*जिस तकनीकी का बड़ा दंभ था*
*वह नत सिर हो काफूर हुआ*
*हुआ धराशाई आडंबर*
*पाषाण जगत जीवंत हुआ*
*विकास से विनाश या सर्वनाश*
*संज्ञान हुआ जब सहसा अपनों* *से दूर हुआ*
*मन आकुल व्याकुल हुआ अपार*
*हे* **जग जननी हे ,जग माता*
*सुख समृद्धि ,वैभव की दाता*
*निर्जन हुआ जा रहा संसार*
*धरा पर ले कलयुग अवतार*
*तुम बिन नहीं जगत में सार*
**रक्तबीज कोरोना का करो संहार*
* *रक्तबीज कोरोना का करो सहार*
*स्मृति दुबे*
*व्याख्याता जीवविज्ञान*
*34 SBI कालोनी*
*शिव मंदिर के पास*
*सुंदर नगर रायपुर*
*मो *. न* .7225053343
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना अॉनलाइन काव्य प्रतियोगिता2020
-------------------------------------
कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय श्री अनिल गर्ग जी, अध्यक्ष श्रद्धेय अरुणा अग्रवाल जी,एवं कार्यक्रम प्रेरक सम्मानीया डॉ०मृदुला शुक्ला जी।आप सभी के अवलोकनार्थ प्रस्तुत
-----------कविता---------
काल की कलाकृति,
कोरोना का कहर कराल।
विश्व व्यथित,व्याकुल,
व्यक्ति व्यक्ति विरक्त व्याल।।
मान मन्त्र मन्त्रणा,
मकान में मानस मराल।
निर्धन,नि:सहाय निर्बल,
नीरज नैनन नीर निकाल।।
त्रिभुवन त्रिपुरारी त्रास,
त्राहि त्राण ते त्रिकाल।
राक्षस रूप रखके,
"रक्तबीज कोरोना"
जन जीवन जलाता,
ज्यों जहर ज्वाल।।
चपर चपर चाट,चट,
चण्डिका-चण्डी च चाल।
संकट से सुरक्षित स्वयं,
शाकुम्भरी"सागर"संभाल।।
रामानन्द "सागर"
दरियाबाद बाराबंकी
उत्तर प्रदेश
मो०नं०8887915857
काव्य रंगोली कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता -2020
प्रतियोगिता प्रेरक-
आदरणीय मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक-
आदरणीय अनिल गर्ग जी
एवं कार्यक्रम अध्यक्ष-
आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आपके अवलोकनार्थ मेरी रचना...
*रक्तबीज कोरोना*
क्षमा प्रार्थी हूँ मैं, किसी को
आहत करना मेरे संस्कार नहीं
पर जो गलत को गलत न कह सके
उसे स्वयं को साहित्यकार
कहने का अधिकार नहीं
क्या-क्या परहेज हैं इसके
ये तो सबको आत्मसात है
पर कुछेक की गलती से
देश के बिगड़े हालात हैं
चीन से चल था ये रक्तबीज कोरोना
लगा हमें अब तय है इसकी स्तिथि
का डांवाडोल होना
पर अब तो ये उनके आर्थिक विकास
का मंत्र सा लगता है
ये विषाणू विषाणू (वायरस)नहीं
षड्यंत्र सा लगता है।
अभी-अभी ये देश मेरा
गति पकड़ ही रहा था
'मेक इन इंडिया' की बातें
कर ही रहा था कि अचानक
कोरोना रक्तबीज आया
विषाणू के भेष में
असहाय ही था वो पर फैल गया
क्योंकि कुछ देशद्रोही, घुसपैठिये
छिपे थे अपने ही देश में
कुछ पैसे वालों की क्या बात करें
कि इनको किसी से सरोकार नहीं
लेके लौटे विदेशों से कोरोना
इन्हें देश से प्यार नहीं
यूँ तो इनके घर-बंगले, कार चमकते हैं
पर अब ये पढ़े-लिखे गंवार से लगते हैं।
देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है
पर कुछ को कोरोना वीर योद्धाओं को
अपमानित करना सूझ रहा है
माना कि गरिब दिहड़ियों के बिगड़े हालात है
पर कितनों की नौकरी पे आ बनी
ये भी सोचने की बात है
घर पे बैठे हैं, सब डर रहें हैं
कुछ जाहिलों का हर्जाना हम सब भर रहें हैं।
लोकृती गुप्ता
रांची (झारखण्ड)
रक्तबीज कोरोना🌹
नर्स, डॉक्टर सेवा करे
ले हथेली पर जान।
रक्तबीज कोरोना कराये
निष्ठा की पहचान।।
कर रही सुरक्षा पुलिस
ड्युटी अपनी मान।
जनता को भी चाहिए
करें उनका सम्मान।।
रेल विभाग और बैंक कर्मी
कर रहे जो अपना काम।
कठिनाई के इस दौर
में दिल से उन्हें सलाम।।
भूखों की क्षुधा तृप्त हुई
करें समाजसेवी दान।
उनके पुण्य से हो रहा
जन-जन का कल्यान।।
शासन प्रशासन के कार्यों का
नहीं चुका सकते दाम।
एकजुटता से मिट जायेगा
कोरोना का नाम।।
देख रहे न रात-दिन
न देखें सुबहो- शाम।।
मानवता की इस सेवा को
सीमा करे प्रणाम।।
डाॅ. सीमा श्रीवास्तव रायपुर
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक:- आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक -परमादरणीय दादा अनिल गर्ग जी
कार्यक्रम अध्यक्ष :-आदरणीया अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
कविता-- * रक्तबीज कोरोना*( कोरोना का कहर)
रक्तबीज कोरोना का है,कहर मचा हर गाँव-गली।
कहीं उगे हैं झाड़ कँटीले,और कहीं पर नागफ़नी।। (1)
चौपालों ने चुप्पी साधी,....सन्नाटा शहरों में है।
बौराएँ बाज़ार,दुकानें,..रौनक़ मग़र घरों में है।।(2)
मूक हुई सब महाशक्तियां, ख़ौफ़ज़दा है हर मानव।
सिहर उठा संसार,देख कर,सूक्ष्म विषाणु का ताण्डव।।(3)
क्षमता से अधिक दोहन हो क्यों,जब,दोनों हाथों लुटा रही।
सीमित रखो लालसाओं को,दाव प्रकृति लगा रही।
(4)
चक्रवात,भूकंप, सुनामी,दुर्भिक्ष और अकाल कभी,
कुदरत से खिलवाड़ हुआ तो,जीव सुरक्षित कभी नहीं।।(5)
उदासीन हैं,ईश्वर,अल्लाह,व्याकुल हैं वैज्ञानिक सब।
अनुसंधान हो रहे पल-पल,शून्य मिला परिणाम मगर ।।(6)
भीड़-भाड़ से रहना बच कर,मिलना जुलना बंद करें।
प्रतिरोधक क्षमता जो बढ़ाए, प्रतिदिन शाकाहार करें।।(7)
बरक़रार रखनी है दूरी,...सभा,गोठ या हो रैली।
महाविनाशक रक्तबीज की,.जड़ें रसातल तक फ़ैली।(8)
संयम और समझदारी से ,देशभक्ति का परिचय दें।
हवा नही अनुकूल 'नील' तो, क़दम घरों से क्यों निकलें।।(9)
नाम :- नीलम मुकेश वर्मा
पता:. झुंझुनू राजस्थान।
काव्य रंगोली कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता -2020
प्रतियोगिता प्रेरक-
आदरणीय मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक-
आदरणीय अनिल गर्ग जी
एवं कार्यक्रम अध्यक्ष-
आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आपके अवलोकनार्थ मेरी रचना...
*रक्तबीज कोरोना*
कुंडलियाँ छंद
कोरोना अति में हुआ,रक्तबीज का बाप।
महमारी का दौर है,स्वयं बचे जन आप।।
स्वयं बचे जन आप,थमा जन जीवन सारा।
कोरोना संताप,जगत फैला अँधियारा।
कह सरिता समझाय,सखे मति को मत खोना।
बंद हुआ है विश्व, भगा दो तुम कोरोना।।
सरिता सिंघई कोहिनूर
वारासिवनी जिला बालाघाट (म.प्र.) 9425822665
=============
बाहर मंडराता *रक्तबीज कोरोना* का खतरा दु:खद है ।
घर ही बना है अब आसारा सुखद है ।।
बच्चों की मुस्कान सा,मंदिर सा लगता है अब घर धाम ।
घर में प्यार-दुलार है, सबकी सहमति से होते हैं सारे काम ।।
घर बैठे हैं खाली,काम धन्धे का है मीटर डाउन।
फैशन छूमंतर हो गया, फुल ड्यूटी है पाजामा और गाउन ।।
बंद हो गये सारे होटल मयखाने, ना कहीं चाट,ना कहीं मिठाई।
सब रूक गये सारे सैर सपाटे, बंद हो गई रेल-यात्रा हवाई।।
घर की दाल रोटी में रहो खुश,ये ही सबकी रसमलाई ।
सब खामोश हैं ये कैसी *रक्तबीज कोरोना* बीमारी आई
ना कोई इलाज, ना टीका, ना इसकी कोई दवाई ।
*रक्तबीज कोरोना* की महामारी दुनिया में कैसी आई।।
हाथों को धोयें बार बार, मुँह पर मास्क लगाना है ।
घर पर सुरक्षित रहकर,सोशल डिसटेन्स से कोरोना को भगाना है
ना इलाज इस बीमारी ने सबको कर रखा है हैरान ।
*रक्तबीज कोरोना* का मचा हाहाकार पूरी दुनिया है परेशान ।
लाॅकडाउन में समझनी है जिदंगी तो पिछे देखो ।
जान है तो जहान है, जीनी है जिदंगी तो आगे देखो ।।
(रामचन्द्र स्वामी अध्यापक बीकानेर)मो-9414510329
विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस कोविड-19 विषय पर प्रेषित रचना शीर्षक *रक्तबीज कोराना*《●》
मुश्किलों से हार न मानो, कवच सुरक्षा पहचानों। घर से बाहर तुम न निकलो, अपनों की कुछ बात भी मानो।।
ये कोई नजर नहीं जो, यूँ ही तुमपर लग जाएगी।
किसी पीर की फूक लगी तो, पल में ही ये हट जाएगी।।
अगर हिफाजत चाह रहे तो,अपने घर को मंदिर मानो।मुश्किलों से हार न मानो, कवच सुरक्षा पहचानों।।
हर दफा हाथों को सैनिटाइजर से धोना, जिस से दूर रहे कारोना, गर्म पानी सेवन है करना , निश्चित दूरी अपनो से रखना।
रक्तबीज कोराना का कहर अब जाए , और यह संभव लॉकडाउन कहलाए । मुश्किलों से हार ना मानो, कवच सुरक्षा तुम पहचानो ।।
अपनों की कुछ बात तो मानो , अपनी सीमा रेखा को पहचानो । अपनो के संग मौज करो तुम , अपनो में ही सब संसार को जानो।।
बच्चों के संग बच्चे बन जाओ , बड़ों की कुछ सीख से तुम संयम , धैर्य प्रेम की जीवन गाथा गाओ। हालातों का यह सफर भी पल भर में कट जाए मानो , घर में रहकर ही देश के लिए तुम्हारा त्याग अमर हो जाए जानो 《●》
*वर्षा जैन*
*8224098148*
*खंडवा* *मध्यप्रदेश*🌞
काव्यरंगोली रक्तबीज कोरोना ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक आदरणीया डॉ0 मृदुला शुक्ल जी संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवम कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी ये कविता
कविता--रक्तबीज कोरोना
पड़ोसी चीन से उठा एक बवंडर, जिसने दुनिया को दहला दिया
इंग्लैंड से अमेरिका तक, सबका सिंहासन हिला दिया।
मद में मदान्ध राजवंशो को, अपनी भृकुटी का अहसास करा दिया।
अरे चाँद से मंगल तक फतेह का झंडा गाड़ने वाले मानवों....
एक रक्तबीज कोरोना ने मानवों के ही सीने चढ़कर, अपना परचम लहरा दिया।
तूफां तो बहुत देखे थे, पर सभी में कश्ती थी, किनारा था।
दरिया में डूबते हुये जहाजों के लिये, कहीं न कहीं सहारा था।
पर सूक्ष्म से एक जीव ने, दुनियां पर अपना कहरे अजाब ढा दिया।
और विज्ञान की ताकत पर फूल रहे मानव को, उसे, उसकी औकात में ला दिया।
आतंक का वो आलम, पूरब से पश्च्चिम तक, दर्द से कराह उठी दुनिया।
ख़ौफ़, का वो दहशती मातम की, त्राहिमाम बोल उठी दुनियां।
उत्तर से दक्षिण तक, आज हम डर औ दहशत के साये में हैं।
कोई बचाये, हाँ बचाये जग को,जो रक्तबीज कोरोना के साये में है।
अब मुश्किल की इस घड़ी में, सामाजिक दूरी ही हमे बचा सकती है।
न मिलाओ तुम हाँथ किसी से, अब नमस्ते की दवा ही काम आ सकती है।
वो हमीं हैं जो संसार को, वसुधैव कुटुम्बकम मान सकते हैं।
और वो भी हमीं हैं जो संकट की घड़ी में, दुनियां को कोरोना मर्दिनी, क्लोरोक्वीन बाँट सकते है।
आइये हम सब, मिलकर महामारी के मायाजाल को बिखेर दें।
आइये कुछ दिनों के लिये ही कोरोना योद्धाओं का साथ दें।
हमें विश्वास है की हम सब, इस लड़ाई को जीत सकते है।
क्योंकि गर्व है हमें की हम, दुनियां के सबसे खूबसूरत मुल्क हिंदुस्तान में रहते है।
कवि विकास दुबे
पता-उन्नाव उत्तर प्रदेश
मो-8574204372
काव्य रंगोली कोरोना ऑनलाइन प्रतियोगिता -2020
प्रतियोगिता प्रेरक-
आदरणीय मृदुला शुक्ल जी
संरक्षक-
आदरणीय अनिल गर्ग जी
एवं कार्यक्रम अध्यक्ष-
आदरणीय अरुणा अग्रवाल जी को समर्पित एवं आपके अवलोकनार्थ मेरी रचना...
*रक्तबीज कोरोना*:-
चीन के वुहान से आया कोरोना,
सारे विश्व में छाया है.
बड़े बड़े लोगों को इसने, अपना ग्रास बनाया है.
कोरोना के कहर से,
पूरा विश्व थर्राया है.
इसके रक्तबीज ने लाखों को,
मौत के घाट सुलाया है.
छूत का रक्त बीज कोरोना,
लॉकडाउन से मिट पायेगा.
दूरी बनाके रखेगा,
तभी मानव बच पायेगा.
गरीबों -मजलूमों को कोरोना ने,
बेघर-बेरोजगार बनाया है.
भूखा ना सोये कोई भी,
सरकार ने अभियान चलाया है.
कोरोना के आतंक ने,
मंदिर,मस्जिद,चर्च,
गुरुद्वारों,स्कूलो,
कार्यालयों,
पर ताला लगवाया है.
लाखो लोगों की नौकरी पर,
कोरोना -ग्रहण छाया है.
कोरोना से लड़ने को,
देश ने सेना एक बनाई है.
पोलीस,सफाई,स्वाथ्य कर्मीओ और डॉक्टर,
सबमिल,
हर मोर्चे पर कर रहे लड़ाई है.
दुश्मन चाहे कोई भी हो,
हम कभी नही घबराते है.
रक्तबीज कोरोना को मिटाने की,
सबमिल शपथ आज हम खाते है.
जीतेंगे हम,हारेगा कोरोना,
हम विश्वास यही जताते है.
हम है हिन्दुस्तानी,हम सदा,
विजय का परचम फहराते है.
स्वरचित,
अतिवीर जैन पराग
पूर्व उपनिदेशक,
रक्षा मंत्रालय,
बी -34-gf,सिल्वर सिटी,कंकर खेडा,
मेरठ
मोबाइल 9456966722
सम्मानीति समूह के समस्त सदस्य गण भाई अनिल गर्ग जी बहन डॉ0 मृदुला शुक्ल जी एवम आत्मीय भैया अवस्थी जी सहित समस्त समूह को मेरे ओर से अध्यक्षीय प्रस्तुति
*"कोरोना का कहर"*
जब जब मानव ने अति की है,
पर्यावरण ,प्रकृति क्षति की है,
प्रकृति कभी ना देती माफी।
इतना ही समझाना काफी।
बन्द कीजिये रोना धोना।
रक्तबीज बन गया कोरोना।
दुनिया इससे थर थर कापी।
इसके जनक चीन के पापी।
सारी दुनियापर संकट है,
यह तो विपदा बड़ी विकट है।
रहकर दूर हाथ को धोना।
रक्तबीज बन गया कोरोना।।
सब बेबस सबकी लाचारी।
राजा दिखते दीन भिखारी।
जिसकी अब तक नही दवाई।
ऐसी घोर समस्या आई।
ईश्वर की मर्जी जो होना।
रक्तबीज बन गया कोरोना।।
संस्कार के पाठ पढ़ाते,
रामायण से ज्ञान दिखाते।
टीवी पर भी चलती गाथा।
श्री कृष्ण की जय हो राधा।
नर्स पुलिस साहस न खोना।
रक्तबीज बन गया कोरोना।
सरकारी आदेश को माने,
अपने संस्कार पहचाने।
दूर रहे पर नेह बढ़ाये,
कोरोना को दूर भगाए।
खेले चिंटू गुड़िया मोना,
रक्तबीज बन गया कोरोना
अरुणा अग्रवाल लोरमी छग
मैं अरुणा अग्रवाल लोरमी छत्तीसगढ़ से अभिभूत हूं, निशब्द हूं, आप लोगों के द्वारा आज इस अखिल भारतीय काव्य सृजन प्रतियोगिता के अध्यक्ष का दायित्व मुझको सौंप करके निश्चित रूप से मुझे बड़भागी बना दिया है। पूरी काव्य रंगोली टीम ने ।।
प्रतिभागियों द्वारा बहुत ही सुंदर सुंदर संदेशपरक रचनाएं प्रस्तुत की गई हैं, मैं अध्यक्ष होने के नाते एक निवेदन करना चाहूंगी ,कि आप लोग किसी भी प्रतियोगिता किसी भी समूह में अगर प्रतिभा करते हैं तो उसके नियमों का पालन जरूर करें ,अगर कोई कठिनाई है, तो समूह के संचालक से आप संपर्क कर सकते हैं, कोई भी रचना पोस्ट करें तो या तो भली प्रकार से आप पहले ही जांच लें, न जाच सके तो किसी जानकर को भेज करके उसकी संस्तुति लेने के बाद में पोस्ट करें ।आप अगर बार-बार कोई रचना पोस्ट करते हैं और डिलीट करते हैं ,यह आपके आभामंडल को दर्शाती है और इसी से आपकी प्रोफाइल, व्यक्तित्व का सामने वाले को एहसास होता है भान होता है।
हमको इतना बड़ा सम्मानित पद देने के लिए संपूर्ण काव्य रंगोली टीम को बहुत-बहुत हृदय से साधुवाद, आप सभी को हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं ,एवं इस आज की इस विषयगत रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता के स्थगन की घोषणा करते हूं। जल्दी ही एक नए विषय एक नई प्रतियोगिता एक नए समारोह में फिर से आप सभी से भेंट होगी, तब तक के लिए जय हिंद, जय भारत ,जय हिंदी, जय हिंदुस्तान।।
धन्यवाद सभी को नमन सभी को प्रणाम ।
बहुत जल्दी ही निर्णायक मंडल से में आशा और निवेदन करती हूं इसमें वरीयता क्रम में सर्वश्रेष्ठ 10 रचनाकारों एवं चयनित सभी रचनाकारों को उनके सम्मान पत्र अवश्य उपलब्ध करा दिए जाएं ।
धन्यवाद
अगर जाने अनजाने में कोई त्रुटि हुई हो तो उसके लिए सब से विनम्रता से क्षमा प्रार्थी हूं
अरुणा अग्रवाल लोरमी छत्तीसगढ़