सुनो मोर भाई
एक नवीन अवधी कविता
रचना विशेष शर्मा
भई कस तरक्की सुनो मोर भाई
पावा का खोवा यू कैसे बताई।
भई कस तरक्की*..........
सदी बीस मा सच भई है तरक्की
चूल्हा चला गा गई घर से चक्की।
घर मा न सिलवट न सिलवट का बट्टा
पछुवा चली तौ चला गा दुपट्टा।
लकड़ी की ओखल न मूसल न गाली
काठे कठौता न फूले की थाली।
सडकै बनी गांव चहला चला गा
सिलैंडर मिला तौ अकहुला चला गा।
दुनियम कहूं आजु लढिया नही है
नहीं दूध साढी दुधढिया नहीं है
दुधढिया की खुरचन न माठा मलाई.....
भई कस तरक्की सुनो मोर भाई!
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कोदो मकाइक कहां भात पइहौ
लहड्डा औ भटवासु देखे न हुइहौ।
कहाँ आजु सिरका औ बेझरी के रोटी
बालै नहीं है तो फिर कइस चोटी।
बरगद नहीं ना तौ बुढवन का जमघट
कुआं ताल नद्दी न घट है न पनघट।
पतलून अचकन न बंडी लंगोटी
बाबा के साथै चली जाई धोती।
सेंदुर नही मांग मा बाल काटे
दादिउ का देखा कसी जींस डाटे।
नही जानि पइहौ बहन कौन भाई
भई कस तरक्की यू कैसे बताई*.......
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सुखउन गवा तौ चली गै चिरैया
प्रदूषण मा फंसिकै लुटी है गौरैया।
लरिकन कै बुदुका औ पाटी न पइहौ
मुडमिसनी खडिया के माटी न पइहौ।
कहूं आज पटुआ औ सनई नही है
पहिले सा दमदार मनई नही है।
बीते जो है वइ जमाना न पइहौ
केला के पत्ता पे खाना न पइहौ।
बरातन की गारी मा मिशरी की बानी
जेउनार मा महकै कुल्हड का पानी
ई मेल से अब है होती सगाई
भई कस तरक्की*.......
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छिपे आदमिन मा फरिश्ते चले गे
रूपया जो आवा तौ रिश्ते चले गे।
फुर्सत नहीं बात एकदम सही है
भोजन बहुत भूख बिल्कुल नहीं है।
होली मा आलू के ठप्पा नही है
पिता डेड हुइगे है बप्पा नही है
पढा लिखा मनई निकम्मा कहां है
महतारी ममी आजु अम्मा कहां है।
हलो हाय गुडबाय टाटा ही सी यू
नमस्ते प्रणाम जुडे हाथ अब क्यू।
छुई पांव कैसे हुवै जगहसाई
भई कस तरक्की सुनो मोर भाई
पावा का खोवा यू कैसे बताई
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विशेष शर्मा
सहायक अध्यापक
PS सिसौरा फूलबेहड खीरी
गंगोत्री नगर लखीमपुर
8887628508