श्रीमती रूपा व्यास
जन्म-5 जनवरी
शिक्षा-एम.ए(हिंदी साहित्य),बी.एड
विधा-कविता,गीत,लेख आदि।
प्रकाशन-राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं एवम् संकलनों में सहभागिता
सम्मान-"चंद्रदेव पुरस्कार"राजस्थान साहित्य अकादमी(राजस्थान),राज.स्तर.निबंध प्रतियोगिता में "प्रथम",भू. पू.उप राष्ट्रपति श्री भैरू सिंह शेखावत जी द्वारा,एवम् राज.स्तर. निबंध प्रतियोगिता में 25 प्रथम,15 द्वितीय एवम् 10 बार तृतीय स्थान प्राप्त।
सम्प्रति-शिक्षिका(सेंट पॉल सेकंडरी स्कूल,रावतभाटा)
संपर्क-व्यास जनरल स्टोर, दुकान न.7,न्यू मार्केट,रावतभाटा,जिला-चित्तोड़गढ़,323307(राजस्थान)
Email-rupa1988rbt@gmail.com
मोबाईल-9461287867,9829673998
कविता - 1
- समाज-
व्यक्ति -व्यक्ति से बनता परिवार,
परिवार से बना समाज का व्यवहार।
यहीं से सीखते हैं हम जात-पाँत,
नहीं है और किसी तीसरे का हाथ।
इसी समाज में हैं मंदिर-मज्जिद,
त्योहारों पर समाज होता सुसज्जित।
परिवार,समाज से बनी ये दुनिया,
मन एक-एक,जन का जब है मिला।
स्वस्थ समाज का स्वस्थ है मन,
देश हित समर्पित,तन,मन,धन।
चहूं ओर फैला आज भष्टाचार,
हिंसा ही हिंसा, नहीं ध्यानाचार।
देश का अन्नदाता,गरीबी से ग्रस्त,
दूसरा बस अपने में व्यस्त।
उन्नति को पा रहा तकनीकी ज्ञान,
ज़रूरी है संग-संग ,संस्कृति की शान।।
कविता - 2
समाचार पत्र
देते हैं हर क्षेत्र का ज्ञान
समाचार पत्र करते हैं
अपनी ओर आकृष्ट हमारा ध्यान।
जिससे मिलती है जानकारी हमें देश-विदेश की।
कर जातें हैं कभी हमारे विचार नकारात्मक,
तो पलड़ा भारी है विचारों का सकारात्मक।
मिलती है जिससे नैतिक शिक्षा
कई सीखों से प्राप्त होती है सुरक्षा।
कहीं पढ़ जाते हैं हम प्रेम कहानी, तो का
तो कई बातें हैं बहुत पुरानी।
चमत्कारी स्वरूप प्रगटा है फैशन,
नहीं है हमें किसी विषय की टेंशन।
मिल रहा है नित व्यवहारिक ज्ञान,
इसीलिये नहीं भटक रहा हमारा ध्यान।
इसमें छपती हैं कई प्रतियोगिताएँ,
और हम पा जाते कई योग्यताएँ।
विभिन्न परीक्षाओं के लिये है महत्वपूर्ण,
जानकारी-पुरस्कारों से हैं परिपूर्ण।
इसीलिये है ये ज्ञान वर्धक,हर बुरी बात के हैं
समाचार-पत्र विरोधक।।
कविता - 3
- आँसू-
जब-जब दो प्यार करने वाले छूटे,
तब मेरी आँख से आँसू टप-टप फूटे।
क्यों किसी को किसी से प्यार हो जाता है,
क्या कभी मिलकर बिछड़ जाए
इसीलिए उनका मिलन हो पाता है।
जब अलग होना ही उनका नसीब है,
फिर क्यों पलों के लिये वो करीब हैं।
रिश्ते क्यों मजबूरी बन जाते हैं?
क्यों प्यार करने की कमजोरी होते हैं?
अश्रुओं को दूसरों से छिपाएँ कैसे?
तुम्हारे बिन जीवन बिताएँ कैसे?
हे ईश्वर!तू ऐसा क्यों करता है?
पहले मिलाऐ फिर दूर रहने को भी कहता है।
आज जाना प्यार क्या होता है?
जब अन्य को बिछड़ते हुये देख
मेरा दिल रोता है।।
कविता - 4
- भष्टाचार-
आज हर क्षेत्र-स्थिति, परिस्थिति में भष्टाचार हो रहा है।
चलते-फिरते, उठते-बैठते,सोते-जागते,खाते-पीते,
बैठे ठाले अर्थात हर कोंण,आयाम-स्तिथि में भष्टाचार गाजर-घास की तरह फैल रहा है।
पल्लवित, पुष्पित भष्टाचार पर 'भष्टाचार पुराण' लिखा जा सकता है।
भष्टाचार का अर्थ आचरण से गिरा हुआ बताया जा सकता है।।
वहीं किसी अनुचित लाभ के लिए नियम विरुद्ध कार्य करना या कराना भी 'भष्टाचार' कहलाता है।
भष्टाचार से लोगों की सीरत हो जाती हो जाती कुरूप।
भष्टाचार का सामना करने के लिए पहले समाज के नियमों का पालन करने के लिए परिवार-विद्यालय में संस्कार दिये जाने चाहिए।
प्रशासन को स्वयं शुद्ध रहकर नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए।।
कविता - 5
- मज़दूरों का सम्मान -
एक मई अन्तर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस आता।
इस दिन को लेबर डे,मई दिवस,
श्रमिक व मज़दूर दिवस भी कहा जाता।
यह दिन श्रमिकों को समर्पित,
सभी को रूपा का श्रद्धा सुमन अर्पित।
मज़दूरों की उपलब्धियों को सलाम,
हम सब का स्वीकारें शुक्रिया कलाम।
मज़दूरों के सम्मान ,उनकी एकता और उनके हक के समर्थन में ,
आज का दिन व हर दिन उनके कर्तव्य पालन में।
इस दिन दुनिया में छुट्टी होती,
तथा रैली-सभाओं का आयोजन मज़दूर संघ करती।।