वंदना शर्मा (विंदू)
पति का नाम- रमेश चंद्र शर्मा
पिता स्वर्गीय श्री कैलाश नारायण जी रावत
मां श्रीमती सरोज देवी रावत
जन्म 8 अप्रैल
जिला देवास म . प्र.
प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओ का प्रकाशन व सम्मान नईदुनिया मि लेख पत्र व रचनाएं प्रकाशित
सम्मान ऑनलाइन कवि सम्मेलन मैं पुरस्कृत
ऑनलाइन श्लोक वाचन
हिंदी साहित्य लहर
अग्निशिखा मंच
काव्य धारा
साहित्य वसुधा
श्री नवमान साहित्य सम्मान
शुभ संकल्प आदि में सम्मान प्राप्त हुआ है
व्यवसाय हाउस वाइफ रचनाकार कवित्री
विचारधारा धार्मिक राष्ट्रवादी
स्थाई पता देवास जिला मध्य प्रदेश
52 सर्वोदय नगर देवास
फोन नंबर 744 1128 069
1 सरस्वती वंदना निमाड़ी हिंदी
सरस्वती वंदना
माडी़ म्हरी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे भगवती शारदे
माडी़ म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे सरस्वती शारदे
माडी़ थारे शीश मुकुट गल हार रे कानारा कुंडल शोभिते ।
माड़ी म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तारदे भगवती शारदे।
माड़ी म्हारी कर माला पुस्तक धारिणी भगवती शारदे।
माड़ी म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे सरस्वती शारदे
माडीं म्हरी वीणा वादिनी ज्ञान दायिनी
ज्ञान रि तू भंडार है माडी़ म्हारी सरस्वती
माड़ी म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे भगवती शारदे
तू ही कमला तू ही ब्रह्माणी तू ही बागेश्वरी शारदे
उमा रमा कल्याणी जगदंबा तू ही भवानी शारदे
माड़ी म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे भगवती शारदे
माड़ी म्हारी धवल वस्त्र धारणी हंस वाहिनी
माड़ी म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे भगवती शारदे
माडी़ म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे सरस्वती शारदे
माड़ी म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे भगवती शारदे
माड़ी म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे भगवती शारदे
माड़ी म्हारी भक्ति रो ज्ञान दे तार दे सरस्वती शारदे
वंदना शर्मा बिंदु
देवास
2मजदूर
हूं गुदड़ी को लाल
म्हारे आवे तामझाम नी
भोलो भालो आदमी हूं
बिल्कुल लाफाबाज नी...
दो आना की ताड़ी ली ने
दो आना का भूगड़ा
चारआना की दि्याड़की में
मिल गई माया राम की...
घर में जित्रा सभी कमा वें
कई बूढ़ा कई ज्वान(जवान)जी
रोज कमावाँ रोज उड़ा वाँ
कइ चिंता की बात नी..
वोइ खवाड़े वोइ पिरावे
भंडारा में जीमाए जी
रखवालो हे राम जी तो
कइ डरना की बात जी...
नित्य नई बन रई योजना
जय हो वे सरकार की
हूं मजदूर मजा से दूर
सुमिरू हरि को नाम जी..
हूं गुदड़ी को लाल
म्हारे आवे तामझाम नी
वंदना रमेश चंद्र शर्मा देवास
दोस्त
सखा हो कान्हा सा जिसका
सुदामा तर ही जाता है
फंसे मोंह जाल में हम तो
वह बाहर खींच लाता है
भटक जाए जो राहों में
तो वो रास्ता दिखाता है
रतन अनमोल वो साथी
ना कोई भाव करता है
जमाना हो अगर दुशमन
वो फिर भी साथ रहता है
जो संकट आए तो ऊपर
वो आ संबल बढ़ाता है
सभी रिश्तो से बढ़कर है
सखा की प्रीत का रिश्ता
टेर सुन दौड़ा आए वो
लुटाए जा सखा पे जो
सखा हो कान्हा जी जैसा
सुदामा तर ही जाता है
वंदना रमेश चंद्र शर्मा देवास
4 ।।भ्रूण हत्या।।
इतना बतलादो ना, मेरा कुसूर क्या है
इतना बतलादो ना, मेरा कुसूर क्या है
कहीं भूल हुई तुझसे, क्यू सजा मिली मुझको
कहीं लाल की चाहत में, आहत कर दी मुझको
मैं प्यार तेरा पाऊं, तेरी गोद में छुप जाऊं
ममता की छांव में, महफूज में हो जाऊं
क्यू अंक से नुचवाकर, कूड़े में डाल मां
क्या रूह नही कांपी, तू ऐसी क्यों है मां
क्या बलि चढ़ी मेरी, परिवार वाद में मां
तुझ पर दबाव होगा, तेरी एक चली ना मां
मैं बनकर के अंकुर, तेरे उदर में आई मां
दस्तक नन्हे हाथों से, तेरे द्वार पे दी है मां
इस धरती पर मुझको, आने तो दे ना जरा
बनके फुलवारी में, तेरा आंगन महकाऊ
तेरे बाग की चिड़िया बन, नीलगगन छू लूं
मैं कली हूं नन्ही सी, मुझे खिलने तो दो ना
तेरा मस्तक हो ऊंचा, कुछ ऐसा कर गुजरू
मुझे कोंख में ना मारो मुझे कोंख में ना मारो
यह पाप बड़ा भारी, हैं भ्रूण हत्या कारी
मेरी चीख घुटी अंदर, मै सिसक रही हूं ना
ग़र आज मिटाओगे, कल फिर पछताओगे
ये पाप बड़ा भारी, है भ्रूण हत्या कारी
इतना बतला दो ना मेरा कुसूर क्या है
इतना बतला दो ना मेरा कुसूर क्या है
वंदना रमेश चंद्र शर्मा
देवास जिला मध्य प्रदेश
5।।गांव की यादें।।
कई-कई बात बताऊं दादा
म्हारे आवे गांव की याद घणी
माई तो म्हारे बसी हिबड़े
दादा की नैनन छवि गढ़ी
भावाज बेहना की कमी खली
सखियन की आवे याद घणी
उठ भुनसारे माल में जाता
झूड़या आंबा इमली घणी
खाया जामन खूब करौंदा
ताजा नींबू नमक धरी
ताल तलैया नद्दी नाला
झिरी पोखरया खूब भरया
सखी सहेल्यां संग हिल मिल के
खेत खला में घुम्या घणा
झाड़ू वारा लिप्या पुत्या
घर आंगन लाग्या बड़ा भला
फेरया खापरा कंडा थाप्या
पनघट से पानी लाया
जद जइने चुलो बालियों ने
ज्वार मक्का का रोटा घड़ियां
लसुण की चटनी कांदो अथाणों
गुड़ की भेली साथ धरा
साग भाजी की कमी नी होवे
रुचि रुचि खांवा घड़ी घड़ी
बैलगाड़ी की करा सवारी
सांझा होली पांचा खेल्या
दादा संग चौपाल में घूमिया
वीरा संग कंचा खेल्या
कई-कई बात बताऊं दादा
म्हारे आवे गांव की याद घणी