रमेश कुमार सिंह "रुद्र"
पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।
पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक एवं इशान
जन्मतिथि- फरवरी 1985
मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत उच्च माध्यमिक विद्यालय रामगढ चेनारी रोहतास-821104 )
शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड.
साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।
सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी)
प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त।
प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई रोहतास सासाराम
समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम
राज्य- बिहार
पता -
पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती, जनपद-कैमूर पिन कोड-821105
मोबाइल - 9572289410 /9955999098/9473000080
मेल आई- rameshpunam76@gmail.com
rameshpoonam95@gmail.com
लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन।
प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित।
साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से।
प्राप्त सम्मान विवरण -:
भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से 80 सम्मान प्राप्त/चयनित।
रचनाएं-:
1-
सरस्वती माँ
वीणावादिनी ज्ञान दायिनी ज्ञानवान कर दे....
माँ रूपसौभग्यदायिनी नव रुप भर दे....
हंसवाहिनी श्वेतांबरी जग उज्ज्वल कर दे.....
वीणापाणिनि शब्ददायिनी शब्दों से भर दे....
ज्योतिर्मय जीवन
तरंगमय जीवन
सभी जन प्रकाशयुक्त
सभी जन ज्ञानयुक्त
अज्ञान निशा को
जीवों से दूर कर दे.....
सत्य पथ सत्यमय
वीणा के तारों से
विद्या-विनयमय
स्वरों की झंकारों से
सभी जीव-प्राणि को
सुखद पल भर दे.....
कमलासिनी कमलनयन से सभी को दृष्टि दे...
वाग्देवी माँ वागेश्वरी वाणी से सभी को वृष्टि दे.....
कमंडलधारिणी करकमलों से सभी को वृद्धि दे.....
बुद्धिदात्री ब्रम्भचारिणी सभी को सृष्टि दे.....
रमेश कुमार सिंह रुद्र
2-
माता माँ काली कहलाती,
करो माँ हम सबका उद्धार।
तेरे द्वारे हम आये हैं,
रुद्र करत है यही पुकार।-॥१॥
दरवाजे पर मेरे हो तुम,
कर दो मेरा बेड़ा पार।
धाम विनय लेकर आये है
रुद्र करत है यही पुकार।-॥२॥
माँ सुने है दुर्गा कहलाती,
माँ ही जीवन का आधार।
विग्न दूर करने आये हैं,
रुद्र करत है यही पुकार।-॥३॥
चरणों मे माथा टेके हैं,
कर दो नईया मेरा पार।
कष्ट निवारण हम आये है,
रुद्र करत है यही पुकार।-॥४॥
कष्टो मे हम सभी जीते है,
मिल गया कष्ट मुझे अपार।
निजात पाने हम आये है
रुद्र करत है यही पुकार।-॥५॥
रमेश कुमार सिंह रुद्र
3- कविता मेरी काव्य रंगोली।
विभिन्न रंगों की है ये टोली
इन्द्रधनुषी सुरत भोली
मौन रुप में दिखती हरदम
मन हृदय को करती चंचल
सत्य राह आनन्द की झोली।
कविता मेरी काव्य रंगोली।
रंग बिरंगे भाव पड़े हैं
सबके मन साथ खड़े हैं
सुख दुख में साथ निभाते
जिवनचर्या साथ बिताते
मिलती सबको मिठी बोली।
कविता मेरी काव्य रंगोली।
जीवन में खुशहाली लाती
रंगमय कर भाव दिखाती
लाल हरा बैगनी पीला है
सातरंगो से बना झीना है
पर्व त्योहार पर भरती रोरी।
कविता मेरी काव्य रंगोली।
सबके मन को बहलाये
थके हुए तन सहलाये
उदासियों के साथ निभाये
जीवन को सतरंगी बनाये
कभी कभी संग खेले होली।
कविता मेरी काव्य रंगोली।
नव वर्ष नव भाव लिए
नव रीति नव आस लिए
चलती है अविरल धारा
सब लोग लिए एक नारा
नव वर्ष मुबारक है होनी।
कविता मेरी काव्य रंगोली।
रमेश कुमार सिंह रुद्र
4-
माँ मुझे दो आर्शीवाद
माँ मुझे दो आर्शीवाद !!
ममता बिन कैसे रह पांऊगी।
बचपन तेरी गोद बिताया,
कैसे वहाँ हँस पांऊगी।
आँगन की एक फूल हूँ ,
खिलकर मुस्कुराऊंगी।
कदम चुमने तेरा ही मैं,
पुन: लौट कर आऊंगी।
आंचल की बगिया मैं तेरे,
पुन: चहकने आऊंगी।
सुमन लता चमेली बनकर,
सुगन्ध मैं फैलाऊंगी।
माँ मुझे दो आर्शीवाद !!
ममता बिन कैसे रह पांऊगी।
मैं हूँ तेरी नन्ही चिड़िया ,
कभी उड़कर आऊंगी।
पंख को तूने ही सहलाया,
इसके सहारे आऊंगी।
तेरे सिखाए हुनर को मैं,
जाकर वहां दिखाऊंगी।
दुख आये या सुख आये,
सहर्ष पार कर जाऊंगी।
तेरे ही आर्शीवचनो से,
कठिन डगर चल पाऊंगी।
रमेश कुमार सिंह रुद्र
5-दीपक
दीपक की रोशनी को इतना बढ़ाएँ
कि सबके हृदय में फूल खिल जाय।
दीपावली पर दीप इतना जलाएँ,
कि सबके यहाँ प्रकाश फैल जाय।
उदासी की दुनिया में खुशियाँ मनाएँ,
कि चारो तरफ खुशनुमा पल हो जाय।
अपने मन से ईर्ष्या, कलह, द्वेष हटा दें,
हृदय में स्वच्छता का वास हो जाय।
स्नेह का दिया इतना जलाएँ,
स्वार्थ का पर्दा आँखो से हट जाय।
इस पर्व पर ऐसा माहौल बनाएँ,
सबके अन्दर मधुर भाव आ जाय।