प्रदीप बहराइची

वीरों की हर सांस में, 


है वफा एहसास में। 


 


पूरा अपना ख्वाब हुआ, 


देश जब आजाद हुआ। 


सारी खुशियां मिल गईं, 


जब तिरंगा हाथ हुआ। 


स्वप्न सलोने सज गये, आज के उल्लास में। 


 


है शहीदों को नमन, 


जिसके दम है यह चमन। 


देश की हर आन में, 


जो मिटाते अपना तन। 


हम न भूलेंगे कभी, वीरों के प्रयास को।। 


 


जो हवा अब बह रही, 


खुल के हमसे कह रही। 


आने वाली हर घड़ी , 


रूप बदल कर चल रही। 


कह दो कि हम नहीं,जिन्हें यकीं हो विनाश में।। 


इस वतन.............................।।


 


   प्रदीप बहराइची


   बहराइच, उ.प्र. 


मो नं.- 8931015684


रीतु प्रज्ञा

आजादी हमको प्यारी,


वतन आसमाँ न्यारी,


जंजीर तोड़ते चले,


गीत गाते मान में।


 


नवीन विचार रचे,


घृणित कार्य से बचे,


खुशबू उड़ाए हम,


झूमे झंडा शान में।


 


नमन करते हम,


मस्तक झुकाते हम,


करेंगे वतन रक्षा,


सीख बलिदान में।


 


अमन वास्ते हैं दृढ,


फोड़ देते शत्रु दृग,


जुल्म तो सहना नहीं,


पग बढे आन में।


 


           रीतु प्रज्ञा


       दरभंगा, बिहार


     स्वरचित एवं मौलिक


अलताफ हुसैन बेलिम

इक उम्र गुजार चुका हूँ बाक़ी उम्र मुझे गुजारने दो


जो मुझसे गुस्ताखियां हुई थी अब उन्हे सुधारने दो


 


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रुख़सत ए जहाँ तो मुझको होना है इक रोज जब


चीख़ पुकार मचेगी जहाँ में तो फ़िर उन्हें पुकारने दो


 


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उसके तन और बदन से खेलें थे हम बहुत हर दफ़ा


उस लम्स की हरारत को ज़ेहन में फिर मुझे उतारने दो


 


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तेरे सुर्ख़ होंठ वफ़ा में ढ़ले हुए गेसू शानों पे लटके हुए


ज़ेरो ज़बर उसके गेसुओं को फ़िर से मुझे सँवारने दो


 


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घर क्या बना लिया मैंने जब उसके घर के सामने ही


अब उजाड़ रहे है लोग घर मेरा तो उन्हें उजाड़ने दो


 


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इस मुक़म्मल जहाँ में उसके जैसा न हँसी कोई सनम


अगर वो ख़ुद पर इतराती हैं यारों तो उसे इतराने दो


 


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तुझें हवा भी छुए तो ग़म अलताफ को होता है बेहद


हर शय की नज़र हैं तुझपे वो नज़्र मुझे उतारने दो


 


 


अलताफ हुसैन बेलिम जोधपुर


        


राजेंद्र रायपुरी

 ये है हिंदुस्तान हमारा 


 


ये है हिंदुस्तान हमारा,ये है हिंदुस्तान। 


ये है हिंदुस्तान हमारा,ये है हिंदुस्तान।


 


जहाॅ॑ पे जन्मे राम-कृष्ण अरु,(२)


गौतमबुद्ध महान।


 


ये हैं हिंदुस्तान हमारा,ये है हिंदुस्तान।


ये है हिंदुस्तान हमारा,ये है हिंदुस्तान।


 


मुकुट सरीखे लगे हिमालय,


बसते डमरू धारी।(२)


उत्तर में ये करता भैया,


सरहद की रखवाली (२)


 


यहीं से निकलीं गंगा-यमुना(२)


जो भारत की शान।


 


ये हैं हिंदुस्तान हमारा,ये है हिंदुस्तान।


ये हैं हिंदुस्तान हमारा,ये है हिंदुस्तान।


 


दक्षिण में सागर की लहरें, 


इसके चरण पखारें।(२)


यहाॅ॑ भी बसते भोलेशंकर, 


जो हैं देव हमारे।(२)


 


पूरब में हैं जगन्नाथ जी,(२)


पश्चिम कृष्ण महान।


 


ये हैं हिंदुस्तान हमारा,ये है हिंदुस्तान।


ये हैं हिंदुस्तान हमारा,ये है हिंदुस्तान।


 


कृषि प्रधान है देश हमारा,


होती खूब किसानी।(२)


बड़े बाॅ॑ध है देश हमारे,


जो देते हैं पानी(२)


 


भाखड़ा नांगल,हीराकुंड संग (२)


है नागार्जुन शान।


 


ये हैं हिंदुस्तान हमारा, ये है हिंदुस्तान।


ये है हिंदुस्तान हमारा, ये है हिंदुस्तान।


 


देश एक है धर्म अनेकों, 


यही खासियत भाई (२)


हिंदू-मुस्लिम,सिक्ख यहीं पर,


रहते यहीं ईसाई।(२)


 


होली,ईद,दिवाली के संग(२)


ईस्टर पर्व प्रधान।


 


ये है हिंदुस्तान हमारा, ये है हिंदुस्तान।


ये है हिंदुस्तान हमारा, ये है हिंदुस्तान।


 


               ।। राजेंद्र रायपुरी।।


               (राजेन्द्र कुमार शर्मा)


              विकास विहार कालोनी,


             महादेव घाट रोड, रायपुरा,


               रायपुर (छत्तीसगढ़)


              मो० ९९२६५११७८९


कुमार निर्दोष

मेरे मर जाने पे तुम जन गण मन राग बजा देना 


अगर शहीद में हो जाऊँ तिरंगे का कफन उढ़ा देना


 


भारत माँ का मैं बेटा हूँ हर्गिज ना घबराऊँगा


सीने पे खा लूँगा गोली , पर ना पीठ दिखाऊँगा 


मेरे मर जाने पे मेरी माँ को धीर बँधा देना 


अगर शहीद में हो जाऊँ तिरंगे का कफन उढ़ा देना


 


दुश्मन चाहे जो भी हो भारत का झुकेगा ना सम्मान


चाहे हो फिर चीन या आये


 सामने पाकिस्तान


हर शहीद को हँसते हँसते भारत में दफना देना


अगर शहीद मैं हो जाऊँ तिरंगे का कफन उढ़ा देना


 


बतला देंगे दुश्मन को भारत के वीर सपूत हैं हम


एक एक सो सो पर भारी , भारत माँ के पूत हैं हम


भगत सिंह चन्द्र शेखर की सबको याद दिला देना


अगर शहीद मैं हो जाऊँ तिरंगे का कफन उढ़ा देना


 


अच्छा साथियों खुश रहना अब हमतो सफर करते हैं


हम वो हैं जो देश की खातिर हँसते हँसते मरते हैं


बंदेमातरम कहके तुम भी हँसके मुझे विदा देना 


लो शहीद मैं हो गया मुझे तिरंगे का कफन उढ़ा देना 


 


बंदेमातरम 


 


कुमार निर्दोष दिल्ली 


सर्वाधिकार सुरक्षित


एस के कपूर श्री हंस

नमन है उन शहीदों को जो,


देश पर कुरबान हो गए।


वतन के लिए देकर जान,


वो बेजुबान हो गए ।।


उनके प्राणों की कीमत से,


ही सुरक्षित है देश हमारा।


उठ कर जमीन से ऊपर,


वो जैसे आसमान हो गए।।


*2,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*


अब आर हो या पार हो,


बंद नरसंहार हो।


हर वार का जवाब वार,


अब लगातार हो।।


मिट जाये नक्शे से ही,


नाम विवाद का।


कुछ ऐसा कठोर प्रहार,


अबकी बार हो।।


*3,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*


गलवान घाटी में दिखा कर,


ऐसी तू अराजकता।


मत खुश हो कि शर्मसार,


करके तू मानवता।।


नहीं जायेगा व्यर्थ कभी ये,


बलिदान शहीदों का।


होगा ऐसा प्रहार कि ना दिखा,


पायेगा तू दानवता।।


 


एस के कपूर श्री हंस


बरेली


प्रीति शर्मा असीम

भारत........


               मेरा है।


 


सत्य सनातन,


वेद आधारित,


कण -कण, 


जिस का,


पारस है।


 


वो भारत....


        मेरा है।


 


परम संस्कृत,


सहृदय -ह्रदयवान


दाता- दानवीर न्यारा है।


 


वो भारत........


                      मेरा है।


महान कथानक,


राम- राज्य संस्थापक,


मार्ग -दर्शक,


गीता -दर्शन,


नित -नया विचार भारत है।


 


वो भारत.........


                      मेरा है।


 


भारत किसी एक का नही।


भारत उसका,


जो भारत का,


यह मानव,


सभ्यता का,निर्माता है।


संसार को जीवन देने वाला,


 


वो भारत..........


                        मेरा है।


 


 @प्रीति शर्मा "असीम"


नालागढ़ हिमाचल प्रदेश


सीताराम राय सरल 

भारत माता तुझे प्रणाम 


शहीदों को शत शत है सलाम 


 


था परतन्त्र देश सदियों से 


सह रहा था जुल्म पराये 


लूट लिया सब कुछ हमसे 


कहने पर कोडे बरसाये 


कुछ थे अपने ही नमक हराम ।।


भारत माता तुझे प्रणाम 


 


लाखों शहीदों की कुर्बानी 


खून से लिखी यही कहानी 


अरमानों का गला घोंटकर 


मां पर वार दी भरी जवानी 


चारों तरफ मचा था कोहराम ।


भारत माता तुझे प्रणाम 


 


पन्द्रह अगस्त का दिन पावन 


हुआ आजाद वतन सुहावन 


खुशियाॅ आई शुभ मनभावन 


वीरों की गाथा अमर सुहावन 


अपना रोशन कर गये शुभ नाम 


भारत माता तुझे प्रणाम 


 


श्रृद्धा सुमन समर्पित कर हम 


करते शत शत नमन तुम्हारा 


आजादी के पावन पर्व पर सदा 


हरदम होगा सम्मान तुम्हारा 


भारत के वीर सपूतो तुम्हें सलाम


भारत माता तुझे प्रणाम 


 


आजादी का जश्न तुम्हें है अर्पित 


नम आंखों से पुष्पांजलि समर्पित 


तुम सबकी कुर्बानी से दिन पाया 


करते नमन शौर्य तुम पर हैंगर्वित 


कुन्जी सरल संभालो रखना थाम 


भारत माता तुझे प्रणाम ।।


 


- सीताराम राय सरल 


टीकमगढ मध्यप्रदेश


नीमा शर्मा हँसमुख

जिसके होने से मुक्मल सारा जहाँ


शीश झुकाता है हिन्दुस्ता ।


तिरंगा हाथ में लेकर


खड़ी है भारत माँ ॥


 


भारत माँ तेरे प्यार में


वारी जाऊं मै ।


दिल तो क्या जान भी


कुर्बान जाऊं मै ॥


 


करूं श्रृंगार माँ तेरा


बलिहारी जाऊं मै ।


अपने लहू से हाथ तेरे


मेहंदी लगाऊं मैं ॥


 


तेरे चरण छू कर


हमने ये कसम खाई


छूटे ना गद्दार कोई


मैं मार गिराऊंगा ॥


 


दुश्मन है ललकार रहा


सीमा पर जाऊंगा ।


एक एक को भारत माता


मैं मार गिराऊंगा ॥


 


तेरे प्यार में भारत माँ


मैं लड़ने जाऊंगा


अपने बच्चो को भारत माँ


तेरी गोद दे जाऊंगा ।


 


करना तू हिफाजत उनकी


मैं लौट ना पाऊंगा


तेरे गोद मे सर रखकर 


माँ मैं सो जाऊंगा ॥


 


गर ना लौटा तो भारत माँ


सीने से लगा लेना ' ।


तीन रंग का तिरंगा


मुझको ओढ़ा देना॥


 


दे देना सलामी


मैं फिर से आऊँगा


दिल तो क्या जान भी


कुर्बान जाऊंगा ॥


 


नीमा शर्मा ' हँसमुख '


नजीबाबाद ( बिजनौर )


अविनाश सिंह

कफ़न तिरंगे का जो ओढ़े,उन्हें है प्रणाम


देश के लिए ऐसी कुर्बानी होना चाहिये


 


करके प्रहार घात , शत्रु शीश काट कर 


रणबांकुरों की ये कहानी होनी चाहिए


 


दुश्मनों का छीन शान,देशहित दिए जान


ऐसे वीर योद्धा को सलामी होना चाहिये


 


काट के गर्दन लाये,पाक को धूल चटायें


देश के लाल की ये कहानी होना चाहिये


 


तिरंगे मेरी शान हैं , दुश्मनों को मात कर


भगत सिंह वाली जवानी होना चाहिये


 


करते ना कोई पाप, रहते मन से साफ


राष्ट्र के खातिर स्वाभिमानी होना चाहिये


 


करें जो एकता भंग, कर दो उसका अंत


गद्दारों की ऐसी मेजबानी होना चाहिये


 


बढ़ाते है कदम जो ,रुकते ना वीर कभी


मन में सभी के हिंदुस्तानी होना चाहिए


 


दुश्मनों को चुन चुन,गोलियों से भून भून


झाँसी कीरानी जैसी मर्दानी होना चाहिये


 


अविनाश सिंह


शिक्षक,लेखक


सीमा शुक्ला

भारत मां के वीर सपूतों,


तेरी जय जयकार लिखें।


लिखें तुम्हारे बलिदानों को,


भारत मां से प्यार लिखें।


 


भूलेगा क्या देश शिवाजी


तेरी अमित कहानी को।


निकल पड़ी जो समर भूमि में


झांसी वाली रानी को।


राज गुरु, सुखदेव, भगत की,


उस कुर्बान जवानी को।


जय सुभाष, आज़ाद गर्व है


तुम पर हिन्दुस्तानी को।


 


दिया शहीदों ने आज़ादी,


का हमको उपहार लिखें।


लिखें तुम्हारे बलिदानों को,


भारत मां से प्यार लिखें।


 


भारत मां आजाद कराए,


जकड़ी थीं जंजीरों में।


कहां लिखा है कफ़न तिरंगा


जन जन की तकदीरों में।


धन्य तुम्हारा जन्म धरा पर,


धन्य तुम्हारी माता है ।


भारत मां का क़र्ज़ तुम्हारे,


जैसा कौन चुकाता है ।


 


सीमा की वह लिखें लड़ाई,


घाटी की चीत्कार लिखें।


लिखें तुम्हारे बलिदानों को,


भारत मां से प्यार लिखें।


 


जो हंसकर के खाई तुमने


सीने की गोली लिख दें।


मरते मरते बोल गए तुम,


इन्कलाब बोली लिख दें।


जब खेले तुम रक्त बहाकर,


सीमा पर होली लिख दें।


चली प्राण की देने आहुति,


वीरों की टोली लिख दें।


 


नमन तुम्हारा कोटि कोटि है,


वंदन बारम्बार लिखें ।


भारत मां के वीर सपूतों,


तेरी जय जयकार लिखें।


 


सीमा शुक्ला अयोध्या।


विजय कुमार सक्सेना विजय

खूब मनाओ जश्न आज तुम, 


आजादी का दिन आया।


गाँव नगर हर गली गली में, 


आज तिरंगा फहराया।।


 


भूल न जाना कभी गुलामी, 


की उन काली रातों को।


कुचल दिया जुल्मी शासन ने,


वीरों के जज्बातों को।


जोरावर और फतेह सिंह को,


दीवारों में चुनवाया।


गाँव नगर हर गली गली-----


 


याद करो तुम मंगल पांडे,


याद करो रानी झांसी।


याद करो उन वीरों की जो,


हँस कर के झूले फांसी।


धन्य भूमि वो जहाँ पे ऐसे,


वीरों ने जीवन पाया।


गाँव नगर हर गली गली-----


 


राजगुरु,सुखदेव,भगतसिंह,


अरु सुभाष से बलिदानी।


मातृभूमि के लिये जिन्होंने,


दे दी अपनी कुर्बानी।


धन्य हो गयी धरा हिन्द की,


जब यह परचम फहराया।


गाँव नगर हर गली गली-----


 


विजय कुमार सक्सेना "विजय"


सुषमा दिक्षित शुक्ला

ये मातृ भूमि का वन्दन है 


 


ये मातृभूमि का वंदन है अभिनंदन है । 


हम सब तेरे रखवाले मां,


ये माँ बच्चों का बंधन है।


 ये मातृभूमि का वन्दन है अभिनन्दन है ।


तेरी आन न जाने पाये ,


तुझपे जान लुटा देंगे ।


तेरे चरणों में लाकर के ,


शत्रू शीश झुका देंगे ।


ये मातृभूमि का वन्दन है अभिनंदन है ।


हम सब तेरे रखवाले मां,


 ये मां बच्चों का बंधन है ।


चंदन जैसी तेरी ममता ,


 है रखनी तेरी शान हमें ।


अगर जरूरत पड़ी वक्त पर,


 न्योछावर है प्रान तुम्हें ।


ये मातृभूमि का वन्दन है अभिनंदन है।


 हम सब तेरे रखवाले ,


मां ये मां बच्चों का बंधन है ।


मां तेरा क्रंदन असहनीय ,


ऐ! मातृभूमि तू प्यारी है ।


हम तेरे प्यारे बालक हैं,


 तू हम सब की फुलवारी है ।


ये मातृभूमि का वंदन है अभिनंदन है ।


हम सब तेरे रखवाले मां ,


ये माँ बच्चों का बंधन है ।


 


सुषमा दिक्षित शुक्ला


प्रज्ञा जैमिनी स्वर्णिमा

अंग्रेजी शासन से तो मिल गई आज़ादी 


लेकिन असली आजादी मिलेगी कब?


 


गरीबी, भूख,बेरोजगारी का


छाया है चहुँ ओर अंधेरा 


रोटी, कपड़ा और मकान की 


बुनियादी ज़रूरतें पूरी होंगी कब?


 


हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख,ईसाई 


सभी धर्मावलंबी हैं रहते यहाँ 


धर्म निरपेक्ष देश होने के बावजूद 


एक देश, एक कानून मानेंगे कब?


 


मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा 


सभी इमारतों में है मिट्टी- गारा


है ईश्वर, खुदा,यीशू सब मन में ही 


मानवता/ इंसानियत को ये धर्म मानेंगे कब?


 


शिक्षा, सभ्यता,संस्कृति का था जो गढ़ 


उसकी आधी जनता है,अभी भी अनपढ़ 


शिक्षा, रोजगार के असमान अवसरों से


आरक्षण का रोष दूर होगा कब?


 


संविधान में ही है कहा गया


धर्म, जाति, लिंग का होगा नहीं भेदभाव 


माना भी गया लड़का-लड़की एकसमान 


फिर कन्या भ्रूण हत्या रुकेगी कब?


 


प्रादेशिक भाषाओं की है बहुलता यहाँ 


अंग्रेजी भाषा की महत्ता भी समझते यहाँ 


भाषाओं के बढ़ते द्वंद्व में 


'भारत' को अपनी राष्ट्र भाषा हिंदी मिलेगी कब?


 


स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था


'वसुधैव कुटुंबकम् ' का सपना


सभी धर्मावलंबी चाहें बस!हित अपना


आखिरकार भारतीयता की भावना पनपेगी कब?


 


-प्रज्ञा जैमिनी 'स्वर्णिमा ',दिल्ली


अवधेश कुमार वर्मा कुमार

क्या है देशप्रेम?


कभी सोचा!कभी कोशिश की


अन्तर्मन में समझने की?


देशप्रेम का मतलब


क्यों लगाते हैं हम 


मात्र सैनिकों से!


सीमा पर डटे जवानों से?


क्या हमारा कोई फर्ज नही ?


वास्तव मे हमारी दृष्टि 


नही है सही।


अरे!


हम सभी है देशभक्त,


दिखा सकते हैं 


सच्चा राष्ट्रप्रेम !


बना सकते हैं 


देश को महान,


विश्व का सिरमौर।


हमारे धर्म,जाति,लिंग 


भले हो अलग।


अमीर-गरीब,शिक्षित-अशिक्षित


का दंभ छोड़,


दिखायें देशभक्ति


अपने सत्कर्मों से।


भ्रष्टाचारी कौन है?


कौन है उपद्रवी,बेईमान?


कौन है कानूनों को तोड़ने वाला,


देश को गन्दा करने वाला ?


मजहब के नाम पर धन्धा


करने वाला ?


हम ही हैं,हम सब हैं,


कहीं ना कहीं


उसके जिम्मेदार।


आओ हम करें बदलाव


जहाँ हैं ,जिस पद पर हैं।


शासक,प्रशासक,नेता,व्यापारी, शिक्षक,धर्मज्ञ,छात्र,किसान,


या फिर अदना इंसान।


निःस्वार्थ करे आह्वान


खत्म हो दूषित मानसिकता,


करे स्वच्छ वातावरण का निर्माण।


तभी होगा सच


स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत


का सपना,


होगा यह भी राष्ट्रप्रेम,


तभी बनेगा 'भारत'


फिर विश्व का सिरमौर !!


 


-अवधेश कुमार वर्मा 'कुमार'©®


    महराजगंज {उ0प्र0}।


श्रीमती सुशीला शर्मा

दो हजार उन्नीस से भारत ने 


इतिहास रचाया है (2)


तीन तलाक हटा कर 


मुस्लिम बहनों को बचाया है ।


 


दो हजार उन्नीस से भारत ने 


इतिहास रचाया है ।


 


सत्तर साल के संविधान में 


नया कानून बनाया है 


हटा के तीन सौ सत्तर धारा 


कश्मीर आजाद कराया है।


 


दो हजार उन्नीस से भारत ने 


इतिहास रचाया है ।


 


 पुलवामा का लेकर बदला 


सर्जिकल करवाया है 


धूल चटाकर दुश्मन को


अभिमन्यु को बुलवाया है ।


 


दो हजार उन्नीस से भारत ने 


इतिहास रचाया है ।


 


अमन चैन कश्मीर में छाया 


लोकतंत्र वहाँ आया है 


लेह को किया स्वतंत्र उसे भी 


केन्द्र शासित करवाया है।


 


दो हजार उन्नीस से भारत ने 


इतिहास रचाया है ।


 


हिम्मत है तो मुमकिन है के 


नारे घर-घर गूँजे हैं


हिंदू ,मुस्लिम, सिख, ईसाई 


भाई बनकर रहते हैं।


 


दो हजार उन्नीस से भारत ने


इतिहास रचाया है ।


 


विश्व विजेता भारत का 


परचम जग में फहराया है 


सिंह की तरह दहाड़ लगा 


दुश्मन को दूर भगाया है ।


 


दो हजार उन्नीस से भारत ने 


इतिहास रचाया है ।


 


रामराज्य की हुई स्थापना 


रावण मारे जाएँगे 


लक्ष्मण रेखा गर लाँघी 


तो दुश्मन भस्म हो जाएँगे।


 


दो हजार अब बीस जो आया 


करली सब तैयारी है 


विश्व विजेता है ये भारत 


सौ दुश्मन पर भारी है ।


 


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श्रीमती सुशीला शर्मा 64-65 


विवेक विहार 


न्यू सांगानेर रोड, सोडाला 


जयपुर 302019 


मो. 9214056681


मान सिंह मनहर

बलिदानियों के शीश का है ताज तिरंगा।


लहरा रहा है उनके दम पे आज तिरंगा।।


 


हर रंग एक कहानी नई करता है बयाँ,


सीने में छुपाए है कितने राज तिरंगा।


 


खेली थी जान पर वो,मगर हार न मानी,


झाँसी की वीर सिंहनी की लाज तिरंगा।


 


चोला बसंती पहन जो शहीद हो गए,


करता है शहादत पे उनकी नाज तिरंगा।


 


करता रहूँ गुणगान अपनी मातृ भूमि का,


'मनहर' के दिल पे करता रहे राज तिरंगा।


 


मान सिंह 'मनहर'


शोभा गोयल

आया है स्वतंत्रता दिवस 


झूम उठा हैं भारत दिवस


 


जब जब तिरंगा लहर लहराएँ


भारत माता मंद मंद मुस्कराएँ


गुंजन करते पेड़ों पर गगनचर


सिंदूरी प्रभा से आसमां जगमगाएँ


 


सिंदूरी रंग से मन मयूर हर्षाए


सफेद रंग वातावरण सादगी महकाएँ


उदय होता प्रभाकर का नजारा


हरित रंग से धरा की हरियाली लहराएँ


 


आन मान तिरंगा अपना सम्मान है


बीच चक्र भारत माता की शान हैं


भारत वर्ष की स्वतंत्रता महान हैं


विश्व में इसका उच्चतम स्थान है


 


ले जनकल्याण की मशाल


ले संकल्प हम आज


हम सबको आगे जाना हैं


इस देश का मान बढ़ाना हैं


 


विश्व पटल पर लिखे नयी कहानी


भारत देश बने जन कल्याणकारी


यह हैं हर भारतवासी की जिम्मेदारी


शीर्ष पर रहे हमेशा हम हिदुस्तानी


 


शोभा गोयल


जयपुर


मो.-9571220372


शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप

एक है भारत एक तिरंगा फहराएं,


जोश से जन गण मन भारतवासी गाएं,


कण-कण केशरिया मिट्टी का दिखता है,


जश्न वतन में आजादी का दिखता है।


 


धरती अम्बर पर्वत सागर झूम रहे,


लिए पताका नन्हे मुन्ने घूम रहे,


नवभारत का उदय हुआ सा  लगता है,


जश्न वतन में आजादी का दिखता है।


 


माँ का आँचल आज खुशी से लहराया,


काश्मीर में झंडा माँ का फहराया,


खिसियाया आतंकी दर-दर फिरता है,


जश्न वतन में आजादी का दिखता है।


 


बड़ी सफलताओं का युग अब आया है,


वतन विश्व से कदम मिला चल पाया है,


चन्द्रयान यूँ नभ पर आज दमकता है,


जश्न वतन में आजादी का दिखता है।


 


मनसूबे दुश्मन के पूरे ना होंगे,


अभिनंदन सम रोड़े सारे तोड़ेंगे,


राष्ट्रप्रेम जन-जन में खूब झलकता है,


जश्न वतन में आजादी का दिखता है।


 


वतन बिका ना बिकने ही अब हम देंगे,


आँख दिखाते दुश्मन का सिर काटेंगे,


'शुचिता' मस्तक माँ चरणों में झुकता है,


जश्न वतन में आजादी का दिखता है।


 


शुचिता अग्रवाल"शुचिसंदीप"


तिनसुकिया, असम


सुमित आर दास

चलो याद करे भारत कैसे आजाद हुआ


 


चलो आज मिल कर याद करे कैसे भारत देश आजाद हुआ


किसने छाती पे गोली खाई किसके साथ विशवासघात हुआ


कितने वीर सपूतों ने माँ भारती के लिए न्योछावर प्राण किये


और जाने कौन था जिस के कारण जाँलियावाला बाग हुआ


 


आज पूछो अपने अध्यापक से मंगल पांडे क्यों शहीद हुआ


ऎसा क्या था नेताजी में जिस से हिटलर उन का मुरीद हुआ


जानो काकोरी के अशफकुल्ला और रामप्रसाद बिस्मिल को


और पूछो चौहान से गौरी का कितनी बार मिट्टी पलीद हुआ


 


इतिहास के पन्ने पलटो और जानो डायर का क्या हाल हुआ


कैसे कोंधाना में उदय भान का‌ तान्हा जी नामक काल हुआ


नमन करो‌ उन सिखों ‌को जो अकेले सवा लाख पर भारी थे


पढो गोरा बादल के चलते राणा का बाँका एक न बाल हुआ


 


लाल स्याही से लिख‌ दो सूर्य सेन पर कितना अत्याचार हुआ


पता करो चंद्र शेखर आजाद‌‌ किस के धोखे‌ का शिकार हुआ


पीठ‌ पर बच्चे को बाँध कैसे रानी लक्ष्मी बाई ने था युद्ध लड़ा


और जाने खुदीराम‌‌ बोस को जिसको आजादी से प्यार हुआ


 


ऎसे कितने ही वीर है जिस के कारण भारत देश महान हुआ


आजादी के इस पावन यज्ञ में न जाने कितना बलिदान हुआ


हाथ जोङ के आज हर स्वतंत्रता सेनानी को तुम प्रणाम करो


आज के दिन विश्व पटल पर आजाद भारत का सम्मान हुआ


 


- सुमित आर दास


  कहुआ , बिहार


  9874671212


उमेश श्रीवास सरल

हे भारत के परमवीर,


मेरे वतन के शूरवीर।


तुम्ही से देश में अमन है,


शत्-शत् तुमको नमन् है।।


================


अपनी जाँ हथेली में लेकर,


अपना सर्वस्व आहूति देकर।


तुमने सर पर बांधे कफ़न है,


शत्-शत् तुमको नमन् है।।


=================


माँ-बहन,पत्नी और बच्चे,


मोह त्यागे तुम्ही वीर सच्चे।


 दुश्मनों का किया दमन है,


शत्-शत् तुमको नमन् है।।


=================


छोंड़कर अपने सब सुखचैन,


सीनातान लड़ते हो सुपरमैन।


ऋणी तुम्हारा ये चमन है,


शत्-शत् तुमको नमन् है।।


==================


सच्चे सपूत तुम भारत माँ के,


माटीपुत्र हो तुम हिन्दुस्तान के।


तुमने ही किया हर जतन है,


शत्-शत् तुमको नमन् है।।


==================


लतपथ खून से जीते हर समर,


रहोगे हमेशा इस जहाँ में अमर।


तुम्हारे चरणों में मेरा वन्दन है,


 शत्-शत् तुमको नमन् है।।


===================


      *स्वरचित*


*उमेश श्रीवास"सरल"*


*मु.पो.-अमलीपदर*


*विकासखण्ड-मैनपुर*


*जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)*


*मोबाईल-9302927785*


अनुपम कौशल

आजादी का दिन है आया


  खुशियां छाई चहुँ ओर। 


वीणा पाणी के मंदिर में


 हम सब है हर्ष विभोर ।।


 


कितनी कुर्बानी दे करके


हमने ये आजादी पाई ।


 इसको संभाले रखना 


 मेरी बहना और भाई ।।


इसकी रक्षा में अपना


लगा देना सब जोर ।।


वीणा पाणी .......


 


 गांधी ,सुभाष भगत सिंह 


   का यह देश है हमारा ।


   प्राणों से बढ़कर हमको


 अपना देश है ये प्यारा ।।


  वर्षों था अंधियारा 


 हुई है अब भोर । वीणा ....


 


   देश पर जो आंच आये 


   सब मिल जाना ।


   दुश्मन हो जो कोई


     उसे धूल है चटाना ।।


    बच न पायेगा दुश्मन


    कर ले कितना भी शोर


    वीणा ......


    


   अनुपम कौशल


    सहायक अध्यापक


  पूर्व माध्यमिक विद्यालय


   नगला बिहारी सैफ़ई 


      इटावा9457123104


डॉक्टर शिवा अग्रवाल 

जश्न ए आजादी ए दोस्त ऐसे ही कहा मना होगा


जंजीरों में बंधकर शैल पर खून तो बहुत बहा होगा


नम आंखों से कई बार अपनों को अलविदा कहा होगा 


 बिस्मी हुई चूड़ियों को डब्बे में बंद कर याद अपनों को किया होगा


 गैर की निगाहों से खुद को बचा कर जहर का प्याला भी पिया होगा


 जश्न ए आजादी ए दोस्त ऐसे ही कहा मना होगा


 


प्यारा भारत देश हमारा 


सोने की चिड़िया कहलाया 


क्रांतिकारियों ने इसके मस्तक पर 


अपने लहू से तिलक लगाया 


ये मर मिटने का जज़्बा न जाने इनमें कहां से आया


इनकी वीरता, दृढ़ता , जोश के आगे


 श्रद्धा से हमने शीश झुकाया


 


माताएं तो इनकी भी ममतामय होंगी


अपने बेटों को लहूलुहान देख भीतर से दर्दमय होंगी


बांध कफन मौत का ममता का आंचल हटाया


भारत मां के लिए ये जज्बा न जाने इनमें कहां से आया


 


पिता तो इनके भी राह देख थकते होंगे 


अपने बेटों को गले लगाने के लिए तरसते होंगे


अपने बुढ़ापे के सहारे को कांधा देकर अरमानों को भी दफनाया


अपने देश के लिए ये जज्बा ना जाने इनमें कहां से आया


 


पत्नी, बच्चे, भाई-बहन और प्रेमिका


हर रिश्ता प्यार साथ विश्वास की नींव पर टिका


 हर उम्मीद हर सपना भी साथ उनके गंगाजल में बहाया


स्वतंत्रता के लिए ये जज्बा ना जाने इनमें कहां से आया


 


यह वीर भी तो कभी बच्चे होंगे


बचपन से ही सपने में तिरंगा झंडा हर पल फहराया


माता-पिता इनके फक्र से कहते होंगे


अंग्रेजों भारत छोड़ो देखो वीर क्रांतिकारी आया


 


नाम -डॉक्टर शिवा अग्रवाल 


मकान नंबर 5415


 पंजाबी मोहल्ला, अंबाला


 हरियाणा। 


निभा राय नवीन

वतन की सौंधी-सी खुशबू, हमें जान से प्यारी है l


जय हिन्द,जय भारत माँ,अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll1ll


 


जिसकी धरती उगले सोना, सूरज करता उजियारा , 


जिसके रज कण-कण मे संचित, स्नेहिल भाईचारा l


पावन नदियाँ गंगा-यमुना, बहती है जलधारा, 


श्वेत, हरा, केशरिया पहने, झंडा ऊँचा रहे हमारा ll


 


लिए तिरंगा हाथों में, करते हम रखवारी है l


जय हिन्द,जय जय भारत माँ,अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll2ll


 


जहाँ नारी त्याग की मूरत हो, हर माँ ममता की सूरत हो,  


है रीत-रिवाजों का संगम, हर नर-नारी करते वंदन l


हर भाषा-भाषी मिलकर रहते, जैसे इंद्रधनुष के रंग, 


हिमगिरि भाल सोहती, उस भारत माँ का है दम्भ ll


 


जहाँ बुद्ध-विवेका ज्ञान चक्षु ले, धरती पर अवतारा, 


भारत देश हमारा न्यारा, वतन जान से प्यारी है l


जय हिन्द, जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll3ll


 


 जहाँ अतिथि को ईश्वर माना, छः ऋतुएँ लगे सुहाना, 


जहाँ ऋषि-मुनि का डेरा है,गुण-ज्ञान अनन्त बसेरा है l


जहाँ हर डाली पर सुन्दर चिड़ियाँ, गाए शाम-सवेरा, 


जहाँ नित-नूतन रश्मि प्रभा, हर लेती घोर अँधेरा ll


 


जहाँ देव-दनुज के दलन हेतु, मानव तन ले अवतारा l


एक हाथ मे लिए तिरंगा, दूजा आरती थाली है l


जय हिन्द, जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll4ll


 


जहाँ सत्य-अहिंसा और धर्म का, पाठ पढ़ाया जाए, 


जहाँ गाँधी-गौतम बुद्ध पुरुष को, शीश नवाया जाए l


जहाँ रामायण और गीता से,जन-जन का गहरा नाता, 


 जहाँ दुराचरण शोषण विरुद्ध, आवाज उठाया जाता ll


 


जहाँ श्वेत, हरा, केशरिया में, सजता है जीवन सारा l


हमको है अभिमान वतन का, हम भारत की नारी है l


जय हिन्द, जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll5ll


 


जहाँ गौ माता की पूजा हो, नारी देवी सम् पूजनिया, 


मात्-पिता-गुरु चरणों मे, शीश नवाती है दुनिया l


सभ्यता-संस्कृति और स्नेह का अतुलित है भंडारा, 


नर-नारी के स्वर से फूटे, अविरल काव्य की धारा ll


 


जहाँ राम पुरुषोत्तम, केशव प्रेरणा स्रोत पधारा l


जिसका पाँव पखारे सागर,जिसका सिंह सवारी है l


जय हिन्द जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll6ll


 


गौरवमय इतिहास जहाँ का,वेद पुराण बखाना है, 


शौर्यवान सुत शरहद पर, मातृभूमि की शान है l


जँह नारी दुर्गा, झाँसी की रानी बनकर संहार करे, 


सती अनसुइया से ब्रम्हा,विष्णु,महेश स्तनपान करे ll


 


जँह वात्सल्यता यशोदा का, पाने को कृष्ण पधारा l


वतन खून का प्यासा है, दुश्मन दल पर भारी है l


जय हिन्द, जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll7ll


                                *"निभा राय नवीन"*                                          


                                    (पूर्णियाँ, बिहार)


अर्चना द्विवेदी

दुश्मन की टोली में छाया,


हर सीमा पर हाहाकार।


भारत के वीरों ने दी है,


कायर बैरी को ललकार।।


 


माँ को आँख उठा यदि देखा,


देंगे तेरी आँख निकाल।


मत चल अब शतरंजी चालें,


सिंहों ने भर ली हुंकार।।


 


बच्चा-बच्चा वीर शिवाजी, 


माटी में पलते आज़ाद।


शस्त्र उठा लेती जब नारी,


दुर्गा बन करती संहार।।


 


क्रोध में हम दुर्वासा जैसे,


दया भावना में प्रभु राम।


कायरता तेरी रग-रग में,


अब ले परशुराम का वार।।


 


बलिदानों की अमर कहानी,


गूँज रही चहुँ दिशि आकाश।


नमन करे हर भारत वासी,


यश गाये नित ये संसार।।


 


अमर रहा है,अमर रहेगा,


मानचित्र में हिंदुस्तान।


जिसने जन्म यहाँ पाया है,


मानो देवों का उपहार।।


          अर्चना द्विवेदी


              अयोध्या उत्तरप्रदेश


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