आभा गुप्ता 

देश को आजाद हुए गुजर गए अनेक वर्ष 


  जशने आजादी में अब नजर नही आता, 


सन् सैतालिस की बेताबी, उल्लास और हर्ष ।


नहीं रहा अब दिलों मे वह आजादी का जज्बा और सुरूर।


जिसे मनाते हुए हर एक दिल मे होता था बेशुमार गुरूर ।


देशभक्तों ने भारत माॅ को, दिलाई थी आजादी ।


 


आजाद देश के भटके लोगो ने, कर दी उसकी पूरी बर्बादी ।


वर्षो बाद आज भी भारत माॅ, खून के आॅसू है बहाती ।


 


भीगे नयनों से भटके हुए बच्चों को, उदास,परेशान अपलक है निहारती ।


स्वयं से करती वह प्रश्न -क्या इसी आजादी के लिए मैंने बच्चों! तुम्हें था पुकारा ।


मेरी लाज न रखकर तुम बन जाओ खूनी दरिन्दे आवारा ।


धिक्कार तुम्हें,न बन सके,मेरी आजादी का सहारा ।


 


बलिदान मेरे सच्चे सपूतों का कर दिया तुमने नकारा ।


हाय!यह कैसी भाग्य की विडंबना जिसे सिसकते हुये मुझे है भोगना ।


विदेशियों ने तो केवल, मेरे वैभव को ही था तोड़ा ।


मेरे अपनों ने तो मेरी आत्मा को है निचोड़ा।


कहाॅ जाऊँ किसे अब पुकारू, आजादी के बिगड़े स्वरूप को कैसे सुधारू।


 


           आभा गुप्ता 


 H2/-121नर्मदा नगर बिलासपुर


मोबाइल नंबर -7828070332


भावना गौड़

वन्देमातरम वन्देमातरम


हम भारत के है स्वतंत्र नागरिक


अपना इक कर्तव्य निभाएंगे 


स्वतंत्र दिवस पर हम जन जन को


अपना शौर्य अपनी वीरता से


अपना परिचय सभी को करवाएंगे


वन्देमातरम वन्देमातरम


कमजोर नहीं हम हौसलों की


कड़ी चुनौती की टक्कर से


अपनी सीमा प्रहरी बनकर 


मातृभूमि पर अपने प्राण न्यौछावर


ऊंची चोटी पर अपना तिरंगा फैराएंगे


वन्देमातरम वन्देमातरम


तीन रंग से बना तिरंगा हमारा


मातृभूमि की शान है


देश के गौरव की यही पहचान


मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति


दुश्मन के दाँत खट्टे कर


थोड़ा तो अपना कर्ज चुकाएंगे


वन्देमातरम वन्देमातरम


भारत माँ के शान के ख़ातिर


वीरों ने जान गवाई है


आसान नहीं था स्वतंत्रता पाना


भगतसिंह सुखदेव राजगुरू ने


मातृभूमि की रक्षा में कुछ फर्ज निभाएगे


वन्देमातरम वन्देमातरम


हम भारत के है स्वतंत्र नागरिक


अपना इक कर्तव्य निभाएंगे ।


 


स्वरचित रचना:- भावना गौड़


    ग्रेटर नोएडा(उत्तर प्रदेश)


मंजू तंवर

मेरा प्रिय भारत


            मैं अपनी प्रिय भारत मां का


               गर्वित गौरव गान लिखूं


रोम रोम में बसता मेरे प्यारा हिंदुस्तान लिखूं


वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गान लिखूं। 


               जब भारत माता परतंत्रता की


                  जंजीरों में पड़ी हुई थी


                  देश की थाती के ऊपर


             दुश्मन की अनीति खड़ी हुई थी


              तब आजादी के परवानों का


                दिया हुआ पैगाम लिखूं


वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गान लिखूं। 


              आजादी की ज्वाला में जली


                  लाखों लाख जवानी थी


                भगतसिंह ,शेखर,सुभाष


                और झांसी वाली रानी थी


               वीर शिवा, राणा, चेतक का


               अमर हुआ इतिहास लिखूं


वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गान लिखूं। 


           ‌ सावित्री ,अनसुईया ,सीता जैसा


                नारी में सतीत्व झलके


             पंत,निराला,तुलसी सूर की


                वाणी में अमृत छलके


             दिनकर जैसे ओज कवि का


            मैं हृदय तल से संमान लिखूं


वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गान लिखूं। 


                 राम कृष्ण की भूमि है 


                यहां संत विवेकानंद हुए


                 हरिश्चंद्र से दानी राजा


                 और महात्मा बुद्ध हुए


               श्री कृष्ण के पांचजन्य से


              निकला वो शंखनाद लिखूं


वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गान लिखूं। 


        


अटल अडिग है खडा हिमालय


               बहती पावन भागीरथी


               गंगा जमुना सरस्वती का


                अजब अनूठा संगम है


              त्रिवेणी संगम से निकली 


               संगम की मै धार लिखूं


वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गान लिखूं। 


           नमन करूं उन वीरों को जो


              देश का शोर्य कहलाते


            सीमा पर घेरा डाले और


               रक्षा हेतु मिट जाते


          जय जवान जय किसान की


        मेहनत की जय जयकार लिखूं 


वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गान लिखूं। 


            मेरा देश है मुझको प्यारा


              देश के हित में जीती हूं


          अमृत हो या विष का प्याला


              बांट बांट कर पीती हूं


          हिंद देश की खातिर मिटना


           मंजू का स्वाभिमान लिखूं


अगर जरूरत पड़ी कभी तो खुद को मैं कुर्बान लिखूं


वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गान लिखूं। 


            ‌           


                        ( ‌‌जयहिंद) मंजू तंवर


                                        


यशपाल सिंह चौहान

उड़े तिरंगा आसमान में, माँ की चूनर धानी हो।


दुश्मन को जो धूल चटा दे ऐसा तू बलिदानी हो।।


 


 जन्म दिया है कोख हमारा, इसकी लाज बचा लेना । 


दुश्मन को जब तुम संहारो, माथे तिलक लगा लेना।


रणचंडी बन जाऊंगी मैं,ध्यान हमारा धर लेना।।।


फहरे तेरी विजय पताका, रण में वो निगरानी हो।


उड़े तिरंगा आसमान में, माँ की चूनर धानी हो......


 


अर्जुन जैसा वीर जना हैं, भीष्म प्रतिज्ञा धारी है।


भीम की जैसी गदा चलाय, सब दुश्मन पर भारी हैं।।


रक्त पिपासू हूँ दुश्मन की, छाती लहू पिला देना।


भीष्म गर्जना शत्रु काँपे, ऐसा तू अभिमानी हो।।


उड़े तिरंगा आसमान में, माँ की चूनर धानी हो........


 


सैन्य शक्ति की शान बनो तुम,भारत माँ के लाल तुम्हीं।


क्षीर पिया जो मेरा तूने, करना है साकार वही।


एक एक दुश्मन को मारो,तज देना फिर प्राण सही।


माँ का कर्ज चुकाना होगा, भारत के सेनानी हो।।


उड़े तिरंगा आसमान में, माँ की चूनर धानी हो।।


 


*यशपाल सिंह चौहान*


*नई दिल्ली*


9968822303


मधु शंखधर स्वतंत्र

वीर सपूतों की यह धरती, हम सबका अभिमान है।


भारत सा क्या दूजा कोई, भारत देश महान है।।


 


राम कृष्ण की भूमि पावन, संस्कार की धाती है।


सभ्य सभ्यता इस भूमि की, सहज भाव दर्शाती है।


समता का ले भाव सदा ही, संविधान का मान है।


भारत सा क्या दूजा कोई,भारत देश महान है।।


 


एक तिरंगा लहराता है,तीन रंग सबको भाए।


केसरिया जो त्याग का सूचक, श्वेत शांति को समझाए। 


हरा रंग समृद्धि लिए है, मध्य चक्र गतिमान है।


भारत सा क्या दूजा कोई, भारत देश महान है।


 


वीर शिवाजी, जीजाबाई, प्राण किए थे न्यौछावर।


राणा का भाला जब चलता, प्राण तजे अरि तब जाकर,


मंगल पांडे, वीर सावरकर, रणबाँकुर से शान है।


भारत सा क्या दूजा कोई, भारत देश महान है।।


 


युगों युगों से गंगा यमुना, इसका मान बढ़ाती हैं।


देवों का यह देश निराला, सत्य सनातन माटी है।


इस माटी का कर्ज चुकाओ, मानव तन जब प्राण है।


भारत सा क्या दूजा कोई, भारत देश महान है।


 


*मधु शंखधर स्वतंत्र*


*प्रयागराज*


*9305405607*


डॉ. दीप्ति गौड़ दीप

भारत देश महान है,


भारत मेरी जान है l


भारत के सदके में मेरा,


जानो-दिल कुर्बान है l


 


1.भारत भूमि गौरवशाली,


राम-कृष्ण भगवान की l


ईसा,मूसा,नानक,गौतम,


महावीर भगवान की l


शूर वीर बलवानों का


यही जन्म स्थान है l


 


2.हर मज़हब के फूल खिले हैं,


भारत के गुलदान में l


प्रेम ,मुहब्बत भाईचारा,


देखा हर इंसान में l


मिली-जुली तहजीब यहां,


मानव एक समान है l


 


© मौलिक रचना


डॉ. दीप्ति गौड़ दीप


डॉ अर्चना प्रकाश

 


    आज का दिन है बेहद खास ,


  पूरी हुई है सदियों पुरानी आस ।


        स्वतन्त्रता की देवी भी,


   देख तिरंगा हर्षित गर्वित है ।


  कश्मीर से कन्याकुमारी तक ,


  एक हुआ अपना भारत ।


 वन्देमातरम गूंजे कण कण ,


   धरा के स्वर्ग ने पाई नई उजास !


आज कादिन है बेहद खास !


पूरी हुई है सदियों पुरानी आस ।


       सैनिक शेरों की विकट दहाड़े ,


      आतंकी पत्थरबाज खदेड़े ।


     इंच इंच भारत भू वापस लाएं ,


     जिनपिंग ओली भी हैरान हुए ।


    अक्साई चिन गलवान भी ,


    अब होंगे भारत के पास !


आज का दिन है बेहद खास ,


पूरी हुई है सदियों पुरानी आस ।


          भव्य राम मंदिर का न्यास ,


       अयोध्या विश्व मे होगी विशेष ।


       कारसेवक रामसेवको की अब ,


     पूर्ण हुई चिर प्रतिक्चित साध ।


    पूरा हुआ पटेल अटल का सपना ,


    स्वर्ग से वे करते अरदास ।


आज का दिन है बेहद खास ।


       संयम नियम ध्यान योग शैली ,


       कॅरोना का करे समूल विनाश ।


       भारत हुआ विश्व में अग्रणी ,


     रूस अमेरिका भारत को ताकें ।


   कॅरोना वैक्सीन की लिए आस ।


आज का दिन है बेहद खास ,


पूरी हुई है सदियों पुरानी आस ।


 


       डॉ अर्चना प्रकाश गोमती नगर 


         लखनऊ 10 


     मो 9450264638 .


कुंती नवल

आज हमारा संकल्प है


चीनी माल का करो बहिष्कार


बना लो इसे सबसे बड़ा हथियार।।


स्वदेशी अपनाओ


देश को आगे बढ़ाओ।।


 


कविता प्रेषित है


 


""भारत के सैनिक की आवाज़"


 


भारत का वीर सिपाही कहता है


हैतुम साथ मेरा देते रहना


वतन की आन बान शान की


खातिर मुझे है रक्षक बन कर रहना।।


कविता प्रस्तुत है


हम वतन के रखवाले हैं सरफरोश


बड़े हिम्मत वाले हैं सरफरोश


वतन परस्ती का न ले इम्तिहान


संघर्षों के पाले हैं सरफरोश


आग के शोले हैं


बारूद के गोले हैं


आकाश से उतरते


ज्वाला के टोले हैं


हमारी फितरत पे न उठा उंगली


हम शत्रु का सिर धड़ से अलग करनेवाले हैं


कोई बवंडर न हमको रोक पाया है


हिमालय की सर्द हवाओं ने पाला है


सरहदों पर तने हुए हम धधकती ज्वाला हैं


दोस्तों के लिए हम प्रेम की हाला हैं


दुश्मनों की नाक में दम करने वाले


हम वतनपरस्त देश के रखवाले हैं।।


जल थल पवन


जहां भी गए पहुंच


शत्रु को न छोड़ा है


हम अमन चैन के पहरेदार


हम अभिनंदन से मतवाले


हम वतनपरस्त ,मां भारती के सपूत


बहुत ही हिम्मत वाले हैं बहुत ही हिम्मत वाले हैं।।


 


कुंती नवल, मुंबई 


986986245


डॉ सुनील कुमार ओझा

मैं आजाद हूँ अब, गम किस बात का। 


चाहूँ मैं करूँगा वह, दंभ इस बात का। 


ऐसी सोंच हमारी बन गई इत्तेफाक ये। 


होने लगा वोही, डर था जिस बात का। 


 


अनुराग राग में, खोके अपनी पहचान।


मशगूल होकर समझे, यही है पहचान। 


छोड़ राहें चलने को आतुर हैं सबलोग। 


वर्तमान समाज का यह आज पहचान। 


 


जिन लोगों ने सींचे, उपबन को लहू से। 


घायल हैं वो आज, अपने उन्हीं लहू से। 


शिकायत करें अब वे, किससे किसका? 


सबकुछ देकर वो आज, सहता लहू से। 


 


मनमौजी 'स्वार्थी', खोया कैसे खुद को? 


पाने की ललशा में, बेचते हो वजूद को। 


मुश्किलों से तुम्हें मिला है, ये स्वतंत्रता। 


सवांर लें भविष्य अपना, बचा खुद को। 


 


कभी भी समय इन्तजार करता नहीं है। 


सामने कौन हैं उसका, वे डरता नहीं है। 


गुलाम हैं सभी होकर दास उसका यहां। 


सत्यता रहती है जबतक, हरता नहीं है। 


 


सौभाग्य से जीवन में, मिलता है मौका। 


होके बिमुख फर्ज से, खोते कुछ मौका। 


दुबारा नहीं आये ये वक्त लौटकर कभी। 


समझे वो पार गये, शेष की डूबी नौका। 


 


              


डॉ सुनील कुमार ओझा 


असिस्टेंट प्रोफेसर (भूगोल विभाग)


-चौबेबल, बाबूबेल, हल्दी,बलिया,उत्तरप्रदेश ,


     पिन- 277402


मो0 न0--9454354932,6386941466,


E.mail..dr.sunilojha@gmail.com


मुक्ता गुप्ता

रणक्षेत्र में बिगुल बजा है


हो जाओ तैयार सैनिकों,


दिखला दो तुम आज विश्व को


अपनी माँ से प्यार सैनिकों।


कुछ साँप विषैले वसुधा पर


इन्हें कुचल-मसल देना है,


उठा ना पाएँ ये फन अपना


कर दो इतना वार सैनिकों।


बहुत पिलाया गोरस इनको


बस!रुक जाओ अब और नही,


दिखलाओ अब इनको भी तुम


अपनी भी हुंकार सैनिकों।


"हेमराज"के सिर को वीरों


नही भूल पाएँ हैं अब तक,


बंद पड़ी थी म्यानों में जो


तानो अब तलवार सैनिकों।


धू-धू लंका जली कनक की


बहुत बड़ा दंभी रावण था,


पाकिस्तानी राक्षस का भी


कर दो तुम संहार सैनिकों।


लहराएगा सदा तिरंगा


दुश्मन का सिर नीचा होगा,


दीप जलेगा घर-घर होगा


एक नया त्योहार सैनिकों।


गौरव हो तुम मातृभूमि के


तुमसे ही हम सबकी साँसे,


नत होती है "मुक्ता"तुम पर


एक नही सौ बार सैनिकों।


 


मुक्ता गुप्ता


बंशीधर शिवहरे

हम भारत माँ के बेटे है ,


मां पे शहीद हो जाएंगे ।


लेकिन मां के आंचल को ,


दुश्मन न छूने पायेंगे ।।


हम भारत माँ के बेटे है__ __ __ __ __ __


 


ये चीन तेरी चालाकी में ,


अब हम ना आने वाले है।


तू लाख बिछा दे जाल मगर ,


हम तुझको डसने वाले है ।।


इतरा ना इतना खुद पे तू ,


हम धूल ही तुझे चटाएंगे ।


लेकिन मां के आंचल को........ 


 


एक तो कोरोना भेज दिया ,


सारी दुनिया को हैरान किया ।


इक्कीसवीं सदी में जाना था ,


तूने और पीछे ढकेल दिया ।।


खुद को न विश्व गुरू समझो ,


हम पीछे करते जायेंगे ।


लेकिन माँ के आंचल को .......


 


ऐ पाक ना हमको आंख दिखा ,


हमको तुझसे क्या लेना है ।


है जितनी तेरी अबादी,


उतनी तो हमारी सेना है ।


चुटकी में मसल कर रख देंगे ,


  पी ओ के से तुझे हटायेंगे ।


लेकिन माँ के आंचल को 


दुश्मन न छूने पायेंगे ।।


हम भारत माँ के बेटे हैं,


मां पर शहीद हो जाएंगे।।


 


अवतार सिन्हा अँगार

मातृभूमि की रक्षा खातिर ,त्याग दिये अपने प्राण।


आओ मिलकर जलाये ,एक दीया शहीदों के नाम।।


 


पथ हो पहाड़ हो चट्टानों की दीवार हो।


जल हो मरुस्थल हो हिम् या दलदल हो।।


करते देश की रक्षा चाहे कोई भी हो अंजाम।


आओ मिलकर जलाये एक दिया शहीदों के नाम।।


 


पुलवामा पठानकोट कश्मीर और हो उरी।


लड़ते देश की ख़ातिर कोई भी हो मजबूरी।।


धर्म जिसका देशभक्ति भारत जिसका मुकाम।


आओ मिलकर जलाये एक दीया शहीदों के नाम।।


 


 


पत्नी रोती घर मे माँ का आँचल सुना।


बहन का खोया राखी पिता का बेटा नगीना।।


धरती रोती अम्बर रोता ,रोता हिंदुस्तान।


आओ मिलकर जलाये एक दीया शहीदों के नाम।।


 


भारत माँ के सच्चे सपूत देश के तुम जाबाज।


नाज पूरे भारत को तेरी जांबाजी पे आज।।


तेरी इस कुर्बानी को सदा वतन करेगा सलाम।


आओ मिलकर जलाये एक दीया शहीदों के नाम।।


 


नाम -अवतार सिन्हा अँगार


डॉ.अनिता सिंह 

वीरों की कुर्बानी को इक नया आयाम दे ।


चित्रकार चित्र में तू वीरों को सलाम दे ।


केसरिया हो रंग जीवन ज्योति सा निखार दे।


हरा से हरियाली है,श्वेत शांति का विचार दे।


चित्रकार चित्र में तू वीरों को सलाम दे..


चित्र में हो दयानंद वेदों का प्रचार हो ।


मीटे अधर्म जग में धर्म का प्रसार हो ।


युवावर्ग को विवेकानंद और बापू का विचार दे।


चित्रकार चित्र में तू वीरों को सलाम दे.....


लक्ष्मीबाई काअंग्रेजो से युद्ध हुआ था भारी ।


तात्या टोपे वीर और मंगल जैसे क्रांतिकारी। तिलक जी आजादी हेतु करते उद्घोष भारी।


शिवाजी की माता, जीजाबाई जैसे रचनाकार दे। चित्रकार चित्र में तू वीरों को सलाम दे ....


राम प्रसाद बिस्मिल फाँसी पर भी गाना गाते । सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रहित सेना नयी बनाते । 


हो जिसमें वीरों सा जज्बा सेना वही सजा दे । चित्रकार चित्र में तू वीरों को सलाम .....


राजगुरु,सुखदेव ,भगत सिंह हंस कर फाँसी खाते । 


लौह पुरुष सरदार पटेल भारत दिव्य बनाते ।


लाल बहादुर शास्त्री जैसे आजाद के विचार दे। चित्रकार चित्र में तू वीरों को सलाम दे ....


माँ के मस्तक पर इन वीरों ने तिलक लगाया ।


तूफानों से लड़कर है तिरंगा फहराया ।


आजादी का मोल जीवन देकर है चुकाया ।


इन वीरों के सम्मान में चित्र को नवाकार दे 


चित्रकार चित्र में तू वीरों को सलाम दे । 


 


डॉ.अनिता सिंह 


सीपत रोड, राजीव विहार 


बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


पिन-495006


मोबाइल नंबर-9907901875


चन्दन सिंह चाँद

सारी दुनिया जिनके चरणों में


आज पड़ी है नतमस्तक 


जागो हे भागवतम भारत !


हे ब्रह्मकमल की दिव्य महक !


 


सकल जगत कर रहा आवाहन


जड़ - चेतन दे रहे निमंत्रण 


महाकाल का तुझे निवेदन 


जागो जननी , जागो माता 


जाग उठो हे विश्वविधाता !


 


हे सकल जगत की अग्निशिखा !


हे दिव्यज्योति भारत माता !


प्रगटो तव मूल रूप में अब 


हे परम ज्ञान की विज्ञाता !


 


जागो जागो हे परमप्रभु !


जागो जागो हे विश्वगुरु !


हे जग की जननी अब जागो 


हे भारत धरिणी अब जागो 


 


नन्हा शिशु आर्त पुकार रहा 


चरणों की ओर निहार रहा 


आओ माँ अब कर दो मंथन 


यह जगत बने तव मधुर सदन


 


अंग - अंग से उठी पुकार 


माँ अब तेरे शिशु तैयार 


आज गढ़ तू नवल जगत 


जग जाए भागवतम भारत 


 


माँ आ जाओ अब जीवन में


उतरो माँ तुम अब कण - कण में 


ले नई चेतना तुम आओ 


हृदयों में आज समा जाओ 


 


उठ चुका उदधि में है तूफान 


चरणों में नत हैं कोटि प्राण 


माँ आज कर तू यह भू महान 


माँ ला दे अब तू नव विहान 


 


माँ बस यही है प्रार्थना 


माँ सिद्ध कर तू साधना 


भारतभूमि अब भव्य हो 


जगतमूर्ति यह दिव्य हो ।।


 


- ©चन्दन सिंह "चाँद"


जोधपुर , राजस्थान


रत्ना वर्मा

आज देश भक्ति सिमट कर रह गई है ।


  हर दिन हमें देश के लिए सोचना चाहिए। इसके लिए 


एक निर्धारित दिन ही क्यू! आज स्वतंत्रता के लिए नहीं 


आतंकवाद और भ्रष्टाचार के लिए लड़ना है। यह लड़ाई 


लड़ना तो बहुत जादा गंभीर है, क्यों कि ये लड़ाई अपनों 


से लड़नी है।


पुराने जमाने में देश की ऐसी स्थिति न थी। हम गुलाम 


जरूर थें पर चोर ,उचक्कें ,मवाली नहीं थें। 


आपसी प्यार बहुत था। लोग एक दूसरे की मदद को


हमेशा तैयार रहते थें। 


लोगों की सोच अब के माहौल से बिलकुल भिन्न थीं। 


हर एक के दिल में देश प्रेम का जज़्बा था- लोग एक 


दूसरे की मदद को तैयार रहते थें। 


 आज देश में जिनको न्याय मिलनी चाहिए वही दर- दर भटक रहा है। सत्य बोलने पर लोग उसे पागल करार दे कर हवालात में बंद कर देते हैं। 


 ज़रा कुछ हुआ कि नहीं सरकारी सम्पत्ति को लोग 


नुकसान पहुंचाने लगते हैं। 


     कई ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिन्हें आपसी ताल मेल 


से हल किया जा सकता है ।


लेकिन इन सब के लिए राजनीति से हटकर समझदारी 


की जरूरत होगी।  


   यही समझदारी वास्तविक स्वतंत्रता दे सकती है ।


   अभी आज ही कश्मीर में आतंकी हमले में हमारे 


दो जवान मारे गए । बहुत दुःख होता है जब हमारे 


जंबाजों पर ऐसे हमले होते है ।


    देश बहुत है दुनिया में, 


पर देश भारत जैसा कोई नहीं!


हर मज़हब के लोग यहाँ-


देते हैं एक दूसरे को सम्मान,


बोलो - मेरा भारत है महान !


 


कोरा बेदाग भोला भाला ,


निश्छल मन सालार ।


उत्तर में गिरीराज हिमालय,


दक्षिण में सागर विशाल ।


बोलो मेरा भारत है महान।।


 


कविता ,काव्य, शेर ,गज़ल-


भजन, गीत अरू नाद से ...


होवत ईहां विहान ....


 भावना कल्पना आलमे विशाल,


बोलो मेरा भारत है महान। ।


      ऐसा सुन्दर देश है मेरा , तो कल्पना भी 


अच्छी होनी चाहिए .......


हमारे पिता- स्व श्री बद्री नारायण मेहता (स्वतंत्रता सेनानी) से ही हमें देश भक्ति विरासत में मिली है ।


आज करीब दस साल से ....


 हम नमन भारत की एक पोस्ट नियमित अपने 


फेसबुक वाॅल पर लोगों को जागरूक करने के लिए 


पोस्ट करतें हैं। हमें इससे संतुष्टि मिलती है। 


अंत में अपने देश के लिए यही कहना चाहूंगी ...


 


   ये धरती हिदुस्तान की , विकास होना चाहिए। 


    आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए।।


    मज़हब कोई भी हो, सम्मान होना चाहिए। 


    संस्कृति संस्कार का, विकास होना चाहिए।।


   द्वेष घृणा विद्वेष का, नास होना चाहिए। 


    मानव को मानवता का, ज्ञान होना चाहिए।।


  ये धरती हिदुस्तान की, विकास होना चाहिए...


  देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ  


   


                      


                                


                            रत्ना वर्मा 


                                       सरायढेला 


                                  धनबाद- झारखंड 


                     संपर्क सूत्र- 9031695448


वीणा चौबे

क्यूँ जात पात में बँट गया ये प्यारा हिन्दुस्तान ।


जहाँ आजादी के साथ लिखा था ये संविधान ।


जहाँ खुली साँस को आह मे दबा दी जाती है,


जहाँ बेटियों को गर्भ ,और बाहर जिंदा जला दी जाती है,


यहां आरक्षण के नाम पर काबिल को नाकाम बना देते है,


जहाँ राजनीति में गुण्डागर्दी को आम बना देते हैं,


जहां मेहनतकश लोगों को रोटी नसीब नही है


जहाँ बेमानी ने अपनी झोली खूब भरी है,


भारत माता की खातिर जो खुद को कुरबान कर गये,


आजादी, अमन ,शान्ति ,सुख,चेन खुद का न्योछावर कर गये,


काट कलेजा महंगाई ने फिर जोर शोर मचाया


आत्मनिर्भर बनने फिर देश ने जोर लगाया


अंग्रेजों से आजाद हुए तो उनके गुण अपना रहे,


आज खुद ही अपने देश को गुलाम बना रहे


यही था आजाद देश का सपना जो अपनो का ही खून पियेगा 


अपने ही देश की बेटी की ईज्जत को लूटकर जिंदा जला देगा,


क्या एसी आजादी के लिये वीरों ने प्राण गंवाये


आज अगर वो होते तो सोचते की क्युं हमने ये कदम उठाये 


आजादी अगर एसी है तो हमे फिर से ये जन्म मिले,


कम से कम हम अपने देश के ही कर सके दूर ये शिकवे गिले ,


सोचा आजादी के मायने जानू,


क्या अपनी संस्कृति को नष्ट करना ये आजादी है,


तो सच मे क्या ये ही आजादी हमे प्यारी है। 


 


नाम- वीणा चौबे


सौम्या अग्रवाल 

देश की मिट्टी तुझे मेरा सलाम


तेरे आंचल में न जाने कितने वीर छिपे महान


अपने परिवार का त्याग कर हमें सुरक्षित करना


अपने अपनों की बजाए वतन पर मरना


आज़ाद यूं ही नहीं आज हम कहलाते 


आज भी न जाने कितने मात- पिता अपने लाडलों की तस्वीरें सहलाते 


हर दिन की खुद की खुद से लड़ाई 


 हर छुट्टी के बाद घर वालों से लंबी जुदाई


कब मां के हाथ के बने लड्डू का आखरी डिब्बा घर से आए


कब बहन की राखी और प्यार भरा खत आखरी बार पढ़ पाए


 वो तो बस कफन बांध चलता ही जाए


हर वीर को आज मेरा नमन है


उन्हीं की बदौलत मेरे देश में अमन है


 


 नाम - सौम्या अग्रवाल 


कक्षा- ग्यारहवीं की छात्रा  


मकान नंबर 5415 


पंजाबी मोहल्ला,


अंबाला छावनी, हरियाणा


पिन कोड -133001


मोबाइल नंबर- 9053708304


ई-मेल पता- saumyaaggarwal30@gmail.com


डॉ0विद्या सागर मिश्र सागर

एक दिन माँ से कहा जा रहा हूँ सीमा पर,


कर देश सेवा राष्ट्र्धर्म को निभाउंगा।


लडूंगा मै डट कर और सीना तान कर,


शत्रुओं को कभी नही पीठ मै दिखाऊँगा।


सीमा पर मर जाऊँ मिट जाऊँ गा मगर,


माता कभी नहीं तेरे दूध को लजाऊँगा।


शत्रुओं से लड़कर उनको खदेडकर,


नहीं तो तिरंगे मे लिपट घर आऊँगा ।।


 


डॉ0विद्या सागर मिश्र "सागर"


लखनऊ उ0प्र0


मो नं 9452018190


शिवानी शुक्ला श्रद्धा

मातृभूमि के लिए मिटे जो


कर लो उनकी याद


तन मन किया न्योछावर


ताकि रहे वतन आबाद ||


 


भेदभाव था नहीं किसी में


हिन्दू मुस्लिम भाई थे


तिलक किये इस वीर भूमि से


सिक्ख सौगंध उठाये थे 


सावरकर जैसे वीर कयी 


और मर मिटे अशफ़ाक़ ||


 


स्वतंत्रता का पर्व ये गाथा है


उनके बलिदानों की


राष्ट्र प्रेम हित मिटे यही पर


अनगिन वीर जवानों की


राजगुरु सुुखदेव भगतसिंह


और विस्मिल आजाद ||


 


स्वरचित मौलिक


शिवानी शुक्ला श्रद्धा


जौनपुर उत्तर प्रदेश


दिनेश चंद्र प्रसाद दीनेश

"मैं कश्मीर हूँ


 


धरती का स्वर्ग इंडिया का जन्नत हिंदुस्तान का तकदीर हूँ 


मैं कश्मीर हूँ,मैं कश्मीर हूं 


था धाराओं के जंजीरों में जकड़ा हुआ स्वार्थी तत्वों के द्वारा लूटा हुआ 


अब मैं आजाद धीर भीर गंभीर हूं 


मैं कश्मीर हूँ,मैं कश्मीर हूँ


उत्तर- दक्षिण,पूरब-पश्चिमभजन


सब हैं मेरे भाई बहन


मैं भारत माँ का लाडला बेटा हीर हूँ


मैं कश्मीर हूं,मैं कश्मीर हूँ


सेव और अखरोट की


हरी-भरी हैं वादीयाँ


बर्फ से ढकी सफेद चोटियाँ


यौवन करता है यहाँ अठखेलियाँ


रंग बिरंगे फूलों की है क्यारियां


केसर का अनमोल


सुगंध युक्त समीर हूँ 


मैं कश्मीर हूँ ,मैं कश्मीर हूँ


डल झील का शिकारा


गुलमर्ग का नजारा


आसमा से बातें करता


देवदार और चीनारा


विस्थापितों का दुख दर्द और पीर हूँ


मैं कश्मीर हूं ,मैं कश्मीर हूँ


किसी शायर की गजल हूं 


किसी झील का कंवल हूं


पंच नदियों का मैं निर्मल नीर हूं 


मैं कश्मीर हूं,मैं कश्मीर हूँ


हिफाजत में मेरे जो शहीद हुए


उन वीर जवान शहीदों के


गले का मुक्ता हार हूँ


मैं कश्मीर हूँ, मैं कश्मीर हूँ


देखे जो मुझे प्यार से


उसके लिए मैं फुल हूं


तिरछी नजर वालों के लिए


मैं तेज शमशीर हूं 


मैं कश्मीर हूं, दिनेश मैं कश्मीर हूं 


मैं कश्मीर हूँ, मैं कश्मीर हूँ


 


दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता


DC-119/4,स्ट्रीट न.310,न्यूटाउन,


कलकत्ता-700156


मोबाईल. 9434758093


शिवनाथ सिंह

आजादी के लिए ही त्याग दिये थे, देश के वीरों ने अपने घरबार,


संकल्प बड़े पक्के थे उनके, मर मिटने को हरदम रहते थे तैयार,


भारत आजाद कराकर दम लेंगे, संकल्प दोहराया करते थे वे,


वे विलक्षण थे, स्वाभिमानी थे, उनके होते थे क्रांतिकारी विचार ।


 


तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा, बोस ने नारा लगाया था,


वीर सपूतों की 'हिन्द फौज' ने, आजादी का बिगुल बजाया था,


सुभाष चंद्र बोस प्रतिभाशाली थे, मतभेद था उनका अहिंसा से,


काल कवलित हो वे कहाँ चले गए, कोई भी समझ न पाया था ।


 


आज भी हमारे देश की सेना, अपने जौहर दिखलाया करती है,


वीरता का परिचय देती, अपने देश का लोहा मनवाया करती है,


नित नये नये परचम लहरा कर, गौरव की अनुभूति करा देती,


देश के दुशमनों को चुन चुन कर, सही ठिकाने लगाया करती है ।


 


इन वीर सपूतों की शौर्य गाथाएँ, हम भुला नहीं सकते हैं कभी,


भारत के शहीदों की निशानियाँ, हम मिटा नहीं सकते हैं कभी,


इस धरती माँ के वो बहादुर बेटे, जो दुर्गम सरहदों पर डटे हुए,


उन वीर सपूतों के साहस को, हम बिसरा नहीं सकते हैं कभी ।


 


शिवनाथ सिंह, लखनऊ


डाॅ0 उषा पाण्डेय 

फौजी भाई सीमा पर, 


करते दुश्मन को बेहाल।


तभी तो रहते हम खुशहाल ।


तभी तो रहते हम खुशहाल।


 


अपनी जान जोखिम में डालकर,


हम सबकी जान बचाते हैं।


हौसले अपने बुलंद रख कर,


आगे ही बढ़ते जाते हैं।


हम सब के लिए ये हैं मिसाल


तभी तो रहते हम खुशहाल।


 


चाहे जितनी गर्मी, ठण्डी हो,


ये परवाह नहीं करते।


सीना ताने खड़े रहते हैं,


तनिक भी नहीं डरते।


बनते ये हम सबकी ढाल, 


तभी तो रहते हम खुशहाल।


 


असहनीय दर्द ये सहते हैं,


पर, 'उफ्' कभी नहीं करते।


सोने के लिए बिस्तर हो, न हो,


परवाह कभी नहीं करते।


देश को रखते हैं संभाल,


तभी तो रहते हम खुशहाल।


 


हमारी तरह ये भी इंसान है,


पर हम सबसे महान हैं।


हम देशवासियों के लिए, 


ये धरती पर भगवान हैं।


दिल होता इनका विशाल,


तभी तो रहते हम खुशहाल ।


 


आइए, हम सब मिल कर


इनके लिए प्रार्थना करें।


प्रभु इन पर कृपा करें,


प्रभु इनकी रक्षा करें।


करते रहते ये कमाल


तभी तो रहते हम खुशहाल ।


 


फौजी भाई, सीमा पर,


करते दुश्मन को बेहाल ।


तभी तो रहते हम खुशहाल ।


तभी तो रहते हम खुशहाल।


 


डाॅ0 उषा पाण्डेय 


स्वरचित


संतोष कुमार वर्मा कविराज

जज्बा हो कुछ कर दिखाने की हर मुश्किल से पार पाने की।


 


 चट्टानों से भी फौलादी हो सीना जुनून हो दुश्मनों से टकराने की।


 


 दुश्मन कोई और नहीं है सच में जरूरत है अपने भीतर बैठे शैतान को मिटाने की ।


 


कम नहीं आंखों किसी को कभी गूढ़ ये भी हो, हर किसी को सम्मान देने की ।


 


सोच हो अपनी यूं विकसित विश्व भी आतुर हो 


भारत से कुछ सिखाने की ।


 


जज्बा हो कुछ कर दिखाने की हर मुश्किल से पार पाने की।


 


संतोष कुमार वर्मा ' कविराज '


शिवानंद चौबे

मातृभूमि के स्वाभिमान को


हँसकर फांसी स्वीकार किया


धन्य जीवन उन विरो का 


साहस, त्याग अपार किया ।


 


भुला सकते नहीं है हम


 उन वीरों की शहादत को,


हुए बलिदान बलि वेदी पे 


जो उनकी इबादत को।


 


वतन के वास्ते जीना


 वतन के वास्ते मरना,


वतन के वास्ते जो हैं 


न्यौछावर उस मोहब्बत को।


 


साहस शौर्य और वीरता


 की जो गौरवगाथा थे,


त्याग समर्पण देश प्रेम की


 जो अद्भुत परिभाषा थे।


 


राष्ट्र ऋणी हैं ऋणी रहेगा 


बलिदान की अमर कहानी को,


शिवम् करे शत शत हैं नमन


अमर वीर बलिदानी को।।


 


शिवानंद चौबे


विजय मेहंदी

 


          जम्मू है सिरमौर देश का,


          दाईं भूज गुजरात है।


          बाईं भुजा पुर्वोत्तर भारत,


          खाड़ी का सम्राट है।


 


          दिल्ली है जिगर देश की,


          दिल यूपी महाविराट है।


          आंध्रा बाईं कोंख देश की,


          दाईं महाराष्ट्र है।


 


        सावधान की सथिति में खड़े,


        दो पैर केरल औ- मद्रास हैंं।


        कन्याकुमारी माँ के चरणों में,


        पुष्प-गुच्छ आच्छाद है।


 


        दक्षिण में चरणों को धोता,


        सागर का सम्राट है।


        शत्रु देश हैं चोटी कटवा,


        उनकी क्या औकात है।


 


"विजय मेहंदी" (सहायक अध्यापक)


कम्पोजिट इंग्लिश मीडियम स्कूल शुदनीपुर,मड़ियाहूँ,जौनपुर(यू पी)


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