शिक्षक दिवस के अवसर मेरे हृदय से निकले कुछ उद्गार
चरणों मे पड़ी गुरुवर,हृदय तमस हर लो
जीवन में है अंधियारा,उसमें प्रकाश भर दो।
चरणों में पड़ी गुरुवर.........................
मोमबत्ती की तरह जल कर,तू सबको उजाला दे,
गलती जब करे कोई, तू क्षमा उसे कर दे,
कमजोरी दूर कर शिष्य, को शिखर तक पहुंचा दो
चरणों में पड़ी गुरुवर.................................
था ज्ञान नहीं कुछ भी,सब कुछ तुमने है सिखाया,
हमको सतपथ पर लाकर, एक अच्छा इंसां बनाया,
जो ज्ञान मिला तुमसे, वो ही सच्चा धन कर दो।
चरणों में पड़ी गुरुवर................................. .
हीरे को तराशे तो, कीमत उसकी बढ़ जाये,
विद्या धन पास में हो, तो जिंदगी सँवर जाए,
सब शिष्य झुके सामने,तुम सुखद छाँव कर दो,
चरणों में पड़ी गुरुवर........…….....................
तू ही एक जग में है, जिसने सबको बनाया,
गोविंद ने तुझको ही, है सबसे बड़ा बताया,
तू अपनी महिमा से,जग को रोशन कर दो।
चरणों में पड़ी गुरुवर........ .................
डॉक्टर, नेता, हीरो, गुरु तुमने ही है बनाये,
तू न अगर हो तो, कोई कुछ न बन पाए
तू जो कृपा कर दे, सबका जीवन धन्य हो।
चरणों में पड़ी गुरुवर........................
तू सब ग्रंथों का सार, तुझसे से ही ईश्वर मिलता,
तू अध्यात्म की ज्योति है,ये जीवन उजला दिखता,
कोई शिष्य तुझे जो भजे, जीवन तुम सफल करदो,
चरणों में पड़ी गुरुवर.................................
जब जब मैंने उठना चाहा, दुनिया ने मुझे गिराया,
तुम राह में आकर मेरे, मुझे रास्ता आगे दिखाया,
ईश्वर के अस्तित्व का तुम, मुझे ज्ञान बोध कर दो,
चरणों में पड़ी गुरुवर................................
जब जब संसार से हारी, गुरुवर तुमने मुझे बचाया,
सत्य धर्म का मार्ग दिखाकर,उस पे चलना सिखाया,
शतशत मैं नमन करूँ, मेरे सिर पर हाथ रख दो,
चारों में पड़ी गुरुवर..........…..........................
मेरे दिल के भाव ये हैं, जो तुझको अर्पण हैं,
गुरुवर मुझे शरण में लो, करते अभिनंदन हैं,
मैं निपट, मूढ़ गुरुवर, ज्ञान की अलख जगा दे।
चरणों में पड़ी सुषमा..........................
धरती से धैर्य है तुझमें, अम्बर सी है उंचाई ,
सागर जैसे तुम गहरे,मैं पाऊँ कैसे गहराई,
तेरी शरण पड़ी ये सुषमा, नित ज्ञान नया भर दो।
चरणों में पड़ी गुरुवर....... .....…................
सुषमा मोहन पांडेय
सीतापुर उत्तर प्रदेश