विषयः हिन्दी राष्ट्र धरोहर है
शीर्षकः "मानक है हिन्दी वतन"
हिन्दी पखवाड़ा दिवस, चलो मनाऊँ आज।
जनभाषा निज देश में , रक्षणीय मोहताज़।।१।।
अभिनंदन स्वागत करूँ,हिन्दी दिवस आगाज़।
इस स्वतंत्र गणतंत्र में , तरसे हिन्द समाज।।२।।
सिसक रही निज देश में , निज वजूद सम्मान।
हिन्द देश हिन्दी वतन , निज रक्षण अपमान।।३।।
बाँध वतन जो एकता , दर्पण भारत शान।
जनभाषा तीसरी बड़ी , सहे हिन्द अवमान।।४।।
साजीशें ये कबतलक , भिक्षाटन अस्तित्व।
जनभाषा हिन्दी वतन , माँग रहा है स्वत्व।।५।।
निज वाणी मधुरा प्रिया , हिन्दी नित सम्मान।
भारत की जन अस्मिता , बने एकता शान।।६।।
नित यथार्थ सुन्दर सुलभ ,सूत्रधार जन देश।
संस्कृत तनया जोड़ती , हिन्द वतन संदेश।।७।।
कण्ठहार जनभाष बन , विविध रीति बन प्रीत।
आन बान शाने वतन , हिन्दी है उद्गीत।।८।।
श्रवण कथन सम लेखनी , काव्यशास्त्र उद्गीत।
मानक है हिन्दी वतन , लोकतंत्र नवनीत।।९।।
शब्द अर्थ अधिगम सुलभ,साहित्यिक सत्काम।
समरसता नवरंग से , हिन्दी है अभिराम।।१०।।
बने धरोहर राष्ट्र की , नव विकास आधार।
हिन्दी भाषा शुभ वतन , राष्ट्र भाष अधिकार।।११।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक (स्वरचित )
नवदेहली