हिंदी दिवस 2020 ऑनलाइन हिंदी दिवस 14 सितंबर के अवसर पर काव्य रँगोली द्वारा निम्न महानुभावो को काव्य रंगोली राज भाषा सम्मान 2020 प्रदान किया जाता है।
-अवनीश त्रिवेदी
-अरुणा अग्रवाल लोरमी छग
-अविनाश सिंह
-अर्चना शुक्ला मुंबई
-भगत जी जयपुर राज
-बृंदावन राय सरल सागर एमपी
-ब्रम्हदेव शास्त्री पंकज
-दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
-फूलचंद्र विश्वकर्मा हलवारा, लुधियाना
-आचार्य गोपाल जी
-हेमलता गोलछा
-जय श्री तिवारी खंडवा
-कृष्ण कुमार क्रांति सहरसा बिहार
-डॉ. निर्मला शर्मा दौसा राजस्थान
-नन्द लाल मणि त्रिपाठी गोरखपुर
-डॉ० प्रभुनाथ गुप्त ' विवश '
-पुनीत कुमार - लुधियाना
-ऋषि कबीर सिद्धार्थनगर
-रवि प्रताप सिंह,राष्ट्रीय अध्यक्ष-"शब्दाक्षर
-डॉ राजीव पाण्डेय जी गाजियाबाद
-राजेश कुमार सिंह श्रेयस
-डॉ शिवानी मिश्रा प्रयागराज
-सुनीता यादव हरगांव सीतापुर
-सुधा मिश्रा द्विवेदी, कोलकाता
-सुमन शर्मा भावनगर गुजरात
-विनोद कुमार सीताराम दुबे
-काव्यरंगोली रिजर्व
हिन्दी
हिन्दी की अस्मिता बचा लो
अंग्रेजी न इसमें पालो ।
हिन्दी को हिन्दी रहने दो ,
हिंग्लिश में इसको न ढालो ।
यह कितनी है प्राचीन भाषा
शब्दों की भंडारी भाषा
हर रिश्ते के अलग शब्द है
आंटी ,ग्रैनी की न मारी भाषा ।
काका ,मौसा ,फूफा ,ताया ,
सबका काम चला दे अंकल ।
हिन्दी में हैं रिश्ते दर्जन भर ,
ताके नहीं वो किसीका मुंह पर।
भाषा अपनी है वैज्ञानिक ,
लिपि भी है सबसे उत्तम ।
जितना लिख लो उतना बोलो ,
साइलेंट फाइलेंट का भेद खोलो ।
बहुत शुद्ध की नहीं जरुरत ,
सरल सहज और सीधा बोलो ।
मन के सारे बंधन खोलो ,
देखो इसमें जहर न घोलो ।
जय हिन्दी जय हिन्दुस्तान
हिन्दी की है अपनी शान ।
-सुधा मिश्रा द्विवेदी ,(स्वरचित )
कोलकाता
विश्व की शान है हिन्दी ।
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विश्व की पहचान है, हिन्दी ।
इस देश की आन बान है हिन्दी ।
हिन्द की जुबान है हिन्दी ।
आ अो हम सदा इसे अपनाये
हिन्दी का सरवत्र गुन गान गाये।
हम सबके लिए वरदान है हिन्दी ।
विश्व की ................
उत्तर से दक्षिण , पूर्व से पश्चिम, मातृ भूमि की पहचान है हिन्दी ।
हम सबका सममान है, हिन्दी ।
विश्व की ---------------
इस देश की आन बान है हिन्दी ।
हिन्द की जुबान है हिन्दी ।
जयप्रकाश सूर्य वंशी किरण, नागपुर
राजभाषा हिंदी
हमारी राज भाषा है
हिंदी उसे सलाम
करो हिन्दुस्तानीयो
जय बोलो हिन्दुस्तान की।।
देश - विदेश में दिल
खोलकर बोलिए हमारी
राज भाषा है हिंदी
जय बोलो हिंदुस्थान की ।।
भारत माँ की आचल
मे पले बड़े है हम
हिंदी राजभाषा है हमारी
जय बोलो हिन्दुस्तान की।।
संगीता एस कलबुर्गे
10वि कक्षा छात्रा
कर्नाटक
हिंदी राष्ट्रभाषा है हिंदी जगत का नाता है नाचो गाओ झूमो आज हिंदी से नाता बढ़ाओ आप भारत की जननी है हिंदी जगतगुरु का मुखौटा है हिंदी भारत माता के पैरों का धूल है हिंदी मर्यादा का स्वरूप है हिंदी==== सौरभ पांडे सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश
हिंदी जन- जन की भाषा है,
हम सब इसका सम्मान करें।
विधा ---"गीत"
हिंदी जन-जन की भाषा है,
हम सब इसका सम्मान करें।
पढ़ें-लिखें बोलें सब मिलकर,
पग -पग पर हम अवदान करें।।
वेदव्यास की गाथा गाएँ,
रामचरित को हृदय बसाएंँ।।
रहिमन मीरा भक्त कबीरा,
सबको धारें अलख जगाएँ।।
गौरव गाथा हिंदी भरकर,
मातृ -भूमि का गुणगान करें।
हिंदी जन-जन की भाषा है।
हम सब इसका सम्मान करें।
राज -काज की भाषा हिंदी,
नित --नित सबकी राह निहारे।
पूरी कर दें मिलकर आशा
भारत माता हमें पुकारे।।
अपनी हिंदी उच्च हिमालय,
भर निर्मलता अभिमान करें।
हिंदी जन-जन की भाषा है,
हम सब इसका सम्मान करें।।
दीप जलाएँ करें आरती,
करें वंदना भरे चेतना।
पुलकित होवे मात भारती,
शब्द साधना, बने वेदना।।
देश -प्रेम का भाव जगाकर,
पुण्य कर्म भर अनुष्ठान करें।
हिंदी जन-जन की भाषा है,
हम सब इसका सम्मान करें।।
हिंदी से आलोकित जीवन,
तोड़ विकृतियों के सब बंधन।
नित्य सजाएँ भाषा अपनी,
मात प्रेम भर कर लें वंदन।।
विजय गान विश्वास यही है,
आओ मिलकर उत्थान करें।
हिंदी जन-जन की भाषा,
हम सब इसका सम्मान करें।।
अमिता,रवि दूबे
छत्तीसगढ़
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम गाते हंसते हो
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपने सुख दुख रचते हो
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम सपनाते हो, अलसाते हो
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपनी कथा सुनाते हो ।
शिवानी वर्मा सिकंदरा कानपुर देहात स्वंतत्र पत्रकार
हम हैं हिंदी वासी
रहते मथुरा काशी
हर जगह हम छाए हुए
हर किसी में समाए हुए
हम हैं हिंदी वासी
रहते मथुरा काशी।
पहाड़ों पर भी हिंदी
रेगिस्तान में भी हिंदी
जहां भी जाएं हमे भाये हिंदी
हम कण-कण हिंदी गाते हुए
हम जन-जन हिंदी अपनाते हुए
हम हैं हिंदी वासी
रहते मथुरा काशी।
ना किसी से द्वेष रखते
ना किसी में दोष देखते
सबको अपने रखते दिल में
खुश बांटते हर जीवन में
हम हैं हिंदी वासी
रहते मथुरा काशी।
अनूप बसर
बुलंदशहर(उत्तरप्रदेश)
"हिन्दी सुख का मूल है,
हिन्दी सुख की खान।
हिन्दी का सम्मान कर,
होते मनुज महान।।"
इसलिए अगर सुख पाना है,
तो हिन्दी का सम्मान करो।
जो नाम अमर कर जाना है,
तो हिन्दी का सम्मान करो।।
कृति में वह व्यक्ति उठा ऊंचा,
जिसने हिन्दी का मान किया।
हो गए अमर वे प्रेमचंद,
जिसने इसका सम्मान किया।
पूर्व काल के वे बालक,
जो हिन्दी विधा संजोते थे।
हरिश्चन्द्र, कविवर दिनकर,
मैथिली से ज्ञानी होते थे।।
थे पंडित सूर्यकांत भी तो,
हिंदी ने "निराला" बना दिया।
और बच्चन जी की हिंदी ने,
सच में मधुशाला बना दिया।।
भारत की नव किशोर पीढ़ी,
निज गौरव भूला जाता है।
अपनी भाषा से विमुख हुआ,
पाश्चात्य विषय अपनाता है।
इसलिए देश यह सदियों से,
हो रहा रात दिन गारत है।
अब तो बस नाम ही भारत है,
भारत अब नहीं वो भारत है।।
दुर्गा प्रसाद नाग
नकहा - खीरी
एक घनाक्षरी छंद
हिंदी लगे बड़ी प्यारी, जन - जन की दुलारी,
महकाएं हर क्यारी, उर सुखदाई है।
सूर - तुलसी के छंद, लगते पवन मंद,
पुष्प - कली मकरंद, अलि मनभाई है।
जायसी, दादू, कबीर, पकड़े हैं शमशीर,
रचते हैं पर पीर, जन - मन छाई है।
बड़ा हिंदी से दुलार, उर में भरा है प्यार,
कहते हैं बार - बार, राष्ट्र की बड़ाई है।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
सभी आदरणीय महानुभावों को हिंदी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,,
स्वरचित मौलिक रचना....
नाम अमित राजपूत...
निवासी उत्तर प्रदेश गाजियाबाद...
ज्यादा मॉडर्न बनने के चक्कर में,
सत्य को क्यों झूठ लाते हो |
हिंदी से है हमारी संस्कृति और पहचान,
तो फिर हिंदी क्यों नहीं अपनाते हो हिंदी क्यों नहीं अपनाते हो |
हस्ताक्षर को भी हिंदी में करना शुरू कर दो आज से,
हिंदी का जन जन जग जग में प्रचार प्रसार करो |
हिंदी बोलने और लिखने में शर्म क्यों और केसी |
हिंदी ही है हमारी मातृभाषा इसका सदा सम्मान करो |
( कविता - हिंदी ही है हिन्द का पहला प्यार )
देव भाषा संस्कृत से कई गुण मिले हैं हिंदी को,
व्याकरण विद्वानों ने किया है इसका रुप-श्रृंगार।
इसने कई भाषाओं को समेटा है खुद में,
और क्षेत्रीय बोलियों को दिया है आधार।
वेद-पुराण महान बन सके तभी ही,
जब हिंदी में प्रस्तुत हुए उनके सार।
जहां अंग्रेजी भाषा मस्तिष्क में अटकती,
वहां हिंदी पहुँचती सीधे मन के द्वार।
सचमुच विदेशी भाषाएं सब लाचार,
हिंदी ही है हिन्द का पहला प्यार।
नाम - पुनीत कुमार
व्यवसाय - शिक्षक
पता - लुधियाना पंजाब
हिन्दी और शिक्षा
यूं तो सम्पूर्ण शिक्षा नीति का नवीनीकरण हो रहा है। किन्तु जब तक न्यायपालिका में हिन्दी भाषा का प्रयोग नहीं होता तब तक सब शिक्षा व्यर्थ है। जिस पर माननीय शिरोमणि सशक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी को संज्ञान लेकर अहम भूमिका निभानी चाहिए।
क्योंकि न्याय का रोना जन्म के साथ ही हो जाता है और शिशु के रोने मात्र से उसकी मां उसे स्तनपान करवा कर उसकी भूख को शांत करा देती है। अर्थात शिशु को न्याय मिल जाता है। शिशु का रोना मां भलीभांति समझ जाती है। हालांकि रोने की कोई भाषा-शिक्षा नहीं होती। परंतु फिर भी मां उस वाणी को समझती है।
उसी वाणी को मातृभाषा का नाम दिया गया और शिक्षा की उत्पत्ति भी मां से ही हुई। यही कारण है कि मां को प्रथम गुरू माना गया है। दूसरी ओर दुर्भाग्य यह है कि भारतीय रोते रहते हैं और न्यायाधीश ठहाके लगाते रहते हैं। क्योंकि अंग्रेजी नागरिकों को नहीं आती और मातृभाषा हिन्दी न्यायाधीशों को नहीं आती। जिसके फलस्वरूप न्यायधीश कभी न्याय नहीं दे पाते। बस 'न्याय' के नाम पर 'निर्णय' देते रहते हैं और यह एहसान निरंतर सौतेले भाई-बंधुओं की भांति करते रहते हैं।
अतः मेरा सौभाग्य है कि हिन्दी दिवस 2020 के शुभ अवसर पर मेरी कलम भारत के माननीय महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी एवं माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी से मांग कर रही है कि भारतीयों की भारतीयता, संस्कृति और सभ्यता, को बचाने एवं शहीदों की आत्माओं को न्याय देने हेतु न्यायपालिका के स्तंभ में भी हिन्दी भाषा को लागू कर सम्मान दिलाएं। भले ही संसद में बिल पास करें या राष्ट्रहित में कर डालें। अन्यथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी हिन्दी बोलने का कोई अर्थ नहीं है।
हम सब हिन्द के वासी है,
हिन्दी पे जान लुटा देंगे,
कुछ धैर्य रखो दुनिया वालों,
चहुंदिश परचम लहरा देंगे।
जायसी,सूर, कबीर के सपनो,
में हम पंख लगा देंगे,
कुछ धैर्य रखो दुनिया वालों,
हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बना देंगे।
विकसित है साहित्य हमारा,
इसे और फैला देंगे,
शपथ है ये हिन्दी दिवस की,
इसे सर्वोच्च स्थान दिला देंगे।
कुछ धैर्य रखो दुनिया वालों,
चहुंदिश परचम लहरा देंगे।।
नाम : रवि प्रजापति "अबोध"
पिण्डोरिया, अमेठी उत्तर प्रदेश
हिंदी दोहे
हिंदी भाषा है सरल, कहते विज्ञ सुजान।
अपने भारत देश का,सदा बढ़ाती मान।।
जन्म से ही हमें मिला, हिंदी का ही ज्ञान।
हम सदैव करते रहें, निज भाषा का मान।।
भारत के हर स्थान पर, हिंदी की है शान।
हिंदी भाषा बोल कर, देते इसे सम्मान।।
विश्व मंच में बोलियां, लगभग तीन हजार।
हिंदी से हमको सदा, अधिक स्नेह व दुलार।।
✍पंडित डीडी पाठक अनुराग "वशिष्ट"
राष्ट्र भाषा हिन्दी
भारत माता के माथे पर,
सजती है जो बिन्दी
वो अपनी मातृभाषा है
वो है प्यारी हिन्दी ||
हिन्दी पढें हिन्दी पढायें
राष्ट्र भाषा को अपनाये
देशहित संकल्प लें यह
सच्चे राष्ट्र भक्त कहलायें ||
स्वरचित मौलिक
शिवानी शुक्ला श्रद्धा
जौनपुर उत्तर प्रदेश
*मंद-मंद मुस्काती हिंदी*
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हिंदी नारी की बिंदी है
उससे अंगार निकलने दो,
यह मन से करुणा है हिंदी
जन-जन का सपना है हिंदी,
भावों की तूलिका है हिंदी,
बिटिया की लोरी है हिंदी,
मां-सी आहट है हिंदी
फौजी की भाषा है हिंदी हिंदी जीवन का गहना है,
बस यही तुमसे कहना है,
अब बारी है अपनेपन की,
कुछ तेरे- मेरे कहने की,
इसमें एक रंग उतरने दो।
जो सूर्ख हुआ था खून कभी,
उसमें भी जीवन भरने दो,
हिंदी है तुलसी आंगन की,
जो जेठ में लगती सावन-सी,
इसको गंगा सी बहने दो,
अपने मन की भी कहने दो,
हो शीर्ष शिखर हिमालय सी,
उसको भी आसमां छूने दो,
ना मन में कोई दुविधा हो,
बस प्रेम प्यार की भाषा हो,
बस कालजयी हो यह हिंदी,
इसे मंद-मंद मुस्काने दो।
कार्तिकेय त्रिपाठी राम
गांधीनगर इंदौर
हमारी जुबा का गहना है हमारी हिंदी
सब भाषाओ में चन्द्र सी चमक है वो हिंदी
भिन्न राज्यों में सरताज हुकूमत करती हिंदी
शिक्षा व्यापार को बढोती देने वाली हिंदी
अ' से सुरु होती हमारी सुंदर भाषा हिंदी
जिन्हें हर कोई पढ़ सकता लिख सकता हिंदी
हम सब का मान हिंदी मेरा अभिमान है हिंदी
भारत देश की शान हिंदी हमारी पहचान हिंदी
नही कोई केपिटल नही कोई स्मॉल अक्षर हिंदी
आखर एक बिंदी पर सम्भाल लेती पूरा वाक्य हिंदी
1949 राजभाषा में पहचान बनाने वाली हिंदी
1953 से हर साल त्योहार सा माहौल लाने वाली हिंदी
-Nik
हिन्दी अभिमान हमारा है।
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हिन्दी अभिमान हमारा है,
‘हिन्दी हैं हम’हिन्दुस्तान का नारा है।
गंगा और तिरंगा वाले देश की
भाषा हिन्दी,बनी शान हमारा है।
हिन्दी अभिमान हमारा है।
जन मन की यह मीठी बोली
दिल में इसने मिसरी घोली,
शब्दों में ब्रह्माण्ड समाया,
वर्ण वर्ण जुड़ सजी रंगोली।
इससे ही दिवाली होली,
एकता का यह नारा है,
हिन्दी अभिमान हमारा है।
संस्कृत,प्राकृत,अपभ्रंश से निकल,
खड़ीबोली के सरल रूप में ढल,
शिरो रेखाओं से जुड़कर,
जोड़ा सबको एकत्रित किया बल,
देश की अखंडता का बन प्रतीक,
इसने सबको ललकारा हैं।
अनेक भाषाओं को अपने में समा,
‘अनेकता में एकता’का बनी यह नारा है,
हिन्दी अभिमान हमारा है।
इसमें हमारी सभ्यता,संस्कृति,
समायी इसी में भक्ति और शक्ति,
हमारी गतिऔर प्रगति की भाषा,
साधु संतों की यह बानी।
भारतमाता के मस्तक की बिन्दी,
सहजता,संकल्पना की पहचान है हिन्दी
भारतीयता का अब यही नारा है,
हिन्दी अभिमान हमारा है।
सुमन शर्मा
भावनगर (गुजरात)
पराया हो चला हिन्दी
आधुनिकता का चल रहा दौर ,
मातृभाषा का न सम्मान न ठौर ,
हमारा गाँव हो या हो फिर शहर ,
हर जगह घुल गया है आंग्ल जहर,
अपनों के बीच में ही बना पराया ,
विदेशी भाषा आज पैठ जमाया ,
हिन्दी को मिले वाजिब सम्मान ,
देशवासियों से करता हूँ आह्वान।
महेश सिंह
शिक्षक
बिलासपुर (छत्तीसगढ़ )
हिंदी में शान......
हिंदी में शान है।
हिंदी में बान है ।।
हिंदी ही जान है।
हिंदी ही सम्मान है ।।
भावनाओं की अभिव्यक्ति है।
मर्यादाओं की अभिव्यक्ति है हिंदी।।
वीर श्रृंगार आदि रसों ।
की जान है हिंदी।।
अलंकारों की सम्मान ।
है हिंदी ।।
हिंदी स्वर,ताल लय ।
की त्रिवेणी है हिंदी ।।
आदि मध्य और अद्य ।
की पहचान है हिंदी ।।
बड़ों के सम्मान की ।
समृद्धि है हिंदी ।।
मातृ प्रेम भातृप्रेम आदि।
रिश्तो की जान है हिंदी।।
*हिंदी में शान है ।*
*हिंदी ही बान है।।*
{रामशरण सेठ}
*मिर्जापुर उत्तर प्रदेश*
*ममतामयी हिन्दी*
अनपढ़ था मैं तब से है वो मेरे साथ।
आज निर्णय होते हैं मेरे
पर उसने छोड़ा नहीं साथ।।
जीवन भर साथ निभाने के
निर्णय से मैं भटक गया ।
माया मिलने के चकाचौन्ध में
माया देने वाली को भूल गया।।
माँ ने बचपन में दी थी एक सीख
नही मांगना किसी और की भीख।
बेटा तेरी संपदा है अनमोल
जीवन में हमेशा हिन्दी में ही बोल।।
अब समय बदल गया है
औरों का साथ निभाना होता है।
पर किरायेदार रखने से मकान
उसका नही हो जाता है।।
हमने नही किया संवर्धन,
तो बच्चों से कैसी रखें आशा।
माँ जैसी ममतामयी है,
हिंदी हमारी भाषा।।
हिंदी हमारी भाषा।
*-सुबोध मांडवीकर*
*जबलपुर (म.प्र.)*
आदर और संस्कार है,हिंदी में कितना प्यार है
स्वर,व्यंजन अविराम है, हिंदी भाषा महान है ||
महा देवी,प्रसाद,पन्त,दिनकर जी का आधार है,
कबीर,रहीम का सम्मान है,हिंदी भाषा महान है||
काव्य,ग्रन्थ की शान है, पुराणों का अभिमान है
भारतवर्ष की प्राण प्रिया है, हिंदी भाषा महान है||
संगीत का आधार है, सप्त संस्कृति की झंकार है
हिंदुस्तान की पहचान है, हिंदी भाषा महान है ||
गौरवपूर्ण इतिहास है, भाषाओँ में अलंकार है
देवनागरी में रचित है ,हिंदी भाषा महान है ||
सभी भाषाओँ से प्यार है,इसमें अपनापन दुलार है
भाषाओँ में सरताज है, हिंदी भाषा महान है ||
अर्चना शुक्ला
आया सबसे प्यारा देखो, हिंदी का त्योहार,
मिलकर सारे जश्न मनाओ, बोलो जय जय कार।
जोगीरा सा रा रा रा रा रा रा
मेरी हिन्दी प्यारी हिन्दी, इसके मीठे बोल,
ड से डफली बाजे इसकी , ढम ढम बाजे ढोल।
जोगीरा सारा..
खूब निराली है ये बिंदी, हिन्दी का श्रृंगार,
जैसे दुल्हन लगती प्यारी , पहन गले का हार।
जोगीरा सा रा रा रा रा रा
भारत के कोने- कोने में, करते इससे प्रीत ।
हिंदी में सब मिलकर गाते मीठे- मीठे गीत।
जोगीरा सा रा रा रा रा रा
इंद्रधनुष सी बनकर हिंदी, छाई नभ में आज,
भाषाओं की है ये रानी, करती सब पर राज।
जोगीरा सा रा रा रा रा रा
संदीप कुमार विश्नोई"रुद्र"
गाँव दुतारांवाली तह0 अबोहर जिला फाजिल्का पंजाब
सुहाने गीत गाती हूँ, सुनो हिंदी दुलारी है।
इसी में पुष्प बन महके, यही उपवन हमारी है।
कभी हम गीत है लिखते, कभी हम छंद लिख लेते।
नयन के कोर से देखे, तभी हम प्रीत लिख देते।
लुभाती है सभी को हिंद की हिंदी सुहानी है।
सजाती भाव है उर के, सुनाती ये कहानी है।
झुकाऊँ आज मैं माथा,हुई ये प्रीत प्यारी है।
इसी में पुष्प बन महके, यही उपवन हमारी है।
कलम की धार ये बनके, जगत को सच बताती है।
जगत के प्रेम की गाथा , सदा हिंदी सुनाती है।
हुआ जयघोष है जग में, बनी पहचान हिंदी है।
लिखें ये ओज में कविता , धरा की शान हिंदी है।
मिलाती है दिलों को ये , खिली ज्यों कंद क्यारी है।
इसी में पुष्प बन महके, यही उपवन हमारी है।
सारिका_विजयवर्गीय वीणा
नागपुर ( महाराष्ट्र)
*भारत का अभिमान है हिन्दी*।।
सरस ,सहज,नवरस अभिलाषा,
जन-मन- गण की सुरभित भाषा।
शुभग कलश पूरित नव आशा।।
ओज परम् शुभ गान है हिन्दी।
*सहज कण्ठ मृदु बान है हिन्दी*।
*भारत का अभिमान है हिन्दी*।।
शुभग ,मुदित,मकरन्द यही है,
भाव,भक्ति,कवि छन्द यही है।
भारत भू की विस्तृत भाषा।
संपूर्ण धरा की गंध यही है।।
संस्कृति देश प्रतिमान है हिन्दी।।
*भारत का अभिमान है हिन्दी*।
प्रेमचन्द्र की अद्भुत रचना,
अभिव्यक्ति की सरल संरचना।
गरल काव्य नव छ्न्द विपुल हो,
हिन्द प्राण प्रण शब्द अतुल हो।
प्रेम प्रीति रसगान है हिन्दी।
*भारत का अभिमान है हिन्दी*।
मीरा के भावों की गागर,
महादेवी का अविरल सागर।
रामकथा शोभित तुलसी की।
नानक ,कबीर,रसखान है हिन्दी।
*भारत का अभिमान है हिन्दी*।
हृदय कुंज ,भव पुंज सहजता,
अस्तित्व हिन्द, तम तेज सरसता।।
अमिय प्रीति से पूर्ण विधा यह,
मातृभूमि की प्राण सुधा यह।
आन बान और शान है हिन्दी।
*भारत का अभिमान है हिन्दी*।
हिन्द देश की प्राण प्रिया यह,
वन्दनीय जन-मान जिया यह।।
काव्य ,ग्रन्थ,पुराण आत्म भव,
गीत ,रीत ,संगीत छन्द नव।
शारदा सृत वरदान है हिन्दी।
*भारत का अभिमान है हिन्दी*।
विश्व पद्म पद पावन हिन्दी,
सरस,सहज मनभावन हिन्दी।
शाश्वत मृदुल लुभावन हिन्दी।।
जन मन रंजन गायन हिन्दी।।
*आशा* की पहचान है हिन्दी।
*भारत का अभिमान है हिन्दी*।
✍आशा त्रिपाठीउत्तराखण्ड।
अँग्रेज़ी हावी हुई आया ऐसा दौर।
हिन्दी को मिलता कहाँ अब घर में ही ठौर।।
आओ मिलकर के करें हिंदी का उत्थान,
हिन्दी हिन्दुस्तान में बनी रहे सिरमौर।।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
प्रदीप वैरागी©
संयुक्त सम्पादक नव-तरंग साहित्यिक पत्रिका, शाहजहाँपुर , उत्तर प्रदेश
*हिंदुस्तान का भाल तिलक हमारी रष्ट्रभाषा हिंदी...!!*
*वर्ण,अक्षरों,रसो , विधाओं ,की जननी है हिंदी..*
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*तुलसी की मानस है हिंदी,सूर की कविता में हिंदी...*
*मीरा ,सुरकवि की अमिट कथा है सर्वोपरि हिंदी...!!*
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*सब भाषाएं भावपूर्ण है, किंतु है आत्मबोध हिंदी...*
*सरल है इतनी जैसे पवन हो श्रमित हेतु हिंदी..*
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*है पावन सुरसरि की धारा अविरल नदी पुण्या हिंदी..*
*जननी है इसकी,वो संस्कृत देवो की भाषा है हिंदी..*
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*माँ का अश्रुधार है हिंदी, पिता का अमर प्यार है हिंदी...*
*जाने कितनी भाषाएं है, दिल और आत्मा समझे हिंदी...!*
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*हिंदी स्वाभिमान मेरी है, मेरी सर्वस्व तन-प्राण है हिंदी...!!*
*भारतवर्ष का गौरवशाली कर्मपथ की मशाल है हिंदी..!!!
*श्रीमती अनुराधा द्विवेदी*
*डोंगरगढ (छत्तीसगढ़)*
14 सितम्बर को हिंदी दिवस हम मानते है
अपनी भाषा का ज्ञान सबको हम कराते हैं।
सबको समझ आ जाती है
तभी तो हमारी मातृ भाषा कहलाती है
चलो हिंदी को आगे बढ़ाए हम
हिंदी बोल के हिन्द के वासी कहलाये हम
रुके नही कभी हमारे कदम
अंग्रेजी के आगे खुद न छोटा समझे हम
माना हम सब दूसरी भाषा बोलते है
पर असली खुशी हम अपनी भाषा मे ही पाते है
सबको एक धागे में पिरोता है
ऐसा इससे हम सबका नाता है
न हो केवल एक दिन का यह उत्सव
इसको रोज़ मनाये हम,और हिंदी कहलाये हम।
सतानंद पाठक पवई पन्ना
मध्य प्रदेश
( हिन्दी)
मन के भाव को सहज ही समझे, सबसे प्यारी हिन्दी है ।
अलंकार, रस, छंदों के संग, ये मतवारी हिन्दी है ।।
कितना इसका विस्तृत साहित्य, सुर, कबीर, तुलसीदास
जयशंकर प्रसाद, निराला, पंत, गुप्त, मिश्र, केसवदास
अलंकृत करे शैली इसकी, जग से न्यारी हिन्दी है
मन के भाव को सहज ही समझे......
गेय प्रधान भाषा है ये तो, ब्रज, अवधी या राजस्थान
हर एक मोड पे लय ये बदले, सतरंगी बने हिदुस्तांन्
कभी ये लेहरे, कभी हो मद्धम, हँसे फुलवारी हिन्दी है
मन के भाव को सहज ही समझे............
आत्म विवेचन, आत्म मंथन, आत्म भाव सब हिन्दी का
ईश्वर भक्ति मार्ग का बोध, सबसे न्यारा हिन्दी का
हिन्दी को अपनाए हम सब, भाषा हमारी हिंदी है
मन के भाव को सहज ही समझे, सबसे प्यारी हिन्दी है ।
अलंकार, रस, छंदो के संग, ये मतवारी हिन्दी है ।।
डॉ असीम आनंद
राष्ट्रभाषा हिन्दी
भारत माता के माथे पर शोभित सुन्दर बिन्दी है,
सरस सरल मृदु शब्दों वाली अपनी भाषा हिन्दी है...
शब्दों का भण्डार असीमित
संस्कृति की संवाहक है ,
देवनागरी लिपि वाली यह
जन - जन की मनमोहक है।
राष्ट्रप्रगति में बने सहायक ऐसी भाषा हिन्दी है
भारत माता के माथे पर शोभित सुन्दर बिन्दी है,
सरस,सरल,मृदु शब्दों वाली अपनी भाषा हिन्दी है...
प्रचुर साहित्य समृद्ध व्याकरण
की अद्भुत यह खान है ,
भारत माता के गौरव को
देती यह पहचान है ।
हर भाषा से रखे समन्वय ऐसी भाषा हिन्दी है,
भारत माता के माथे पर शोभित सुन्दर बिन्दी है,
सरस,सरल,मृदु शब्दों वाली अपनी भाषा हिन्दी है...
गांधी,सुभाष , गुरुदेव , पटेल ने
हिन्दी को सम्मान दिया ,
संविधान ने भी हिन्दी को
राजभाषा का मान दिया ,
भारत के जन- गण के मन को गुंजित करती हिन्दी है,
भारत माता के माथे पर शोभित सुन्दर बिन्दी है ,
भारत माता के माथे पर शोभित सुन्दर बिन्दी है,
सरस,सरल,मृदु शब्दों वाली अपनी भाषा हिन्दी है...
डॉ.अवधेश तिवारी ' भावुक '
हिन्दी ह्रदय की वाणी है ।
प्रेम की अजस झाणी है
विश्व प्रेम इसमे निहित है ।
किसी का नही करती अहित है ।
हिन्दी हिन्द हिन्दुस्तान ।
मानवता की है पहिचान ।
विश्व प्रेम को इसने जगाया ।
सारे विश्व को गले लगाया ।
बाल कृष्ण पचौरी
भिन्ड मध्यप्रदेश
कल्याणी राष्ट्रभाषा हमारी सँस्कृत है जन्मदायिनी।
ओत प्रोत है समरस से प्यारी अपनी मातृ वाणी।
उद्घोषक स्वतंत्रता की, जन जन में उल्लास भरे।
बनी एकता की संवाहक, प्रसार मानवता की करे।
भाव इसके जन-गण-मन सबका जीवन उजियार करे।।
दूर रहे सब वैर -भाव से एकजुटता का आह्वान करें।
उच्चरित होती हिंदी की विमल-वाणी जिस, मुख से
अर्थ हो जाते स्वयं मुखरित ,सप्त-स्वर में वेद-ऋचाओं के।
क्षमता आत्मसात् करने की ,अपनी हिंदी अति विलक्षण ।
यह भाषा है अति प्रियकर, आकर्षित करती तत्क्षण।।
हम हिंदी का तेज़ बढ़ाएं,ऐसी प्रतिज्ञा हम सभी करें ।
किसी भी भाषा का कोई हो, मित्रता को नहीं लजाएं।।
हिंदी में हम सब बोलें हरसू ,विपन्नता का भाव न आए ।
पालक पोषक विश्व-शांति के, हिंदी से सबका मन हर्षाएँ।।
इन्दु उपाध्याय (संचिता) पटना बिहार
भारत कई भाषाओं का देश है हिंदी जिसमें सर्वश्रेष्ठ है.
हिंदी की गाथा हे निराली देवनागरी लिपि से निकाली
हिंदी मीठी बोली है
हिंदी रंगों में रंगोली है
हिंदी उत्तम सर्वोत्तम है
महत्व नहीं इसका कम है
हिंदी ने पाया राजभाषा का दर्जा है हिंदी से मिलती उर्जा है,,
नई शिक्षा नई नीति से पाई शांति है ,हिंदी में ही क्रांति है,
हिंदी मौलिक और अधिक बोली जाने वाली भाषा है ,,
हिंदी में छिपी रहस्य और आशा है
हिंदी कितनी प्यारी और सुंदर है हिंदी सरल और समंदर है ,
हिंदी अटूट व सार्थक भाषा है, हिंदी की छोटी सी परिभाषा है ,
इस भाषा से कोई भाषा नहीं आई है ,,
हिंदी खुद अपनी पहचान की अनुयाई है ,,,
हिंदी मीठी वाणी है ,,,
कहते संत ओर ज्ञानी है,,
कविता शरद
साड़ी पहने नारी के माथे पर जैसे बिन्दी है।
पार्वती माता-सी मेरी,सदा सुहागिन हिन्दी है ।
अलंकरण शोभित उपमाएं,अक्षर शब्द अनश्वर हैं।
व्यन्जन में अभिव्यक्ति भाव की, सरगम के स्वर ईश्वर हैं।।
✍️ मनोज शर्मा मधुर, रूपबास
जिला भरतपुर, राजस्थान
मो० 9784 999 333
*हिंदी भाषा हिंद की, बने अमिट पहचान।
बिंदी है ज्यों भाल की, जगमग-जगमग भान।।१।।
(१५गुरु,१८लघु वर्ण, नर दोहा)
*हिंदी है भाषा भली, इस पर है अभिमान।
वैज्ञानिकता से भरी, पावनता-प्रतिमान।।२।।
(१६गुरु,१६लघु वर्ण, करभ दोहा)
*प्यारी भाषा देश की, सुरभाषा-संतान।
देवनागरी लिपि रमे, हिंदी गौरव-गान।।३।।
(१८गुरु,१२लघु वर्ण, मण्डूक दोहा)
*सुगम-सरस-शुभ-सौम्य-शुचि, स्नेहिल-सरल-सुबोध।
सुरभित सरसिज सम सदा, हिंदी वाङ्मय शोध।।४।।
(८गुरु,३२लघु वर्ण, कच्छप दोहा)
*पूरित हिंदी कोश है, भरे विपुल साहित्य।
विस्तारित चिर व्योम में, जगमग ज्यों आदित्य।।५।।
(१५गुरु,१८लघु वर्ण, नर दोहा)
*हिंदी प्रतीक पूर्णता, इसका अतुल प्रभाव।
भाव-भरी भरपूर यह, रखे न भाव अभाव।।६।।
(१३गुरु,२२लघु वर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)
*तत्सम-तद्भव साथ ले, भरकर भावन भाव।
गागर में सागर सरिस, हिंदी रखे स्वभाव।।७।।
(१३गुरु,२२लघु वर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)
*बहु विस्तारित क्षेत्र है, जोड़े यह भू भाग।
दमके ज्यों द्युति दामिनी, रागित हिंदी-राग।।८।।
(१६गुरु,१६लघु वर्ण, करभ दोहा)
*भाषा अनेक देश में, हिंदी है अनमोल।
मान राष्ट्र-भाषा इसे, हिंदी की जय बोल।।९।।
(१८गुरु,१२लघु वर्ण, मण्डूक दोहा)
*हिंदी से उत्थान है, हिंदी का हो मान।
'नायक' आओ मिल करें, हिंदी का जयगान।।१०।।
(१९गुरु,१०लघु वर्ण, श्येन दोहा)
****************************
भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
****************************
हिन्दी से तुम प्यार करो
हिंदुस्तान के रहने वालों ,
हिंदी से तुम प्यार करो ।
ये पहचान है मां भारत की,
हिंदी का सत्कार करो ।
हिंदी के विद्वानों ने तो ,
परचम जग में फहराए।
संस्कार के सारे पन्ने,
हिंदी से ही हैं पाए ।
देवनागरी लिपि में अपनी,
छुपा हुआ अपनापन है ।
अपनी प्यारी भाषा हिंदी,
भारत मां का दरपन है ।
हिंदुस्तानी होकर तुमने ,
यदि इसका अपमान किया ।
तो फिर समझो भारत वालों ,
खुद का ही नुकसान किया।
हिंदुस्तान के रहने वालों,
हिंदी से तुम प्यार करो ।
यह पहचान है माँ भारत की ,
हिंदी का सत्कार करो ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला
हिन्द की है शान हिन्दी ।
और निज पहचान हिन्दी ।
गंग की है धार हिन्दी ।
नाव भी पतवार हिंदी ।
धर्म का सद्ज्ञान हिन्दी ।
हिन्द की पहचान हिन्दी ।।
एकता उद्घोष हिन्दी ।
भाव का नव कोश हिन्दी ।
वेद और कुरान हिन्दी ।
हिन्द की पहचान हिन्दी ।।
गाँव का परिवेश हिन्दी ।
हैं अनोखे भेष हिन्दी ।
मधुर मन मुस्कान हिन्दी ।
हिन्द की पहचान हिन्दी ।।
गायत्री द्विवेदी 'कोमल'
*कविता*
हिन्दी भाषा
हिन्दी हमारी मातृभाषा
हृदय हमारे बसती है
भावों की निर्मल सरिता में
लहर लहर सी बहती है
भारत माँ की शान है हिन्दी
हिन्दुस्तान की जान है हिन्दी
विविधता में एकता के साथ ही
देश की पहचान है हिन्दी
हिन्दी का सम्मान देश में
सबसे पहले होगा
भारतवासियों के लिए हर दिन
हिन्दी दिवस ही होगा
मीना विवेक जैन वारासिवनी
हमारी जान हिंदी है
वतन की शान हिंदी है
करोड़ों देश वासियों की
प्रिय जुबान हिंदी है ..
सुधा मिश्रा द्विवेदी, कोलकाता
हिन्दी दिवस
बड़ी अनमोल है हिन्दी।
इसे कहना नहीं बिन्दी ।।
हमारी राष्ट्रभाषा हो ।
नहीं इसपर तमाशा हो।।
पढ़ें हिन्दी, लिखें हिन्दी
इसे कहना.......
पढ़ाते पुस्तकें मोटी ।
मगर मिलती नहीं रोटी।।
बड़ी मुश्किल बढ़ी हिन्दी
इसे .......
इसे करते नमन सादर ।
करें इसका सभी आदर।।
हमारी जान है हिन्दी
इसे कहना नहीं बिन्दी।।
डॉ. प्रतिभा कुमारी पराशर
हाजीपुर बिहार
हिन्दी दिवस
माथे की बिन्दी है हिन्दी, भारत माँ की शान ।
देश के बसते इसमें प्रान ।।
वैदिक वाड़्यमय की वातिन ।
वैभवमय साहित्य की नातिन ।
अवधी व्रज बुन्देली बहिना, सबरे रस की खान ।।........१.
गाथा वीर काल का सासो ।
जामे रचे गये थे रासो ।।
जगनिक और परमाल भाल का , यह है पवित्र निशान ।.......२
मीरा सूर का यह है गायन ।
इसमें तुलसी रची रामायन ।।
पंचमेल कबिरा की खिचडी , है साखि सबद प्रमान ।.......३
पंत , निराला और मधुशाला ।
छंद शास्त्र मणियों की माला ।।
गुप्त सुप्त साहित्य धरा का , यह ही कवियों का गान ।........४
आजादी के जो दीवाने ।
इसमे ही थे उनके गाने ।।
जय हिन्द जय वंदे मातरम् , का था कितना सम्मान ।...........५
राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी उ.प्र.
*विषय - हिंदी*
द्योतक है पहचान की।
सबके मंजुल ज्ञान की।
हर भाषा से भिन्न है-
हिंदी हिंदुस्तान की।।०१
हृदय अनुवाद है हिन्दी।
प्रखर संवाद है हिन्दी।
महेश्वर-सूत्र से उपजी-
शिव अँतर्नाद है हिन्दी।।०२
शिवेन्द्र मिश्र 'शिव'
मैगलगंज-खीरी
(स्वरचित व मौलिक)
कवयित्री मनीषा जोशी मनी सिल्वर सिटी 2ग्रेटर नोएडा: प्यारी हिंदी हमारी हिंदी......
प्यारी सी मीठी सी भाषा हमारी
हिंदी हमारी है देवों की वाणी.
अज्ञानता से हमें तारती है
मंदिर सी पावन है ये आरती है.
सागर सी गहरी है मोती सी उज्ज्वल .
मन में समाई, है बोली में हरपल.
शब्दों में इसके है माँ जैसी ममता.
हिंदी की दुनिया मे ये मन है रमता.
अद्भुत है पावन है, है आन इसकी.
सोने सी चमके ये, हो शान इसकी..
हिंदी में सोचूं लिखू मैं किसी में
निखरे मेरे भाव हरदम इसी में.
फूले फले हर पल आगे बड़े ये.
निशा अपने पावन शिखर पर गढ़े ये
तो बोलो चलो हिंदी की जय हो जय हो
जहाँ पे ये पहुंचे विजय हो विजय हो.
हिन्दी है अपनी पहचान
******************
हिन्दी में हों सारे काम,
हिन्दी है अपनी पहचान।
हिन्दुस्तान की शान है हिन्दी,
देश का सम्मान है हिन्दी।
जन-गण की आवाज बने यह,
विश्व पटल पर नाम करे यह।
समरसता की यह है खान,
हिन्दी है अपनी पहचान।
आओ मिलकर कदम बढ़ायें,
हिन्दी पढे़ और पढ़ायें।
निज भाषा से मान है बढ़ता,
सर्व समाज का हित है करता।
अपनी भाषा अपनी जान,
हिन्दी है अपनी पहचान।
प्रण आज यह करना है,
हिन्दी के संग रहना है।
जब होगा भाषा सम्मान,
होगा तभी सबका उत्थान।
छोड़ो अब बनना अनजान,
हिन्दी है अपनी पहचान।
-अवधेश कुमार वर्मा'कुमार'©®
{उत्तर प्रदेश}
देखो बात कहता हूँ जी छोटी सी यक काम की,
कि "हिन्दी-हिन्दुस्तानी-हिन्द" *बात तीनों एक है |*
भरत का भारत ही तो हिन्द से है हिन्दुस्तान,
प्राण हिन्दी हिन्द का है *स्थान हिन्दी एक है |*
नियति की यह क्रूर चाल हिन्दी पिछड़ी देश आज़,
हिन्दी हिन्दुस्तानी कहते *बोलने में क्लिष्ट है |*
हिन्दी-हिन्दी कहते हैं हम अंग्रेजी पर जोर देते,
अंग्रेजी परकीय भाषा *हिन्दी अपनी श्रेष्ठ है |*
सोचो आज दिन ऐसे हिन्दी के लिए है आये,
हिन्दी हिन्दुस्तानी ही अब *बोलते शरमाते हैं |*
सुन लो; हिन्दी है कहती कातर वाणी बोलकर कि,
रानी हूँ मैं अपने ही *दासी बतलाते है |*
साँच को राखिए आँच हृदय की वाणी को बाँच,
हिन्दी अपनी हिन्दी के हम हिन्दुस्तानी जब हैं तो ;
देश अपना ऊँचा जग में बाधा कोई आये मग में,
गर्व से कहेंगे हम कि हिन्दी भाषी हम हैं वो |
कही संविधान में भी बात यही हिन्दी ख़ातिर,
हिन्दी ही तो राजभाषा बनने लायक प्राण है |
क्योंकि ~
हिन्दी से हिन्द अपना प्यारा हिन्दुस्तान यह,
दुनियां चाहे कुछ भी समझे *हिन्दी ही महान है |*
*हिन्दी ही महान है...*
*हिन्दी ही महान है ||
© भगत
1-
हिंदी मन-मानस बसी,साँस-साँस अहसास।
भारत भू पर राज है,बनी भुवन की आस।।
2-
न्यायालय से दूर हो,हिंदी का साम्राज्य।
तभी मानिये देश में,हो भाषा का राज्य।।
3-
अंग्रेजी की दास है,अभिभावक की फौज।
नोज नाक से जब बड़ा,फिर क्यों हिंदी मौज।।
4-
हिंदी भाषा नागरी,सागर सम गंभीर।
हर भाषा आकर मिली,दधि चीनी ज्यों खीर।।
5-
हिंदी में हर काम हो,हिंदी की हर शाम।
तभी विश्व झुककर करे,भाषा भाव प्रणाम।।
कवि-कमल किशोर"कमल"
हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
हिन्दी दिवस की सबको बधाई
मिलजुल शान बढ़ाओ
बने राष्ट्र की भाषा हिन्दी, अब नही देर लगाओ
नब्बे करोड बोलते हिन्दी,
हिन्दू-मुस्लिम सिख हो सिन्धी ।
भारत मां के भाल की बिन्दी
अपने हक को लड़ती हिन्दी ।राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दो, अब न और सताओ ।।बने राष्ट्र०।।
हिन्दी है संवाद की भाषा,
सत्य सनातन की परिभाषा ।
राम कृष्ण देवों की आशा
इससे मिटेगी घोर निराशा
भूत भविष्य को जोड़ने वाली
इसका सम्मान बढ़ाओ ।।राष्ट्र०।।
सुन्दर सरल सबके मन भाई
पढ़ने लिखने में सदा सुखदाई ।
रस छंदों से सजी सजाई
सारी दुनियाॅ रही है ललचाई
अलंकारों से सदा अलंकृत
सांची सरल सुनाओ ।।राष्ट्र०।।
**********************
रचयिता :- सीताराम राय सरल
टीकमगढ मध्यप्रदेश
हिंदी
सबसे अच्छी ,सबसे न्यारी ।
मातृभाषा यह हिंदी प्यारी ।
सब भाषाओं से बात और है
हिंदी सबमें सिरमौर है ।
जो स्थान है बिंदी का
वही मान है हिंदी का ।
हिंदी के जो छंद ,अलंकार ।
आभूषणों में जैसे हार ।
हिंदी में जो अपनापन है ।
हिंदी में जो मीठापन है ।
और कहीं यह नजर ना आता ।
हिंदी से हम हिंदू कहलाते ।
वतन हिंदुस्तान कहलाता ।
हिंदी
अंग्रेजों की अंग्रेजी भाषा ने ,
देखो कितना उत्पात मचाया है ।
हर कार्यालय ,हर दफ्तर में
अपना अधिकार जमाया है ।
हिंद देश की हिंदी को,
हिंदुओं से पराया कराया है ।
आधुनिक बनने की होड़ में,
हिंदुस्तानियों ने हिंदी को भुलाया है ।
मातृभाषा में बात करना,
हम अपना अपमान समझते हैं ।
अंग्रेजी में 'आप "के लिए शब्द नहीं,
"यू ' कहकर हम बड़ों को भी,
अपनी सभ्यता का परिचय देते हैं।
हिंदुस्तानी अब तो जागो,
हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने,
सभी को मिलकर आगे आना होगा ।
राष्ट्रभाषा के अधिकार के लिए सभी को मिलकर लड़ना होगा ।
वरना हिंदी दिवस मनाने का नहीं कोई औचित्य रहेगा ।
धिक्कार है भारत वासियों को,
छोटे-मोटे झगड़ों में,
मुख्य कर्तव्य ही भूल गए ।
हिंदी को राष्ट्रभाषा नहीं बना पाए।
अंग्रेज तो चले गए,
पर हम अंग्रेजी की गुलामी नहीं छोड़ पाए ।
जयश्री तिवारी खंडवा
हिन्दी
हमारी शान हिंदी है ।
बनी अभिमान हिंदी है।
लगाएँ हम सभी नारा,
बने भाषा यही न्यारा।
सुरीली गीत है हिंदी
ग़जल की रीत है हिंदी।
रुबाई है सरस कविता ,
बही निर्मल चपल सरिता।
चमकती माथ पर बिंदीं
हमारी चाँद सी हिंदी. ।
कभी इंंगलिश नहीं बोलो
न हिंदी को कभी तोलो ।
सखे संदेह मत पालो,
इसे साँँचे में तुम ढ़ालो ।
सरस जज्वात है हिंदी ।
मधुर सौगत है हिंदी ।
हिन्दी भाषा छलक रही
भारत के अभिमान में ।
प्राण छलक रहे हिंद के
हिन्दी के हीं ज्ञान में ।
चारो तरफ जोर शोर है,
हिन्दी का मान बढ़ाएंगे ।
संकल्पित हो उठे आज
राज भाषा के उत्थान में ।
प्रमिला श्री 'तिवारी'
हिन्दी भारत की प्राणवायु
जीवन्त सरल जन भाषा है।
भारत का गौरव उच्च भाल
जन गण मन की परिभाषा है
लिपि देवनागरी है उन्नत,
कवि कोविद की अभिलाषा है
समृद्ध विरासत की अपनी
सौभाग्य सिन्धु ये भाषा है
जीवन पथ आलोकित करती,
तुलसी रामायण गाथा है
आजादी का ये प्रथम घोष
वीरों की भाग्य विधाता है
संचार ज्ञान का है करती
छात्रों की ज्ञान पिपासा है
भारत भू की अभिव्यक्ति सहज
नव भारत की नव आशा है।
हिन्दी भारत की प्राणवायु
जीवन्त सरल जन भाषा है।
*अनुराग दीक्षित*
हिंदी दिवस विशेष कविता
शीर्षक - 'चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ'
चौदह सितंबर का यह दिन
हिंदी के सौभाग्य का दिन
बनी आज यह राजभाषा
ले नव विचारों की अभिलाषा
भारत माता की यह बिंदी
जन-जन की भाषा यह हिंदी
इस बिंदी को आज सजाएँ
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ
खेल खेल में सीखें भाषा
मज़ेदार है हिंदी भाषा
शुद्ध उच्चारण व शुद्ध लेखन
वर्णमाला और कविता वाचन
अक्षर , शब्द , वाक्य , अनुच्छेद
संज्ञा सर्वनाम और वर्ण विच्छेद
चलो हम अपना ज्ञान बढ़ाएँ
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ
शुद्ध वर्तनी , मानक भाषा
सहज भाव और सुंदर भाषा
भारत को जोड़े यह भाषा
अभिव्यक्ति की माध्यम भाषा
एकता की मिसाल यह भाषा
चलो भारत को मजबूत बनाएँ
पुरातन - नूतन में संगम लाएँ
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ
हिंदी की किसी से होड़ नहीं है
संपर्क भाषा यह बेजोड़ रही है
हर भाषा को समाहित करके
विकसित होती जाती है
पुष्पित और पल्लवित होकर
सबको अपना बनाती है
चलो भाषा के प्रति हम प्रेम दिखाएँ
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ
खुले मन से यह सब को स्वीकारे
जैसे गंगा में मिले नदियों की धारें
सबको अपना प्रेम बाँटकर
दिल की बात जुबाँ पर लाकर
संप्रेषण की क्षमता दे कर
गाँव , गरीब सभी को लेकर
हिंदी को समृद्ध बनाएँ
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ
इंटरनेट की भाषा बने हिंदी
टेक्नोलॉजी की भाषा हो हिंदी
ज्ञान - विज्ञान की भाषा बने हिंदी
नव - प्रयोगों की भाषा हो हिंदी
इस भाषा का कुंभ लगाकर
सुप्त चेतना आज जगा कर
विश्व पटल पर इसको लाएँ
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ
बेमिसाल साहित्य को लेकर
ज्ञान , भक्ति और रीति को लेकर
नव विचारों की शक्ति लेकर
अनुपम राष्ट्रभक्ति लेकर
इस मिट्टी की खुशबू लेकर
अपनी संस्कृति हम आज अपनाएँ
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ
सभी औपचारिकताओं को आज भुलाएँ
हिंदी को सम्मान दिलाएँ
नूतन प्रयोग हम करके दिखाएँ
अखिल भारतीय भाषा बनाएँ
हिंदी की हम अलख जगाएँ
चलो इसकी गरिमा बढ़ाएँ
इस विरासत को आज बचाएँ
नई पीढ़ी तक इसे पहुँचाएँ
हिंदुस्तान का गौरव बढ़ाएँ
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ ।
चलो हम हिंदी दिवस मनाएँ ।।
स्वरचित व मौलिक
- ©चन्दन सिंह 'चाँद'
चतरा ( झारखण्ड)
*मातृभाषा हिंदी*
************************
तुम्हारे माथे पर लगाऊँ बिंदी,
ऐ मेरे देश की मातृभाषा हिंदी।
====================
तुम्हीं विचारों की अभिव्यक्ति ,
प्रकट करता है हर एक व्यक्ति।
====================
तुम हो तो कलम की धार है,
तुम्हीं से निकला हर उद्गार है।
====================
वेदों-ग्रन्थों और पुराणों को,
तुमनें ही सरल बनाया है।
अज्ञानता को दूर भगा के,
जग को ज्ञान सिखाया है।।
====================
साहित्य सृजन की खान हो तुम,
मेरे हिन्दुस्तान की शान हो तुम।
====================
तुम्हारी भाषा के रसभरे उच्चारण,
युगों-युगों से करते भाट व चारण।
====================
जन-जन की तुम भाषा हो जननी,
तुम्हीं से जग को सबकुछ करनी।
====================
मुझे भी मिले माँ आशीष तुम्हारा,
मिट जाए सब मन का अंधियारा।
*उमेश श्रीवास"सरल"*
*गरियाबंद-छत्तीसगढ़
हिंदी से है शान हमारी,हिंदी से है पहचान हमारी,
हम हिन्द देश के वासी है,हिंदी में है जान हमारी।
जो देश बचाया था जवानों की बलिदानी देकर,
अब हिंदी भाषा को बचाना है इसे सम्मान देकर।
एक राष्ट्र एक धर्म एक भाषा का अब नारा होगा,
राज्य भाषा ही नही अब हिंदी राष्ट्रभाषा भी होगा।
वो हृदय नही पत्थर है जिसे हिंदी के प्रति प्यार नही,
लेके जन्म इंसान का वो इंसानियत के लायक नही।
जिस देश में जन्म लिया, भूल गए वह मातृभाषा,
अंग्रेजी को स्थान दे धूमिल कर दी सारी अभिलाषा।
क्या कमी है हमारी पावन हिंदी जैसी इस भाषा में,
अनेको विद्यवानो ने लेख लिखे इसी मातृभाषा मे।
अंगेजी का गुड़गान कर हिंदी का तिरस्कार किया
लेके जन्म हिन्दू धर्म में हिंदी का अपमान किया ।
देखो इस समाज मे आज बड़ा बुरा हाल हो गया है,
अंग्रेजी का बोलबाला और हिंदी का दिवाला हो गया।
अंग्रेजी के चंद शार्टकट सिख तुम पीछे हो गए,
हिंदी भाषा से अनिभिज्ञ तुम सबसे नीचे हो गए।
चार अक्षर अंगेजी का बोल के वो सम्मानित बन गए,
हम हिंदी के विद्यावान होकर भी अपमानित हो गए।
न धर्म की भाषा न किसी जातपात की भाषा है हिंदी,
किन्तु अंग्रेजी तो अंग्रेज़ो की बोले जाने वाली भाषा है।
जन-जन तक पहुँचाना है मातृभाषा के इस ज्ञान को,
अंग्रेजी को ठुकराना है अब हिंदी को अब अपनाना है।
*अविनाश सिंह*
एक दिन की हिंदी
देखिये हिंदी की बधाई भी वह अंग्रेजी में देते है
दुख होता है जब हिंदी को बस एक दिन देते है
इसे नादानी का नाम दे या कह दे हमारी मूर्खता
नाम हिंदी में रखते है हस्ताक्षर अंग्रेजी में देते है
हिंदी ऎसी है वैसी है बढ चढ कर भाषण देते है
दूसरे ही दिन फिर वो ट्विंकल ट्विंकल गाते है
भूल जाते है क्या कहा था भूल जाते है वादे भी
याद जब आता इन्हें फिर हिंदी दिवस मनाते है
परीक्षा हिंदी की होती है नंबर अंग्रेजी में आते है
हिंदी है वतन मेरा पर बच्चे हिन्दी से दूर जाते है
नयी पीढी के लिए जरूरी है ये नयी शिक्षा नीति
जिसमें प्राथमिक शिक्षा बस मातृभाषा में देते है
हिंदी की अवस्था को हम कुछ ऎसे समझाते है
इंग्लिश के लिए एक हिंदी के लिए दो दबाते है
हिन्दुस्तान में ही हिंदी भाषा है सेकेण्डरी देखो
ये बात जान कर भी हम कहाँ कुछ कर पाते है
- सुमित रंजन दास
कहुआ , बिहार
हिंदी पर रचना,,
बृंदावन राय सरल सागर एमपी
हिंदी अपनी जान है हिंदी अपनी आन।।
हिंदी से ही देश का संभव है कल्याण।।
हिंदी बिंदी देश की, चमके ऊंचा भाल।।
हिंदी के संसार में आज करोड़ों लाल।।
हिंदी देश की आत्मा हिंदी है पहचान।।
हिंदी ही वरदान है हिंदी है मुस्कान।।
कस्बे कस्बेखुल गए ,अंग्रेजी
स्कूल।।
मुरझाने ने से रोकना, तुम हिंदी के फूल।।
हिंदी अपनी मात है,हम हिंदी
संतान।।
हमको मां के कष्ट का,करना उचित निदान।।
भारत की भाषा बने, हिंदी ही
श्रीमान।।
इससे होगा विश्व में, भारत का
यश गान।।
बृंदावन राय सरल सागर एमपी
मोबाइल 786 92 18 525,
शीर्षक - हिन्दी
शब्द शब्द में भाव समाया हैं,
हिंदी ने हिंदुस्तान सजाया हैं,
हिंदी प्रतिक स्वाभिमान की,
कण कण में व्याप्त हिंदी हिंदुस्तान की,
हिंदी मां है न केवल भाषा,
हिंदी हिंद की विश्वास व आशा।।
अपने शब्दों से माँ रूप हिंदी,
प्रेम के आंचल से समन्दर अथाह हिंदी
हिंदी का युग युगांतर गान करता है ,
हिंदी का संपूर्ण भूगोल सम्मान करता है,
हिंदी स्नेह समंदर की अभिलाषा,
हिंदी हिंद की विश्वास व भाषा।
हिंदी से प्रफुल्लित हुए तुलसी कबीरा,
हिंदी में बनी प्रेम पीर की मीरा,
हिंदी शब्द सज्जित सतसई अलंकृत बिहारी,
हिंदी गायन करती माँ लोरी व शोक सवारी।
हिंदी ने अंकुरित किया ब्रह्मांड जिज्ञासा,
हिंदी हिंद की विश्वास व भाषा ।
रचनाकार - कमल कालु दहिया "अनंत"
हिन्दी से हिन्दुस्तान है
संस्कृत से संस्कृति हमारी,
हिन्दी से हिन्दुस्तान है।
संस्कृत से बहती संस्कृति की धारा,
हिन्दी में रमाया हिन्दुस्तान सारा।
कुमार बेचैन और कुमार विश्वास जैसे कवियों ने हिन्दी अपनाकर मान बढ़ाया,
हिन्दी का महत्व जन-जन को उनने लिखकर और गाकर समझाया।
यही कारण है कि इनकी विश्व में इक अलग पहचान है,
हिन्दी हैं हम हिन्दी से ही वतन हिन्दुस्तान है।
पढ़-पढ़ कर जिनको बड़े हुए हम,
वो तुलसी कबीर संत महान हैं।
हिन्दी के इतिहास में अब भी,
उनकी हिन्दी से अमिट पहचान है।
संस्कृत से संस्कृति हमारी,
हिन्दी से हिन्दुस्तान है।
बिहारी भूषण पंत निराला का हिन्दी में गान है,
हिन्दी से ही शान है और हिन्दी ही अभिमान है,
तभी तो हिन्दी भाषा में
गाया जाता राष्ट्रगान है।
संस्कृत से संस्कृति हमारी,
हिन्दी से हिन्दुस्तान है।
हिन्द के घर में कभी पराई न हो हिन्दी,
इसलिए निजभाषा अपनाओ सीखो और सिखाओ हिन्दी।
जग में बतलाओ जबको,
हिन्दी से हमारी शान है।
संस्कृत से संस्कृति हमारी,
हिन्दी से हिन्दुस्तान है।
@अतुल पाठक "धैर्य"
जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)
मेरी शान हे हिंदी
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मेरा मान है हिंदी
मेरी शान है हिन्दी
एकता का उद्घोष है हिंदी
हर कण में बसी है हिन्दी
प्रेम सौहार्द की भाषा है हिंदी
हर भारतीय की शान है हिन्दी
एक सहज अभिव्यक्ति है हिंदी
हिंद देश की पहचान है हिंदी
मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है हिन्दी
भारत की आशा हे हिन्दी
भारत की भाषा हे हिन्दी
देश की एकता की कड़ी है हिन्दी
हम सब की जान है हिन्दी
वतन की शान है हिंदी
जन जन की भाषा है हिंदी
सुख-दुख की परिभाषा है हिंदी
भारत के गांवों की शान है हिंदी
हिन्दुस्तान की शक्ति है हिंदी
मेरे हिन्द की जान हे हिंदी
हर दिन नया वाहन हे हिंदी
ओ पी मेरोठा हाड़ौती कवि
बारां राजस्थान
दोहे_
हिंदी से ही मान है, कर इसका सम्मान ।
अंग्रेजी की होड़ में, क्यों खोता पहचान।।
संस्कृत की है प्रिय सुता, शब्दों की है खान।
'मनहर' गाता है सदा, हिंदी का यशगान।।
हिंदी भाषा श्रेष्ठ है, जान गया संसार।
आते हैं सब सीखने, छोड़ देश, घर-वार।।
आओ मिल हम सहेजें, निज भाषा ओ मीत।
धन्य-धन्य 'मनहर' हुआ, गाकर हिंदी गीत।।
मान सिंह 'मनहर'
चीत्कार उठें ले पांव का छाला ,
प्रलाप करे ले आत का हाला !
अरे मधुप नहीं है हम भाया ,
जो कुंठित भटके जग में करते हो हल्ला !
लगने दो अब अंबार अभावों को ,
उगने दो कांटों भरे शालों को !
भंजक है करेंगे हम भंजन ,
मिट जाए चाहे वजूद हमारा !
अवसाद से हिल जाएं चूल हमारी ,
हम नहीं है रसग्राहियो की डाली !
गुलाब सा ही जीवन सदा हमारा ,
शूल चुभे डाली के है हम माला !
मौन को ना समझ मेरी कायरता ,
उर में नहीं पालें हम अधीरता !
धैर्य साहस हमारे रग रग में ,
तभी तो महकते धर निडरता !
निराला सफर के है हमसफ़र ,
भयभीत नहीं देख होते डगर !
अभाव अवसाद का जो हो हाला ,
कदम ना थमते ले कुंठित भाल भाला !
धन्यवाद
संजय निराला
हिन्दी दिवस 2020 समारोह
जन-जन के उर में जब होगा
हिन्दी के प्रति भावों की दृढ़ता
जब होगा राष्ट्रभाव हर कोने में
तब हिन्दी की होगी सत्ता।
धरा पर कोई ऐसा राष्ट्र नहीं
जहां हिन्दी न बोली जाती हो
बिन हिन्दी के मर्म ज्ञान अधूरा
मर्म से भरा हिन्दी न मानी जाती हो।
जब हाशिए पर हिन्दी होगा
किसी का होगा अस्तित्व नहीं
हिन्दी से अनभिज्ञ हृदय का
होगा कोई व्यक्तित्व नहीं।
संस्कृत के अन्वेषण से
हिन्दी का अवतरण हुआ
भारत की मातृभाषा है
उन्नति की ये अभिलाषा है।
देवनागरी लिपि ही है
सभी लिपियों से महान
जग में सबसे प्यारी हिन्दी है
जाने है सकल जहान।
बड़ी बिडम्बना है हिन्दी की
है हिन्दी दिवस मनाने को
आया है फरमान नया अब
अंग्रेजी में हिन्दी दिवस मनाने को।
- दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
महराजगंज, उत्तर प्रदेश।
हिन्दी दिवस 2020
सरल सहज मीठी है बोली,
सखी- सहेली प्यारी भोली।
पूरब- पश्चिम उत्तर- दक्षिण,
राष्ट्र का निज गौरव हिन्दी।।
सोलह स्वर है बावन अक्षर,
स्वाभिमान जगा करे साक्षर।
छंद- सोरठा कविता दोहा,
गीत- गजल चौपाई हिन्दी।
प्रेम- भाव अनुराग झलकता,
विश्व भ्रमण संवाद से पकता।
सुख- दुख की परिभाषा हिन्दी,
जन- जन की भाषा है हिन्दी।
सरगम के है सप्त- सुरों मे,
राग- ताल भरती है हिन्दी।
बनी धरोहर भूमि भारती,
भाषाओं की प्राण है हिन्दी।
ओंम कार की गुंजन इसमेंं,
ये गाथाओं की जननी है।
रंग- रूप में लिये विविधता,
मेरी प्यारी भाषा है हिन्दी।
रामकली कारे
बालको नगर कोरबा छत्तीसगढ़
हिंदी नहीं तू जान है मेरी अभिव्यक्ति की पहचान है
पूरे हिंदुस्तान के बसते तुझमें प्राण हैं रवींद्र कुमार शर्मा,घुमारवीं,जिला बिलासपर हि प्र
14 सितंबर को,जब हिंदी दिवस मनाया जाता है।
हिन्दी हमारी मातृभाषा है,सबको पुनः याद आ जाता है।
जाने क्यों आज भी जो हिन्दी भाषी होते हैं।
अंग्रेज़ी भाषी उनको थोड़ा पिछड़ा ही समझते हैं।
लेकिन हिंदी में जो मधुरता है।
छन्द अलंकार की जो सुंदरता है।
कहीं वो ओर नहीं पाई जाती है,
फिर क्यों हिन्दी पीछे रह जाती है?
यह छोटे बड़ों का फ़र्क बताती।यह आप और तुम का ज्ञान कराती ।
इसमें बोली का जो अपनापन है।इससे जुड़ता सबका अंतर्मन है।
आज वादा सब को करना होगा,
हिन्दी भाषा को ओर व्यवहार में लाएंगे।
जब हिन्दी होगी जीवन का अभिन्न हिस्सा,
तभी सही अर्थ में हिन्दी दिवस मनाएंगे।
शशि लाहोटी
● आइए, इस हिंदी दिवस पर एक प्रण लें●
🍃लघु पत्रिकाओं का प्रकाशन रुचिवान व्यक्ति साहित्य और हिंदी भाषा के प्रति समर्पित होकर करता है।हमेशा उसको यह चिंता लगी रहती है कि अगला अंक निकाल पायेगा या नहीं? इसी चिंता तले कई बेहतर पत्रिकाएँ नियमित निरन्तर प्रकाशित हो रही है और उनकी यात्रा, प्रतिष्ठा बढ़ रही है। हिंदी के उन्नयन, संवर्धन का कार्य इन लघु पत्रिकाओं के दम पर बहुत अच्छा हो रहा है। इन छोटी पत्रिकाओं ने कई लेखकों को ख्यातनाम बनाया है और आज भी कई नए रचनाकार तैयार करने में ये पत्रिकाएं महत्ती भूमिका निभा रही है। पर आज इन पत्रिकाओं के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। आज व्यवसायिक घरानों द्वारा प्रकाशित होने वाली पत्रिकाएँ एक एक कर बन्द होती जा रही है तो व्यक्तिगत स्तर पर निकलने वाली पत्रिकाओं की क्या बिसात ? इसके लिए जिम्मेदार हिंदी भाषी पाठकों की उदासीनता ही है ।
हिंदी भाषा का पाठक, लेखक आज हिंदी भाषा की पत्रिकाएँ खरीदने या कुछ पत्रिकाओं की सद्स्यता स्वीकार करने के निवेदन पर ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे उन्हें लूट लिया जाएगा। एक पत्रिका के लिए अमूमन दो वर्ष का ग्राहक शुल्क 600 रुपये के लगभग (रजिस्टर्ड डाक से 1000 रुपये लगभग) ,याने प्रतिदिन का एक रुपये के लगभग...देने में 100 बात कह देंगे। वही लोग रेस्टोरेंट, खिलोने, पिज्जा हट, मॉल में सिनेमा देखने के लिए हजारों रुपये खड़े खड़े खर्च कर देते हैं ....पान ,बीड़ी, सिगरेट, गुटका जैसी बेकार चीजों के लिए सैंकड़ों रुपये फूंक देते है पर अपने बच्चो व अपने परिवार लिए चार - पांच रुपये प्रतिदिन का बजट पत्र -पत्रिकाओं के लिए रखना उन्हें फालतू का खर्च लगता है.... हमारे पास वक्त कहाँ है...बच्चे आजकल पढ़ते कहाँ हैं....ऐसे दर्जनों बहाने तैयार रहते हैं। छपा साहित्य शाश्वत होता है, जो मन को सुकून व आनन्द देता है। भाषा के प्रति अनुराग पैदा करता है और जीवन जीने की राह दिखाता है। मानसिक खुराक के लिए पठन -पाठन बहुत आवश्यक है....
● इन साहित्यिक पत्रिकाओं का प्रकाशन "वन मेन आर्मी" की तरह होता है। जब वह आपको प्रकाशित कर ,प्रोत्साहन देता है, पहचान देता है तो बदले में वह पत्रिका का शुल्क चाहता है ,तो बौद्धिक विलाप होने लगता है कि पैसा लेकर रचनाएँ छापना सही नहीं है। क्या टाईपिंग, कागज, प्रिंन्टिंग, पोस्टिंग का खर्च नहीं लगता? संपादक जो रचना चयन, संपादन, प्रकाशन, प्रेषण तक का कार्य एक अकेला व्यक्ति करता है ,उसके श्रम की कीमत मिले या न मिले, इतना ग्राहक शुल्क मिल जाए कि पत्रिका छप कर हम तक पहुँचा सके, इतना ही वह चाहता है....हम या तो मुफ्त में ही पत्रिका चाहते हैं या आजकल पीडीएफ के लिए याचक बन जाते है। क्या हिंदी समाज का पाठक व रचनाकार इतना दीन हीन हो गया है कि अपने प्रतिदिन के बजट में 4- 5 रुपया इन पत्रिकाओं को जीवन दान देने के लिए नहीं रख सकता? ,हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा। स्मरण रखना होगा कि इन पत्रिकाओं ने देश में कई ख्यातनाम लेखकों को तैयार किया है। आज भी ये समर्पण भाव से सही मायने में हिंदी भाषा के संवर्द्धन, संरक्षण में लगी हुई है और आप व हम जैसे लेखकों को तैयार कर प्रतिष्ठा दे रही है।
●● इस हिंदी दिवस पर हम अपनी मानसिक दीनता छोड़ें...पसंद की 4- 5 पत्रिकाओं की प्रतिवर्ष सद्स्यता ग्रहण करें। आपका छोटा सा सहयोग इन पत्रिकाओं के लिए प्राणवायु का काम कर इन्हें जीवनदान प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त हर रचनाकार अपने 4- 5 मित्रों को अपनी पसंद की 4-5 पत्रिकाओं की सद्स्यता लेने को प्रेरित करे । यदि हम सब ऐसा कर पाए और हिंदी के पठन- पाठन को बल दे पाये तो ही सही मायने में हम हिंदी भाषी पाठक/रचनाकार कहलाने के हकदार होंगे और इस मुहिम के परिणाम गर्व देने वाले होंगे। धन्यवाद
● राजकुमार जैन राजन, आकोला (राजस्थान,)
*हिन्दी दिवस ???*
यह कैसी राष्ट्रभाषा,
यह कैसी मातृभाषा,
कहते हैं इसे हम अपनी भाषा,
पर क्यों ?
इसे आजतक सर्वोच्च स्तर पर
होना चाहिए था,
पर हुई क्यों नहीं,
कारण
आम बोलचाल में हिन्दी का प्रयोग होता है पर.........
लिखने में अंग्रेजी की महत्ता है।
यह महत्ता भी किसने बनाई,
आप और हम सभी ने।
आओ आज हिन्दी दिवस पर प्रण लें कि हर प्रकार के क्षेत्र में
राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रयोग करेंगें और इसे सर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्च बनायेंगें,पर क्यों ?
राष्ट्रभाषा हिन्दी का सम्बंध हमारी भारतीय संस्कृति के सम्वाहक सम्राट विक्रमादित्य के नाम से संचालित विक्रमी सम्वत् के साथ है और इसी के आधार पर भारतीय पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, तो हिन्दी को अपनाने में शर्म क्यों ????
*अश्विनी कुमार शर्मा शास्त्री*
*अमृतसर*
हिंदी हमारी आन है
हिंदी हमारी आन है ,
ये भारत की शान है ।
हिंदी से हिंदुस्तान है ,
ये भाषा बड़ी महान है ,
यही बढ़ाती मान है।
हिंदी हमारी आन है ,
ये भारत की शान है ।
संस्कृत में है संस्कृति हमारी,
हिंदी संस्कृत की संतान है ।
यही हमारी है एक धरोहर,
ये करती सब का सम्मान है ।
अरबी फारसी अंग्रेजी सहित,
यह सबको देती मान है ।
हिंदी हमारी आन है ,
ये भारत की शान है ।
प्रेम सौहार्द की भाषा हिंदी,
प्रेम की मजबूत धागे समान है ।
हिंदू की गौरव गाथा है,
सनातन की पहचान है ।
सूर तुलसी कबीर रहीम ,
कहीं जायसी तो रसखान है ।
हिंदी हमारी आन है ,
ये भारत की शान है ।
हिंदी भारत की बिंदी है,
सुलभ सुगम रस खान है ।
गर्व हमें है निज भाषा पर,
यही हमारा स्वाभिमान है ।
जीवन की है यही परिभाषा,
यह कालजई महान है ।
हिंदी हमारी आन है ,
ये भारत की शान है ।
बिहारी,भूषण,कवि चंद है इसमें,
दिनकर,निराला,पंत,भारतेंदु महान है ।
बड़ी निराली देवनागरी लिपि,
विश्व में इसकी अलग पहचान है ।
हर भारतवासी के दिल में ,
हिंदी के लिए सम्मान है ।
हिंदी हमारी आन है ,
ये भारत की शान है ।
पर आज यही बनी है दासी ,
हम सब से ही यह परेशान है ।
अंग्रेजी है राज कर रही ,
यह बनी हुई गुमनाम है ।
दिवस पर करते गुणगान सब ,
दिल से करते अंग्रेजी का बखान है ।
हिंदी हमारी आन है ,
ये भारत की शान है ।
नेताओं की है बात निराली,
अंग्रेजी की करते रखवाली ।
हिंदी का करते अपमान है,
हर वर्ष बना के नए नियम वो,
जिसमे वोट कमीशन नाम है,
यही चलन आज आम है ।
हिंदी हमारी आन है ,
ये भारत की शान है ।
आचार्य गोपाल जी आजाद
अकेला बरबीघा वाले
भारत माता की आवाज है हिंदी।
हिन्दुस्तान की पहचान है हिंदी।।
प्रांन्तीय भाषाआें की बहन हैं हिंदी।
ममता की पहचान है हिंदी।।
भारतीय भाषाआें का सागर है हिंदी।
मान और सम्मान की भाषा है हिंदी।।
जन जन की प्यारी भाषा है हिंदी।
देवताओं की वाणी है हिंदी।।
भारतीय ग्रंथों का ज्ञान है हिंदी।
भारतीय संस्कृति की पहचान है हिंदी।।
भारत जन की जान है हिंदी।
भारतीय नेताओं की पहचान है हिंदी।।
विश्व भाषा की शान है हिंदी।
भारत एकता की पहचान है हिंदी।।
विनोद कुमार सीताराम दुबे शिक्षक गुरु नानक इंग्लिश हाईस्कूल एन्ड जुनियर कालेज भांडुप मुंबई
☆मैं सिर्फ एक विचार हूँ☆
मैं कोई हिन्दी का जानकार नहीं हूँ!
न ही कोई लेखक और कवि
और न ही मैं, कोई साहित्यकार हूँ!
मैं सिर्फ एक विचार हूँ!
जो देखता हूँ, सुनता हूँ और समझता हूँ,
उसे अपनी कलम से उतार देता हूँ।
मैं सिर्फ एक विचार हूँ!
हाँ! मुझे नफ़रत है ऐसे लोगों से,
जो इंसान को इंसान से दूर करते हैं!
मुझे शिकायत है उन सत्ताधारियों से
जो भूल जाते हैं कि वो कौन हैं?
मैं नेता या सरकार नहीं हूँ!
और न ही कोई ओहदेदार हूँ!
मैं सिर्फ एक विचार हूँ।
जो देखता हूँ, सुनता हूँ और समझता हूँ,
उसे अपनी कलम से उतार देता हूँ।
मैं सिर्फ एक विचार हूँ!
मैं कोई मीडिया या पत्रकार नहीं हूँ!
न ही किसी के हाथों की कठपुतली का तार हूँ!
और न ही कोई अख़बार हूँ!
मैं एक वफ़ादार हूँ!
मैं सिर्फ एक विचार हूँ!
मैं उनका आज विरोधी भी हूँ!
जो लोगों को जाति-धर्म का पाठ पढ़ाकर
समाज को तोड़ना जानते हैं!
सच में वो अपना स्वार्थसिद्धि चाहते हैं।
मैं न ही किसी राजा का दरबार हूँ!
और न ही कोई चाटूकार हूँ!
मैं इंसानी धर्म का प्रचार हूँ!
मैं सिर्फ एक विचार हूँ।
जो देखता हूँ, सुनता हूँ और समझता हूँ,
उसे अपनी कलम से उतार देता हूँ!
मैं सिर्फ एक विचार हूँ!
मैं कोई हिन्दी का जानकार नहीं हूँ!
न ही कोई लेखक और कवि
और न ही मैं, कोई साहित्यकार हूँ!
मैं सिर्फ एक विचार हूँ!
मैं सिर्फ एक विचार हूँ!
―कबीर ऋषि सिद्धार्थी
सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश
हम सबकी भाषा हिन्दी है..........
भारत के माथे की विन्दी
अपनी ही प्यारी हिन्दी है,
एक सूत्र में बाँध सके जो
वो सबसे न्यारी हिन्दी है।
देवनागरी लिपि है जिसकी
वह देवों की भाषा हिन्दी है,
जो गर्वित करती है देश को
सब की अभिलाषा हिन्दी है।
सहज व्याख्या सम्भव है
वैज्ञानिक भाषा हिन्दी है,
स्वर-व्यंजन से सजी हुई
कबीर की भाषा हिन्दी है।
जन-मन में है रची-बसी
हम सबकी भाषा हिन्दी है,
भारतेन्दु की भाषा हिन्दी है
प्रसाद की भाषा हिन्दी है।
मेघों में चमकती हिन्दी है
खेतों में बरसती हिन्दी है,
फूलों में महकती हिन्दी है
खग में चहकती हिन्दी है।
माँ में भी बसती हिन्दी है
सपनों में पलती हिन्दी है,
क्यों उपेक्षित है अब तक
आज सिसकती हिन्दी है,
राष्ट्र-भाषा बन पायी क्या
यूँ रोती-बिलखती हिन्दी है,
पिसती सियासत में हिन्दी
अपनों में तरसती हिन्दी है।
मौलिक रचना-
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त ' विवश '
गीत : हिंदी
हिंदी को अब नव उपमान बनाना होगा।
हिंदी को अपनी पहचान बनाना होगा।
यह वैज्ञानिक पैमाने पर खरी उतरती।
हर भाषा को साथ लिए दिन-रात निखरती।
सागर सी अथाह अब तक इसकी गहराई,
हीरे, मोती, रत्न गर्भ से पैदा करती।
हिंदी को हर हक, सम्मान दिलाना होगा।
इसको भारत का अभिमान बनाना होगा।
हम हिन्दुस्तानी हिंदी भाषा में गाते।
इसकी गौरव गाथा हैं इतिहास बताते।
चाहे कितनी ही अंग्रेजी सब पर झाड़ें,
पर हमको सपने केवल हिंदी में आते।
इसकी प्रभुता पर हम गर्भित सदा रहेंगे।
हिंदी को जन-मन की शान बनाना होगा।
हिंदी अरबों लोगों के अन्तर की भाषा।
यह असंख्य लोगों के प्राणों की अभिलाषा।
यह गीता का सार और वेदों की वाणी,
यह जनता के दारुण दुःख की है परिभाषा।
हिंदी निर्मल, सहज, सरल गंगा के जैसी,
हाँ, हिंदी को अपनी जान बनाना होगा।
@ अभिषेक ठाकुर 'अधीर'
हिंदी दिवस
बहुत से लोग है जो अपनी मातृभाषा हिंदी भाषा में बोलने से शर्मिंदा है। ऐसे लोगों को हिंदी दिवस यह समझाता है की हिंदी हमारी सबसे पुरानी और सबसे प्रभावशाली भाषाओं में से एक है और हमें अपनी मातृभाषा बोलने में गर्व होना चाहिए।
हिंदी सिर्फ हमारी भाषा ही नहीं, हमारी पहचान भी है। तो आइए हिंदी बोले, हिंदी सीखें और हिंदी सिखाएं। आशा करता हूँ आपको हिंदी दिवस पर अपने कविता के माध्यम से आप तक पहुंच सकूं
हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम हिंदी को आगे बढ़ाएं और उन्नति की राह पर ले जाएं। आओ संकल्प लें की केवल एक ही दिन नहीं हमें हर दिन हिंदी दिवस मनाना है।
प्यारी अनुभूति देती है वो हिंदी
जिसमें मैंने ख्वाब बुने है वो हिंदी
जिस से जुड़ी मेरी हर आशा है वो हिंदी
जिससे मुझे पहचान मिली है वो हिंदी
वक्ताओं की ताकत है वो हिंदी
लेखक का अभिमान है वो हिंदी
हमारा देश की शान है वो हिंदी
मेरी मातृभाषा है वो हिंदी
राम बिहारी पचौरी
भिंड, मध्य प्रदेश