शान्ति सहज जीवन सुखी
शान्ति सहज जीवन सुखी , मानवता सम्मान।
यही मूल नित सत्य है, ब्रह्म सृजन अभिधान।।१।।
परहित यदि मन भावना , तजे मोह मद स्वार्थ ।
सर्व सुखी मुस्कान मुख, शान्ति मिले परमार्थ।।२।।
सुष्मित सुन्दरतम प्रकृति , मिला ईश वरदान।
त्याग शील गुण कर्म पथ , शान्ति करें अवदान।।३।।
जीवन होता तब सफल , मिले शान्ति आलोक।
दीन धनी समतुल्य है , मिटे त्रासदी शोक।।४।।
युद्ध लक्ष्य बस शान्ति का, ध्येय मात्र सत्कर्म।
प्रभु लेते अवतार जग , शान्ति दूत बन धर्म।।५।।
लोभ मूल हर व्याधि का ,घृणा राग छल मोह।
अहंकार रिपु शान्ति का ,विश्व शान्ति अवरोह।।६।।
शान्ति मार्ग जग श्रेष्ठ है , चहुँदिश जन उत्थान।
खिले चमन मकरन्द बन , धन वैभव मुस्कान।।७।।
विश्व शान्ति जग स्वस्ति ही,कारण हरि अवतार।
मीन कूर्म वाराह बन , किये दुष्ट संहार।।८।।
वामन बलि मद नाश कर , शान्ति रूप संसार।
बार बार क्षत्रिय दमन, किया परशु अवतार।।९।।
लिया राम अवतार जग , हरे प्राण लंकेश।
नृसिंह रूप भगवान हरि , काल बने असुरेश।।१०।।
शान्ति दूत श्रीकृष्ण बन , ले द्वापर अवतार।
पापी कौरव नाश कर , रखा शान्ति आधार।।११।।
बुद्ध शान्ति अवतार दस,देख व्यथित जग पाप।
सत्य प्रेम करुणा दया , हरे लोक संताप।।१२।।
महावीर शंकर सुमन , सत्य प्रीति पथ शान्ति।
तीर्थंकर अरुणाभ जग , मिटे मोह जग भ्रान्ति।।१३।।
शान्ति सुखद सोपान है , शान्ति ईश उपहार।
शान्ति चारु कारण प्रगति,शान्ति कीर्ति आधार।।१४।।
शान्ति जगत दुर्जेय है , नवरस का शृङ्गार।
शान्ति सत्य नीलाभ सम , शीतल गन्ध बहार।।१५।।
महायुद्ध शान्त्यर्थ ही , लड़ा गया हर बार।
जब प्रश्न धर्म स्थापना , हुआ शत्रु संहार।।१६।।
दहशत का माहौल जग , विस्तारक खल नीति।
दे कोरोना त्रासदी , भूल बन्धुता प्रीति।।१७।।
हृदय रखें सद्भावना , समरसता मकरन्द।
शान्ति पुष्प रस पान कर , मुदित मधुप आनंद।।१८।।
परशु गदा गाण्डीव भी , पड़े उठाना चक्र।
विश्व शान्ति अनिवार्य फिर,विनाश शत्रु दुश्चक्र।।१९।।
शान्ति मार्ग कल्याण जग, सत्य प्रीति अभिराम।
विश्वबन्धु जब भाव मन , त्याग स्वार्थ सुखधाम।।२०।।
डॉ.राम कुमार झा निकुंज
नई दिल्ली