डॉ दीपा गुप्ता(डॉ दीपा संजय दीप)
जन्मतिथि-22-7-66बरेली उ प्र
पिता का नाम-श्री राजकुमार गुप्ता
माता का नाम-श्रीमती शकुंतला गुप्ता
पति का नाम-श्री संजय कुमार गुप्ता
पता-57,ब्रजलोक कालोनी,प्रेम नगर,बरेली,उ.प्र.मो०न०-8273974532,8630236328
E mail-sanjaydeepa2822@
gmail.com
शिक्षा-स्नातकोत्तर,इंटीरियर डिजाइनर, कम्प्यूटर कोर्स एवं रेकी लेवल2सम्मान
परिचय-किशोरावस्था से ही लेखन में रुझान,भाषण एवं वाद विवाद प्र०यो० एवं कवि सम्मेलनों में सहभागिता,
आकाशवाणी पर काव्य पाठ अमर उजाला के ०काव्या कालम में ०रेल हादसा एवं ०जय गङ्गे सहित लगभग350 कविताओं का प्रकाशन।अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ०प्रयास ०तितली ०वर्तमान अंकुर ०जीवन प्रकाशन०
वैदिक राष्ट्र ०सवेरा मासिक पत्रिका ०गजल गुंजन ०नारी का अस्तित्व० लघुकथा संगम ०विविध संवाद०अमर उजाला आदि विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन ।
*ट्रू मीडिया न्यूज पोर्टल *उत्कर्ष ज्योति पोर्टल*युवा प्रवर्तक न्यूज पोर्टल*बिहार टाइम्स न्यूज पोर्टल ,
हिंदी भाषा डॉट कॉम उत्कर्ष ज्योति न्यूज पोर्टल आदि विभिन्न न्यूज पोर्टल पर अनेकानेक रचनाएं प्रकाशित।
यू ट्यूब पर "जय गङ्गे" "निर्जन पथ" "शिवाराधना" "महर्षि दयानंद की डॉक्यूमेंट्री"शेरों पे सवार","धोनी"सहित लगभग अनेक वीडियो का प्रसारण।
०विश्व रचना मंच-1-हिंदी सेवा सम्मान
०मुक्तकलोक द्वारा 1-शब्द श्री सम्मान,2-मु०लो०भूषण सम्मान,मुक्तक लोक गीत रत्न सम्मान,वर्तमान अंकुर द्वारा कथा गौरव सम्मान, वजम ए हिन्द सम्मान
०सा०सं०संस्थान द्वारा-1-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,2-श्रेष्ठ टिपण्णीकार सम्मान ,3-भक्ति गौरव सम्मान,4-हिंद वीरांगना सम्मान,हनुमान जयंती पर -भक्तराज सम्मान,5-अन्नपूर्णा सम्मान,
6-सा० अ० स०,7-दोहा साधक स० ,8-गी०साधक स०,9-साहित्य कदंब सम्मान,10-साहित्य कुंदन सम्मान,11-शिवामृत सम्मान12-नमामि देवी अंबिके सम्मान,13-विद्या0 वाचस्पति(मानद उपाधि)
०नारी सु० मंच द्वारा -1श्रे०रचनाकार
०सम्मान2-श्रे० टि०सम्मान
०गहमर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर -साहित्य सरोज शिखर सम्मान
०काव्य रंगोली संस्थान द्वारा- साहित्य
भूषण सम्मान
०शहीद तिलका मांझी की स्मृति में दिया जाने वाला - तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान आदि।
कविताओं के साथ-साथ गीत ,गज़ल, दोहे, मुक्तक्त,गीतिका, छंद,हाइकु,वर्ण पिरामिड,तांका विद्या, सायली छंद,लघुकथा आदि में भी नियमित लेखन।वैदिक राष्ट्र सवेरा मासिक पत्रिका गजल संग्रह नारी का अस्तित्व
तीन एकल संग्रह बालदीप-भाग-1,भाग,भाग-2भाग-3
साझा संग्रह "रिश्तों के अंकुर"
"पितृ विशेषांक" "काव्य पुंज" "स्त्री एक सोच" "उड़ान शब्दों की" "लघुकथा संगम""सम्मान समारोह स्मारिका" "उड़ान परिंदो की" "गीत संकलन" एवं "नई उड़ान नया आसमान" "नदी चैतन्य हिन्द धन्य" "पुलवामा शहीद सम्मान भावंजिली" "सुनो तुम मुझसे वादा करो" "हिंदी हैं हम"।
इसके अतिरिक्त शीघ्र ही दो खंड काव्य शतक निकालने की योजना है।
डॉ दीपा संजय दीप
बरेली , उत्तर प्रदेश
गीत
गीत प्रीत के गाता चल, सबको राह दिखाता चल।
सब पंछी हैं एक डाल के ,सबका मन बहलाता चल।
गहन अंधेरा कितना भी हो,सूर्योदय निश्चित होगा,
आंधी एवं तूफानों से ,स्वयं को सदा बचाता चल।
छोड़ हमें जो चले गए ,मत अब उनका शोक मना,
नई उम्मीदों की चादर से,अपने स्वप्न सजाता चल।
बीती बातें बीती रातें,अब उनसे क्या है हासिल,
मरू भूमि में पुष्प प्रेम के, निसि दिन नवल खिलाता चल।
प्रतिस्पर्धा न किसी से तेरी, सारा जग तेरा अपना,
मीठी वाणी से तू अपनी सब पर प्यार लुटाता चल।
करतल में प्रकाश लिए ,ध्वनि मंत्र की साथ लिए,
पावन मन संग रवि रश्मि में भोर सांझ नहलाता चल।
विजय मिलेगी निश्चित एक दिन मत घबराना हालातों से,
छल बल त्याग नेक राह पर स्वयं को मनुज लगाता चल।
डॉ दीपा संजय दीप
बरेली ,उत्तर प्रदेश
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वंदेमातरम
वंदेमातरम.... पुकारती माँ भारती
विगुल अखण्ड हिंद का बजा रही माँ भारती
बढ़े चलो बढ़े चलो रुकें नहीं बढ़े कदम
रणबाँकुरे रण में चले चरण माँ पखारती
वंदेमातरम ..... पुकारती माँ भारती
दिशा दिगंत गूँज रहे गगन को हैं चूम रहे
त्रिलोकी का सिंहासन हिला शत्रु को ललकारती
वंदेमातरम..... पुकारती माँ भारती
सूर्य सा प्रचण्ड तेज धैर्यता वसुंधरा सम
भाल उच्च तिलक दिव्य श्रद्धा सुमन वारती
वंदेमातरम ....... पुकारती माँ भारती
बन काल आज टूट पड़ो दुंदभि बजा रही
सँहार कर माँ शत्रु का प्रलय की शाल डालती
वंदेमातरम....... पुकारती माँ भारती
डॉ दीपा संजय दीप
बरेली उत्तर प्रदेश
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शहादत
तिरंगे में लिपटा जब पिता का शव आया
बेटे ने माँ को शून्य में निहारता हुआ पाया
नैनों से बहते अश्रु धो रहे थे उसके मुख को
कौन था ऐसा जो बांट सकता था उसके दुख को
कच्ची मिट्टी सा बालक पल में बड़ा हो गया था
नौ साल की उम्र में ही पच्चीस सा हो गया था
अंदर जाकर माँ के सीने से लिपट कर ये बोला
नहीं हूँ मैं अब छोटा न समझ माँ मुझे भोला
संभाल लूँगा परिवार मैं शहीद पिता का बेटा हूँ
रगों में उनका ही लहु है उनकी गोदी में लेटा हूँ
पूरे देश की रक्षा का भार लेने में जब वे थे
समर्थ
तो परिवार की रक्षा का भार उठाने में कैसे मैं असमर्थ??
माना कि कंधे अभी कमजोर हैं पर इरादे हैं मजबूत
नहीं हो निराश माँ क्या देना बाकी है अब भी कोई सबूत??
उम्मीद पर दुनिया कायम है और मैं ही हूँ तेरी उम्मीद
अब से मैं ही तेरी होली,दीवाली और मैं ही हूँ तेरी ईद
देश के लिए उनकी शहादत को बेकार नहीं जाने दो माँ
हंस कर दो विदाई उनको खुद को आप संभालो माँ
तिरंगे की शान को जिंदा रखना है आज हम सबको
पत्थर सीने पर रखकर यह कसम उठाना हम सबको
यही हमारी उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी
भारत माता के लिए क़बूल उनकी शहादत होगी
डॉ दीपा संजय दीप
बरेली , उत्तर प्रदेश
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वीर
बढ़ते जाते बढ़ते जाते,
कठिन राह पर चलते हैं।
वीर कभी हिम्मत ना हारें,
आगे-आगे बढ़ते हैं।।
भाग्य अपना खुद ये लिखते
विश्वास कर्म पर ही करते
बैर ना किसी से इनका
सत्य के लिए लड़ते हैं
आंधी पानी बिजली ओला,
रोक सके ना राह कभी।
तूफानों में पलने वाले,
तूफानों में बढ़ते हैं।।
शीश नवाती दुनिया इनको,
पूजित होते देवों से।
आत्मा की शक्ति के बल पर,
कुंदन वसुधा को करते हैं।।
ज्ञान कि ज्योति जले ह्रदय में,
तेज सकल जग में करते।
फूल जान पथ के कंटक को,
मंज़िल अपनी चढ़ते हैं।।
जीवन बना अबूझ पहेली,
साहस ना फिर भी छोड़ें।
सीप ढूंढने सागर में ये,
भीतर उतरा करते हैं।
डॉ दीपा संजय दीप
बरेली , उत्तर प्रदेश
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गजल
गुमां किस बात का मानव नहीं कुछ भी तो तेरा है।
सभी कुछ छोड़ कर जाना कि चिड़िया रैन बसेरा है।
सजाए तन पर कपड़े हैं नहीं तेरे रहेंगे वो,
यहीं छोड़ेगा काया भी कि यह मिट्टी का ढेरा है।
अाई दौलत भूल बैठा शिष्टता और सभ्यता भी,
यह चलती फिरती माया है नहीं करती बसेरा है।
किया संग्रह जो दौलत का यहीं रहनी सभी तेरी,
किया जो कर्म जीवन में वही तेरा घनेरा है।
चलेगा ना बहाना भी तेरा कोई अरे मानव,
करे फिर क्यों छलावा मन कि पापों ने ही घेरा है।
भ्रमित माया की नगरी में विचरता फिर रहा है मन,
छटेगी धुंध भी इक दिन कि होगा नव सबेरा है।
डॉ दीपा संजय दीप
बरेली ,उत्तर प्रदेश