नागेंद्र नाथ गुप्ता
पिता स्व० श्री मंगलाचरण गुप्ता
शिक्षा = एम०ए०
व्यवसाय = रेलवे (मुंबई) से सेवा निवृत्त
जन्म स्थान = कानपुर
जन्मतिथि =12/11/1950
प्रकाशित कृति =
गुरु अमृत, फूलों के दरम्यान (प्रेस में) एवं पांच सांझा संकलन प्रकाशित अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लेख,कविताओं एवं ग़ज़लों का नियमित प्रकाशन :- जैसे सामना, वृत मित्र- मुंबई वर्तमान अंकुर- नोयडा, युगधारा, तुलसी सौरभ, दिल्ली प्रेस, काव्य रंगोली, सोच विचार- वाराणसी साहित्यनामा आदि आदि
सम्मान - अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित तथा विभिन्न काव्य गोष्ठियों से संलग्न।
वर्तमान पता = बी० 1 / 204, नीलकंठ ग्रीन्स
मानपाडा, ठाणे ( मुंबई ) 400610 मोबाइल न० = 9323880849
ई०मेल nagendrangupta@gmail.com
रचनाएं :-
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एक- सुख - दुख
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सुख दुख शामिल रहते हैं सबके जीवन में,
आते जाते रहते सुख दुख सबके जीवन में।
सुख हैं क्षणिक मगर दुखों की लम्बी रातें,
कभी भूल नहीं पाते हम बीते दुख की बातें।
सच्चे सुख खातिर पहुंचाए औरों को सुख,
हासिल होगी खुशी और मिलेगा पूरा सुख।
ज्ञानी ध्यानी सब कहे दुखिया सब संसार,
दुख में रखे थोड़ा हौसला होगा बेड़ा पार।
दो- मौन
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मौन के श्वर जब प्रखर होंगे,
और ज्यादा हम प्रबल होंगे।
मौन का वजूद कम हो रहा,
आदमी अस्तित्व है खो रहा।
मौन रहने में कोई रुचि नहीं,
खामोशी की कोई गति नहीं।
होश है पर एकाग्रता भंग है,
समुचा संसार अपने संग है।
एकांत की साधना है दुर्लभ,
जो अनावश्यक वहीं सुलभ।
मौन में तरंगें मारती हिलोर,
पकड़े कसके छूटें नही डोर।
मौन में बेहतर होगा संवाद,
न कोई बहस न हो विवाद।
मौन रहें तो खुशियां करीब,
चंद लोग होते खुशनसीब।
मौन रह के बन जाए तरल
मौन साधे तो जीवन सरल।
तीन- "शिव और शक्ति" ~~~~~~~~~~~~
शिव हैं जहॉ वहाॅ शक्ति है
जहाॅ भाव हैं वहीं भक्ति है।
शिव शक्ति के बिना अधूरे
जगदम्बा ही परम शक्ति है।
शिव शक्ति से सदा युक्त है
शिव माया से सदा मुक्त है।
माया की शक्ति है आसक्ति
माया से मुश्किल है विरक्ति।
गति प्रदान करती है शक्ति
शक्ति से मिलती है भक्ति।
शक्ति बिन क्रिया असंभव
शक्ति में मिलती तंदुरुस्ती।
शिव कृपा से मिलेंगी शक्ति
बिन हरि कृपा नहीं है मुक्ती।
अर्द्धनारीश्वर इसीलिए शिव
शिव हैं जहॉ वहां शक्ति है।
चार- जीवन
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जीवन इक संसाधन हैं,
कुछ करने का आंगन है।
जीवन देता मौका बस-
जीवन तो मनभावन है।।
मुश्किल आती रहती है,
विपदा जाती रहती है।
कोशिश करनी है पड़ती-
मंजिल उसको मिलती है।।
जीवन जैसे सरगम है,
बजती रहती हरदम है।
हंसते - गाते है रहना-
जीने वालों में दम है।।
ईश्वर का नज़राना है,
जीवन ना जुर्माना है।
होठों पे मुस्कान रहे-
यूॅ आभार जताना है।।
जीवन जीवन यापन है,
कुछ कहते ये कानन है।
सुंदर अनुपम हो जीवन-
जीवन सचमुच पावन है।।
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नागेन्द्र नाथ गुप्ता,
ठाणे (मुंबई)
दिनांक 27/09/2020
मोबाइल- 9323880849