9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '
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मत्तगयंद सवैया मुक्तक
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गण संयोजन ----
( 211 × 7 ) 2 2 भानस × 7 चरणांत ग ग
मापनी ----
211 211 211 211
211 211 211 2 2
आन बसो अब माँ तुम आँखिन , भावन रूप सुहावत मैया ।
अर्चन पूजन आज करें सब , पार लगा अब नाव खिवैया ।।
कष्ट हरो सब भक्तन के अब , ले अवतार सदा हितकारी ।
आवत हैं सब दर्शन को अब , लो लख जावत भक्तिन मैया ।।
भक्ति सुधा रस पीवत जावत , भक्तिन को सुख देत भवानी ।
आज कहें तुमको हम मातुल , स्नेह लुटावत मातु भवानी ।
सार यहाँ इस जीवन का अब , आज कहो हमसे तुम मैया ,
रोज़ करें हम पूजन नेहिल , राज़ बता अब मातु भवानी ।।
आँगन देख ज़रा अब चहके , भक्तन की अब भीड़ खड़ी है ।
भाव लिए सब भक्ति सुधा चख , भक्तिन लाइन आज बड़ी है ।।
आज सुधा रस ही बरसा कर , मानवता लख ज्योति जला दो ।
जीवन में सुख देकर वांछित , आज सभी मन को सरसा दो ।।
शैल सुता तुम शैल विराजति , माँ झुकने चरणों अब आते ।
आ अब तो नवरात्रि गयी सुन , दर्शन तो सब भक्तन पाते ।।
आ सुख दे खुशियाँ अब दो तुम , दामन आज भरो सुखदायी ।
कष्ट करो अब दूर सदा तुम , दूर करो पल तो दुखदायी ।।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
17.10.2020 , 11:47पीएम पर रचित ।
मुंबई ( महाराष्ट्र ) ।
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C.
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