*विषय।।बेटी।।*
*।।रचना शीर्षक।।*
*आज की बेटियाँ।।आसमाँ*
*में है उड़ने की तैयारी।।*
कौन सा काम जो आज की
बेटी नहीं कर पाई है।
बेटियां तो आज आसमान
से सितारे तोड़ लाई हैं।।
बेटियों को चाहियेआज उड़ने
को यह सारा पूरा जहान।
धन्य हैं वह माता पिता
जिन्होंने बेटी जाई है।।
नारी ही तो इस सम्पूर्ण
सृष्टि की रचनाकार है।
नारी आज सबला दुष्टों के
लिये भी बन गई हाहाकार है।।
अनाचारऔर दुष्कर्म के प्रति
आजऔरत ने उठाई आवाज़।
बाँधकर साफा माथे परआज
बनी रण चंडी की ललकार है।।
वही समाज राष्ट्र उन्नत बनता
जो बेटी का सम्मान करता है।
बेटी शिक्षा बेटी सुरक्षा का
जो अभियान भरता है।।
ईश्वर रूपा ममता स्वरुपा
त्याग की प्रतिमूर्ति है नारी।
वो संसार स्वर्ग बन जाता जो
बेटी का नाम महान धरता है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।*
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