*जीवनोपयोगी दोहे*
सुनो,सफल जीवन वही, जिसमें हो उपकार।
शुद्ध आचरण,सोच शुचि,संतों का सत्कार।।
रहो निरंकुश मत कभी,रख अनुशासन-ध्यान।
अनुशासित जीवन करे, जग में तुम्हें महान।।
निर्जन वन में संत सब,रहें सदा निर्भीक।
ईश्वर का गुणगान कर,लेते सुफल सटीक।।
चंदन सम शीतल रहो, करो कभी मत क्रोध।
क्रोध पाप का मूल है,जीवन-गति-अवरोध।।
प्रभु के वंदन से खुले,तम-अज्ञान-कपाट।
आत्म-तुष्टि अति शीघ्र तब,दे भव-खाईं पाट।।
क्रंदन-नंदन जगत में,हैं जीवन के खेल।
सृष्टि विधाता ने रची,उसको दे यह मेल।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र।
9919446372
नारी-सम्मान
*भारत की बेटियाँ*
भारत का नाम रौशन,करतीं हैं बेटियाँ,
नित-नित नवीन शोधन,करतीं हैं बेटियाँ।
यद्यपि ये कोमलांगी,होतीं हैं बेटियाँ,
कर लेतीं श्रम कठिन,फिर भी ये बेटियाँ।।
जल में हों,चाहे नभ में,होवें धरा पे वे,
नारी-प्रभा को शोभन,करतीं हैं बेटियाँ।।
वतन की आन-बान थीं,पहले भी बेटियाँ,
झंडे का आज रोहण, करतीं हैं बेटियाँ।।
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कर्तव्य शासकीय,या हो प्रशासकीय,
सियासती सुयोजन,करतीं हैं बेटियाँ।।
होतीं अक्षुण्ण कोष ये,असीम शक्ति का,
कुरीतियों का रोधन,करतीं हैं बेटियाँ।।
साहस अदम्य इनमें,रहता विवेक है,
संघर्ष का ही भोजन,करतीं हैं बेटियाँ।।
घर में रहें या बाहर,चाहे विदेश में,
शर्मो-हया का लोचन,रहतीं हैं बेटियाँ।।
जीवित हैं मूर्ति त्याग की,अपनी ये बेटियाँ,
नहीं कभी प्रलोभन,करतीं हैं बेटियाँ ।।
रिक्शा चला भी लेतीं,भारत की बेटियाँ,
परिवार का प्रबंधन,करतीं हैं बेटियाँ।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372