परिचय -
नाम - प्रीति शर्मा" असीम" (कवयित्री/ लेखिका
नाम -प्रीति शर्मा "असीम"
पिता का नाम -श्री प्रेम कुमार शर्मा
माता का नाम-श्रीमती शुभ शर्मा
पति का नाम-श्रीमान असीम शर्मा
जन्मतिथि -30 -9-1976.
स्थायी पता-वार्ड न०8,निकट गुरुद्वारा, नालागढ़,जिला-सोलन(हिमाचल प्रदेश)पिन-174101
पत्राचार पता-उपरोक्त
शिक्षा- एम.ए.( हिंदी ,अर्थशास्त्र ) B.Ed
रुचि-पढ़ना,लिखना,खाना बनाना, रचनात्मक कार्य आदि।
भाषा ज्ञान - हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी।
पदनाम- गृहिणी
संगठन- नालागढ़ कला साहित्य मंच
प्रकाशित रचनाएं-
*एकल काव्य संग्रह - 1. जिंदगी के रंग
2. प्रेरणा
*संयुक्त काव्य संग्रह -
1.आखर कुंज ,
2.समंदर के मोती,
3.love Incredible,
4.सहित्य धारा,
5.रत्नावली
6. दिल चाहता है
7. मजदूर
8. पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ
9. पिता
10. बेटियां
11. सृजन संसार
12. नदी
13. अब आ जाओ
14. देश की 11कावित्रिया
15. मां मां मेरी मां
* देश- विदेश की पत्र -पत्रिकाओं मैं कविता आलेख का प्रकाशन
#सम्मान
*Certificate of Appreciation
National level online Poetry Competition
*अटल काव्य सम्मान
*मेरी कलम हिन्दी बोल रचनाकार सम्मान
* साहित्य गौरव सम्मान
* साहित्यनामाEminence सम्मान "उम्मीद'
* स्टोरी मिरर- Trophy winner
1Nonstop November
2My life My Words
*Certificate of Appreciation (Story Mirror)
#Non stop November
#My life my words
#Mera Bharat
#Yes, I write season-2
#StoryMirror School writing competition 2019.Winner
* प्रखर गूँज रत्नावली सम्मान
* नवीन कदम उत्कृष्ट सृजन सम्मान2019
* साहित्य श्री सम्मान
* प्रखर साहित्य सम्मान
* वीणा पाणी साहित्य सम्मान
* कीर्तिमान साहित्य सम्मान *सरस्वती पुत्री सम्मान
*साहित्य शिल्पी सम्मान
*अक्षय काव्य सहभागिता सम्मान
*कीर्तिमान क्षेत्र सम्मान
* साहित्य वसुदा गौरव सम्मान *साहित्य गौरव मासिक उन्नाव दिसंबर 2019
*साहित्यनामा सृजन सम्मान
*अटल काव्यांजलि श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान
*Certificate of Achievement (second position in poetry competition)
*Certificate of Emergence April 2020
*सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान
* सूर्योदय साहित्य सृजन सम्मान
* इंकलाब सृष्टि रक्षक सम्मान
*नवीन कदम उत्कृष्ट सृजन सम्मान2020
* देवभूमि हिम साहित्य मंच श्रेष्ठ रचना का सम्मान
*शब्द साधक साहित्य सम्मान *हिन्दी साहित्य ज्योतिपुंज सम्मान
*वर्तमान अंकुर श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान पत्र
*Certificate of Appreciation" Online Quiz on Hindi Language "
*काव्य कलश उत्कृष्ट रचना लेखन सम्मान
*Aagaman-Certificate of Excellence
* मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान
* काव्यरंगोली ऑनलाइन सावन उत्सव श्रेष्ठ रचनाकर सम्मान
* श्री देशना लघु कथा एवं काव्य प्रतियोगिता 2020 प्रशस्ति पत्र
* माँ सिया साहित्य अकादमी सम्मान पत्र
* देशभक्त सहित सम्मान 2020
* साहित्य सुषमा सम्मान पत्र
*Certificate of writing star
* साहित्य वसुधा उत्कृष्ट रचना सम्मान
* डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन साहित्य सम्मान
* हिंदी भाषा विघ्नहर्ता गणेशा जी स्पर्धा के द्वितीय विजेता सम्मान
* जश्न -ए -आजादी सम्मान पत्र 2020
* राष्ट्रीय साहित्य शिक्षाविद सम्मान 2020
* महादेवी वर्मा सम्मान 2020
*
Mobile 8894456044
E-mail aditichinu80@gmail.com
[13/09 7:01 pm] Preeti Kumar: मैं हिंद की बेटी हिंदी
भारत के ,
उज्ज्वल माथे की।
मैं ओजस्वी ......बिंदी हूँ।
मैं हिंद की बेटी .....हिंदी हूँ।
संस्कृत, पाली,प्राकृत, अपभ्रंश की,
पीढ़ी -दर -पीढ़ी ....सहेली हूँ।
मैं जन-जन के ,मन को छूने की।
एक सुरीली .......सन्धि हूँ।
मैं मातृभाषा ........हिंदी हूँ।
मैं देवभाषा ,
संस्कृत का आवाहन।
राष्ट्रमान ........हिंदी हूँ।।
मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ।
पहचान हूँ हर,
हिन्दोस्तानी की.... मैं।
आन हूँ हर,
हिंदी साहित्य के
अगवानों की........मैं।।
मां ,
बोली का मान हूँ...मैं।
भारत की,
अनोखी शान हूँ......मैं।।
मुझको लेकर चलने वाले,
हिंदी लेखकों की जान हूँ ....मैं।
मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ।
मैं राष्ट्र भाषा .........हिंदी हूँ।
विश्व तिरंगा फैलाऊँगी।
मन -मन हिन्दी ले जाऊँगी।।
मन को तंरगित कर।
मधुर भाषा से।
हिंदी को,
विश्व मानचित्र पर,
सजा कर आऊँगी।।
स्वरचित रचना
प्रीति शर्मा "असीम" नालागढ़ हिमाचल प्रदेश
[09/11 4:21 pm] Preeti Kumar: इंसान के शौंक
वाह रे !!!! इंसान....???
बदलते परिवेश में,
क्या-क्या शौक हो गए।
गरीब के हिस्से में "गाय"
और अमीरों के "कुत्ते "
पालने के शौक हो गए।
वाह रे !!!! इंसान.....???
बदलते परिवेश में,
क्या-क्या शौक हो गए।
आधुनिकता - दिखावे का,
ऐसा......... नशा चढ़ा।
गाय दूध दे कर भी,
बासी रोटी और कचरे के,
ढेर पर चर रही।
कुत्ते के लिए अच्छे-अच्छे बिस्किट और मांस-मछली की भेंटे चढ रही।
वाह रे.!!!!..... इंसान ??? बदलते परिवेश में,
क्या-क्या शौक हो गए।
जरा सोचो.......
जिंदगी के सच,
अंधविश्वास....... ¿¿¿
कहकर नहीं छूट जाएंगे।
सच को ना मानने से,
सच के मायने नहीं बदल जाएंगे।
गाय को "माता" का दर्जा
जब तक ना दे पाओगे।
"कुत्ता "बेचारा तो.. नीरीह
वफादार जीव है।
तुम उससे नीचे स्थान पाओगे।
प्रीति शर्मा असीम नालागढ़ हिमाचल प्रदेश
उक्त रचना नितान्त मौलिक और अप्रकाशित है।
[02/12 12:51 pm] Preeti Kumar: विषय -एड्स जागरूकता
#शीर्षक-एड्स से खुद को बचाएं
जीवन को एड्स से बचाएं।
ना कि भ्रांतियां फैला कर,
सामाजिक परिवेश को असंतुलित कर जाएं।
जीवन को एड्स से बचाएं।
केवल शारीरिक संबंध कहकर,
सत्य से मुंह ना छुपाए।
रक्त चढ़ाते समय,
एच.आई.वी. पॉजिटिव की जांच भी करवाएं।
जीवन को एड्स से बचाएं।
ना कि भ्रांतियां फैला कर,
सामाजिक परिवेश को असंतुलित कर जाएं।
बीमारी से लड़ें,
ना कि बीमार को जताकर,
उसे मौत के आगे कर जाएं।
हर बार इंजेक्शन में,
नई सुई का प्रयोग कर सुरक्षा अपनाएं।
असुरक्षित यौन -संबंध से,
अपना और समाज का जीवन बचाएं।
एड्स के डर को,
जागरूकता से एड्स मुक्त बनाएं।
#स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
प्रीति शर्मा "असीम "
नालागढ़ हिमाचल -पंजाब
[06/12 3:38 pm] Preeti Kumar: किसान
हाथ की लकीरों से लड़ जाता है।
जब बंजर धरती पे,
अपनी मेहनत के हल से लकीरें खींच जाता है।
हाथ की लकीरों से लड़ जाता है।
कभी स्थितियों से कभी परिस्थितियों से,
दो- दो हाथ कर जाता है।
वो पालता है,पेट सबके।
खुद आधा पेट भर के,
मुनाफाखोरी के आगे,
हाथ -पैर जोड़ता रह जाता है।
हाथ की लकीरों से लड़ जाता है।
जो जीवन को जीवन देता है।
सबको अपनी मेहनत से ऊचाईयां देता है।
उसकी महानता को,अगर समझें होते।
कर्ज में डूबे किसान,फांसी पर यूं न चढ़ें होते।।
आज अनशन लेकर,सड़कों पर क्यों खड़े होते।
दीजिए सम्मान,उसे......जिस का हकदार है।
वह धरा पर,जीवन धरा का प्राण है।
डॉक्टर, इंजीनियर .....बनने से पहले,
जीवन देने वाला है।
अमृत सदृश रोटी हर रोज देने वाला है।।
स्वरचित रचना
@प्रीति शर्मा "असीम"
नालागढ़ हिमाचल -पंजाब
[07/12 4:26 pm] Preeti Kumar: मानव अधिकार
संविधान ने जब,
मानव अधिकारों का गठन किया।
लोकतंत्र की देकर ढाल जब, मानव अधिकारों का संगठन किया।
मानव अधिकार...लेकर " देश का मानव" इतना मग्न हुआ।
अपने देश के प्रति भी....कर्तव्य है।
इस बात का कहां उसे स्मरण हुआ।
संविधान ने जब,
मानव अधिकारों का गठन किया।
आजादी थी....अभिव्यक्ति की,
लोकतंत्र की.... यह ऐसी शक्ति थी।
शक्ति का....वह दुरुपयोग हुआ। हर नीति का बस..... विरोध-दर - विरोध हुआ।
संविधान ने जब,
मानव अधिकारों का गठन किया। लोकतंत्र की देकर ढाल जब, मानव अधिकारों का संगठन किया।
धर्मों की आजादी क्या... दी ।
हर धर्म, दूसरे धर्म का कातिल हुआ।
मानव अधिकारों की तकड़ी में हर शक्तिशाली का तोल हुआ।
मानव धर्म का कहीं नहीं मोल हुआ।
संविधान ने जब मानव अधिकारों का गठन किया।
लोकतंत्र की देकर ढाल जब मानव अधिकारों का संगठन किया।
अधिकारों के लिए लड़ा समाज। अनशन -आंदोलन पर अड़ा समाज।
हर मुद्दे पर पार्टी बाजी हुई।
घटिया राजनीति की कामयाबी हुई।
अंधी भेड़ों की अगवानी में,
अधिकारों के लिए बस लड़ाई हुई।
लेकिन मानव कर्तव्य अदा ना करता रहा।
सविधान के अधिकारों पर लड़ता रहा।
कर्तव्य विधान से हरता रहा।
#प्रमाण- रचना नितांत मौलिक स्वरचित
स्वरचित रचना
प्रीति शर्मा "असीम "
नालागढ़ हिमाचल- पंजाब