"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुषमा दीक्षित शुक्ला
एस के कपूर श्री हंस
नूतन लाल साहू
डॉ0 निर्मला शर्मा
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
विनय साग़र जायसवाल
नूतन लाल साहू
एस के कपूर श्री हंस
सुषमा दीक्षित शुक्ल
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
सुनीता असीम
एस के कपूर श्री हंस
विनय साग़र जायसवाल
नूतन लाल साहू
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
डा. नीलम
काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार प्रियांजुल ओझा
नाम - प्रियांजुल ओझा
शिक्षा- स्नातक 2017- 18(इलाहाबाद विश्वविद्यालय); परास्नातक 2019- 20 ( जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्विद्यालय), संस्कृत विषय में द्विवर्षीय डिप्लोमा, तीन बार हिंदी में नेट उत्तीर्ण
सम्मान : मणिपुर की राज्यपाल आदरणीय नज़मा हेपतुल्ला द्वारा सम्मानित , प्रसिद्ध साहित्यकार अशोक वाजपेयी के हाथों सम्मानित , बैंक ऑफ बड़ौदा मेधावी विद्यार्थी सम्मान से सम्मानित, कोटक महिंद्रा बैंक मेधावी विद्यार्थी सम्मान से सम्मानित , पंद्रह से अधिक अंतर- विश्वविद्यालयी एवं विश्वविद्यालयी वाद - विवाद तथा भाषण प्रतियोगिताओं में स्थान अर्जित करने पर सम्मान ।
लेखन : विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं एवं सम्प्रेषण के अन्य आभाषी पटलों पर शोध आलेख तथा कविताएँ प्रकाशित हो चुकी हैं ।
निवासी : प्रयागराज
मोबाइल नं. 7309671510
प्यार लिखूं सृंगार लिखूं
और लिखूं अनुराग
अधराधर पल्लव से
यही था तेरा गान..
कोमल हांथों से हाथों का
वो तेरा बंधन लिखूँ
या लिखूँ कातर दुःख में मेरे
तेरा प्रथम स्पर्श एहसास
छोंड़ कर अपनी कक्षा
मिडिवल में आकर
आंखों में तुम्हे बसाना लिखूँ
या लिखूँ सिविल लाइंस का
स्कूटी वाला प्यार
इन सब स्मृतियों को तज कर
निःस्वार्थ प्रेम का मित्रता लिखूँ
या लिखूँ लड़ना
रूठना औ मनाना
इन सबसे भी बढ़ कर ..
वो तेरा संस्कृति- संस्कार
सद्व्यवहार और परिधान लिखूँ
या लिखूँ अपना सच्चा प्रेम,
आदर्श,प्रेरणा ,साधना औ सौभाग्य ।।
©प्रियांजुल ओझा
न जाने कब वो आएगी
करवा चौथ मनाएगी
मेहंदी माहुर चुनरी बिंदी
औ कजरारी आंख सजायेगी
चाँद का अपने प्यारा मुखड़ा देख
न जाने कब वह मुस्काएगी
अपने मेहंदी वाले हाँथो से
व्यंजन खूब पकाएगी
खुद निच्छलता का व्रत रखकर
मुझको बड़े प्यार से खिलाएगी
न जाने कब वो आएगी
करवा चौथ मनाएगी
@प्रियांजुल ओझा "प्रिय"
: विश्व गौरैया दिवस विशेष:
मन गौरैया गौरैया चिल्लाए
मेरे बच्चे इनको देख न पाएं
क्या होती ये ?
कैसी होती ?
शिख पर कलगी होती ?
या मोर - सा लंबा पंख होता ?
ऐसी व्याकुलता भरा
मेरे बच्चों का प्रश्न होता....
अब क्या बतलाऊँ मैं इनसे
अपने हाथों से ही उनको मारा है
कभी न दिया दाना - पानी
औ वृक्षों से भी बसेरा उजाड़ा है...
चलो क्या हुआ !
संवेदना भले मरी हो मेरी
पर स्वार्थ लिप्सा अभी भी बाकी है
इसलिए मत कर मेरे बच्चे तू चिंता
मै तुझको गौरैया दिखलाऊँगा
चाहे पिंजड़े में ही बंद करके लाऊँ
पर मैं तुझको गौरैया दिखलाऊँगा ।
©प्रियांजुल ओझा
काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार पंवार जोधपुर ( राजस्थान )
परिचय
नाम:- बसन्ती पवांर
जन्म:- 5 फरवरी, 1953 (बसन्त पंचमी), बीकानेर
माता-पिता:- स्व. श्रीमती रूकमा देवी , स्व. श्री राणालाल
शिक्षा:- एम. ए. (राजस्थानी भाषा), बी. एड.
व्यवसाय:-’निरामय जीवन’’ एवं ’’केन्द भारती’’ मासिक पत्रिका जोधपुर के प्रकाशन विभाग कार्या लय में
निःशुल्क कार्यरत, रिटायर्ड वरिष्ठ अध्यापिका ।
जुड़ाव:- महिलाओं की साहित्यिक संस्था ’’सम्भावना’’ की सचिव, ’’खुसदिलान-ए-जोधपुर’’, ’‘नवोदय
सबरंग साहित्यकार परिषद’’, ’‘लॅायंस क्लब जोधपुर’’ की सक्रिय सदस्य ।
प्रकाशन:- 1’‘सौगन‘’, 2 ’’ऐड़ौ क्यूं ?’’ (दो राजस्थानी उपन्यास), एक हिन्दी कविता संग्रह ’’कब आया
बसंत’’ । राजस्थानी कहानी संग्रह ’‘नुवाै सूरज‘’ । एक राजस्थानी कविता संग्रह-’‘जोवूं एक विस्वास’’
हिन्दी व्यंग्य संग्रह ’नाक का सवाल’, ( अंग्रेजी में अनुवाद भी )हिन्दी काव्य संग्रह ’’नन्हे अहसास’’ प्रकाशित । दो बाल साहित्य की
पुस्तकें-राजस्थानी में एक-‘‘खुश परी’’ कहानी संग्रह एवं एक कविता संग्रह, हिन्दी उपन्यास ’प्यार की
तलाश में प्यार’ एवं एक कहानी संग्रह प्रकाशनाधीन ।
राजस्थानी और हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, लेख, लघुकथा, संस्मरण, पुस्तक
समीक्षा आदि का लगातार प्रकाशन ।
आकाशवाणी जोधपुर, जयपुर दूरदर्शन से वार्ता, कहानी, कविता आदि का प्रसारण । राजस्थानी
भाषा के ’’आखर’’ कार्य क्रम में भागीदारी (जयपुर)
विशेषः-राजस्थानी भाषा की पहली महिला उपन्यासकार ।
यू ट्यूब पर ’’मैं बसंत’’ नाम से चेनल ।
पुरस्कार और सम्मान:
1. ‘राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर’ से ’’सौगन‘’, राजस्थानी उपन्यास पर
’‘सावर दैया पैली पोथी पुरस्कार’’ -1998
2. पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग मेघालय की तरफ से ’‘डा. महाराजा कृष्ण जैन स्मृति सम्मान
’’-2011
3. तमिलनाडु हिन्दी साहित्य अकादमी चैन्नई और तमिलनाडु बहुभाष�
4 ’आकाश गंगा चेरीटेबल ट्रष्ट’ लूणकरणसर, बीकानेर से सम्मान-2011
5.’‘नवोदय सबरंग साहित्यकार परिषद’’ जोधपुर से ’‘बेस्ट स्टोरी राइटर’’ सम्मान -2011
6. ’‘जगमग दीपज्योति ‘मासिक पत्रिका अलवर की तरफ से ’’श्रीमती नवनीत गांधी स्मृति’’
सम्मान-2013
7. बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, जोधपुर से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोज्य कवयित्री सम्मेलन में सम्मान-2014
8. ’मरूगुलशन’ त्रेमासिक पत्रिका के 75 वें अंक के लोकार्पण समारोह में सम्मान-2014
9. लाॅयनेस क्लब जोधपुर द्वारा कवयित्री सम्मेलन में सम्मान-2015
10. ‘सर्जनात्मक संतुष्टी संस्थान ’द्वारा प्रो. प्रेम शंकर श्रीवास्तव स्मृति पर आयोज्य कार्यक्रम में मरूगुलश में प्रकाशित ’’नारी संवेदना’’ रचना पर ’’गुणवंती सम्मान’’-2015
11. न्यू ऋतंभरा साहित्य मंच कुम्हारी, जिला दुर्ग -छ. ग. द्वारा न्यू ऋतंभरा मुंशी प्रेमचंद एवं साहित्य
अलंकरण-2015
12. महिमा प्रकाशन -छ.ग. द्वारा ’’त्रिवेणी साहित्य सम्मान’’-2015
13. ‘डाॅ. नृसिंह राजपुरोहित राजस्थानी साहित्य प्रतिभा पुरस्कार’’-2016
14. बृजलोक साहित्य-कला-संस्कृति अकादमी, फतेहाबाद (आगरा) उ. प्र. द्वारा ’‘श्रेष्ठ साहित्य साधिका सम्मान-2017
15. ’’वीर दुर्गादास राठौड़ सम्मान’’ (रजत पदक )-2017
16. ’शब्द निष्ठा सम्मान’’ (अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता अजमेर)-2017
17. ’’दिव्यतूलिका साहित्यायन’’ सम्मान-2017 (ग्वालियर, मध्य प्रदेष)
18. ’’शब्द निष्ठा सम्मान’’ (अखिल भारतीय व्यंग्य प्रतियोगिता अजमेर)-2018
19. ’’महादेवी वर्मा सम्मान’’(साहित्य कला एवं संस्कृति संस्थान, हल्दीघाटी नाथद्वारा)-2018
20. ’’पत्र लेखन सम्मान’’(डाॅ. सूरज सिंह नेगी, सनातन प्रकाशन, जयपुर)-2019
21. साहित्य क्षेत्र में सतत् सराहनीय योगदान हेतु ’’मधेषवाद के प्र. नेता गजेन्द्रनारायण सिंह सम्मान’’
(नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउंडेशन, काठमांडौ रौतहट, नेपाल से)-2019
22. ’’मत प्रेरणा सम्मान’’-2019 (निखिल पब्लिशर्स, आगरा, उत्तर प्रदेश)
23. राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति श्रीडूॅंगरगढ़ (बीकानेर) द्वारा ’’पं. मुखराम सिखवाल स्मृति रा. साहित्य सृजन पुरस्कार’’ (14 सितम्बर 2019)
24. स्टोरी मिरर द्वारा ’’लिटरेरी केप्टिन’’ सम्मान-2019
25. ’’अखिल भारतीय माॅं की पाती बेटी के नाम’’ प्रतियोगिता-2019, सम्मान (जिला प्रसाशन एवं महिला अधिकारिता, बून्दी द्वारा)
26. अखिल हिन्दी साहित्य सभा (अहिसास) नासिक (महाराष्ट्र) द्वारा पुस्तक-’’नाक का सवाल’’ पर ’’साहित्य श्री’’ सम्मान-2019
27. ’’क्रान्तिधरा अंतरष्ट्रीय साहित्य साधक सम्मान’’ (क्रान्तिधरा मेरठ, साहित्यिक महाकुम्भ-2019 में )
28. ’’आध्यात्मिक काव्यभूषण’’ की मानद उपाधि (भारतीय संस्कृति एवं भाषा प्रचार परिषद करनाल (हरियाणा) तथा कलमपुत्र काव्य कला मंच मेरठ उ. प्र. (भारत) द्वारा हरिद्वार (उत्तराखण्ड) में आयोजित कार्यक्रम में ।
29. ’’अग्निशखा गौरव रत्न’’ सम्मान (साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए, अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच मुम्बई द्वारा ) - 2019
30. ’’मैना देवी पांड्या स्मृति राजस्थानी लेखिका पुरस्कार-2019 (नेम प्रकाशन, नागौर, डेह)
31. ’’चौपाल साहित्य रत्न सम्मान’’-राष्ट्रीय कवि चैपाल, शाखा-दौसा (राजस्थान)-2020
32. ’’नव सृजन कला प्रवीर्ण अवार्ड’’-छत्रपति प्रशिक्षण संस्थान (रजि.) कानपुर (उ. प्र.) द्वारा-2020
33. ’’शब्द तरंग सम्मान - सुशील निर्मल फाउंडेशन, आणि शब्दांगण कला साहित्य सांस्कृतिक परिषद, वसई (महाराष्ट्र) द्वारा-2020
34. शब्द निष्ठा सम्मान (श्रेष्ठ समीक्षक)-2020
35. ’मनांजलि साहित्य सम्मान’ (मनांजलि मंच, चण्डीगढ़)-2020
36. जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा-अटल रत्न सम्मान, कोरोना योद्धा रत्न सम्मान, तिरंगा सम्मान, शिक्षक उत्थान रत्न सम्मान, गोस्वामी तुलसीदास सम्मान, 2020 में 101 साहित्यकार 2020 रत्न सम्मान-2020 । स्वामी विवेकानन्द सम्मान-2021, गणतंत्र दिवस पर भारत गौरव सम्मान-2021
37. ’’विशिष्ट साहित्यकार सम्मान’’ अदबी उड़ान साहित्यिक संस्था द्वारा-2021
38. ’’भामाशाह सम्मान’’ लायंस क्लब इंटरनेशनल द्वारा-2021
39. ’’लोक साहित्य रत्न सम्मान’ (अवनि सृजन साहित्य कला, मंच इंदौर, म.प्र. द्वारा)-2021
40. विश्व मायड़ भाषा दिवस 21 फरवरी 2021, महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, बाबा रामदेव शोधपीठ, राजस्थानी विभाग और इंटेक चेप्टर की ओर से सम्मान-2021
41. ’’हिन्दी साहित्य मनीषी’’ मानद उपाधी, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा से । 2021
बसन्ती पंवार
’विष्णु’, 90, महावीरपुरम,
चौपासनी फनवल्र्ड के पीछ,
जोधपुर -342008 (राज.),
मो. 9950538579
Basantipanwar53@gmail.com
*धीमें*
धीमें-धीमें
गीले ईंधन
की तरह
जलती नारी.....
धीमें-धीमें
जलकर भी
वो कार्बन
नहीं उगलती....
जीवन भर
देती रहती है
सभी को
ऑक्सीजन......
घर-परिवार
के लिए
नींव का पत्थर बन
कंगूरों की सुरक्षा....
सुन्दरता के लिए
पूरा जीवन
अंधेरों में गुजारती....
नहीं बनती
वह कंगूरा.....
धूपबत्ती की
तरह जलती है
धीमें-धीमें
सुवास बिखेरकर
मिटा देती
अपना अस्तित्व.....
धीमें-धीमें
अंतिम सांस
लेने के बाद भी
वह हिलती
तक नहीं.....
अपनों के
कंधों पर
शान से
चलती है धीमें-धीमें.......
बसन्ती पंवार
जोधपुर ( राजस्थान )
हमने
टूटे धागों पर
गांठें तो
खूब कस कर
लगाई......
मगर
खोलने वालों के
नाख़ून
बहुत पैने थे .....
बसन्ती पंवार
जोधपुर
(कविता) *इच्छाएं*
जीवन के सफर में
न जाने क्यों जन्म लेती हैं
चाहे छोटी-छोटी ही सही
मन में मचलती तो है......
मचलती इच्छाएं
और बड़ी हो जाती हैं
किसी लड़की की तरह.....
मन को झकझोरती है
अन्तर्मन में फैलती है
पर कहां पूरी हो पाती हैं....
कभी कोई कुचल देता है
तो कभी हम स्वयं ही
कफन से ढक देती हैं.....
कुचले जाने से पहले
कुचले जाने के दर्द से
कितना छटपटाती हैं .....
कितने आंसू कितने दर्द
मासूम मन की छोटी - छोटी
चाहतें उनकी बेदर्दी से मोत
देखता रहता जीवन ......
मन कठोर पाषाण बन जाता
पूछता है बार-बार
क्यों जन्म लेती हैं इच्छाएं......
इतनी मीठी इतनी सुन्दर
शायद ही कोई इच्छा
अपना पूरा जीवन जीती होगी
कुछेक मरती है प्रकृति से
बाकी तो तड़प - तड़प कर
मरने के लिए ही जन्मती हैं...
जीवन बेचारा क्या करे
पल-पल रिसता जीवन
जीवन कहां रह पाता है ....
पहले प्रौढ़ होता
फिर बुढ़ापे के सहारे
अपनों की ओर
निहारती इच्छाएं ......
जीवन में जन्मी - पली इच्छाएं
उसी के भीतर सिमट
माटी हो जाती हैं .......
एक भावभीना मन
सारा दर्द
चुपचाप सहता रहता......
शायद इच्छाओं का
दर्द सहना ही भाग्य है
और इच्छाओं का दमन
जीवन की विवशता ......
---- बसन्ती पंवार
जोधपुर ( राजस्थान )
*प्रेम*
प्रेम
नगद या उधार.....
मृत या जिन्दा.....
या प्लास्टिक का.....
हाँ, यह ठीक है
सदियों तक रहेगा
न पानी न खाद......
न धूप न हवा
की जरुरत ......
धूल जमें झाड़ देना .....
धो देना .......
फिर ताज़ा
हो जाएगा
मगर क्या
प्लास्टिक के प्रेम से
अहसास और
संवेदनाएं
महसूस कर सकोगे ?
----- बसन्ती पंवार
जोधपुर ( राजस्थान )
संघर्ष
स्वयं को खोजना
स्वयं के भीतर तक
कठिन लगता है
यह स्वयं से ही संघर्ष है
ढूंढ-ढूढ कर बाहर
निकालना--
ईर्ष्या.....द्वेष....
क्रोध.....कामनाएं.....
तेरे- मेरे की भावनाएं
तब तक ढूँढ़ना
जब तक कि
वह सभी
बाहर न आ जाए
पर....परंतु.....
हम स्वयं को
पहचान कर भी
संघर्ष करते हैं
स्वयं से ही
हमारा अस्तित्व
निरंतर संघर्ष है
अतीत से वर्तमान तक
जन्म से मृत्यु तक....
--- बसन्ती पंवार
जोधपुर ( राजस्थान )
एस के कपूर श्री हंस
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
विनय साग़र जायसवाल
सीमा शुक्ला अयोध्या
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार डॉ. सीमा भाँति “नीति”, अमेरिका
संक्षिप्त परिचय:
डॉ. सीमा भाँति “नीति “ , अमेरिका महाविद्यालय प्रधानाचार्या , पद से स्वेच्छिक अवकाश ग्रहण !
एम. ए., एम. एड., पीएच . डी., पी. जी. डिप्लोमा इन कम्प्यूटर साइंस !
कहानी ,कविता आलेख लेखन ,विभिन्न साझा संकलन, पत्रिकाओं में प्रकाशन !
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता व संचालन !
राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय पुरस्कार !
काव्य संग्रह -शीघ्र प्रकाश्य
सम्प्रति : अध्यक्ष, नेचुरल प्रोडक्ट कम्पनी !
स्वतंत्र लेखन ,वेबिनार: गोष्ठी आयोजन, सहभागिता, संचालन !
पेटिंग, हस्तकला, फूड कार्विंग, कारपेट मेकिंग, क्ले मॉडलिंग , ज्वैलरी डिज़ाइनिग, इन्टीरियर, वेस्ट मेटिरियल रीसाइक्लिंग आदि!
सम्पर्क:
Ph.+15516661713
#1
#विषय: समाज
#रचियत्री: डॉ. सीमा भाँति “ नीति”, अमेरिका
#स्वरचित मौलिक रचना
समाज वर्तमान, भूत, भविष्य का दर्पण,
सभ्यता, संस्कार, संस्कृति को अर्पण,
निरंतर पल्लवित करता रहता सुसंस्कृत,
सुसंस्कृत जन ही करते समाज को अलंकृत,
ये ही हैं जीवन्त समाज के कुबेर सशक्त स्तंभ,
अपने हुनर, कर्म से कीर्ति के नित नए लगाए खंभ।
मूल इकाई समाज की व्यक्ति से बना परिवार,
जिसमें हो स्नेह, सामंजस्य, समरसता की बहार,
जन जो कुटुंब व समाज का अभिन्न विशेष अंग,
उसमें सद्गुण, सच्चाई के साथ कुछ बुराई के दंश,
है संवाहक कुरीति-रीति, रूढ़िवादी, विवेकपूर्ण का,
यहाँ दर्शन रीति रिवाज के नाम पर नित नये स्वाँग का।
कुरीति- दहेज, शोषण, भ्रूण हत्या, नारी व्यभिचार,
धार्मिक उन्माद, दंगा, भ्रष्टाचार, भेदभाव, दुष्कर्म,
विषबेल पोषित अब जड़ से उखाड़ करो सत्कर्म,
हर स्तर पर हो समाज सुख-समृद्ध, सशक्तिकरण,
सजृनात्मकता, हुनर प्रेरणा, स्वस्थ समाज अनुसरण,
स्वतंत्रता, दायित्व, नारी, बुजुर्ग आदि मान अंत:करण।
समाज व्यक्ति में निरंतर चलता रहे ह्रदय मंथन,
कुरीति, रूढ़िवादिता, व्यभिचार, अवगुण उन्मथन,
सद्भाव, प्रेम, सद्गुण, धर्म, जाति सबका मान उन्नयन,
स्वस्थ व्यक्ति समाज स्नेहशील बनाना प्रथम ध्येय,
“नीति” कहे संतुलित समाज, सद्गुण ओज अनुष्ठेय,
सत्त कर्तव्य पथ पर समरस समाज राष्ट्र हमारा उद्देश्य, हमारा उद्देश्य........
डा. सीमा भाँति “नीति”, अमेरिका
स्वरचित मौलिक रचना
#2
# विषय: नन्हें दिल की एक प्यार भरी गुहार
# स्वरचित मौलिक रचना
# रचियत्री: डॉ. सीमा भाँति “नीति” , अमेरिका
💞💔💕💔💞💔💕💔💞💔💕💔💞💔💕💔💞
एक नन्हा दिल, जो अभी इस दुनिया में ही नहीं आया,
बस उसके होने का एहसास कोख को ही हो पाया।
गुफ़्तगू माँ-बाप की सुनते ही वो बहुत घबराया,
माँ को सकुचाता घबराता रोता देख अधिक बिचकाया।
तन्हाई पा के थोड़ा घबराते हुए इस तरह बोला,
ये अल्ट्रसाउंड, डॉक्टर ना जाने बाबा क्या बोला।
क्यूँ कोने में बैठी सुबक सुबक रोती हो करहाती ,
क्यूँ अभी तक चुपचाप यूँ तकिया पर बिलखती।
अब मेरे ना होने के आदेश को चुपचाप करती अमल,
ओ माँ ! इतनी जल्दी क्या है मुझे करने की अलग ।
तू ही तो कहती थी बस ये है मेरा नौ महीने घर,
फिर तू आयेगा इस खलक में करने रोशन घर ।
क्या मुझसे हुई कोई गुस्ताखी तो फिर बता ना माँ,
अभी पकड़ता ‘कान’, पर कैसे? कान तो है ही नही माँ।
चाहता हूँ बात करना बाबा से भी माँ मैं , दिल ,
पर जब वो तुझ से बात नहीं करते हिलमिल।
डर लगता है, तो मैं कैसे? तू ही कुछ कर ना माँ,
अपने लिए कभी ना हुई खड़ी पर अब तो हो माँ।
मेरी ख़ातिर ही अड़ा अंगद पैर माँ, ओ मेरी प्यारी माँ,
नन्हा प्यार दिल सिसक सिसक कर के पुकारे माँ।
माँ सुन लो, दादी सुन लो, कोई तो सुन लो मेरी गुहार,
मुझे अभी ज़बरदस्ती नहीं बिलकुल नहीं आना बाहर।
नौ महीने आराम से इस गुलाबी मख़मली में रहने दो घर में,
बस मारो मत, बचाओ माँ ! आने दो साकार रूप में इस प्यारे जहाँ में, इस प्यारे जहाँ में ........
💞💔💕💔💞💔💕💔💞💔💕💔💞💔💕💔💞
डॉ. सीमा भाँति “नीति” , अमेरिका
स्वरचित मौलिक रचना
#3
#विषय: मानवता के लाल
# स्वरचित मौलिक रचना
# रचियत्री: डॉ. सीमा भाँति “नीति” , अमेरिका
सुनी थी पारियों ( angles) की कहानी दादी - नानी से ,
आज इस धरा पे अवतरित है करोना वोर्रीरस आसमाँ से ।
हथेली पर जान , परिवार , सब लेकर निस्वार्थ भाव से ,
फिर भी कुछ मानवता के दुश्मन खड़े हुए इस राह में स्वार्थ से ।
अब तो हो गयी हद ही अश्लीलता व उनके व्यवहार से ,
देवदूत जो करने आए थे रक्षा हमारी , पड़ गए जान के लाले उनके ।
साष्टांग प्रणाम उन माताओं को, ये निकले जिनकी गोद से ,
“नीति” सहित कण कण ब्रह्मांड का , नतमस्तक इनके समक्ष कृतज्ञता से ।
प्रार्थना , एकता , समर्पण मूलमंत्र केवल , एकमात्र मूलमंत्र दिल से ,
विजयी अवश्यभामि , जय हो, जय हो, ‘मानवता के लाल’ जय हो !!!
स्वरचित मौलिक रचना
डॉ. सीमा भाँति “नीति”, अमेरिका
डॉ0हरि नाथ मिश्र
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