"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
निशा अतुल्य
सुनीता असीम
सुधीर श्रीवास्तव
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विनय साग़र जायसवाल
डाॅ० निधि त्रिपाठी मिश्रा
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
डॉ रामकुमार चतुर्वेदी
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
एस के कपूर श्री हंस
नूतन लाल साहू
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सुनीता असीम
डॉ0 निर्मला शर्मा
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
आशुकवि एवं काव्य रंगोली परिवार के संस्थापक एवं काव्य रंगोली पत्रिका के संपादक लोकप्रिय कवि साहित्यकार रचनाकार समीक्षक, मार्गदर्शक श्री नीरज अवस्थी जी का कोरोना से आज दिनांक 11 मई 2021 को सुबह हुआ निधन, साहित्य जगत की हुई अपूर्णिय क्षति, उनकी रिक्ति भर पाना असम्भव, परमात्मा का क्रूर प्रहार, अंश्रूपूरित श्रद्धांजलि समर्पित।
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
पानी बिकने लगा हंसी हो हवा बिके परिहास, नहीं होश है मानव संकट में हार रहा इतिहास - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
श्रीकांत त्रिवेदी लखनऊ लघुकथा प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन ब्रेन स्ट्रोक से पैरालाइज्ड!
डॉ अरोड़ा का नाम दूर दूर तक फैला हुआ था !
शहर के मेयर,
बहुत बड़े न्यूरो सर्जन!
दवाओं की होल सेल एजेंसियां पूरी कमिशनरी में फैली थी !
उन्हे सांसदी का टिकट कई पार्टियां देने को तैयार बैठी हैं,
पर वो चाहते हैं की उनके एकमात्र बेटे को टिकट मिले वो भी सत्ताधारी पार्टी से!
अचानक देश में कोरोना फैल गया!
दवाओं की मांग बढ़ती ही जा रही थी, डॉ साहब की एजेंसियां लगातार माल सप्लाई कर रही थी, दवा बनाने वाली कंपनियों के बोर्ड के डायरेक्टर जो थे, लोग कहते है बहुत सी जीवन रक्षक दवाएं बनाने की कंपनियां भी हैं उनकी।
शाम को बेटे को तेज बुखार के साथ कोरोना के सिम्पटम्स उभरे, शहर के सबसे अच्छे हॉस्पिटल में इलाज शुरू हुआ,पर हालत बिगड़ती जा रही थी , डॉ साहब ने दवाएं चेक की तो पता चला कि उन्ही की कंपनियों की दवाएं चल रही हैं, तुरंत दूसरी कंपनी की दवाएं मंगाने के लिए कहा गया हॉस्पिटल से!
पर शायद देर हो चुकी थी ,कुछ ही देर में बेटे ने दम तोड दिया!
अगले दिन बेटे के अंतिम संस्कार के बाद डॉ साहब के घर कोरोना के बावजूद हुजूम उमड़ पड़ा! सब सांत्वना दे रहे थे पर डॉ साहब बदहवास से बार बार घर के अंदर जाकर पत्नी को चुप करा रहे थे।
एकाएक अंदर से पत्नी के बिलखने की आवाज में कुछ शब्द सुनाई दे गए,......
" कितना मना किया किया था ये नकली दवाओं का बिजनेस न करो, पर नहीं माने ! अब ये दौलत सिर पर रख नाचो, मेरे बेटे की जान ले ली तुम्हारी दवाओं ने!"
कोई कुछ समझता तब तक डॉ साहब की पत्नी को भयानक दिल का दौरा पड़ा और वो भी अपने पुत्र से जा मिलीं।
दो तीन दिन बाद सभी समाचार पत्रों की हेड लाइन थी....
प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन ब्रेन स्ट्रोक से पैरालाइज्ड!
श्रीकांत त्रिवेदी लखनऊ
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
विनय साग़र जायसवाल,
सुषमा दीक्षित शुक्ला
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
एस के कपूर श्री हंस
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दयानन्द त्रिपाठी निराला
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