।रचना शीर्षक।।*
*।।सावधानी, दुआ और दवा*,
*बस यही ईलाज कॅरोना का।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
चितायें जल रहीं बेबस
मौन इंसान है।
उजड़ गया बागवान
खाली मकान है।।
देख रहा आंखों से जुदा
अपनो को होते हुए।
कैसे बचें यह सांसें इस
बात से अंजान है।।
2
जिन्दगी गुज़र रही आज
ऐसे मुकाम से।
मौत भी नहीं मिल रही
बड़े आराम से।।
थोड़ी सी लापरवाही और
जरा सी चूक हुई।
छू लिया कॅरोना तो जानो
गये काम से।।
3
बस यही कोशिश हो कि
घर पर ही रहें।
बाहर निकल कर ज्यादा
जोश में न ही बहें।।
दवा लेंऔर रखें खानपान
में जरा सावधानी।
हो फिर भी परेशानी तो
डॉक्टर को ही कहें।।
4
करें प्रभु प्रार्थना जो सिद्ध
कृत हो जाये।
बहुत हो गया कि ये कॅरोना
अब तो मृत हो जाये।।
ईश्वर की लीला का हो यूँ
कुछ ऐसा चमत्कार।
दूर दुनिया से महामारी अब
तो वृत ही हो जाये।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
8218685464
: *विषय।विधा।छंदमुक्त।अतुकांत।*
*रचना शीर्षक।।अब भाग कॅरोना भाग।।*
कल कॅरोना से दूर से मुलाकात हो गई।
बस सामने सामने ,आंखों
आँखों में बात हो गई।।
कॅरोना बोला आयो गले मिलो, हाथ तो जरा मिलायो।
मैंने कहा कि कहानी सब,
यह तेरी समाप्त हो गई।।
कॅरोना बोला बड़े ही, चालाक सयाने लगते हो।
जानते नहीं मेरे पास, जीवाणु, विषाणु, वाइरस है।।
तुम्हारे पास क्या है।
मैंने भी कह दिया कि,
मेरे पास मास्क,सैनिटाइजर, साबुन, अंगोछा, टोपी , दस्ताने और अब दवा भी हैं।।
तुझे भगाने के और बहाने भी हैं।।
हमेशा सतर्क सावधान रहता हूँ।
स्वस्थ खानपान में ही, मेरा
विश्वास है।।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, मेरे लिए बहुत खास है।।
काढ़ा, हर्बल,तुलसी,लौंग, इलायची का, सेवन नित करता हूँ।
प्रकृति से खूब , निकटता रखता हूँ।।
व्यायाम योग ,मेरे जीवन का हिस्सा है।
यह सब रोज़, मेरे जीवन का किस्सा है।।
कॅरोना सुन, बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी।
एक दिन तेरी शामत ,तो जरूर ही आयेगी।।
हर देश के कॅरोना योद्धा ,तुझे ढूंढ रहे हैं।
एन्टी बॉडी ,हर्ड इम्युनिटी वाले भी, हो रहे तैयार हैं।
तेरे लिए वैक्सीन बनाने वाले भी, खूब होशियार हैं।।
तुझको खत्म पहले करने को, सब तैयार है।
पी पी ई किट ,फेस शील्ड, हैंड वाश का, खूब निर्माण हो रहा है।
लॉक डाउन भी खुल सा रहा, और अब व्यापार भी हो रहा है।।
हमारी संस्कृति जीवन शैली खान पान की प्रकृति ,बहुत अलग है।
तुझे अधिक समय, यह रास नहीं आयेगी।।
तेरी दाल ज्यादा दिन गल नहीं पायेगी।
तेरे अनुकूल वातावरण नहीं है यहाँ।।
तेरा ठिकाना है किसी और जहाँ।
बोरिया बिस्तर बांध और रुखसत हो जा।।
अब बन गई वैक्सीन और पहला,दूसरा डोज लग रहा है।
इकीसवीं सदी के इकीसवें साल में ,
जान ले, तेरा छल अब टल रहा है।।
*अब कॅरोना जा जा जा।*
*अब कॅरोना जा जा जा।।*
*अब भाग कॅरोना भाग।।*
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।*
मोब।।। 9897071046
8218685464
*Good......Morning*
*।। प्रातःकाल वंदन।।*
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दसों दिशाओं में फैले
आपका प्रताप।
जीवन आपके रहे न
कोई भी संताप।।
सुखी स्वस्थ हर्षित रहें
आप हर दिन।
*वंदनअभिनंदन स्वीकार*
*करें बेला नवप्रभात।।*
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*शुभ प्रभात।।।।।।।।।।।।।।।।।*
*।।।।।।।।।।।।।। एस के कपूर*
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*दिनाँक 20. 05. 2021*