*।।रचना शीर्षक।।*
*वृद्धावस्था।।जिंदगीअभी बाकी है।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
बुढ़ापा जीवन में ,मानो वरदान होता है।
अनुभव की लिये ,एक खान होता है।।
सफर का आखिरी ,मुकाम नहीं ये तो।
फिर दुबारा चलने ,का ही नाम होता है।।
2
उम्र से बुढ़ापे का लेना देना, नहीं होता है।
विचार जवान बुढ़ापा ,कँही और खोता है।।
जीने की चाह और राह , ना हो अगर।
आदमी जवानी में भी, बुढ़ापे सा ही रोता है।।
3
जीवन की शाम नहीं ,यह तो दूसरी पारी है।
जो नहीं कर पाये ,अब तो उसकी बारी है।।
कोई बंदिश नहीं उम्र की ,नया सीखने के लिए।
कुछ नया करने और सोचने ,की तैयारी है।।
4
नये पुराने दोस्तों संबंधियों ,से अब मिलना है।
साथ साथ मिल कर ,हँसना और खिलना है।।
उठाना बोझअपना ,जिंदा को कंधा नही मिलता।
स्वास्थ्य की तुरपन को भी, तुम्हें ही सिलना है।।
5
वरिष्ठ नागरिक का दर्जा ,सम्मान का होता है।
कुछ काम और कुछ ,आराम का होता है।।
जिंदगी में अभी कुछ नया ,करने को है बाकी।
पूरे करने को उन सब ,अरमान का होता है।।
6
समाज और परिवार को, अब नई राह दिखायें।
पर सुने बच्चों की ज्यादा, अपनी ना चलायें।।
तृप्ति और संतोष का, मार्ग होता सर्वोत्तम है।
वृद्धावस्था को जीवन का ,आदर्श काल बनायें।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"।।*
*बरेली।।।।*
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