राणा प्रताप की जयंती पर समर्पित एक रचना.....शत शत नमन....🙏🙏💐
*राणा प्रताप*
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राणा प्रताप इतिहास रचे , यह उनकी अमर कहानी है।
जो विजय पताका फहराए , अब उनकी याद दिलानी है।
ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया जन्मे, मेवाड़ धरा के वीर रहे।
कुम्भलगढ़ दुर्ग धरा पावन, यह जन्म कथा की बात कहे।
पिता महाराणा उदयसिंह, माता जयवंता बाई थीं।
राजपूत सिसोदिया वंशज, के घर बन खुशियाँ आयीं थी।
इस बालक की अग्रिम गाथा,अब सबको आज सुनानी है।
राणा प्रताप इतिहास रचे.......।।
जब हल्दीघाटी युद्ध हुआ, अकबर को धूल चटाये थे।
वो अभिमानी अकबर का भी, यह दर्प तोड़ने आए थे।
वो तीन आक्रमण तुरत किया, और सेना स्वयं गवाँ बैठा।
मुगलों की सेना का रक्षक, खुद अपनी साख मिटा बैठा।
बस निडर साहसी राणा की, फिर गाथा ह्रदय बसानी है।
राणा प्रताप इतिहास रचे......।।
चप्पली, देवर का युद्ध बड़ा, औकात दिखाए मुगलों का।
मेवाड़ी राणा मान सभी, उद्घोष हुआ जब बिगुलों का।
छापामारी की युद्धनीति, राणा ने स्वयं बनाया था।
यह शेर हिन्द की धरती पर, मेवाड़ बचाने आया था।
राणा की सैन्य शक्ति अद्भुत, यह शौर्य रहा बस सानी है।
राणा प्रताप इतिहास रचे.....।।
राणा का चेतक भी देखो, हर युद्ध में साथ निभाया था।
वह हवा से बातें करता था, वह राणा का ही साया था।
उनका भाला और कवच सदा, उनके जीवन तक साथ दिया।
राणा पुंजा सरदार सदा , बढ़करके अपना हाथ दिया।
यह अद्भुत शुभ संयोग रहा, जो झलक आज दिखलानी है।
राणा प्रताप इतिहास रचे....।।
कुछ मिथ्या बातें फैलायीं, बस चाटुकारिता के कारण।
नहीं घास की रोटी खाए, है करना बस यह निष्तारण।
नहीं लिखे संधि पत्र अकबर को, नहीं जीते जी वह झुक पाए।
वो सुंगा पहाड़ी पे जाकर , बावड़ी बगीचा लगवाए।
ये मिथक बसा जो पन्नों पर, शोधित प्रकाश डलवानी है।
राणा प्रताप इतिहास रचे.....।।
यह नहीं झुका यह नहीं रुका, वह साहस ह्रदय बसाए थे।
दृढ़ संकल्पों के धाती थे , हिन्दुत्व भाव अपनाए थे।
उनके साहस अरु शौर्य देख, मुगलों ने लोहा मान लिया।
अकबर का दरबारी कवि भी,था पृथ्वीराज (राठौड़) बखान किया।
इस वीर महाराणा की छवि, *मधु* बच्चों तक पहुँचानी है।
राणा प्रताप इतिहास रचे.......।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*13.06.2021*