"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सोनू कुमार मिश्रा
अरुणा अग्रवाल
डॉ. कवि कुमार निर्मल
अमरनाथ सोनी अमर
डॉ० रामबली मिश्र
कुमार@विशु
निशा अतुल्य
सावन आने वाला है - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
शीर्षक - सावन आने वाला है।
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इन्द्र धनुष के सतरंगों से,
वृष्टि धरा पर आयी है।
धुंधली सी तस्वीरें सारी,
निखर-निखर कर छायी हैं।
देख धरा तूं नभ शरारत करने वाला है।
सावन आने वाला है-2।।
बारिश के बूंदों के सुखदायक संगीतों से,
छेड़ रहे विरही चातक नव गीत यही।
सुख - दु:ख के इस मधुर स्वप्न में,
शरद, शिशिर सब ऋतुएं सही।
उठ रहा जलप्रपात अब आसमान मिलने वाला है।
सावन आने वाला है-2।।
जिंदा लाशों के इस जग में,
इच्छाएं हर ओर पड़ी हैं।
आशाओं से प्रमुदित मन में,
सुमधुर संगीत छिड़ी हैं।
पहन हरित परिधान धरा प्रियतम आने वाला है।
सावन आने वाला है-2।।
कानन के सब जीव-जन्तु अब,
नव उमंग से भरे पड़े।
रिमझिम सी बारिश की बूंदें।
गात धरा पर लोट पड़े।
रोम रोम हैं सिहर उठे मेघ गगन में जाने वाला है।
सावन आने वाला है-2।।
तन शीतल है मन निर्मल है,
व्याकुल आश लगाए बैठी है।
निर्झर बहती अंश्रुधार अब,
जीवन की डगमग कश्ती है।
मिल जाए तिनके का सहारा किनारा आने वाला है।
सावन आने वाला है-2।।
- दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
संजय जैन बीना
जया मोहन
सोनू कुमार मिश्रा
सुधीर श्रीवास्तव
एस के कपूर श्री हंस
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
अतुल पाठक धैर्य
नूतन लाल साहू
मधु शंखधर स्वतंत्र
विनय साग़र जायसवाल
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
डा. नीलम
सुधीर श्रीवास्तव
विजय मेहंदी
जया मोहन
निशा अतुल्य
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