गीत(16/14)
जीवन के अनमोल पलों में,
आओ प्रेम सजाएँ हम।
सबको गले लगाकर हर पल-
मधुर गीत नित गाएँ हम।।
जीवन तो क्षणभंगुर प्यारे,
आज रहे कल ज्ञात नहीं।
पल में तोला,पल में माशा,
जान सके औक़ात नहीं।
सुख-दुख दोनों एक मानकर-
खुशियाँ रोज मनाएँ हम।।
मधुर गीत नित गाएँ हम।।
जब तक जीना रहे झमेला,
इच्छाएँ तो मरें नहीं।
कभी नहीं ये पूरी होतीं,
उदर अन्न से भरें नहीं।
बैठ-बैठ कर आपस में नित-
निज की व्यथा सुनाएँ हम।।
मधुर गीत नित गाएँ हम।।
प्रेम-भाव की भाषा बोलें,
प्रेम मधुर रस-पान करें।
प्रेम-भाव को समझें सब जन,
प्रेम-तत्त्व-सम्मान करें।
बड़े भाग्य से जन्म मिला है-
इसमें खुशियाँ पाएँ हम।।
मधुर गीत नित गाएँ हम।।
रंग-विरंगे सपने बुनते,
पर न लालसा पूरी हो।
उलट-फेर हम करते रहते,
इच्छा नहीं अधूरी हो।
नहीं अंत कुछ रह जाता है-
खुले हाथ ही जाएँ हम।।
मधुर गीत नित गाएँ हम।।
©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372